नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम आदित्य है और मैं अपनी कहानी आपके लिए लेकर आया हूं.
आपको बता दूं कि मैं पिछले 14 सालों से अन्तर्वासना का पाठक हूं.
यहां पर मैंने कई बेहतरीन सेक्स रचनाएं पढ़ी हैं और उसके बाद मैंने भी अपने अनुभव आपके साथ बांटने का सिलसिला शुरू किया.
अपना संक्षिप्त परिचय दे देता हूं ताकि आप मेरे बारे में जान लें.
मैं बिलासपुर, छत्तीसगढ़ का रहने वाला हूं. मेरा गांव बहुत छोटा सा है.
मेरी उम्र 29 साल है और लम्बाई 5 फीट व 9 इंच है. शरीर से हट्टा कट्टा हूं और मेरा लंड सामान्य आकार का है.
आज मैं आपको अपनी जिन्दगी की लगभग एक दशक पुरानी बात बताने जा रहा हूं.
इस घटना को हुए कम से कम 9 साल बीत चुके हैं. उस वक्त मैं अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहा था.
मेरा एक दोस्त हुआ करता था जिसकी शादी कम उम्र में हो चुकी थी.
वो अक्सर अपनी बीवी के साथ अपने संभोग की बातें मुझसे शेयर किया करता था.
उनकी चुदाई की बातें सुनकर मेरा मन भी सेक्स के लिए करने लगता था.
मेरे पास सेक्स करने का कोई साधन न था तो मैं बस अपने हाथ से लंड की मुठ मारकर उसे शांत कर लिया करता था.
रोज उनकी चुदाई की बातें सुन सुनकर मेरे अंदर कामवासना भरती जा रही थी.
एक दिन उसने अपनी बीवी की चुदाई की कहानी ऐसे ढंग से बताई कि मुझसे रहा न गया. मैं भी दोस्त की बीवी की चुदाई का मजा लेने की चाह करने लगा.
मैंने उससे कहा- यार मुझे भी दिलवा दे ना (चूत) एक बार? क्या चला जाएगा?
वो मेरी बात सुनकर अचरज में पड़ गया.
फिर बोला- तू पागल है क्या यार … वो मेरी बीवी है. मैं तुझे उसकी कैसे दिलवा सकता हूं?
लेकिन हम दोनों पक्के दोस्त थे इसलिए मैंने कोई संकोच न किया. मैं उससे बार बार कहता रहा; मुझे कोई डर भी नहीं था उसके बुरा मानने का.
फिर आखिर में वो बोला- चल ठीक है यार … मैं कोशिश करता हूं कि ये हो पाए.
उसकी बात सुनकर मैं खुश हो गया और मेरे मन में लड्डू फूटने लगे.
उस रात को मैं उसकी बीवी की चूत मारने के बारे में सोचकर लगातार दो बार मुठ मारकर सोया.
फिर अगले दिन मैं उसके बुलाने का इंतजार कर रहा था.
मैं सुबह से ही बेचैन होकर घूम रहा था; मन में यही प्रार्थना कर रहा था कि बस एक बार वो अपनी बीवी को मुझसे चुदवा दे.
अचानक से उसका कॉल आया और मैं झूम उठा. उसने मुझे अपने घर बुलाया था.
मैं उसके घर पहुंचा तो उसने अपने भाई को दुकान पर से सामान लाने के लिए भेज दिया.
उसने जानबूझकर ऐसी दुकान का नाम लिया जो वहां से काफी दूर थी.
फिर उसके भाई के जाने के बाद उसने मुझसे कहा- तू अंदर चला जा, मैंने कल सारी बात कर ली थी. उसको पता है कि आज तू आने वाला है.
वैसे तो मैं उसकी बीवी की चूत मारने के लिए काफी उतावला था लेकिन जब अंदर जाने लगा तो डर भी लग रहा था.
मगर मेरी हवस इतनी ज्यादा थी कि लंड खड़ा हो चुका था.
उसकी बीवी वहीं बेड पर बैठी थी.
ना उसने मुझे नजर मिलाकर देखा और न मैंने! आराम से मैंने अपनी शर्ट उतारी और पैंट उतार कर अंडरवियर में आ गया.
मेरा लौड़ा तना हुआ था.
दोस्त की बीवी लगातार नीचे देख रही थी. उसने मैक्सी पहनी हुई थी और बालों का जूड़ा बनाया हुआ था.
फिर मैंने जेब से कॉन्डम निकाला और अंडरवियर नीचे करके लंड पर कॉन्डम चढ़ाने लगा.
ये देख उसकी बीवी ने एक तौलिया के आकार का कपड़ा पास से उठाया और अपने मुंह पर डालकर सीधी लेट गई.
मैंने कॉन्डम चढ़ा लिया और बेड पर चढ़कर उसके ऊपर आ गया.
मैं पहली बार इस तरह से किसी की बीवी की चुदाई करने जा रहा था.
मैंने उसकी मैक्सी को जांघों तक उठा दिया.
