यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
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रिश्तों में सेक्स की पिछली कहानी में नीलम अपने ससुर से मस्ती करते हुए चुदवा लेती है. अब नीलम और उसके ससुर के बीच कोई लाज शरम नहीं रह गयी है. भाई का अपनी बहन के साथ और बहू का अपने ससुर के साथ चुदाई का खेल अब रोज का ही रुटीन बन गया था.
अब आगे …
रात होते ही महेश अपनी बहू के कमरे में घुसकर उसकी शानदार चुदाई करता। समीर भी इसी तरह रोज़ अपनी बहन को चोदता था।
आज सुबह समीर के जाने के बाद नीलम घर का काम काज करने में व्यस्त हो गई। महेश ने आज अपनी बेटी को चोदने का पूरा मन बना लिया था क्योंकि पिछले 2 दिनों से उसका लंड उसकी बेटी की चूत की चुदाई करने का भूखा था.
इधर उसकी बहू नीलम के पीरियड शुरू हो चुके थे इसलिए वह महेश को अपने क़रीब भी फटकने नहीं दे रही थी।
दोपहर का खाना खाने के बाद सभी अपने कमरों में सोने चले गए। महेश अपने प्लान के मुताबिक सबके कमरों में जाते ही खुद अपने कमरे से निकलकर अपनी बेटी के कमरे में चला गया।
“बापू आपको क्या चाहिए?” ज्योति ने अचानक अपने पिता को कमरे में दाखिल होता देख कर बेड से उठते हुए कहा।
“कुछ नहीं बेटी, आज तुमसे बाते करने का मन कर रहा था इसीलिए यहाँ चला आया.” महेश ने कमरे का दरवाज़ा अंदर से बंद करते हुए कहा।
ज्योति जानती थी कि उसके पिता की नज़र उस पर है इसीलिए वह यहाँ आये हैं मगर फिर भी वह कुछ बोल नहीं सकती थी। उसका दिल बुहत ज़ोर से धड़क रहा था.
महेश दरवाज़ा बंद करने के बाद सीधा बेड पर जाकर बैठ गया। वह सिर्फ धोती में था।
ज्योति उस वक्त सोने वाली थी इसलिए उसने नाइटी पहन रखी थी जो बहुत छोटी थी और ज्योति की टांगों को ढक नहीं पा रही थी।
“वाह बेटी, आज तो तुम बहुत सेक्सी लग रही हो.” महेश ने अपनी बेटी को घूरते हुए उसकी तारीफ की।
“वो पिता जी … मैं सोने वाली थी इसलिए नाइटी पहन ली.” ज्योति ने पिता के सामने शरमाते हुए जवाब दिया।
“कोई बात नहीं, मुझे तो तुम ऐसे ही कपड़ों में अच्छी लगती हो.” महेश ने हँसते हुए कहा।
“पिता जी, मुझे नींद आ रही है.” ज्योति ने अपने पिता से जान छुड़ाने की एक कोशिश सी की.
“अरे बेटी, तो आओ आज मेरी गोद में सिर रखकर सो जाओ न। बचपन में भी तो तुम सोती थी.” महेश ने ज्योति की बात सुनकर उसे देखते हुए कहा।
“नहीं पिता जी, बस ठीक है,” ज्योति ने जल्दी से पिता की बात को टालने की कोशिश की।
“अरे वाह बेटी, यह क्या बात हुई? आओ बड़ों से ज़िद नहीं करते.” महेश ने आगे बढ़कर ज्योति को कलाई से पकड़ कर अपनी तरफ खींचते हुए कहा। ज्योति के पास अब और कोई रास्ता नहीं बचा था तो वह चुपचाप अपना सिर अपने पिता की गोद में रख कर लेट गयी।
“आह्ह्ह्ह बेटी कितनी बड़ी हो गई है तू. देख तुम्हारी चूचियां भी तो बहुत बड़ी हो गई हैं.” महेश ने अपनी बेटी की चूचियों को घूरते हुए देख कर कहा जो महेश की गोद में लेटने के कारण बाहर उभर कर आ गई थीं.
