मेरी चाची मेरे पड़ोस में ही रहती हैं. मैं उन्हें पसंद करता था और उनके पास काफी जाता था. मैं चाची की चूत चुदाई करना चाहता था. मेरी यह तमन्ना कैसे पूरी हुई?
सभी पाठकों को मेरा नमस्कार. यह मेरी पहली कहानी है. अगर कोई गलती तो क्षमा कीजियेगा और मुझे मेरी गलतियों से अवगत कराइयेगा. मेरा नाम रॉकी (काल्पनिक) है, मैं रोहतक में रहता हूँ और पढ़ाई करता हूँ.
मेरी उम्र 24 साल और शरीर नार्मल ही है, मैं कोई बॉडीबिल्डर नहीं हूँ, मेरे लंड का साइज 6 इंच है.
अब वक़्त बर्बाद न करते हुए कहानी पर आता हूँ, ये कहानी मेरे और मेरे चाची के बीच हुए सेक्स सम्बन्ध के बारे में है. मेरी चाची मेरे पड़ोस में ही रहती हैं और चाचा की दुकान है. मेरी चाची एक घरेलू महिला हैं और उनके 2 बच्चे हैं. उनका हाइट 5 फ़ीट है और शरीर से थोड़ी मोटी है पर उनके चुच्चे काफी बड़े हैं जो मुझे बहुत ही ज्यादा पसंद हैं.
मैं उनकी तरफ शुरू से ही आकर्षित था और हमेशा उनके आस पास रहने की कोशिश करता था. चाची भी मुझे पसंद करती थी और भतीजे की तरह प्यार करती थी.
यह बात पिछले साल की नवंबर महीने की है, एक बार हमारी रिश्तेदारी में किसी की मौत हो गयी तो चाचा और पापा को जाना पड़ा और वहीं पर रुकना पड़ा.
ऐसा पहली बार हुआ था कि चाचा घर पर नहीं थे. वो कभी भी बाहर नहीं रुकते थे. तो चाची ने रात में मुझे उनके घर पर सोने के लिए बोला और मेरी दादी ने भी उनकी हाँ में हाँ मिला दी. तो मुझे चाची के घर जाना पड़ा.
रात को करीब 10 बजे जब हम सब सोने के लिए कमरे में गए तो एक बेड पर चाची और उनके दोनों बच्चे सो गए और एक पलंग पर मैं! थोड़ी ही देर में वो सब सो गए पर मुझे नींद नहीं आ रही थी क्योंकि ऐसा मौका शायद ही फिर कभी मिलना था तो मैं बस लेटा रहा और सोचता रहा.
ऐसे ही रात के 12 बज गए. अब मुझसे कण्ट्रोल नहीं हो रहा था तो मैं उठ कर चाची के बेड के पास गया. पहले तो मैं उन्हें सोते हुए देखता रहा, फिर थोड़ी सी हिम्मत करके मैंने उनके चूचों को छूने की सोची और उन पर एक हाथ रख दिया आराम से.
ओह्ह्ह … क्या मस्त फीलिंग थी! मैं उस पहली फीलिंग को शब्दो में बयां नहीं कर सकता.
थोड़ी देर मैंने अपने हाथ को ऐसे ही रहने दिया अब मुझे उत्तेजना भी हो रही थी और साथ साथ मेरी गांड भी फट रही थी कि अगर चाची उठ गयी तो क्या होगा. थोड़ी देर बाद जब मुझसे कण्ट्रोल नहीं हुआ तो मैंने धीरे से चाची की चूची को सहलाना शुरू कर दिया और जैसे ही मैंने ये किया, वही हुआ जिसका डर था. जब तक मुझे कुछ समझ आता चाची मुझे एक थप्पड़ मार चुकी थी और मुझे खा जाने वाली नजरो से देख रही थी.
चाची ने मुझे बोला कि सुबह वो ये बात मेरे पापा को बतायेंगी. और अभी सो जाने के लिए बोला.
मेरी सारी हिम्मत हवा हो चुकी थी और कुछ समझ नहीं आ रहा था तो मैं चुपचाप लेट गया और सुबह होने वाले काण्ड के बारे में सोचता रहा. और मुझे पता ही नहीं चला कब मेरी आँख लग गयी.
सुबह चाची ने ही मुझे 7 बजे उठाया और घर जाने के लिए बोला.
मैं घर जाकर नहा धो कर तैयार हुआ और पढ़ाई करने के लिए निकल गया.
दिन भर मेरी फटी रही और शाम को जब घर पहुंचा तो पापा और चाचा आ चुके थे लेकिन उन्हें देख कर लग ही नहीं रहा था कि जैसे उन्हें कुछ पता हो.
उस दिन सब पहले जैसे ही था और मैं अपने काम करता रहा.
पर अब भी मुझे डर भी लग रहा था तो मैंने चाची के घर पर जाना बंद कर दिया. ऐसे ही 10.15 दिन बीत गए लेकिन मैं उधर नहीं जा रहा था.
