हॉट इंडियन सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि मेरे साले की बेटी ने सेटिंग करके अपने पति के सामने मुझसे अपनी चुदाई करवायी. लेकिन उसी दिन उसके पति की मौसी आ गयी.
हैलो फ्रेंड्स, मैं चन्दन सिंह आपको अपनी भतीजी और उसकी सास की चुदाई की दुनिया में सैर करवाने के लिए हाजिर हूँ.
इंडियन हॉट सेक्स कहानी के तीसरे भाग
भतीजी और उसकी मौसी सास की प्यास बुझाई-3
में अब तक आपने पढ़ा था कि मैं अपनी भतीजी अनीता की गांड चुदाई की तैयारी कर रहा था.
मैंने उसके पति कमल से इशारा कर दिया था कि अनीता जब चिल्लाए तब इसके मुँह में साड़ी ठूंस देना. तब तक के लिए वो अपनी बीवी के मुँह में अपना लंड चुसाने में लग गया था.
अब आगे की इंडियन हॉट सेक्स कहानी:
आगे कमल अपना लंड चुसवा रहा था, तो इधर पीछे से मैंने अनु की गांड पर थूक लगा दिया था. उस थूक से लंड के टोपा को गीला करके मैं हल्के से गांड के अन्दर डालने लगा.
अनु की चीख निकलते देख मैं कमल से बोला- कमल, इसकी साड़ी मुँह में डाल दे. अगर आवाज आई तो ठीक नहीं होगा.
कमल से मैंने जैसा कहा, उसने वैसा ही किया. कमल अनु के मुँह को पकड़ कर बैठ गया.
अब मैंने खुल कर जोर लगाया. एक बार में लंड आधे से ज्यादा गांड में अन्दर चला गया.
अनु जल बिन मछली की तरह उछलने लगी.
मैंने उसके चूतड़ों के ऊपर जोर से थाप मारी और बोला- साली रांड पहले अन्दर तो जाने दे.
इतना बोल कर मैंने एक तगड़ा धक्का दे दिया और अनु के ऊपर चढ़ गया … ताकि मेरे वजन से वो हिल भी न सके.
उधर कमल ने अनु का मुँह पकड़ रखा था. उसके मुँह से सिर्फ ‘गुआं गुआं ..’ की आवाज आ रही थी.
मैं अनु की पीठ पर लेटे लेटे उसकी गर्दन पर चुंबन देने लगा. करीब पांच मिनट बाद अनु को सुखद अहसास होने लगा.
मैंने अनु से पूछा- अनु कैसा लग रहा है?
उसने ‘गुऊँ गुउन्न ..’ बोला.
मैंने कमल को इशारा किया तो उसने एक बार उसके मुँह से साड़ी निकाल कर उसका मुँह खोल दिया.
अनु ‘आह आह ..’ करने लगी.
मैंने उससे प्रेम से कहा- अनु जितना दर्द होना था, वो हो चुका है. जिस तरह पहली बार चुदाई जैसा दर्द ही गांड की चुदाई में दर्द होता है. अब धीरे धीरे तुझे मजा आएगा. तू बोले तो आगे करूं, नहीं तो बाहर निकाल लूं?
अनु गुस्से से हांफते हुए बोली- भड़वे साले इतना दर्द देने के बाद अब लंड बाहर निकाला, तो साले मैं तेरी मां चोद दूंगी. अब तू करता जा धीरे धीरे.
मैं उसके मुँह से गाली सुनकर हंस दिया और उसकी गांड में लंड को धीरे धीरे पेलने लगा.
उधर कमल ने फिर से अपनी लुल्ली अनु के मुँह में दे दी.
अनु अब मस्त होकर उसकी कुल्फी सी लुल्ली चूस रही थी.
जैसे जैसे अनु का दर्द कम हुआ मैंने लंड गांड में पेलने में स्पीड बढ़ा दी. उसकी गांड का बाजा बजाते हुए मैंने उसके चूतड़ों पर थप्पड़ भी लगाता जाता.
अनु अब मस्ती से बोल रही थी- आह मार दे साले कमीने फूफा … आज अच्छी तरह से मेरी गांड खोल दे.
