नमस्कार दोस्तो, मैं अमित सेठ आपका स्वागत करता हूँ. यह कहानी मेरी दोस्त नेहा जी की सहेली की कहानी है जिन्होंने अपने पति के साथ मिलकर चुदाई करवाई. उसी कहानी का अनुभव आप सबके साथ बांटने का प्रयास कर रहा हूँ।
दोस्तो, आपको बता दूँ कि इस कहानी में कुछ भी काल्पनिक नहीं है, बस गोपनीयता के लिए नाम बदल दिए गए हैं.
मैं नेहा जी से 2-3 बार मिल चुका था और उन्होंने ही मुझे अपनी दोस्त संध्या मैडम के बारे में बताया था. मगर उस वक्त मैंने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया.
एक दिन मेरे मोबाइल पर एक अन्जान नंबर से कॉल आया. मैंने रिसीव किया तो सामने से एक महिला की आवाज़ आई.
मैंने कहा- कौन बोल रही हैं?
तो उन्होंने कहा- मैं संध्या बोल रही हूँ.
मैंने कहा- आप नेहा मैडम की दोस्त बोल रही हैं?
तो उन्होंने कहा- हाँ!
मैंने उनका हाल-चाल पूछा. फिर फोन करने की वजह पूछी तो उन्होंने कहा- मुझे आपसे मिलना है.
मैंने पूछा- क्यूँ?
तो उन्होंने कहा- क्यूँ, आप किसी से मिलते नहीं हो क्या?
इस पर मैं बोला- ऐसी बात नहीं है.
फिर उन्होंने पूछा- आप फ्री कब रहेंगे?
मैंने कहा- शाम को.
तो उन्होंने मुझे मॉल में शाम को 6 बजे आने को बोला.
मैंने कहा- ओके.
फिर मैंने फोन रख दिया.
फिर शाम को 6 बजे मैं मॉल गया तो उनकी कॉल आई. उन्होंने मुझे एक नामी कॉफी शॉप का नाम बताया और मैं वहाँ गया. मैंने फोन चालू ही रखा था कि उन्होंने मुझे हाथ दिखाकर इशारा किया.
मैं नज़दीक गया तो उनको देखता ही रह गया. बहुत ही खूबसूरत औरत थी वह. करीब 32-33 साल की बहुत ही गोरी महिला.
मैं उनको देख ही रहा था कि उन्होंने कहा- कहां खो गए हो अमित?
मैंने कहा- कहीं नहीं!
फिर उन्होंने मुझे बैठने के लिए कहा और पूछा- क्या लोगे?
मैंने कहा- जो आप खिलाएंगी और पिलाएंगी वही ठीक है मेरे लिए.
उसने हम दोनों के लिए कोल्ड ड्रिंक मंगा ली. हमने कोल्ड ड्रिंक पी और फिर मैंने कहा- कहिए … मेरे से क्या काम था?
तब उन्होंने कहा- क्या तुम बिना काम के किसी से नहीं मिलते?
मैंने कहा- ऐसी कोई बात नहीं है.
उसने कहा- मैं बहुत बिंदास औरत हूँ और मुझे ज़िंदगी का असली मज़ा लेना है.
मैंने कहा- आपको मज़े लेने हैं तो इसमे मैं आपकी क्या हेल्प कर सकता हूँ?
तो उन्होंने कहा- ज्यादा बनो मत, मैं तुम्हारे और नेहा के बारे में सब जानती हूँ. अब मुझे सब कुछ समझ में आने लग गया कि इनको क्या चाहिए.
मैंने उनसे कहा- आप जानती हैं ठीक है, पर मैं आपके साथ कैसे करूँ और क्यूँ?
उसने कहा- नेहा के साथ क्यूँ करते हो?
मैं चुप ही रहा.
फिर उन्होंने कहा- मैं आपके साथ मज़े करना चाहती हूँ और हाँ इसमे मेरे पति भी शामिल होंगे.
यह सुनकर मैं शॉक हो गया; मैं तुरन्त ही बोल पड़ा- क्या? आपके पति भी? क्यूँ आप मुझे मरवाना चाहती हो … मैं नहीं आ सकता, आप कोई और देख लो. प्लीज़ मैं ये नहीं कर सकता.
