सेक्स कहानी के शोकीनो को मेरा नमस्कार! मैं दिल्ली से समीर हूँ. मेरी लंबाई 5 फुट 9 इंच है और रंग गोरा है।
मैं ज़रा भी झूठ नहीं बोलूँगा कि मेरा लंड 9-10 इंच लम्बा है या 4-5 इंच मोटा है। क्योंकि सभी जानते है भारत में इतना बड़ा लंड बहुत कम ही लोग होंगे जिनका होगा। मेरे लंड की लंबाई 6 इंच की है और मोटाई करीब ढाई से तीन इंच होगी।
चलो अब मैं कहानी पर आता हूँ। दोस्तो, मेरी यह कहानी बिल्कुल सच्ची है, झूठ का जरा सा भी अंश नहीं है।
मेरी प्रेमिका के साथ मैंने कुछ हसीन पल बिताये थे जो मैं आप सबके साथ बाँट रहा हूँ।
बात 2 साल पहले की है, मैं तब एक कॉलेज से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था। मेरे क्लास में एक आस्था नाम की लड़की भी पढ़ती थी। आस्था को जब मैंने पहली बार देखा था मुझे उससे प्यार हो गया था। पर उस वक़्त मैं यइ बात उसे कह नहीं पाया। मैं जब भी उसको देखता था वो हर बार मुस्कुरा देती थी पर मेरी कभी हिम्मत नहीं हुई कि उससे जाकर बात कर सकूँ।
एक दिन मेरी किस्मत ने मेरा साथ दे ही दिया। एक टीचर ने हमारी क्लास को एक प्रोजेक्ट तैयार करने को कहा और इसके लिए पूरी क्लास को 2-2 स्टूडेंट्स के ग्रुप्स में बाँट दिया। और इस तरह आस्था मेरे ग्रुप में आ गई।
हमने एक दूसरे को हाय बोला। वो अब भी मुस्कुरा रही थी। इस तरह हमारा मिलना जुलना शुरू हुआ।
और एक दिन मैंने मौका देख कर अपने प्यार का इज़हार कर दिया। आस्था ने भी झट से हाँ कर दी जैसे उसे इसी का इंतज़ार हो।
मैंने कहा- आस्था, तुम्हें नहीं पता मैं तुम्हें कब से चाहता हूँ। आज तुमने मेरा प्यार कबूल करके मुझे जो ख़ुशी दी है उसे मैं कभी नहीं भूल पाऊँगा।
आस्था- मैं भी तुम्हें बहुत पहले से ही चाहने लगी थी समीर पर कभी कहने की हिम्मत ही नहीं कर पाई।
यह सुनते ही मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा… मैंने उसे गले से लगा लिया और उसके गालों को चूमने लगा।
आस्था- आई लव यू समीर!
मै उसको चूमते हुए ही बोला- आई लव यू टू आस्था।
मैंने उसके होंठों पर चुम्बन किया, उसने भी मेरा साथ दिया। हम करीब 10 मिनट तक चूमाचाटी करने बाद एक दूसरे अलग हुए और अपने अपने हॉस्टल चले गए।
उस रात हमने घण्टों फ़ोन पर बातें की, कब सुबह हो गई पता ही नहीं चला।
इसी तरह प्यार में डूबे हुए दिन बीतते गए।
और अब वो दिन भी आ गया जब हमें एक दूसरे से दूर जाना था… यानि कॉलेज का आखिरी दिन…
उस दिन हम एक दूसरे से लिपट कर बहुत रोए और एक दूसरे से जल्दी मिलने का वादा करके अपने अपने घर को निकल गए।
दोस्तो, आप लोग सोच रहे होंगे कि क्या ये प्यार की कहानी सुना कर बोर कर रहा है।
तो लो दोस्तो, अब मेरी अपनी प्रेमिका के साथ चुदाई की दास्ताँ शुरू होने वाली है।
कुछ दिनों बाद आस्था ने बताया कि वो नौकरी के लिए आवेदन देने के लिए 3 दिनों के लिए दिल्ली आ रही है।
यह सुन कर मेरी ख़ुशी का कोई ठिकाना ना रहा। और यह ख़ुशी तब और भी ज़्यादा हो गई जब उसने बताया कि वो अकेली ही दिल्ली आएगी।
हम दोनों ने प्लान किया कि हम इन 3 दिन तक किसी होटल में रुकेंगे।
अगले दिन आस्था आई और हम दोनों ने एक अच्छा सा होटल ढूंढ कर उसमे एक कमरा ले लिया। कमरे में जाते ही मैंने आस्था को बाँहों में भर लिया और बेतहाशा चूमने लगा।
आस्था शरमाते हुए- हटो पागल, अब अगले 3 दिन तक मैं तुम्हारे ही पास हूँ। जो चाहो वो कर लेना आराम से!
