नमस्कार दोस्तों, मैं पिछले 10 सालों से अन्तर्वासना का पाठक हूँ. मेरा नाम विशु पटेल है. यूं तो कभी सोचा न था कि सबकी गर्म गर्म कहानी पढ़ते पढ़ते एक दिन अपनी खुद की कहानी लिखूंगा. यह कहानी मेरी सच्ची कहानी है. आशा है कि आप सबको पसंद आएगी.
इस साल में अपनी पढ़ाई खत्म करके बैंक की तैयारी करने के मकसद से कोचिंग जाना शुरू ही किया था कि तभी सूर्य उत्तरायण का त्यौहार मकर संक्रांति आ गया. वैसे तो मुझे इस त्यौहार में कोई खास दिलचस्पी नहीं है. इसलिए मैं छुट्टियों में घर जाने की बजाए हॉस्टल में ही रुक गया. मेरे दोस्त को पता चला तो वो मुझे अपने घर बुला के ले गया.
मैं उत्तरायण स्नान के एक दिन पहले दोस्त के घर गया, तो उसने मुझे सबसे मिलाया. उसके घर में उसके मां पापा और भाई भाभी रहते हैं. उन सबसे मिल कर मुझे बड़ा अच्छा लगा. पर खास करके उसकी भाभी को देखके मुझे कुछ ज्यादा ही खुशी हुई. भाभी का नाम हिना था.
भाभी भी मेरी तरफ देख कर खुश सी लगीं. रात को खाना खाते वक्त भी भाभी मुझे कुछ ज्यादा ही प्यार परोस रही थीं. मुझे कुछ गड़बड़ मामला लगा.
इसके बाद सब लोग बिग बॉस का फिनाले देख रहे थे, तो उसकी एक कलाकार हिना खान भी गज़ब की माल लग रही थी. पर मेरी तो हिना भाभी से नज़र ही नहीं हट यही थी. बिल्कुल जीरो फिगर और मस्त गोल गोल चूचे, ऊपर से नुकीले निप्पल देखकर मेरा मन मचल रहा था. एक दो बार ऐसा हुआ कि मैंने देखा कि हिना भाभी भी मेरी तरफ बड़े अनुराग से देख रही थीं. उनकी निगाहें मेरे चौड़े सीने और मजबूत मसल्स की तरफ ही थीं.
उस रात खाने के बाद सब लोग अगले दिन की उत्तरायण की तैयारी में लग गए. सब हंसी मज़ाक कर रहे थे. मैंने भी हिना भाभी के साथ अच्छी दोस्ती बना ली. उनको मेरा सख्त शरीर और फनी व्यवहार बहुत पसंद रास आ रहा था.
उस रात जब मैं उनके बाथरूम गया, तो वहां उनकी ब्रा पेंटी को देख के मुठ मारी और सोने चला गया. मैं अपने दोस्त के कमरे में सोया था और हिना भाभी का कमरा बगल में ही था. नई जगह होने के कारण मुझे ठीक से नींद नहीं आ रही थी, इसलिए मैं मोबाइल में पोर्न देख रहा था.
तभी मुझे कुछ आवाजें सुनाई दीं. मैं कमरे के बाहर दबे पांव गया और कान लगा कर सुना कि आवाज़ कहां से आ रही है. तभी पता चला कि दोस्त के बड़े भाई और हिना भाभी के बीच में झगड़ा हो रहा है.
इसी झगड़े में भैया जी अपना हाथ भी हिना भाभी पर उठा दिया. यह मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगा; पर क्या करता. मैं चाह कर भी कुछ नहीं कर पाया और सोने चला गया.
अगले दिन सुबह से ही घर में चहल पहल थी. सारा परिवार घर की छत पे इकट्ठा हो गया था और पतंगबाजी का मज़ा लेने लगा.
