यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
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इस हिन्दी चुदाई कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा था कि समीर की बीवी नीलम ने अपने पति समीर को चुदाई के लिये मना कर दिया था क्योंकि समीर का लंड बहुत बड़ा था. समीर का अधूरापन और उसकी विधवा बहन की प्यास जब दोनों आपस में मिले तो भाई-बहन की चुदाई चालू हो गई थी.
अब उसके आगे की हिन्दी चुदाई कहानी:
समीर अपनी छोटी बहन को जितना लंड अंदर गया था उसी से हल्के धक्के लगाते हुए चोदने लगा, कुछ ही धक्कों के बाद ज्योति की चूत में लंड ने अपनी जगह बना ली और वह मज़े से सिसकारियां लेते हुए अपने बड़े भाई से चुदवाने लगी।
ज्योति की चूत से मज़े से रस निकल रहा था जिस वजह से समीर का लंड आराम से उसकी चूत में अंदर बाहर हो रहा था। समीर अब अपनी बहन की टांगों को पकड़ते हुए ज़ोर से अपना लंड अंदर बाहर करने लगा। बहुत ज़ोर लगा कर चोदने की वजह से समीर का लंड सरकता हुआ 6 इंच तक उसकी बहन की चूत में घुस चुका था।
“भैया बस और अंदर मत घुसाओ, मेरी चूत फट जाएगी. मेरे पति का इतना ही लम्बा था.” ज्योति ने बहुत तेज़ी से साँसें लेते हुए कहा।
समीर अपनी बहन को अब उतना लंड ही डाले चोदने लगा, 15-20 धक्कों के बाद ही ज्योति बहुत ज़ोर से सिसकारियां लेते हुए अपने चूतड़ उछालने लगी।
समीर अपनी बहन के चूतड़ उछालने से समझ गया कि वह झड़ने वाली है इसीलिए वह अपनी बहन की चूत में बहुत तेज़ी के साथ धक्के लगाने लगा।
अपनी चूत में 8 साल बाद अपने भाई के लंड की रगड़ से ज्योति पागल हो रही थी और उसका सारा बदन मज़े के मारे कांप रहा था। ज्योति का पूरा बदन पसीने से भीग गया और उसका पूरा बदन अकड़ने लगा।
ज्योति की चूत अचानक झटके खाते हुए झड़ने लगी और ज्योति अपने बड़े भाई के लंड पर बहुत तेज़ी के साथ अपने चूतड़ उछालते हुए मज़े से अपनी आंखें बंद करके “उह आह्ह्ह्ह ईह” करते हुए झड़ने लगी। समीर अपनी बहन की चूत से पानी निकलता हुआ देखकर उसे बहुत ज़ोर के धक्के लगाते हुए पेलने लगा।
ज्योति की चूत एक बार झड़ने से अंदर से बिल्कुल गीली हो चुकी थी। जिस वजह से अब समीर का लंड बड़े आराम से अंदर बाहर हो रहा था। समीर ने अपनी बहन के पूरा झड़ने के बाद उसकी टांगों को ज़ोर से पकड़ते हुए 3-4 ज़ोर के धक्के लगाते हुए अपना पूरा लंड अपनी छोटी बहन की चूत में घुसा दिया।
“उईई माँ … मार डाला … ओहह … मेरी चूत फट गई.” ज्योति अपने भाई का पूरा लंड अपनी चूत में घुसते ही ज़ोर से चिल्लाते हुए तड़पने लगी।
समीर अपनी बहन को ऐसे चिल्लाते हुए देखकर अपना पूरा लंड उसकी चूत में डाले ही उसके ऊपर झुक गया और अपनी बहन की एक चूची को सहलाते हुए उसकी दूसरी चूची के दाने को अपने मुंह में भरकर चूसने लगा।
ज्योति कुछ देर में ही कुछ शांत हो गई और अपने बड़े भाई के बालों में हाथ डालते हुए उसके सिर को अपनी चूची पर दबाने लगी।
“बहन बहुत दर्द हो रहा है क्या?” समीर ने अपनी बहन की चूची को अपने मुंह से निकालते हुए कहा।
“नहीं भैया, अब ठीक है. आपका लंड इतना बड़ा है कि वह मुझे अपने पेट तक महसूस हो रहा है.” ज्योति ने सिसक कर अपने चूतडों को अपने भाई के लंड पर उछालते हुए कहा।
समीर अपनी बहन को एक चुम्बन होंठों पर देते हुए उसकी चूचियों को अपने हाथों से पकड़ते हुए उसकी चूत में हल्के धक्के लगाने लगा। ज्योति अपने भाई के लंड को अपनी चूत में जड़ तक महसूस करके मज़े से बहुत ज़ोर से सिसकते हुए अपने भाई के होंठों को चूमने लगी.
