नमस्कार मित्रों, मेरा नाम अभय चोपड़ा है. मैं एक स्मार्ट और गठीले बदन वाला नवयुवक हूँ. मेरी इस सेक्स कहानी में इतना सेक्स है कि लड़के अपने लंड को हाथ में लेकर पढ़ने को मजबूर हो जाएंगे और लड़कियां अपनी बुर में उंगली करके मजा लेने लगेंगी.
ये सेक्स कहानी आज से 6 महीने पहले की है. मैंने जालंधर की एक ऑटोमोबाइल कंपनी में नौकरी शुरू की. पहले मेरा नौकरी करने का कोई मन नहीं था, पर कुछ मजबूरियों की वजह से करनी पड़ी.
जाहिर सी बात है कि जो काम मजबूरी में शुरू किया जाए, उसमें मन लगाना थोड़ा मुश्किल होता है. तब भी मैं बस अपने काम की तरफ ध्यान देता था.
पंजाब की लड़कियों के बारे में तो मुझे बताने की ज़रूरत नहीं है, आप सबको पता ही है.
वहां वैसे तो काफ़ी काफ़ी लड़कियां काम करती थीं पर एक पंजाबन लड़की थी, जिसकी कुछ ही समय पहले शादी हुई थी. उसका नाम सुरभि था, ये नाम बदला हुआ है. मैं उसको बड़ी वासना भरी नजर से देखा करता था और उससे बात करने के बहाने ढूंढता था.
सुरभि का जिस्म ऐसा था, जैसे कोई अप्सरा धरती पर उतर आई हो. उसके चूचे तो ऐसे उठे और तने हुए थे, मानो जैसे रस से भरे हुए आम मुँह उठाए मर्द को ललचा रहे हों. जब भी मैं उसकी चूचियों को देखता था, तो मेरे मुँह में पानी आ जाता था.
सुरभि की कमर बिल्कुल पतली और बल खाती हुई थी. कमर के नीचे जब निगाह जाती थी, तो उसकी उठी हुई गांड का तो पूछो ही मत. जब वो अपनी कमर लचका कर चलती थी, तो मेरा लंड अपने आप सलामी देने लग जाता था.
इस कम्पनी में हमारी नौकरी में एक ड्रेस कोड था. लड़कियों की ड्रेस, कुर्ता और पजामी थी. लड़कों की ड्रेस साधारण पैन्ट शर्ट ही थी.
मैं उससे बात करने का बहाने ढूंढता था, पर वो मुझसे तो क्या, किसी से भी ज़्यादा बात नहीं करती थी. मुझे उसकी इस बात से बड़ी मायूसी होती थी.
फिर एक दिन वो दिन आया, जिसका मुझे इंतज़ार था. हमारे शहर में बस की हड़ताल थी पर शायद उसको ये बात नहीं पता थी. वो पंजाबन लड़की कम्पनी से वापस जाने के लिए बस का इंतज़ार कर रही थी.
मैं उधर से गुजरा तो मैंने उससे पूछा कि चलिए आपको घर छोड़ देता हूँ. आज बस की हड़ताल है. कोई बस नहीं आने वाली है.
अब तक उसको भी इस बात की जानकारी हो गई थी, तो उसने मुझे हाँ कह दिया. वो मेरे साथ बाइक पर दोनों तरफ टांगें डाल कर बैठ गई.
मैं बाइक चलाने लगा. मुझे उसके स्पर्श मात्र से बड़ा ही सेक्स चढ़ रहा था. जब भी कोई स्पीड ब्रेकर आता या रुकना होता था, तो मैं कुछ ज्यादा ही जोर से ब्रेक मार देता था. इससे उसके 34 इंच साइज़ के कसे हुए आम मेरी पीठ पर दब जाते थे. उसके मम्मों का दबना होता था और मेरा लंड तो मेरा मानो पैन्ट को फाड़ कर बाहर आने को हो जाता था.
