कहानी के पिछले भाग
पैसे वाली सेक्सी रजनी की हवस-1
में आपने पढ़ा..कामुकता से भरी रजनी आंटी ने मेरा लंड चूस कर मुझे पूरा मजा दिया और मैं उनके मुंह में झड़ गया. इसके बाद मुझे नींद आ गई, मैं वहीं सो गया.
करीब आधा-पौन घंटे के बाद रजनी ने बहुत ही प्यार से मुझे उठाया और पूछा- कैसा लग रहा है राजू?
अभी हम दोनों ही पूरे नंगे थे।
मैं- मैं ठीक हूँ रजनी जी, और अच्छा भी लग रहा है।
वो- राजू एक काम करो, मैंने थोड़ा कुन-कुना गर्म पानी बाथरूम में रख दिया है, तुम नहा कर आ जाओ, तो और अच्छा लगेगा।
मुझे बात अच्छी लगी, तो मैं नहाने चला गया।
अब चूंकि दोनों ही नंगे थे तो मुझे बाथरूम का दरवाजा बंद करना नहीं सुझा।
मैं अभी नहा ही रहा था कि पूरी तरह से नंगी रजनी जी भी बाथरूम में आ गई और बोली- राजू, थकी हुई तो मैं भी हूँ, तो मैं भी तुम्हारे साथ ही नहा लेती हूँ।
मैं कुछ बोलता ही तो क्या, या कुछ बोलता उससे पहले वो भी, फर्श में मेरे साथ ही बैठ गई।
मैं पानी से गीला तो हो ही चुका था तो उन्होंने साबुन उठाया और मेरे मजबूत शरीर पर लगाने लगी, और जब पूरे शरीर पर साबुन लगा दिया तो साबुन मुझे देती हुई बोली- लो, अब मुझे भी लगाओ साबुन!
तो मैं भी उनके पूरे शरीर में मल-मल कर साबुन लगाने लगा। उनके सीने और योनि के पास साबुन लगते टाइम मेरा लिंग फिर से खड़ा और बड़ा होने लगा, जिसे देख कर रजनी जी ने कहा- राजू, तुम बहुत बदमाश हो!
और फिर हंसने लगी.
फिर इस तरह हम दोनों ने एक-दूसरे को रगड़-रगड़ कर नहलाया। सच में इस तरह से एक-दूसरे को और कुनकुना गर्म पानी से नहाने से मुझे लगा कि मेरा पूरा शरीर एकदम हल्का हो गया है, और शायद ऐसा ही कुछ रजनी जी को भी लगा होगा।
फिर नर्म टॉवल से हमने एक-दसरे के शरीर हो अच्छी तरह से पोंछा। नंगे ही बाथरूम से मैं बेडरूम में आया और वो किचन की ओर गई।
फिर दो बड़े काँच के गिलास रजनी जी हल्का-हल्का गर्म दूध ले कर आई और बोली- लो राजू, इसे पी लो!
और खुद भी पीने लगी।
‘अब बोलो… कैसा लग रहा है? अच्छा तो लग रहा है न?’
मैं थोड़ा हँसते हुये हाँ बोल दिया और बोला- रजनी जी, एक बात पूछूं?
वो- अरे राजू, तुम अभी भी झिझक क्यों रहे हो, पूछो न जो भी पूछना है, एकदम बिंदास!
मैं- अभी जो हमने किया, क्या वही सेक्स है जो शादी के बाद पति-पत्नी करते हैं?
वो हँसती हुई- हाँ, पर ये अभी पूरा कहाँ हुआ है, ये तो बस शुरुआत है, अभी तो और भी बाकी है। तुमको और करना है क्या?
मैं- अभी जो किया, वो क्या पूरा नहीं था, तो मुझे बताइये कि इसके बाद और क्या करते हैं?
