यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
जवान कोलेज गर्ल के साथ सेक्स की इस कहानी में अभी तक आपने पढ़ा कि मेरी गर्लफ्रेंड ने मुझे अपनी सहेली के रूम पर बुलाया था. मैं उसके रूम पर पहुँच गया और सामान्य औपचारिकता के बाद मेरी गर्लफ्रेंड मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अलग बेडरूम में ले जाने लगी.
अब आगे:
हम कमरे में घुसे और मैंने घुसते ही दरवाज़ा बंद किया और सुहानी को अपनी बांहों में भर लिया। हम दोनों ने एक दूसरे को कसकर पकड़ा हुआ था। मैं सुहानी के स्कर्ट को ऊपर करने लगा तो सुहानी ने मुझे छोड़ा।
उसने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे अपने साथ बेड में खींचा।
मैंने उस रूम में नज़र दौड़ाई जहां एक तरफ टेबल और कुर्सी थी, एक कोने में पलंग, दोनों के बीच में दरी बिछी हुई थी। एक छोटी अलमारी थी जहां सिम्मी की किताबें और कपड़े और सुहानी का बैग रखा हुआ था। सुहानी ने अपनी स्कूल ड्रेस वहीं पलंग में उतार रखी थी।
अब में सुहानी के साथ पलंग में बैठा और बोला- अधूरा किस्सा पूरा करें?
यह बोलते ही सुहानी हँसी और मुझे गले लगा लिया।
मुझे कुछ सूझ नहीं रहा था कि कहां से शुरू करूँ।
इतने में सुहानी उठी और मेरे गले में अपनी बाँहें डालकर मेरे जांघों में बैठ गयी। सुहानी के पैर मेरे पैरों के दोनों तरफ थी। सुहानी का ये पोज़ मुझे इतना सेक्सी लगा, एक तो इस तरह बैठने से सुहानी की स्कर्ट उठ गई और उसकी पैंटी और चूत की गर्माहट मुझे अपनी जांघों के बीच महसूस हो रही थी और दूसरी सुहानी के बूब्स और उसके होंठ मेरे मुंह के सामने थे।
सुहानी मुझे किस करने को हुई तो मैंने उसे पकड़ते हुए रोका और अपने हाथ पीछे ले जाकर उसके टॉप की ज़िप खोली और उसे उतारने का इशारा किया तो सुहानी ने अपने हाथ ऊपर कर लिए जो मुझे न्योता दे रही थी कि खुद ही उतार दूं।
तो मैंने उसका टॉप उठाते हुए उसके हाथों से निकाल दिया।
अब सुहानी की गुलाबी जालीदार ब्रा में कैद उसके बूब्स मेरे सामने थे। सुहानी के बदन से सेक्स की खुमारी से उठती खुशबू और ऊपर से बूब्स का आधा हिस्सा और उसके बीच का कटाव मुझे पागल कर रहा था।
जैसे तैसे मैंने खुद को काबू में किया और सुहानी को किस करने लगा। मुझे फिर वही जन्नत का एहसास होने लगा। सुहानी को इस तरह मदहोशी में किस किये काफी दिन हो गए थे।
