कैसे हो दोस्तों, मैं कमलप्रीत, आज एक नई कहानी आपकी नजर कर रहा हूँ।
आरती मेरी पुरानी दोस्त है, करीब दस साल से हमारे सम्बन्ध हैं। हम दोनों की दोस्ती, शादी के बाद हुई जो शारीरिक सम्बन्धों में बदल गई।
मेरी ही कालोनी में रहने वाली आरती से मेरे सम्बन्ध तब बने जब उसके पति का तबादला दूर के एक शहर में हुआ। उसको भी शरीर की भूख मिटाने के लिए साथी की जरूरत थी और मर्द तो अच्छी महिला के साथ बिस्तर गर्म करने का सपना हर टाईम देखते ही रहते हैं।
मेरी उम्र इस समय 45 की है और आरती मेरे से एक साल बड़ी है। अब उसके पति की पोस्टिंग दोबारा जालंधर हो चुकी है लेकिन मेरे और आरती के सम्बन्ध वैसे ही कायम हैं। जब भी मौका मिले हम उस मौके का लाभ उठा लेते हैं। यह ध्यान रखते हैं कि लोकल न मिला जाये इसके लिए मैंने जालंधर से थोड़ी दूर एक बढिय़ा होटल में सैटिंग कर रखी है। एक दो महीने बाद हमारा मिलन हो ही जाता है।
बात जून 2015 की है, आरती के साथ मिलने का प्रोग्राम बना तो हर बार की तरह आरती जालंधर के नजदीकी शहर के लिए बस से निकल पड़ी और मैं अपनी कार में!
हर बार की तरह बस स्टैंड से उसको पिक किया। दोपहर करीब 2 बजे होटल में पहुंचकर हमेशा की तरह मैंने आरती को कार में बैठे रहने दिया और रिसेप्शन पर एंट्री करवाई। बाहर आकर आरती के साथ होटल में प्रवेश कर गए।
जैसे ही बुक किए गए रूम में प्रवेश करने के लिए वेटर ने दरवाजा खोला तो पास के कमरे से एक जोड़े को देखकर मैं और आरती सन्न रह गए।
पास वाले कमरे से मेरे सामने घर में रहने वाली 22 वर्षीय तानिया किसी अपरिचित युवक के साथ रूम से बाहर आ रही थी। उसकी सूरत देखकर साफ दिख रहा था कि वह कमरे में कौन सा खेल खेलकर निकल रही है।
उसके साथ करीब 34-35 वर्ष का स्मार्ट सा युवक था जिसको मैं पहचानता नहीं था।
जैसे ही मेरी और तानिया की नजरें मिलीं, दोनों की नजरें झुक गई। तानिया ने तिरछी नजर से आरती की तरफ भी देखा तो उन दोनों के चेहरों पर भी परेशानी की झलक देखने को मिली।
खैर, हम रूम में दाखिल हुए तो दोनों इस अप्रत्याशित घटना से परेशान हो गए।
हालांकि तानिया भी उतनी ही चोर थी जितने हम, लेकिन हम दोनों शादीशुदा थे जबकि तानिया अविवाहित थी।
कमरे में बैठते ही पहले तो हम दोनों ने ठंडा पानी पिया।
प्रेमक्रीड़ा का खेल खेलने पहुंचे हम दोनों इस बात को लेकर परेशान थे कि अब क्या होगा।
‘अब कमल होगा कमल?’ आरती ने सवाल किया।
‘कुछ नहीं होगा आरती, हम जो गलत काम कर रहे हैं, वही तो तानिया करके गई है।’
‘फिर भी मुझे बहुत डर लग रहा है, अगर बात निकल गई तो?’
‘नहीं निकलेगी। तुम एक काम करो किसी तरह तानिया का फोन नंबर लो!’
‘लेकिन कैसे लूं उसका नंबर? मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा, बहुत घबराहट हो रही है कमल, चलो वापिस चलें!’
