यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
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मेरी हिंदी सेक्सी कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा कि समीर अपनी विधवा बहन की चूत चुदाई कर रहा था जिसके बारे में उसकी पत्नी को शक हो गया. वो उन दोनों की चुदाई की बातें सुनने लगी तो तभी वहां पर उसका ससुर आ गया और बहू घबरा कर बेहोश हो गयी.
ससुर ने अपनी बहू को उठाया और अंदर ले गया लेकिन अब बहू का कामुक जिस्म देख ससुर की नियत ही बहू पर बिगड़ने लगी और वो बहू के जिस्म के मजे लूटने लगा.
अब उसके आगे की हिंदी सेक्सी कहानी:
महेश ने बारी-बारी अपनी बहू की दोनों चूचियों को अपने मुंह में लेकर चूसा और उसके बाद वह अपनी बहू के गोरे चिकने पेट को चूमते हुए नीचे होता हुआ उसकी चूत की तरफ बढ़ने लगा। महेश ने अब अपने होंठों को अपनी बहू की पेंटी के ऊपर रख दिया और उसकी चूत को पेंटी के ऊपर से चूमने लगा, नीलम के बेहोश होने के बावजूद उसकी चूत पानी छोड़ रही थी जिससे महेश ने उसकी पेंटी को चूमते हुए महसूस किया।
महेश ने अब अपने और अपनी बहू के बीच पड़ा हुआ आखिरी पर्दा भी हटाने का फैसला किया और उसने अपनी बहू की पेंटी को अपने दोनों हाथों से पकड़कर नीचे सरका दिया।
“हे भगवान! क्या चूत बनाई है!” महेश अपनी बहू की गुलाबी चूत को देखकर अपने होंठों पर जीभ फेरते हुए बोला।
महेश ने आज तक अपनी बहू की चूत से ज्यादा सुंदर चूत कभी नहीं देखी थी, अपनी बहू की चूत को देखकर महेश का पूरा जिस्म एक्साइटमेंट में काँपने लगा और वह अपने कांपते हुए हाथ को आगे बढ़ाकर अपनी बहू की चूत की तरफ ले जाने लगा।
नीलम की चूत पर हल्के काले बाल थे।
महेश ने अपने काँपते हुए हाथ को जैसे ही अपनी बहू की चूत पर रखा उसका पूरा जिस्म सिहर उठा। महेश अपने हाथों की उँगलियों से नीलम की चूत के बालों को सहलाकर उसकी चूत को अपने हाथों में महसूस करने लगा, महेश के लंड का तो उत्तेजना के मारे बुरा हाल था. वह बहुत ज़ोर से उछलते हुए प्रीकम की बूँदें बहा रहा था।
अब अपने हाथ को महेश अपनी बहू की चूत के छेद की तरफ ले जाने लगा। महेश के हाथ ने जैसे ही नीलम की चूत के दाने को छुआ उसे अपने बदन में एक अजीब सी गुदगुदी का अहसास हुआ। महेश का हाथ अब उसकी चूत के छेद तक पहुंच चुका था। नीलम की चूत के छेद से अब भी पानी बह रहा था जिस वजह से महेश का हाथ गीला होने लगा।
महेश ने अपने गीले हाथ को अपनी बहू की चूत से हटाया और अपने नाक के क़रीब लाकर उसे सूँघने लगा।
“आह्ह्ह्ह क्या खुशबू है …” अपने हाथ को सूँघते हुए महेश के मुँह से सीत्कार निकला और वह अपनी जीभ निकालकर अपने गीले हाथ को चाटने लगा। अपने हाथ को पूरी तरह से चाटने के बाद महेश अपनी बहू की चूत की तरफ देखते हुए अपनी जीभ को अपने होंठों पर फिराने लगा।
महेश नीलम की चूत को बड़े गौर से देख रहा था. शादी के इतने सालों के बाद भी उसकी चूत के होंठ आपस में बिल्कुल सटे हुए थे। उसकी चूत को देखकर लग रहा था जैसे उसकी बहुत ही कम चुदाई हुयी हो।
