हेलो दोस्तों, मैं पिछले कई सालो से इसकी नियमित पाठिका रही हूँ और ऐसी कोई रात नही जाती जब मैं इसकी सेक्सी स्टोरीज नही पढ़ती हूँ. आज मैं आपको अपनी कहानी सूना रही थी. आशा है की ये आपको बहुत पसंद आएगी.
मेरा नाम सृष्टि है. मैं बहलोल पुर में रहती हूँ. मेरी उम्र अभी 32 साल हैं. मै बहुत ही गोरी हूँ. मेरी आँखे ब्राउन है. जिसको देखकर सभी लोग मेरी तरफ आकर्षित हो जाते हैं. मेरे मम्मे बडे सख्त है. उस पर लगे दोनों निप्पल हमेशा ही खड़े रहते है. मेरे पति रोज रात को उससे खेलते हैं. जब मैं चलती हूँ तो दोनों उछल उछल कर मर्दो के लौडो में आग लगा देते हैं. मेरी गांड़ बहुत कम ही निकली हुई है. मेरी जवानी के कई सारे दीवाने है. मैंने अब तक अपने पति के अलावा किसी और मर्द का लौड़ा नहीं छुआ है. लेकिन एक ही लौड़ा रोज खाने से मेरा दिल भर गया. मै दूसरे लौड़े को खाने का इंतजार कर रही थी. मेरी तमन्ना इतनी जल्दी भगवान पूरी कर देंगे मुझे नहीं पता था.
दोस्तों मेरे पति एक डॉक्टर हैं. उनका नाम दीपक है. मैं भी एक टीचर हूँ. उनकी उम्र हमसे ज्यादा है. वो इस समय 35 साल के हैं. जब वो 30 साल के थे और मै 25 साल की थी. तब हम दोनो की शादी हो गई थी. पहली बार मेरी चुदाई कर मेरे पति ने ही मेरी सील तोड़ी थीं. बहुत खून निकला था. मेरे पति के एक बहुत अच्छे दोस्त हैं. उनका नाम अशोक है. बहुत ही स्मार्ट और हैंडसम लगता है. मेरा मन तो पहली बार ही देखकर उससे चुदने को होने लगा. लेकिन मेरे पति की बीच में आ रहे थे. उसका गोरा बदन बिलकुल ही मस्त लग रहा था. उसका लौड़ा हमेशा चैन को उठाये रहता था. मेरा मन उसका लौड़ा खाने को मचलने लगा.
मैनें उससे चुदने का सपना देखना भी शुरू कर दिया. वो अक्सर मेरे घर पर आता था. उसका घर भी पास में ही था. वो भी डॉक्टर ही था. इसीलिए दोनों की अच्छी दोस्ती थी. उसका मेरे सामने आना कहर ढाने लगा. मै जल्द से जल्द उसका लंड खाना चाहती थी. उसकी बीबी कुछ खाश अच्छी नहीं थी. साँवले रंग की थी. चौड़ी नाक आँखे छोटी छोटी थी. वह जब भी आता तो मेरे पति के सामने अपनी बीबी की बुराई करता. मेरी बहुत ही तारीफ़ करता था.
मुझे उससे तारीफ़ सुनना बहुत ही अच्छा लगता था. मुझे खुश देख़ कर मेरे पति कहते- “भाई तू ही रख ले मेरी बीबी को” कहकर हँसने लगते. उन्हें क्या पता था. उनकी बीबी सच में उसको चाहती है. एक दिन मेरे पति काम से कही बाहर गए हुए थे. अशोक ने मेरे घर ही आना बंद कर दिया. दो दिन हो गया. अशोक नहीं आया. मैंने तीसरे दिन अशोक के पास फ़ोन मिलाया.
मै- “क्या बात है तुम क्यों नहीं आ रहे हो. बीबी अच्छी लगने लगी क्या??”
