यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
एक कमसिन लड़की की पहली चुदाई की इस कहानी में अपने पढ़ा कि मेरी गर्लफ्रेंड एक कमरे में मेरे साथ थी. मैं उसे पूरी नंगी कर चुका था. अब वो शर्मा रही थी.
अब आगे:
मैं उसके चिकने पैरों को चूमते हुए उसकी चिकनी जांघों को चूमने लगा जिससे सुहानी को अच्छा लगने लगा और उसके पैर खुलने लगे। मैंने उसके दोनों पैरों को अलग किया तो उसने हाथों से चूत को ढक लिया।
मैं चाहता था कि वो खुद अपनी चूत मुझे दिखाए इसलिए मैंने कोई ज़बरदस्ती नहीं की बल्कि उसे मज़े दे रहा था। मैंने उसके हाथों को किस करना चालू किया और उसकी बगल में किस करने लगा तो उसे गुदगुदी होने लगी.
तब मैंने धीरे से उसके हाथों को चूत से अलग किया तो उसने भी चूत से हाथ हटा लिए। मैं उसकी चूत की तरफ बढ़ा तो उसने शर्म से अपने हाथों से अपना मुंह ढक लिया। मैंने जैसे ही उसकी चूत को देखा तो नज़र नहीं हटा पाया। इतनी चिकनी और गुलाबी चूत मैंने सिर्फ अंग्रेजी ब्लूफिल्म की लड़कियों की ही देखी थी। मुझे अंग्रेजी से अच्छी पोर्न मूवी इंडियन ही लगती थी। उनमें खामी एक ही होती थी कि ज़्यादातर चूतें काली या भूरी होती थी मगर सुहानी की चूत को देखकर पता चल गया कि कुछ इंडियन लड़कियों की चूत भी गुलाबी होती हैं।
यहां चूत का वर्णन बनता है।
सुहानी की चूत की दरार थोड़ी खुली हुई थी मगर छोटी थी और चूत से निकले पानी से पूरी गीली थी। चूत के मुहाने में चूत का दाना, चूत की सुंदरता में चार चांद लगा रहा था। चूत के होंठ हल्के गुलाबी थे और चूत से थोड़ा नीचे जांघ की तरफ एक तिल था जिससे चूत कयामत लग रही थी। यह पक्का था कि सुहानी ने चूत के बाल आज या कल रात को शेव किये हैं क्योंकि चूत एकदम साफ थी।
चूत की सुंदरता देखकर मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसकी चूत के होंठों को चूम लिया जिससे उसकी चूत का पानी मेरे होंठों में लग गया जो थोड़ा नमकीन था।
मैंने पलंग से सटी अलमारी से एक कपड़ा लिया और सुहानी की चूत को पौंछा।
सूखी चूत और भी मस्त लग रही थी अब।
मुझसे रहा नहीं जा रहा था। मेरा लंड पूरे उफान में था और चूत चोदने के लिए एकदम तैयार था। मेरा पहली बार था तो मैं कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता था।
मैं पूरा मज़ा लेना और देना चाहता था तो मुझे सेक्स का जितना ज्ञान किताबों और xxx मूवी देखकर पता था वो मैं सुहानी पर अज़माने लगा।
मैंने एक तकिया लिया और सुहानी की गांड के नीचे रख दिया जिससे चूत थोड़ी उठ जाए. फिर मैंने अपनी जीभ से चूत की दरार को चाटना शुरू कर दिया. तो सुहानी ने मेरे बाल पकड़ लिए और आंखें बंद किये हुए अपने दांतों से अपने निचले होंठ को काटते हुए मज़े लेने लगी।
मैं सुहानी के चेहरे के भाव देखते हुए उसकी चूत चाट रहा था। उसके चेहरे के भाव मुझे और ज़्यादा उकसा रहे थे।
चाटते चाटते मैं ऊपर की ओर हुआ और चूत के दाने को पहले जीभ से टटोला, फिर होंठों के बीच दबाकर खींचा तो सुहानी की ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ निकल गयी और मेरे बाल खींच कर मेरा मुंह चूत से हटा लिया।
मैंने फिर झुककर चूत चाटना जारी रखा।
अब मैंने अपने दोनों हाथ के अंगूठे से चूत के होंठों को अलग किया जिससे अंदर का सुर्ख लाल सुराग नज़र आने लगा।
अब मेरा नज़रिया बदलने लगा। चूत की दरार खुली हुई ज़रूर थी मगर चूत को देखकर लग नहीं रहा था कि सुहानी चुदी हुई है।
मैं खुश हो गया।
मैंने चूत के होंठ खोलकर जीभ अंदर डाली और चूसने और चाटने लगा। धीरे धीरे चाटते हुए जितनी जीभ घुस सके उतनी जीभ घुसाकर चाटने लगा। सुहानी की सिसकारियां बढ़ती जा रही थी और उसकी मुझे चूत की खुशबू और रस पसन्द आने लगा था।