‘डरो मत आरती, मैं हूँ न!’ हालांकि अंदर से मैं भी बहुत डर रहा था।
मैंने अपनी घबराहट दूर करने के लिए वेटर को बुला कर दो बीयर बोल दीं और एक गिलास फटाफट गटक लिया। इसके साथ ही दिमाग के घोड़े दौड़ाने शुरु कर दिये कि तानिया वाली समस्या से कैसे निपटा जाये। यह सवाल भी मन में आया कि उसके साथ वाला आदमी कौन था। कहीं तानिया काल गर्ल का धंधा तो नहीं करती।
डेढ़ बोतल बीयर पीने के बाद घबराहट थोड़ी कम हुई और मैंने तानिया वाला मस्ला भूलकर आरती से अपना खेल खेलना शुरू कर दिया लेकिन उस दिन आरती का पहले जैसा रिस्पांस नहीं मिला। उसकी घबराहट हमारे सुखद शारीरिक सम्बन्धों में आड़े आ रही थी। मुझे भी महसूस हो रहा था कि आज लंड उतना कडक़ नहीं जितना आम तौर पर होता है।
अचानक मेरे फोन की घंटी बजी।
अज्ञात नंबर था, ऐसे में मैं अज्ञात नंबर कम ही एटेंड करता हूँ लेकिन मैंने फोन उठा लिया।
आवाज लडक़ी की थी- हैलो, कमल अंकल?
‘येस… आप कौन?’
‘अंकल तानिया बोल रही हूँ।’
‘ओह, हाँ तानिया!’ मैंने अपनी घबराहट छिपाते हुए जवाब दिया और उसके फोन करने की हिम्मत की दाद भी दी।
‘अंकल, आज न तो मैंने आपको और आरती आंटी को देखा और न ही आपने मुझे और अजय को देखा… प्लीज!’
‘ओके तानिया, मैं भी तुमसे यही कहने वाला था। लेकिन मेरा नंबर कहाँ से लिया?’
‘अंकल बाद में बताऊंगी। अब आप एंजोय करो!’
‘थैंक्स तानिया… बाद में फोन पर बात करूंगा तुमसे!’ यह कहकर मैंने राहत की सांस ली और सारी बात आरती को बताई।
सुनकर आरती की चिंता भी काफी हद तक दूर हो गई। साथ ही मैंने तानिया का फोन नंबर सेव कर लिया।
कुछ देर बाद हम फ्री हो गए, आरती को बस स्टैंड ड्राप किया और मैं अपनी कार में जालंधर के लिए रवाना हो गया।
मन के एक कोने में फिर भी होटल वाली घटना थोड़ी थोड़ी घबराहट देती रही।
दो दिन बाद मैंने तानिया को फोन लगा दिया- हैलो तानिया, कैसी हो?
‘फाइन अंकल, आप कैसे हो?’
‘तानिया, उस दिन तुमहारे साथ कौन था?’
‘अंकल, छोड़ो यह सब… आप तो बड़े छुपे रुस्तम निकले। आरती आंटी को कैसे पटा लिया?’ तानिया बेबाकी से बात कर रही थी।
‘बस हो गया.. फोन पर बताने वाली बात नहीं यह!’
‘तो मिलकर बता दो।’ तानिया जोर से हंसी।
‘यह सही है। मिलकर ही बात करेंगे। वैसे भी फोन पर ऐसी बातें ठीक नहीं!’
‘ओके अंकल!’
इसके बाद दस बारह दिन ऐसे ही बीत गए। आरती से फोन पर मेरी बात होती रही और तानिया से होने वाली बात मैंने आरती को भी बताई।
कुछ दिन बाद मैंने खुद तानिया को फोन लगाया। इधर उधर की बातों के बाद मैंने सवाल किया- तानिया, किसी दिन बैठकर कुछ बातें करें?
‘कौन सी बातें करनी अंकल?’
‘अरे अपनी अपनी प्रेम कहानी शेयर करेंगे।’
तानिया जोर से हंसी और बोली- ठीक है अंकल, लेकिन आरती आंटी भी साथ हों तो?’
‘ओके तानिया, मैं आरती से बात कर लूंगा। और हाँ अजय को तो नहीं बताया कुछ तुमने?’