“पिता जी, मैं आपकी बेटी हूँ. मुझसे गन्दी बातें मत करो.” ज्योति ने अपनी पिता को टोका।
“अरे बेटी क्या करूं, तुम्हारी जवानी को देख कर मुझे जाने क्या हो जाता है. अब देखो यह कैसे खड़ा हो गया है.” महेश ने अपनी धोती को आगे से थोड़ा खो लकर अपने मूसल लंड को हाथ में पकड़ कर अपनी बेटी की आँखों के सामने करते हुए हिला दिया।
“पिता जी कुछ तो शर्म करें, मैं आपकी सगी बेटी हूं.” ज्योति ने अचानक अपने पिता का नंगा लंड इतना नज़दीक से देखने पर उसकी गोद से उठकर सीधी बैठते हुए कहा।
“बेटी, तुम मेरे साथ कुछ करना नहीं चाहती तो ठीक है मैं तुमसे जबरदस्ती नहीं करूँगा मगर मेरी एक ख्वाहिश पूरी कर दो जैसे उस दिन तुमने मेरे लंड को पकड़ा था वैसे ही एक दफ़ा इसे अपने हाथों से पकड़ लो.” महेश ने अपनी बेटी को देखते हुए कहा।
“नहीं पिता जी, यह ठीक नहीं है.” ज्योति ने यूं ही बैठते हुए कहा उसकी साँसें अब ज़ोर से चल रही थीं और न जाने क्यों अपने पिता के लंड को देखने के बाद उसे अपने जिस्म में अजीब किस्म की सिहरन हो रही थी।
“बेटी बस एक बार!” महेश ने ज्योति के एक हाथ को पकड़ कर अपने लंड पर रखते हुए कहा।
“आह्ह्हह पिता जी, छोड़िये ना!” ज्योति का पूरा जिस्म अपने हाथ को अपने पिता के गर्म लंड पर रखने के बाद ज़ोर से कांप उठा और उत्तेजना के मारे उसकी चूत से पानी टपकने लगा मगर फिर भी उसने नखरा करते हुए अपने पिता से कहा।
महेश ने ज्योति के हाथ को अपने हाथ से पकड़ कर अपने लंड पर आगे पीछे करना शुरू कर दिया। कुछ देर में ही ज्योति का हाथ अपने आप उसके पिता के लंड पर आगे पीछे होने लगा।
“आह्ह्ह बेटी कितना नर्म हाथ है तुम्हारा, तुम मेरी गोद में लेट कर इसे सहलाओ ना!” महेश ने अपने हाथ को अपनी बेटी के हाथ से हटाकर उसे कमर से पकड़ कर अपनी गोद पर लिटा दिया।
ज्योति का उत्तेजना के मारे बुरा हाल था क्योंकि अब उसके पिता का लंड ज्योति के मुँह के बिल्कुल सामने था और इतने क़रीब से अपने पिता का मूसल लंड सहलाते हुए उसके मुँह में पानी आ रहा था।
“बेटी क्या तुम्हारा दिल इससे प्यार करने को नहीं हो रहा है? आज सारी शर्म छोड़ दो और जी भर कर इससे प्यार करो, जैसे तुम अपने भाई के लंड से करती हो.” महेश ने अपने एक हाथ को अपनी बेटी की नंगी जाँघ पर रख कर उसकी जाँघ को सहलाते हुए कहा।
“पिता जी यह आप क्या कर रहे हैं? मैंने आपको पहले भी बताया था कि मैं समीर भैया के लिये ये सब क्यों करती हूं. वह सिर्फ एक हादसे के जैसा था और उसके बाद भाभी ने भैया को अपने पास नहीं फटकने दिया. मैं केवल अपने भाई का दिल बहलाने के लिए ये सब कर लेती हूं.”
“तुम मेरा दिल नहीं बहला सकती क्या?” महेश ने ज्योति को अपनी बातों में फंसाने की कोशिश की.
वैसे ज्योति को अपने पिता के मोटे लंड को देख कर कुछ कुछ होने लगा था क्योंकि महेश का लंड समीर के लंड से बहुत बड़ा था. मगर वह जानती थी कि एक बार उसके पिता ने उसकी चूत को चोद दिया तो फिर वो रोज उसके पास ही पड़े रहेंगे. इसलिए वो अपने पिता के साथ सम्बंध बनाने को तवज्जो नहीं दे रही थी.
“बेटी कितना कोमल जिस्म है तुम्हारा!” महेश ने अपनी बेटी को गर्म होता देखकर अपने हाथ को उसकी जांघों से ऊपर करते हुए उसकी पेंटी तक ले जाते हुए कहा.
