यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
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बड़े लंड से चुदाई की इस कहानी में पढ़ें कि कैसे पड़ोसन भाभी की बड़ी बेटी मेरा लंड लेने के लिए उतावली हुई जा रही थी. मैंने उसे पूरी नंगी कर लिया और …
मैं नेहा को लेकर बेड पर लेट गया और नेहा को अपने ऊपर लिटा लिया. वह उत्तेजित हो गई और मेरे ऊपर पूरी तरह से चढ़ गई. उसने अपनी पकोड़ा सी चूत को मेरे पैंट में तने लंड के ऊपर रख दिया और रगड़ने लगी.
नेहा ने ब्रा और पैंटी नहीं पहनी थी. चूत रगड़ने से नेहा की पैंट गीली हो गई थी.मैंने नेहा से कहा- ऐसे ही रगड़ती रहोगी या दिखाओगी कुछ?
नेहा बोली- मुझे शर्म आती है, आप खुद देख लो.
अब आगे की बडा लंड सेक्स कहानी:
मैंने नेहा के टॉप को पकड़ा और उसकी बांहों में से निकाल दिया. नेहा के बड़े- बड़े दो कबूतरों जैसे मम्मे उसकी छाती पर निकल कर खड़े हो गए.
मुझसे रुका नहीं गया, मैंने फटाक से एक मम्मे को अपने मुंह में भरकर चूसना शुरू कर दिया. बारी बारी से नेहा के मम्मों को चूसता और मसलता रहा.
गोरे गोरे मम्मों के ऊपर बहुत ही गुलाबी कलर के निप्पल थे जो कामवासना से इतने सख्त हो चुके थे कि उनको चूसते हुए बहुत मजा आ रहा था.
जैसे जैसे मैं नेहा का मम्मा चूस रहा था, नेहा मेरे सिर को पकड़कर अपने मम्मों के ऊपर दबा रही थी और तरह तरह की आ … हा … आहा … आवाज निकल रही थी.
मेरा सब्र टूटा जा रहा था. मैंने नेहा की पैंट में हाथ डाला और उसको टांगों में से निकाल कर नेहा को बिल्कुल नंगी कर दिया.
नेहा बेड के ऊपर किसी नंगी संगमरमर की मूर्ति की तरह से लेटी हुई थी. उसने अपनी चूत की सफाई बहुत ही सुंदर तरीके से कर रखी थी. नेहा के सुंदर चिकने और हाथी की सूंड जैसे पट और उसके नीचे पांव की बनावट, पांव की उंगलियां, हाथों की उंगलियां देख कर ऐसा लग रहा था मानों नेहा स्वर्ग की अप्सरा हो.
मैंने नेहा की टांगों को चौड़ा किया, उनको थोड़ा मोड़ा. मैं नेहा की चूत देखकर एकदम झूम उठा क्योंकि इतनी सुंदर चूत मैंने पहले कभी नहीं देखी थी.
अक्सर सुंदर औरतों की चूत काली और पिटी हुई होती है क्योंकि आदमी उसको चोद चोद कर काला कर देता है. लेकिन नेहा की चूत किसी अंग्रेज औरत की चूत की तरह गुलाबी रंग की थी.
नेहा की चूत की दोनों ऊपर की पुटियां एकदम सुंदर, उभरी हुई, कसी हुई और तरोताजा लग रही थी.
मैंने उंगली और अंगूठे से नेहा की चूत के बाहरी होंठों को थोड़ा खोला तो चूत की दरार के ऊपर बहुत ही सुंदर गुलाबी रंग का मोती सा बना हुआ था जो उसका क्लीटोरियस था. उसके नीचे गुलाबी रंग लिए चूत की झिरी जिसके ऊपर छोटे गुलाब की पंखुड़ियों की तरह दो पत्तियां चूत के गुलाबी छेद को बंद किये हुए थीं.
चूत के नीचे के भाग में नेहा की सुंदर गुलाबी गांड का छेद था जिसके बाहर दो सुडौल सुंदर और गोरे नितंब थे.