‘अरे नहीं अंकल, मैं क्यों बताऊंगी उसको!’ तानिया ने जवाब दिया।
‘फिर ठीक है, मिलते हैं किसी दिन!’
‘ओके, लेकिन अंकल मिलेंगे कहाँ?’
‘वहीं मिलेंगे जहाँ हम एक दूसरे को देखकर भी अनजान बने रहे थे।’
‘ठीक है अंकल, वहीं मिलेंगे, आप मुझे एक दो दिन पहले बता देना और आरती आंटी को भी बोल देना!’
‘ओके बाय!’ कह कर मैंने फोन काट दिया और आरती को सारी बात बताई।
पहले तो आरती इस तरह मुलाकात के लिए मानी नहीं लेकिन जब उसको अच्छे से समझाया तो मान गई। लेकिन वह खुद तानिया से फोन पर बात करने को नहीं मानी।
इसके साथ ही मैं एक बात को लेकर दुविधा में था, मेरे पास आरती और तानिया दोनों बैठी होंगी तो मैं क्या बात करूंगा। किसकी तरफ अधिक ध्यान दूंगा? तानिया के होते आरती के साथ कैसे सेक्स करूंगा? सच तो यह था कि मैं तानिया की तरफ आकर्षित हो चुका था लेकिन आरती को धोखे में रखकर कुछ नहीं करना चाहता था। शायद आरती भी इस बात को महसूस कर रही थी लेकिन खुलकर मेरे से इस बारे में उसने बात नहीं की थी।
आखिर मैंने सोचा कि क्यों ने उस दिन होटल में दो कमरे बुक करवा लूं, लंच एक साथ कर लेंगे। गपशप मारने के बाद तानिया दूसरे कमरे में थोड़ी देर रुक जायेगी।
करीब दस दिन गुजर गए। एक दिन तानिया का फोन आ गया और सप्ताह के किसी भी दिन मिलने को कहा। आरती की सुविधा के अनुसार मैंने दिन फाइनल किया और तानिया और आरती को ठीक एक बजे पास वाले उसी शहर के बस स्टैंड पर ठीक एक बजे पहुंचने को कहा।
इस बीच मैंने एक बार फिर आरती और तानिया को आपस में दोस्ती बढ़ाने के लिए बोला लेकिन दोनों ने इसमें हिचकिचाहट दिखाई।
आखिर वो वक्त आ गया, आरती और तानिया दोनों सही टाइम पर बस स्टैंड पर मुझे मिल गई, दोनों अलग अलग आई थीं।
होटल पहुंचकर मैंने दो कमरे बुक करवाये। फोन पर बेबाकी से बात करने वाली तानिया उस दिन खुलकर बात करने में झिझक रही थी, ऐसा मुझे लगा। आरती भी ज्यादा बात नहीं कर रही थी।
‘खाने पीने में आप दोनों क्या लेंगी? ‘मैंने एसी रूम में कड़ी गर्मी से थोड़ी राहत महसूस करते दोनों को मुखातिब होकर पूछा।
‘कुछ भी।’ आरती बोली।
‘जो आप लोगे, मैं भी वही ले लूंगी।’ तानिया ने जवाब दिया।
‘मैं तो बीयर पीयूंगा। आरती तो कोल्ड ड्रिंक ही लेती है, तुम बता दो तानिया?’
‘अंकल मैं भी बीयर ले लूँगी थोड़ी!’ तानिया धीरे से बोली।
वैसे तो लड़कियां आजकल बीयर वगैरह ले लेती हैं लेकिन तानिया के बीयर पीने को लेकर मुझे कुछ हैरानी जरूर हुई।
खैर, बीयर और कोल्ड ड्रिंक के साथ धीरे धीरे वार्तालाप शुरू हुआ।
तानिया यह जानने को उत्सुक थी कि मेरी और आरती की सैटिंग कैसे हुई और हम यह जानना चाहते थे कि तानिया के साथ उस दिन युवक कौन था और उसकी उसके साथ कैसे नजदीकी बढ़ी। मेरी और आरती की कहानी बड़े गौर से सुनी तानिया ने!
