मैं पहले थोड़ा अपने बारे में बता दूँ. मेरा नाम राकेश सिंह है और मैं दिल्ली में रहता हूँ. मैं यहीं से पढ़ाई भी कर रहा हूँ. मैं एक साधारण सा दिखने वाला लड़का हूँ. मेरी हाईट 5 फुट 8 इंच है.
ज्यादा कुछ न लिखकर सीधे कहानी पर आता हूँ. इस कहानी में जगह और नाम बदले हुए हैं.
बात उस समय की है.. जब मैं स्नातक की दूसरे साल की पढ़ाई कर रहा था.
मेरे पेपर खत्म हो चुके थे और मैं नए सेमेस्टर की तैयारी करने में लगा था. जहाँ पर मैं रहता था.. उसके पड़ोस में ही एक परिवार रहता था. वो लोग बहुत ही अच्छे स्वभाव के थे.
मैं यूपी से था और वो लोग भी यूपी से ही थे. वो भी मेरे पास वाले जिले थे.. सो मेरी थोड़ी बहुत बात हो जाती थी. मैं उन लोगों से ज्यादा घुलना-मिलना नहीं चाहता था क्योंकि मुझे लगता था मेरी पढ़ाई में खलल न पड़े.
उनके परिवार में कुल चार लोग थे. अंकल-आंटी और उनकी लड़की तथा एक लड़का जो 10 साल का था.. वही थोड़ा मेरे रूम में कभी-कभी कुछ पूछने या गेम खेलने चला आता था.
उनकी लड़की सोनम.. जो उस समय स्नातक के पहले साल में थी.. दिखने में ज्यादा अच्छी तो नहीं थी.. पर हाँ.. किसी भी एंगल से कम भी नहीं थी. उसकी हाईट 5 फुट 4 इंच थी और उसका 30-28-32 का फिगर भी एकदम मस्त था.
मैं भी उसे पसंद करता था.. पर कभी उसे न अच्छे से देखता था.. न बोलता. क्योंकि मुझे डर लगता था कि अंकल-आंटी मेरे बारे में क्या सोचेंगे.
आंटी और अंकल मुझे बहुत पसंद करते थे.. इसलिए अगर कभी कुछ अच्छा खाने में बनाते.. तो मेरे लिए जरूर भिजवाते थे.
एक दिन मैं ऐसे ही इंस्टीट्यूट के लिए निकल रहा था.. तभी सोनिया भी अपने कॉलेज के लिए निकली.
वो हल्का बैगनी कलर का सूट पहने हुई थी, बहुत ही सुंदर दिख रही थी.
मेरे मन को पता नहीं क्या हुआ.. मैंने तुरंत उसको बोल दिया- इस ड्रेस में तुम अच्छी लग रही हो.
उसने ‘थैंक्स’ कहा.. और चली गई.
मैं भी इंस्टीट्यूट चला गया.
उस दिन के बाद मैं उसको थोड़ा बहुत देख लिया करता था.
पर शायद ये सब उसको उस टाइम पसंद नहीं था.. तो उसने एक बार रास्ते में मुझसे बोला- आप मुझे देखा न कीजिये मुझे अच्छा नहीं लगता है.
फिर मुझे भी लगा मैं कुछ गलत तो नहीं कर रहा हूँ. सोचा कि छोड़ो जाने दो.. अब आज से नहीं देखूँगा.
फिर एक दिन लगभग दो महीने के बाद वो खुद रास्ते में एक दिन मुझसे बोली- आप तो अब बात भी नहीं करते हैं.
तो मैंने कहा- आपने ही तो बोला था कि आप मुझे देखा न करें.. तो मैं क्या करता?
तो बोली- देखने को मना किया था.. बोलने को नहीं किया था.
फिर रास्ते में कभी-कभी हमारी बातें हो जातीं.. और ये बातें धीरे-धीरे बढ़ने लगीं.
मैंने उससे एक दिन उसका पर्सनल नम्बर माँगा तो उसने कहा- आप अपने मुझे दे दीजिए.. मुझे लगेगा तभी कॉल कर लूँगी.
मैंने उसे अपना नम्बर दे दिया.
एक दिन कॉल आया.. वो भी रात को… वो बोली- क्या बात करनी है बोलिए?
मैंने तुरंत ‘आई लव यू’ बोल दिया..
उधर से फोन रख दिया गया.