उसकी मादक बातों से मुझे और जोश आने लगा. मैं पूरा जोर लगा कर उसकी गांड मारने लगा. अनु भी गांड उछाल उछाल कर मेरा साथ देने लगी.
तभी कमल कराह उठा- ओह मां … अरर मर गया.. आह चूस लिया साली ने.
यानि कमल फिर से स्खलित हो चुका था. अनु उसके लंड रस को चाटने में मगन थी. पीछे से मैं गांड मारने में लगा हुआ था.
तभी दरवाजा बजने की आवाज आई.
हम सभी एकदम से सतर्क हो गए.
अनु के बच्चे स्कूल से आ चुके थे.
सभी ने जल्दी जल्दी कपड़े पहने और अनु ने दरवाजा खोल कर बच्चों को अन्दर ले लिया.
अनीता बच्चों को खिलाने पिलाने में लग गयी. बीच बीच में वो कमरे में आती और एक पैग बना कर दो घूंट पीकर चली जाती. उसने बच्चों को खाना खिला कर उन्हें उनके कमरे में सोने के लिए छोड़ दिया और वापिस मेरे पास आ गई.
अनु ने कमल से बोला- अब कुछ करेंगे नहीं … मैं बस थोड़ी देर फूफाजी के संग सोना चाहती हूँ. आप बच्चों का ख्याल रखना.
कमल बच्चों का ख्याल रखने के लिए कमरे से बाहर चला गया. वो अपने कमरे में लेट कर बच्चों का ध्यान रख रहा था.
अनीता दरवाजा अन्दर से बन्द कर कपड़े खोल कर मेरे संग आकर सो लेट गयी. मेरे सीने पर सर रख कर मेरे कान में फुसफुसाई- बहुत मस्त चुदाई करते हो आप. अब मैं आपके बिना एक पल भी नहीं रहूंगी. अगर आपका लंड एक दिन भी नहीं मिला न … तो मैं आत्हत्या कर लूंगी. सच में मुझे आज ही पता चला कि गांड मरवाने में भी मजा आता है.
इतना कह कर वो मेरे खड़े लंड के ऊपर आकर बैठ गई और फिर से मर्दों की तरह मेरी चुदाई करने लगी. आधा घंटा में हम दोनों भरी सर्दी में पसीना पसीना हो गए.
स्खलित होने के बाद होंठों पर चुंबन देते हुए बोली- असली मर्द हो … मुझे ऐसा तगड़ा लंड लेने में बहुत मजा आया.
इतना कह कर वो मेरे सीने से चिपक कर सो गयी.
मैंने भी नींद लेना उचित समझा.
शाम पांच बजे हम दोनों उठे. एक बार फिर से नहा धोकर तैयार हुए. अनीता किचन में चली गयी. शाम छह बजे उस का पति भी उठ कर आ गया. सर्दी का मौसम था और आज शीतलहर कुछ ज्यादा ही चल रही थी.
कुछ देर तक हम दोनों इधर उधर की बातें करने लगे.
कमल बोला- फूफाजी, मेरी दुकानदारी में कुछ पैसों की जरूरत थी. अगर आप मदद कर देते, तो मेरी दुकान चल जाती. मैंने मेरी सबसे कीमती चीज भी आपको दे दी.
मुझसे भी रहा नहीं गया. मैं बोला- साले यह कोई कीमती चीज है क्या? कीमती तो वो होती है, जिसकी सील अखण्ड हो. ऐसी चीज को कीमती कहते हैं. अभी तो मैंने उल्टा तेरे ऊपर अहसान किया है.
कमल बात बिगड़ते देख कर बोला- अच्छा आपको फ्रेश माल चाहिए. कल सुबह मेरे साथ दुकान चलना, एक से बढ़ कर एक फ्रेश माल बताऊंगा. आप जिस पर हाथ रख दोगे, उसे दुकान के पिछले हिस्से में ले जाकर चोद लेना.
मैंने कहा- ठीक है … कल देखते हैं.
तभी दरवाजा बजने की आवाज आई.
