सभी दोस्तों को प्रणाम. मैंने अन्तर्वासना पर प्रकाशित सबकी कहानियों को पढ़कर सोचा मैं भी अपने एक आपबीती लिखूँ।
यह कहानी मेरी यानि अमित और दिव्या की है। कहानी 3 साल पुरानी है।
मेरे ऑफिस में एक औरत ने ज्वाइन किया था उसका नाम दिव्या था।
सबमें बहुत चर्चा थी कि यह औरत बहुत तेज़ है।
कुछ ने कहा कि बहुत बड़ी चुदक्कड़ है।
मैं हैरान था कि क्या सही में ये ऐसी ही इतनी खुश मिजाज़ है.. सबसे बात करने वाली है.. या लोग सिर्फ़ अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आते है, इसलिए इसके विषय में ऐसा कह रहे हैं।
खैर.. भगवान को शायद कुछ और मंजूर था, उसकी सीट मेरे पास हो गई, उससे मेरी बात शुरू हुई।
आम ऑफिस के अन्य सहकर्मियों की तरह थोड़ा छेड़छाड़ भी हुई।
वो इतना हँसती और ऐसे शरमाती थी.. जैसे सच में वो खुद को और छेड़ने का आमंत्रण दे रही हो।
उसकी बहुत अच्छी स्माइल थी। उसका शरमाना ऐसा कि उससे नाज़ुक और उससे ज़्यादा कमसिन कोई नहीं हो। वो 32 साल की होकर भी लड़कों से बहुत घुलमिल कर रहती थी।
एक दिन मैंने पूछा तो उसने बताया कि उसका पति साइंटिस्ट है और एक बेटी भी है।
शायद वो अपने पति से थोड़ी उखड़ी सी थी। जब उसकी तारीफ करो तो कहती शायद मेरा पति इस बात को समझता।
मुझे समझ आ गया कि इसका पति इसे परेशान करता होगा।
खैर कुछ दिन बीते.. एक दिन शाम को एक अंजान नंबर से फोन आया।
ये दिव्या ही थी.. वो बोली- मुझे तुमसे कुछ काम है।
मैंने फोन पर ही मदद की बात कही, तो उसने कहा- फोन पर थोड़ा समझ नहीं आ पाएगी।
मैंने कहा- चलो आकर मिलता हूँ।
वो नज़दीक ही रहती थी।
मैं उससे मिला, बात हुई.. आते हुए मैंने हाथ मिलाया.. तो वो थोड़ा झिझक रही थी।
मैंने पूछा तो कहती है- मैं ऐसे हाथ नहीं मिलाती.. अजीब लगता है।
पर उसने मुझसे हाथ मिलाया और कहा- तुम गर्म हो.. मतलब तुम अपनी गर्लफ्रेंड के लिए वफ़ादार रहोगे।
मैंने कहा- तो अच्छा है ना तुम्हारे लिए.
वो शर्मा गई।
फिर उससे मुलाकात होने लगी।
वो हर बात मुझसे शेयर करती, उसने अपने पति के बारे में बात करनी शुरू की।
अब सब कुछ खुल कर होने लगा।
एक दिन वो यूं ही खुलते हुए बोली- मेरा पति मुझको सिर्फ़ चोदने के लिए इस्तेमाल करता है। जब भी ऑफिस से आता.. वो मुझको नंगी करता और चढ़ जाता। चाहे मेरा मन हो या ना.. वो मुझे ज़बरदस्ती चोदता है।
यह बता कर वो काफ़ी उदास हो गई।
मैं उसकी तरफ ही देख रहा था।
वो आगे बोली- मेरा पति कहता है कि चुदाई करना.. ऑफिस की टेन्शन मिटाने का सबसे बढ़िया उपाय है। उसको मना करो.. तो वो मुझको धक्के देकर कमरे से निकाल देता है।
मैं हैरान होकर उसकी बातों को सुन रहा था।
उसने बताया- मैं इस सबसे परेशान होकर एक और लड़के के चक्कर में पड़ गई, जिसने मुझे प्यार के जाल में फंसाया और मेरे पैसे लूटे। कई बार मेरा जिस्म इस्तेमाल किया, जबकि मैं उससे प्यार करने लगी थी। मैं उस लड़के के लिए अपने पति को छोड़ कर बंगलोर आ गई थी। आज मैं घरवालों से बात को छिपा कर अपनी बेटी उनके पास छोड़कर यहाँ काम कर रही हूँ।
मुझे उसकी बातों से लगने लगा था कि वो काफ़ी सताई हुई है। मुझे उस पर दया आ गई और मैं उसके करीब हो गया।
मैं उसको खुश करने के लिए मज़ाक में छेड़ने लगा और उससे कहा- मेरी गर्ल-फ्रेण्ड बनोगी?
वो बोली- मैंने प्यार तो बहुत कर लिया अब ना होगा।
मैं चुप हो गया।
पर वो मुझे खोना भी नहीं चाहती थी। वो मुझसे हमेशा कहती रहती कि लड़की को पटाना हो.. तो आगे बढ़ना सीखो।
उसका एक मुँह बोला भाई भी था, जो उसको नशा करवा के चोदता था। वो उससे तंग आ गई थी।
एक दिन उसके पास उस भाई का फोन आया तो वो रोने लगी। मैंने उसका हाथ थामा और चूम लिया। वो अपना गम भूल कर मुस्कुरा दी।
फिर मेरे हाथ को लेकर वो फोन सुनने लगी कि अचानक वो मेरा हाथ अपने बोबे पर ले गई और मेरा हाथ उसके चूचे को महसूस करने लगा।
तभी वो अचानक चौंक गई और शर्मा गई।
फिर मैं उसके माथे को चूम कर जाने लगा।
उसने कहा- तुम मत आया करो।
मैंने कहा- पक्का..?
