This story is divided into 4 parts:
पण्डित- वेदों के अनुसार तुम्हारा श्रृंगार पवित्र हाथों से होना चाहिये.. अथवा तुम्हारा श्रृंगार मैं करूँगा.. इसमें तुम्हें कोई आपत्ति तो नहीं..?
शीला- नहीं पण्डित जी..
पण्डित- शीला.. मुझे याद नहीं रहा था.. लेकिन वेदों के अनुसार जो देवलिंग मैंने तुम्हें दिया था, उस पर पण्डित का चित्र होना चाहिये.. इसलिए इस देवलिंग पे मैं अपनी एक छोटी सी फोटो चिपका रहा हूँ.
शीला- ठीक है पण्डित जी.
पण्डित- और हाँ.. रात को दो बार उठ कर इस देवलिंग को जय करना.. एक बार सोने से पहले.. और दूसरी बार मध्य रात्रि में.
शीला- जी पण्डित जी..
पण्डित ने देवलिंग पर अपनी एक छोटी सी फोटो चिपका दी.. और शीला को बांधने के लिए दे दिया.
शीला ने पहले जैसे देवलिंग को अपनी टांगों के बीच बांध लिया..
आज की पूजा खत्म हुई और शीला अपने कपड़े पहन के घर चली आई.. पण्डित से अपनी तारीफ़ सुन कर वो खुश थी.
सारे दिन देवलिंग शीला की टांगों के बीच चुभता रहा.. लेकिन अब ये चुभन शीला को अच्छी लग रही थी.
शीला रात को सोने लेटी तो उसे याद आया कि देवलिंग को जय करना है..
उसने सलवार का नाड़ा खोल कर देवलिंग निकाला और अपने माथे से लगाया. वो देवलिंग पर पण्डित की फोटो को देखने लगी.
उसे पण्डित द्वारा की गई अपनी तारीफ़ याद आ गई.. अब उसे पण्डित अच्छा लगने लगा था.
कुछ देर तक पण्डित की फोटो को देखने के बाद उसने देवलिंग को वहीं अपनी टांगों के बीच में रख दिया और नाड़ा लगा लिया.
देवलिंग शीला की चूत को टच कर रहा था.. शीला ना चाहते हुए भी एक हाथ सलवार के ऊपर से ही देवलिंग पे ले गई.. और देवलिंग को अपनी चूत पे दबाने लगी. साथ साथ उसे पण्डित की तारीफ़ याद आ रही थी.
उसका दिल कर रहा था कि वो पूरा का पूरा देवलिंग अपनी चूत में डाल ले.. लेकिन इसे गलत मानते हुए और अपना मन मारते हुए उसने देवलिंग से हाथ हटा लिया.
आधी रात को उसकी आँख खुली तो उसे याद आया कि देवलिंग को जय करना है.
देवलिंग का सोचते ही शीला को अपने हिप्स के बीच में कुछ लगा.. देवलिंग कल की तरह शीला की हिप्स में फंसा हुआ था.
शीला ने सलवार का नाड़ा खोला और देवलिंग बाहर निकाला.. उसने देवलिंग को जय किया. उस पर पण्डित की फोटो को देख कर दिल में कहने लगी..
ये क्या पण्डित जी.. पीछे क्या कर रहे थे..?
शीला देवलिंग को अपनी हिप्स के बीच में ले गई और अपने गांड पे दबाने लगी. उसे मज़ा आ रहा था लेकिन डर की वजह से वो देवलिंग को गांड से हटा कर टांगों के बीच ले आई.. उसने देवलिंग को हल्का सा चूत पर रगड़ा.. फिर देवलिंग को अपने माथे पे रखा और पण्डित की फोटो को देख कर दिल में कहने लगी, ‘पण्डित जी.. क्या चाहते हो..? एक विधवा के साथ ये सब करना अच्छी बात नहीं..’
फिर उसने वापस देवलिंग को अपनी जगह बांध दिया.. और गरम चूत ही ले के सो गई.
अगले दिन..
