यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
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जीजा ने कस कर मुझे अपनी बांहों में जकड़ लिया और मेरे तने हुए दूधों को पकड़ कर अपने लंड को चूत में बुरी तरह से पेलने लगे उम्म्ह… अहह… हय… याह… करते हुए वो ऐसे चीख रहे थे जैसे उनका लंड अभी फटने ही वाला है किसी बॉम्ब की तरह.
मैं भी जीजा के साथ ही चीखने लगी- जीजा, मेरी चूत को फाड़ दे. अपने लंड से इसके चिथड़े कर दे. मैं तेरे लंड की पूजा करूंगी सारी उम्र. वो आशीष साला तो मेरी चूत को अभी तक फोन पर ही गर्म करके छोड़ देता है. मैं तुम्हारे लंड की प्यासी हूं. इसको इतना चोद दे कि यह साली कई दिन तक होश में न आये.
उन्होंने एकदम से मेरे दोनों दूधों को पकड़ कर अपने लंड को चूत में पूरा का पूरा जड़ तक पेल दिया. उनके लंड से गर्म-गर्म रस निकल कर मेरी चूत में भरने लगा.
जीजा का रस बहुत ही गर्म था क्योंकि उनका दूसरी बार हुआ था ये राउंड. मेरी पूरी चूत में रस भर गया और फच-फच की आवाज कमरे में गूंज उठी थी. मेरी चूत में भोला का रस तो पहले से ही भरा हुआ था और अब ऊपर से जीजा का रस भी मेरी चूत में जाकर छूट गया.
पूरे बिस्तर पर मेरी चूत से निकल कर रस बहने लगा. मेरी चूत से निकल रहे रस के कारण पूरा बिस्तर ही गीला हो गया.
जीजा बोले- बंध्या, पूरा बिस्तर ही गीला हो गया है. साली, तू इतनी गजब माल है कि तुझे चोद कर इतना मजा आयेगा मैंने कभी सोचा भी नहीं था. तुझे जितने भी लंड चाहिए तू मुझे बता देना. मेरे कई सारे ऐसे मर्द दोस्त हैं जो तेरी इस चुदक्कड़ प्यासी चूत की गर्मी को शांत कर सकते हैं. अगर तुझे एक मर्द से शांति न मिले तो हम सब मिल कर तेरी चूत को चोद देंगे. लेकिन मैं तुझे खुश देखना चाहता हूं साली. जब तक तू संतुष्ट नहीं होगी हम तेरी चूत को चोदते ही रहेंगे.
जीजा ने कस कर मेरे होंठों को चूस लिया और मेरी जीभ को चाटने लगे. उन्होंने मुझे अपनी बांहों में भर लिया और फिर एकदम से शांत होकर मेरे ऊपर लेट गये. इतनी जबरदस्त चुदाई के बाद मैं भी थक गई थी. पहले तो भोला ने मेरी चूत को बुरी तरह से चोद डाला था. जीजा ने मेरी गांड को अच्छी तरह चोदा और फिर तब भी मेरी प्यास न बुझी तो उन्होंने मेरी चूत को चोदते हुए अपना गर्म लावा मेरी चूत में भर दिया.
पांच मिनट तक हम दोनों जीजा-साली ऐेसे ही थक कर एक दूसरे के ऊपर पड़े रहे. पांच मिनट के बाद जीजा का लंड अपने आप ही सिकुड़ कर मेरी चूत से बाहर निकल आया था.
लंड के बाहर आने के बाद उन्होंने उठ कर मेरे होंठों को चूमा और मुझसे आई लव यू कहा. वो बोले- तू मस्त आइटम है बंध्या. तू तो एक कयामत है. तेरा कोई जवाब नहीं है. अब जा और उठ कर बाथरूम में जाकर खुद को साफ कर ले.
भोला भी अभी तक वहीं बेड पर एक किनारे पड़ा हुआ था. वह ऐसी हालत में था कि जैसे उसके सारे शरीर की मर्दानगी और ताकत मेरी चूत में ही चली गई हो. वो बिल्कुल थक गया था मेरी चूत को चोद कर.
उसने कहा- यह टॉवल उठा कर अपने बदन पर लपेट कर चली जा और बाहर बाथरूम में जाकर खुद को अच्छे से धो ले. तब तक मैं रूम की सफाई करवा देता हूं.