और कंटीली मुस्कान देते हुए वाशरूम में चली गई।
मैंने भी सोचा के अब थोड़ा आराम कर लेते हैं।
रात के करीब 8 बजने पर मैंने खाना आर्डर कर दिया। उस दिन आस्था ने मुझे अपने हाथों से खाना खिलाया।
दोस्तो, आप में से जिस जिस ने अपनी प्रेमिका के हाथों से खाना खाया होगा, उन्हें पता ही होगा कि कितना सुकून मिलता है तब!
खाना खत्म होने के बाद मैं और आस्था बिस्तर पर बैठ गये, मैंने धीरे से अपना हाथ उसके हाथ पे रख दिया और वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुराई और इस मुस्कराहट के साथ ही मुझे हरी झंडी मिल गई।
मैं जरा सा उस के करीब खिसक गया और उसके कान के पास चूमने लगा।
वो अब भी शर्मा रही थी पर इस बार उसने मुझे रोका नहीं। धीरे धीरे चूमते हुए मैं उसके होंठों तक पहुंच कर रुक गया और उसकी आँखों में देखा।
उसने एक बार मेरी तरफ देख कर अपनी नज़रें झुका ली।
बस तभी मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और उसके होंठों को चूसने लगा।
वो भी मेरा साथ देने लगी।
धीरे धीरे मेरे हाथ अपने आप उसके मम्मों पर चले गए और मैं उसके मम्मे ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा। उसके मुँह से आह्ह्ह्ह निकल गई।
आस्था- आःह्ह्ह क्या करते हो जानू… धीरे दबाओ ना, मैं कहीं भागी थोड़े ना जा रही हूँ।
पर मैंने उसकी एक ना सुनी और उसके जिस्म का मर्दन करता रहा।
थोड़ी देर उसको चूमने के बाद मैं उससे अलग हुआ और उसके सारे कपड़े एक एक करके उतार फेंके। अब वो पूरी नंगी मेरे सामने बैठी थी। उसने शर्मा कर अपने दोनों हाथ अपने मम्मों पर रख लिए।
मैंने भी देर ना करते हर अपने सारे कपड़े उतार फेंके और उसके ऊपर चढ़ गया। मैंने अपने एक हाथ में उसका एक मम्मा पकड़ा और जोर ज़ोर से चूसने लगा और दूसरे हाथ से उसका दूसरा मम्मा दबाता रहा।
आस्था के मुंह से आहें निकल रही थी।
इस सबसे मेरा लंड अब पूरा तन कर खड़ा हो था और आस्था की चूत पर रगड़ रहा था।
मैं ज़रा भी देर न करते हुए उसकी चूत की तरफ बढ़ा और अपने होंठ उसकी चूत पर लगा दिए और ज़ोर ज़ोर से चाटने लगा।
आस्था- आआआ अह्हह आःह्ह्ह आह्ह ह्हह आअह जानू तुम बहुत अच्छे हो। और ज़ोर से चाटो… बहुत मजा आ रहा है… आआह्ह आह्ह…
यह सुनकर मैं और भी जोश में आ गया और उसकी चूत के अंदर जीभ घुसा कर चाटने लगा।
इस सबसे आठ बहुत ज़्यादा उत्तेजित हो गई, वो मेरा सर पकड़ कर अपनी चूत पर दबाने लगी। उसकी चूत अब कामरस छोड़ने लगी।
मेरा लंड भी अब लोहे की तरह सख्त हो चुका था।
मैंने अपना मुँह उसकी चूत से हटाया।
आस्था- अरे अरे… हट क्यों गए? मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।
मैं- मेरी जान, अब मेरा लंड तुम्हें इससे भी ज़्यादा मजा देगा।
यह कहते हुए मैंने लंड उसकी चूत के मुहाने पे टिका दिया और लंड को अंदर डालने की कोशिश करने लगा।
पर उसकी कुंवारी चूत कामरस में भीग जाने के बाद भी टाईट होने की वजह से लंड को अंदर ले ही नहीं रही थी… जब भी मैं धक्का मारता लंड हर बार फिसल जाता।
अब मैंने आस्था को कहा कि वो लंड को पकड़ ले ताकि धक्का लगाने पे वो फिसले ना!
