नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम सौरव है और यह सेक्स कहानी मेरे जीवन में बीते कुछ हसीन पलों को लेकर है.
मैं कोई लेखक तो नहीं हूँ, तब भी उस रंगीन वाकये को अपने शब्दों में लिख कर बयान करने की कोशिश कर रहा हूं.
मुझे उम्मीद है इसे पढ़कर सभी लड़कियां, भाभियां अपनी चूत में उंगलियां करने को मजबूर हो जाएंगी.
यह मैरिड भाभी सेक्स लाइफ स्टोरी सन 2018 में उस वक्त की है जब मैं लखनऊ शहर में जॉब करता था.
इसमें मेरे और मेरी पड़ोस की भाभी की चुदाई की घटना को लिखा है, जिनको मैंने मैक्सी में चोदा था.
दरअसल सन 2016 में मेरा ट्रांसफर लखनऊ शहर में हुआ था और मैं वहां पर एक किराये के मकान में रहता था.
कुछ समय अकेले बिताने के बाद मुझे चूत की जरूरत महसूस हुई.
मेरे ऑफिस में भी सिर्फ पुरुष स्टॉफ ही काम करते थे तो वहां पर तो कुछ गुंजाइश नहीं थी.
लेकिन मेरी किस्मत ने मेरा साथ दिया और एक कपल मेरे पड़ोस में आकर रहने लगा.
उस जोड़े से मेरी बातचीत होना शुरू हो गई.
भैया का ऑफिस का काम कुछ ज्यादा रहता था.
भाभी भी कुछ ज्यादा चंचल थीं इसलिए मेरी उनसे बात ज्यादा होने लगी.
मैं आपको भाभी के बारे में बता देता हूँ.
भाभी का शरीर थोड़ा भरा हुआ था और वह अक्सर चुस्त कपड़े पहनती थीं, जिससे उनके स्तन साफ-साफ दिखाई देते थे.
मुझे तो भाभी जी पूरी काम की देवी लगती थीं. जो भी उनको एक बार देख ले, तो उसका लंड खड़ा हुए बिना नहीं रहेगा.
धीरे-धीरे कुछ समय बीता और मैंने भाभी के चाल चलन को समझ लिया.
दरअसल भाभी बहुत चालू किस्म की औरत लगती थीं. उनके पति जब घर पर नहीं होते, तो भाभी के बहुत सारे पुरुष दोस्त घर पर आते थे.
हालांकि मैं कभी उनके सेक्स सम्बन्ध नहीं जान सका.
तब भी मुझे लगा कि कुछ हो सकता है तो मैंने भी बहती गंगा में हाथ धोने का मन पक्का कर लिया.
मैंने मौका हाथ से जाने नहीं दिया और धीरे-धीरे भाभी से सेक्स को लेकर बात करने की कोशिश करने लगा.
बातों बातों में पता चला कि भाभी के पतिदेव अपने काम के चलते उन्हें ज्यादा समय नहीं दे पाते हैं. इसी वजह से भाभी की सेक्सुअल लाइफ बहुत अच्छी नहीं थी.
अब मैंने अपनी नजरों को वासना का चोला पहना दिया था. अपने कमरे से बाहर आते और जाते वक्त मैं भाभी को देखने लगा था.
मेरी नजरों को शायद भाभी जी समझने लगी थीं और वह भी कुछ मुस्कुरा कर इशारा कर देती थीं.
मैंने समझ लिया कि भाभी जी को मेरे लंड की जरूरत है.
मैं अब उन्हें देख कर अपने लंड को मसलने लगता था जिसके जवाब में भाभी भी अपनी चूचियां मसलने लगती थीं, कभी चूत रगड़ने लगती थीं.
एक दिन मैंने होंठों को गोल करके चुम्मा उछाल दिया.
भाभी ने बदले में अपने होंठों को गोल कर दिया और अपने हाथ से मेरा लंड हिलाने का इशारा कर दिया.
बस मामला फिट हो गया.
आखिरकार वह दिन आ गया था, जिस दिन का मुझे न जाने कब से इंतजार था.
मैं उस दिन शाम को ऑफिस से जल्दी घर आ गया था और बाहर बालकनी में बैठकर थोड़ा आराम कर रहा था.
थोड़ी देर बाद भाभी ने मुझे देखा तो मुस्कुरा दीं.
मैंने इशारे से पास आने का कहा.