मैं एक चादर लपेट कर बाथरूम में गई तो मेरी टांगें बहुत दर्द कर रही थीं. ठीक से चल भी नहीं पा रही थी मैं. मैंने बाथरूम में जाकर अपनी चूत को अच्छे से पानी मारकर धोया तो उसमें जलन हो रही थी. मेरी गांड और चूत दोनों ही दुख रही थी. जोश में आकर मैंने भोला और जीजा का लंड बुरी तरह से निचोड़ लिया था. लेकिन मेरी खुद की हालत भी बुरी हो चुकी थी.
धोने के बाद जब मैं वापस रूम में आई तो भोला ने वह गंदे वाला बिस्तर साफ करवा दिया था और चादर को वहां से हटा दिया था. मैंने आने के बाद अपने कपड़े पहने और जीजा ने भी अपने कपड़े पहन लिये. भोला ने कहा कि मैं तु्म्हारे लिये कुछ खाने का इंतजाम करवा देता हूं.
इतना कहकर वो नीचे चला गया.
हम दोनों नहा-धोकर तैयार हो गये. भोला ने खाना भिजवा दिया था. थोड़ा सा खाना खाने के बाद मैंने जीजा से कहा- अब क्या करना है जीजा?
जीजा बोले- अब सो जाते हैं और सुबह जल्दी उठ कर घर के लिए निकल जायेंगे.
रात के तीन बज गये थे. मैं उस रात को अच्छी तरह से सो भी नहीं पायी थी. दो घंटे में ही मेरी नींद खुल गई. उठते ही हम लोग घर के लिए चलने लगे. मैंने जीजा का फोन लेकर आशीष को लगाया और कहा- तुम कहां पर मिलोगे?
वो बोला- मैं तुम्हें सतना बस स्टैंड पर मिलूंगा. तुम कितनी देर में पहुंच रही हो?
मैंने कहा- ठीक है, अभी तो मैं जीजा के साथ चित्रकूट के लिए निकल रही हूं. अभी मुझे आने में दो-ढाई घंटे लगेंगे सतना तक.
मैं रास्ते भर आशीष से फोन पर बात करती रही. लगभग तीन घंटे के बाद मैं सतना बस स्टैंड पर पहुंच गई. जैसे ही मैं स्टैंड पर उतरी तो सामने आशीष खड़ा हुआ था.
मैंने जीजा से कहा- मैं पांच-दस मिनट में आती हूं.
जीजा बोले- ठीक है, तुम आराम से मिल लो. मैं यहीं पर तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं.
आशीष से मिली मैं और हम दोनों एक रेस्टोरेंट में खाने के लिए चले गये. हम दोनों ही कुर्सियां पास-पास करके चिपक कर बैठे हुए थे. जीजा मुझे और आशीष को बड़े ही गौर से देख रहे थे. लेकिन वो हमारे पास नहीं आए.
मैं हंसने लगी और आशीष को दिखाते हुए बोली- देखो, वो मेरे बड़े वाले जीजा है. उनको तुम्हारे बारे में सब पता है.
आशीष बोला- क्या बताया है तुमने उनको हमारे बारे में?
मैंने आशीष से झूठ ही कह दिया कि मैंने कुछ नहीं बताया है. लेकिन मैंने आशीष को बता दिया कि मैं उन्हीं के फोन से उससे बात कर रही थी. वो हम दोनों को समझते हैं और हमें सपोर्ट भी करेंगे.
मैंने आशीष से पूछा- तुम कब आओगे मुझसे मिलने के लिए?
वो बोला- मैं जल्दी ही प्लान करूंगा. या तो मैं तुम्हारे गांव ही आ जाऊंगा वरना तुमको फिर सतना ही बुला लूंगा.
इतनी बातें होने के बाद आशीष मेरे साथ ही बस की तरफ आ गया.
जीजा पहले से ही बस में बैठ गये थे. जीजा बोले- अब जल्दी बैठ जाओ, हमें इसी बस में चलना है.
मैं बस में गई और जीजा से कहा- मैं पीछे की तरफ बैठ रही हूं.
जीजा समझ गये कि मुझे आशीष के साथ बैठना है.
आशीष मेरे साथ आकर पीछे ही बैठ गया. उसने मेरे हाथों को अपने हाथों में ले लिया और उनको प्यार से सहलाने लगा. हम प्यार भरी बातें करने लगे. रामपुर तक बस में वो साथ ही आया. हम उतरे और फिर मैं जीजा के साथ आ गई.