उसकी चुदाई की कल्पना में डूबा हुआ मैं बाइक चलाता रहा, मुझे पता ही नहीं चला कि कब उसका घर आ गया और वो बाइक से उतर गई.
मैं उसको छोड़ कर वापस बाइक घुमाने लगा, तो उसने मुझे शुक्रिया कहा.
मैंने कहा- कोई बात नहीं.
वो मुस्करा कर अपने घर चली गयी.
मेरे अन्दर तो लड्डू फूटने लगे. मैंने घर आ कर उसके नाम की मुठ मारी और रस छोड़ कर मैं उसको ही अपनी यादों में संजोने लगा.
उस दिन मुठ मारने का एक अलग ही मज़ा आया और कब सो गया, मुझे पता ही नहीं चला.
अगले दिन मैं ऑफिस गया तो उसने खुद मुझे बुलाया. मैं बहुत हैरान हुआ.
उसने मुझसे फिर से बाइक से घर छोड़ने की बात का शुक्रिया कहते हुए बात शुरू हुई. इस तरह हमारी बात होना धीरे धीरे शुरू हो गयी.
मैंने उसके बारे में तफसील से जानना चाहा, तो उसने बताया कि उसके पति शादी के एक महीने के बाद ही लन्दन चले गए हैं. अभी वो और उसकी सास ही घर में रहते हैं.
मैंने उसे और कुरेदा, तो उसने बड़ी मायूसी से बताया कि उसकी सास उसको बहुत तंग करती है.
ये बताते हुए उसकी आंखें भर आई थीं.
मैंने उसको संभाला और चुप करवाया. उसे मेरी इस दिलासा भरी बात से बड़ा अच्छा लगा.
अब हम रोज बात करने लगे. उससे मेरी निकटता बढ़ने लगी. हम दोनों फोन पर भी बात करने लगे. हम दोनों ऑफिस से निकल कर साथ ही आने लगे. वो बस स्टॉप पर खड़ी हो जाती और मैं उसे उधर से पिक कर लेता.
उससे फोन पर भी बात होने लगी थी. रात को भी फोन पर बात हो जाती थी. इस तरह से हम दोनों दोस्त बन गए थे.
अब वो मुझसे हर बात खुलके कर लेती थी. धीरे धीरे जोक्स से बात शुरू हुई और व्यस्क जोक्स से होते हुए हम फोन पर सेक्स की बातें भी करने लगे.
आखिर में मैंने उससे अपने दिल की बात कह ही दी कि मैं तुम्हें चोदना चाहता हूँ. वो भी मेरे साथ सेक्स के लिए राजी हो गई थी.
अब तो बस मैं और सुरभि मौका ढूंढ रहे थे कि कब अकेले मिल सकें और अपनी तन की प्यास बुझा सकें. हम दोनों की प्यास दिनों दिन बढ़ती ही जा रही थी. ऑफिस में उसके तने हुए आम देख कर मेरा लंड एकदम से तन जाता था.
वो भी मेरे तने को लंड को देख कर हंस पड़ती थी. जैसे वो तिरछी और हवस भरी नज़रों से देखती थी, उससे तो मेरा क्या … किसी बूढ़े का लंड भी तन सकता था.
आख़िरकार वो दिन आ गया जिसका इंतज़ार हम दोनों को बहुत समय से था.
उसने सोमवार को बताया कि उसकी सास शनिवार को 2-3 दिन के लिए किसी रिश्तेदार की शादी में जा रही है.
यह सुन कर तो मानो मेरी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा. मेरा लंड तो हिलोरें मारने लगा.
मुझे बस शनिवार का इंतज़ार था. मेरे लिए अब एक-एक दिन काटना बहुत मुश्किल हो रहा था. आख़िर वो दिन आ गया.
मैंने पहले ही सुरभि को बोल दिया था कि मैं देर शाम को तुम्हारे घर आऊंगा. तुम दरवाजा खुला रखना. मैं चुपचाप सीधा अन्दर आ जाऊंगा.
