यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
नमस्कार दोस्तो, मैं राजवीर एक बार फिर आपके सामने हाजिर हूँ अपनी सेक्सी कहानी का दूसरा भाग लेकर!
अभी तक आपने जो कहानी पढ़ी, वो अमित ने लिखी थी, अब आगे की कहानी आप मुझसे यानि राजवीर से सुनेंगे.
कुछ समय बातों का सिलसिला चला हेंग आउट्स पर वॉइस कॉल हुई दोनों में … और वो दिन भी आ गया जब मैं अपने किसी काम से देहली गया था.
अब आगे की कहानी जो घटित हुई!
अमित ने मुझे कॉल कर पूछा- राजवीर आप कहाँ हो?
मैं- जी देहली में हूँ फिलहाल, जिस काम के लिये आया था, वो हुआ नहीं … कल शाम को बुलाया है तो आज यहीं पर रुकूँगा.
अमित- राजवीर जी, अगर आप बुरा न माने तो आज आप हमारे घर आ जाइए.
मैं- नहीं नहीं अमित जी, आप क्यों परेशान हो रहे हो, मैं रह लूंगा होटल लेकर!
काफी देर इसी मसले को लेकर बात हुई लेकिन अंत में अमित की जिद के आगे मुझे झुकना पड़ा.
कुछ देर बाद अमित ने हेंगआउट पर अपना पता भेज दिया.
रात 8 बजे मैंने अमित को कॉल की- मैं आपके घर से कुछ दूर खड़ा हूँ, क्या आप आ सकते हैं?
अमित जल्दी ही मुझे लेने बाहर सड़क पर आ गया.
अमित- आप राजवीर हो?
मैं- जी आप अमित?
अमित- हेल्लो राजवीर आने का शुक्रिया!
मैं- शर्मिंदा मत कीजिये अमित जी.
अमित- चलिये घर तो चलिये.
अमित ने घर के बाहर पहुँचकर डोरबेल बजायी. दरवाजा खुला, लाल रंग की साड़ी पहने बिना बाजू और गहरे गले व कमर पर पट्टी वाले ब्लाउज़ में पूजा का सफेद जिस्म ऐसा दमक रहा था कि मानो बिजली के गुल हो जाने पर भी बिजली की भी जरूरत महसूस न हो. होंठ सुर्ख लाल, सुंदर चेहरा, गदराया हुआ जिस्म देख कर बस लार ही टपक पड़े.
मैंने उसे एक नज़र देखा, नमस्ते की और उसने भी नमस्ते का जवाब मुस्कुरा कर दिया.
कुछ लोग महिलाओं को ऐसे ताड़ते हैं मानो आँखों से ही चोद देंगे. लेकिन यह गलत आदत है. महिला का सम्मान करना चाहिए. वो इतना साज-सिंगार इसलिये करती है कि लोग उसे देखें. लेकिन उसे एकटक ताड़ते रहना उसे भी बिल्कुल पसंद नहीं होता. देखना ही है तो उन्हें चोरी से देखिये … जिस तरह वो मर्दों को ताड़ लेती है और मर्दों को पता भी नहीं चलता.
खैर कहानी पर आते हैं.
पूजा ने मुझे पानी दिया और चाय के लिए पूछने लगी.
तभी अमित बोल पड़ा- पहले आप फ्रेश हो जाइए. फिर आराम से चाय पीते हैं.
मैं नहाकर बाहर निकला और लोअर टीशर्ट पहन ली.
तभी अमित की आवाज आई- राजवीर जी, अगर आप फ्रेश हो गए हो तो आईये; आपका इंतजार हो रहा है.
मैंने देखा अमित ने मेज पर विहस्की और चखना सलाद पनीर सब सजा के रखा है.
मैं- अमित जी, इस सब की क्या जरूरत थी?
अमित- राजवीर जी, अब महफ़िल में शिरकत कीजिये, खास आपके लिए किया है और आप ही ऐसा बोल रहे हैं.
मैं- चलिये अमित जी, ठीक है पेग बनायें आप फिर!
इतना कहकर दोनों हंस पड़े.
कुछ देर बाद पूजा आयी और बोली- अमित खाना भी तैयार है; आप कहो तो लगा दूँ?
अमित- पूजा डॉलिंग, अभी तो शुरू हुआ है. तुम खाने की बात कर रही हो. आओ तुम भी तो थोड़ी सी लो ना!
