यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा कि रात को सोते समय मेरी वासना ने मुझे मोनी के बदन को छूने के लिये मजबूर कर दिया. मैंने उसके बदन का स्पर्श पाने के लिए नींद में होने का नाटक किया और अपना लंड उसके नितम्बों की दरार में घुसा कर रगड़ने लगा. मगर मेरे लंड ने कुछ ही पल में मेरा साथ छोड़ दिया. नीचे से अंडरवियर न पहना होने के कारण मेरी निक्कर मेरे वीर्य से गीली हो गयी. साथ ही मोनी की सलवार को भी मेरे वीर्य ने गीला कर दिया था.
अब आगे:
उत्तेजना के वश मैंने ये सब कर तो दिया था मगर मुझे अब अपने आप पर पछतावा सा हो रहा था कि मैंने ये क्या कर दिया. इस ग्लानि के कारण मुझे अब रात भर ही नींद नहीं आई.
उस रात बस कुछ देर के लिये ही सुबह के समय ही मेरी हल्की सी आँख लगी होगी, नहीं तो मैंने वो सारी रात लगभग जाग कर ही निकाली। अगले दिन सुबह भी मैं जल्दी ही उठ गया. मगर उस दिन मोनी शायद काफी जल्दी उठ गयी थी क्योंकि जब मैं उठा था तब तक उसने घर के सारे काम निपटा लिये थे और वो नहा-धोकर बिल्कुल तैयार हो गयी थी।
मोनी को देख कर मैं अब डर सा गया और सोचने लगा कि कहीं मेरी कल रात की हरकत से नाराज होकर वो वापस घर तो नहीं जा रही? क्योंकि इतनी जल्दी तो वो पहले कभी भी तैयार नहीं होती थी।
खैर, मोनी ने मुझसे कुछ कहा तो नहीं मगर वो मुझसे कोई बात भी नहीं कर रही थी। बाकी दिनों की बात करूं तो मैं जब उठता था तो वो कुछ ना कुछ बोल ही देती थी मगर आज वो मेरी तरफ देख भी नहीं रही थी। डर और शर्म के कारण मेरी भी अब उससे नजरें मिलाने की हिम्मत नहीं हो रही थी. मगर फिर भी मैं शौच आदि से निवृत्त होकर तैयार हो गया।
मैं नहा-धोकर तैयार हुआ तब तक मोनी ने दोपहर का खाना बना लिया था इसलिये खाना खाकर मैं अब टीवी देखने लगा गया और रोजाना की तरह ही मोनी घर के काम निपटाकर पड़ोसन के पास चली गयी।
इसी तरह दिन निकल गया और रात हो गयी।
अब रात को भी मोनी ने मुझसे कुछ खास बात नहीं की. अभी तक उसने बस जरूरत होने पर एक-दो बार ही बात की होगी नहीं तो वो अपने काम में ही लगी रही।
रात को खाना खाने के बाद आज भी मैंने हम दोनों के लिये ही नीचे बिस्तर लगा तो लिया मगर शायद मोनी आज मेरे पास सोना नहीं चाह रही थी क्योंकि रात को खाना खाने के बाद उसने घर के काम तो बीस-पच्चीस मिनट में ही निपटा लिये थे. उसके बाद काम खत्म हो जाने के पश्चात् भी वो सोने के लिये नहीं आ रही थी।
यह बात शायद मैं भी सही से समझ चुका था कि मोनी मेरे साथ सोना भी नहीं चाहती थी और ये बात मुझसे कहने में शरमा भी रही थी इसलिये काम खत्म हो जाने के बाद वो अब ऐसे ही रसोई में खड़ी हो गयी थी। हालत तो मेरी भी कुछ उसके जैसी ही थी। मैं भी मोनी से कुछ कहने में या पूछने में शरमा रहा था इसलिये मैं अब चुपचाप टीवी ही देखता रहा।
टीवी देखते हुए बीच-बीच में मैं मोनी की तरफ भी देख ले रहा था जो कि अब कुछ देर तो रसोई में ऐसे ही खड़ी रही. फिर बिस्तर के पास आकर उसने एक चादर उठा ली। अब पता नहीं मोनी ने वो चादर किस लिये उठाई थी और किस लिये नहीं … मगर वो जैसे ही बिस्तर के पास पहुँची तो मैंने बिस्तर पर अन्दर की तरफ खिसक कर उसके लिये सोने की जगह बना दी थी जिससे मोनी अब मेरी तरफ घूर-घूर कर देखने लगी.