उसने हामी भर दी और ठीक समय पर घर का दरवाजा बिना कुंडी के उड़का कर लगा दिया. मैं उसके घर आया और दरवाजा धकेल कर सीधा अन्दर आ गया.
मैंने अन्दर जाकर देखा, तो सामने सुरभि हॉट सी जालीदार नाइट सूट पहने मेरा इंतज़ार कर रही थी.
मैं जैसे ही अन्दर गया, तो वो दौड़ कर मुझसे लिपट गयी और सुबकने लगी. ये उसकी चाहत मिलने के आंसू थे. मैं उसकी पीठ सहलाते हुए उसे चूमता रहा. हम दोनों काफ़ी देर तक एक दूसरे से ऐसे ही लिपटे रहे, जैसे कि हम दोनों को एक दूसरे को सालों से मिलने की प्यास हो.
उसके बाद फिर हम एक दूसरे से अलग हुए … तो मैंने देखा सुरभि की आंखों में ख़ुशी के आंसू थे.
मैंने उससे पूछा तो उसने ‘आई लव यू..’ बोल कर मेरे होंठों पर अपने कोमल से होंठों को रख दिया.
मैं बता नहीं सकता कि वो कितना मस्त अहसास था. वो मदहोश होकर खुद को मेरी बांहों के आगोश में क़ैद कर रही थी. मैं भी उसकी तरफ खिंचा जा रहा था. हम दोनों एक दूसरे में खोते जा रहे थे.
करीब आधे घंटे की किस के बाद हम एक दूसरे से अलग हुए, तो कुछ देर हम चुप रहे और हमारी आंखें बातें करती रहीं.
फिर सुरभि उठी और रसोई चली गयी और मैं भी उसके पीछे पीछे चला गया. वहां भी मैं उसको हग करके खड़ा रहा.
उसने दोनों के लिए कॉफ़ी बनाई और हम दोनों ने एक ही बड़े मग में पी.
कुछ देर हम दोनों एक दूसरे से चिपके बैठे रहे. हम लोग आपस में बातें ना के बराबर कर रहे थे, बस एक दूसरे की मन की बात को सुन और समझते हुए प्यार कर रहे थे.
फिर सुरभि रम की बॉटल लेकर आई और वो दो गिलासों में पैग बनाने लगी.
जब वो जब दो गिलासों में रम डालने लगी, तो मैंने उसे मना कर दिया और उसको एक गिलास में डाल कर पीने को बोला.
वो मुस्कुरा दी और बोली- हां, मैं तो भूल ही गई थी.
फिर जब उसने शराब पी, तो मैंने उसके होंठों पर होंठों रखके उसके होंठों से जाम खींच लिया.
आह आज तो शराब से ज़्यादा उसके होंठों का नशा हो रहा था. कुछ ही देर में नशे का आलम हो गया और हम एक दूसरे पर भूखे भेड़ियों की तरह टूट पड़े. उसके होंठों को चूमते चूमते, मैं धीरे धीरे उसके बदन पर हाथ घुमाने लगा.
वो मदहोश हो रही थी और मुझे अपनी बांहों में और भी कसके जकड़ रही थी.
फिर मैंने सुरभि के कानों पर काटना शुरू कर दिया. उसके कान के नीचे वाले भाग को अपने दांतों से चुभलाते हुए सहलाने लगा. उसने कामुकता की सीमा पार करते हुए मेरे होंठों पर काट लिया. ये पहली दफ़ा था, जब कोई इस तरह से मुझे किस कर रहा था.
मैंने फिर से अपने होंठों को उसकी गर्दन पर घुमाना शुरू कर दिया और बेतहाशा चूमने लगा. जितना मैं उसे चूमता, उतना ही सुरभि के मुँह से सिसकारियां निकल रही थी- आआह्ह … अभय आई लव यू … और करो मेरी जान … आज से मैं बस तुम्हारी हूँ … आह मेरी जान … अभय आह … तुम मुझे पहले क्यों नहीं मिले!
