अन्तर्वासना के सभी पाठक पाठिकाओं को नमस्कार. आज की इस कहानी में आप सबका स्वागत है. दोस्तो आप सभी ने मेरी पिछली कहानी
मेरी गर्लफ्रेंड की सहेली की सील तोड़ी
को बहुत प्यार दिया. उसके लिये आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद. बहुत लोगों के मुझे ईमेल भी आये और लगभग मैंने सभी के उत्तर भी दिये. आप सबके प्यार के लिए थैंक्स।
कुछ लोगों ने मेरी गर्लफ्रेंड के साथ सेक्स करने की बात भी कही. मगर ऐसा नहीं हो सकता है. जिन लोगों ने मेरी पिछली कहानियां नहीं पढ़ी है वो एक बार मेरी कहानियों को जरूर पढ़ कर देखें.
आज जो मैं कहानी आप लोगों को बताने जा रहा हूं वो मेरी पड़ोसी भाभी की कहानी है. मेरे बारे में तो आप सब लोग जानते ही होंगे. जिन लोगों को मेरे बारे में नहीं पता है उनके लिए मैं बता दूं कि मेरा नाम शुभम है और मैं नोएडा का रहने वाला हूं.
यह कहानी आज से 6 महीने पहले की है. किन्हीं कारणों के चलते मैं अपने घर से अलग रहने लगा था. जहां मैंने रूम ले रखा था वहां पर एक जोड़ा पहले ही रहता था.
उनकी शादी अभी कुछ महीने पहले ही हुई थी. बाद में बात करने पर मुझे पता चला था कि उनकी शादी 8 महीने पहले हुई थी. आते जाते उस जोड़े से मेरी जान पहचान होने लगी. उनको मैं भैया बुलाता था. वो एक कंपनी में काम करते थे. वो मुझे कभी कभी ही दिखायी देते थे.
उनकी पत्नी को मैं भाभी कह कर बुलाता था. उनसे पूछने पर पता चला कि भैया 10-12 दिन तो बाहर ही रहते हैं. उनका काम ही ऐसा था.
मुझे भाभी का व्यवहार बहुत अच्छा लगता था. वो अच्छे से बात करती थी. धीरे धीरे मेरा मन बहकने लगा था. मन करने लगा था कि भाभी की चुदाई का मौका मिल जाये तो मजा आ जाये. मगर ये ख्याल अभी मेरे मन तक ही सीमित थे.
मैं भाभी से ज्यादा खुल कर बात नहीं कर पाता था. जब भी भैया घर पर नहीं होते थे तो भाभी मुझे कभी मार्केट चलने के लिए और कभी सब्जी लाने के लिए कहती थी. मैं भी उनको बिल्कुल भी मना नहीं करता था. उनके साथ जाने के लिए हमेशा तैयार रहता था.
धीरे धीरे मेरा झुकाव भाभी की ओर बढ़ने लगा था. मैं भाभी को चाहने लगा था लेकिन डर भी लगता था इसलिए कुछ कह नहीं पाता था, जबकि भाभी मुझसे काफी खुल कर बातें किया करती थी. वो मुझसे मेरी गर्लफ्रेंड के बारे में पूछा करती थी. मैं उनको मना कर देता था कि मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है.
मैंने आपको भाभी के बारे में काफी कुछ बता दिया लेकिन उनका फिगर नहीं बताया. भाभी का नाम शिवानी (बदला हुआ नाम) था. उनका फिगर 34-30-32 का रहा होगा. उनकी उम्र भी ज्यादा नहीं थी. वो मात्र 24 साल की थी. देखने में बहुत ही मादक लगती थी. अधिक सरल भाषा में कहूं तो एकदम से सेक्सी पटाखा लगती थी.
उनको देख कर हर किसी के मन में यही ख्याल आता था कि एक बार ये मेरे नीचे आ जाये तो पटक पटक कर चोद दूं. इसके लिए तो कुछ भी कर जाने को जी चाहता है.