मोनी बचपन से ही बहुत शर्मीली और डरपोक सी लड़की रही है। वो मेरे पास सोना तो नहीं चाहती थी मगर शर्म के कारण यह बात वो मुझसे बोल भी नहीं पा रही थी इसलिये कुछ देर तो वो उस चादर को हाथ में पकड़े वैसे ही खड़ी रही, फिर चुपचाप लाईट बन्द करके मेरे साथ ही एक तरफ होकर सो गयी।
मेरी भी अब मोनी के साथ कुछ करने की हिम्मत नहीं थी इसलिये मैं भी अब रोजाना की तरह कुछ देर तो टीवी देखता रहा फिर टीवी को बन्द करके चुपचाप सो गया।
ऐसे ही दो-तीन दिन बीत गये। मोनी अब भी सोती तो मेरे साथ ही थी मगर उसके साथ कुछ करने की या उसे कुछ कहने की मेरी हिम्मत नहीं होती थी।
वैसे तो वहाँ रायपुर में बस मैं और मोनी ही थे इसलिये वहाँ पर मुझे किसी के कुछ कहने का तो डर नहीं था, मगर मेरे मम्मी-पापा ने मोनी और उसके परिवार के साथ जो रिश्ता बनाया हुआ था. उसके कारण एक तो मुझे उससे शर्म महसूस होती थी और दूसरा मुझे थोड़ा-बहुत इस बात का भी डर था कि कहीं मोनी मेरे बारे में घर पर फोन करके न बता दे. इसलिये मैं अब उससे दूर ही रहने लगा।
दो-चार दिन तो मोनी भी मुझसे अलग-अलग सी रही मगर फिर धीरे-धीरे उसने भी मुझसे थोड़ा बहुत बात करना शुरु कर दिया। वैसे भी वहाँ घर में हम दोनों ही थे और लगभग दिन-रात एक साथ ही रहते थे।
आप भी इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि एक ही घर में दिन रात एक साथ रहेंगे तो एक-दूसरे से बात किये बिना कब तक रह सकते थे. इसलिये पहले के जैसे तो नहीं मगर फिर भी मोनी मुझसे अब जरूरत होने पर बात करने लगी थी। हालाँकि मोनी को देख कर मेरी कामनायें अब भी जोर मारती रहती थीं और ये बात शायद मोनी भी अब अच्छे से जान गयी थी मगर शर्म के कारण वो मुझे कुछ कह नहीं पाती थी।
ऐसे ही एक दिन शाम के समय मोनी खाना बना रही थी और मैं टीवी देख रहा था. तभी चलते-चलते अचानक से वो टीवी बन्द हो गया। उस दिन भारत और पाकिस्तान का क्रिकेट मैच आ रहा था जिसको मैं मिस नहीं करना चाह रहा था. इसलिये टीवी को ठीक करने के लिये मैं उसे खोलकर बैठ गया.
उस टीवी में वैसे तो ज्यादा दिक्कत नहीं थी, बस उसका शायद कोई तार हिल गया था जो कि हिलाने से ही ठीक हो गया था. किंतु उस टीवी के पीछे मुझे एक शराब की बोतल दिखाई दे गयी।
वैसे तो मुझे पता ही था कि मोनी का पति शराब पीता है और ये उसी की होगी, मगर फिर भी मैंने ऐसे ही मोनी से पूछ लिया- ये किसकी है?
मेरे पूछने पर फिर मोनी ने भी ऐसे ही कह दिया- तेरे जीजा की होगी!
अब मोनी ने तो ठीक ही कहा था मगर उसके मुँह से ये सुनकर मुझे झटका सा लगा क्योंकि उसने अपने पति को मेरा जीजा कहकर सम्बोधित किया था। मोनी तो अपनी जगह ठीक थी इसलिये उसने अपने पति को मेरा जीजा कहा था, मगर मेरे दिल में मोनी के लिये जो गन्दगी भरी हुई थी उसके कारण मोनी का अपने पति को मेरा जीजा कहना मुझे ठीक नागवार सा लगा।
अब मोनी से तो मेरी कुछ कहने की हिम्मत थी नहीं, इसलिये मैं कुछ देर तो उस बोतल को देखता रहा, फिर पता नहीं मुझे क्या सूझा कि मैं उस बोतल को मोनी से छुपा कर बाथरूम में ले आया. मोनी उस समय खाना बनाने में व्यस्त थी इसलिये उसने भी इतना ध्यान नहीं दिया. मगर उस बोतल को बाथरूम में लाकर मैं उसमें जितनी भी शराब थी वो सारी पी गया।
जब तक मैं वो शराब खत्म करके बाथरूम से बाहर निकला, तब तक मोनी ने खाना बना लिया था. खाना खाकर मैं अब फिर से टीवी देखने लग गया और मोनी कुछ देर तो घर के काम में लगी रही.