अपने साथ वाले युवक अजय के बारे बताया कि वह उसकी भाभी का चचेरा भाई है। एक फैमिली फंकशन में अजय और तानिया एक दूसरे के प्रति आकर्षित हुए थे और फोन नंबर एकसचेंज होने के बाद मिलने का सिलसिला शुरु हो गया था। हालांकि अजय शादीशुदा था लेकिन तानिया को इससे कोई आपत्ति नहीं थी। उसने बताया कि वह और अजय 14-15 बार सम्बन्ध बना चुके हैं।
हम तीनों ने अपने अपने सम्बन्धों की गोपनीयता का एक दूसरे से वादा लिया।
धीरे धीरे आरती भी सामान्य होने लगी और खुलकर हंसी मजाक की बातें करने लगी। तानिया के सामने ही मैं आरती के बदन पर हाथ फेरता रहा।
दो बोतल बीयर खत्म हो चुकी थी। मैंने तानिया को आग्रह किया कि वह थोड़ी देर साथ वाले कमरे में चली जाये। सारी बात समझते हुए वह तुरन्त उठी और हमें इन्जाय करने का बोल साथ वाले रूम में चली गई।
मैं और आरती जब निर्वस्त्र होकर अपना खेल खेल रहे थे तो मेरी अन्तर्वासना के एक कोने में तानिया का हुस्न हिलौरें ले रहा था।
पता नहीं आरती ने कैसे यह जान लिया मेरी नजर तानिया पर भी है।
अचानक आरती मेरा लंड चूसते हुए रुकी और बोली- तानिया क्या कर रही होगी इस टाइम अकेली रूम में?
नंगी आरती की पीठ पर हाथ फेरते हुए मैंने जवाब दिया- चूत में उंगली ले रही होगी… पक्का!
सुनकर आरती हंस दी।
‘सही कहा आपने!’ मेरी तरफ देखते हुए बोली- बुला लो उसको भी यहीं?
पहले तो मुझे लगा कि आरती मुझे परखना चाहती है कि कहीं मेरी दिल तानिया की चुदाई को तो नहीं कर रहा।
‘अरे, रहने दो, पता नहीं क्या सोचे?’
‘अरे तुम फोन तो करो उसको… गर्म होगी इस टाइम!’ आरती बोली।
‘तुम्हें बुरा नहीं लगेगा?’
‘बिल्कुल नहीं!’
‘तो तुम करो फोन तानिया को!’ मैंने आरती से आग्रह किया।
‘अरे मैं नहीं, आप ही करो।’
‘ठीक है।’ कहते हुए मैंने तानिया को फोन मिला दिया।
‘जी अंकल, ठीक चल रहा है सब?’
‘बिल्कुल, आ जाओ तुम भी यहीं।’
‘मैं क्या करूंगी वहाँ अंकल? आप दोनों करो एंजोय!’
‘ये लो करो आरती से बात।’ कहते हुए मैंने फोन आरती को थमा दिया।
‘मैं नहीं करूंगी बात!’ धीरे से आरती बोली लेकिन मेरे जोर डालने पर उसने फोन पकड़ लिया।
‘तानिया, आ जाओ थोड़ी देर यहीं। अंकल मिस कर रहे हैं तुझे।’ आरती मुस्कुराते हुए बोली।
‘ओके जी, आती हूँ, खोलो दरवाजा!’