वो मेरे पास आकर बैठ गईं और हम दोनों इधर उधर की बातें करने लगे.
मैंने उनकी जांघों पर हाथ रखा तो भाभी मुस्कुरा दीं.
उन्होंने मेरे लंड को सहला दिया.
मैंने कहा- भाभी, आपकी बड़ी जरूरत है.
भाभी बोलीं- हां मुझे भी.
मैंने पूछा- आपको क्यों जरूरत है भाभी जी, आपके पास तो गन है न!
भाभी समझ गई और बोलीं- हुंह … वो टॉयगन है.
मैंने कहा- तो उससे चिड़िया भी नहीं मर पाती है क्या?
वो गहरी सांस लेकर बोलीं- उस बंदूक से चिड़िया मर पाती तो तुम्हारी भाभी तुम्हारे पास न बैठी होती.
मैंने पूछा- क्यों बंदूक चलती नहीं है क्या?
भाभी बोलीं- बंदूक घर में रहे, तब तो चले ना.
मैं- जिस दिन बंदूक घर में रहती है, उस दिन तो सही से चलती है न!
भाभी बोलीं- उस दिन बोतल का नशा बंदूक की छुट्टी कर देता है.
मैंने सीधे सीधे पूछा- तो क्या अब तक शिकारी ने शिकार किया ही नहीं!
इस पर भाभी कुछ नहीं बोलीं.
हमारे बीच इसी तरह की बातें होने लगीं.
इन्हीं तरह की बातों से मुझे पता चला कि भाभी जी की सेक्स लाइफ अच्छी नहीं है, उनको अपने पति से सेक्स करने को नहीं मिलता है और इसी बात को लेकर पति पत्नी में झगड़े होते रहते थे.
मैंने उनको समझाया कि आपका पति सुधर जाएगा और उनको ज्यादा समय देगा.
फिर उन्होंने बात को बदल दिया और मेरे बारे में पूछने लगीं कि मेरी कोई गर्लफ्रेंड है कि नहीं.
जब मैंने उनको बताया कि कोई मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है.
तो उन्होंने बोला- आप झूठ बोल रहे हैं. ऐसा नहीं हो सकता.
मैंने भी उनसे कहा- ऐसा क्यों नहीं हो सकता?
भाभी हंस कर बोलीं- इतने मस्त शिकारी को शिकार नहीं मिलता हो, ऐसा मानना ही फिजूल है.
मैंने उनकी जांघ दबा कर पूछा- क्या आप मेरी शिकार बनोगी?
भाभी- सिर्फ शिकार?
मैंने शब्द बदले- मेरी गर्लफ्रेंड बनोगी?
भाभी ने कुछ जवाब नहीं दिया और मुस्कुरा कर चली गईं.
मैं भी समझ गया और उनके पीछे पीछे चल दिया.
भाभी ने मेरी तरफ इठला कर देखा और कमरे में जाने लगीं.
मैं भी उनके कमरे में चला गया.
भाभी पलट कर मुझे देखने लगीं.
मैंने कमरे का दरवाजा बंद किया और उनके पास जाकर उनके होंठों पर होंठ रख दिए.
हमारा चुम्बन शुरू ही गया और भाभी भी मेरा पूरा साथ दे रही थीं.
ना जाने कब मेरा हाथ उनके मखमली स्तनों पर चला गया.
उनके दूध काफी बड़े तो नहीं थे लेकिन बहुत मखमली थे.
मुझे भाभी के चुचे सहलाने में मजा आ रहा था.
चूंकि इस वक्त किसी के भी आने का खतरा था तो मैंने जल्दी से उनकी कुर्ती को ऊपर उठाया और उनके दूध पीने लगा.
मेरा दूसरा हाथ भाभी के दोनों पैरों के बीच में कुछ ढूंढ रहा था.
अचानक मेरे हाथ ने भाभी की टांगों के बीच छोटी-छोटी झांटों के बीच कुछ गीला गीला सा महसूस किया.
चूत का छेद पानी टपका रहा था.
भाभी की चूत एकदम कसी हुई थी और गीली हो चुकी थी.
अब भाभी से कंट्रोल नहीं हो रहा था उन्होंने कहा- मुझे कुछ करो.
हमारे पास समय बहुत कम था क्योंकि किसी भी समय उनका पति की आने का डर था.
मैं घुटनों के बल बैठ गया और मैंने उनकी पैंटी को नीचे उतार दिया.