पूजा न नुकर करने लगी लेकिन मेरे और अमित के जोर देने पर वो मान गयी. दो पेग लगाने के बाद पूजा उठी और बोली- अमित मैं खाना लगाती हूँ!
रोटी, दाल, चावल, पनीर, चखना, सलाद जब ढेर सारा खाना मुँह के आगे हो तो पेट देख कर ही भर जाता है.
अमित था कि पूजा को जबरदस्ती एक पेग और पिला गया. पूजा अभी भी ऐसी लग रही थी मानो उसे चढ़ी न हो. लेकिन उसकी जुबान बयाँ कर रही थी कि मदिरा ने अपना काम करना शुरु कर दिया है.
हम लोगों ने थोड़ा थोड़ा खाना खाया और बाद बैठ कर बातें करने लगे. और करते भी क्यों नहीं … जब नशे में हों तो बात अपने आप निकलने लग जाती है. तीनों को ही नशा था.
अमित- राजवीर जी, आपकी कहानी पढ़ कर मज़ा आ जाता है.
मैं- धन्यवाद अमित जी!
अमित- पूजा तुम भी तो बोलो … तुमको मज़ा नहीं आता क्या?
पूजा सर झुका के मुस्कुरा दी और न में सर हिलाया.
अमित- अच्छा … तुमको मज़ा नहीं आता तो कहानी पढ़कर दो दो बार हस्तमैथुन कौन करता है?
पूजा सकपका गयी और अंदर वाले कमरे में भाग गयी.
अमित- राजवीर जी, मेरी बीवी को भी आपकी कहानी पसंद है सच में!
मैं- जी शुक्रिया!
अमित- राज यार, आज आप भी हो, मैं भी हूँ और मेरी बीवी भी … तो क्या मेरा सपना सच हो सकता है?
अंधा क्या मांगे दो आँखें … जिसे देख के लार टपक पड़ी हो भला उसे कौन मना करेगा.
मैं- जी बिल्कुल … मैं खुद को ख़ुशनसीब समझूँगा अगर पूजा जी की हामी हुई तो!
अमित- वो मान जायेगी. रुको मैं बात करता हूँ!
अमित अंदर रसोई में गया और कुछ देर में वापस लौटा.
मैं- क्या हुआ?
अमित- यार, वो नहीं मान रही है; वो बोल रही है कि उसे शर्म आ रही है. मैंने आपके सामने हस्तमैथुन वाली बात बोल दी ना! अरे यार, ये मुझसे क्या हो गया, सारा प्रोग्राम चोपट कर दिया मैंने! यार, मैं उसे तुमसे चुदते हुए देखना चाहता हूं. यही तो मेरी इच्छा है.
मैं- अमित, तुम पूजा को लेकर अंदर जाओ और उसे गर्म करो. दरवाजा खुला रखना और उसे गर्म करते रहना, जैसे करते हो. आगे तुम समझदार हो.
इतना कहते ही राजवीर ने अमित को आंख मार दी.
अमित समझदार था, उसे सारा मसला समझने में देर नहीं लगी.
अमित पूजा को कमरे ले गया और लाइट बन्द कर नाइट बल्ब जला दिया!
पूजा- अमित क्या कर रहे हो? छोड़ो मुझे … दरवाजा खुला है राजवीर देख लेगा तो?
अमित- नहीं देखेगा जान, वो सो गया है. और देखता है तो देखने दो. उसे भी तो पता चले तुम कितनी खूबसूरत दिखती हो.
पूजा अपनी तारीफ सुनकर खुश हो गयी. होती भी क्यों नहीं … बीवी की कमजोरी ही उसकी तारीफ जो है. और पूजा तो खुद में एक कामुक बला थी.
अमित ने अब पूजा को चूमना चाटना शुरू कर दिया. उसकी सिसकारियाँ बाहर कमरे तक आने लगी थी. उसकी सिसकियों की कामुक आवाज सुन सुन कर मैं अपने बेड से उठकर उनके दरवाजे पर ऐसा खिंचा चला आया मानो कोई नाग सपेरे की धुन को सुन कर आपने बिल से निकल कर सपेरे के पास जा खड़ा होता है!
उधर अमित पूजा के जिस्म से एक एक कपड़ा उतार रहा था इधर मैं पूजा को नंगी होती देख देख कर खुद ब खुद नंगा होता जा रहा था. मेरा लिंग पूजा को आलिंगन देने के लिए बेचैन हो चला था.
