नमस्कार जी ! मैं रोहित भिवानी, हरियाणा में रहता हूँ. ये तब की बात है जब में स्कूल में पढ़ता था. मेरे घर के पास में एक 19 साल की लड़की निहारिका रहती थी.
निहारिका के गोल गोल गांड पर टिकी उसकी पतली कमर, एकदम नोक सी खड़ी चूचियां मेरा लंड खड़ा कर देती थीं. वो टाईट सा सूट सलवार पहनती थी. जब वो चलती थी, तो सलवार में उसके गोल गोल चूतड़ बड़े दिलकश अंदाज में मटकते थे. दोस्तों मैं तो रोज रात को उसके चूतड़ों को याद करके मुठ मार कर सोता था.
जब मुझसे रहा नहीं गया, तो मैंने उस पर लाइन मारनी आरम्भ कर दी. मुझे थोड़ी मेहनत लगी, पर वो मुझसे पट गयी. इसके बाद काफी दिन तक हमारी फ़ोन पर बात होती रही. हम दोनों खुलने लगे और अब रात को हम सेक्स की बात करने लगे.
वो मुझसे कहती थी- जानू जब रात को तुम्हारी याद आती है, तो मैं तकिये से चिपट कर सोती हूँ.
इसी तरह एक दिन ऐसा आया, जब वो मुझसे चुदने को मचलने लगी. उस दिन मैंने उसको नींद की गोलियां दीं और उससे कहा कि इन गोलियों को तुम अपने घर वालों को रात को खाने मैं मिलाकर दे देना. मैं रात को तुमसे मिलने आऊंगा.
उसने अपने घर वालों को गोली दे दीं.
करीब रात 11:30 बजे उसका फोन आया और उसने कहा- तुम जल्दी आ जाओ, सब सो रहे हैं.
मैं बेताब सा उसके घर पहुंचा. वो नीचे दरवाजे पर खड़ी मेरा इन्तजार कर रही थी. उसने मुझे अन्दर आने को कहा.
उसके दो भाई थे. वे दोनों उसके मम्मी पापा के साथ ऊपर वाले कमरे में सोते थे. नीचे वाले कमरे में कोई नहीं सोता था. वो मुझे नीचे वाले कमरे में ले गयी. कमरे में जाते ही मैंने दरवाजा बंद किया और उसके होंठ चूसने लगा.
मैं तो पहले से ही उसकी जवानी का प्यासा था. दस मिनट तक उसके होंठ चूसने के बाद मैंने उसको गोद में उठा लिया और बेड पर पटक दिया. फिर मैंने जल्दी से अपने सारे कपड़े उतार कर फेंक दिए और उसके ऊपर चढ़ गया.
वो भी मस्ती से मेरा साथ दे रही थी. मैंने उसकी कमीज निकाली और पन्द्रह मिनट तक उसकी चूची का रस पिया और खूब मसला. अब तक मेरा सात इंच का लंड एकदम लोहे सा कड़क हो चुका था.
मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोला और सलवार को उतार दिया. उसने अन्दर कच्छी नहीं पहनी थी. उसकी संगमरमर सी चूत देख कर मेरे से रहा नहीं जा रहा था. मैंने सोचा आज सीधे सीधे चुदाई कर लेता हूँ.. चुसाई का खेल बाद में कर लूँगा.
मैंने अपना लंड उसकी चूत पर सैट किया और उसकी पतली कमर पकड़ कर एक झटका दे मारा. मेरा आधा लंड अन्दर घुसता चला गया.
वो ‘उईईई ऊई उम्म्ह… अहह… हय… याह… आईई ऊऊऊ उफ़..’ करने लगी.
मैं जल्दी से उसका मुँह बंद करने के लिए उसके होंठ चूसने लगा. फिर मैंने एक और झटका मारा, तो लंड पूरा अन्दर चला गया. उसकी चूत से खून निकलने लगा. मैं कुछ देर तक रुक गया और उसके होंठ और चूची चूसता रहा. फिर धीरे धीरे झटके मारने लगा. अब उसका दर्द कम हो गया था और वो अपनी आंख बंद करके मेरे नीचे पड़ी थी. वो मुझे अपने ऊपर खींच रही थी और मैंने चुदाई की रफ़्तार तेज कर दी.