मैंने उसको अपनी गोद में उठाया और बेडरूम में ले गया और उसको बेड पर लिटा कर उसकी नाइटी उतार दी.
अब सुरभि मेरे सामने काले रंग की चमकदार ब्रा और काले रंग की पैन्टी में थी. मैं उसके मम्मों को ऊपर से दबाने लगा, तो वो उनको अपने हाथों से ऊपर उठा कर मेरा साथ दे रही थी.
वो मुझे ब्रा के ऊपर से अपने दूध चुसाते हुए बोली- आह चूस लो … आज मैं जितना भी चीखूँ … पर तुम मत रुकना … आज मैं पूरी तरह से एक औरत होने का सुख लेना चाहती हूँ.
मैंने उसकी ब्रा को एक झटके में फाड़ दिया और उसके आम मेरे सामने आज़ाद थे. उसके निप्पल उत्तेजना के चलते पूरे तने हुए थे. सुरभि ने खुद मेरे सर को पकड़ कर अपने मम्मों पर रखा और मैं भी छोटे बच्चे की तरह उसके मम्मों को चूसने लगा.
उसकी सिसकारियों की आवाज़ से मैं और भी उत्तेजित होकर ज़ोरों से चूचे चूसने लगता.
फिर सुरभि ने खुद मेरे कपड़े उतार दिए और मेरे बदन को चूमने लगी. वो मेरे बदन से खेलने लगी.
मैंने उसको गोद मैं उठाया और रसोई में लेकर आ गया और उसको ज़मीन पर लिटा दिया.
वो बस मेरी तरफ प्यार से देख रही थी.
मैंने फ्रिज से बर्फ निकाली और उसके उसके छोटे छोटे टुकड़ों को सुरभि के बदन पर रगड़ने लगा. इससे सुरभि तो मानो खुद को खो बैठी थी बस. और रसोई उसकी सिसकारियों की आवाज़ गूँज रही थी- आहह … उउहह … अभय.
उसकी मादक आवाजें ही गूँज रही थीं.
तभी सुरभि ने मेरी पैन्ट उतारी और अंडरवियर के ऊपर से ही मेरे लंड को दबाने लगी.
आप खुद एहसास करके देखो कि जब एक लड़की के कोमल हाथ में जब किसी मर्द का सख्त लंड आता है, तो क्या अहसास होता है.
मेरे लंड को हाथ में लेकर सुरभि डर गयी और बोली- अभय … इतना मोटा लंड और लंबा लंड … मेरे पति को 4 इंच का है. इतना लम्बा तो मैंने अब तक सिर्फ पॉर्न फिल्मों में ही देखा था. मेरी छोटी सी चूत में ये नहीं घुस सकेगा.
मैंने उसको समझाया, तो वो मान गयी. फिर मैंने उसको और गरम करने के लिए उसकी चूत को उसको पैन्टी के ऊपर से दबाकर रगड़ने लगा.
उसने अपनी टांगें खोल दीं और साथ ही उसने मेरे लंड को अपने हाथ में थाम लिया. वो मेरे लंड को हाथों से दबाने लगी … और उससे खेलने लगी. मेरा लंड और तन गया.
मैंने लंड की तरफ उसे इशारा किया, तो जैसे वो मेरे इशारे का ही इन्तजार कर रही थी. उसने अगले ही पल मेरे लंड को मुँह में डाला और चूसने लगी. वो मेरे लंड को ऐसे चूसने में लगी थी … जैसे कोई लॉलीपॉप को चूसते हैं.
मैं तो जन्नत में विचर रहा था. आहह … मेरी सुरभि इस समय किसी पेशेवर रंडी की तरह लंड को चूस रही थी.