पण्डित- शीला.. शिव को सुन्दर स्त्रियाँ आकर्षित करती हैं अत: तुम्हें श्रृंगार करना होगा.. परन्तु वेदों के अनुसार ये श्रृंगार शुद्ध हाथों से होना चाहिये.. मैंने ऐसा पहले इसलिए नहीं कहा कि शायद तुम्हें लज्जा आये..
शीला- पण्डित जी.. मैंने तो आपसे पहले ही कहा था कि मैं भगवान के काम में कोई लज्जा नहीं करूँगी.
पण्डित- तो मैं तुम्हारा श्रृंगार खुद अपने हाथों से करूँगा.
शीला- जी पण्डित जी..
पण्डित- तो जाओ.. पहले दूथ से स्नान कर आओ.
शीला दूध से नहा आई.
पण्डित ने श्रृंगार का सारा सामान तैयार कर रखा था.. लिपस्टिक, रूज़, आई-लाइनर, ग्लीमर, बॉडी आयल..
शीला ने ब्लाउज और पेटीकोट पहना था.
पण्डित- आओ शीला..
पण्डित और शीला आमने सामने ज़मीन पर बैठ गए.. पण्डित शीला के बिल्कुल पास आ गया.
पण्डित- तो पहले आँखों से शुरू करते हैं
पण्डित शीला को आई-लाइनर लगाने लगा.
पण्डित- शीला.. एक बात कहूँ..?
शीला- जी कहिये पण्डित जी..
पण्डित- तुम्हारी आँखें बहुत सुन्दर हैं तुम्हारी आँखों में बहुत गहराई है.
शीला शरमा गई..
पण्डित- इतनी चमकीली.. जीवन से भरी.. प्यार बिखेरती.. कोई भी इन आँखों से मन्त्र-मुग्ध हो जाए.
शीला शर्माती रही.. वो कुछ बोली नहीं.. बस थोड़ा मुस्कुरा रही थी.. उसे अच्छा लग रहा था.
आई-लाइनर लगाने के बाद अब गालों पे रूज़ लगाने की बारी आई.
पण्डित ने शीला के गालों पे रूज़ लगाते हुए कहा.
पण्डित- शीला.. एक बात कहूँ.. ?
शीला- जी.. कहिये पण्डित जी..
पण्डित- तुम्हारे गाल कितने कोमल हैं जैसे कि मखमल के बने हों.. इन पे कुछ लगाती हो क्या..?
शीला- नहीं पण्डित जी.. अब श्रृंगार नहीं करती.. केवल नहाते वक्त साबुन लगाती हूँ.
पण्डित शीला के गालों पे हाथ फेरने लगा. इससे शीला शरमा रही थी.
पण्डित- शीला.. तुम्हारे गाल छूने में इतने अच्छे हैं कि शिव का भी इन्हें.. इन्हें..
शीला- इन्हें क्या पण्डित जी..?
पण्डित- शिव का भी इन गालों का चुम्बन लेने को दिल करे.
शीला शरमा गई.. थोड़ा सा मुस्कुराई भी.. अन्दर से उसे बहुत अच्छा लग रहा था.
पण्डित- और एक बार चुम्बन ले तो छोड़ने का दिल ना करे.
गालों पर रूज़ लगाने के बाद अब लिप्स की बारी आई.
पण्डित- शीला.. होंठ (लिप्स) सामने करो.
शीला ने लिप्स सामने करे.
पण्डित- मेरे ख्याल से तुम्हारे होंठों पर गाढ़ा लाल रंग बहुत अच्छा लगेगा.
पण्डित ने शीला के होंठों पे लिपस्टिक लगानी शुरू की.. शीला ने शर्म से आँखें बंद कर रखी थीं.
पण्डित- शीला.. तुम लिपस्टिक होंठ बंद करके लगाती हो क्या.. थोड़े होंठ खोलो..
शीला ने होंठ खोले.. पण्डित ने एक हाथ से शीला की ठोड़ी पकड़ी और दूसरे हाथ से लिपस्टिक लगाने लगा.
पण्डित- वाह.. अति सुन्दर..
शीला- क्या पण्डित जी?