इस पर उन्होंने कहा- किसी और के पास जाना होता तो मैं तुम्हारे पास क्यूँ आती. मुझे नेहा ने तुम्हारे बारे में बताया. तुम्हारी बहुत तारीफ कर रही थी इसलिए तुमसे बात कर रही हूँ.
मैंने कहा- लेकिन तुम्हारे पति कैसे? वो कैसे शामिल होंगे इस सब में?
इस पर संध्या ने कहा- अमित, हम लोग खुले विचारों वाले आदमी हैं, एक दूसरे से कुछ नहीं छिपाते हैं हम. खुलकर जीते हैं. बल्कि मेरे पति ने खुद आपको बुलाने के लिए मुझसे कहा है.
थोड़ी देर सोचने के बाद मैंने कहा- ओके, मैं आता हूँ … पर कोई समस्या हुई तो मैं तो कुछ नहीं करूँगा.
संध्या ने कहा- तुम बेफिक्र रहो. कोई प्रॉब्लम नहीं होगी. हम दोनों तैयार हैं.
संध्या ने मुझे घर का पता दिया और कहा- मैं फ़ोन करूँगी तुम्हें, कब आना है और हाँ शायद वीकेंड पर तुमको बुला सकती हूँ तब तक तुम तैयार रहना, ओके.
मैंने कहा- ओके.
मैं रूम पर वापस आया. फिर उसी हफ्ते के शनिवार को सुबह-सुबह ही मेरे फोन की रिंग से मेरी नींद खुली तो देखा कि संध्या का ही कॉल था.
उसने कहा- उठो उठो, कितनी देर तक सोते रहोगे. भूल गये क्या मुझे. संध्या बोल रही हूँ, गुड मार्निंग.
मैंने कहा- आवाज़ पहचान ली है पर इतनी सुबह आपने कैसे याद किया?
उसने कहा- इडियट आज शनिवार है, वीकेंड …
मैंने कहा- तो क्या हुआ?
संध्या बोली- मैंने क्या कहा था, याद है या भूल गए.
फिर उन्होंने कहा- आज तुमको हमारे घर आना है शाम को सात बजे और खाना ख़ाकर मत आना. हमारे साथ ही खाना है.
मैंने कहा- ओके, ठीक है मैं आता हूँ.
मैं ऑफ़िस गया, शाम को लौटकर आते वक्त कॉन्डोम के दो पैकेट साथ लाया, रूम पर आकर नहाया. फिर तैयार होकर संध्या के बताए पते पर निकला. उसके घर के पास जाकर मैंने फिर से पता पूछा और मैंने उसका घर ढूँढ लिया.
बेल बजाई तो दरवाज़ा एक आदमी ने खोला- मुझे समझ आ गया कि ये संध्या का पति होगा.
उसने मुझसे हाथ मिलाया, मेरा वेलकम किया, अंदर आने के लिए बोला तो मैं उनके पीछे-पीछे हॉल में आया. उसके पति ने अपना नाम राहुल बताया.
उनका घर तो काफी अच्छा था. मैं जाकर बैठा उसके पति ने पूछा कि क्या पीओगे?
तो मैंने कह दिया कि मैं तो बीयर पीता हूँ।
राहुल अंदर जाकर बीयर और उनके लिए रम लेकर आए, उनके पीछे ही संध्या आई काले रंग का गाउन पहने हुए.
वह बहुत सेक्सी लग रही थी. अगर मैं उसकी तुलना किसी फिल्म की हिरोइन से करूँ तो विद्या बालन जैसी लग रही थी.
मैं उसे देखकर खो सा गया तो उसने पूछा- कहाँ खो जाते हो तुम?
मैंने बोला- कहीं नहीं, आप हो ही इतनी हॉट कि कोई भी अपने होश खो सकता है.
राहुल बोले- हाँ अमित, संध्या की बात ही कुछ ऐसी है कि हर कोई अपने होश खो दे.