महेश अब अपना मुंह नीचे करते हुए अपनी बहू की चूत की तरफ बढ़ाने लगा, महेश ने नीचे झुकते हुए अपने होंठों को नीलम की चूत के दाने पर रख दिया।
ससुर का एक्साईटमेंट के मारे बुरा हाल था. वह अपनी बहू की चूत के दाने को चूमते हुए अपनी जीभ से चाटने लगा। महेश कुछ देर तक अपनी चूत के दाने से खेलने के बाद नीचे होते हुए अपने होंठों को उसकी चूत के छेद की तरफ ले जाने लगा, महेश के होंठ अब चूत के दोनों बंद होंठों तक पहुंच चुके थे।
महेश ने अपने होंठों से एक बार चूत के बंद होंठों को चूमा और फिर अपने हाथ की उँगलियों से उसकी चूत के छेद को खोल दिया।
“ओहह … यह अंदर से कितनी लाल है.” उसने अपनी जीभ निकाली और अपनी चूत के लाल छेद में डाल दी।
वो चूत के छेद को तेज़ी के साथ अपनी जीभ से चाटने लगा। वह बिल्कुल पागल हो चुका था। चूत को ज़ोर से चाटते हुए यह भी भूल गया था कि अगर वह होश में आ गयी तो क्या होगा।
अचानक महेश को महसूस हुआ कि बहू नीलम का जिस्म हिल रहा है वह डर के मारे अपनी बहू से अलग हो गया और जल्दी से उसके कपड़ों को ठीक कर दिया।
वह अपनी धोती को पहन कर फिर से अपनी बहू को उठाने की कोशिश करने लगा. मगर वह वैसे ही पड़ी रही। सामने लेटी हुई बहू के सामने ससुर का लंड अब भी तना हुआ था. उसके जिस्म से खेलने के बाद वह बहुत ज्यादा एक्साइटेड हो गया था.
महेश ने अपनी धोती को फिर से उताकर नीचे फ़ेंक दिया और वहां पर खड़े हुए ही अपनी बहू के गालों पर हाथ फेरते हुए अपना लंड हिलाने लगा।
अचानक महेश अपने हाथ से अपनी बहू के गालों को सहलाते हुए उसके गुलाबी होंठों की तरफ हाथ ले जाने लगा, नीलम के होंठों पर अपने हाथ के लगते ही महेश का पूरा जिस्म काँपने लगा और उसका हाथ अपने लंड पर बुहत तेज़ हो गया। महेश की आँखें मज़े से बंद हो चुकी थी और वह ज़ोर से हाँफते हुए झड़ने लगा।
महेश को यह भी पता नहीं था कि वह कहाँ पर झड़ रहा है. उसके लंड से निकलते हुए वीर्य की बूँदें नीलम के पेट, चूचियों और उसके जिस्म के दूसरे हिस्सों पर गिरने लगी, महेश के लंड से इतना ज्यादा वीर्य निकला था कि नीलम का पूरा जिस्म ही उसके वीर्य से भीग गया।
महेश ने जैसे ही पूरी तरह झड़ने के बाद अपनी आँखें खोलकर अपनी धोती उठाई उसके होश गायब हो गये क्योंकि उसके सामने उसका बेटा समीर खड़ा था।
महेश ने अपने बेटे को देखकर काँपते हुए अपनी धोती पहन ली और अपना सर नीचे झुकाकर खड़ा हो गया।
“वाह … यहाँ पर तो बहुत बड़ा नाटक हो रहा है. ससुर अपनी बहू के जिस्म से खेलकर उसके जिस्म पर अपना वीर्य गिरा रहा है और बहू सोने का नाटक कर रही है जैसे वह गहरी नींद में हो। उठ छिनाल!” समीर ने चीखते हुए अपनी पत्नी से कहा।
“नहीं बेटे वह बेहोश है.” महेश ने अपने बेटे को गुस्से में देखकर कहा।
“बेहोश है? क्यों क्या हुआ इसे?” समीर ने हैरान होते हुए कहा।
महेश ने अपने बेटे को सारी बात बता दी कि कैसे नीलम बेहोश हुई और वह उसे यहाँ लेकर आया।
“बापू जी, आपको शर्म नहीं आई अपनी बेटी जैसी बहू के बेहोश होने का फ़ायदा उठाते हुए?”