फिर काम निपटा कर वो चुपचाप मेरे साथ ही नीचे बिस्तर पर सो गयी।
अपने दोस्तों के साथ मैं कभी कभी बियर तो पी लेता था मगर मैंने शराब कभी नहीं पी थी। वैसे उस बोतल में ज्यादा शराब भी नहीं थी बस दो या तीन पैग के करीब ही होगी. मगर फिर भी मुझे उसका काफी नशा हो गया था।
रोजाना की तरह ही शायद कुछ देर बाद मोनी को तो नींद आ गयी मगर उसको अपने बगल में सोता देख कर मुझे बैचनी सी होनी शुरू हो गयी। एक तो मैं पहले से मोनी की तरफ आकर्षित था और ऊपर से मेरे दिमाग में शराब का नशा भी चढ़ा हुआ था. शराब तो सेक्स की अग्नि में घी का सा काम करती है. मेरे साथ भी ऐसा ही हो रहा था.
जैसा कि मैंने पहले भी बताया था कि उस दिन भारत और पाकिस्तान का क्रिकेट मैच आ रहा था इसलिये मैंने अपना ध्यान मोनी से हटाकर टीवी पर भी लगाने की कोशिश की, मगर मुझे चैन ही नहीं आ रहा था। मैं अब कुछ देर तो टीवी देखता रहा मगर जब मुझसे रहा नहीं गया तो टीवी को बन्द करके मैं आज फिर से धीरे-धीरे खिसकता हुआ मोनी के करीब पहुँच गया.
मोनी के नजदीक पहुँच कर मैं कुछ देर तो ऐसे ही लेटा रहा, फिर नींद का सा बहाना करके मैं आज फिर से उसके पीछे चिपक गया। मोनी ने अपना मुँह दूसरी तरफ किया हुआ था इसलिये मेरा उत्तेजित लंड आज भी उसके नितम्बों पर लग गया था.
आज मगर मोनी शायद गहरी नींद में थी इसलिये वो वैसे ही बिना रिएक्शन दिये पड़ी रही।
मेरा लंड अब मोनी के नितम्बों पर तो था मगर मोनी ने उस रात साड़ी पहनी हुई थी इसलिये मुझे इतना मजा नहीं आ रहा था। मैं अब और कुछ तो कर नहीं सकता था, इसलिये मोनी से चिपक कर मैंने अपने पैर से ही उसके पैरों को सहलाना शरू कर दिया.
शायद मोनी की साड़ी उसके पैरों पर से पहले ही हल्की सी ऊपर थी, इसलिये उसके पैर ही अब मेरे पैर को गुदगुदी का सा अहसास करवाने लगे.
मोनी के पैरों को सहलाने में मुझे मजा सा आ रहा था इसलिये उसके पैरों को सहलाते-सहलाते मैंने अब अपने पैर से धीरे-धीरे उसकी साड़ी व पेटीकोट को ऊपर की तरफ खिसकाना भी शुरू कर दिया. चूंकि मोनी की साड़ी व पेटीकोट उसके नीचे दबे हुए थे इसलिए दबे होने के कारण मैं उन्हें ज्यादा ऊपर नहीं कर पा रहा था.
उसकी साड़ी व पेटीकोट को ऊपर करने के लिये मैंने पहले एक-दो बार तो अपने पैर से ही कोशिश की. लेकिन जब वो पैर से ऊपर नहीं हुए तो अब नशे-नशे में मैं उन्हें अपने हाथ से भी खींचने की कोशिश करने लगा.