करीब बीस मिनट की धकापेल चुदाई के बाद हम दोनों का पानी छूट गया. कुछ देर हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे क्योंकि हम ठाक गए थे.
फिर वो मुझे अलग करके अपने कपड़े पहनने लगी और अपनी सलवार का नाड़ा बांधने लगी. पर मैंने अभी भी अपने कपड़े नहीं पहने थे, मेरी चुदाई की भूख अभी शांत नहीं हुई थी.
मैंने उसे अपनी तरफ खींचा और उसकी सलवार का नाड़ा खोल कर उसको अपने ऊपर खींच लिया. इस बार मैं नीचे था और वो मेरे ऊपर सवार थी. मैंने अपने दोनों हाथों से उसकी कमर को कस कर पकड़ा और लंड को चूत पर लगा दिया. लंड चूत में धकापेल पेल चुदाई शुरू हो गई.
उसके मुँह से निकलती ‘आईई ईईईई ऊऊऊऊ आआआ..’ की आवाजें मुझे और भी गर्म कर रही थी. मैं नीचे से उसकी कमर पकड़ कर जोर जोर से झटके मार रहा था. बीस मिनट बाद मैंने उसकी चूत में ही रस छोड़ दिया और अपने कपड़े पहनने के बाद अपने घर वापस आ गया.
यह हम दोनों का रोज का नियम बन गया था. रात को ऐसे ही उसके घर जाकर उसकी चुदाई करता था.
फिर एक दिन निहारिका ने मुझसे फोन पर कहा- मुझे तुमसे जरूरी बात करनी है.
मैंने कहा- जान रात को आऊंगा, तब जी भर कर बात कर लेना.
उसने ओके कहा और फोन काट दिया.
जब रात को मैं उसके घर गया, तब निहारिका ने मुझे बताया कि उसके घर वालों ने उसकी शादी तय कर दी है.
यह कह कर वो मेरे गले लग गई और रोने लगी. वो बोली- जानू, मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं.
मैंने उसको चुप कराया और समझाया- जानू, तुम अपने घर वालों के कहने पर उधर शादी कर लो, जहां वो चाहते हैं. मैं शादी के बाद भी तुमसे प्यार करता रहूंगा.
वो मेरी बात मान गयी. हम दोनों एक दूसरे से प्यार करने लगे. वो मुझे बेहद गर्म तरीके से चूम रही थी. आज चुदास कुछ ज्यादा ही भड़क गई थी.
कुछ देर बाद मैंने उसकी सलवार खोली और लंड को चूत पर लगा कर धकापेल चुदाई शुरू कर दी. मेरा लंड उसकी चिकनी चूत में पूरा अन्दर घुस गया. पूरा लंड जाते ही मैंने उसको गोद में उठा लिया और उसने अपनी दोनों टांगें मेरी कमर पर लपेट लीं. मैं उसको अपने ऊपर टांग कर उठा उठा कर चुदाई करता रहा.
उस रात को मैंने निहारिका को चार बार चोदा. फिर कुछ दिन बाद निहारिका की शादी भिवानी के पास किसी गाँव में हो गई थी. मुझे तो उसकी चूत की आदत पड़ गयी थी, इसलिए उसकी शादी के बाद उसके बिना मुझसे रहा नहीं गया. रोज रात को मुझे उसकी याद आती थी और हर रात को मुठ मार कर अपनी भूख शांत करता था.
फिर अचानक एक दिन उसका फोन आया और मैंने उससे कहा- जानू, मैं तुम्ह़ारे बिना रह नहीं सकता.
उसने मुझसे कहा- मुझे भी तुम्हारी याद आती है.
उसने बताया उसका पति एक अखाड़े का पहलवान है, उसका लंड बहुत बड़ा और मोटा है. वो मेरी दिन रात बुरी तरह से चुदाई करता है. मुझे पूरी रात सोने नहीं देता और दिन मैं भी तीन चार बार चोदता है. मेरी चूत छोटी है इसलिए मुझे बहुत तकलीफ होती है. वो तो बस मेरी छोटी सी चूत में लंड पेल कर मजा लेता रहता है. एक बार की ठुकाई कम से कम आधे पौने घंटे की करता है. एक बार मैं ही मेरा पूरा शरीर तोड़ देता है. फिर मुझे घर का काम भी करना पड़ता है. मैं पूरी तरह से टूट जाती हूं. पति रात को मेरे पिछवाड़े में लगा रहता है. उस वजह से अब तक मेरे पिछवाड़े का दर्द ठीक नहीं हुआ.