वो- मेरे राजू राजकुमार, तुम चिंता मत करो, मैं तुमको सब बताऊँगी, और तुम्हारे साथ करूंगी भी, ठीक है, पर आज के लिए इतना काफी है। हालांकि अभी मेरा मन नहीं भरा है और सही बताऊँ तो मेरी प्यास और भड़क गई है। मेरा मन तो अभी ऐसा हो रहा है कि अभी फिर से तुमको कच्चा खा जाऊँ, पर धीरज रखो, धीरज का फल मीठा होता है, तुम तो अभी रोज़ ही आओगे, तो अब आगे का कोर्स हम कल करेंगे, तुम फिक्र मत करो, जब मैंने शुरू किया है तो तुमको पूरा सीखना भी मेरी जवाबदारी, बस इतना याद रखो, ये सब तुम किसी को बताना मत। क्योंकि पहले बात तो यह कि ये सब सभी का पर्सनल होता है जो किसी से डिस्कस नहीं किया जाता और दूसरी ये कि तुम जानते हो मैं शादीशुदा औरत हूँ, तो यदि किसी को पता चल गया तो मेरी बेइज्जती होगी, तो बताओ, क्या तुम किसी को कभी बताओगे?
मैं- रजनी जी, आप बिल्कुल भी चिंता मत करो, भले ही, ये सब मैं प्रैक्टिकली नहीं जानता था, पर हाँ जैसा आप पर्सनल और बेइज्जती वाली बात बोल रही हो, ये मैं पहले से जानता और मानता हूँ, इसलिए मैं तो कभी भी किसी को, किसी भी हालत में नहीं बताऊंगा। और अब तो इस सब्जेक्ट में आप मेरी टीचर है, तो मैं थोड़ी चाहूँगा कि मेरे कारण आपकी बेइज्जती हो।
मेरी बात सुन कर वो हंस दी और फिर से मुझे गले लगा लिया।
चूंकि हम दोनों ही अभी तक नंगे ही थे, तो जैसे ही वो मेरे गले से लगी, मेरा लिंग फिर से बड़ा और टाइट होने लगा, यह देख कर उन्होंने मुझे हल्की से गाल में चपत लगते हुये बोली- बदमाश कहीं के, लगता है, तुम्हारा मन भी अभी नहीं भरा है.
तो मैं हँसते हुये बोला- क्या करूं टीचर जी, जब से अपने बोला कि कोर्स बाकी है तो मन कैसे भरेगा, मेरी तो अभी से ही उत्सुकता बढ़ गई है ये जानने कि कल क्या होने वाला है।
वो- हाँ राजू राजकुमार, मुझे मालूम है, इसमें ऐसा ही होता है, पर मैं तुम्हारे ही भले के लिए बोल रही हूँ, वरना चाहती तो मैं भी ये हूँ कि अभी ही कोर्स पूरा कर लूं। चलो मेरे राजकुमार, अब अपने कपड़े पहनो, आगे का अब कल, ठीक है?
मैं- अच्छा टीचर जी, एक काम करोगी।
वो- हाँ, बोलो न, तुम जो भी बोलोगे मैं जरूर करूंगी।
मैं- तो आप ही मुझे मेरे कपड़े पहना दीजिये न, जैसे उतारे थे।
वो- शैतान, ऐसा बोल कर वो हंसने लगी और कहा- ठीक है मेरे राजकुमार, वैसे भी तुम जो बोलोगे वो करूंगी!
फिर उन्होंने मुझे कपड़े पहनना शुरू कर दिया, इस दौरान वो अभी नंगी ही थी। तो नजदीक होने के कारण मैं उनको फिर से जगह-जगह किस करने लगा तो वो बोली- अब बस करो मेरे शैतान राजकुमार, नहीं तो मैं तुमको मार दूँगी!
और फिर हंसने लगी।
और फिर मुझे मेरे कपड़े पहना कर वो अपने कपड़े पहनने लगी।
तो मैं फिर उनसे बोला- मैं सोच रहा था, कि आप मुझे बोलेंगी, कि मैं आपको आपके कपड़े पहना दूँ!
मैं ऐसा अपना मुँह थोड़ा बनाते हुये बोला तो वो फिर से हंसने लगी और बोली- मैंने ऐसा सोचा था, पर यह सोच कर कि मुझे कपड़े पहनाने के चक्कर में तुम फिर शैतानी करने लगोगे, मैंने तुमको मुझे कपड़े पहनाने को नहीं बोला। और सुनो, एक बार अपना कोर्स पूरा होने दो, फिर हम हमेशा ही एक-दूसरे के कपड़े उतारेंगे और एक-दूसरे के कपड़े पहनाया करेंगे। ठीक है?