उसकी साड़ी व पेटीकोट शायद कुछ ज्यादा ही दबे हुए थे इसलिये अब जैसे ही मैंने उन्हे हाथ से खींचने की कोशिश की तो मोनी पहले तो हल्का सा कसमसाई फिर एकदम से उसके बदन का तापमान बढ़ गया।
शायद मोनी की नींद खुल गयी थी इसलिये मेरा हाथ अब जहाँ था वहीं का वहीं रुक गया और पहले की तरह ही मैं आज फिर से सोने का नाटक करने लगा।
मेरी तरफ से कोई हरकत नहीं हो रही थी. इसलिए मोनी अब एक बार तो हल्का सा कसमसाई फिर वो शान्त हो गयी क्योंकि शायद अब उसको भी पता था कि मैं सो नहीं रहा, बल्कि सोने का नाटक कर रहा हूं!
मैं टीवी देख कर देर से सोता था, इसलिये मोनी अन्दर दीवार की तरफ सोती थी और मैं बिस्तर के किनारे की तरफ सोता था। बाकी दिनों तो मोनी करवट बदल कर मुझसे दूर हट जाती थी, मगर उस दिन वो पहले ही दीवार के साथ लगी हुई थी और अपना मुँह भी दूसरी तरफ करके सो रही थी। वो मुझसे कुछ कहने में तो शर्मा ही रही थी अब मुझसे दूर होने के लिये बिस्तर पर भी जगह नहीं थी इसलिये वो एक बार कसमसाकर शान्त हो गयी।
मैं भी अब कुछ देर तो चुपचाप ऐसे ही सोने का नाटक करके पड़ा रहा मगर जब मुझे लगा कि मोनी जाग गयी है और शर्म के कारण कुछ बोल नहीं रही, तो अब मेरी भी हिम्मत बढ़ गयी। हिम्मत बढ़ने का एक कारण दिमाग पर शराब का सुरूर भी था. अगर मैंने शराब न पी होती तो शायद मेरा जमीर एक बार के लिए मुझे रोक भी लेता मगर सेक्स और शराब का नशा मेरी आत्मा की आवाज को बाहर नहीं आने दे रहा था.
मैं कुछ देर तो ऐसे ही लेटा रहा मगर जब काफी देर तक भी मोनी ने मुझे हटाने का या कुछ कहने का प्रयास नहीं किया तो मैंने अब फिर से धीरे धीरे उसकी साड़ी व पेटीकोट को खींचना शुरू कर दिया!
शायद आगे से तो मोनी की साड़ी व पेटीकोट अभी भी उसके नीचे दबे हुए थे, या फिर पता नहीं मोनी ने उन्हें पकड़ रखा था, मगर पीछे से उसकी साड़ी व पेटीकोट खुले हुए थे। मुझे डर तो लग रहा था मगर फिर भी हिम्मत करके मैंने धीरे-धीरे मोनी की साड़ी व पेटीकोट को अब पीछे से खींच कर उसके नितम्बों के ऊपर तक कर दिया।
मोनी ने नीचे पेंटी पहनी हुई थी इसलिये उसकी साड़ी व पेटीकोट को उपर करके मैं अब फिर से उसके पीछे चिपक गया, जिससे मेरी जांघें अब मोनी की नंगी जांघों से चिपक गयीं और मेरा उत्तेजित लंड पेंटी के ऊपर से उसके गद्देदार नितम्बों में घुस सा गया।
उसके पीछे चिपक कर मैं अब कुछ देर तो ऐसे ही लेटा रहा फिर धीरे धीरे मैंने अपनी जांघों से ही उसकी नंगी चिकनी जांघों को सहलाना शुरू कर दिया. मोनी की जांघों को तो मैंने पीछे से नंगी कर ही रखा था. रात में मैं भी निक्कर पहनकर सोता था जिसको मैंने खींचकर अब और भी ऊपर तक चढ़ा लिया था इसलिये मोनी की नंगी चिकनी जांघें मुझे अब अन्दर तक गुदगुदाने लगीं।
मोनी अब भी कुछ बोल तो नहीं रही थी मगर उसने हल्का सा कसमसाकर अपने घुटनों को मोड़ लिया और धीरे से उन्हें आगे की तरफ करके मेरी जांघों से अपनी जांघों को दूर हटा लिया।
मोनी अब भी ऐसा जाहिर कर रही थी जैसे कि वो सो रही हो इसलिये वो मुझे हटाने की तो कोशिश नहीं कर रही थी मगर फिर भी नींद के बहाने से ही मुझसे दूर होने का प्रयास जरूर कर रही थी।
किंतु मुझे अब चैन कहाँ मिलने वाला था. मैं तो अपने खड़े लंड को किसी तरह मोनी के चिकने बदन से छू कर आनन्द लेना चाहता था. कुछ देर रुकने के बाद मैं भी अब खिसक कर थोड़ा नीचे की तरफ हो गया और मोनी के जैसे ही अपने घुटनों को मोड़कर फिर से उसके पीछे चिपक गया!