उत्तेजना में सुहानी मेरे बालों को कभी सहला तो कभी खींच रही थी। अब न मुझसे बर्दाश्त हो रहा था और न ही सुहानी से तो मैं सुहानी के बोबे तक चढ़ा और अपना लंड सुहानी के मुंह के करीब ले आया।
सुहानी ने भी मौके ही नज़ाकत को समझते हुए अपना मुंह उठाया और लंड के खुले हुए टोपे को मुंह में लेकर चूसने चाटने लगी।
मुझे लग गया कि उससे ज़्यादा वो नहीं कर पाएगी तो मैं नीचे की ओर बढ़ा और सुहानी के पैरों के बीच आ गया। मैंने अपने लंड के टोपे की खाल को ऊपर चढ़ाया और सुहानी की चूत की दरार को दोनों अंगूठों से खोला और लन्ड को चूत के मुंह में सेट कर लिया। लंड से निकले प्रीकम और चूत के रस से, चूत चाटने से लंड और चूत चिकने हो गए थे।
बस लंड घुसाने की देरी थी।
सुहानी ने मौका समझते हुए अपने होंठों को दबाया और मैंने झटका मारा तो थोड़ा लंड अंदर घुसा। सुहानी ‘आईईई’ करते हुए दर्द के मारे उचकी और मुझे अपने लंड में भी हल्का दर्द हुआ।
दोनों की पहली चुदाई थी तो सुहानी को दर्द होना लाजमी था और टाइट चूत में लंड आसानी से घुसता नहीं है।
मैंने लंड बाहर निकाला तो सुहानी को भी थोड़ा आराम मिला।
अब मैं सोचने लगा कि क्या किया जाए जिससे लंड अच्छे से घुसे और सुहानी की मदमस्त चूत चोदने का मज़ा मिले।
इतने में सुहानी चूत को सहलाते हुए धीमी आवाज़ में बोली- क्या सोच रहे हो आर्यन?
मैंने ‘कुछ नहीं’ बोला और फिर सुहानी को चोदने को होने लगा तो सुहानी फिर बोली- थोड़ा दर्द हो रहा है … तुम अपने हाथों से सहलाओ ना, अच्छा लगता है।
तो सुहानी को मज़ा देने के लिए मैं फिर उसके बगल में लेट गया और उसके रसीले होंठों को किस करते हुए उसकी चिकनी और मुलायम चूत को सहलाने लगा जिससे सुहानी को अच्छा लगने लगा और उसने अपनी आंखें बंद कर ली।
मुझे सुहानी की कोमल चूत सहलाने में मज़ा तो आ रहा था मगर नीचे से लंड गालियां दे रहा था, उसे बस चूत चाहिए थी।
तो मैंने चूत सहलाते हुए चूत की क्लिट को टटोला तो सुहाने ने मज़े में अपना मुंह फेर लिया और मज़े लेने लगी। मैं अपना मुंह नीचे ले जाकर सुहानी के गुलाबी निप्पल्स अपने मुंह में लेकर मज़े से चूसने लगा।
अब सुहानी और मचलने लगी।
मैंने मौका देखते हुए पहले चूत को दरार पर उंगली फिराई और अपनी एक उंगली चूत में घुसाने की कोशिश करने लगा। अभी थोड़ी उंगली ही चूत में डाली थी तो सुहानी ने मेरा हाथ पकड़ लिया मगर उंगली निकाली नहीं। मैं अब उतनी ही उंगली चूत के अंदर फिराने लगा तो सुहानी तड़प उठी।
मैंने जैसे तैसे उससे हाथ छुड़ाया और आधी उंगली उंगली चूत में घुसा दी मगर इस बार सुहानी अपने होंठ दबाये इसको सह गयी।
वो खुद भी अपनी उंगली से अपनी आग बुझाया करती थी। मगर अपनी उंगली का और किसी और के घुसाने में फर्क होता है।
मैं अब अपनी आधी उंगली चूत के अंदर घुमाने लगे जिससे चूत थोड़ी खुल सके और धीरे धीरे अपनी पूरी उंगली घुसा दी, उंगली घुमाई और फिर धीरे धीरे उंगली से चोदने लगा।
अब सुहानी को भी मज़ा आने लगा। मगर मुझसे अपनी तड़प बर्दाश्त नहीं हो रही थी तो मैं तेजी से अपनी उंगली चूत के अंदर बाहर करने लगा जिससे सुहानी ‘आह आह’ करने लगी तो मैंने उसके मुंह को अपने एक हाथ से बंद किया ताकि आवाज़ ज़्यादा न हो।
इतना पक्का था कि बाहर बैठी सिम्मी को सुनाई पड़ गयी होगी।
यह तेजी सुहानी से नहीं सही गयी और झटके से मेरी उंगली बाहर निकाली और अपनी चूत उठाते हुए चूत से पानी की एक तेज धार सीधे दूर फर्श पर गिरी और कुछ चादर पर पड़ने लगी।
झड़ने के बाद सुहानी हांफने लगी और धीरे से बोली- पागल हो गए थे क्या, जान निकल रही थी मेरी!