फिर एक लंबा किस देकर बोली- अब जाओ, कल फिर से आना!
दूसरे दिन दोपहर के बाद में देख ही रहा था कि वो कब अपनी बालकनी में आए और मुझे बुलाये, थोड़ी ही देर में उन्होंने इशारा किया तो मैं ऊपर उनके कमरे में पहुँच गया.
आज नीचे का दरवाजा मैं खुद ही बंद करता हुआ गया।
मैंने देखा कि आज रजनी जी ने लाल रंग की साड़ी पहनी हुई थी और साथ में कुछ गहने भी ज्यादा थे, एक प्रकार से वो नई दुल्हन जैसी लग रही थी।
जब मैंने उनको बताया तो वो बोली- हाँ, सही सोच रहे हो, ऐसा इसलिए कि आज हम सुहागदिन मनाएंगे… इसलिए मैं अपना ऐसा रूप बनाया है। बोलो मेरे राजू राजकुमार, मैं कैसी लग रही हूँ?
मैं- रजनी जी, मैंने तो आते ही बोला कि आज आप दुल्हन की तरह सुंदर लग रही हो।
वो- मेरे राजकुमार, अब तुम मुझे रजनी जी नहीं, सिर्फ रजनी बोलो, चलो, बोल कर बताओ, कैसे बोलोगे?
मैं- रजनी, आज मुझे शर्बत नहीं पिलाओगी क्या?
वो ज़ोर से हँसटी हुई- वाह, क्या बात है, तुम हो बहुत होशियार, पूरी बात एक बार में ही समझ जाते हो, ज्यादा नहीं समझाना पड़ता है तुमको। रूको, अभी लाती हूँ तुम्हारे लिए शर्बत!
और फिर वो किचन में चली गई, और 5-7 मिनट में 2 गिलास शर्बत ले आई जिसे हम दोनों ने पिया।
चटक लाल रंग की साड़ी में उनको जाते और आते देख कर ही मैं खुद को नशे की हालत में महसूस करने लगा था। शर्बत की गिलास को टेबल में रख कर सोफ़े में बिल्कुल मेरे से सट कर बैठ गई और अपनी बाहें मेरे कंधे में डाल कर अपने गुलाबी होंठों से मेरे गाल पर किस करने लगी।
वैसे ही बैठे-बैठे मैंने भी अपनी दोनों बांहों को उनकी कमर में लपेटते हुए पहले तो अपनी पूरी ताकत से अपने में समेट लिया और फिर हम दोनों होंठ से होंठ और जीभ से जीभ मिला कर एक दूसरे को किस करने लगे।
थोड़ी देर बाद वो बोली- राजू ये बताओ, जब तुम्हारी शादी होगी तो अपनी पहली रात यानि सुहागरात को अपनी दुल्हन के साथ तुम कैसे और क्या करोगे?
मैं- रजनी जी, मैंने बताया तो था कि मुझे नहीं मालूम ज्यादा इस विषय में!
वो हंसने लगी, बोली- इतने बड़े हो गए, कुछ तो मालूम ही होगा, अब मुझे बेवकूफ मत बनाओ, चलो, जो भी मालूम है, वो ही बताओ! और वो भी बिना शर्माए, और तुमको बोला न मुझे सिर्फ रजनी बोलो, जी मत लगाओ।
मैं- रजनी, मैंने बताया था कि पति-पत्नी सेक्स कैसे करते इसका मुझे प्रेक्टिकल नालेज नहीं है, मुझे सिर्फ उतना मालूम जितना मैंने हिन्दी फिल्मों में सुहागरात का सीन देखा है, उससे ज्यादा नहीं जानता, उसी आधार पर लगता है कि दोनों अपने कपड़े उतार कर सोते हैं बस!