फिर मैंने निहारिका को समझाया कि जानू डरो मत … तुम्हें धीरे धीरे आदत पड़ जाएगी.
वो कुछ नहीं बोली.
मैंने निहारिका से पूछा- तुम भिवानी कब आओगी?
उसने कहा- जानू, मेरा बस चले तो अभी आ जाऊं.. पर मेरे पति आने नहीं देते.
मैंने निहारिका से कहा- जानू, मुझे रोज रात को तुम्हारी याद आती है और मुझे मुठ मार कर गुजारा करना पड़ता है.
वो भी मुझसे याद करने की बात कहने लगी.
मैंने निहारिका से पूछा- तेरी ससुराल में कौन कौन रहता है?
निहारिका ने बताया कि उसके सास ससुर साथ ही रहते हैं. वो दोनों नीचे कमरे में रहते हैं और हम ऊपर वाले में.
फिर मैंने निहारिका से कहा- जब रात को तेरा पति तेरी चुदाई करे, तो मेरे फोन से कॉल मिला कर यूं ही रख देना. मैं तेरी और तेरे पति की चुदाई की आवाज सुनना चाहता हूं.
निहारिका ने कहा- ठीक है … अभी फोन रखती हूँ.
उसने फोन काट दिया.
फिर रात को निहारिका का फोन आया और मुझे निहारिका की चुदाई की आवाज़ साफ साफ सुनाई दे रही थीं. निहारिका का पति निहारिका की पलंग तोड़ चुदाई कर रहा था. निहारिका चिल्ला रही थी- आईईई ईईईई ऊऊऊऊ आआआआ छोड़ दे आआह.. ऊऊऊऊ ईईईईई.. मर गई.. आह..
वो कामुक सीत्कार भर रही थी. इधर मैं निहारिका की आवाज़ सुन कर गर्म हो गया था और मुठ मारने लगा.
निहारिका की चुदाई एक घन्टे तक चलती रही और उतनी देर में मैं दो बार मुठ मार चुका था.
फिर अचानक निहारिका की आवाज़ आनी बंद हो गई. मैं समझ गया था कि अब निहारिका की चुदाई ख़त्म हो चुकी है. मैंने फोन कट किया और सो गया.
सुबह निहारिका का फोन आया और उसने कहा- सुना तुमने, इससे तुमको पता चला गया होगा. मेरा पति मुझे कितनी बुरी तरह से चोदता है.
मैंने कहा- यार निहारिका तू है ही इतनी सेक्सी … किसी का भी मन न भरे.
मेरी इस बात से वो हंसने लगी.
मेरी हर रोज निहारिका से फोन पर बात होने लगी थी. हर रात उस की चुदाई की आवाज सुनकर मैं मुठ मार लेता था. एक दिन तो फोन पर निहारिका की आवाज सुन रहा था. निहारिका के पति ने पूरी रात निहारिका को खूब ठोका. निहारिका के चूत और चूतड़ों की आवाज आ रही थी ‘पट पट पट पट …’
उसकी सिसकारियों की भी ‘आईईई आआह उफ्फ्फ … आईई माँ आआ मार दिया रे …’ आवाज आ रही थी. उस रात उसके पति ने उसको रात भर बहुत ठोका.
फिर अगले दिन निहारिका का फोन आया.
मैंने पूछा- कल रात को क्या खा लिया था तेरे पति ने?
तो निहारिका ने कहा- पता नहीं, पर मुझे पूरी रात बजाया. मुझे कभी अपने नीचे दबा कर रगड़ता रहा और कभी अपने ऊपर लेटा कर उछालता रहा. पूरी रात मेरी चूत में ही लंड पेलता रहा. उसका रस भी मेरी चूत में गया है.
मैंने निहारिका से कहा कि मतलब तेरे पति ने तुझको प्रेग्नेंट कर दिया है और अब वो तुमको कई महीने नहीं चोदेगा.
निहारिका ने मुझसे कहा- अच्छा है, अब चैन से तो रह सकती हूं.
इस तरह निहारिका रोज मुझसे फोन पर बात करती थी.
कहानी जारी रहेगी.
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कहानी का अगला भाग: पड़ोस की लड़की की गांड का दीवाना-2