“ओहहह नहीं पिता जी। प्लीज वहां से हाथ हटाइये ना!” ज्योति अपने पिता के हाथ को अपनी चूत के इतना क़रीब महसूस करके ज़ोर से सिसकारी लेते हुए बोली।
उसकी हालत बहुत ख़राब हो चुकी थी. ज्योति की चूत से पानी की नदी बह रही थी और उसका हाथ महेश के लंड पर बहुत ज़ोर से चल रहा था।
“ओहह बेटी, एक बार इसे अपने मुँह में ले लो ना!” महेश ने अपने दूसरे हाथ से ज्योति के हाथ को पकड़ा जो उसके लंड पर आगे पीछे हो रहा था और उसे ज्योति के होंठों के बिल्कुल नज़दीक रख दिया।
“आआह्ह्ह पिता जी!” ज्योति अपने पिता के लंड का गुलाबी मोटा सुपारा अपने होंठों के इतने नज़दीक देख कर सिसक उठी और अगले ही पल वह अपने होंठों से अपने पिता के लंड के मोटे सुपारे को पागलों की तरह चूमने लगी।
वह अपने पिता के लंड के गुलाबी मोटे सुपारे को ऊपर से नीचे तक अपने होंठों से चूम रही थी।
“ओहह बेटी, इसे अपने मुँह में लो ना और जीभ से चाटो!” महेश का पूरा जिस्म अपनी बेटी के गुलाबी नर्म होंठ अपने लंड पर लगते ही ज़ोर से कांपने लगा और वह उत्तेजना के मारे ज़ोर से सिसकारियां लेने लगा.
उसने अपने हाथ को अपने लंड से हटा दिया।
ज्योति अपने पिता की बात सुनकर अपनी जीभ को निकालकर अपने पिता के लंड के गुलाबी मोटे सुपारे पर फिराने लगी।
“उम्म्ह… अहह… हय… याह… बेटी!” महेश का पूरा बदन अपनी बेटी की जीभ अपने लंड के सुपारे पर महसूस करते ही सिहर उठा और वह अपने एक हाथ से अपनी बेटी के बालों को पकड़ कर अपने लंड पर दबाने लगा जबकि दूसरे हाथ को उसकी पेंटी पर रख कर उसकी चूत को पेंटी के ऊपर से ही सहलाने लगा।
ज्योति अपने पिता के हाथ को पेंटी के ऊपर से ही अपनी चूत पर महसूस करके सिहर उठी और उसने अपना मुँह खोलकर अपने पिता के लंड के मोटे सुपारे को अपने मुँह में ले लिया। महेश के लंड का टोपा इतना मोटा था कि ज्योति के पूरा मुँह खोलने पर भी उसका सुपारा ही अंदर ले सकी।
वह अपने होंठों को अपने पिता के लंड पर आगे पीछे करने लगी।
इधर महेश भी ज़ोर से सिसकारियां लेते हुए अपनी बेटी की चूत को उसकी पेंटी के ऊपर से ही सहलाने लगा। अपनी बेटी की चूत को सहलाते हुए महेश का हाथ गीला हो गया था क्योंकि ज्योति की चूत से उत्तेजना के मारे बहुत पानी निकल रहा था।
“बेटी एक काम करो, तुम नाइटी को उतार कर मेरे ऊपर उल्टी होकर लेट जाओ.” महेश ने अपनी बेटी की चूत को उसकी पेंटी के ऊपर से ही सहलाते हुए कहा और खुद सीधा होकर बेड पर लेट गया।
ज्योति को उस वक्त हवस का नशा चढ़ चुका था। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह अपने आपको अब कैसे कंट्रोल करे. इसलिए वह अपने पिता की बात को मानते हुए अपने मुँह से उनका लंड निकाल कर अपनी नाइटी को उतारते हुए उनके ऊपर उल्टी होकर लेट गयी और अपने पिता के लंड को फिर से अपने हाथ से पकड़ कर अपने मुंह में भर लिया।
“ओहह अह्ह बेटी!” महेश अपनी बेटी की नर्म चूचियों को अपने पेट पर दबने और उसके भारी गोरे चूतड़ों को अपनी नजरों के सामने आने से उत्तेजित हो उठा. ज्योति के चूतड़ अब सिर्फ पेंटी में महेश के मुंह के सामने थे.
ज्योति अपने पिता के लंड को फिर से अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। इधर महेश अपने हाथों से अपनी बेटी के चूतड़ों को दबाते हुए उसकी चूत को पेंटी के ऊपर से ही सहलाने लगा। ज्योति अपने पिता के हाथों को अपनी चूत पर महसूस करते ही उसके लंड को ज़ोर से चूसने लगी।
महेश भी अपनी बेटी को गर्म देख कर उसकी पेंटी को उसके चूतड़ों से अलग करने लगा। ज्योति ने भी अपने चूतड़ों को उठा कर अपने जिस्म से अलग करने में अपने पिता की मदद की.