वो- अच्छा, तुम मुझे अपनी नई-नवेली दुल्हन समझो, और ये कि आज हमारी सुहागरात है, फिर तुमको इस पर जो भी आता है, जितना जानते हो, और जैसे करना चाहते हो वैसा मेरे साथ करो, ठीक है?
और फिर मेरा हाथ पकड़ कर मुझे उठाया और बेडरूम में ले गई, अपनी साड़ी के पल्लू से थोड़ा सा अपना घूँघट डालते हुये बोली- चलो मेरे राजकुमार, मेरे पति बन जाओ और अपनी सुहागरात मनाना शुरू करो। न डरो, न झिझको।
अब हम दोनों बेडरूम में बड़े से डबल बेड के बाज़ू में खड़े थे।
फिर मैंने जैसा किसी-किसी हिन्दी फिल्म में सुहागरात का सीन देखा था, इस तरह से करने लगा। रजनी को सबसे पहले खड़े-खड़े ही, उनकी कमर में हाथ डाल कर ज़ोर से पकड़ते हुये अपने गले से लगाया और उनका घूँघट हटाते हुये उनके गले, गर्दन पर किस करने लगा।
वो- राजू, आई लव यू… बहुत अच्छे, मुझे ऐसे ही प्यार करो!
बोलते हुये वो भी मुझे किस करने लगी।
मैंने उनकी साड़ी का पल्लू गिरा दिया और झुक कर उनकी नाभि के पास किस करने लगा और वो तड़फने लगी।
उन्होंने मेरी शर्ट का बटन खोल कर फिर बनियान भी उतार दी, तो मैं उनकी साड़ी को घुमा कर खोलने लगा और साड़ी पूरी उतार कर एक ओर उछाल दिया।
वो मेरे सीने में किस करने लगी, उनका हाथ मुझे पूरा ज़ोर से पकड़ते हुए लपेट लिया। मैं अपना हाथ से उनके ब्लाऊज को खोलने लगा और वो मेरी जींस को… जब मेरी जींस के बटन और चैन खुल गई तो उनके इशारे से मैंने उसे उतार दिया।
अब तक मैं भी उनका ब्लाऊज उतार चुका था।
अब मैं सिर्फ अपनी उंडरवियर में और वो पेटीकोट और ब्रा में थी। मैंने महसूस किया कि उनका चेहरा गर्म हो चुका था।
अचानक रजनी ने मुझे लपेटते हुये अपने दोनों हाथ मेरे पीछे किया और मेरी अंडरवियर में हाथ डाल कर पीछे मेरे हिप को ज़ोर से मसलने लगी, इस दौरान उनके दोनों दूध मेरे सीने से रगड़ खा कर एकदम कठोर हो गए थे और उनके निप्पल मुझे चुभने लगे।
अब तक मेरा लिंग अंडरवियर के अंदर ही खड़ा हो गया था, लेकिन रजनी ने अभी तक उसके ओर ध्यान नहीं दिया। मैंने अपना हाथ पीछे कर उनकी ब्रा के हुक को खोल दिया तो रजनी ने अपनी बाहें फैला दी तो समझते हुये मैंने उनको ब्रा को उनके शरीर से अलग कर दिया और एक ओर उछाल दिया।
रजनी ने मेरी गर्दन को कुछ इस तरह से पकड़ा कि मैं उनके पीछे चला गया और उनकी पीठ में अपनी जीभ और होंठ रगड़ते हुये उनके पेटीकोट का नाड़ा खोलने लगा।
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अब रजनी ने कैसे गांठ बांधी थी मैं तो जानता नहीं था, तो मेरे से तो खुल ही नहीं रही थी, तो वो हंसने लगी और बोली- अभी इसकी जल्दी मत करो, देखो मैंने भी अभी तक तुम्हारे लिंग की ओर ध्यान नहीं दिया, है न? चलो अब मुझे अपनी गोदी में उठाओ और बिस्तर में चलो।
अभी तक हम जो भी कर रहे थे, वो खड़े-खड़े ही… तो उनके बोलने पर मैंने उनको उठाया और हम दोनों अब बिस्तर पर थे। वो लेटी हुई और मैं उन पर झुका हुआ… रजनी ने मेरे गले में अपना हाथ डाला और अपने चेहरे पर खींचते हुये मुझे किस करने लगी।
अब हम दोनों की जीभ एक-दूसरे के मुँह में अजीब से हरकत करने लगी।
वो- मेरे राजकुमार, तुम मुझे पूरे शरीर में जहां, जैसे और जो भी कुछ करना, मसलना चाहो करो!