नीचे मेरा लंड खड़ा होने लगा जो सुहानी को अपनी पैंटी के बीच महसूस होने लगा। तो एक तरह वो उठने लगी तो मैंने सुहानी को कस लिया और उसे स्मूच करने लगा। उसके रसीले और मुलायम होंठों को किस करने में इतना मज़ा आ रहा था कि बता नहीं सकता। सुहानी भी स्मूच करने में पूरा साथ दे रही थी। हम दोनों एक दूसरे की जीभ को चाटने लगे थे।
स्मूच करते करते सुहानी ने अपना एक हाथ नीचे ले जाकर मेरे लंड को पकड़ लिया। इतने में मैंने सुहानी की ब्रा का हुक खोल दिया और बेसब्री से उसकी ब्रा को नीचे करके उसके संतरे की साइज के बोबे और उसके गुलाबी चूचियों को चाटने लगा।
सुहानी को अब ऐसे बैठने में दिक्कत होने लगी थी तो वो उठी और अपनी ब्रा उतार कर कुर्सी की तरफ फेंक दी और पलंग पर लेट गई।
मैं भी उठा और अपनी शर्ट और बनियान उतार दी और सुहानी के गोरे चिकने बदन पर चढ़ गया। अब एक तरफ लेट कर में सुहानी के बदन को निहारने और सहलाने लगा। सुहानी के गोरे और मुलायम बूब्स और उन पर गुलाबी चूचुक देखकर लग रहा था कि इन्हें दबा दबाकर कर चूस लूं और खा जाऊं।
फिर मैंने सुहानी के एक बोबे की गोलाई को चूमते हुए उसके दूसरे स्तन को सहलाने और दबाने लगा। सुहानी भी अपने निचले होंठ को काटते हुए मज़ा ले रही थी।
फिर मैंने हल्के से बोबे की चूची को मुंह में लेकर धीरे से चूसने लगा। इस पर सुहानी ने मुंह खोला और वो आहें भरने लगी- उहह … आआहह!
मैंने चूची को चूसना छोड़ा और उसे देखा। गीली गुलाबी चूची को देखकर मैंने उसके एक बोबे को जितना हो सका मुंह में लिया तो सुहानी के मुंह से ‘उहहहह’ निकला और मैं निप्पल के घेरे में जीभ फेरने लगा।
सुहानी भी अब आहें भरने लगी थी और उसकी आहें मेरी उत्तेजना को और बढ़ रही थी। मुझे अपने लंड को काबू करना मुश्किल हो रहा था जो रॉड की तरह हो चुका था और उसमें से निकल रहा प्रीकम मुझे मेरे अंडरवियर में महसूस हो रहा था तो मैं ना चाहते हुए भी उठा और सुहानी भी मुझे हैरानी से देखने लगी।
मैं पलंग से उठकर अपनी जीन्स खोलने लगा तो सुहानी ने एक प्यारी सी स्माइल मुझे दी। मैंने जीन्स उतार दी तो सुहानी ने भी अपनी स्कर्ट की ज़िप खोल दी मगर उतारी नहीं। यह उसका मुझे इशारा था कि मैं ही उतार फेंकूं उसकी स्कर्ट को।
तो मैंने उसकी स्कर्ट भी उतार कर कुर्सी में लटका दी। अब हम दोनों एक तरह से पूरे नंगे एक दूसरे के साथ थे। सुहानी पलंग में पैंटी पहने लेटी हुई थी और मैं नीचे खड़ा था अंडरवियर में।
सुहानी उठी और मेरे अंडरवियर को देखते हुए धीरे से बोली- बस, इतने में ही निकल गया।
मैं धीरे से- अभी कहाँ, हो गया होता तो खड़ा रहता क्या?