अपनी बहन को गर्म होता हुआ देखकर समीर ने उसके ऊपर से उठते हुए उसकी टांगों को पकड़ लिया। बहन की टांगों को पकड़ते हुए अपने लंड को पूरा बाहर निकाल कर फिर से घुसाने लगा। ज्योति अपने बड़े भाई के हर धक्के के साथ मज़े से कांप उठती। ज्योति को इतना मजा आ रहा था कि वह अपने भाई के हर धक्के के साथ अपने मांसल चूतड़ उछाल उछाल कर उसके लंड को अपनी चूत में लेते हुए सिसकारियां ले रही थी।
ज्योति का बदन अकड़ने लगा और उसकी चूत अपने भाई के मोटे और लम्बे लंड से हारकर फिर से काँपते हुए आंसू बहाने लगी। ज्योति ज़िंदगी में पहली बार एक चुदाई से दो बार झड़ी थी।
समीर अभी तक झड़ा नहीं था, अब वह अपनी बहन की चूत में बहुत तेज़ और भयानक धक्के लगाने लगा। ज्योति की चूत दो बार झड़ने की वजह से बहुत गीली थी और समीर के हर धक्के के साथ उसकी चूत से फ़च-फच की आवाज़ निकल रही थी।
ज्योति की चूत आधे घन्टे से अपने बड़े भाई से चुदवाते हुए लाल हो चुकी थी, अचानक समीर हाँफते हुए ज़ोर-जोर से धक्के लगाने लगा।
“बहन मैं झड़ने वाला हूं, जल्दी बताओ अंदर झड़ूं या बाहर?” समीर ने तेज़ साँसें लेते हुए कहा।
“भैया अंदर झड़ना, मेरी चूत कब से प्यासी है, आज इसे अपने भाई के लंड का वीर्य पीने दो.” ज्योति ने अपने भाई को जल्दी से जवाब देते हुए कहा।
“आह्ह … बहन मैं गया.” समीर अपना लंड बहुत तेज़ी के साथ अपनी बहन की चूत में अंदर बाहर करता हुआ झड़ने लगा।
“ओहहह स्स्स … भैया आप बहुत अच्छे हो, आह्ह्ह्ह मैं भी आई.” अपने बड़े भाई के लंड का वीर्य अपनी सालों से प्यासी चूत में गिरते ही ज्योति भी अपनी चूत को अपने भाई के लंड पर ज़ोर से पटकते हुए झड़ने लगी।
समीर के लंड से न जाने कितनी देर तक पिचकारियां निकल कर अपनी सगी बहन की चूत को भरने लगीं। समीर झड़ने के बाद निढाल होकर अपनी बहन के ऊपर गिर पड़ा। ज्योति भी अपने भाई के मूसल लंड से चुदते हुए तीन बार झड़ी थी और वह भी अपनी आँखें बंद किये हुए हांफ रही थी।
समीर का ज्योति के साथ एक बार हम बिस्तर होने के बाद तो जैसे भाग ही खुल गया वह हर रात को अपनी बीवी के सोते ही वहां से उठकर अपनी बहन ज्योति के कमरे में चला जाता जहाँ पर दोनों भाई बहन सारी दुनिया को भूलकर एक दूसरे की हवस की आग को ठण्डा करते।
आज भी समीर अपनी बीवी के सोने का इंतज़ार कर रहा था, कुछ ही देर में नीलम नींद की आग़ोश में चली गयी।
नीलम के खर्राटों की आवाज़ सुनकर समीर बेड से उठकर बाहर जाने लगा. समीर के जाते ही नीलम ने भी अपनी आँखें खोल दीं। उसे कई दिनों से अपने पति पर शक था क्योंकि जहाँ हर रोज़ वह उसे चोदने के लिए मरा जाता था वह कई दिनों से उसके क़रीब तक नहीं आया था।
नीलम जल्दी से उठकर दरवाज़े तक आ गयी और वह अपने पति को देखने लगी कि वह कहाँ जा रहा है। समीर सीधा अपनी बहन ज्योति के कमरे में घुस गया, नीलम को यह देखकर बहुत हैरानी हुई कि इतनी रात को समीर अपनी बहन के कमरे में क्या करने गया है. वह भी बाहर निकलकर ज्योति के कमरे की तरफ बढ़ने लगी।
