नमस्कार मित्रों, उम्मीद है आप सब मजे में होंगे. मेरी पिछली कहानी
अनाड़ी चुदैय्या चूत का सत्यानाश
में आपने मेरे हो संगीता की चुदाई के बारे में पढ़ा. उसके आगे की कहानी मैं अब लिख रहा हूं।
अपने बारे में बता दूँ, मैं सचिन भोपाल का रहने वाला हूं। मेरी हाइट 5 फुट 9 इंच, वजन 58 किलो होगा, ज्यादा नहीं है. पर लिंग का साइज 6.5 इंच और मोटाई 2 इंच।
मैं समय बर्बाद ना करते हुए सीधा कहानी पर आता हूं।
मुझे नहीं पता कि उस रात मैंने और मेरी गर्लफ्रेंड संगीता ने कितनी बार चुदाई की और चुदाई करके हम सो गए. सुबह उठे 9:00 बजे नींद खुली और एक बार और चुदाई की। फिर दोनों नहाये साथ में।
अब फिर से चुदाई करने की हिम्मत हम दोनों में से किसी में नहीं थी क्योंकि उसकी उसकी चूत में और मेरे लंड में बहुत जलन हो रही थी।
फिर हम दोनों ने सोचा क्या किया जाए, अभी तो सिर्फ 12:00 ही बजे हैं।
हमने फैसला किया कि आज दिन भर हम दोनों रूम पर नंगे ही रहेंगे।
हम दोनों ने नंगे ही रहकर साथ में खाना बनाया और साथ में खाना खाया।
खैर शाम के 3:00 बजे गए थे। मैंने उससे बोला कि मैं अपने रूम पर जा रहा हूं। तो उसने भी ज्यादा मुझे नहीं रोका और मुझे एक किस किया. हम दोनों नंगे जिस्म एक दूसरे से गले लगे और फिर अपने अपने कपड़े पहने और मैं अपने रूम के लिए निकल पड़ा।
पर मुझे बहुत दिक्कत हो रही थी, मेरे लिंग में बहुत जलन पड़ रही थी। अब नींद भी बहुत आ रही थी। ऐसा लग रहा था कि कब मैं अपने रूम पर पहुंच जाऊं।
4:00 बजे के आसपास मैं अपने रूम पर पहुंच गया। मैंने अपनी गाड़ी खड़ी की और अपने रूम के लिए निकला।
ऐसे मैं सीढ़ियां चढ़कर अपने रूम पर पहुंचा तो तो सामने कविता भाभी खड़ी मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी- आओ सचिन, गाड़ दिया तुमने अपना झंडा?
मैं मुस्कुरा कर बोला- हां भाभी, झंडा तो गाड़ दिया पर झंडे में जलन बहुत तेज हो रही है, दर्द हो रहा है।
यह कहते हुए मैंने रूम का लॉक खोला और रूम में जाने लगा।
भाभी बोली- रुक तो सही मुझे तुझसे बात करनी है।
मैं बोला- भाभी, मैं अभी आ रहा हूं कपड़े चेंज करके, जींस में मुझे दिक्कत हो रही है.
भाभी- ठीक है, जल्दी आ।
और फिर मैं लोवर और टीशर्ट पहन के आ गया. लोवर के अंदर मैंने अंडरवियर नहीं पहना क्योंकि अंडरवियर पहनने के कारण मेरे लिंग मे जलन हो रही थी।
मैं बाहर आया और बोला- भाभी, बहुत जलन हो रही है।
कविता भाभी- कोई बात नहीं, पहली पहली बार में ऐसा होता है।
फिर बोली- चल बता मुझे तूने क्या-क्या किया? तुम दोनों के बीच में इतनी देर तक क्या होता रहा रात भर और आज दोपहर तक क्या करते रहे तुम दोनों?
मैंने उनको संगीता को मनाने और उसे संभोग करने और जो भी हम दोनों के बीच में हुआ था पूरी सेक्स स्टोरी भाभी को सुनाई और भाभी मजे लेते हुए हंसते-हंसते सुनती रहीं।
जब मेरी कहानी खत्म हो गई तो मैंने भाभी से पूछा- भाभी, मैंने जो भी किया वह ठीक किया ना?
