हैलो दोस्तो, आगे जो कहानी मैं लिखी है वो मेरे एक दोस्त अमित की आप-बीती है. आप सभी उसी के शब्दों में कहानी का आनंद लीजिये.
नमस्कार, मेरा नाम अमित है, मैंने अन्तर्वासना डॉट कॉम पर कई कहानियां पढ़ी हैं. आज मैंने भी सोचा कि क्यों ना मैं भी अपनी कहानी आप लोगों के साथ शेयर करूं. ये मेरी पहली कहानी है, तो कहानी से पहले थोड़ा अपने बारे में बता देना चाहता हूँ.
मैं उन्नीस साल का लम्बा तगड़ा नौज़वान हूँ. मेरे घर में माँ, पापा और एक भाई हैं. मेरे पापा सब्जी की दुकान चलाते हैं. और मेरी माँ भी अक्सर घर के बाहर ही रहती हैं. लोग कहते हैं कि वो भी पैसे कमाने के चक्कर में बाहर जाती हैं. मेरे घर अक्सर बाहरी लोगों आते जाते रहते हैं और वो माँ से ही ज़्यादा बात करते हैं. मेरे बाप ने कभी उसको टोका नहीं, शायद वो भी जानते थे कि उनकी कमाई से घर के खर्चे पूरे नहीं होते. मैं भी इन सब मामलों में कोई दिलचस्पी नहीं रखता था, अक्सर बाहर ही आवारगार्दी करता रहता.
मेरी उम्र जवान हो चुकी थी, इसलिए मेरी सेक्स की लालसा भी शुरू हो गई थी, लेकिन कोई लड़की पट नहीं पा रही थी. फिर मैंने गे सेक्स के बारे में पढ़ा और सोचा कि लड़की से साथ वैसे भी बहुत बवाल होते हैं, तो मुझे गे सेक्स ज़्यादा पसंद आया. या यूं कहें कि मुझमें लड़कियों से ज्यादा पुरुषों में अधिक रूचि थी.
अब समस्या ये थी कि पार्ट्नर कहां से खोजा जाए क्योंकि साथ के लड़के इतने हरामी थे कि साले सबको बता सकते थे. इससे बड़ा मज़ाक बन सकता था.
तभी मुझे अपने पड़ोस में रहने वाले एक अंकल याद आए. उनकी उम्र लगभग चालीस साल की होगी, लेकिन वो बहुत ही स्मार्ट लंबे चौड़े और आकर्षक व्यक्तित्व के मालिक हैं. मैंने सुना था कि इस उम्र में लोग अक्सर बाहर सेक्स की तलाश करने लगते हैं. वो मुझको बड़े गौर से देखते भी थे और कभी कभी आंख भी मार देते थे.
तो मैंने मन ही मन ये विचार बनाया कि इनके साथ दोस्ती करना और सेक्स के मज़े लेना ज़्यादा ठीक रहेगा, क्योंकि इस उम्र में ये किसी से बताएंगे भी नहीं.
बस उस दिन से मैं उनसे बात करने की योजना बनाने लगा. वो जब भी मुझे कहीं भी दिखते, मैं मुस्करा देता. अगर पास होते, तो हालचाल भी पूछ लेता.
एक दिन वो मुझको रास्ते में मिल गए और बात करने लगे. उनकी बातों से लगा कि वो भी मुझसे वही चाहते हैं, जो मैं उनसे चाहता हूँ. फिर अक्सर हम लोगों की बात होने लगी और धीरे धीरे हम दोस्तों की तरह बातें करने लगे.
एक दिन मैंने हिम्मत करके पूछा- अंकल, गे क्या होता है?
तो वो हंसने लगे और बोले- तुम्हारी इतनी उम्र हो गई और तुम ये भी नहीं जानते.
मैंने कुछ नहीं कहा.
फिर उन्होंने बताया- जब एक लड़का दूसरे लड़के के साथ प्यार करता है और सेक्स करता है, उसको गे बोलते हैं.