वैसे मोनी ने तो अपने घुटनों को मोड़कर मुझसे दूर होने का प्रयास किया था मगर बदले में मैं भी अपने घुटनों को मोड़कर उसके जैसे ही हो गया था. इसलिये मेरा उत्तेजित लंड अब सीधा ही उसके नितम्बों की गहराई में घुस गया जिससे मोनी अब सहम सी गयी।
शर्म के कारण मोनी ना तो कुछ बोल रही थी और ना ही मुझे हटाने की कोशिश कर रही थी इसलिये मेरा हौसला और जोश भी अब बढ़ता जा रहा था। मोनी के पीछे चिपक कर अब मैंने धीरे से अपनी निक्कर को नीचे करके अपने लंड को बाहर निकाल लिया और उसे धीरे-धीरे मोनी की पेंटी के उपर से ही उसके नितम्बों पर घिसना शुरू कर दिया. शर्म के कारण मोनी कुछ बोल तो नहीं रही थी मगर अपने हाथ पैरों को समेटकर वो अब बिल्कुल इकट्ठा सी हो गयी थी।
कहते हैं कि सेक्स का भूत जब सिर पर सवार हो जाये तो वो जिस्मों की प्यास को बुझाने तक हर हद पार करवा देता है. इसी तरह मुझे अब इतने से कहाँ सब्र होने वाला था, मोनी ने मुझे अब भी कुछ कहा नहीं तो मेरा दिल अब और भी आगे बढ़ने के लिये कहने लगा।
मैंने कुछ देर तो पेंटी के उपर से अपने लंड को मोनी के नितम्बों पर घिसा, फिर पता नहीं मुझमें इतनी हिम्मत कहाँ से आ गयी कि मैंने धीरे से उसकी पेंटी के किनारों से अपने लंड को अन्दर ही घुसा दिया जो कि सीधा ही उसके नंगे नितम्बों की गहराई में घुस गया.
मैं अपने लंड को मोनी के नितम्बों की दरार में घुसाकर अब उपर से नीचे की तरफ घिस ही रहा था कि तभी एक जगह पर अचानक से मोनी का पूरा बदन कँपकँपा सा गया और वो कसमसाकर आगे की तरफ उकस गयी. मुझे ये कुछ अजीब सा लगा. जिसके कारण मैंने अपने लंड को अब वहाँ से हटाया नहीं, बल्की वहीं पर हल्का सा दबा दिया जिससे मुझे अपने लंड के मुहाने पर कुछ कसाव व गर्मी का सा अहसास हुआ. मोनी ने अब फिर से हल्का सा कसमसाकर मेरे लंड से अपने आप को दूर कर लिया।
अब तो मुझे भी समझते देर नहीं लगी कि मोनी आचानक से क्यों कसमसा उठी और उसने अपने आप को किसलिये मेरे लंड से दूर कर लिया?
शायद मेरा लंड पीछे से ही मोनी की चूत के प्रवेश द्वार पर लग गया था क्योंकि मुझे अपने लंड पर अब काफी गर्मी के साथ-साथ वहाँ पर हल्के से गीलेपन का भी अहसास हो रहा था।
अभी तक तो मैं ऐसे ही अपने लंड को मोनी के नितम्बों पर घिस रहा था मगर अब ये बात मालूम होते ही अचानक से मेरे दिल की धड़कन तेज हो गयी और मेरी उत्तेजना तो अपने चर्म पर ही पहुँच गयी। डर व उत्तेजना के मारे मेरा पूरा बदन अब हल्का-हल्का काँपना सा शुरू हो गया था. लेकिन लंड में वासना का जोश भर हुआ था जो हर पल मुझे और आगे बढ़ने के लिए उकसा रहा था. मगर फिर भी मैं अब रुका नहीं।
अंदर ही अंदर मुझे डर लग रहा था लेकिन फिर भी मैंने अपने लंड को अब फिर से वहीं पर लगा लिया और हल्का-हल्का व धीरे-धीरे उसे आगे की तरफ धकेलने लगा जिससे मोनी का बदन कड़ा सा हो गया और मुझे अपने लंड के सुपारे पर काफी कसाव व गर्मी का सा अहसास होने लगा।
शायद मेरा लंड अब मोनी की चूत में घुसने लगा था इसलिये मोनी ने एक बार फिर से कसमसाकर मेरे लंड पर से अपनी चूत को हटाने की कोशिश की मगर उसके आगे एक तो दीवार आ गयी थी और दूसरा अब मैंने भी एक हाथ से उसकी कमर को पकड़ लिया जिससे मोनी अब बस कसमसाकर ही रह गयी।
मुझे अपने लंड के सुपारे पर अब मोनी की चूत की गर्मी महसूस होने लगी थी इसलिये मोनी की कमर को पकड़ कर मैंने उसकी चूत पर अपने लंड के दबाव को अब और भी बढ़ा दिया जिससे धीरे धीरे लगभग मेरे लंड का आधा सुपाड़ा मोनी की चूत में घुस गया और मोनी का बदन और भी कड़ा हो गया। मोनी अब भी कुछ नहीं बोल रही थी क्योंकि वह शायद कुछ विरोध करने की हालत में नहीं थी.