बोलते हुये खुद भी मुझे जगह-जगह चूमने-चाटने लगी तो फिर मैंने भी उनका अनुसरण करना शुरू कर दिया।
अब रजनी अपने पैरों को आपस में रगड़ने लगी थी। रजनी ने ध्यान दिया या नहीं, मैं नहीं जानता पर अब चूंकि मुझे पेटीकोट के नाड़े की गांठ दिख रही थी तो उसे मैंने खोल दिया… पर पेटीकोट अभी रजनी के शरीर पर ही था।
कुछ हिलने डुलने से मुझे रजनी की पाहनी हुई गुलाबी रंग की पेंटी दिखने लगी थी और रजनी की गर्दन, सीना, निप्पल, पेट को चूमते और चाटने हुये मेरे होंठ रजनी की पेंटी तक पहुंच गए।
अब रजनी ने अपने पैर की ही हरकतों से अपना पेटीकोट अपने शरीर से अलग कर दिया और थोड़ी देर बाद उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी पेंटी की ओर किया तो मैंने अपनी समझ के अनुसार उसे उतार दिया, मुझे पेंटी उतारते महसूस कर रजनी ने अपनी कमर उठा दी ताकि मैं पेंटी उतार सकूं।
और अब पेंटी भी बाकी के कपड़ों के साथ ही कहीं थी।
अब रजनी की काले घेरे में गुलाबी, और बिल्कुल नर्म योनि मेरे सामने ही थी, जहाँ पर अपने ही आप मेरे होंठ पहुँच गए।
जैसे ही रजनी की योनि से मेरे होंठ लगे, रजनी ने मेरे सिर को ज़ोर से पकड़ लिया और वहीं पर दबाने लगी और ज़ोर ज़ोर से सिसकारी लेने लगी। मेरी जीभ ने भी वहाँ पर अपनी हरकत शुरू कर दी तो रजनी की सिसकारी भी तेज़ हो गई।
अचानक से रजनी का नर्म हाथ मेरी अंडरवियर के अंदर घुस कर मेरे लिंग को पकड़ कर मसलने लगा। लिंग अब तक पूरी कड़ाई के साथ अपने पूरे आकार में आ चुका था। इस तरह जब मैंने रजनी के नर्म और गर्म हाथ को अपने कड़े से लिंग पर महसूस किया तो मेरा तो गला ही सूखने लगा।
अब तक हम दोनों ही पूरी तरह से अपने कपड़ों से आज़ाद हो चुके थे।
अगले 5-7 मिनट तक हम दोनों यू ही एक-दूसरे के शरीर के साथ अपनी-अपनी मर्जी से खेलते रहे, जिसे जैसा समझ में आता वो वैसा ही करता।
इसी दौरान मैंने महसूस किया, रजनी की योनि से कुछ तरल सा निकाल कर चमकने लगा था, दिन की रोशनी में मैंने साफ देखा था और अपने हाथ में भी चिपचिपा सा महसूस किया था।
जब मैं रजनी की योनि में हाथ लगाता तो वो उम्म्ह… अहह… हय… याह… जैसे आवाज़ करने लगती।
इस दौरान हम कई बार कभी वो ऊपर, तो कभी मैं ऊपर हुये।
वो- राजू, अब बहुत हो गया, अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा, चलो, अब मुझे शांत तो करो! तुमने तो मेरे अंदर आग लगा कर मुझे जलाना शुरू कर दिया है। ऐसा बोलते हुये तो बिस्तर पर पूरी तरह से पट होकर लेट गई और अपनी दोनों टाँगों को फैला दिया।
मैंने देखा कि उनकी योनि अब एक छोटी से गुफा जैसे दिख रही थी।
रजनी ने मेरे लिंग को पकड़ा और इस तरह से अपनी ओर किया कि अब मेरा शरीर रजनी के लेटे शरीर के ऊपर चढ़ने के लिए जैसे पोजीशन में आ गया। फिर पहले तो रजनी ने अपने ही ऊपर मुझे भी लिटा लिया, फिर अपने हाथ से मेरा लिंग पकड़ पहले लिंग की चमड़ी को ऊपर किया और फिर अंदाजे से ही अपनी योनि के ऊपर सेट किया और अपनी कमर को थोड़ा सा ऊपर की ओर झटका दिया।