पण्डित- तुम्हारे होंठ.. कितने आकर्षक हैं तुम्हारे होंठ.. क्या बनावट है.. कितने भरे भरे.. कितने गुलाबी..
शीला- आप मज़ाक कर रहे हैं पण्डित जी..
पण्डित- नहीं.. शिव की सौगंध.. तुम्हारे होंठ किसी को भी आकर्षित कर सकते हैं तुम्हारे होंठ देख कर तो शिव पार्वती के होंठ भूल जाएं.. वह भी ललचा जाएं.. तुम्हारे होंठों का सेवन करें.. तुम्हारे होंठों की मदिरा पिएं..
शीला अन्दर से मरी जा रही थी.. उसे बहुत ही अच्छा फ़ील हो रहा था.
पण्डित- एक बात पूछू?
शीला- पूछिए पण्डित जी..
पण्डित- क्या आज तक तुम्हारे होंठों का सेवन किसी ने किया है?
शीला ये सुनते ही बहुत शर्मा गई.
शीला- एक दो बार.. मेरे पति ने..
पण्डित- केवल एक दो बार..
शीला- वो ज्यादातर बाहर ही रहते थे.
पण्डित- तुम्हारे पति के अलावा और किसी ने नहीं..!
शीला- कैसी बातें कर रहे हैं पण्डित जी.. पति के अलावा और कौन कर सकता है? क्या वो पाप नहीं होता.
पण्डित- यदि विवश हो कर किया जाए तो पाप है, वरना नहीं.. लेकिन तुम्हारे होंठों का सेवन बहुत आनन्ददायक होगा.. ऐसे होंठों का रस जिसने नहीं पिया.. उसका जीवन अधूरा है.
शीला अन्दर ही अन्दर ख़ुशी से पागल हुई जा रही थी.. अपनी इतनी तारीफ़ उसने पहले बार सुनने को मिल रही थी.
फिर पण्डित ने हेयर-ड्रायर निकाला. अब पण्डित ड्रायर से शीला के बाल सुखाने लगा. शीला के बाल बहुत लम्बे थे.
पण्डित- शीला झूठ नहीं बोल रहा.. लेकिन तुम्हारे बाल इतने लम्बे और घने हैं कि शिव इनमें खो जाएंगे.
उसने शीला का हेयर-स्टाइल चेंज कर दिया. उसके बाल बहुत पफी हो गए थे. आई-लाइनर, रूज़, लिपस्टिक और ड्रायर लगाने के बाद पण्डित ने शीला को शीशा दिखाया.
शीला को यकीन ही नहीं हुआ कि वह इतनी सुन्दर भी दिख सकती है.
पण्डित ने वाकयी ही शीला का बहुत अच्छा मेकअप किया था. ऐसा मेकअप देख कर शीला खुद में सनसनी सी फ़ील करने लगी. उसे पता ना था कि वो भी इतनी एरोटिक लग सकती है.
पण्डित- मैंने तुम्हारे लिए खास जड़ीबूटियों का तेल बनाया है.. इससे तुम्हारी त्वचा में निखार आयेगा.. तुम्हारी त्वचा बहुत मुलायम हो जाएगी. तुम अपने बदन पे कौन सा तेल लगाती हो?
शीला ‘बदन’ का नाम सुन के थोड़ा शरमा गई.. सनसनी तो वो पहले ही फ़ील कर रही थी.. ‘बदन’ का नाम सुनके वो और अधिक सनसनी सी फ़ील करने लगी.
शीला- जी.. मैं बदन पे कोई तेल नहीं लगाती.
पण्डित- चलो कोई नहीं.. अब ज़रा घुटनों के बल खड़ी हो जाओ.
शीला अपने घुटनों के बल हो गई.
पण्डित- मैं तुम पर तेल लगाऊंगा.. लज्जा ना करना.
शीला- जी पण्डित जी..
शीला ब्लाउज-पेटीकोट में घुटनों पे थी..
पण्डित भी घुटनों पर हो गया. अब वो शीला के पेट पे तेल लगाने लगा. फिर वो शीला के पीछे आ गया.. और शीला की पीठ और कमर पर तेल लगाने लगा.
