नमस्ते दोस्तों, मेरा नाम विशाल राव है. अन्तर्वासना पर मेरी पिछली कहानियों की तारीफ के लिए आप सबका धन्यवाद्.
इस बार भी मैं अपनी एक पाठिका की भेजी हुई कहानी प्रेषित कर रहा हूं. आप उसी की कलम से इस देसी सेक्स कहानी का मजा लीजिए.
नमस्कार, मेरा नाम लेखा वाघ है, मैं पुणे महाराष्ट्र की रहने वाली हूं. मैं शादीशुदा औरत हूं, मेरे दो बच्चे भी हैं. अब मैंने ऑपरेशन करवा लिया है. मेरा रंग सांवला है और मेरा फिगर 36-28-38 का है.
मुझे लगा था कि शादी के बाद मेरे पति से मुझे बहुत सुख मिलेगा लेकिन मेरी मन की इच्छा मेरे मन में ही रह गयी. मेरा पति रात को मुझे अपने नीचे लेता और पांच छह धक्के लगाकर निढाल हो जाता. मैं प्यासी की प्यासी रह जाती.
इसी को मैंने अपना जीवन समझ लिया था. पर कभी कभी ज्यादा इच्छा होने पर मूली गाजर अपनी चुत में लेकर अपना काम चला लेती थी, लेकिन उससे भी मुझे पूरी संतुष्टि नहीं मिल पाती थी. आखिर एक मर्द के लंड का काम मूली गाजर कैसे पूरी कर सकती है.
मैंने अपना मन लगाए रखने के लिए और घर खर्च में मेरा सहयोग रहे, इसलिए टिफिन सर्विस शुरू कर दी. जिसमें मैं टिफिन बनाकर कस्टमर्स को उनके ऑफिस में दे आती थी.
ऐसे ही एक बार मेरा एक नया कस्टमर बना था, जिसे मैं उसकी ऑफिस टिफिन देने जाया करती थी. उसका ऑफिस पास में ही था.
पहले तो वो मेरे साथ बड़े सलीके से पेश आया था, लेकिन बाद में अभी थोड़े दिनों से उसने मुझे अपनी आंखों से चोदना शुरू कर दिया था. वो जब मुझे घूरता, तो मुझे भी अच्छा लगता.
वो दिखने में हैंडसम था और मैं भी प्यासी थी. जब मैं उसके ऑफिस जाती, तो वो मेरे चुचों को घूरता रहता और जब मैं वापिस जाती, तो वो मेरे चूतड़ों को निहारता रहता. ये मैंने महसूस कर लिया था.
फिर उसने मेरे साथ बातें करनी शुरू कर दीं.
शुरूआती दौर में उसने मुझसे मेरा नाम आदि पूछा, मेरे पति का नाम पूछा और मेरे बच्चों आदि के बारे में पूछा.
मैं समझ रही थी कि ये मुझे पटाने में लगा है. मुझे भी उससे बात करना अच्छा लगता था, तो मैं खुद भी उसके साथ बात करने लगी थी.
एक दिन उसने मुझसे मेरे खाने की तारीफ़ करना शुरू कर दी- आप खाना बहुत अच्छा बनाती हैं.
मैं- जी, थैंक्यू … आपको अच्छा लगा, ये मुझे भी अच्छा लगा.
वो- हां, सच में आपके हाथ का खाना खाते समय मुझे ऐसा लगता है, जैसे मैं घर का खाना ही खा रहा हूं.
मैं बस मुस्कुरा दी. शायद वो मुझसे ये कहना चाहता था कि मैं उसकी घर वाली हूँ.
उस दिन मैं उसके ऑफिस से निकली, तो मुझे भी अन्दर से काफी अच्छा लग रहा था.
अब वो हर रोज किसी भी बहाने से मेरे से बात करता, जिससे मैं वहां ज्यादा समय रूक सकूँ और वो मुझे अपनी आंखों से मुझे चोद सके.
मैं भी यही सोच कर वहां उसे अपना पल्लू इधर उधर कर अपने चूचों के नजारे दिखाती रहती थी कि ये मुझे पकड़ कर बेरहमी से चोद दे और मुझे संतुष्टि मिल जाए.
वो कभी कभी जानबूझ कर मेरे हाथ को छू देता और फिर अनजान बन जाता, लेकिन वो मुझे कभी बांहों में लेने की हिम्मत नहीं करता था. जबकि मैं तो उसके नीचे बिछने का मन बना चुकी थी.
एक दिन वो समय भी आ गया, जब मैं उसे टिफिन देने गयी थी. उस दिन उसने अचनाक मेरे पिछवाड़े पर हाथ फिरा दिया, जिस पर मैं ऐसे अनजान बनी रही … जैसे कुछ हुआ ही न हो.