अशोक- “नहीं ऐसी कोई बात नहीं हूं. दीपक घर पर नहीं है तो नहीं आ रहा था”
मैं- “सारा मतलब तुम्हे दीपक से ही है. मुझसे कुछ नहीं”
अशोक- “गुस्सा न हो जाए मैं इसलिए नहीं आया. कहीं कोई गलत न सोचने लगे. तो प्रॉब्लम हो जायेगी”
मै- “अच्छा क्या सोचेगा कोई”
अशोक- “हम दोनों ही किसी घर पर हो तो कोई क्या सोचेगा. ये तो तुम समझ ही सकती हो”
मैं- “मुझे कुछ समझ नही सुनना. आज तुम आ रहे हो या नहीं”
अशोक-‘ “आ रहा हूँ कुछ देर बाद”
कुछ देर बाद अशोक आ गया. मै उसे देखते ही खुश हो गई. अशोक आते ही मुझसे कहा- “कही आप गुस्सा तो नहीं हैं”
मै- “नहीं मैं क्यूँ गुस्सा हूँगी. मुझे तो गुस्सा होना भी नहीं आता”
अशोक ने पीछे आकर मुझे चिपक गया. मै मन ही मन खुश हो रही थी. अशोक का लौड़ा पीछे मेरी गांड़ को छू रहा था. मैं और अशोक बैठ कर बात करने लगे. अशोक ने अपनी बीबी की दुखभरी कहानी बताने लगा. जो अब तक अपने खाश दोस्त दीपक से भी नहीं बताई थी. मै अशोक के पास जाकर चिपक कर कहने लगी-” सब ठीक हो जायेगा”
अशोक को सहलाते हुए बैठी थी. अशोक ने कहा-” आओ दूर हो जाइये नहीं तो कोई देख लेगा तो प्रॉब्लम हो जायेगी.
मै- “तो आज प्रॉब्लम ही हो जाने दो”
अशोक समझ गया. आज मैं चुदवाने के मूड में हूँ. भला कोई मर्द अपने हाथ से मौक़ा क्यों जाने देता. अशोक ने कहा- “हम लोग अंदर चल कर बात करते है”
हम दोनों अंदर अपने रूम में जाकर बात करने लगे. मै बिस्तर पर लेट गई. वो बैठा रहा. मैंने कहा- “अच्छा नहीं लगता मै लेटी हूँ तुम बैठे हो” तुम भी लेट जाओ. हम दोनो लेट गए. अशोक धीऱे धीऱे मेरे करीब आकर चिपकने लगा. मेरी बेचैनी बढ़ती जा रही थी. अशोक मेरे करीब आ गया. उसने मेरे कान में कहा- “क्या जो मैं चाह रहा हूँ. तुम भी वही चाहती हो”
मै- “ये तो मैं तुम्हे पहली बार देखते ही चाहने लगी थी. लेकिन मेरे पति बीच में आ जाते थे”
अशोक- “मतलब आग दोनों तरफ लगी हुई थी. मैं भी बहुत दिनों से चाहता था”
इतना कहकर अशोक मेरी आँखों में आँखे डाल कर मेरे होंठो पर अपना होंठ रख दिया. मेरी आँखे बंद हो गई. उसके बाद सिर्फ मै महसूस कर रही थी. उसकी नाजुक से लाल लाल होंठ मेरी गुलाबी होंठ को चूस रहे थे. पहली बार मुझे कोई इतना अच्छा किस का एहसास करा रहा था. मैं जोश में आने लगी. मेरी साँसे गर्म होने के साथ साथ तेज भी होने लगी. मेऱा दिल जोर जोर से धड़कने लगा. धड़कनों की आवाज बाहर सुनाई देने लगी. उसने मुझे जोर से चिपका लिया. मै उसके ऊपर अपनी गर्म गर्म साँसे छोड़ रही थी. वो भी जोश में आ रहा था. उसने मेरे गले पर किस करना शुरू किया.