नीलम ज्योति के कमरे के पास आकर रुक गयी क्योंकि उसे कुछ आवाज़ें सुनायी देने लगी। नीलम ने अपना एक कान दरवाज़े से सटा दिया और अंदर से आने वाली आवाज़ों को सुनने लगी।
“ओह भैया, आप आ गये!” ज्योति ने अपने भाई को देखते ही खुश होकर कहा।
“मेरी प्यारी बहन, तुम नहीं जानती कि अगर मुझे तुम्हारा प्यार नहीं मिला होता तो मेरा क्या होता!” समीर ने आगे बढ़कर अपनी बहन को अपनी बांहों में भरते हुए कहा।
“आह्ह्ह्ह मैं भी तो कई बरसों से प्यासी थी, अगर आप का प्यार न मिला होता तो मेरे पास जीने का कोई मक़सद नहीं होता.” ज्योति ने भी अपने भाई के सीने में अपनी चूचियों को ज़ोर से दबाते हुए कहा।
“बस करो बहन, बातें करके टाइम बर्बाद मत करो.” समीर ने अपनी बहन से कहा और अपने होंठों को ज्योति के नर्म होंठों पर रख दिया. बाहर समीर की बीवी नीलम खड़ी हुई ये सब सुन रही थी. नीलम का सिर चक्कर खाने लगा। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे।
“क्या दो भाई बहन के बीच भी यह सब हो सकता है?” नीलम के मन में सवाल आया।
“नही ज़रूर उसे कोई गलफहमी हुई है, ऐसा कभी नहीं हो सकता.” नीलम के दिल ने जवाब दिया मगर अगले पल ही जो आवाज़ नीलम को सुनायी दी. वह यह साबित करने के लिए काफी थी कि अंदर दोनों भाई बहन के बीच क्या हो रहा है।
“ओह्ह्ह्ह भैया इतनी जल्दी भी क्या है, सारी रात पड़ी है … आह्ह्ह्ह एक ही धक्के में पूरा घुसा दिया.” ज्योति के ज़ोर से सिसकने की आवाज़ आई और नीलम का सिर ज़ोर से चक्कर खा गया. वह वहीँ पर दरवाज़े के बाहर घुटनों के बल बैठ गई, नीलम की आँखों से आंसू निकल रहे थे।
उधर दूसरे कमरे में समीर का पिता महेश और महेश की पत्नी सरिता
“जाओ मुझसे दूर हटो.” सरिता ने महेश को अपने ऊपर से हटाते हुए कहा।
“क्या हुआ जानेमन?” महेश ने सरिता के ऊपर से हटते हुए कहा।
“कुछ तो अपनी उम्र की शर्म करो, मुझसे अब यह सब नहीं होता. इतनी ही आग चढ़ी है तो जाकर किसी रंडी को चोद लो.” सरिता ने गुस्से में अपने पति की तरफ देखते हुए कहा।
“अगर किसी रंडी को चोदना होता तो तुमसे शादी क्यों करता?” महेश ने सरिता को मनाते हुए कहा।
“शादी के इतने साल जो करना था कर लिया। अब हमारे बच्चों की शादी हो गई है। हमें यह सब शोभा नहीं देता.” सरिता ने अपने पति को समझाते हुए कहा।
“जानेमन वह सब मैं समझ रहा हूँ मगर यह नालायक नहीं मानता.” महेश ने अपनी पत्नी का हाथ पकड़कर अपने लंड पर रखते हुए कहा।
“मैंने कहा न, अब मुझसे यह सब नहीं होता, बस … आज के बाद मेरे क़रीब मत आना। मैं अब इस उम्र में भगवान की पूजा पाठ करके अपने ग़ुनाहों की माफ़ी माँगना चाहती हूं.” सरिता ने गुस्से से महेश को देखते हुए कहा और अपना हाथ वहां से हटाकर दूसरी तरफ होकर सो गयी।
बेचारा महेश अपने खड़े लंड को सहलाता हुआ ही रह गया, महेश का लंड इस उम्र में भी डेली किसी को चोदने के लिए तैयार रहता था। उसके लंड का साइज बहुत ही लम्बा और मोटा था।
जवानी में उसके लंड को देखकर कोई भी लड़की अपनी चूत को उससे चुदवाने के लिए उतावली हो जाती थी। सरिता भी सुहागरात को अपने पति का लंड देख कर डर गयी थी और पहली बार चुदते हुए उसकी पूरी चूत बुरी तरह से फट गयी थी, आज भी जब महेश का लंड सरिता की चूत में घुसता था तो उसके मुँह से चीख़ निकल जाती थी।