एक तो मेरा लिंग कड़ा था, एकदम राड टाइप और उसकी योनि एकदम से चिपचिपी, तो मेरा लिंग भी एकदम से रजनी की योनि में थोड़ा सा घुस गया।
मुझे ऐसा लगा जैसे मेरा लिंग, एकदम से किसी गर्म गुफा में घुस गया है… और रजनी आ…ह, ऊई जैसे आवाज़ करने लगी।
फिर जैसे ही मैंने अपने पूरे शरीर का भर रजनी के शरीर में डाला तो उसकी आवाज़ भी तेज़ हो गई, और मुझे महसूस हुआ कि मेरा लिंग उस गर्म गुफा में अपना रास्ता बनाते हुए आगे बढ़ रहा है। फिर रजनी मुझे कुछ न कह कर खुद ही अपनी कमर ऊपर-नीचे करने लगी, पर शायद वो इससे संतुष्ट नहीं हो पा रही थी, कि तभी नहीं मालूम कैसे, पर अचानक से ही मैं भी अपनी कमर को झटके के साथ ऊपर-नीचे करने लगा।
फिर क्या था, जितना तेज़ मैं करता, रजनी भी तेज़ हो जाती और उसके आवाज़ सुन सुन कर मैं भी और उत्तेजित हो जाता।
वो- वाउ… मेरे राजकुमार, तुम तो पूरे घोड़े बन गए, येस, ऐसे ही, और ज़ोर से, आ…ह… आ…बी… आई… ऊई… ज़ोर से… सही कर रहे हो! वेरी गुड… यही तो करना है!
न मालूम ऐसा ही क्या क्या वो बोलती रहीं और कुछ देर इसी तरह से ऊपर-नीचे होते रहने के बाद वो ज़ोर से मेरी पीठ को पकड़ कर दबाने लगी और उसके नाखून मुझे अपनी पीठ में चुभने लगे।
फिर अचानक रजनी का शरीर जैसे अकड़ने लगा और मुझे महसूस हुआ कि मेरा लिंग गर्म पानी में नहा रहा है और रजनी की योनि भी सिकुड़ने लगी थी. अब और मुझे लगा कि मेरा लिंग वहाँ फंस सा रहा है।
पर मेरे ऊपर-नीचे होने की रफ्तार में कोई फर्क नहीं पड़ा बल्कि रजनी के मुँह से निकलने वाले शब्द से मैं और तेज़ हुए जा रहा था।
फिर एकाएक मेरे शरीर में ऐंठन होने लगी, मैं अभी कुछ सोच ही रहा था कि मेरा लिंग पिचकारी बन गया और उसमें से करीब 8-9 बार रुक-रुक कर कुछ निकालने लगा, उसी के साथ मेरा शरीर भी झटका लेने लगा और इसी के साथ मेरा ऊपर-नीचे होना भी रुक गया और फिर हम दोनों ने एक-दूसरे को ज़ोर से पकड़ कर अपने में लपेट लिया।
मैं अभी रजनी के ऊपर ही था और मेरा लिंग भी अभी रजनी की योनि के अंदर ही था। हाँ, अब वो पहले की तरह कड़ा तो नहीं था, पर एकदम से सुस्त ही नहीं हुआ था। इसलिए न तो मैंने और न ही रजनी ने लिंग को योनि से निकालने का बोला न ही ऐसा प्रयास किया।
4-5 मिनट बाद उसी हालत में ही रजनी एकदम से खुश हो गई और मुझे जोर जोर से किस करने लगी और बोली- राजू, मेरे प्यारे राजकुमार, तुम नहीं जानते, आज तुमने मुझे वो दिया जो आज तक मेरे पति ने भी नहीं दिया। तुमने मेरा तन, मन, सब कुछ पूरा जीत लिया।
अब तक रजनी की योनि में फंसा हुआ मेरा लिंग भी सुस्त हो गया था, तो जैसे ही हम दोनों थोड़ा सा हिले, वो अपने ही आप योनि से निकल गया।
मैंने देखा कि रजनी की योनि थोड़ी सी फूल सी गई थी और वहाँ पर अजीब सा दिख रहा था।
वो- राजू तुमने मुझे जीत लिया है… और इसमें तुम्हारे इस लिंग महाराज का पूरा योगदान है, तो मैं मेरे इस महाराज का शुक्रिया अदा करना चाहती हूँ।
और ऐसा बोल कर, मैं कुछ बोलता या समझता, रजनी ने वैसे ही मेरे लिंग को अपने मुँह में ले लिया और पूरा चाटने लगी और फिर साफ कर दिया।
वो- राजू, क्या तुमको कुछ थकान या सुस्ती लग रही है?