अब तो मेरी फट गई… मैंने सोचा यार ये तो अब बात भी नहीं करेगी.
ऐसा हुआ भी.. उसने दो महीने तक बात नहीं की.
फिर मैंने ही सॉरी बोला और बात करने के लिए कहा.
वो मान गई.. फिर वो खुद एक दिन ‘आई लव यू’ बोली और फिर हमारी रोज फोन पर बातें होने लगीं.
धीरे-धीरे हमारी बातें फोन सेक्स तक पहुँच गई.
फिर एक दिन मैंने उसे उसी के घर में किस कर दिया.
उसके मम्मी-पापा उस दिन घर पर नहीं थे.
वो गुस्सा हो गई बोली- यहाँ करने की क्या जरूरत थी?
वो मुझे बाहर जाने को कहने लगी..
तो मैं सॉरी बोल कर थोड़ा उदास होकर बाहर चला आया.
वो खुद कुछ देर बाद मेरे पास आई और बोली- किस करने के लिए मना थोड़े किया है.. पर वहाँ नहीं करना चाहिए.
अब वो मेरे कमरे में थी.. मैंने तुरंत फिर उसे किस करना शुरू कर दिया. इस बार वो मेरा साथ दे रही थी.
मैंने उसके मम्मे छूना चाहा.. तो पहले मना कर रही थी.. फिर मेरा हाथ खुद ले जाकर वहाँ ज़ोर से दबवाने लगी.
कुछ मिनट के जोरदार किस के बाद उसने मुझे कहा- मुझे तुम्हारा वो देखना है.
मैंने भी कहा- मुझे भी देखना है.
तो उसने कहा- पहले तुम..
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मैंने अपने लोवर में से निकाल कर दिखाया.
बोली- इतना बड़ा..
वो छूने लगी..
तो मैंने कहा- तुम भी दिखाओ.
अब तो मना करने लगी.
मैं भी नहीं माना.. वो स्कर्ट पहने हुई थी.
मैंने मय पैन्टी के धीरे से नीचे कर दिया. मेरे सामने पहली बार किसी लड़की चूत थी.
वो भी ऐसे बिल्कुल क्लीनशेव चूत थी
मेरी तो हालत खराब हो गई.
दोस्तो, मैंने तुरंत उस पर किस किया.. पर उसका टेस्ट अच्छा नहीं लगा. सच कहूँ तो लेकिन जो महक आ रही थी.. वो मुझे एकदम मस्त कर रही थी.
ये सब इतनी तेज़ी से हो रहा था कि मैं कुछ कह नहीं सकता था.
वो अभी भी मेरे लण्ड को हाथ में लेकर देख रही थी.
मैं उससे एक बार चोदने के लिए कह रहा था.. पर उसका कोई उत्तर नहीं मिला.. तो मैंने ‘हाँ’ समझ कर उसे चूमना शुरू कर दिया.
वो भी मेरा साथ देने लगी.
कुछ ही पलों में सारे कपड़े कहाँ थे.. हम दोनों को पता ही नहीं चला.
हम दोनों एक-दूसरे पर चुम्बन की बौछार कर रहे थे.
मैं उसके ऊपर था, अपना लंड मैंने उसकी चूत पर टिकाया, मैंने बस उसकी तरफ एक बार देखा और एक बार झटका दिया.. पर अन्दर नहीं गया.. दूसरा दिया फिर भी तीसरी बार एक जोरदार धक्के के साथ दोनों की चीखें निकल गईं.
उसकी चूत से हल्का-हल्का खून निकलने लगा था.
मैं रुकना चाहता था.. पर उसने मना कर दिया.
फिर धीरे-धीरे हमारी चुदाई अंतिम चरण में चली गई.
एक झटके के साथ मेरा सारा बदन अकड़ गया और उसका भी हम दोनों का एक साथ हो गया.
फिर हम दोनों ने एक-दूसरे को चूमा.
वो जल्दी से कपड़े पहन कर चली गई.
यह सारा खेल आधा घंटे का ही था.
मैं वैसे ही सो गया.. जब जागा तो देखा चादर पर खून लगा था. उसको जल्दी से हटाया और शाम को उसे अकेले में एक आईपिल लाकर दी.. और खाने को बोल दिया.
फिर एक दिन मैंने उससे शादी का प्रस्ताव भी रखा उसने हामी भी भर दी. अभी मुझे उसके और अपने घर वालों से बात करनी बाकी है.