फिर हम तीनों मिलकर पीने लग गये. राहुल के पास संध्या बैठी थी. मैं दूसरे सोफे पर था. राहुल संध्या को चूमते हुए बूब्स दबाने लगा. संध्या थोड़ी शरमा रही थी.
राहुल बोले- अमित से क्या शरमाना. तुम तो आज अमित से चुदने वाली हो.
मैंने अपनी बीयर ख़त्म की, राहुल और संध्या ने अपने दो-दो पैग पूरे किए. बाद में राहुल ने संध्या को खाना लगाने के लिए बोला.
संध्या किचन में गयी, फिर खाना खाने हम लोग बैठ गये. खाना खाने तक रात के दस बज गये. खाने के बाद राहुल ने टीवी चालू करके ब्लू फिल्म लगाई, हम तीनों फिल्म देखने लगे. फिल्म ग्रुप सेक्स की थी.
राहुल और संध्या दोनों साथ में बैठे थे. मैं अकेला एक जगह था. राहुल ने संध्या को सहलाते हुए चूमना चालू कर दिया. संध्या गरम हो रही थी. फिर राहुल ने संध्या के कपड़े उतारे और बूब्स चूसने लगा. संध्या सिर्फ़ पैंटी में थी. बाद में राहुल ने पैंटी भी उतारी, अब संध्या पूरी की पूरी नंगी हो चुकी थी.
मैं उन दोनों को देख रहा था.
फिर राहुल ने मुझे पास आने का इशारा किया. मैं संध्या के कोमल-कोमल दूधों को दबाने लगा. संध्या ने मेरी तरफ देखा और मेरे गले में हाथ डालकर अपनी ओर खींचा. मुझे बेहद बुरे तरीके से चूमने लगी. जैसे बरसों की प्यासी हो.
मैं भी कहाँ पीछे रहने वाला था, मैंने भी एक हाथ से संध्या का सिर पकड़ा. एक हाथ से बूब्स दबाते हुए संध्या को चूम रहा था, उसकी जीभ मुंह में लेकर चूसने लगा.
संध्या तो सातवें आसमान पर पहुंच गई थी क्योंकि उसकी बहुत दिनों की इच्छा पूरी हो रही थी, एक साथ 2 लोगों के साथ चुदने की.
फिर राहुल ने कहा- चलो बेडरूम में चलते हैं.
हम तीनों बेडरूम में आ गये. संध्या बेड पर लेट गयी. मेरा हाथ पकड़ कर अपने ऊपर मुझे खींच लिया. फिर मुझे चूमते हुए मेरे कपड़े उतारने लगी. मेरा अंडरवियर उतारते ही मेरे लंड की तरफ देखने लगी.
मैंने पूछा- क्या हुआ संध्या जी?
तो संध्या बोली- आज मज़ा आएगा.
राहुल भी बेड पर आ चुका था. संध्या ने राहुल के भी कपड़े उतारे. राहुल संध्या के दूधों को चूसने लगा. मैं संध्या को चूमते हुए नीचे आने लगा. जैसे ही मैंने संध्या की चूत को छुआ तो उसने मुझे कसकर पकड़ लिया. वह कामुक सिसकारियाँ भरने लगी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
मैंने संध्या की चूत को सहलाना शुरू कर दिया. क्लीन शेव चूत पाव रोटी की तरह फूली हुई थी.
संध्या की चूत का चुम्बन लेते ही वह सिहर उठी, उसने मेरा सिर पकड़ा और अपनी चूत पर दबा दिया; उसने चुदास भरी आवाज़ में कहा- मेरी चूत की मालिश कर दो.
मैं ऐसे ही संध्या की चूत को चाटने लगा और वह अपनी आंखें बंद करके मज़ा ले रही थी. राहुल ने भी अपना काम जारी रखा. संध्या को दो-दो लोगों के साथ बेहद मज़ा आ रहा था.
वो अलग-अलग आवाज़ें निकाल रही थी और मज़ा ले रही थी.
फिर संध्या बोली- अमित तुम लेट जाओ, मैं तुम्हारे मुंह पर बैठ जाती हूँ, फिर चूसो मेरी चूत को.
मैं बोला- ठीक है संध्या जी.