कुछ ऐसा ही हाल मेरा भी था. शिवानी भाभी का सेक्सी फिगर देख कर मेरा मन भी भाभी की चुदाई के मचलने लगा था. मैं भी उनको चोदने के सपने देखता रहता था.
हम दोनों अब काफी वक्त साथ में बिता रहे थे. जितना ज्यादा मैं भाभी के करीब आ रहा था मेरी और मेरे लंड की प्यास उस सेक्सी भाभी के लिये जोर पकड़ती जा रही थी.
कभी कभी मैं भाभी को मूवी दिखाने के लिए ले जाता था. घूमना तो हर तीसरे दिन का काम हो गया था.
एक दिन मैंने भाभी से कहा- मैं आपसे एक बात बोलना चाहता हूं.
भाभी बोली- हां बोलो, क्या बोलना चाहते हो?
मैंने कहा- अगर आप बुरा न मानो तो कहूंगा.
वो बोली- शुभम, इसमें बुरा मानने वाली क्या बात है, बताओ क्या बोलना चाहते हो.
मैंने कहा- ठीक है मैं आधे घंटे में वापस आता हूं.
वो बोली- नहीं, पहले बता कर जाओ कि क्या बात करना चाह रहे थे.
मैंने कहा- भाभी थोड़ा वेट तो करो, मैं अभी वापस आ जाऊंगा.
उसने हैरानी से मेरी ओर देखा और फिर कहा- अच्छा ठीक है, लेकिन जल्दी आना.
मैंने कहा- ठीक है. बस अभी आया.
बाहर जाकर मैंने एक गुलाब का फूल और एक सोने की अंगूठी ले ली. किसी औरत या लड़की को पटाने का ये सबसे सही तरीका लगता है मुझे. इनको फूल और जूलरी बहुत पसंद होती है. इसलिए मैंने भाभी के लिए दोनों ही चीजें ले ली.
वापस आकर मैंने भाभी से कहा- आप आँखें बंद कर लो पहले.
भाभी आंखें बंद नहीं कर रही थी. बहुत कहने पर उसने अपनी आँखें बंद कीं.
फिर मैं नीचे बैठ गया.
मैंने भाभी के सामने गुलाब का फूल आगे कर दिया और आंखें खोलने के लिए कहा.
भाभी ने आंखें खोल कर देखा और फूल देख कर मुस्कराने लगी. जैसे ही भाभी ने फूल को पकड़ने के लिए हाथ आगे किया तो मैंने भाभी का हाथ पकड़ लिया और उनकी उंगली में वो सोने की अंगूठी डाल दी.
अंगूठी डालते हुए मैंने कहा- भाभी आई लव यू. मैं आपको बहुत पसंद करने लगा हूं.
अंगूठी देख कर भाभी थोड़ा गुस्सा हो गयी. फूल देने तक तो ठीक था. वो सोच रही थी कि मैं नादानी में ऐसा कर रहा हूं लेकिन जब मैंने उनको अंगूठी पहनाई तो वो नाराज हो गयी.
वो बोली- ऐसा नहीं हो सकता शुभम. तुम जानते हो कि मैं शादीशुदा हूं. मैं तुमको पसंद करती हूं लेकिन ये रिश्ता सार्वजनिक नहीं हो सकता है.
मैंने कहा- तो मैं कब कह रहा हूं कि हम सारी दुनिया को बतायेंगे.
वो बोली- ठीक है, लेकिन ये बात केवल तुम्हारे और मेरे बीच में ही रहनी चाहिए.
मैं बोला- भाभी आप चिंता मत करो, किसी को भनक भी नहीं लगेगी हमारे प्यार के बारे में.
मेरी बात सुन कर वो थोड़ी शांत हुई. फिर उसने अंगूठी निकाल दी.
मैंने कहा- क्या हुआ भाभी, आपको मेरा तोहफा पसंद नहीं आया क्या?
वो बोली- पसंद तो बहुत आया लेकिन मैं इसको तुम्हारे भैया के सामने नहीं पहन सकती हूं.