गले को किस करते हुए मेरे कान को अपने दांतों के बीच में फसाकर कर काटने लगा. मेरी तो जान ही निकली जा रही थी. मैं उसे कस कर दबा रही थी. उस दिन मैंने साडी और पीछे से डोरी वाला ब्लाउज पहना हुआ था. उसने मुझे खड़ा किया. दीवाल की तरफ मुह करके खड़ी हो गई. उसने मेरी ब्लाउज की डोरी को खोल कर पीठ पर अपना हाथ फिराने लगा. मुझे बहुत नए तरह का प्यार बहुत ही अच्छा लग रहा था. मेरे दोनों नीबुओं को स्वतंत्र कर दिया. झूलते हुए मेरे बड़े बड़े नीबुओं को अपने मुह में उसने रख लिया. नीबुओं के निप्पल को मुह में लगा कर उसका रस पीने लगा. मीठे नीबुओं को दबा दबा कर उसका मीठा रस पी रहा था. मैं उसका सर अपनी चूंचियो में दबा रही थी. मेरी चूंचियो को काट काट कर पी रहा था.
मेरी तो मुह से सिर्फ “…अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ….अअअअअ…आहा …हा हा हा” की आवाज ही निकल रही थी. मै चुदने को तड़प रही थी. मेरे पीठ पे चुम्बन करता हुआ नीचे की तरफ बढ़ रहा था. मेरी साडी नीचे आधी गिरी हुई था. मेरी आधी साडी को द्रोपदी की तरह खींच कर निकाल दिया. मै काले गहरे रंग की पेटीकोट में बहुत ही जबरदस्त लग रही थीं. उसने मुझे उठाकर बिस्तर पर पटक दिया. नाड़ा खोलकर मेरी पेटीकोट को निकाल कर पैंटी के ऊपर से ही चूत पर हाथ फिराने लगा. मेरी चूत पानी छोड़कर कर गीली हो गई. पैंटी भी भीगी भीगी लग रही थी. अपनी ऊँगली को नाक पर लगाकर उसने मेरी चूत के रस को सूंघ कर मेरी पैंटी निकाल दी. दोनो टांगो को खोल कर मेरी चूत के दर्शन करने लगा. मेरी चूत के दर्शन करते ही अपना मुँह लगा दिया. मेरी रसीली चूत को चाटकर उसका पूरा आनंद लेने लगा. चूत के किनारे किनारे अपना जीभ लगा कर मेरी चूत से पानी निकलवा रहा था.
पानी धार बनाकर बह रहा था. उसने मुह लगाकर सारा माल पी लिया. अपना जीभ अंदर तक डाल कर उसने मेरी चूत की रस चाट रहा था. इतना मीठा रस तो उसने आज तक नहीं चखा होगा. मुझे बहुत मजा आ रहा था. मैंने भी उसका पैजामा निकाला. उसने कच्छे को निकालकर फेंकते हुए मैंने अपना लंड निकाला. देखते ही देखते उसका लंड 10 इंच का हो गया. मैं अपनी हाथ में लेकर मुठ मारने लगीं. उसका मोटा लौड़ा मेरे हाथ में आ ही नही रहा था. मैंने उसके लौंडे का टोपा अपने मुह में भर लिया. मैने आइसक्रीम की तरह चाट चाट कर उसका टोपा गुलाबी कर दिया.
इतना गोरा डंडा मैंने आज तक नहीं देखा था. वो मेरी मुह में पूरा लंड घुसाने लगा. उसका पूऱा लंड मेरी मुह में घुसकर गले तक मुझे चोदने लगा. मै उचक उचक कर “…ही ही हीअ अ अ अ …अहह्ह्ह्हह उहह्ह्ह्हह…उ उ उ…” कर रही थी. मेरी साँसे फूलने लगी. मैंने उसका लौड़ा निकाला. दोनों गोलियां रसगुल्ले जैसी लग रही थी. मैंने एक एक रसगुल्ला अपनी मुह में रख कर चुसा रही थी. क्या मजा आ रहा था उसे चूसने का. उसने मुझे लिटाया. उसके बाद उसने मेरी टांगो को खोल दिया. अपना लंड मेरी चूत पर रख कर रगड़ने लगा. वो अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ रहा था. मेरी चूत बहुत ही गर्म हो गई. मै अपना सर पटक पटक कर चुदवाने को तड़पने लगी. उसका मोटा लंड अभी भी गर्म हो रहा था.