संध्या बोली- मेरी चूत चाट रहे हो, मुझे चोदने वाले हो, तो फिर क्या ये संध्या जी, संध्या जी लगा रखा है. मुझे रानी या जान कहकर बुला सकते हो तुम.
मैंने कहा- ओके मेरी जान …
संध्या बोली- ये हुई न बात, अब लेट जाओ.
मैं लेट गया. संध्या मेरे मुंह पर अपनी चूत सेट करके बैठ गई फिर राहुल उठा और संध्या के मुंह में अपना लण्ड दे दिया.
संध्या मज़े से राहुल का लण्ड चूस रही थी और अपनी चूत चुसवा रही थी. मैं थोड़ी देर उसकी चूत चाट ही रहा था कि वो मेरे मुंह मे ही झड़ गयी. मैंने चाट कर साफ किया.
फिर राहुल का लण्ड अपने मुंह से निकाल कर वह सीधी बेड पर लेट गयी और कहने लगी- अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है. कोई तो मेरी चूत को शांत कर दो.
राहुल ने मुझे इशारा किया और मैंने एक बार चूत को चाटा और फिर संध्या से लण्ड चुसवा कर दोनों टांगों को कंधों पर रख कर मैंने अपने आपको संध्या के उपर सेट करके अपना लौड़ा उसकी चूत पर सेट करके ज़ोर का धक्का दे दिया. मेरे धक्के से संध्या हिल गई.
वह बुरी तरह तड़प उठी.
लौड़े को चूत पर टिका कर ज़ोर से धक्का दिया, मेरे धक्के से संध्या हिल सी गयी. बुरी तरह तड़प उठी और बोली- आह्ह … बहन के लौड़े … उम्म्मम… लण्ड से चूत चुदाई करने को कहा था, चूत फाड़ने को नहीं. ऐसे झटके मारेगा तो चूत के चिथड़े उड़ जाएंगे। मैं कहीं भागी नहीं जा रही हूँ कमीने, धीरे-धीरे नहीं कर सकता है क्या?
मैंने कहा- सॉरी डार्लिंग, मुझे पता नहीं था कि तुम झेल नहीं पाओगी, अब धीरे-धीरे चोदूँगा।
फिर मैं थोड़ा स्लो हो गया और धीरे-धीरे करने लगा थोड़ी देर बाद मैंने स्पीड बढ़ा दी. संध्या बड़बड़ाने लगी. आवाज ज्यादा न जाए इसलिए मैंने उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया.
राहुल- अमित, और ज़ोर से चोद साली को, बहुत चुदक्कड़ बनती जा रही है, आज इसकी चूत को चोद-चोद कर लाल कर दे।
संध्या छटपटाने लगी थी. शायद वो झड़ने को आई थी, मुझे कसक कर पकड़ा. मुझे चूमने लगी और झड़ गयी.
फिर राहुल ने कहा- अमित, तुम इसके मुंह को चोदो, मैं इसकी चूत चोदता हूँ.
मैंने अपने लंड को संध्या के मुंह में दिया. मैं अभी तक झड़ा नहीं था. राहुल संध्या को बड़ी बेरहमी से चोदने लगा. संध्या मेरा लण्ड चूसती रही. राहुल 5 मिनट में ही झड़ गया. फिर वो संध्या के मुंह में आ गया और मुझे चूत पर जाने को कहा.
मैं संध्या के पैर अपने कंधे पर उठाकर संध्या को पेलने लगा. संध्या फिर से गर्म हुई. वो भी मेरे साथ-साथ नीचे से धक्के लगाकर मेरा साथ देने लगी.
संध्या- उम्म्मम… हाँ अब मज़ा आ रहा है … हाँ भोसड़ी के. ऐसे ही आहहह … तेरा मस्त लौड़ा तो मेरी चूत में बिल्कुल कस कर रगड़ मार रहा है, आहहहह… अब ज़ोर से चोद … अब लगा अपने लौड़े का ज़ोर. दिखा कितनी स्पीड से चोद सकता है. नेहा को तो तूने बहुत चोदा है अब मुझे भी चोद … आ … आह्ह … बोल कर संध्या फिर से झड़ने को हुई तो मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी. मैं भी झड़ने को आया था.