मैंने पूछा- आपने कभी किसी लड़के के साथ सेक्स किया है?
अंकल बोले- कोई मनपसंद लड़का मिला ही नहीं.
मैंने पूछा- आपको किस टाइप का लड़का पसंद है.
तो वो बोले- तेरे जैसा.
बस वे हंस दिए.
मैंने कहा- अंकल आप सीरीयस हैं या मज़ाक कर रहे हैं?
उन्होंने बोला- तू क्या चाहता है?
तो मैंने बोला- अंकल लड़की पटाने में बड़ी झंझट हैं और खर्चा भी होता है और डर भी रहता है. अगर आप नाराज़ ना हों, तो हम दोनों की ख्वाहिश पूरी हो सकती है.
वो बिना कुछ बोले उठे और चले गए.
मुझे अन्दर से बहुत डर लगा, फिर सोचा कि जो होगा देखा जाएगा.
दो दिन बाद अचानक से अंकल का फोन आया- अमित आज तुम्हारी आंटी बाहर गई हैं, तो आज हम दोनों के लिए अपने सपने को सच करने का बड़ा बढ़िया मौका है.
यह सुनकर मैं बहुत खुश हुआ, जैसे मुझे मन माँगी मुराद मिल गई हो. मैं जल्दी से उनके घर पहुंचा, वो मेरा ही इंतज़ार कर रहे थे.
उन्होंने मुझे अपनी बांहों में भर लिया और एक जोरदार किस किया. मुझे भी उनसे लिपटना बहुत अच्छा लगा. फिर उन्होंने मुझे अपने बेड पे बिठाया और अपनी बांहों में भर कर मेरे होंठों को चूमने लगे. मैं भी उनका साथ दे रहा था. हम दोनों एक दूसरे से कसके चिपके हुए चूम चाट रहे थे और एक दूसरे के कपड़े भी उतारते जा रहे थे. फिर हम दोनों केवल जांघिया में आ गए.
अब तक अंकल ने एक ब्लू फिल्म लगा दी, जो गे सेक्स की ही थी. उस फिल्म में एक लड़का दूसरे लड़के का लंड अपने मुँह में लेकर चूस रहा था. मुझे ये देख कर बहुत अजीब लगा.
मैंने अंकल से पूछा- ये क्या है?
तो उन्होंने अपना लंड बाहर निकाल कर कहा- खुद ही करके देख लो.
उनका लंड काफ़ी बड़ा था. पहले तो मुझे थोड़ा अजीब लगा, फिर मैंने सोचा कि करके देखते हैं.
जब मैंने उनका लंड अपने मुँह में लिया, तो उसमें से जो खुशबू आ रही थी, वो बड़ी मारू थी. शायद अंकल ने अपना लंड साबुन लगा के धोया था. मुझे उनका लंड चूसने में बहुत अच्छा लग रहा था. वो भी आंखें बंद कर के मज़ा ले रहे थे.
काफ़ी देर तक अंकल का लंड चूसने से मैं भी उत्तेजित हो गया था. फिर मैंने भी अपना कच्छा उतार दिया और उनके लंड का स्वाद लेने लगा. वो मेरे लंड को अपने हाथों से सहला रहे थे. पहली बार किसी ने मेरे लंड को अपने हाथों में लिया था, तो मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. कभी वो मेरे लंड को सहलाते, कभी मुट्ठी में दबा कर आगे पीछे करते और कभी नीचे आंड को सहलाते. मुझे तो बिल्कुल जन्नत का एहसास हो रहा था.
उन्होंने बोला- अमित बेटा, तेरा लंड तो काफ़ी बड़ा और मोटा है, बहुत मज़ा आएगा इसको चूसने में.
यह सुनकर मेरा जोश बढ़ गया और मैं उनके लंड को और भी जोर के साथ चूसने लगा. अब मैं अंकल के लंड को अपने गले तक मुँह में भर ले रहा था.
तभी अचानक से वो मुझे रोकने लगे, लेकिन मैं नहीं रुका और उनके लंड का सारा पानी मेरे मुँह में निकल गया, जिसको मैं पी गया.