अनु ने दरवाजा खोला, तो कमल की मौसी आई हुई थीं. मौसी को घर छोड़ने वाला उन्हें छोड़ कर स्कूटी पर निकल गया था.
कमल ने उठ कर मौसी के पैर छुए और ‘खम्मा घणी मौसी सा ..’ कहा.
मौसी का नाम वीणा था, उसकी उम्र 42 साल थी. वीणा की फिगर 36-32-40 की थी. वो दिखने में बड़ी खूबसूरत सेक्सी माल थी. आज सुबह ही मेहसाणा आई थी. सारे दिन कमल के बड़े भाई के यहां थी. शाम को मिलने चली आई थी.
अनीता ने कमल को इशारा किया- साली कमीनी … ये आज ही क्यों आ गई!
कमल ने अपनी विवशता जताई.
कुछ देर हम चारों बात करते रहे. तभी वीणा ने कहा- क्या आज जल्दी ही पी ली कमल!
कमल- नहीं तो मौसी जी.
वीणा बोली- महक बहुत ज्यादा आ रही है … इस कारण से पूछा.
कमल बोला- वो मौसी जी, आज फूफाजी पहली मेरे घर बार आए है ना … तो दिन में ले ली थी. उसकी महक अभी तक है. अभी शाम वाली तो अब लेंगे.
वीणा- ठीक है बेटा, आज सर्दी बहुत ज्यादा ही है.
उसकी नजरें मुझे देखते हुए कुछ और ही कह रही थीं.
मैंने कहा- जी, आपने सही फ़रमाया. सर्दी भगाने के लिए यही एक अच्छी चीज है.
वो हंस दी.
मैंने कमल को बोला- कंवर सा, एक एक पैग सभी के लिए बनाओ, तो सर्दी भगाने का काम हो.
कमल झट से उठा बाहर जाने लगा. अनीता भी उसके साथ चली गयी.
इस दरम्यान मैंने अपना हाथ आगे करते हुए कहा- जी, मेरा नाम चन्दन है.
वीणा ने इधर उधर देख कर अपना हाथ आगे बढ़ा दिया और हल्के मादक स्वर में बोली- मैं वीणा हूँ.
मैं- वही वीणा न … जो बजाई जाती है!
वो खिलखिला पड़ी- बजाना आना जरूरी होता है सा.
हम दोनों ने हंस कर हाथ मिलाया, तभी मैं वीणा को एक आंख मार के मुस्कुरा दिया.
अभी वो कुछ कहती कि तभी आहट आई. कमल ट्रे में गिलास और बोतल ले आया था. अनीता दो कुर्सियां ले आयी थी और साथ में नमकीन भी था.
चार गिलास भर कर तैयार हो गए थे. अनीता और वीणा कुर्सियों पर बैठी थीं, मेरे सामने अनीता थी. कमल मेरे पास ही बैठा था. दो तीन पैग तो हम सब हल्की फुल्की बातों में ही पी गए. अब कुछ नशा महसूस होने लगा. मेरी आंखें वीणा से मिल रही थीं. अनीता नजारा समझ रही थी और कमल समझते हुए भी विवश था.
मैं बाथरूम की इच्छा बता कर अनीता को इशारा करके उठते हुए बाथरूम में आ गया. कुछ ही पलों में अनीता आ गयी.
मैं- अनु, तेरी मौसी सास भी हमारे संग सैट हो सकती है. तू कमल को कुछ काम के लिए बाजार भेज.
अनीता बाहर चली गयी. मैं बाथरूम में बैठा रहा.
मैंने एक सिगरेट पी कि तभी वीणा आ गयी.
मुझे सामने देख कर वो मुस्करा दी.
मैं भी मुस्कुरा दिया.
इस बीच वो मेरे और करीब आ गई. अब हम दोनों में एक फीट की दूरी रह गई थी.
मैंने दोनों हाथ बढ़ा कर उसे बांहों में आने को इशारा किया. मेरी उम्मीद के विपरीत वो वापस मुड़ गयी.
मेरी बुद्धि सनाका खा गई. मैं सिगरेट फेंक कर बाहर आया. तो देखा कि कमल कहीं जाने की तैयारी में था.