नेहा का पेट, धुन्नी और उसकी चूत के बालों वाली जगह बहुत ही सुंदर और चिकनी सपाट थी.
मैंने नेहा के माथे को चूम लिया, माथे को चूमने के बाद मैं नेहा के नाक होंठ, ठुड्डी, उसकी गर्दन उसके मम्मों को चूमते हुए उसके पेट, धुन्नी और चूत तक आ गया.
नेहा की चूत पर मैंने एक बहुत ही जोरदार किस किया. उसकी चूत की दरार में अपनी जीभ को नीचे से ऊपर की ओर ले जाते हुए उसके मोती जैसे क्लीटोरियस को होंठों से चूसा.
उसकी चूत का छेद इतना तंग था कि कोई नहीं कह सकता कि वह एक बच्चे की माँ है. दरअसल बच्चा होने के बाद नेहा की चूत मारी ही नहीं गई थी.
फिर मैंने नेहा के दोनों पटों को किस करते हुए नीचे की ओर उसके पांव को चूमा और उसके पांव के अंगूठे को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा.
इस सारी क्रिया से नेहा को इतना मजा आया कि नेहा अपने शरीर को दाएं बाएं हिलाती रही.
और जैसे ही मैंने अंगूठे को चूसा उसने अपनी चूत को जांघों में भींच कर दो तीन बार हिलाया, अपने सिर को हिलाया और आ … आ … करके झड़ गई.
मैं नेहा के साथ लेट गया और उसके गाल पर हाथ रखकर होंठ को चूमा तो नेहा बोली- मेरा काम तो ऐसे ही हो गया.
कुछ देर मैं नेहा के साथ ऐसे ही लेटा रहा और उसके चिकने बदन पर हाथ फिराता रहा.
मैंने उसकी चूत के ऊपर हाथ रखा और बड़ी उंगली को चूत के छेद में डाल दिया.
नेहा एकदम तड़प उठी. उसने कहा- आपने तो मेरा सब कुछ देख लिया पर आपने अभी तक कुछ नहीं दिखाया है?
मैंने तुरंत बेड से नीचे खड़े होकर अंडरवियर छोड़कर सारे कपड़े निकाल दिए. अंडरवियर के अंदर मेरा लंबा और मोटा लौड़ा तनकर ऊपर की तरफ आया हुआ था.
नेहा बेड पर नीचे पांव लटका कर बैठ गई. नेहा मेरे लंड की तरफ देखे जा रही थी.
मैंने नेहा को इशारा किया और कहा- निकालो इसे बाहर!
नेहा ने जैसे ही मेरे अंडरवियर के इलास्टिक में अपनी नाजुक उंगलियां फंसा कर अंडरवियर को नीचे किया. एकदम फुँफकार मारता हुआ लंड मोटे नाग की तरह से झूल कर सामने खड़ा हो गया.
मैंने लंड को थोड़ा झटका दिया और लंड पेट की तरफ गया नेहा के मुंह से एकदम चीख निकल गई और बोली- उई मां … इतना बड़ा … हाय … यह क्या है?
तो मैंने नेहा से कहा- रोहित का ऐसा नहीं है क्या?
नेहा- नो नो नो … रोहित का तो छोटा है, इससे बहुत छोटा.
मैंने नेहा को कहा- इसे छू कर देखो.
नेहा ने मेरा लौड़ा अपनी मुट्ठी में पकड़ लिया और सुपारे को देखने लगी. नेहा की आंखें अभी तक फटी हुई थी.
वह कहने लगी- राज, इसका सुपारा तो इतना बड़ा है? कैसे अंदर जाता है यह औरत की चूत में? यह तो चूत को फाड़ ही देगा.
मैंने नेहा से पूछा- नेहा तुम्हारी और रोहित की सेक्स लाइफ कैसी थी?
नेहा ने बताया- वैसे तो हमारी लव मैरिज थी, लेकिन राहुल का मेरे अंदर कम ही इंटरेस्ट था. शादी के एक महीने बाद ही मैं प्रेग्नेंट हो गई थी और प्रेगनेंसी के 2 महीने बाद मैं यहां मम्मी के पास आ गई थी. यहां आए हुए मुझे डेढ़ साल हो गया हमारा कोई शारीरिक संपर्क नहीं हुआ है.