मेरी नज़र तो सिर्फ हिना भाभी को ही ढूंढ रही थीं. मैंने जब उनको देखा तो वो नीले सलवार सूट में थीं, क्या गज़ब की माल लग रही थीं. तभी मैंने उनको मेरी तरफ देखते हुए पाया और फिर वो नीचे घर में जाने लगीं. उनकी निगाहें मुझे कहती सी लगीं. इधर दूसरी ओर सब लोग पतंगबाजी में व्यस्त थे.
मैं भी न जाने क्या सोच कर उनके पीछे पीछे चल दिया और डायरेक्ट किचन में जा पहुंचा. अचानक मुझे आया देख के वो चौंकने का नाटक सा करने लगीं. फिर मैंने पानी पीने का बहाना करके उनसे पानी लिया और वहीं खड़े रह कर भाभी से बातें करने लगा.
बातों बातों में मैंने रात की बात का ज़िक्र किया, तो वो रोने लगीं और बोलीं- मेरे तो भाग्य ही फूट गए हैं.
मैंने सोचा कि कुछ पैसे आदि की बात से परेशान हैं तो मैंने कहा- भाभी सब ठीक हो जाएगा. समय सबका एक सा नहीं होता.
भाभी- समय निकलने से क्या होगा? क्या वे और मजबूत हो जाएंगे?
भाभी की ये बात सुनकर मैं चकरा गया. मुझे समझ आ गया कि मामला कुछ और ही है.
मैंने पूछा- भाभी मैं समझ नहीं पाया कि मजबूत हो जाएंगे से क्या मतलब हुआ है?
भाभी ने मुझे सब बताते हुए कहा- मेरे पति मुझे खुश नहीं कर सकते और मेरी भूख नहीं मिटा सकते. दूसरी तरफ मेरे सास ससुर को पोता पोती चाहिए, इसी लिए हर रोज रात को मुझे माँ बनाने की कोशिश करने की जगह मुझसे मारपीट करते हैं.
यह सुनकर मुझे बहुत दुख हुआ, पर मेरे मन में ख्याल आया कि भाभी मुझसे कुछ चाहती हैं क्या … एक बार कोशिश करके देखना चाहिए, इस वक्त लोहा गर्म है, हथौड़ा मारने का ये सही वक्त है.
भाभी रो रही थीं, तो मैंने चुप कराने के बहाने से भाभी को अपने गले से लगा लिया और उन्हें चुप कराने के बहाने से सहलाने लगा. मुझे लगा था कि यदि उन्हें गलत लगेगा तो वे मुझे दूर कर देंगी, लेकिन उस सूरत में मुझे ये जताने का बहाना रहेगा कि मैंने तो उनको चुप कराने का प्रयास किया था.
मेरे गले लगाने और उनकी पीठ को सहलाने पर भाभी ने मुझे कुछ नहीं कहा तो मैं अपना हाथ उनकी पूरी पीठ पर फेरने लगा. भाभी ने भी अपना सर मेरी छाती में छिपा दिया और अपनी गर्म सांसें मेरे सीने में छोड़ने लगीं और इसी के साथ उन्होंने भी मुझे अपनी बांहों में भरके ऐसा जताया जैसे वे भी मुझसे चिपक कर चुप होने का बहाना कर रही हैं.
भाभी की चूचियां मुझे महसूस होने लगी थीं, जिससे मेरा लंड खड़ा होने लगा था, जो भाभी के पेट से टकराने लगा था. लंड की चुभन ने भाभी को कुछ अहसास दिलाया और उन्होंने मेरी ओर प्यार से देखा. मैं खुद पे काबू नहीं रख पाया और मैंने हिना भाभी को जोर से चूम लिया.
शायद उन्हें भी इसी बात का इंतज़ार था, वो भी जमके मेरा साथ देने लगीं. मैंने उनके होंठों पर होंठ रख दिए तो हम दोनों में स्मूच होने लगा. हमारी जीभें आपस में खेलने लगीं. भाभी ने मुझे चुदाई का इशारा दे दिया था.