पण्डित- शीला तुम्हारी कमर कितनी लचीली है.. तेल के बिना भी कितनी चिकनी लगती है.
पण्डित शीला के बिल्कुल पीछे आ गया.. वे दोनों घुटनों पे थे.
शीला के हिप्स और पण्डित के लंड में मुश्किल से 1 इंच का फ़ासला था. पण्डित पीछे से ही शीला के पेट पे तेल लगाने लगा.
वो उसके पेट पे लम्बे लम्बे हाथ फेर रहा था.
पण्डित- शीला.. तुम्हारा बदन तो रेशमी है.. तुम्हारे पेट को हाथ लगाने में कितना आनन्द आता है.. ऐसा लग रहा है कि शनील की रजाई पे हाथ चला रहा हूँ.
पण्डित पीछे से शीला के और पास आ गया.. उसका लंड शीला के चूतड़ों की दरार को एकदम टच कर रहा था.
अब पण्डित शीला की नाभि में उंगली घुमाने का लगा.
पण्डित- तुम्हारी नाभि कितनी चिकनी और गहरी है.. जानती हो यदि शिव ने ऐसी नाभि देख ली तो वह क्या करेगा?
शीला- क्या पण्डित जी.?
पण्डित- सीधा तुम्हारी नाभि में अपनी जीभ डाले रखेगा.. इसे चूसता और चाटता रहेगा.
ये सुन कर शीला मुस्कुराने लगी. शायद हर लड़की या नारी को अपनी तारीफ़ सुनना अच्छा लगता है.. चाहे तारीफ़ झूठी ही क्यों ना हो.
पण्डित एक हाथ शीला के पेट पे फेर रहा था.. और दूसरे हाथ की उंगली शीला की नाभि में घुमा रहा था.
शीला के पेट पे लम्बे लम्बे हाथ मारते वक्त पण्डित दो तीन उंगलियां शीला के पेट से ऊपर उठता हुआ ब्लाउज के अन्दर भी ले जाता.
तीन चार बार उसकी उंगलियां शीला के मम्मों के निचले हिस्से पर टच हुईं.
शीला गरम होती जा रही थी.
पण्डित- शीला.. अब हमारी पूजा आखिरी चरण में है. वेदों के अनुसार शिव ने कुछ आसन बताए हैं.
शीला- आसन.. कैसे आसन पण्डित जी..?
पण्डित- अपने शरीर को शुद्ध करने के पश्चात जो स्त्री उस आसन में लेट जाती है.. शिव उससे सदा के लिए प्रसन्न हो जाता है.. लेकिन ये आसन तुम्हें एक पण्डित के साथ लेने होंगे.. परन्तु हो सकता है मेरे साथ आसन लेने में तुम्हें लज्जा आए.
शीला- आपके साथ आसन.. मुझे कोई आपत्ति नहीं है..!
पण्डित- तो तुम मेरे साथ आसन लोगी..?
शीला- जी पण्डित जी..!
पण्डित- लेकिन आसन लेने से पहले मुझे भी बदन पे तेल लगाना होगा.. और ये तुम्हें लगाना है.
शीला- जी पण्डित जी..
ये कह कर पण्डित ने तेल की बोतल शीला को दे दी.. और वो दोनों आमने सामने आ गए. दोनों घुटनों के बल खड़े थे.
शीला ने पण्डित की छाती पे तेल लगाना शुरू किया.
पण्डित ने छाती, पेट और अंडरआर्म्स शेव किये थे.. इसलिए उसकी स्किन बिल्कुल कोमल थी.
शीला पहले भी पण्डित के बदन से आकर्षित हो चुकी थी. आज पण्डित के बदन पे तेल लगाने से उसका बदन और चिकना हो गया. वो पण्डित की छाती, पेट, बाँहें और पीठ पर तेल लगाने लगी.
वह खुद के अन्दर से पण्डित के बदन से लिपटना चाह रही थी. शीला भी पण्डित के पीछे आ गई.. और उसकी पीठ पे तेल मलने लगी. फिर पीछे से ही उसके पेट और छाती पर तेल मलने लगी. शीला के चूचे हल्के हल्के पण्डित की पीठ से टच हो रहे थे. शीला ने भी पण्डित की नाभि में दो तीन बार उंगली घुमाई.