उसकी चूत पर लाल पैंटी थी. चूत की शेप काफी उभरी हुई दिख रही थी.
ये नजारा देख अब मेरे अंदर का मर्द जाग उठा.
उसकी चूत पर मैंने पैंटी के ऊपर से ही हाथ फेरा और नारी जिस्म को भोगने की लालसा और तीव्र हो गई.
मैंने मैक्सी और ऊपर तक उठा दी. उसके हाथ उसकी चूचियों के ऊपर रखे हुए थे जिनके नीचे मैक्सी दबी हुई थी.
मैंने उसके हाथों को धीरे से उसकी छाती पर से हटाया और उनको साइड में रखवा दिया. अब मैंने उसकी मैक्सी को चूचियों तक उठा दिया.
नीचे भाभी ने ब्रा नहीं पहनी थी.
उसकी गोरी गोरी चूचियों पर भूरे रंग के निप्पल थे जिनकी घुंडियां एकदम से तनकर नुकीली हो गई थीं.
मैं भाभी के ऊपर लेट गया और उसकी एक चूची पर मुंह लगा दिया; मैं उसकी चूची को आंख बंद करके चूसने लगा.
दो मिनट बाद ही भाभी के हाथ भी मेरे सिर पर आ गए और वो मेरे सिर को सहलाने लगी.
हालांकि, उसने अपने मुंह पर से वो कपड़ा नहीं हटाया.
मेरी हिम्मत भी नहीं हो रही थी कि मैं भाभी की नजर में नजर मिलाकर उसकी चूची पिऊं और उसकी चूत मारूं.
मैंने बारी बारी से उसकी दोनों चूचियों पीया.
वो अब पहले से ज्यादा तन गई थीं और काफी टाइट हो गई थीं.
फिर मैं भाभी के पेट को चूमता हुआ नीचे आया और उसकी पैंटी को नीचे खींच दिया.
चूत पर से पैंटी हटते ही सांवले रंग की हल्के बालों वाली खूबसूरत सी चूत मेरे सामने उभर आई.
इतनी खूबसूरत चूत थी कि खाने का मन कर रहा था.
मैंने चूत को चाटना शुरू किया और भाभी के बदन में करंट सा दौड़ गया.
उसने बेड की चादर पर उंगलियों से खसोटना शुरू कर दिया.
इससे पता चल रहा था कि वो गर्म हो रही है.
मैंने जीभ देकर अंदर तक भाभी की चूत को चाटा और कुछ देर बाद ही उसकी चूत फूलकर और ज्यादा खूबसूरत लगने लगी.
तब मैंने चूत को हथेली से सहलाया तो भाभी की सांसें गहरी हो गईं.
सांसों के साथ उसकी चूचियां भी ऊपर नीचे होने लगीं.
मैंने भाभी की चूत में बीच वाली लम्बी उंगली डाल दी और वो एकदम से उचक गई.
धीरे धीरे मैंने उंगली को अंदर बाहर करना शुरू किया.
मेरे पास ज्यादा वक्त नहीं था और अब मैं भी चोदने के लिए इंतजार नहीं कर पा रहा था इसलिए अब मैंने उसकी चूत मारने का सोचा.
मैंने लंड को भाभी की चूत पर टिकाया और अंदर धकेलने लगा.
धीरे धीरे धक्के देते हुए मैंने भाभी की चूत में कॉन्डम की जड़ तक लंड घुसा दिया.
बाहर बस कॉन्डम का छल्ला ही दिख रहा था.
अब मैं अपने दोस्त की बीवी की चुदाई करने लगा.
लंड अंदर जाते ही उसकी टांगें चौड़ी सी हो गईं और उसने चूत को थोड़ी और ज्यादा खोल दिया.
अब मैंने अपने दोनों हाथों से भाभी के बगलों में फैले हाथों को दबा लिया और चूत चोदने लगा.
उसकी गर्म गर्म चूत में लंड से चोदते हुए ऐसा आनंद आ रहा था कि मैं तो भूल ही गया कि ये मेरे दोस्त की बीवी है.
ऐसा लगा जैसे अपनी ही गर्लफ्रेंड को चोद रहा हूं और बस रात तक इसको चोदता ही रहूं.
धीरे धीरे उसको भी चुदाई का आनंद मिलने लगा.
वो मुंह से आवाजें तो नहीं निकाल रही थी लेकिन अंदर ही अंदर ऊंह्ह … ऊंह्ह … करके अपने आनंद को बयां कर रही थी.
मेरे धक्कों की स्पीड अब अपने आप ही बढ़ने लगी.
मैं पूरी तरह से उसके ऊपर लेट गया और अब मेरा मन तौलिया हटाकर उसके होंठों को भी चूसने का कर रहा था.
अब वासना में मैं सारी शर्म भूल गया था. मैंने उसके मुंह से तौलिया हटाने की कोशिश की लेकिन उसने मुझे रोक दिया.
फिर मैं ऐसे ही उसके ऊपर लेटा हुआ उसे चोदने लगा. उसकी चूचियों को जोर जोर से भींचते हुए मैं भाभी की चूत में धक्के लगा रहा था.