मैं- मगर निकला तो कुछ और … वो भी तुम्हारी चूत से … मज़ा आया?
सुहानी- हम्म्म … मज़ा तो आया।
मैंने फिर सुहानी की गांड के नीचे तकिया सेट किया जिससे चूत थोड़ी उठ जाए।
इतने में सुहानी नंगी ही पलंग से उठी और मेज से कोल्ड क्रीम लेकर अपनी चूत में मलने लगी और फिर लेट गयी और क्रीम मुझे देते हुए बोली- अपने में भी लगा लो, फिर कोशिश करो।
मैंने थोड़ी क्रीम ली और खड़े लंड पर मली और लंड के सिरे को अच्छे से चिकना किया और सुहानी के पैरों के बीच बैठ कर लंड को चूत से लगा दिया।
लंड पकड़ते हुए मैं आगे हुआ तो अंदर से गीली चूत दिखने लगी और लंड अंदर जाने लगा। ज़रा सा अंदर जाकर रुक गया, अब धक्का लगाना था। मैंने इशारे से सुहानी से पैर उठाने को बोला और अपने हाथ सुहानी के पैरों के नीचे से उसकी पेट के दोनों तरफ रख दिये जिससे पैर उठे ही रहें और सुहानी अपनी चूत में लंड जाते देख भी सके।
मैंने सुहानी से मुंह से आवाज़ न निकलने को बोला तो उसने अपने दोनों हाथ मुंह में रख लिए और मैंने देर न करते हुए पूरी ताकत से एक झटका दे मारा जिससे एक परर्रर की आवाज़ हुई। सुहानी की जैसे जान निकल गयी और चिल्ला उठी- आआआहह हहह हहह आर्यन, प्लीज निकाल लो, मुझसे नहीं होगा। प्लीज प्लीज!
और दर्द से सिसकने लगी और आंसू बहने लगे।
मुझे भी अपने लंड में दर्द और जलन होने लगी। अपनी पहली चुदाई से लंड भी शायद छिल गया था। सुहानी उठ नहीं पाई क्योंकि उसकर सिर के आगे दीवार थी और मैं भी नहीं उठा जब तक जलन न मिटे।
बाहर से सिम्मी बोली- सुहानी, पागल हो गयी है क्या, बोला है ना आवाज़ मत करना, फिर भी?
सुहानी गुस्से में रोते हुए- तू मेरी जगह आके देख, पता लगेगा तुझे!