मैंने धीरे से कहा- बच्चा चाहिए न?
भाभी- हां … प्लीज़.
मैंने उनको कमरे में चलने का इशारा किया. फिर हम दोनों उनके बेडरूम में चले गए.
मैं भाभी को बेइंतहा किस करने लगा. मैंने उनके मम्मों को जोर जोर से दबाने लगा. हिना भाभी भी फॉर्म में आ गई थीं. उन्होंने मेरा लौड़ा पकड़ लिया, तो उनको पेंट के अन्दर से लंड तम्बू बनाये हुए लंड मजा देने लगा. फिर मैंने धीरे से उनकी सलवार का नाड़ा खोल दिया. सलवार गिर गई, सामने काली पेंटी के दीदार हुए. मैंने टांगों में फंसी सलवार को निकाला. इसके बाद उनकी काली ब्रा को फाड़ दिया और मस्त गोलगोल मम्मों को चूसने लगा. वो आहें भर रही थीं और मैं मम्मे चूसे जा रहा था.
उसके बाद मेरा लंड बाहर निकाल कर वो लंड को हसरत से सहलाने लगीं.
मैंने कहा- मुँह में लो न!
वे बोलीं- वो सब फिर कभी. अभी कोई नीचे आ सकता है. तुम पहले इसे मेरी चूत में डाल दो.
मैंने उनके दोनों पैर फैलाए और उनकी चुत चाटने लगा. मैं पहले से ही चूत चाटने में एक्सपर्ट हूँ, तो मुझे पता था कि किसी औरत को कैसे चुत चाट कर मज़ा दिया जाता है.
दो ही मिनट में भाभी एकदम पागल हो गईं और लौड़े के लिए तड़पने लगीं. मैंने मेरा 7 इंच का मोटा लंड उनकी चुत पर टिका दिया और उनको इशारा करते हुए अन्दर डालने के लिए धक्का दे दिया पर लंड फिसल गया.
भाभी की चुत अभी उतनी खुली नहीं थी. मैंने फिर से जोर लगाया और चुत को फाड़ते हुए पूरा लौड़ा चुत में घुसेड़ दिया. वो दर्द से रोने लगीं, पर उनके आंसू खुशी के थे. मैंने उनके बूब्स चूसना चालू रखा और धीरे धीरे चोदना शुरू किया.
कुछ ही देर में लंड ने चूत से चिकनाई निकाल ली थी और सटासट अन्दर बाहर होते हुए भाभी को रगड़ाई चालू हो गई. ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ करके भाभी भी मेरा साथ देने लगीं.
बाहर पतंग काटने का शोर था और कमरे में चुत तो ठोकने का शोर था.
करीब बीस मिनट तक चुदाई चालू रही और फिर मैंने भाभी की चुत को अपने वीर्य रस से भर दिया. हम दोनों ने एक दूसरे को चूमा और अलग हो गए. फिर हमने कपड़े पहने और छत पे चल दिये.
उनकी सास ने पूछा- कहां थीं तुम?
मैंने कहा कि भाभी मुझे चाय नाश्ता खिलाने ले गई थीं.
उसके बाद हम सभी ने पतंग बाजी का मज़ा लिया और दिन खत्म किया.
उस दिन से आज तक वो मेरी बेस्ट चुदक्कड़ फ्रेंड बन गई हैं और जब भी मौका मिलता, वे मुझे चोदने बुला लेती हैं.
दोस्तो, यह थी मेरी हिंदी सेक्स कहानी जो दोस्त की भाभी के साथ हुई. मैंने पहली बार लिखने की कोशिश की है, मुझे यकीन है कि मुझसे कोई न कोई गलती जरूर हो गई होगी. पर आप सबसे रिक्वेस्ट है कि कहानी की गलतियों को नजरअंदाज करके भाभी की चुदाई का मजा लीजिएगा.
मुझे मेल करके जरूर बताइये.
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