मैं- हाँ रजनी जी!
वो- फिर रजनी जी, तुमको बोला न, सिर्फ रजनी बोला करो बदमाश।
मैं- ठीक है ध्यान रखूँगा, पर मुझे रजनी की जगह रजनी जी बोलना ज्यादा अच्छा लगता है।
वो- अच्छा मेरे राजकुमार, ठीक है, तुमको जो अच्छा लगे वो बोलो और करो, ठीक!
वो- अच्छा, चलो, पहले हम दोनों कल की तरह गर्म पानी से नहाते हैं, हमारी थकान भी दूर हो जाएगी और फ्रेश भी लगेगा।
मैं- हाँ, यह सही होगा।
और फिर हम दोनों ने बाथरूम जाकर, वहाँ कुनकुने गर्म पानी से एक-दूसरे को अच्छे से मालिश करते हुये नहलाया।
फिर रजनी जी ने, बादाम, किशमिश डाल कर 2 गिलास दूध बनाया, जिसे उन्होंने बहुत प्यार से मुझे पिलाया।
वो- अच्छा, मेरे राजकुमार, ये बताओ कि आज ये सब अभी जो हमने किया, तुमको कैसा लगा?
मैं- सही बताऊँ रजनी जी, मुझे तो अभी तक नशा सा ही लग रहा है, हाँ पर ये भी सही है, मुझे बहुत अच्छा लगा और मैं बहुत खुश भी हूँ। मैं आपसे ये वादा करता हूँ, हमने ये किया, ये मैं कभी भी किसी को नहीं बताऊंगा।
रजनी जी के चेहरे पर आँसू आ गए, उन्होंने मुझे गले से लगा कर एक प्यारा सा किस किया। और जब उनके आँसू के लिए पूछा तो वो बोली- तू पूरा पागल है रे मेरे राजू राजकुमार… ये मेरे आँसू तो मेरी खुशी के आँसू हैं।
आज मैं 34 साल का हूँ, मेरी शादी हो गई है, और मेरे 2 छोटे छोटे प्यारे से बच्चे और 1 प्यारी बीवी है। मेरी बीवी के साथ मेरी सेक्स लाइफ बहुत ही अच्छे से बीत रही है, हम दोनों ही एक-दसरे से संतुष्ट भी हैं।
पर फिर भी मेरा रजनी जी से आज भी संबंध बना हुआ है क्योंकि उनके पति की वही नौकरी है जिसमें उनको दौरा करते रहना पड़ता है, और उनका ही कहना है कि उनके 2 बच्चो में से 1 जो कि लड़का, वो मेरे वीर्य से ही है, और जो लड़की है वो उसके पति से है।
तो दोस्तो, यह था मेरी लाइफ का पहला सेक्स और उसका अनुभव। एक आंटी की असंतुष्ट कामुकता की इस कहानी पर आप अपनी अतुल्य राय से मुझे [email protected] पर अवगत कराइएगा।