मेरे सामने भाभी की चूत रो रही थी. मैं चूत को चाटना शुरू कर दिया.
भाभी ने आंह आंह करते हुए मेरे बाल पकड़ लिए और चूत पर दबाने लगीं.
कुछ देर बाद भाभी ने अपनी गांड हिलाते हुए अपनी चूत मेरे मुँह पर रगड़नी शुरू कर दी- आंह … चाट लो मेरी चूत को आह बड़ा अच्छा लग रहा है.
मैंने एक हाथ ऊपर ले जाकर भाभी का दूध दबाया और पूछा- मजा आ रहा है भाभी?
उन्होंने मुझे बताते हुए कहा- हां देवर जी, मुझे ओरल सेक्स बहुत पसंद है … आप बड़ा मस्त चूसते हो.
कुछ ही पलों में भाभी बहुत उत्तेजित हो गई थीं और उन्होंने एकदम से मेरे सर को पकड़ कर अपनी चूत पर जोर से दबा दिया.
वो झड़ गई थीं.
मैंने भाभी की चूत का रस चाट लिया और चूत को चाटता रहा.
इससे भाभी जल्दी ही पुन: गर्मा गईं.
इधर मेरा लंड उत्तेजना के कारण दर्द करने लगा था.
मैंने भाभी की एक टांग ऊपर उठाई और अपना लंड भाभी की चूत पर रख दिया.
उनकी चूत का छेद छोटा होने के कारण मेरा लंड अन्दर जा नहीं पा रहा था. मुझे यकीन हो गया कि भाभी की चूत मारने के लिए सुरक्षित जगह और ज्यादा समय की जरूरत है.
मैंने जैसे तैसे चुदाई करना शुरू कर दी.
भाभी की उन्ह आंह शुरू हो गई थी.
अभी मेरा लंड पूरी तरीके से अन्दर नहीं गया था कि मेन गेट पर किसी के आने की आहट होने लगी.
भाभी ने चूत हटाते हुए कहा- शायद वो आ गए हैं.
हम दोनों ने जल्दी से अपने कपड़े ठीक किए और मैं बाथरूम में घुस गया.
भैया आए थे. वो काफी नशे में थे. आते ही भाभी उनको अन्दर ले गईं और मैं निकल कर अपने कमरे में चला गया.
मेरा लंड अभी भी खड़ा था.
मैंने अपने कमरे के बाथरूम में जाकर उसे हिलाया और मुठ मारी, तब जाकर थोड़ी शांति मिली.
अभी हमारी चुदाई पूरी नहीं हो पाई थी और पूरी तरह से के एल पी डी हो गई थी.
हम दोनों के अन्दर आग लगी थी जबकि हमें चुदाई का कोई मौका नहीं मिल पा रहा था.
अब हमें जब भी मौका मिलता, हम एक दूसरे के अंगों से खेल लेते.
चार दिन बाद की बात है. उस रात मुझे नींद नहीं आ रही थी.
मैं लगभग रात के 12:00 बजे अपने कमरे से बाहर आया.
मैंने नोटिस किया कि भाभी भी अभी जाग रही थीं.
वे मेरी आहट सुनकर बाहर बालकनी तक आ गईं.
मैंने उनसे पूछा- आपके पति कहां हैं?
उन्होंने बताया- वो भी अभी जाग रहे हैं.
मैंने पूछा- आज तो बंदूक चली होगी!
भाभी- क्या तुम्हें मेरी शक्ल से ऐसा लग रहा है?
मैंने कहा- मुझे आपको अभी चोदना है.
भाभी ने कहा- हां मुझे खुद भी चुदना है लेकिन यह समय ठीक नहीं है. हम पकड़े जा सकते हैं.
फिर मेरे ज्यादा जोर देने पर वह छत पर आ गईं.
मैं तुरंत उनको किस करने लगा और उनके हाथ में अपना लंड पकड़ा दिया.
उस दिन भी समय कम होने के कारण भाभी बगैर चुदाई की वापस चली गईं और हमारी चुदाई एक बार फिर से अधूरी रह गई.
मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था.
मैंने अगले दिन प्लान बनाया और ऑफिस से छुट्टी ले ली.
भाभी के पति के ऑफिस जाने बाद मैंने उनको बाथरूम में ले जाकर किसिंग करना शुरू कर दी और उनके अंगों से छेड़छाड़ शुरू कर दी.