कविता भाभी- तूने बहुत ठीक किया. लेकिन अभी भी तुझे बहुत कुछ सीखना बाकी रह गया है।
मैं बोला- वह तो मैं सीख लूंगा धीरे-धीरे सब सीख जाऊँगा।
भाभी बोली- जितनी जल्दी सीख जाएगा, उतना ज्यादा मजा लड़की को और औरत को भी दे पाएगा. और जिसको जितना ज्यादा तू मजा देगा, वह उतनी ही ज्यादा दीवानी तेरी रहेगी। तुम मेरी बात मान, जितना हो सके सीख ले।
मैं बोला- अचानक से कैसे सीखूँ? धीरे-धीरे करते करते ही तो आएगा मुझे।
कविता भाभी- ठीक है, आज डीवीडी पर तुझे सब सिखा दूंगी।
मैं बोला- पहले भैया को फोन लगा कर तो बात कर लो कि वे कब तक आएंगे?
भाभी- वो आज आज नहीं आएंगे. वे अपने दोस्त के साथ भोपाल के बाहर किसी दोस्त की शादी में गए हैं दोस्तों के साथ।
दोस्तो, मैं यहां पर अब कविता भाभी के शरीर के बारे में वर्णन कर रहा हूं।
कविता भाभी की उम्र उस समय 30 या 32 साल रही होगी। उनके शरीर का वजन 60 से 65 किलो के बीच में होगा। उनकी एक 2 साल की बच्ची थी जो बाजू के रूम में सो रही थी उस समय पर। मुझे उनके साइज तो नहीं पता पर वह एक भरे हुए बदन की मालकिन थी। जिसके शरीर को ना तो दुबला और ना ही मोटा कहा जा सकता हैं ना ही वह गोरी थी और ना ही काली।
भाभी उठी और अपनी अलमारी से एक डीवीडी निकाली और डीवीडी प्लेयर में लगाकर ऑन करके रिमोट हाथ में लेकर अपने पलंग पर आकर इत्मीनान से बैठ गई।
वे मुझसे बोली- तू भी बैठ जा.
तो मैंने बाजू से कुर्सी उठाई और कुर्सी पर बैठ गया. भाभी ने प्लेयर चालू कर दिया और मूवी चलने लगी।
उस वीडियो में पति और पत्नी आपस में सेक्स कर रहे थे। वीडियो के बारे में मैं आपको क्या बताऊं? आपको पता ही है.
हम दोनों आधे घंटे तक मूवी देखते रहे। कई बार मेरा लिंग खड़ा भी हुआ मेरे लिंग में जो दर्द हो रहा था वह भाभी ने समझ लिया।
जब मूवी खत्म हुई। तब भाभी मुझसे बोली- सचिन एक बात पूछूं?
मैं बोला- पूछो भाभी, क्या पूछना है?
भाभी- जब तुम मूवी देख रहे थे तब मैंने महसूस किया कि तुम्हें दर्द हो रहा है वहां पर।
मैं बोला- भाभी आपको बताया तो था कि मेरे उस में दर्द हो रहा है।
भाभी वाली- दर्द हो रहा है तो मुझे बता चला कहां दर्द हो रहा है?
मैं- नहीं भाभी, मैं देख लूंगा मैं आप को नहीं दिखाऊंगा. यह गलत होता है।
भाभी बोली- पागल, मैं जो बोल रही हूं चुपचाप करते जा. अभी तूने पहली बार किया है और तुझे दर्द हो रहा है. उस दर्द का इलाज नहीं किया गया तो तुझे बहुत दिक्कत होगी कल को और ज्यादा दर्द हुआ तो तुम्हारा कभी खड़ा नहीं होगा।
मैं- लेकिन आपको दिखाऊं कैसे? मुझे बहुत शर्म आ रही है।
भाभी- अब शर्म किस बात की … हम दोनों ने एक साथ बैठकर ब्लू फिल्म देख ली. और अब तुम मुझसे शर्म आ रही है?
मैं- भाभी, मूवी देखने से कोई शर्म थोड़ी चली जाती है। आप एक औरत हो तो आपके सामने तो मुझे शर्म आएगी ना?
भाभी ताना देते हुए बोली- संगीता के सामने तुझे शर्म नहीं आई बिना कपड़े की राहा।
मैं बोला-भाभी, वह मेरी गर्लफ्रेंड है
कविता भाभी बोली- और मैं कौन?
मैं बोला- आप भाभी हो।
भाभी बोली- तेरी शर्म का इलाज मैं करती हूं।
भाभी उठ कर मेरे पास आई और मुझसे बोली- सचिन, मुझसे बिल्कुल मत शरमाओ. मुझे अपनी दोस्त ही समझो.