पहली बार मैं चुदने को इतना तड़पी थी. मैने उसका लंड अपनी चूत में डालने के लिए पकड़ लिया. मैं कुछ बोल नहीं पा रही थी. इतना ज्यादा गर्म हो चुकी थी. उसका लौड़ा अपनी चूत के छेद पर लगाने लगी. लगाते ही उसने जोर का धक्का मारा. उसका आधे से कम लौड़ा मेरी चूत में घुस गया. वो जोर जोर से “आ आ आ अह्हह्हह…..ईईईईईईई……ओह्ह्ह्…..अई….अई…अई….अई–मम्मी…” चिल्लाने लगी. मेरी चूत बहुत जोर जोर से दर्द करने लगी. पहली बार मेरी चूत अच्छे से फटी थी. 4 इंच मोटी सुरंग बन गई मेरी चूत में.
मेरी चूत के सुरंग में वो अपनी रेलगाड़ी धीऱे धीऱे चलाने लगा. उसके रेलगाड़ी की स्पीड बढ़ती ही जा रही थी. मेरी चूत से घच घच की आवाज आ रही थीं. आवांजो के साथ मेरी चुदाई हो रही थी. अपना लौड़ा मेरी चूत में डाल डाल कर चोद रहा था. मेरा दर्द आराम होते ही मैं भी अपनी चूत उठा उठा कर चुदवा रही थी. इतना मजा आज तक मेरे पति ने नहीं दिया था. जितना मुझे अशोक चोदकर दे रहा था. चुदाई की प्यास बुझने जे बजाय बढ़ने लगी. उसने मुझे उठाया. मुझे उठा कर गोद में ले लिया. अपना लंड मेरी चूत में लगा कर बहुत ही तेजी से मुझे उछाल उछाल कर चोद रहा था.
मुझे झूला झूल कर चुदना बहुत अच्छा लग रहा था. इतनी तेज की चुदाई को मै देख़ कर दंग रह गई. मैंने उसका गला जोर से पकड़ लिया. अपना डंडा मेरी चूत में डाल डाल कर निकाल रहा था. मुझे उसके डंडे से डर लग रहा था. मेरी चूत ढीली हो गई. वो पूरे जोश के साथ मुझे चोद रहा था. उसके इस रूप को देख कर मेरी चूत कुछ ज्यादा ही फट रही थी. वो भी मुझे गोद में लिए लिए थक गया. मुझे नीचे उतार दिया. मै नीचे खड़ी थी. वो बिलकुल पागलों की तरह मेरी चूत के पीछे ही पड़ा था. उसने मेरी टांग को उठाया.
मै दीवाल का सहारा लिए हुए अपनी टांगो को फैलाये उसका लंड अपनी चूत में ले रही थी. उसका लौड़ा बहुत ही बेहरमी से मेरी चूत को फाड़ता जा रहा था.
मैं एक टांग पर खडी होकर चुदवा रही थी. मैं भी एक टांग पर खड़ी होकर थक गई. मै भी लेट गई. अशोक मेरे ऊपर लेट कर मुझे चिपका लिया. एक बार फिर हम दोनों अपना थका उतारने के लिए चिपक कर चुम्मा चाटी करने लगे. कुछ देर तक चुम्मा चाटी करने के बाद मैंने उसका लंड पकड़कर कुछ देर तक मुठ मारा. लंड के खड़े होते ही मैं उस पर अपनी चूत रख कर बैठ गई. मै भी अपना जोश दिखा रही थी. औरतों में कितना जोश होता है. उसका लंड अपनी चूत में लेकर “…उंह उंह उंह हूँ… हूँ…. हूँ… हममम म अहह्ह्ह्हह…अई…अई….अई…” की आवाज निकाल करबहुत ही जल्दी जल्दी ऊपर नीचे हो रही थी.