मैं इतनी ज़ोरों से धक्का लगा रहा था कि संध्या के दूध गोल-गोल झूलने लगे थे. फिर उसने मुझे कस कर पकड़ लिया और मैंने भी संध्या को कस कर पकड़ लिया. हम दोनों ही झड़ने लगे थे.
थोड़ी देर बाद राहुल एक बीयर और व्हिस्की ले आया और स्नैक्स भी. फिर संध्या उठी और बाथरूम हो कर आई. फिर से हम तीनों ने पीना चालू किया. संध्या मेरी गोद में बैठी और मुझे बीयर पिलाने लगी. मैं भी संध्या को पिलाने लगा. फिर संध्या ने मेरी किसिंग चालू कर दी और मेरे लौड़े को सहलाना चालू कर दिया. फिर से हम लोग बेड पर आ गये. संध्या गर्म हुई और मेरा लौड़ा चूसने लगी फिर मुझे लेटने को कहा और मेरे लौड़े को अपनी चूत के अंदर लेकर ऊपर से मुझे चोदने लगी. मैं भी नीचे से धक्के देने लगा.
फिर राहुल ने तेल निकाल कर संध्या की गांड में लगाना चालू कर दिया. फिर संध्या को मेरे ऊपर झुका कर अपना लंड डालने लगा. संध्या दर्द के मारे चिल्लाने लगी थी. फिर मैंने संध्या को मेरे उपर झुका कर किस करना शुरू कर दिया. फिर थोड़ी देर के बाद संध्या मज़े से चुदने लगी. बहुत बड़बड़ा रही थी. गालियां दे रही थी राहुल को.
राहुल ने कहा- अमित रहम मत करो, चोदो इसे ज़ोर से. इसकी चूत का भोसड़ा बना दो. मैं इसकी गांड फाड़ रहा हूँ. बहुत चुदक्कड़ है ये. आज हम दोनों मिलकर इसकी सारी गर्मी निकाल देते हैं.
ऐसा कहते ही संध्या झड़ गयी, उसने अपने आपको ढीला छोड़ दिया.
राहुल ने कहा- अमित, तुम मेरी जगह आ जाओ, मैं तुम्हारी जगह आता हूँ. हमने अपनी जगह बदली और फिर से घमासान शुरू हो गया, एक चूत और दो लंड के बीच में.
हम दोनों इस बार काफी देर तक संध्या को पेलते रहे. इतनी देर में संध्या 3-4 बार झड़ चुकी थी. फिर हम दोनों ही झड़ने को आए तो हम लोग संध्या के मुंह पर आकर झड़ने लगे.
वह हम दोनों के लंड को बारी-बारी से चूसने लगी. फिर हम दोनों के लौड़ों को चूसकर उसने साफ किया. संध्या थक कर सोने ही वाली थी. हम तीनों नंगे ही सो गए.
फिर रात को संध्या ने मेरा लंड चूस कर एक बार फिर जगाया और डॉगी स्टाइल में चुदवाया. उसके बाद हम सो गए. अगले दिन सुबह हम तीनों साथ में ही नहाए. और हम दोनों ने संध्या को बीच में लेकर फिर से चुदाई की. उसके बाद हम सभी तैयार हो गए.
जब मैंने जाने की बात कही तो संध्या ने मुझे गले से लगाया और चूमने लगी. कहने लगी- अमित तुमने बहुत मज़ा दिया.
राहुल ने भी मुझे गले से लगाया और मुझे दस हज़ार देने लगा.
मैंने वह पैसे लेने से मना कर दिया.
संध्या ने कहा- अगर तुम पैसे नहीं लोगे तो हम तुम्हें फिर कभी नहीं बुलाएंगे.
मैं भी संध्या को दोबारा चोदना चाहता था इसलिए मैंने वह पैसे ले लिए. उसके बाद मैं अपने घर वापस आ गया.
दोस्तो, आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी, अगर कहानी आपको अच्छी लगी हो तो मुझे आपके मेल्स का इंतज़ार रहेगा.
[email protected]