नेहा बोली- जितनी भी बार हमने सेक्स किया है मुझे कभी पूरी संतुष्टि नहीं हुई. रोहित अंदर करते झड़ जाता था और सो जाता था.
मैंने खड़े खड़े अपने लंड को नेहा की चूचियों पर रगड़ा और नेहा से कहा- नेहा, आज मैं तुम्हें वह मजा दूंगा कि तुम्हें जीवन का आनंद आ जाएगा, लेकिन बाद में मेरी सारी बातें तुम्हें माननी होंगी?
नेहा कुछ नहीं बोली और अपनी आंखें बंद कर दी.
मैंने नेहा को खड़ा किया और उसे बांहों में लेकर उसकी थोड़ी सी टांगें चौड़ी की और अपने लंड के सुपारे को उसकी चूत के छेद पर लगा दिया.
नेहा ने अपनी आंखें बंद कर रखी थी.
मैंने नेहा के नीचे वाले होंठ को अपने मुंह में ले लिया और उसे चूसने लगा. नेहा बारबार उत्तेजित हो रही थी. उसके मोटे मोटे मम्मे मेरी छाती पर खड़े हुए थे. दरअसल तीनों ही मां बेटियों की चूचियां और चूतड़ बहुत ही शानदार और बड़े थे.
मेरे लंड का सुपारा नेहा के चूत के दाने पर टिका हुआ था. नेहा अपने आप मेरे सुपारे के ऊपर चूत को रगड़ने लगी.
मैंने नेहा के दोनों चूतड़ों को पकड़ा और उसे अपने लंड की तरफ खींच लिया.
नेहा के मुंह से आह … आह … की आवाजें निकलने लगी. नेहा का बुरा हाल हुआ जा रहा था.
वह मेरे कान के पास अपना मुंह ले जाकर बोली- राज, अब करो ना, अंदर डालो.
मैंने नेहा को बेड पर लिटा लिया और उसकी टांगों की तरफ जाकर थोड़ा उसके घुटनों को मोड़ा और अपने लंड को चूत पर रखने की पोजीशन बनाई.
नेहा की चूत पानी छोड़ छोड़कर गीली हो चुकी थी. मेरा लंड भी प्रिकम से सुपारे को गीला कर चुका था.
मैंने नेहा की चूत को एक बार दोबारा से किस किया, उसके क्लीटोरियस को उंगली से रगड़ा और अपना मोटा सुपारा नेहा की चूत के छेद को थोड़ा फैला कर रख दिया.
नेहा ने आनंद से अपनी आंखें बंद कर ली. कुछ देर तक मैंने सुपारे को छेद पर लगाए रखा. नेहा ने अपनी चूत को एक दो बार सुपारा लेने के लिए ऊपर उठाया लेकिन मैंने सुपारा अंदर नहीं डाला.
मैं नेहा की लण्ड के लिए तड़प देखना चाहता था.
उसने मेरी तरफ आंखें खोल कर देखा और कहा- अंदर डालो न प्लीज.
नेहा के कहते ही मैंने अपने लंड पर दबाव बढ़ाया, सुपारा अंदर जाने लगा, ऐसा लग रहा था जैसे लौड़ा कोरी चूत में जा रहा हो.
मेरा लौड़ा नेहा की चूत की दीवारों को फैलाते हुए अंदर की ओर जाने लगा. नेहा थोड़ा कसमसाने लगी. नेहा ने अपना हाथ मेरी छाती पर लगा लिया और बोली- राज, धीरे धीरे करना, पता नहीं इतना बड़ा अंदर ले पाऊंगी या नहीं?
मैं नेहा की चुचियों पर झुक गया और मैंने अपनी दोनों कोहनियां नेहा के अगल बगल में रखकर हाथों से नेहा के कंधों को पकड़कर उसे बिल्कुल अपने नीचे काबू कर लिया और लंड को अंदर धकाने लगा, आधा लंड अंदर चला गया था.