वो भी अपनी कमर उठा उठा कर खूब जोर जोर से लंड मेरी चूत में धकेल रहा था. लंड के चूत में घुसते ही मुझे बहुत मजा आ जाता था. जी करता इसका लंड अपने चूत में ही काट कर रख लूं. मेरी चूत के नाले से पानी का प्रवाह होने लगा. उसका पूरा लंड उस जल से भीग गया. झाँटे भी उस पानी से भीग गई. अशोक अपनी उंगलियों को मेरे चूत के त्यागे गए पानी में डुबो कर चाट रहा था. उसे मेरे चूत का रस बहुत पसंद आया. बार बार वो यही कार्यक्रम अपना रहा था.
मेरी चूत का नाला पूरा कचरे से भर गया. चूत का कचरा करके अशोक मेरी गांड़ मारने के लिए मुझे उठाने लगा. ऊपर नीचे होकर मै थक गई थी. मै लेट गई. उसने कुछ देर तक मेरे मम्मो को दबा कर मुझे गर्म किया. फिर उसने मुझे कुतिया बनाकर खुद घुटनो के बल खड़ा होकर मेरी गांड़ में अपना मोटा लंड घुसाने लगा. 4 इंच मोटा लौड़ा आसानी से मेरी गांड़ में नहीं घुस रहा था. मैंने उसे मना किया. रहने दो अशोक गांड़ की चुदाई न करो.
बहुत दर्द करता है. मैं चल भी नहीं पाती हूँ बाद में. उसने मेरी एक ना सुनी. अपना लंड मेरी चूत में डाल कर ही दम लेने वाला था. उसने बार बार कोशिश की लेकिन हर बार नाकाम रहा. इतना मोटा लौड़ा मेरे पति का था ही नहीं जो पहले से ही सुरंग बनाये रहते. काफी थूक लगाने के बाद आखिर कर उसके लंड ने मेरी गांड़ फाड़ ही डाली. मेरी गांड़ में उसके टोपे से ज्यादा लौड़ा घुस गया. मै जोर से “आऊ…आऊ….हमममम अहह्ह्ह्हह. ..सी सी सी सी…हा हा हा…” की आवाज निकाल कर चिल्लाने लगी. मुझे बहुत दर्द होने लगा. दर्द के मारे मै तड़प रही थी. उसे कोई असर नहीं पड़ रहा था. उसने फिर से एक बार झटका मारा. इस बार पूरा लंड मेरी गांड़ में घुसा दिया. इतना बड़ा मोटा लंड खाकर मेरी गांड़ की स्थिति बिगड़ गई.
आज मेरी गांड़ की छोटी छेद बड़ी हो गईं. मेरी कमर पकड़ कर उसने अपना लौड़ा बहुत ही तेजी से मेरी गांड़ में अंदर बाहर करने लगा. मै जोर जोर से “ हूँउउउ हूँउउउ हूँउउउ….ऊँ ऊँ ऊँ….ऊँ सी सी सी सी…हा हा हा….ओ हो हो….” की चीख निकालती रही. कुछ देर बाद ये चीख बंद हुई. उसने अपना लौड़ा निकाल लिया. अपना लंड मेरी मुह में रख कर सारा माल झड़ दिया. मैंने उसका सारा माल पी लिया. इतना जबरदस्त गाढ़ा माल पीकर बहुत ही मजा आया. हम दोनों नंगे ही लेट गए. कुछ देर लेटने के बाद हम दोनो ने जाकर खूब नहाया. उसके बाद अपना कपङा पहन कर वो घर चला गया. हम दोनों जब भी मौक़ा पाते हैं. जी भर कर चुदाई करते हैं.