कुछ देर बाद वो उठी और उसने शहद की बोतल उठा ली. अब उसने मेरे लंड को शहद में डाला और फिर से मुँह में लेकर चूसने लगी. मैं भी उसके बालों को पकड़ कर ज़ोर ज़ोर से उसके सर को लंड पर दबाने लगा. मेरा लंड उसके गले तक चोट कर रहा था. उसकी आंखों में आंसू आ गए थे. तब भी वो लंड को गपागप चूसे जा रही थी.
कुछ ही देर में मेरा रस निकलने वाला था, तो मैंने उसको रोका.
वो जंगली बिल्ली बन चुकी थी. वासना में गाली देते हुए सुरभि बोली- पहली बार इतना मोटा और लंबा लंड मिला है. इसका तो पूरा रस चूसूंगी हरामजादे.
मैंने भी गाली देते हुए उसके दूध मसले और कहा- चूस ले रंडी साली भैनचोद … चूस अपने यार का लंड … साली मादरचोद!
वो मेरे लंड को चूसती रही और पूरा माल गटक गई. लंड का माल निचोड़ने के बाद भी वो मेरे मुर्दा लंड को चूसती रही. इससे मेरा लंड फिर से कड़क हो गया.
मैंने भी देर ना करते हुए उसकी पैन्टी भी उतार दी और अब सुरभि बिल्कुल नंगी मेरे सामने थी. वो तो अब मछली की तरह तड़पने लगी. मैंने उसकी चूत के छेद पर अपने होंठ रख दिए और चुत चाटने लगा.
वो तो एकदम पागल सी हो रही थी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… ऊंह अभय … और चाट मेरी चुत आह आज चोद से फाड़ दे मेरी चुत … आह मेरी प्यास बुझा दे अभय. … आज से मैं तेरी हूँ.
मैंने बर्फ का टुकड़ा उसकी चूत की फांकों में घिसा और अन्दर फंसा दिया. उसकी कराहें और भी मीठी हो गई थीं. मैं उसकी चूत में फंसे बर्फ को चाटते हुए चूत चाटने लगा. वो अपनी चूत को ऊपर उठा रही थी और मेरे सर को अपनी चूत पर दबा रही थी.
इसके बाद मैंने शहद को कटोरी में डाल कर उसमें अपनी जीभ डाली और उसकी चूत पर शहद गिरा कर उसको अपनी जीभ से चाटने लगा था. उसकी चूत की गर्मी को मैं महसूस कर रहा था.
वो तभी एकदम से गुर्राई और गाली देते हुए कहने लगी- मादरचोद … अब चोदता क्यों नहीं है … लंड डाल न!
मैंने झट से लंड के टोपे को उसकी चूत के छेद पर रख दिया और चुत की फांकों में सुपारा रगड़ने लगा.
उस साली से रहा ही नहीं जा रहा था. वो गाली बक रही थी- भैनचोद डाल दे मादरचोद … मेरी चूत के अन्दर हरामी, फाड़ दे आज अपनी रंडी की चूत को … चोद साले गांडू … आज से मैं तेरी रखैल हूँ. जब दिल करे चढ़ जाना अपनी रंडी के ऊपर!
उसके मुँह से ऐसी बातें सुन कर मुझे और जोश आ गया. मैंने भी फिर पहला झटका मारा … तो साली की चीख निकल गयी. मैंने उसके मुँह पर हाथ रख दिया. मगर मेरे मोटे लंड से उसकी चुत एकदम से चिर सी गई थी. उस साली ने हाथ पर काट दिया.
मैंने हाथ हटाया तो बोली- उन्ह … माँ मर गई … जल्दी से निकाल इसको … मेरी जान लेगा क्या हरामी … बहुत दर्द हो रहा है भैन के लौड़े साले … मार डाला कमीने.
मगर मैं कहां रुकने वाला था. मैंने एक और धक्का मारा, तो साली रोने लगी. अब तक आधा लंड चुत के अन्दर चला गया था.
इससे पहले कि वो दुबारा चीखती, मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए थे. मगर साली ने मेरे होंठों को काट लिया.