नेहा ने एक बार अपनी चूत पर हाथ ले जाकर बचे हुए लंड का जायजा लिया.
इससे पहले की नेहा कुछ बोलती मैंने एक झटके में पूरा लंड नेहा की चूत में घुसा दिया. नेहा के गले में एकदम हिचकी सी अटक गई और उसके माथे पर पसीना आ गया.
मैंने नेहा से पूछा- क्या हुआ?
नेहा बोली- कुछ नहीं, बहुत बड़ा लंड है, पहली बार लिया है, ऐसा लगता है जैसे सुपारा बच्चेदानी के अंदर घुस गया है?
मैंने कहा- दर्द हो रहा है या मजा आ रहा है?
नेहा ने आंखें बंद करते हुए कहा- एक बार दर्द हुआ था, अब मजा आ रहा है!
और यह कहकर नेहा ने अपने दोनों हाथ मेरी कमर पर कस लिए.
मैं अपने चूतड़ों को हरकत देकर लंड को चूत में आगे पीछे करने लगा. नेहा ने अपनी टांगें बहुत ज्यादा खोल रखी थी जिससे उसकी चूत का छेद पूरा खुला हुआ था.
मैंने नेहा के होंठों को अपने होंठों में लिया, उसकी दोनों चुचियों को अपने हाथों से मसला और चुदाई शुरू की. मैंने नेहा की चूचियों को जगह जगह से काटना शुरु किया. नेहा के होंठों को काटते, चूसते हुए नेहा के गालों को चूस रहा था.
नेहा कहने लगी- राज, इनके ऊपर निशान मत डालना, नहीं तो मम्मी को शक हो जाएगा?
मैंने मन में सोचा मम्मी तो इन निशानों को देखकर खुश होगी.
नेहा अपने ही बेड पर अपने ही घर में, एक अजनबी से चुद रही थी और खुश हो रही थी.
मैंने नेहा के घुटनों के नीचे अपनी बाजू डाली और उसकी टांगों को ऊपर की तरफ उठाते हुए उसकी चूत की मोटे लौड़े से ठुकाई करनी शुरू की.
नेहा हर झटके पर आ … आ … आई … हाय … चोदो … फाड़ दो … मेरी … हाय … राज … पहले कहां थे … अब मैं हर रोज चुदूंगी तुमसे … बोलो … चोदोगे ना … मुझे …
मैंने कहा- हाँ मेरी … रानी … मैं तुम्हें. … अपनी रानी … बनाकर हर रोज चोद दूंगा. मैं रात को तुम्हारे कमरे में आ जाया करूंगा और रोज रात को तुम्हारी लूंगा, बोलो दोगी ना?
नेहा बोली- हां.. मेरे राजा … जैसे मर्जी … चोदो … रात को … चोदो, दिन में चोदो.. सुबह चोदो … शाम को चोदो … अब आपको मेरी आग को हर रोज बुझाना होगा.
मेरा लंड नेहा की चूत में सटासट जा रहा था, नेहा की नंगी जांघों के ऊपर मेरी जाँघें थप थप करके बज रही थी. नेहा की चूत भट्टी की तरह से सुलग रही थी.
चोदते चोदते मैंने नेहा की कमर के नीचे हाथ डाला और उसे ऊपर उठा कर अपने लंड पर बैठा लिया. मेरे दोनों घुटने बेड पर टिके थे और मेरे लंड के ऊपर नेहा अपनी चूत के सहारे टंगी थी. मैंने नेहा के चूतड़ों के नीचे अपने दोनों हाथों का सहारा दे रखा था.
मैं नेहा को चूतड़ों से उठा उठा कर लंड पर मारने लगा. नेहा हर झटके पर आह … आह … करती रही.
दोस्तो नेहा की चुदाई बडा लंड सेक्स कहानी में आपको मजा आ रहा है ना? ये लड़की कैसे कैसे चुदी मुझसे … वो सब अगले भाग में!
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बडा लंड सेक्स कहानी जारी रहेगी.