भाभी ने अंगूठी मेरे हाथ में वापस थमाते हुए कहा- तुम इसको अपने पास ही रख लो. जब मुझे पहनने के लिए चाहिए होगी तो मैं तुमसे ले लूंगी लेकिन अभी मैं इसको नहीं पहन सकती हूं.
मैंने कहा- कोई बात नहीं.
अंगूठी को मैंने वापस अपनी जेब के अंदर में रख लिया.
मैं उठ खड़ा हुआ. मैंने भाभी के हाथ को पकड़ लिया. उनका नर्म कोमल हाथ पकड़ कर मेरे लंड में हलचल होने लगी. उनका बदन एकदम से मलाई के जैसा था. मैंने भाभी के हाथ को सहलाया.
वो मेरे हाथ से अपना हाथ छुड़ाने लगी लेकिन मैंने और जोर से पकड़ लिया.
वो बोली- कोई देख लेगा.
मैंने कहा- अभी तो आपके और मेरे अलावा यहां पर कोई भी नहीं है.
जितना भाभी छुड़ाने की कोशिश कर रही थी मेरी पकड़ और ज्यादा मजबूत हो रही थी. मैंने भाभी को अपनी ओर खींच लिया. उनकी चूचियों मेरी छाती से लग गयीं. मैंने भाभी के होंठों के पास अपने होंठों को कर लिया. उसकी सांसें तेज तेज चलने लगी थीं.
उसके लाल लाल होंठ देख कर उनको चबा जाने का मन कर रहा था. मैंने भाभी की गर्दन पर हल्का सा किस किया तो भाभी सिहर गयी. मैंने उनको अपनी बांहों में भर लिया और दोनों एक दूसरे से लिपट गये. ऐसा लगा कि मैं जन्नत में हूं.
भाभी की चूचियों मेरे बदन से एकदम चिपक गयी थीं. मैंने भाभी को कस कर अपनी बांहों में जकड़ लिया. वो असहज होते हुए बोली- क्या कर रहे हो, जान निकालोगे क्या?
मैंने कहा- इतनी प्यारी जान की जान निकाली नहीं जाती है, इसके लिए तो जान दी जाती है.
मैंने भाभी के होंठों पर होंठ रख दिये और उनके होंठों को कस कर किस करने लगा. भाभी ने पहले से तो मुंह नहीं खोला लेकिन एक दो बार कोशिश करने के बाद उसने मेरा साथ देना शुरू कर दिया.
हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूस रहे थे. मेरा लौड़ा मेरी पैंट में अकड़ गया था. मेरा लंड भाभी की जांघों पर चुभने लगा था. मन कर रहा था कि भाभी को नंगी करके अभी इसकी चूत में लंड देकर दनादन इसको चोद दूं. मगर मैं जल्दबाजी में बने बनाये काम को खराब नहीं करना चाहता था.
कुछ देर तक उसके रसीले होंठों का रस पीने के बाद मुझसे रुका न गया और मैंने अपने हाथों से भाभी की चूचियों को दबाना शुरू कर दिया. वो मुझे पीछे हटाने लगी लेकिन मैंने उनको कस कर मसल दिया. उनके सीने से साड़ी का पल्लू नीचे सरक गया और भाभी की चूचियों की घाटी दिखने लगी.
मैंने भाभी की चूचियों में मुंह रख दिया और उसकी खुशबू लेने लगा. भाभी भी गर्म होने लगी थी. मैंने भाभी की गांड को पीछे से दबा दिया और अपने लंड को उसकी जांघों के बीच में सटा दिया.
फिर मैंने उनके मुलायम से पेट को सहलाया और उनकी साड़ी को खोलने लगा. जैसे ही मेरे हाथ भाभी की साड़ी की ओर बढ़े तो वो पीछे हो गयी. उसकी सांसें तेजी से चल रही थीं और उसकी चूचियां ऊपर नीचे हो रही थीं.
मैंने कहा- क्या हुआ भाभी?
वो बोली- आज के लिए इतना ही ठीक है. इसके आगे हम अभी नहीं करेंगे.
मैंने कहा- लेकिन क्यों?
वो बोली- मेरे पीरियड्स चल रहे हैं. अभी सेक्स नहीं कर सकते.