जैसे ही मैं टावल बांध कर दरवाजे की तरफ हुआ, आरती बैड पर पड़े कंबल में घुस गई।
इतने मे दरवाजा खटका और तानिया कमरे में थी।
तानिया ने उस दिन हल्के हरे रंग का टाइट फिटिंग का सूट पहन रखा था।
32-30-34 के करीब फिगर वाली तानिया की आँखों में हल्का हल्का नशा झलक रहा था।
अंदर आकर वह सोफे पर बैठ गई और मैं आरती के कंबल में घुस गया। तानिया ने बिना झिझक टेबल पर पड़ा मेरा बीयर का आधा गिलास पकड़ लिया और सिप करने लगी।
मैंने कंबल में घुसते ही आरती की चूत को मसलना शुरू कर और लबों में लब ले लिए।
आरती बार बार कंबल ऊपर की तरफ खींच रही थी लेकिन मेरी कोशिश थी कि वह पूरी नंगी तानिया को दिख जाये। तिरछी नजर से मैंने तानिया की तरफ देखा, उसने आँख और हाथ से कंबल हटाने का इशारा किया और मैंने वैसा ही किया।
कंबल झटके से हटाकर नीचे फेंक दिया। अब हम दोनों बैड पर नंगे थे। तानिया कामुक नजरों से हम दोनों की काम लीला को देख रही थी।
मैंने आरती की टांगें खोलकर अपना मुंह उसकी चूत पर रख दिया और चाटने लगा। साथ ही तानिया की तरफ देखा जो सारा खेल बड़ी रुचि से देख रही थी। आरती की आँखें अधखुली थीं।
इस बीच तानिया की तरफ देखते हुए सिर को हिलाकर बैड पर आने का इशारा किया।
लबों पर जुबान फेरते हुए तानिया बैड के कोने में बैठ गई। मैंने एक हाथ से उसकी बाजू को पकड़ा और आरती के साथ ही बैड पर गिरा दिया। अपने एक हाथ से मैं आरती की चुची दबा रहा था और दूसरे हाथ से तानिया की चुची दबा दी।
अब मैंने आरती को इशारा किया कि तानिया को नंगी करे!
आरती ने वैसा ही किया।
थोड़ी से हिचकिचाहट के बाद तानिया ने कपड़े उतरवा लिए।
इस बीच आरती उसके मखमली जिस्म पर हाथ फेरने लगी। मुझे महसूस हुआ कि आरती भी उसके जिस्म के साथ खेलने में आनन्द ले रही है।
तानिया की टांगें खोलने में आरती ने मेरी मदद की।
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मेरा मुंह जब तानिया की चूत पर था तो आरती ने उसकी चुची चूसनी शुरु कर दी।
तानिया ने आँखें बंद करके खुद को हमारे हवाले कर दिया। उसकी चूत पूरी गीली होने पर आरती ने मुझे लंड तानिया की चूत में डालने का इशारा किया।
मैंने भी देरी नहीं की, तुरन्त कंडोम चढ़ाया और शुरु हो गया।
‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ ताहिया की सिसकारी निकल गई!
इस बीच आरती उसके जिस्म के साथ खेलती रही जिसे देखकर मुझे थोड़ी हैरानी जरूर हुई।
थोड़ी देर बाद तानिया का शरीर एकदम से अकड़ा और ढीला पड़ गया, मैं समझ गया कि तानिया झड़ चुकी है।
मैंने लंड उसकी चूत से निकालकर आरती की तरफ बढ़ा दिया।
आरती ने लंड से कंडोम उतारते हुए नया चढ़ाया और टांगें खोल दी।
फिर शुरु हो गई आरती की चुदाई!
पास ही लेटी हुई तानिया, इस खेल को बड़े गौर से देख रही थी। बीच बीच में आरती कामुक नजरों से तानिया की तरफ देखती और उसका हाथ पकडक़र अपनी चुची पर रख देती।
थोड़ी देर में मैं और आरती झड़ गए।
तीनों ने एक साथ शावर बाथ लिया और कपड़े पहनकर वापिसी को तैयार हो गए।
अब तानिया और आरती आपस में पूरी तरह खुल गई थी। होटल के कमरे से निकलते तानिया बोली- बड़े चालू हो आप दोनों अंकल आंटी!
मैंने जवाब दिया- और तुम कौन सी कम चालू हो?
हम तीनों खिलखिलाकर हंस दिये।
बाद में आरती ने मुझे बताया कि शादी से पहले पढ़ाई के दौरान होस्टल में वह अपनी रूममेट के साथ नंगी सोती थी और दोनों एक दूसरे की खूब चूमाचाटी करती थी। आज वैसा ही आनन्द उसे एक बार फिर मिला है।
जालंधर वापिस जाते समय आरती और तानिया एक साथ एक ही बस में गई।