तो फिर एक दिन चाची ने मुझे घर पर बुलाया और पूछा. क्या बात? आजकल इधर नहीं आ रहा है तू?
मैंने कहा की बस ऐसे ही चाची और फिर मेरा उधर आना जाना दोबारा चालू हो गया.
लेकिन इस बार चाची भी कुछ बदली हुई सी लग रही थी.
ऐसे ही एक दिन मैं सुबह मेरी छुट्टी होने की वजह से चाची के घर चला गया. तब चाची फर्श पर पौंछा लगा रही थी और मैं उनके चूचे घूरे जा रहा था.
तभी चाची ने मुझे देख लिया लेकिन कुछ बोला नहीं! चाची काम खत्म करके नहाने के लिए चली गयी और जब वो नहाकर आयी तो अलग ही लग रही थी.
फिर चाची इधर उधर की बातें करने लग गयी. अचानक चाची ने मुझसे पूछा. क्या मेरी कोई गर्लफ्रेंड है?
तो मैंने कहा. नहीं!
तब चाची ने कहा. तभी तेरी ऐसे हरकतें हैं?
मैं एकदम से सकपका गया.
फिर चाची ने मुझसे पूछा. कैसी गर्लफ्रेंड चाहिए चुझे?
तो मैं बात को टालने लगा.
चाची भी बार बार पूछने लगी तो मैंने ऐसे ही बोल दिया. आप जैसी.
तो चाची ने पूछा. मुझ में ऐसा क्या है?
अब मैं भी थोड़ा हल्का महसूस कर रहा था तो मैं चाची की तारीफ करने लगा.
फिर मैंने सोचा कि जब बात इतनी बढ़ ही रही है तो और थोड़ा बढ़ा के देखने में क्या हर्ज़ है. मैंने कहा. चाची, अगर आप मेरी चाची ना होती तो मैं आपको ही अपनी गर्लफ्रेंड बना लेता. तो चाची हल्का हल्का मुस्कुराने लगी.
मुझे लगा कि शायद बात बन सकती है तो मैंने ऐसे ही मस्ती मस्ती में घुटनों के बल उन्हें अपनी गर्लफ्रेंड बनने के लिए कहा. और पता नहीं कैसे चाची ने भी हाँ बोल दिया. मुझे तो जैसे पंख लग गए थे.
फिर चाची ने बोला. सिर्फ नाम की गर्लफ्रेंड हूँ, फ़ालतू कुछ मत सोचना.
थोड़ी देर बाद चाचा भी खाना खाने आ गए तो थोड़ी देर बातें करके घर आ गया. पर अब मुझे चैन कहाँ था तो थोड़ी देर बाद मैं फिर से चाची के घर चला गया और उनसे बातें करने लगा. वो भी काम करते करते बातें कर रही थी.
फिर मैंने उनसे बोला. चाची, अब मेरी गर्लफ्रेंड बन ही गयी हो तो एक किस ही दे दो. मुझे लगा था कि चाची गुस्सा करेंगी लेकिन उन्होंने कहा. अपनी कोई और गर्लफ्रेंड ढूंढ ले अगर ये सब करना है तो! अब मुझे लगा कि चाची कुछ नहीं कहेगी तो मैंने कहा. अब तो जो हो आप ही हो! और मैं तो सब कुछ आप ही के साथ करूँगा.
चाची ने कुछ नहीं बोला और बात को घुमाने लगी. तो मैंने दोबारा कहा. चाची, एक किस तो देना पड़ेगा. तो चाची मना करने लगी लेकिन उन्होंने गुस्सा नहीं किया.
मैंने सोचा यही सही मौका है और मैंने उन्हें गाल पर एक किस कर ली.
जिस पर उन्होंने कहा. हो गयी मन की? अब तो खुश है?
मैंने कहा. अभी कहाँ … अभी असली किस तो बाकी है.
तो चाची मना करने लगी लेकिन मैं कहाँ ऐसे मानने वाला था और मैंने चाची को जबरदस्ती एक किस करने की कोशिश की और उन्होंने मुझे पीछे धकेल दिया लेकिन कुछ कहा नहीं!
मैं उनके कमरे में लेट गया चुपचाप! थोड़ी देर बाद चाची आयी और कहने लगी. नहीं, ये सब गलत है, हम ये सब नहीं कर सकते.
इससे अच्छा मौका मेरे लिए नहीं हो सकता था तो मैं इतना कहते ही चाची को एक किस करने लग गया. चाची हल्का विरोध कर रही थी लेकिन वो सिर्फ दिखावा था. तभी चाची ने कहा. कोई आ जायेगा.
मुझे पता था चाचा तो अभी खाना खाकर दूकान पे गया है और बच्चे मामा के घर पर हैं. लेकिन फिर भी मैं दरवाजा लॉक करके आ गया और उन्हें किस करने लगा. ये मेरी जिंदगी का पहला किस था.