और प्यार से उन्होंने मेरे सर पर हाथ फेरा और मेरा हाथ पकड़ कर उठाया और पलंग पर मुझे लेटने के लिए बोला।
मैं पलंग पर पीठ के बल लेट गया। वो मेरे पास पलंग पर आकर बैठी और बोली- सचिन, मैं जो करूंगी मुझे करने देना। मैं तेरा इलाज कर दूंगी तुझे कोई दिक्कत नहीं होगी लेकिन मैं जो करूंगी मुझे करने देना तू मुझे रोकना मत।
मैंने हां में सिर हिलाया।
फिर भाभी मेरे लोअर को पकड़कर खींचने लगी तो मैंने कमर उठा कर लोअर उतारने में भाभी की मदद की। कविता भाभी ने मेरा लोअर खीच कर मेरे घुटने तक कर दिया। उनके स्पर्श के कारण मेरे लिंग में तनाव आ गया और वह अपने पूरे रूप में आ गया।
भाभी उठी, कमरे की लाइट जलाई और मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर गौर से देखने लगी.
मेरे अंदर कुछ अजीब सी गुदगुदी होने लगी। मैं भाभी से बोला- भाभी, मुझे गुदगुदी हो रही है।
भाभी बोली- चुपचाप लेटा रह, मुझे चेक करने दे।
उन्होंने मेरे लिंग को हाथ में लेकर दोबारा देखा और बताया- तुम्हारे लिंग की चमड़ी छिल गई है और इसका सही से इलाज ना किया तो तुम्हें बहुत जलन होगी दिनों तक। और आगे चलकर परेशानी भी होगी। तुम्हें गुप्त रोग भी हो सकता है।
मैंने बोला- मैं क्या करूं?
कविता भाभी- कोई डरने की बात नहीं है। मैं तुम्हारा सब ठीक कर दूंगी मुझे सब अनुभव है।
भाभी उठी और तेल की शीशी लाई और बोली- यह यह जैतून का तेल है। इससे मालिश करने में तुम्हारे लिंग की सूजन और जलन सब खत्म हो जाएगी और बार-बार मालिश करने से तुम्हारा लिंग अच्छा मस्त और तगड़ा हो जाएगा जो किसी भी औरत को खुश कर सकने में सक्षम होगा। मैंने तुमसे वादा किया था ना कि मैं तुम्हें सब कुछ सिखा दूंगी तो आज से उसकी शुरुआत हो रही है।
फिर भाभी ने अपने हाथ में थोड़ा सा तेल लिया और मेरे दोनों पैर पर बैठ गई और अपने दोनों हाथों से धीरे-धीरे मेरे लिंग की मसाज करने लगी।
मुझे भी काफी मज़ा आ रहा था. ऐसा मेरे साथ कभी नहीं हुआ था.
काफी देर तक मालिश करने के बाद में मुझसे रहा नहीं गया- भाभी, मेरे अंदर कुछ हो रहा है। ऐसा लग रहा है कि मेरे लिंग में से कुछ निकल रहा है.
वह भी हंसी और बाजू में पड़े हुए रुमाल को उठाकर मेरे लिंग के आसपास रख दिया और फिर से मसाज करने लगी। इस तरह उन्होंने बार-बार मसाज की. ऐसा करते-करते आधे घंटे हो गया, मेरा पानी नहीं निकला।
फिर अंत में भाभी को भी जोश चढ़ने लगा और वे मेरे लिंग को पकड़ कर बहुत तेज मुठ मारने लगी. मुठ मारते मारते मेरे चेहरे के भाव देखकर उन्होंने रूमाल उठाया और मेरे लिंग के पास में कर दिया. मेरे लिंग की पिचकारी चली और मैं शांत हो गया।
कुछ देर ऐसे ही पड़ा रहने के बाद भाभी बोली- कुछ आराम मिला?
मैं बोला- हां भाभी, अब दर्द लगभग खत्म हो गया है।
अब मुझे भी लगने लगा था कि भाभी मेरे साथ संभोग करना चाहती हैं। पर मेरी अभी इतनी हिम्मत नहीं थी कि मैं संभोग कर सकूं।
मेरा काम होने के बाद मैंने लोवर पहना और अपने रूम के लिए निकलने लगा.
भाभी बोली- सचिन, एक बात और बोलूं?
मैं- हां भाभी बोलिए।
भाभी- किसी से कुछ कहोगे तो नहीं? वादा करो.
मैं बोला- वादा किया।
भाभी- मुझे भी संभोग करना है तुम्हारे साथ!
मैं बोला- भाभी, अभी मेरी बिल्कुल ताकत नहीं बची है।
भाभी बोली- कोई बात नहीं. आज रात 8:00 बजे तुम मेरे रूम पर आ जाना. हम साथ में खाना भी खाएंगे। मैं खाना बना कर रखूंगी तुम्हारे लिए।
मैं हां बोल कर चला गया.