उसने फिर से हिम्मत करके मेरे पीछे हाथ फेरा, इस बार भी मैं कुछ ऐतराज न करते हुए मुस्कुरा दी तो उसने जोश में आकर मुझे पीछे से पकड़ लिया.
मैं- अरे आप यह क्या कर रहे हो?
वो- वही, जो मुझे बहुत पहले करना चाहिए था.
मैं- हटो, ये ठीक नहीं है … मुझे जाने दो.
वो- आज तो बिना चुदे तू यहां से नहीं जा सकती.
मैं- हटो … तुम ये कैसी बातें कर रहे हो?
वो- मुझे भी पता है, तू मुझसे चुदना चाहती है, इसी लिए तो तू मुझे अपने मम्मे दिखाती है.
मैं- कोई देख लेगा … छोड़ो मुझे!
वो- कोई नहीं देखेगा, मैंने केबिन लॉक कर दिया है.
मैंने भी अपना विरोध करना छोड़ दिया था, आखिर मैं भी चुदना ही तो चाहती थी.
उसने मुझे सीधा करके जोरों से ऐसे किस करना शुरू कर दिया, जैसे आज ही वो मेरे होंठों को खा ही जाने वाला हो.
मैंने खुद को ढीला छोड़ दिया. वो मेरे ब्लाउज के ऊपर से चुचियों को दबाते हुए मेरी साड़ी के अन्दर हाथ डाल कर मेरी जांघों को सहलाने लगा.
मेरा रोम रोम खड़ा हो रहा था और मैं मस्त हुई जा रही थी. तभी उसने अपनी शर्ट और पैंट निकाल दी … केवल अंडरवियर में आ गया.
मैंने देखा उसका बदन एक मजबूत मर्द का लग रहा था. उसका मोटा लंड अंडरवियर के अन्दर डंडे जैसा लग रहा था. तभी मेरी साड़ी उतारी और ब्लाउज के बीच में किस किया. मैंने उसका सर पकड़ कर अपनी चुचियों में दबा दिया.
उसने मुझे चूम लिया.
मैंने कहा- आज तुम कुछ ख़ास करो मेरे साथ.
उसने मेरा ब्लाउज और ब्रा भी निकाल दिया. फिर मुझे पीछे घुमा कर मेरी चुचियों को हाथों से दबाने लगा. उसका लंड मेरी गांड में चुभ रहा था. मेरी चुचियों को दबाते दबाते उसने अपना अंडरवियर और मेरी पैंटी उतार दी.
अब मैं एक मर्द के साथ नंगी उसकी बांहों में थी. उसका लंड 7 इंच का काफी मोटा और सख्त था.
मैंने घूम कर देखा कि उसने अपना लंड साफ़ किया हुआ था, लंड पर एक बाल भी नहीं था. लंड के सिरे पर एक गोल उभारनुमा सुपारा था, जो मुझे आकर्षित कर रहा था.
उसने मेरे सर को दबाते हुए मुझे नीचे बैठने का इशारा किया. मैं घुटनों पर आ गई और उसके मोटे लंड को जीभ से चाटने लगी.
मेरी जीभ ने जैसे ही उसके लंड के सुपारे को टच किया, उसकी सिसकारी निकल गई. मैंने मजबूती से उसके लंड को अपनी मुट्ठी में पकड़ा हुआ था. मैंने उसके पूरे लंड को नीचे से ऊपर तक एक बार जीभ से चाटा और जीभ में आए थूक को उसके लंड से लिपटा दिया.
एक बार मैंने उसकी आँखों में देखा. फिर आंख मारते हुए बड़े आराम से उसके लंड को मुँह में अन्दर ले लिया और चूसने लगी. मेरा मंगलसूत्र बार बार लंड में फंस जाता था, तो उसने उसको पीछे कर दिया. मैं मजे से लंड चूसने लगी.
वो मेरी चूचियों को मथ रहा था. जिससे मुझे लंड चूसने में डबल मजा आ रहा था.
कोई दस मिनट तक लंड चूसने के बाद मैंने उसकी आंखों में वासना से देखा, तो उसने मुझे गोद में उठाकर सोफे पर लिटा दिया. मेरे लेटते ही वो ऊपर आ गया. उसके भारी शरीर ने मेरे बदन को ढंक लिया था. उसकी छाती के बाल मेरे चुचियों को रगड़ रहे थे. उसका लंड मेरी जांघों और बुर के हिस्से को रगड़ रहा था. वो मेरे होंठों को चूसते जा रहा था.
अब तक मैं बेहद गर्म हो चुकी थी. वो इस बात को समझ चुका था. उसने अपना हाथ मेरी बुर पर रखा, जो गीली हो चुकी थी. फिर मेरी टांग फैलाई और अपने लंड को बुर पर रगड़ कर अपना टॉप गीला किया.