अब उसकी जांघों से मेरी जांघें पट-पट की आवाज के साथ टकरा रही थीं.
5-7 मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ने को हो गया.
मैं पूरी तेजी से धक्के मार रहा था और फिर एक पल ऐसा आया कि मैं चुदाई के आनंद के परम शिखर पर पहुंच गया और मेरा वीर्य इस आनंद को पूरा करने के लिए मेरे लंड से लावा की तरह बह निकला.
झटके मारते हुए मैं धीरे धीरे रुक गया और हाँफते हुए भाभी के ऊपर ही पसर गया.
वो समझ गई कि मेरा हो चुका है.
उसने उठने का इशारा किया तो मैंने उसकी चूत से लंड को निकाल लिया.
कॉन्डम में मेरा सफेद माल भर गया था.
मैंने एक तरफ होकर लंड के ऊपर से कॉन्डम को उतारा और बांधकर एक तरफ फेंक दिया.
फिर मैंने अपने कपड़े पहन लिए.
भाभी ने भी अपनी मैक्सी नीचे कर ली.
मैंने कहा कि चलता हूं तो उसने केवल मुंडी हिलाकर मुझे इजाजत दी.
फिर मैं दोस्त के पास चला गया.
अब तक उसका भाई भी वापस आ गया था.
हम सबने बैठकर चाय पी.
भाभी मुझसे नजर नहीं मिला रही थी लेकिन नीचे ही नीचे मुस्काराती हुई दिख रही थी.
मैं समझ गया कि उसको भी चुदाई में पूरा मजा आया है और वो खुश है.
उसके बाद शाम को मैं दोस्त के साथ बाहर घूमने चला गया.
हमने वहां पर दारू पी ली और मैंने फिर से उसकी बीवी की चुदाई करने की बात कही.
एक बार तो वो नाराज हुआ लेकिन मैंने उसको थोड़ी और पिला दी.
फिर उसके घर आने के बाद वो कुछ देर सोफे पर बैठा और वहीं सो गया.
मैं इसी पल के इंतजार में था.
उसका भाई तो पहले ही सो चुका था.
मैं भाभी के रूम में गया तो वो सुबह की तरह बैठी हुई मुस्करा रही थी.
मैंने उसे बेड पर लिटाया और उसके होंठों को चूमने लगा.
वो भी मेरा साथ देने लगी.
मेरा लंड एकदम से खड़ा हो गया और मैंने मैक्सी उठाकर बिना कॉन्डम के ही भाभी की चूत में लंड उतार दिया.
मैं उसे चोदने लगा और वो मेरी गांड पर टांगें लपेट कर चुदने लगी.
फिर भाभी ने मेरा पूरा साथ दिया और हम पति-पत्नी की तरह चुदाई करने लगे.
मैंने उसकी टांगों को चौड़ी किया और पूरी तरह से हवा में उठाते हुए अपने हाथों में पकड़ कर उसकी चूत में लंड को पेलने लगा.
भाभी की चूत में लंड जाने से चूत ने रस छोड़ना शुरू कर दिया.
थोड़ी ही देर में चूत से पच-पच की आवाज आने लगी.
मैं उसके ऊपर लेट गया और चूत में लगातार धक्के मारने लगा.
अब वो खुद ही मेरे होंठों को चूसते हुए चुदवाने लगी.
मुझे दोस्त की बीवी की चुदाई का मजा लेते हुए दस मिनट बीत गए लेकिन हम दोनों का ही जोश बढ़ता जा रहा था.
मैंने उसको घोड़ी बना लिया.
भाभी जल्दी से घोड़ी बन गई और मैंने पीछे से उसकी चूत में लंड डाल दिया.
मैं उसकी गांड को पकड़ कर अब पीछे से चूत में धक्के लगाने लगा.
अब उसके मुंह से आह्ह … आह्ह … की हल्की आवाजें निकल रही थीं जिनको सुनकर मेरा जोश और बढ़ रहा था.
20 मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ने को हो गया.
मैंने जोखिम लेना ठीक नहीं समझा और झड़ने से पहले लंड को एकदम से बाहर खींच लिया और अगले ही पल मेरा वीर्य पिचकारियों में भाभी की गांड पर गिरने लगा.
मैं उसके चूतड़ों पर स्खलित हो गया और वो भी शायद झड़ गई थी.
उसकी चूत से काफी सारा रस बाहर आ रहा था.
इस तरह से हमारी दूसरी बार की चुदाई पूरी हुई.
तो दोस्तो, उस रात को एक बार फिर मैंने भाभी की चूत मारी.
फिर मैं वहां से चला गया.
इस तरह अब मैं अक्सर अपने दोस्त के घर आने लगा.
चूंकि उसकी बीवी भी मुझसे चुदना पसंद करने लगी थी इसलिए वो किसी को रोक नहीं सकता था.
मैं जब जाता तो वो रूम से बाहर निकल जाता था.
मैंने न जाने कितनी बार दोस्त की बीवी की चुदाई की.