चाची हल्का हल्का विरोध अब भी कर रही थी. लेकिन मुझे हटा भी नहीं रही थी. मैंने किस करते करते अपना एक हाथ उनकी दायीं चूची पर रख दिया और हल्का हल्का सहलाने लगा. और दूसरे हाथ से मैं उनके पिछवाड़ा सहलाने लगा.
चाची भी गर्म होती जा रही थी लेकिन वो अब भी हल्का हल्का विरोध कर रही थी.
अब मुझसे कण्ट्रोल नहीं हो रहा था तो मैं चाची की चूची को जोर से दबाने लगा. चाची ने एक हलकी सी आह भरी और मुझसे कहा. रुक जा … ये सब गलत है.
मैंने दोबारा चाची के होंठों पे होंठ रख दिए और उन्हें किस करने लगा. और मैं एक हाथ से चूची और दूसरे से पिछवाड़ा दबाने लगा.
10 मिनट तक ऐसा करने के बाद मैंने अपना मुंह चाची की एक चूची पर लगा दिया और कपड़ों के ऊपर से चूसने लगा और दूसरी को दबाता रहा.
अब चाची सिसकारियां ले रही थी और वो मदहोश होती जा रही थी.
इसी का फायदा उठाते हुए मैंने उनके कमीज को निकाल दिया. अब चाची सफ़ेद रंग की ब्रा में थी.
मैं उनको जगह जगह किस करने लगा और अपने हाथ पीछे ले जाकर उनकी ब्रा का हुक खोलने की कोशिश करने लगा लेकिन वो मुझसे खुल नहीं रहा था. तभी चाची ने अपने हाथ पीछे ले जाकर ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा को एक तरफ रख दिया.
अब तो मैं बस चाची की चूचियों पर टूट पड़ा और कभी उनकी एक चूची को तो कभी दूसरी को चूसने लगा, मैं बीच में हल्का हल्का काट भी लेता था जिससे चाची की एक सिसकारी निकल जाती थी.
ऐसे करते करते मैंने अपना एक हाथ धीरे से चाची की चूत पर रख दिया तो चाची ने मेरा हाथ पकड़ लिया. मैंने अपने हाथ को वहीं रहने दिया और चाची की चूचियों को चूसने और काटने लग गया.
थोड़ी देर में ही चाची की पकड़ ढीली हो गयी तो मैंने चाची की चूत को सलवार के ऊपर से ही सहलाना शुरू कर दिया. अब चाची सिसकारियां ले रही थी.
मैं एक तरफ उनके चूचे चूस रहा था और एक तरफ चाची की चूत सहला रहा था.
अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था तो मैंने जल्दी से चाची की सलवार का नाड़ा खोल दिया और सलवार को पेंटी के साथ निकलाने लगा. चाची ने भी मेरा साथ दिया. मैंने भी जल्दी से अपने सारे कपड़े निकाले और पूरा नंगा हो गया. चाची कुछ नहीं बोल रही थी.
अब मैंने धीरे से चाची को बेड पर लिटाया और उनकी जांघें चौड़ी करके उनके बीच में बैठ कर अपना खड़ा लंड चाची की चूत पर रखा और धक्का दिया. लेकिन मेरा लंड अंदर गया ही नहीं और फिसल गया. मैंने दोबारा कोशिश की, तब भी यही हुआ. तब चाची ने अपने हाथ से पकड़ कर मेरे लंड को अपनी चूत पर रखा और मैंने एक धक्का दिया.
मेरे लंड का आगे का मोटा सुपारा चाची की चूत के अंदर चला गया. आह वो एहसास … अद्भुत … अकथनीय लाजवाब!
फिर मैं धीरे धीरे दबाव बढ़ाता गया और पूरा लंड अंदर कर दिया. चाची हल्की हल्की सिसकारी ले रही थी.
मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने चालू किये. क्योंकि मैं पहली बार कोई चूत चोद रहा था तो मुझे चुदाई करनी नहीं आती थी. शुरू शुरू में एक दो बार मेरा लंड चाची की चूत में से बाहर आ गया था लेकिन मैं जल्दी ही सीख गया और धक्के लगाने लगा. चाची बस वासना से ओतप्रोत आवाजें निकाल रही थी और मजा लिये जा रही थी.
मैं थोड़ी देर में जल्दी जल्दी धक्के लगाने लगा और 5 मिनट में चाची की चूत में ही झड़ गया. मैं थक कर नंगी चाची के ऊपर ही लेट गया और चाची मुझे प्यार करने लगी.
फिर उस दिन चाचा के आने का टाइम हो गया था तो चाची ने मुझे हटा दिया और कपड़े पहनने लगी और मैं भी समय की नजाकत को समझते हुए कपड़े पहन कर वहां से निकल लिया. लेकिन आने से पहले मैंने चाची के होंठों को खूब चूसा, चाची को प्यार किया और वादा लिया चाची से कि वे भाद में भी मुझे अपनी चूत की चुदाई का मौक़ा देती रहेंगी और मुझे अच्छी तरह से चोदन करना सिखाएंगी.