एक तो उसे दीवार से आगे जाने का रास्ता नहीं मिल रहा था और दूसरी ओर मैंने उसको कमर से पकड़ा भी हुआ था. वह चाह कर भी कुछ नहीं कर सकती थी. इधर मेरे ऊपर तो काम वासना नंगा नाच कर रही थी. मैं तो कुछ सोचने समझने की हालत में था ही नहीं. दूसरी तरफ मोनी हल्का-हल्का कसमसाते हुए बस टसक रही थी।
जिस लड़की या औरत के बारे में आपने कभी गलत नहीं सोचा हो और उसी लड़की या औरत के साथ जब आप ऐसा कुछ करते हो तो जो उत्तेजना उसके साथ चढ़ती है वैसी उत्तेजना किसी और के साथ नहीं चढती. अब ऐसा ही कुछ हाल मेरा था।
जैसा कि मैंने पहले भी बताया था मेरे मम्मी-पापा मोनी व उसकी बहनों को अपनी बेटी की तरह मानते हैं इसलिये मैंने कभी सपने में भी मोनी के बारे में गलत नहीं सोचा था मगर आज मोनी के साथ ऐसा कुछ करते हुए मेरी उत्तेजना अपने चर्म पहुँच गयी थी। मैं वैसे ही मोनी के बारे में सोचकर काफी उत्तेजित था. ऊपर से मुझे जब ये मालूम हुआ कि मेरा लंड अब चूत में … और वो भी ‘मोनी की चूत’ में घुस रहा है तो मैं उत्तेजना के मारे जैसे पागल ही हो गया।
अपने लंड पर मोनी की चूत की गर्मी को महसूस करके मैं अब इतना ज्यादा उत्तेजित हो गया था कि मेरा आधा सुपारा उसकी चूत में घुसते ही मैं चरमोत्कर्ष पर पहुँच गया, जिससे उत्तेजना के वश अब अपने आप ही मेरे हाथ की पकड़ मोनी की कमर पर कस गयी और मैंने उसकी कमर को पकड़ कर अब जोरों से अपने लंड को मोनी की चूत पर दबा लिया जिससे कामरस उगलते- उगलते ही लगभग मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया और वो उम्म्ह… अहह… हय… याह… की आवाज करते हुए हल्का सा कराह उठी।
मोनी का बदन भी अब कड़ा होकर तन सा गया था परन्तु जब तक मैंने अपनी सारी उत्तेजना उसकी चूत में उगल नहीं दी तब तक मैं उसे वैसे ही पकड़े रहा और वो मेरे लंड से निकलने वाली वीर्य की पिचकारियों को अपनी चूत में महसूस करके कसमसाती रही.
अपनी सारी उत्तेजना को मोनी की चूत में उगलने के बाद मैंने उसे छोड़ दिया और करवट बदलकर अपना मुँह दूसरी तरफ कर लिया।
उसके बाद पता नहीं मोनी ने क्या किया और क्या नहीं … मगर शराब के नशे के कारण मुझे कुछ देर बाद ही नींद आ गयी।
कहानी अगले भाग में जारी रहेगी. आप कहानी पर कमेंट के जरिये अपनी राय जरूर देते रहें और बताते रहें कि कहानी में आपको कितना मजा आ रहा है.
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