महेश को बहुत प्यास लगी थी इसीलिए वह पानी पीने के लिए अपने कमरे से बाहर निकल आया। बाहर निकलते ही महेश की नज़र नीलम पर पड़ी जो नीचे बैठ कर रो रही थी।
“क्या हुआ बेटी?” महेश भागता हुआ अपनी बहू के पास आकर बोला।
“बापू जी?” नीलम ने अपने ससुर को देखते ही कहा और वह वहीं पर बेहोश हो गई।
महेश ने नीचे झुक कर अपनी बहू को अपनी बांहों में सुला दिया। उसको कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या माजरा है तभी उसे अंदर से आने वाली सिसकारियां सुनायी दीं। महेश को सिसकारियां सुनकर यह समझने में ज़रा भी देर न लगी कि यह सेक्स की आवाज़ है। लेकिन महेश को यह समझ में नहीं रहा था कि उसकी बेटी ज्योति किसके साथ वह सब कर रही है?
“आआह्ह्ह भैया मैं गई … आहहह!” तभी अंदर से ज्योति के एक ज़ोर की सिसकी भरी आवाज़ आई.
जिसे सुनकर महेश का दिमाग घूमने लगा और न चाहते हुए भी उसका लौड़ा तनकर झटके खाने लगा। महेश सारा माजरा समझ गया इसीलिए उसने उठकर नीलम को अपनी बांहों में उठाया और उसे उसके कमरे में ले जाकर बेड पर लिटा दिया। महेश ने अपनी बहू को बेड पर लिटाने के बाद उठ कर बल्ब जला दिया।
महेश बल्ब जलाकर वापस आ गया और वहां पर पड़े जग में से उसने एक ग्लास पानी का भर लिया। महेश की नज़र जैसे ही अपनी बहू पर गयी उसका पूरा बदन सिहर उठा क्योंकी नीलम नाईट ड्रेस पहने हुई थी और वह उसके आगे से खुल चुकी थी, नीलम का गोरा जिस्म बल्ब की रोशनी में चमक रहा था।
महेश का लंड अपनी बहू की गोरी जांघों और उसकी चूचियों के ऊपरी उभार को देख कर खड़ा हो गया और झटके खाने लगा। महेश का मन खराब होने लगा और वह अपनी बहू को पानी के छींटे मारकर उठाने की बजाये उसके पूरे जिस्म को घूरने लगा।
“कितनी सुंदर है बहू! काले घने बाल, गोरा जिस्म, गुलाबी गाल, चूचियों का ऊपरी उभार देखकर लगता है वे भी दूध की तरह सफेद ही होंगी। क्या ज़रूरत है समीर को अपनी पत्नी को छोड़कर अपनी बहन को चोदने की? कितना बड़ा पाप किया है उसने!” महेश मन ही मन में सोच रहा था।
अपनी बहू के जिस्म को पूरी तरह से घूरने के बाद महेश का लंड पूरी तरह तनकर झटके खाने लगा महेश न चाहते हुए भी अपने हाथ से अपने लंड को सहलाने लगा।
“बहुत समय हो गया है उसे किसी नौजवान औरत के जिस्म को हाथ लगाए। आज मौका अच्छा है क्यों न वह अपने हाथ से अपनी बहू को छू कर देखे …” अचानक महेश के मन में ख़याल आया। वह अपने एक हाथ से अपने लंड को सहलाते हुए अपना दूसरा हाथ अपनी बहू के नंगे चिकने पेट की तरफ बढ़ाने लगा।
“महेश नहीं … यह पाप है.” अचानक उसके दिल ने उसे रोका।
“अरे छोड़ो आजकल पाप पुण्य कौन देखता है.” उसके दिमाग ने कहा। दिमाग की आवाज़ ने उसके दिल को मात दे दी और उसने अपना हाथ आगे बढ़ाकर अपनी बहू के चिकने पेट पर रख दिया।