तो मैं पलंग पर बैठी सुहानी के सामने आया तो सुहानी मेरा इशारा समझ गई। उसने मेरे कमर की दोनों तरफ अंडरवियर की इलास्टिक में हाथ डाला और मेरा अंडरवियर नीचे करने लगी। मेरा अंडरवियर मेरी गांड से नीचे तो हुआ मगर आगे से लंड खड़ा होने से नीचे नहीं हुआ। तो सुहानी ने मेरे लंड में अटके अंडरवियर में हाथ डाला और नीचे किया तो मेरा फनफनाता हुआ लंड सुहानी का शुक्रिया अदा करने लगा।
जैसे ही मेरा लंड सुहानी के सामने आया तो उसके मुंह से वा…ऊऊऊ… निकला और अपना चेहरा ऊपर करके मुझे देखने लगी। उसकी आँखों में सेक्स का नशा बखूबी चढ़ने लगा था।
सुहानी ने मेरे अंडरवियर को मेरा पैरों से निकाला तो मैंने अपने लंड को हाथ में पकड़े हुए सुहानी से इशारे से मुंह में लेने को बोला तो उसने मना कर दिया। फिर उसने मेरा हाथ लंड से हटाते हुए अपने मुलायम हाथ से मेरे खड़े लंड को पकड़ा। पहले धीरे धीरे अपने हाथ से लंड और नीचे लटक रहे सख्त हो चुके बॉल्स को सहलाने लगी और फिर धीरे धीरे लंड को आगे पीछे करते हुए मुठियाने लगी।
धीरे धीरे मुठियाते हुए एकदम से तेजी से मुठियाने लगी तो मुझे मज़ा आने लगा। लंड को तेजी से मुठियाने से मेरा लंड का टोपा पूरा खुल चुका था और प्रीकम से गीला हो चुका था। लंड को मुठियाने से सुहानी के हाथ में भी प्रीकम लग रहा था।
थोड़ी देर में मुझे लगा कि इस तरह करते रहने से मेरा पानी निकल जाएगा तो मैंने इशारे से सुहानी को लेटने को बोला तो सुहानी ने मेरे लंड के साइड में किस किया और मुस्कराते हुए लेट गयी।
सुहानी के लेटते ही में सुहानी से ऊपर चढ़ा और …
सुहानी से बोबों पर टूट पड़ा। सुहानी के सख्त हो चुके बोबों और चूचियों हो अच्छे से चाटते और चूसने से सुहानी से मुंह से तरह तरह की सिसकारियां निकलने लगी थी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ और उसके हाथ मेरे बालों को सहला रहे थे।
बोबों और चूचियों को चूमने, चाटने और चूसने के बाद में थोड़ा नीचे की ओर हुआ तो मुझे सुहानी के साँसों की तेजी का अहसास हुआ। वो इतनी तेजी से सांस ले रही थी जिससे उसके बोबे और मखमली पेट ऊपर नीचे हो रहे थे।
मैं सुहानी के पेट में कमर तक होले से हाथ फेरने लगा जिससे सुहानी की सांस धीरे हुई और उसके चेहरे में मुस्कुराहट आ गई। इससे मुझे लग गया कि मेरे उसके पेट में नाभि और कमर में हाथ फेरना अच्छा लग रहा है।
सहलाते हुए मैंने सुहानी की नाभि पर गौर किया तो उसकी छोटी सी नाभि मुझे भाने लगी और मैंने उसकी नाभि को चूम लिया। अब मैं सुहानी की नाभि की गोलाई, पेट और कमर को चूमने चाटने लगा जिससे सुहानी अपनी आंखें बंद किए और अपने होठों को दबाये हुए मज़े ले रही थी।
पेट और कमर को चाटते और चूमते हुए मैंने आगे बढ़ने का सोचा और मैं सुहानी की गुलाबी पैंटी को चूमते हुए चूत के गीले भाग तक पहुंचा। मैं रुका तो सुहानी मुझे देखने लगी तो मैंने उसकी जालीदार गुलाबी पैंटी में कमर की दोनों तरफ हाथ डाला तो सुहानी ने अपनी गांड ऊपर उठा ली जिससे मुझे उसकी पैंटी उतारने में आसानी हो।
उसकी पैंटी को मैंने उसके पैरों से उतारी और नीचे फेंक दी। मैंने अब जाकर सुहानी के चेहरे में पहली बार शर्म देखी। मेरी प्यारी सेक्सी कमसिन गर्लफ्रेंड अपनी सहेली के बेडरूम में पूरी नंगी मेरे सामने खड़ी थी. मैं खुद को भाग्यशाली मान रहा था कि ऐसा मस्त माल मुझे चोदने को मिल रहा है.
वो शर्मा रही थी अपने पैरों को खोलने से और अपनी चूत को अपने हाथों से ढके हुए।
सेक्सी कॉलेज गर्ल की कहानी जारी रहेगी.
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