और मुझसे धीमी आवाज़ में गिड़गिड़ाने लगी कि मैं उठ जाऊं।
मुझे लंड में जलन अब ना के बराबर थी तो मैंने सुहानी को बोला- थोड़ा से लो यार, दर्द तो होता ही है ना, पहली बार है।
सुहानी- नहीं हो रहा आर्यन, तुम नहीं समझ सकते।
मैं- प्लीज थोड़ा और।
सुहानी- नहीं, और नहीं, मैं मर जाऊंगी।
सुहानी ने नज़र नीचे की तो मेरे लंड पर ज़रा सा खून लगा हुआ था, तो बोली- देखो, खून भी निकल रहा है।
मैंने लंड निकाले बिना नीचे देखा तो हंस दिया और बोला- बोला था ना, इसी फट्टू से फटेगी एक दिन, फट गई।
और मैंने धीरे धीरे अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।
सुहानी भी लंड चूत में अंदर बाहर होते हो देख रही थी। उसके चेहरे में दर्द की लकीरें अब भी थीं। कुछ देर में उसे दर्द कम होने लगा तो उसने मुझसे हाथ हटाने को बोला। मैंने हाथ हटाया तो उसने अपने पैर नीचे किये तो उसे थोड़ा आराम मिला।
जैसे ही मैंने लंड थोड़ा बाहर निकाला, सुहानी की चूत से खून बहने लगा। मैंने उसे नहीं बताया और लंड अंदर बाहर करना जारी रखा।
अब सुहानी का भी दर्द कम हुआ और उसे भी मज़ा मिलने लगा। उसने मुझे अपने हाथ फैलाकर अपनी बाहों में आने का इशारा किया तो मैंने झुककर उसे गले लगा लिया।
फिर थोड़ी देर में मैं थोड़ा ऊपर होकर उसके गले को चाटने और चूमने लगा और धक्के भी मारने लगा जिससे सुहानी मज़े में सिस्कारने लगी- आआह आआह, ऊऊहहहह, धीरे आर्यन।
थोड़ी देर की चुदाई में मेरा पानी निकालने को हुआ तो मैंने सुहानी को बताया तो उसने बाहर निकलने को बोला। मैंने लंड बाहर निकाला तो सुहानी उठी। चादर पर लगे खून पर उसकी नज़र पड़ी तो वो मुझे देखकर मुस्कुराई और लंड अपने हाथ में लेकर मुठियाने लगी।
वो तेजी से मुठिया रही थी जिससे मुझे लंड में थोड़ी जलन फिर होने लगी। सुहानी के कोमल हाथों से तेजी से मुठियाना मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ और मैंने वीर्य की एक तेज धार सुहानी के वक्ष पर मारी. जब तक वीर्य निकलता रहा, सुहानी खुद को करीब लाकर लंड मुठियाते हुए अपने बोबों पर निकालती रही और पूरा होने के बाद मेरे लंड को अपने बोबे पर झाड़ा।
फिर मेरे लंड को उसी कपड़े से साफ किया जिससे मैंने सुहानी की गीली चूत पौंछी थी।
सुहानी नंगी अपने बोबे पर वीर्य मलते हुए उठी और बोली- अभी ही निकलना था ना, मज़ा आने लगा था।
मैं- तुम तो मुझसे बहुत पहले झड़ गयी थी और मेरा ये पहली बार है फिर भी टाइम लिया झड़ने में। चुद तो गयी तुम मुझसे।
सुहानी- ठीक है, चलें बाहर, कुछ खा लेते हैं फिर और मस्ती करेंगे।
मैं- ऐसे नंगी ही जाओगी, सिम्मी बाहर बैठी है।
सुहानी ने स्कर्ट पहनी और अपने बोबों को तौलिये से ढककर बोली- मैं बाथरूम जाकर फ्रेश होकर आती हूं. तब तक तुम भी कपड़े पहन लो और बाहर आ जाओ।
दरवाज़े तक सुहानी थोड़ा लड़खड़ाई और बाहर निकली और मैं कपड़े पहनने लगा।
मैं तब तक बाहर नहीं निकला जब तक सुहानी बाथरूम ने नहीं निकली। सुहानी के निकलते ही मैं रूम से निकला और सीधे बाथरूम में घुस गया। पहले अपने लंड को अच्छे से धोया फिर हाथ पैर और मुंह धोये और बाहर आ गया।
सुहानी भी तभी कपड़े पहनकर रूम से निकली। सुहानी वहां पास के टेबल से पानी पीने के लिए चली तो उसकी चाल देखकर सिम्मी मुस्कुराते हुए ने सुहानी से बोला- लगता है आर्यन ने तेरी अच्छे से सेवा की है!
सुहानी- सेवा, पूछ ही मत। वो बात छोड़, खाना खाएं, भूख लगी है।
सिम्मी- आओ आर्यन, खाना खाते हैं।
तो हम तीनों ने मिल कर खाना खाया, मैंने कम ही खाया क्योंकि अभी सुहानी को कस कर फिर चोदना था। उठा वहां से उठा नहीं जब तक उन्होंने खाना खत्म नहीं किया। फिर हम तीनों उठे, हाथ धोकर सुहानी सिम्मी से बोली- हम तेरे कमरे में जा रहे हैं।
सिम्मी चौंकते हुए- फिर से?
सुहानी सिम्मी को आंख मारते हुए ‘हां’ बोलकर मुझे पीठ से धकेलकर कमरे में ले गई और दरवाज़ा बंद कर दिया।
कहानी जारी रहेगी.
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