बेटी की गुलाबी चूत अब बिल्कुल नंगी होकर उसके पिता के सामने आ चुकी थी जिसे देख कर महेश अपने होंठों पर जीभ को फिराने लगा।
पिता ने अपने हाथ से अपनी बेटी की चूत को सहलाया और उसके चूतडों से पकड़ कर सीधा अपने होंठों पर रख दिया। वह अपनी बेटी की चूत को अपने होंठों से चूमते हुए अपनी जीभ निकाल कर चाटने लगा। ज्योति का उत्तेजना के मारे बुरा हाल हो चुका था. वह बुहत तेज़ी के साथ अपने पिता के लंड को अपने होंठों से चूस रही थी। इधर महेश भी अपनी बेटी की नमकीन चूत को बड़े प्यार से चूस और चाट रहा था, अचानक ज्योति का बदन अकड़ने लगा जिसे देख कर महेश ने अपना मुंह उसकी चूत से हटा दिया।
ज्योति तड़पते हुए अपने चूतड़ों को अपने पिता के मुंह पर दबाने लगी मगर महेश ने अपने हाथों से उसके चूतड़ों को पकड़ कर अपने मुँह से दूर कर दिया।
“आहहह पिता जी … चाटो न … क्या हुआ आपको?” ज्योति से बर्दाश्त नहीं हो रहा था। वह झड़ने वाली ही थी कि उसके पिता ने उसकी चूत से मुंह हटा दिया था, जिस वजह से ज्योति ने अपने पिता के लंड को अपने मुँह से निकालते हुए अपने पिता से मिन्नत की.
“नहीं बेटी यह सब ठीक नहीं है, तुम मेरी बेटी हो.” महेश ने अपनी बेटी को अपने ऊपर से उठाते हुए कहा. वह जानता था कि ज्योति एक बार झड़ने के बाद उसे कभी भी चोदने नहीं देगी इसलिए वह नाटक करने लगा।
“पिता जी अचानक आपको क्या हुआ, आप ही तो मुझे पाना चाहते थे?” ज्योति ने अपने पिता को हैरानी से देखते हुए कहा।
“हाँ … मगर मैं तुम्हें पूरी तरह से हासिल करना चाहता हूँ.” महेश ने सीधी बात करते हुए कहा।
“तो आइये न, मैं तैयार हूँ. आप मेरे जिस्म से खेलिये ना …” ज्योति ने तड़पते हुए कहा।
“नहीं मैं तुम्हारे जिस्म से सिर्फ खेलना नहीं तुम्हें चोदना भी चाहता हूँ.” महेश ने ज्योति को ऐसे देखा जैसे कह रहा हो अगर मेरे साथ मजे लेने हैं तो मेरे लंड से चुदना ही पड़ेगा।
“बताओ? अगर तुम तैयार हो तो ठीक है वरना मैं जा रहा हूं?” महेश ने अपनी बेटी को ब्लैकमेल करते हुए कहा।
“नहीं पिता जी, आप जाने की बात मत करिये. आप मुझे इस तरह से गर्म करके बीच में नहीं छोड़ सकते. मैं तैयार हूं.” ज्योति ने चिल्लाते हुए कहा।
“ओह्हह बेटी तुम कितनी अच्छी हो, मुझे अपने कानों पर यकीन नहीं आ रहा है.” महेश ने अपनी बेटी के ऊपर चढ़ते हुए कहा और ज्योति के होंठों को बड़े प्यार से चाटने लगा।
ज्योति भी अपने पिता के चुम्बनों का जवाब देने लगी और दोनों बाप बेटी एक दूसरे के होंठों और जीभ से खेलने लगे।
महेश ने कुछ देर तक अपनी बेटी के होंठों और जीभ को चूसने के बाद नीचे होते हुए उसकी ब्रा को उसकी चूचियों से अलग किया और बारी बारी से अपनी बेटी की दोनों चूचियों को चूसने और चाटने लगा।
अपने पिता से अपनी चूचियों को चुसवाते हुए ज्योति के मुँह से भी ज़ोर की सिसकारियां निकलने लगीं और वह अपने पिता के बालों को सहलाते हुए अपनी चूचियों को चुसवाने लगी.
महेश भी अपनी बेटी की चूचियों से खूब खेलने के बाद नीचे होते हुए उसकी टांगों के बीच आ गया और फिर उसने अपनी बेटी की टांगों को उठाकर घुटनों तक मोड़ दिया। ऐसा करने से ज्योति की चूत बिल्कुल खुलकर महेश की आँखों के सामने आ गयी और वह अपने फनफनाते हुए लंड को पकड़ कर अपनी बेटी की चूत पर घिसने लगा।
“आह्ह्ह्ह पिता जी …” ज्योति अपने पिता के मोटे लम्बे लंड को अपनी चूत पर घिसता महसूस करके अपने चूतड़ों को उछालते हुए ज़ोर से तड़प उठी और उसकी चूत से उत्तेजना के मारे पानी टपकने लगा. महेश ने अपने लंड को अपनी बेटी की चूत से निकलते हुए पानी से गीला किया और उसे पकड़ कर अपनी बेटी की चूत के छेद पर रख दिया।
इन्सेस्ट सेक्स कहानी अगले भाग में जारी रहेगी.
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