इस बार निशाना बिल्कुल ठीक लगा, मेरा लंड उसकी कुंवारी चूत की सील तोड़ते हुए 2 इंच अंदर घुस गया।
इससे आस्था की चीख निकल गई, पर मैं इसके लिए पहले से ही तैयार था और मैंने आस्था के होंठों पे अपने होंठ रख दिए। उसकी चीख होंठों में ही दब कर रह गई।
अब मैं थोड़ी देर के लिए रुक गया आस्था को बस चूमता रहा।
जब उसकी चूत का दर्द थोड़ा कम हुआ तो मैंने फिर लंड को हिलाना शुरू किया और धीरे धीरे थोड़ा और अंदर धकेलने लगा।
अब आस्था को भी इस सब में मजा आ रहा था। वो चूतड़ उठा उठा कर लंड को और अंदर लेने की कोशिश करने लगी, मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी।
पूरा कमर फच्च फच्च की आवाज़ से भर गया।
आस्था- आआअह्ह्ह जानू और ज़ोर से करो! चोद दो अपनी इस रांड को… फाड़ दो मेरी चूत… आअह्ह उम्म्ह… अहह… हय… याह… अह्ह्ह
मैं- हाँ मेरी जान, आज मैं इस तेरी इस चूत को चोद चोद कर इसका भरता बना दूंगा।
काफी देर तक मैं उसे लगातार चोदता रहा। इसी बीच वो झड़ चुकी थी। अब मेरा भी छूटने वाला था।
मैंने आस्था से कहा- जान मेरा निकलने वाला है, कहाँ डालूँ?
आस्था- जानू, मैं तुम्हारा रस अपनी चूत में लेना चाहती हूँ, आज भर दो मेरी इस निगोड़ी चूत को अपने रस से! मैं बाद में गोली ले लूँगी।
यह सुनते ही मैंने अपने धक्के और तेज़ कर दिए। करीब 15-20 धक्कों के बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया और निढाल होकर उसके ऊपर ही लेट गया।
इस तरह से हमने उस रात 3 बार चुदाई की और अगले 2 दिन भी बहुत मजा किया और आस्था को बहुत चोदा।
3 दिनों बाद आस्था वापिस चली गई, मैं उसे स्टेशन तक छोड़ने गया, उसने मुझे मेरे गाल पर चूम और मुझसे दोबारा जल्दी मिलने का कह कर विदा ली।
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पर हमारी किस्मत में दोबारा मिलना लिखा ही नहीं था, 2 महीने बाद उसके घर वालों को हमारे रिश्ते के बारे में पता लग गया। उसकी माँ ने आस्था का फ़ोन उससे छीन लिया और इस तरह हमारी बात भी बन्द हो गई।
अब मैं आस्था की याद में तड़पने लगा।
कुछ दिनों के बाद उसकी एक सहेली ने बताया कि आस्था की शादी हो गई है और वो अब कनाडा में अपने पति के साथ चली गई है।
यह सुनकर मेरे ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा।
पर मैं अब कर भी क्या सकता था इसलिए मैंने हालात के साथ समझौता कर लिया है और अब मैं अपनी ज़िन्दगी में आगे बढ़ गया हूँ।
पर मेरी पहली प्रेम की यादें तोह हमेशा मेरे दिल में रहेंगी।
तो यह थी मेरे पहले प्यार की सच्ची कहानी… आपको मेरी कहानी कैसी लगी, आप मुझे मेल ज़रूर करें।
धन्यवाद