6:00 बज चुके थे भाभी के रूम निकलते निकलते और मुझे अब खाना भी नहीं बनाना था तो मैं अपने रूम पर आया और एकदम सो गया।
मेरी नींद तब खुली जब भाभी ने मुझे मेरे रूम में आकर जगाया। मुझे ऐसा लगा कोई मुझे जगा रहा है और मेरे कानों में आवाज पड़ी- उठो सचिन, खाना नहीं खाना है क्या? 9:00 गए हैं रात के।
मैं- आप चलिए भाभी मैं आ रहा हूं हाथ धोकर।
भाभी- ठीक है जल्दी आना।
मैं तैयार होकर अपने रूम से भाभी के रूम पर गया.
वहां पर जाकर देखा कि भाभी अपनी बच्ची को सुला चुकी थी और हम दोनों के लिए खाना लगा हुआ था.
खाने में उन्होंने खीर, पूड़ी आलू की सब्जी बनाई हुई थी जो मुझे अभी तक अच्छी तरीके से याद है। खाना खाने के बाद भाभी अपने बर्तन उठा के ले गई और मुझसे बोली- तुम उस रूम में चले जाओ. टीवी देखो जब तक मैं आती हूं सफाई करके।
उनकी बच्ची सो गई थी तो उसके जागने का कोई डर नहीं था। मैं भाभी के बेडरूम में जाकर टीवी देख रहा था कि भाभी अपने बेडरूम में आई।
वे मेरे पास आकर मेरे से सट कर बैठ गयी और बोली- सचिन, मैं आज तुमको सब कुछ सिखा दूंगी। आज मैं तुम्हें काम क्रीड़ा में मास्टर बना दूंगी। बस मैं जैसा करती जाऊं, तुम भी वैसा ही करते जाना जब तक मैं तुमको ना रोकूं।
मैंने हां में सिर हिलाया।
उन्होंने मेरे दोनों हाथों से मेरा चेहरा पकड़ा। मैंने भी अपने दोनों हाथों से उनका चेहरा पकड़ा. उन्होंने अब मेरा चेहरा थोड़ा तिरछा किया मैंने भी उनका चेहरा थोड़ा तिरछा किया.
हम दोनों ने एक दूसरे को किस करना चालू कर दिया. जैसे-जैसे भाभी किस कर रही थी, वैसे वैसे मैं भी करने लगा।
पहले उन्होंने मेरे ऊपर के होंठ चूसे तो मैं भी उनके नीचे का होंठ चूसने लगा. जब वे मेरे नीचे के होंठ चूसती तो मैं उनके ऊपर के होंठ चूसने लगता.
फिर उन्होंने अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल दी. बदले में मैंने अपनी जीभ उनके मुंह में डाल दी।
दोस्तो, ऐसा एहसास मुझे अभी तक कभी नहीं आया था। अभी तो और आना बाकी था.
इस तरह हम एक दूसरे को काफी देर तक किस करते रहे। फिर वह मुझसे अलग हुई।
हम दोनों की सांसें बहुत तेज चल रही थी. बात करते भी नहीं कर पा रहे थे.
फिर वे खड़ी हुई और मुझे भी खड़ा होने के लिए बोला।
भाभी फिर से किस करने लगी और उन्होंने मेरे दोनों हाथ पकड़ कर अपने नितंबों के रख दिया और दबाने लगी. मैं भी वही कर रहा था जैसे वह मुझसे करा रही थी।
काफी देर तक किस करने के बाद मुझे अलग हुई और पूछने लगी- समझ में आ गया कि किस कैसे किया जाता है?
फिर उन्होंने अपना साड़ी का पल्लू मेरे हाथों में दे दिया और मैं उनका इशारा समझ गया.
मैं धीरे-धीरे उनकी साड़ी को खींच रहा था और वे खड़े खड़े घूमती जा रही थी। उनकी पूरी साड़ी निकलने के बाद वह सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज में रह गई।
मेरे हाथों में अब उनकी साड़ी थी जो मैंने एक साइड रख दी।
उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींचा. मेरा एक हाथ पकड़ कर उन्होंने अपने पेटिकोट के नाड़े पर रखा और मुझे खींचने का इशारा किया।
मैंने उस नाड़े को पकड़कर खींचा तो वो खुल गया. भाभी का पेटीकोट उनके पैरों से होता हुआ नीचे गिर गया।
आगे की कहानी अगले पार्ट में।
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आगे की कहानी: प्यारी भाभी की प्यारी पाठशाला-2