तभी अमित ने पूजा की पेंटी उतार दी और उसकी जाँघों को चाटने लगा. अब पूजा बेकाबू होती जा रही थी.
पूजा ने अमित का मुँह अपनी चूत पर रख दिया. अमित ने भी मौके की नजाकत को समझते हुए पूजा की चूत में पूरी जीभ डाल दी और चूसने लगा.
अब पूजा की वासना उसके बर्दाश्त के बाहर हो चुकी थी. उसने अमित के बाल पकड़ कर ऊपर अपनी तरफ खींचा और उसे लन्ड डालने के लिए कहने लगी!
अमित ने भी देर न करते हुए जोर के एक झटके से ही पूजा की चूत में अपना लन्ड घुसेड़ दिया.
पूजा- आहह … आहहह आराम से अमित … फाड़ दोगे क्या?
अमित- मेरी जान तुम्हरी चूत है ही इतनी टाइट कि दो दो लंड भी एक साथ डालने के बाद भी ढीली न हो!
पूजा- शस्श्ह अमित!
अमित- हाँ मेरी जान, सोचो अभी राजवीर भी हमारे साथ बिस्तर में होता तो तुम्हरी गर्दन पर ऐसे चूमता! ऊऊमहा!
पूजा अब चुप होकर मजे लेने लगी.
अमित- जान, जब तुम दो दो मर्दों से चुदाई का मज़ा लोगी तो कितना मज़ा आएगा. तुम्हारे शरीर को दो दो मर्द एक साथ मसलेंगे, एक एक कर झटके मारेंगे.
ऐसा बोलते हुए ही एक जोर का झटका मार दिया.
पूजा बहक गयी- आहह … तेज … और तेज करो.
अमित- कौन करेगा तेज मेरी जान? मैं या राजवीर या दोनों?
पूजा- दोनों करो अहह …
अमित- मेरी जान, मैं तो तेज ही कर रहा हूँ.
अमित के झटके तेज से तेज होते चले गये. पूजा भी पूरा साथ दे रही थी. पूजा का होने ही वाला था कि अमित उससे पहले स्खलित हो गया.
पूजा झड़ने के लिए छटपटाने लगी- अमित करो … करो … मेरा भी होने वाला है. प्लीज़ जल्दी करो!
ये दारू का नशा था जो पूजा स्खलित होने के लिये लालायित थी. नहीं तो शायद बिना पिये तो पत्नीव्रता स्त्री ऐसी स्थिति में मन मार कर रह जाती है. लेकिन काम के वश में पूजा भी सम्भोग का आनन्द लेना चाहती थी. लिहाजा वो अमित से चिपक कर झटके मारने के असफल प्रयास करने लगी.
अमित से उम्मीद हार कर वो खुद की उंगली से ही प्रयत्न करने लगी. उसने अपनी आखें बन्द की ही थी कि तभी मैंने मौके का फायदा उठाते हुए उसके जिस्म को ढक लिया.
पूजा चौंक उठी, उसने मुझसे खुद को छुड़ाने की एक असफल कोशिश की. लेकिन तब तक देर हो चुकी थी.
एक नग्न गर्म औरत के जिस्म पर एक नग्न पुरुष चिपक जाए और कुछ न हो ऐसा सम्भव नहीं!
मैंने पूजा के दोनों हाथों को पकड़ कर उसके सर से ऊपर कर दिया और बेतहाशा उसके गाल गर्दन को चूमने चाटने लगा.
पूजा- राज नहीं … ऐसा मत करो.
लेकिन जब शेर के जबड़े में शिकार आ गया हो तो कभी भी बचता नहीं.
पूजा के लिए एक के बाद एक हमले बर्दाश्त कर पाना मुश्किल हो रहा था. एक तरफ मैं उसके दोनों हाथों को अपने एक हाथ से कस कर दबाये हुए था और दूसरे हाथ से अपने लन्ड को उसकी चूत में रगड़ रहा था. साथ ही मैं उसके गालों पे चुम्बनों को बारिश कर रहा था.
पूजा जवान थी, कमसिन थी और अभी अभी अपने पति से चुदते हुए स्खलित नहीं हुई थी लिहाजा इस समय उसके जिस्म की गर्मी भी बाहर निकलने को आतुर थी.
आप लोगों को कहानी कैसी लगी बताइयेगा; आपकी मेल और हेंगआउट्स का इंतजार रहेगा.
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