मैं झट से होंठ हटा लिए. तो बोली- स्साले आराम से पेल … मैं कौन सा कहीं भाग रही हूँ.
मैंने भी सोचा कि आराम से ही चुदाई का मजा लेते हैं. मैं रुक गया और उसको चूमने लगा. मैं सुरभि को भी मज़ा देने लगा. मैं ऐसे ही उसके ऊपर लेट गया और उसके मम्मों को चूसने लगा.
थोड़ी देर बाद जब उसका दर्द कम हुआ, तो मैं धीरे धीरे लंड चुत में अन्दर बाहर करने लगा. अब उसको भी मज़ा आने लगा था. तभी मैंने एक और झटका मारा, तो इस बार उसने हल्की सी ‘उन्ह आन्ह..’ करते हुए लंड बर्दाश्त कर लिया.
अब मेरा पूरा लंड उसकी चूत में चला गया था. मैंने धीरे धीरे अपनी स्पीड बढ़ा दी थी. अब उसको भी मज़ा आने लगा था. वो भी चूत उठा कर साथ दे रही थी.
सुरभि- आआहह … आज तो मज़ा आ गया. … आह असली चुदाई तो आज हुई है … तूने मेरे राजा मजा दे दिया … आज से तू मेरी चूत का मालिक है … मैं तेरी दासी हूँ. आअहह और तेज अभय … फाड़ दे साली चुत को … आज रंडी की तरह चोद मुझे.
उसकी ऐसी बातें सुन कर मेरा जोश और बढ़ रहा था और मेरे धक्के निरंतर तेज होते जा रहे थे. चुदाई में उसके चूचे भी साथ साथ उछल रहे थे.
उफ्फ़ … कितना सुख मिल रहा था.
फिर वो तेज स्वर में चिल्लाने लगी. वो झड़ने वाली थी. उसने मुझे कसके पकड़ लिया और अपनी चूत को मेरे लंड पर दबाने लगी. वो इस वक्त इतनी गर्म हो गई थी कि उसने अपने नाख़ून मेरे बदन पर गड़ा दिए और एक लंबी आह … के साथ वो झड़ कर मेरी बांहों में सिमट कर रह गयी.
उसकी चूत का पानी भलभला कर निकल रहा था … जो मुझे अपने लौड़े पर महसूस हो रहा था. उसकी गर्मी से मेरे लंड ने भी पिघलना शुरू कर दिया. अगले ही शॉट में मेरे लंड से भी पिचकारी छूट गयी और सुरभि की चूत भर गयी.
हम दोनों इतने थक गए कि वहीं पर आंखें मूंदे लेट गए. कब हमारी आंख लगी, कुछ पता ही नहीं चला.
हम दोनों आधा घंटे बाद उठे और साथ में नहाए. उस दिन मैंने उसे तीन बार चोदा. फिर मैं अपने घर चला गया.
उसके बाद हम दोनों बहुत बार मिले. अब उसके पति ने उसको भी लन्दन बुला लिया है. जब वो लन्दन जाने लगी, तो सुरभि की जिद थी कि मैं तुम्हारे ही बच्चे की मां बनूंगी.
आखिरी बार जब सुरभि मुझसे चुदने आई, तो उसने अपनी जिद पूरी कर ली.
वो उस दिन मुझसे चिपक कर बहुत रोई. फिर तीन महीने के बाद उसका फोन आया कि वो मेरे बच्चे की माँ बनने वाली है. मैंने उसे बधाई दी और रो पड़ा. वो भी रो दी. मगर सुरभि मुझसे भी ज़्यादा खुश थी.
आपको मेरी ये पंजाबन लड़की की चुदाई की सच्ची सेक्स कहानी कैसी लगी. मैं कोई लेखक नहीं हूँ, इसलिए कुछ ग़लती हुई हो, तो प्लीज़ नजरअंदाज कर देना. मुझे आपके मैसेज का बेसब्री से इंतज़ार रहेगा.
मेल जरूर करें.
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