पण्डित- शीला.. तुम्हारे हाथों का स्पर्श कितना सुखदायी है.
शीला कहना चाह रही थी कि पण्डित जी.. आपके बदन का स्पर्श भी बहुत सुखदायी है.. लेकिन शर्म की वजह से ना कह पाई.
पण्डित- चलो.. अब आसन लेते हैं.. पहले आसन में हम दोनों को एक दूसरे से पीठ मिला कर बैठना है.
पण्डित और शीला चौकड़ी मार के और एक दूसरे की तरफ़ पीठ कर के बैठ गए.. फिर दोनों पास पास आए जिससे कि दोनों कि पीठ मिल जाएं.
पण्डित की पीठ तो पहले ही नंगी थी क्योंकि उसने सिर्फ लुंगी पहनी थी. शीला ब्लाउज और पेटीकोट में थी.. उसकी लोवर पीठ तो नंगी थी ही.. उसके ब्लाउज के हुक्स भी नहीं थे, इसलिए ऊपर की पीठ भी थोड़ी सी एक्सपोज्ड थी.
दोनों नंगी पीठ से पीठ मिला कर बैठ गए.
पण्डित- शीला.. अब हाथ जोड़ लो..
पण्डित हल्के हल्के शीला की पीठ को अपनी पीठ से रगड़ने लगा. दोनों की पीठ पे तेल लगा था.. इसलिए दोनों की पीठ चिकनी हो रही थी.
पण्डित- शीला.. तुम्हारी पीठ का स्पर्श कितना अच्छा है.. क्या तुमने इससे पहले कभी अपनी नंगी पीठ किसी की पीठ से मिलाई है..?
शीला- नहीं पण्डित जी.. पहली बार मिला रही हूँ.
शीला भी हल्के हल्के पण्डित की पीठ पे अपनी पीठ रगड़ने लगी.
पण्डित- चलो.. अब घुटनों पे खड़े होकर पीठ से पीठ मिलानी है.
दोनों घुटनों के बल हो गए.
एक दूसरे की पीठ से चिपक गए.. इस पोजीशन में सिर्फ पीठ ही नहीं.. दोनों के हिप्स भी चिपक रहे थे.
पण्डित- अब अपनी बाँहें मेरी बांहों में डाल के अपनी तरफ़ हल्के हल्के खींचो.
दोनों एक दूसरे की बांहों में बांहें डाल के खींचने लगे. दोनों की नंगी पीठ और हिप्स एक दूसरे की पीठ और हिप्स से चिपक गईं.
पण्डित अपने हिप्स शीला के हिप्स पे रगड़ने लगा. शीला भी अपने हिप्स पण्डित के हिप्स पर रगड़ने लगी.
शीला की चूत गरम होती जा रही थी.
पण्डित- शीला.. क्या तुम्हें मेरी पीठ का स्पर्श सुखदायी लग रहा है..?
शीला शरमाई.. लेकिन कुछ बोल ही पड़ी.
शीला- हाँ पण्डित जी.. आपकी पीठ का स्पर्श बहुत सुखदायी है.
पण्डित- और नीचे का..?
शीला समझ गई पण्डित का इशारा हिप्स की तरफ़ है.
शीला- अ..ह्ह..हाँ पण्डित जी..
दोनों एक दूसरे के हिप्स को रगड़ रहे थे.
पण्डित- शीला.. तुम्हारे चूतड़ भी कितने कोमल लगते हैं कितने सुडौल हैं. मेरे चूतड़ तो थोड़े कठोर हैं.
शीला- पण्डित जी.. आदमियों के थोड़े कठोर ही अच्छे लगते हैं.
पण्डित- अब मैं पेट के बल लेटूंगा.. और तुम मेरे ऊपर पेट के बल लेट जाना.
शीला- जी पण्डित जी.
पण्डित ज़मीन पर पेट के बल लेट गया और शीला पण्डित के ऊपर पेट के बल लेट गई.
शीला के चूचे पण्डित की पीठ पर चिपके हुए थे.
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