उनको बहुत अच्छा लग रहा था और उन्होंने भी मेरे लोअर में हाथ डालकर मेरे लंड को बाहर निकाल लिया.
भाभी लंड से खेलने लगीं.
अभी भाभी ने सलवार सूट पहन रखा था इस पोजीशन में चुदाई करने में थोड़ी मुश्किल आ सकती थी.
मैंने उन्हें बोला- आप कपड़े चेंज कर लो और मैक्सी पहन लो. अन्दर से कुछ मत पहनन.
भाभी ने ऐसा ही किया और अपने कपड़े चेंज कर लिए.
मैंने एक बार बाहर निकल कर आस-पास देखा और वापस उनके कमरे में चला गया, कमरे की कुंडी लगाई और भाभी के ऊपर चढ़ गया.
भाभी चुदने के लिए पूरी तरीके से तैयार थीं.
मैं उनका मैक्सी ऊपर उठा दी और उनकी चूत चाटने लगा.
जल्दी ही भाभी पूरी उत्तेजना में आ गई थीं और मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत में डालने की कोशिश कर रही थीं.
मैंने उनको झुकाया और पीछे से लंड उनकी चूत में डाल दिया.
उनकी तेज आंह निकलने को हुई, मैंने पहले से ही अपना हाथ उनके मुँह पर लगा दिया था.
मैंने भाभी की चिल्लपौं पर ध्यान ही नही दिया और पूरा लवड़ा पेल कर उन्हें ताबड़तोड़ चोदने लगा.
इस पोजीशन में हम दोनों ने लगभग 10 मिनट तक चुदाई की.
उसके बाद मैं भाभी के ऊपर चढ़ गया और उनकी चूत में लंड डालकर चोदने लगा.
भाभी को चोदते चोदते मैं उनसे गंदी बातें कर रहा था- साली कितनी मजा दे रही है भोसड़ी वाली.
भाभी- आह चोद दे भैन के लौड़े … आह कितने दिन से तेरे लौड़े का मजा लेना चाह रही थी.
हम दोनों की इस तरह की बातों से और भी ज्यादा उत्तेजना हो रही थी.
थोड़ी देर की चुदाई के बाद हम दोनों एक साथ स्खलित हो गए.
एक साथ लिपटकर लेट गए.
उस दिन भाभी को मेरे लंड से चुदकर बहुत मजा आया था.
मुझे भी भाभी की चूत पसंद आ गई थी.
चुदाई के बाद मैंने उनसे पूछा- आपके यहां तो आपके मर्द दोस्त आते रहते हैं, उनसे आपका काम नहीं बनता है क्या?
भाभी ने कहा- वो सब मेरे पति के दोस्त हैं और उनसे मेरी प्राइवेसी के लिए खतरा है.
मैं समझ गया कि मैं भाभी के एकदम सही शिकारी साबित हुआ.
उस दिन कुछ समय बाद जब थकान कम हुई तो हम दोनों बाथरूम में जाकर फ्रेश हो लिए.
वहां पर भी हम दोनों एक साथ एक दूसरे के जिस्मों को टच करने लगे और उत्तेजित होने के बाद हमने बाथरूम सेक्स किया.
आज वह मुझसे दो बार चुद कर बहुत संतुष्ट लग रही थीं और कह रही थीं- मेरे राजा, मुझे ऐसी रंडी बनाकर चोदना, मैं तुम्हारे लिए हमेशा तैयार रहूंगी.
बाद में हम दोनों ने अपने अपने कपड़े पहने और मैं अपने कमरे में चला गया.
इस तरह जब भी हमको मौका मिलता, हम एक दूसरे के साथ सेक्स कर लेते और एक दूसरे को संतुष्ट कर लेते.
धीरे-धीरे कुछ समय बीता और वे लोग कहीं और शिफ्ट हो गए.
पर आज भी मैं भाभी से फोन पर बात करता हूं और जब भी मौका मिलता है, हम कहीं मिलकर मजे कर लेते हैं.
दोस्तो, मैं पहली बार अपनी सेक्स कहानी लिख रहा हूं, यदि कुछ गलती हुई हो, तो उसके लिए माफी चाहता हूं.
आपसे अनुरोध है आप मेरी इस मैरिड भाभी सेक्स लाइफ कहानी के लिए मुझे ईमेल करें और अपने सुझाव दें.
धन्यवाद.