अपने लंड को सहलाते हुए मैंने भाभी को दिखाया और कहा- मान जाओ न भाभी, बहुत मन कर रहा है.
वो मेरे लंड की ओर देखने लगी. उसने मेरे लंड पर एक हल्का सा थप्पड़ लगाया और बोली- इसको अभी रोक कर रखो. अभी इसकी इजाजत नहीं है.
मेरा मन उदास हो गया.
भाभी ने मेरा चेहरा देख लिया था लेकिन वो आगे नहीं बढ़ना चाहती थी. इसलिए मैंने भी जबरदस्ती नहीं की.
मैंने कहा- भाभी एक बार हाथ से टच तो कर दो.
भाभी ने मेरे लंड को ऊपर से सहला दिया.
मेरे मुंह से आह्ह … करके सिसकारी निकल गयी.
मैंने कहा- एक बार अपनी रानी (चूत) को भी छू लेने दो.
वो बोली- बिल्कुल नहीं. अभी नहीं हो सकता है कुछ. बाद में करेंगे. अभी तुम जाओ, तुम्हारे भैया घर वापस आने वाले होंगे.
उस दिन मैं मन मारकर चला गया. मगर रातों की नींद जैसे उड़ गयी थी. मुझे हर जगह भाभी की नंगी चूची और उसकी चूत दिखाई दे रही थी. उस दिन मैंने तीन बार मुठ मारी. लंड को बुरी तरह से रगड़ा, तब जाकर मैं शांत हुआ और फिर सो गया.
अगले दिन मैं भाभी के पास गया. उस दिन भैया घर नहीं आने वाले थे. ये सुन कर मैं खुश हो गया. मैंने भाभी के साथ सोने के लिए रिक्वेस्ट की. पहले तो वो मना करने लगी लेकिन बहुत कहने पर फिर मान गयी.
उस रात को मुझे लगा कि आज भाभी की चुदाई कर ही दूंगा. रात में साथ में सोते हुए मैंने भाभी की चूचियों को नंगी कर दिया. मैं भाभी के बूब्स को दबाने लगा और मुंह में लेकर चूसने लगा. वो मेरा साथ देने लगी.
भाभी की चूचियां बहुत मस्त थी. एकदम से गोरी और भूरे रंग के निप्पल के साथ बहुत ही कयामत लग रही थी. मैंने भाभी के बूब्स को दबाते हुए उनके दूधों को पीया. जब मैं चूत की ओर बढ़ा तो भाभी ने मुझे रोक दिया.
मुझे लगा भाभी की मान जायेगी लेकिन वो नहीं मानी. उससे आगे भाभी ने कुछ नहीं करने दिया. फिर हम दोनों साथ में ही सो गये. रात भर मैं भाभी के बूब्स पर हाथ रख कर सोया.
तीन-चार दिन तक रोज ऐसे ही शिवानी भाभी के मस्ती होती रही. मगर उससे आगे कुछ नहीं हो रहा था. रोज दिन में मुझे मुठ मारकर काम चलाना पड़ रहा था. बहुत कहने के बाद भी भाभी चुदाई के लिए तैयार नहीं हो रही थी.
उस सेक्सी भाभी को मैंने चुदाई के लिए कैसे तैयार किया, उसके आगे क्या हुआ, भाभी की चूत कैसी थी, भाभी ने मेरे लंड को चूसा या नहीं, ये सब बातें मैं आपको कहानी के अगले भाग में बताऊंगा. थोड़ा सा इंतजार कीजिये और जल्दी ही शिवानी भाभी की चुदाई की कहानी फिर से शुरू होगी.
मेरी सेक्स स्टोरी के बारे में अपनी राय मुझ तक पहुंचाने के लिए आप नीचे दी हुई ईमेल आईडी पर अपने मैसेज जरूर भेजें. इसके अलावा अपने मैसेज कमेंट बॉक्स में भी छोड़ सकते हैं. आपको कहानी कैसी लग रही है मुझे जरूर बताना. मुझे आप सब की प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा.
[email protected]