मैंने आशीष से कहा- तुम जल्दी ही मिलने का प्लान बनाओ.
इस छोटी सी मुलाकात में ही मैंने अपने यार का दीदार कर लिया और मैं खुश हो गई लेकिन मुझे नहीं पता था कि उससे मिलने के रास्ते में मुझे इस तरह से तीन मर्दों के लंड भी मिल जायेंगे. भोला का लंड को सच में बहुत ही ज्यादा खतरनाक था. लेकिन मैंने उसके लंड को पूरा का पूरा अपनी चूत में निचोड़ लिया. मैं उस नौकर के लंड को भी अपनी चूत में लेने का मन बना रही थी लेकिन भोला एक ठाकुर मर्द था और वो इतनी आसानी से झड़ने वाला नहीं था. इसलिए उस दिन नौकर का लंड लेने से चूक गई मैं. लेकिन जीजा और भोला के लंड ने मुझे सच में पूरी खुशी दे दी. लेकिन मैं प्यार तो आशीष से ही करती रहूंगी.
आशीष को देख कर, उससे दो बातें करके ही मैं खुश हो गई. इसी के लिए मैं तो जीजा के साथ चित्रकूट तक आ गई थी. वहां पर आकर मेरे पिता समान जीजा के साथ मेरे सेक्स सम्बन्ध बन गये.
यहां तक कि लॉज के मैनेजर और नौकर ने भी मेरी चूत को नहीं बख्शा. मुझे भी बहुत मजा आया. मैं देर से ही सही लेकिन अब पूरी तरह से संतुष्ट हो गई थी.
घर जाने के बाद मां पूछने लगी- बंध्या तुम्हारा चित्रकूट का सफर कैसा रहा?
मैंने कहा- बहुत मजा आया मां, हमने खूब सारी मस्ती की.
मां बोली- हां, जीजा तो तुझे अपनी बेटी ही मानते हैं. वो तेरा बहुत ख्याल रखते हैं. तेरे पापा की तरह.
मैं मां के मुंह से यह बात सुनकर कर हल्के से मुस्करा दी.
मैंने कहा- हां मां, वो मेरा बहुत ख्याल रखते हैं. उन्होंने मुझे बहुत खुश किया है. अब तो मुझे भी लगता है कि जब भी जीजा कहीं घूमने के लिए जायेंगे तो मैं उनके साथ ही चली जाया करूंगी. वो बहुत ही अच्छे हैं.
मां को मेरी बात समझ नहीं आई और जीजा ने मेरी तरफ देख कर आंख मार दी.
इसके बाद मेरे जीवन में बहुत कुछ अच्छा हुआ. मैंने अपनी जिंदगी को इतना इंजॉय किया जिसकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी.
आगे भी मैं इसी तरह की घटनाएं जो मेरे साथ होती रहेंगी, मैं अपने अन्तर्वासना के पाठकों के साथ बांटती रहूंगी. मैंने हर एक शब्द को सच्चाई के साथ लिखा है. जो कुछ भी मेरे साथ हुआ वो सब मेरे साथ रियल लाइफ में ही हुआ है. अन्तर्वासना के सभी पाठकों को बहुत-बहुत धन्यवाद और मैं आभारी हूं कि आप सब मेरी जीवन की सच्चाई इस साइट पर पढ़ते हैं और अपने कमेंट्स के द्वारा मुझे प्रोत्साहित करते हैं।
मैं अपने जीवन की सच्चाई सिर्फ और सिर्फ अन्तर्वासना में ही लिखती हूं और आगे भी सिर्फ अन्तर्वासना के द्वारा ही आप लोगों को बताती रहूंगी। मेरी यह घटना, यह सच्चाई, यह आपबीती आपको कैसी लगी मुझेअपने कमेंट्स और अपनी राय के द्वारा जरूर बताइयेगा. मैं आपके कमेंट्स के इंतजार में रहती हूं हमेशा और उसी से मेरा उत्साह बढ़ता है, जिसके कारण मैं अपनी अगली कहानी आपके लिए लिखने की हिम्मत जुटा पाती हूं. इसलिए कृपया अपना कमेंट लिखना मत भूलिएगा।
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