मैंने उसके लंड पर अपनी चुत उठाई तो वो समझ गया और उसने लंड अन्दर डाल दिया. उसका लंड अन्दर जाते ही मेरी सीत्कार फूट पड़ी. मुझे उसका लंड बहुत अच्छा लग रहा था, पर हल्का सा दर्द भी हो रहा था. मगर ये शायद ऐसा दर्द था, जिसके लिए कोई भी औरत तैयार रहती है.
वो आधा लंड पेल कर मुझे चूमने लगा.
मैंने उससे कहा- पहले आराम से पूरा अन्दर कर ना!
उसने वही किया. बड़े आराम से लंड अन्दर डाला और अन्दर बाहर करते हुए धक्के मारने लगा. चुदाई के साथ ही वो मेरी चुचियों को दबाता रहा. इस दौरान हम दोनों के बीच चूमाचाटी भी चालू थी.
उसने बीस मिनट तक मुझे धकापेल चोदा. उसकी मस्त चुदाई के दौरान मैं 2 बार झड़ चुकी थी. मगर वो अब भी फौलादी लंड के साथ मेरी चुत में डटा हुआ था.
जब मैंने उससे कहा कि अब मुझे अपने ऊपर आने दो. तो वो मुझे चूम कर उठ गया और खुद लेट गया.
उसका कुतुबमीनार सा खड़ा लंड बड़ा ही मनमोहक लग रहा था. मुझसे रहा ही नहीं गया और मैंने उसके लंड को एक बार चूस कर फिर से मजा लिया और अपनी टांगें फैलाते हुए उसके लंड पर बैठने लगी.
अब मैं उसके ऊपर चढ़ गयी थी और लंड को बुर में डाल कर अपनी गांड उछालने लगी. उसने मेरी भरपूर मस्त चूचियों को अपने हाथों में भरते हुए जोरों से मसला, जिससे मेरी आह निकल गई और मैं एक बार फिर से झड़ गई.
इस बार चूंकि मैं उसके लंड के ऊपर थी, इसलिए मेरी बुर का पानी उसके लंड पर गिर गया. उसे मेरी चूत चुदाई करने में कुछ ढीला चिकना सा लगने लगा. उसने फिर से लंड निकाला और मेरे मुँह में ठांस दिया.
मैंने उसके लंड को चूसा और एक नैपकिन से अपनी चुत को पौंछ कर सुखा दी.
इसके बाद उसने मुझे टेबल के सहारे घोड़ी बना दिया और मेरी चुत में पीछे से पिल पड़ा. इस बार उसकी आग पिघलने को थी. अपने अंतिम धक्कों में उसने मेरी चूचियों को इतनी जोर से भींचा कि मेरी दर्द के मारे कराह निकलने लगी.
तभी वो एकदम से गुर्राने लगा. मैं समझ गई कि इसका लावा फूटने वाला है.
अब तक हमें चुदाई करते हुए 35 मिनट हो चुके थे. तभी उसने लंड बाहर निकाला और दोबारा मुझे लिटा दिया. इस बार उसने मुझ पर कोई रहम नहीं दिखाया. अपने समूचे लंड को बड़ी तेज़ी से मेरी चुत के अन्दर डाला और स्पीड में धक्के मारना शुरू कर दिए.
मैं भी चार्ज हो गई थी. मुझे उससे चुदने में बेहद सुकून और मजा मिल रहा था. मैं थोड़ा तेज स्वर में आवाज़ निकालने लगी, मगर वो रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था. वो ज़ोर ज़ोर से धक्के देने में लगा था. उस दौरान जब मैं तड़पती, तो वो अपने मजबूत हाथों से मुझे जकड़ लेता और मुझे अपने लंड का पूरा मज़ा देने लगता.
इस तरह से मुझे लगातार चोदने के बाद उसने अपना पानी मेरी चुत में ही छोड़ दिया. मुझे अपनी बुर के अन्दर गर्म गर्म महसूस हुआ, तो मेरी न जाने कबसे लगी आग मुझे बुझती सी महसूस हुई. उसने एक मिनट तक रुक रुक कर अपना सारा पानी मेरे अन्दर डाल दिया था. वो झड़ने के बाद मेरे ऊपर ही लेट गया.
थोड़ी देर हम ऐसे ही नंगे लेटे रहे, उसके बाद हम दोनों ने कपड़े पहने और मैं वहां से निकल आयी.
इसके बाद मैंने उसे अपने घर बुलाकर भी उससे चुदवाया, आपको मेरी देसी सेक्स की कहानी कैसी लगी, ये आप [email protected] पर मेल करके बता सकते हैं.