अंकल अभी भी मेरा लंड अपने हाथ में लिए आगे पीछे कर रहे थे. मैं बोला- अंकल मुझे भी तो पूरा मज़ा दिलाओ.
तो उन्होंने मेरा लंड अपने मुँह में रख लिया और चूसने लगे. मुझे तो जैसे जन्नत का मज़ा मिल रहा था, लेकिन जो मज़ा लंड चूसने में था, वो चुसवाने में नहीं आ रहा था. मैंने 69 की पोज़िशन बना ली और उनका लंड दोबारा चूसने लगा. काफ़ी देर हम दोनों एक दूसरे का लंड चूसते रहे.
फिर अंकल ने बोला- अमित, ज़रा अपनी गांड का मज़ा भी तो दिलाओ.
मैंने बोला- अंकल, मैंने पहले कभी भी गांड में लंड नहीं लिया है.
तो वो बोले- कोई बात नहीं बेटा, मैं हूँ ना, तुमको कोई परेशानी नहीं होगी.
फिर उन्होंने तेल की बोतल निकाली और ढेर सारा तेल मेरी गांड पे लगा कर मालिश करने लगे. मैं भी बड़े प्यार से अपनी गांड पर तेल लगवा रहा था. वो बीच बीच में मेरी गांड में अपनी उंगली भी डाल रहे थे, जिससे गांड थोड़ी ढीली हो जाए.
फिर उन्होंने थोड़ा सा तेल अपने लंड पर लगाया और बोले- अमित बेटा, मेरा लंड अपनी गांड में लेने के लिए तैयार हो जाओ.
मैं डरते हुए गांड में लंड लेने को राजी हो गया.
उन्होंने मुझे पीठ के बल बेड पर लिटा दिया और मेरी टांगें अपने कंधे पर रख लीं, जिससे मेरी गांड उभर कर सामने आ गई. अंकल ने मेरे कंधों को कसके पकड़ लिया. पहले तो वो मेरी गांड में अपनी उंगली डालके उसको आगे पीछे करते रहे. मुझे उनकी उंगली से बहुत मज़ा आ रहा था.
फिर उन्होंने अपने लंड का सुपारा मेरी गांड के छेद पर लगा दिया. अंकल बोले- अमित बेटा ज़रा मेरा लंड संभाल लेना.
मुझे तो उंगली से बहुत मज़ा आया था, तो मैं बहुत खुश था. मुझे लगा था कि इसी तरह से लंड को लेने में मजा आएगा. लेकिन जैसे ही लंड का सुपारा मेरी गांड में घुसा, तो ऐसा लगा जैसे मेरी गांड फट गई. मुझे बहुत तेज दर्द हो रहा था. मैं चिल्लाने को हुआ, लेकिन अंकल ने फ़ौरन ही मेरे होंठों को चूसना शुरू कर दिया और लंड को धीरे धीरे मेरी गांड में घुसाते चले गए.
फिर वो थोड़ी देर रुके और आहिस्ता आहिस्ता से लंड को आगे पीछे करके मेरी गांड को चोदने लगे.
अब दर्द थोड़ा सा कम हो गया था और मुझे गांड मरवाने में मज़ा आने लगा था. मैं मज़े में बड़बड़ाने लगा- उम्म्ह… अहह… हय… याह… अंकल.. और चोदो.. कसके चोदो.. फाड़ दो मेरी गांड को.. आह.. और जोर से चोदो.. बड़ा मज़ा आ रहा है.
अंकल भी ये सुनके जोश में आ गए और कस कसके धक्के लगाने लगे.
लगभग 15 मिनट की चुदाई के बाद अंकल बोले- मेरा माल बाहर आ रहा है.
मैं बोला- अंकल उसको मेरी गांड में ही गिरा दो.
दो तीन जोरदार धक्के लगाने के बाद अंकल का माल बाहर निकल गया और अंकल ने लंड रस से मेरी गांड को पूरा भर दिया. फिर मैं उनके लंड को मुँह में लेके चूसने लगा और वो निढाल होकर लेट गए.