हँस कर बोली- प्लीज़ मुझे मत छोड़ना।
मैंने कहा- ओके.. नहीं छोडूंगा।
मैं उसके गले से लग गया।
कहती- अब मुझे छोड़ो.. और जाओ..
मैं चला गया।
उसने मुझे फोन किया.. कहती है- तुम मेरे गले से मत लगा करो।
मैंने कहा- क्यों?
कहती- कुछ होता है।
मैंने कहा- कहाँ?
‘तुम बहुत शरारती हो..’
फिर वो हँस दी।
मेरे साथ बाइक पर आते-जाते कहती- ब्रेक मत मारो.. और कितना दबाओगे।
मेरा लौड़ा गरम होकर खड़ा हो जाता.. तो हँसने लगती।
एक दिन वो मेरे कमरे में आई। मुझसे बात करने लगी।
मैंने कहा- मुझे तुमको चूमना है।
बोली- नो..
मैंने कहा- हाँ..
और मैंने उसका गाल चूम लिया।
वो- मैं शादीशुदा हूँ।
तो मैंने कहा- चुम्मा अच्छा नहीं लगा?
कहती- नहीं ऐसी बात नहीं..
मैंने उसको और चूमा।
फिर यह सिलसिला चलने लगा। बहुत जल्दी ‘वो’ दिन भी आ गया।
एक दिन वो बहुत परेशान थी।
मैंने कहा- क्या हुआ?
कहती- पति फोन करके तलाक़ देने का बोल रहा है।
वो बहुत परेशान थी।
मैंने उसको गले से लगाया.. तो थोड़ी शांत हुई।
फिर अचानक से मैंने उसके होंठ चूमे तो उसने कुछ ना कहा।
मैंने फिर से चूमा.. तो वो खुद से लेट गई।
मैंने भी अचानक से उसके ऊपर लेटकर उसको चूमना जारी रखा.. तो उसने साथ देना शुरू कर दिया।
मैंने उसके बोबे दबाए.. तो वो और गर्म हो गई, फिर अचानक वो मुझसे कसके लिपट गई.. जैसे कह रही हो कि आओ मेरी प्यास बुझाओ।
मैंने उसकी टी-शर्ट उठा कर उसके बोबे दबाए और ब्रा उतार दी।
क्या बोबे थे.. एकदम मस्त.. और निप्पल तो बस कातिलाना थे।
मैंने हल्का सा काटा तो उसने टाँगें उठा कर मेरी कमर से लपेट लीं।
बस फिर मैंने नीचे आकर उसकी पैन्ट निकालना चाही.. तो उसने पहले मना किया।
मैंने कहा- चाहती नहीं क्या?
तो थोड़ी देर में वो मान गई, उसने फिर अपनी चूत सिकोड़ ली।
मैंने चूत में उंगली डाल दी.. तो उसने ‘आ.. उहह’ शुरू कर दी.. और टाँगें खोल दीं।
अब उसने भी मेरी शर्ट उतार कर मेरी छाती चूमनी शुरू कर दी।
अब मैंने अपने लंड निकाल कर उसके मुँह में देने लगा।
कहती- नहीं.. यह ग़लत है।
मैंने कहा- प्लीज़ आज मत रोको.. क्या मेरे प्यार भरोसा नहीं है?
उसने मेरी तरफ प्यार से देखा और मुँह में लेकर मेरा लौड़ा चूसने लगी।
फिर उसने कहा- तुमने पहले चुदाई की है?
मैंने कहा- नहीं।
तो बोली- मुझे प्रेग्नेंट मत कर देना।
मैंने उसकी बात को सुन कर लौड़ा चूत में पेल दिया।
हाय क्या मस्त चुदाई हुई.. उसने भी क्या गाण्ड उठा कर साथ दिया.. मजा आ गया।
पूरी दम से चोदा और फिर उसकी गाण्ड में उंगली की.. तो कहती है- नो.. आज उधर नहीं।
‘ओके..’
कुछ देर यूं ही पड़े रहने के बाद उसने कहा- अब जाने दो यार.. दो बज गए।
वो उठी तो सामने शीशे में उसके उछलते बोबे देखकर मैं फिर उत्तेजित हो गया और उसको पीछे से पकड़ कर बिस्तर पर गिर गया।
मैं उसके बोबे चूसने लगा तो उसने कहा- तुम मुझे इतना प्यार मत करो.. डर लगता है।
मैंने कहा- क्यों?
तो कहती है- यह ग़लत है.. भगवान ने मुझे सच्चा प्यार दिया।
फिर हमने दीवार के साथ लग कर एक बार फिर से चुदाई की। अब तो यह सिलसिला चलने लगा। हर हफ्ते एक-दो बार चुदाई पक्के में होने लगी।
उस औरत के साथ मेरी ये वफा भरी कहानी जारी रहेगी। दोस्तो यहाँ से हमारे जिस्मानी सम्बन्धों की शुरुआत हुई थी। ये मेरी लाइफ का पहला मौका था। मुझसे लिखने में कहीं कोई ग़लती हुई हो तो माफ़ कीजिएगा।
आपके कमेंट्स का इन्तजार रहेगा।
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