मुझे देख कर वो बोला- फूफाजी, मैं अभी चिकन लेकर आता हूँ.
वीणा ने कहा- लगता है तुम मेरी सभी इच्छाएं आज ही पूरी कर दोगे.
मैंने वीणा की ओर आंख मार कर देखा.
कमल बोला- जी कहां मौसी जी. वो तो फूफाजी और आप दोनों ही एक साथ आए हो. वो भी बिन बताए, कभी बता कर आते … तो हम भी बताते कि मेहमाननवाजी क्या होती है. अच्छा आप रुकिए, मैं बस गया और आया.
कमल के जाने के बाद कमल की जगह वीणा बेड पर चढ़ गई और रजाई में पैर डाल कर बैठ गई.
मैं उसी के बाजू में अपनी पुरानी जगह बैठ गया. हम दोनों के घुटने आपस में चिपके हुए थे. अनीता बाहर अन्दर आ जा रही थी. वो अन्दर आती और अपने पैग से सिप करके बाहर निकल जाती.
अनीता बच्चों को सुलाने के लिए कमरे में जाने से पूर्व एक बार आयी. अपना पैग खाली करके मौसी से बोली- मौसीजी, ज्यादा शर्म करने से कोई फायदा नहीं है. जब आप आज आ ही गयी हैं तो बहती गंगा में डुबकी लगा ही लीजिए. रही कमल की बात, उसकी टेंशन मत लेना. वो सब खुद अभी आप अपनी आंखों से देख लेना.
अनीता ये कह कर कमरे से चली गयी.
अब मौसी की हिम्मत हुई. मैंने एक बड़ा सा पैग बना कर देते हुए कहा- वीणा जी, यह पैग आज की रात की दोस्ती के लिए कबूल कीजिए और एक रात के लिए सेवा करने का मौका दीजिए.
उसने पैग लेने से इंकार करते हुए कहा- औजार में कितना दम है … पहले अपना औजार तो दिखा दो.
मौसी का हाथ पकड़ कर मैंने पैंट में डाला. मौसी ने लंड नाप कर देखा तो दूसरे हाथ से गिलास लेते हुए बोली- मैं हर किसी से दोस्ती नहीं करती हूँ … सिर्फ मर्द से करती हूँ.
मैं बोल पड़ा- वो आप लेने के बाद खुद ही कह दोगी.
अनीता का पति रोस्टेड चिकन के साथ ब्रांडी की बोतल और सिगरेट के पैकेट ले आया था. अनीता ने हमारे लिए चिकन और पानी की बोतल लाकर रख दी. मैं उठा और कमल को बाहर ले गया.
बाहर ले जाकर मैंने कमल से खुल कर बोला- देख कमल, तुझे पैसों की जरूरत है … और मुझे नई नई चुतों की. आज तेरी मौसी आई हुई है. मैं और अनु उसे सैट करते हैं. तू दो चार पैग पीकर सीधे अपने कमरे में जाकर सो जाना.
कमल बोला- बस फूफाजी, आप मेरा इंतजाम कर दो. मैं आपके लंड को चुतों से नहला दूंगा. मौसी पट गयी क्या?
मैं बोला- अगर तू नहीं रहेगा, तो पट जाएगी.
कमल बोला- एक बात बोलूं. एक औरत का एक लाख … अब दो लाख हुए मौसी सहित. अब आप दस दिन यहीं रुकिए मैं आपसे बीस लाख लेकर रहूंगा. मैं आपके लंड से अपने खानदान की सभी भाभियों को चुदवा दूंगा. बस मुझे पैसा चाहिए.
मुझे उसकी बात सुनकर घिन सी आ गई.
दोस्तो, ये नामर्द इंसान अपनी पैसों की भूख के लिए अपनी बीवी के साथ अपनी सभी रिश्ते की महिलाओं को चुदवाने के लिए राजी हो गया था.
इस इंडियन हॉट सेक्स कहानी कहानी में आगे मैं अपनी भतीजी की मौसी सास वीणा की चुदाई की कहानी लिखूंगा. आप मुझे मेल भेजना न भूलें.
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