“वाह … कितना नर्म और चिकना बदन है.” महेश के मन से आवाज़ निकली लेकिन वह सिर्फ अपना हाथ अपनी बहू के पेट पर रखे हुए था। महेश का मन आगे कुछ करने का हो रहा था मगर वह डर रहा था कि कहीं उसकी बहू उठ गयी तो उसको लेने के देने पड़ जाएंगे।
“बेटी … बेटी नीलम!” अचानक महेश को एक आइडिया सूझा और वह नीलम को झंझोड़ते हुए पुकारकर उठाने लगा।
नीलम पर अपने ससुर के झंझोड़ने और पुकारने का कोई असर नहीं हुआ और वह वैसे ही बेसुध बेहोश पड़ी रही, अब महेश को पूरा यकीन हो गया कि उसकी बहू ऐसे नहीं उठेगी. उसे जितना मजा लेना है ले सकता है।
महेश सिर्फ एक धोती में था. उसने अपनी धोती को उतारकर नीचे फ़ेंक दिया और खुद बिल्कुल नंगा ही अपना लंड अपने हाथ से सहलाते हुए बेड पर बैठ गया। महेश ने अपनी बहू की नाइटी को आगे से बिल्कुल खोल दिया और उसका हाथ पकड़कर अपने मूसल लंड पर रख दिया।
अपनी बहू का नर्म हाथ अपने लंड पर महसूस करते ही महेश का पूरा बदन कांप उठा और उसका लंड और ज्यादा तनकर झटके खाने लगा।
महेश ने अपने लंड को नीलम की हथेली में फँसाया और अपने हाथ से उसके हाथ को पकड़कर सहलाने लगा। महेश को अब अपने लंड पर सिर्फ अपनी बहू के नर्म हाथ का अहसास हो रहा था. उसे यह महसूस हो रहा था जैसे उसके लंड को उसकी बहू सहला रही है। महेश अपने एक हाथ से ऐसे ही अपनी बहू के हाथ को अपने लंड पर ऊपर नीचे करते हुए अपने दूसरे हाथ से अपनी बहू की ब्रा को उसकी गोल गोल चूचियों से हटाने लगा।
ब्रा बहुत ही टाइट थी इसलिए वह नीचे नहीं हो रही थी. महेश ने अपने हाथ को थोड़ा ज़ोर देकर अपनी बहू की ब्रा को नीचे सरका दिया। महेश अपनी बहू की चूचियों को देखकर लार टपकाने लगा, नीलम की चूचियाँ बहुत ज्यादा सुंदर थीं। उसकी चूचियां गोल गोल दूध की तरह सफेद थीं और उसके ऊपर गुलाबी दाने उसकी चूचियों को ज्यादा आकर्षक बना रहे थे।
“आह्ह्ह्ह कितनी नर्म हैं आह्ह …” महेश ने जैसे ही अपना हाथ अपनी बहू की एक चूची पर रखा उसके मुंह से ऐसे ही शब्द निकले.
महेश अपने हाथ से अपनी बहू की दोनों चूचियों को बारी बारी अपने हाथ से सहलाने और दबाने लगा, महेश को ऐसा करते हुए बहुत ज्यादा मजा आ रहा था। उसका दूसरा हाथ अब उसकी बहू के हाथ को अपने लंड पर बहुत तेज़ी के साथ ऊपर नीचे कर रहा था।
महेश के मन में आया कि क्यों न वह एक बार अपनी बहू की चूचियों को अपने होंठों से चूम कर देखे। यह ख़याल आते ही महेश का पूरा शरीर अगले पल आने वाले मज़े के अहसास को महसूस करके सिहर उठा।
महेश ने अपनी बहू के हाथ को छोड़ दिया और खुद नीचे झुककर अपना मुंह अपनी बहू की चूचियों की तरफ करने लगा। महेश के होंठ जैसे ही उसकी बहू की चूचियों के बिल्कुल नज़दीक पहुंचे उसने अपने एक हाथ से अपनी बहू की एक चूची को पकड़ा और अपना मुँह खोलते हुए उसकी चूची के गुलाबी दाने को अपने मुँह में ले लिया। महेश अपनी बहू की चूची के दाने को किसी बच्चे की तरह चूसने लगा, वह नीलम की चूची को ऐसे चूस रहा था जैसे कोई बच्चा अपनी माँ का दूध पीता है.
हिन्दी चुदाई कहानी अगले भाग में जारी रहेगी. कहानी पर अपने विचार नीचे दी गई मेल आईडी पर भेजें.
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