मैंने बाथरूम में जाकर अपनी गांड को धोया और फिर अंकल के बगल में आकर लेट गया. हम दोनों फिर से एक दूसरे से लिपटकर पति पत्नी की तरह प्यार करने लगे. मुझे अपनी गांड की चुदाई में जो मज़ा मिला, वो जिंदगी में कभी भी महसूस नहीं हुआ.
हम दोनों दोबारा से एक दूसरे के लंड को मुँह में लेकर चूसने लगे.
अब अंकल बोले- अमित बेटा, तू तो अभी भी प्यासा ही है, मैं अभी तेरी प्यास बुझाता हूँ.
इतना कह कर वो मेरे लंड को कसके चूसने लगे और अपने मुँह को आगे पीछे करने लगे. मुझे लंड चुसवाने में अब बहुत मज़ा आ रहा था. मैं भी उनके लंड को कस कस के चूस और चाट रहा था.
मैं बोला- अंकल, मुझे भी तो गांड का मज़ा दिलाओ ना.
तब वो थोड़ा सा चुप हो गए, फिर बोले- तूने आज मुझे बहुत मज़ा दिया है, तो मैं तुझे निराश कैसे कर सकता हूँ. लेकिन बेटा मेरी गांड में आज तक कोई लंड नहीं गया, इसलिए थोड़ा ध्यान से चोदना.
यह सुनकर मेरी तो खुशी का कोई ठिकाना ही ना रहा क्योंकि आज मैं एक कुंवारी गांड मारने जा रहा था.
मैंने भी अंकल के जैसे तेल लेकर अंकल की गांड में लगाना शुरू कर दिया और अपनी उंगली भी उनकी गांड में डाल रहा था, जिससे अंकल की गांड भी थोड़ी फैल जाए.
फिर मैंने अपने लंड पर तेल लगाया और अंकल की गांड में पूरा लंड एक साथ डाल दिया.
अंकल दर्द से तड़प उठे और बोले- तुम्हारी उम्र में यही प्राब्लम है, हर काम में जल्दी रहती है. मेरी गांड की माँ चोद दी.
मैंने बोला- सॉरी अंकल.
फिर मैं धीरे धीरे अंकल की गांड में अपने लंड से धक्के लगाने लगा. उनके चेहरे से दर्द साफ़ महसूस हो रहा था. मैंने आगे झुक कर अंकल के होंठों और सीने को चूसना और चाटना शुरू कर दिया. धीरे धीरे उनको भी मज़ा आने लगा और वो भी भरपूर साथ देने लगे.
लगभग 15 मिनट बाद मैंने अपना सारा माल उनकी गांड में भर दिया और निढाल होकर अंकल के ऊपर ही गिर गया.
वो दिन मेरी जिंदगी का सबसे शानदार दिन था. थोड़ी देर बाद हम दोनों ने एक साथ नहाया और फिर मैंने कपड़े पहन कर अंकल से विदा ली. उन्होंने बड़े प्यार से मेरे होंठों को अपने होंठों में भर के चूसा और बोले- तुझे छोड़ने का मन नहीं कर रहा.
मैं बोला- अंकल जाने का मन तो मेरा भी नहीं है, सोच रहा हूँ एक बार फिर से आपका लंड अपनी गांड में ले लूँ. लेकिन देर बहुत हो गई है, आंटी आने वाली होंगी. अब जब भी मौका मिलेगा, हम ऐसे ही मिलते रहेंगे.
उसके बाद हम दोनों के बीच ये सिलसिला लगातार चल रहा है. हम दोनों एक दूसरे की गांड मार के अपनी हवस मिटा लेते हैं. मुझे गांड मारने से ज़्यादा गांड मराने में मज़ा आता है.
आपको मेरी ये गांड चुदाई की कहानी कैसी लगी, मेल ज़रूर लिखिएगा.
मेरी मेल आईडी है.
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