“वाह बेटे … उल्टा चोर कोतवाल को डांटे? यह सब तुम्हारी वजह से हुआ है. शर्म तो तुम्हें आनी चाहिए। अपनी विधवा बहन का फ़ायदा उठा रहे हो, तुमको उसके साथ देखने से ही बहू बेहोश हुई और मेरी नियत भी तुम भाई बहन को देखकर ही फिसली.” महेश ने इस बार अपने बेटे को दबाव में लाते हुए कहा।
अपने पिता की बात सुन कर समीर को जैसे साँप सूंघ गया. वह चुप होकर खड़ा रहा।
“क्या हुआ बेटे? निकल गयी सारी हवा? मगर तुमने अपनी बहन के साथ जो पाप किया है उसकी सजा तुम्हें भुगतनी होगी.” महेश ने अपने बेटे को चुप खड़ा देख कर खुश होते हुए कहा।
“पिता जी उसमें जितना मेरा क़सूर है उतना ही ज्योति दीदी का!” महेश ने हकलाते हुए कहा ।
“हाँ … तुम्हारे साथ उसे भी सजा मिलेगी!” महेश ने अपने बेटे की तरफ देखते हुए कहा।
“पिता जी मैं हर सजा के लिए तैयार हूं.” समीर ने अपने सिर को झुकाये हुए कहा।
“बेटे तुम ज्यादा चिंता मत करो, यह हवस की आग होती ही अंधी है. बस इस बात का पता तुम्हारी माँ को मत पड़ने देना और तुम्हारी सजा यह है कि अगर मैंने अपनी बहू और बेटी को पटा लिया तो तुझे कोई ऐतराज़ नहीं होगा.” महेश ने अपने दिल की बात बताते हुए कहा।
“बापू आप यह क्या कह रहे हो?” समीर ने हैरान होते हुए कहा।
“हाँ बेटे, बिलकुल सही कह रहा हूँ मैं। तुम्हारी माँ तो मुझे नज़दीक आने नहीं देती और मेरा यह नालायक लंड सारा दिन मुझे तंग करता रहता है इसीलिए अगर हमें घर में ही कोई चूत मिल जाए तो बाहर जाने की क्या ज़रूरत!” महेश ने अपने बेटे को जवाब देते हुए कहा।
“पिता जी, ठीक है, जैसे आपकी मर्ज़ी। मैं आपके बीच में कभी नहीं आऊंगा.” समीर ने थोड़ी देर सोचने के बाद कहा।
“ठीक है बेटे अब मैं चलता हूँ. अपनी पत्नी को साफ़ कर देना.” महेश ने अपने बेटे से कहा और वहां से चला गया।
समीर अपने पिता के जाने के बाद एक गीला कपड़ा उठाकर अपनी पत्नी को साफ़ करने लगा ताकि उसे कोई शक न हो। समीर अपनी पत्नी के मुँह पर पानी के कुछ छींटे मारकर उसे उठाने लगा।
समीर की थोड़ी कोशिश के बाद ही नीलम को होश आ गया।
“समीर तुम निकल जाओ यहाँ से, मुझे तुमसे बात नहीं करनी. बापू कहाँ है?” नीलम ने होश में आते ही फिर से रोते हुए कहा।
“नीलम संभालो अपने आपको. वह चले गए हैं यहाँ से!” समीर ने अपने पत्नी को समझाते हुए कहा।
“तुम मुझे सँभलने के लिए कह रहे हो? अब बचा क्या है मेरे लिये?” नीलम ने फिर से रोते हुए कहा।
“नीलम वह सब तुम्हारी ही गलती की वजह से हुआ है अगर तुम मुझे हर चीज़ का सुख देती तो मैं कभी दूसरी तरफ नहीं जाता.” समीर ने नीलम से कहा।
“हाँ मेरा ही क़सूर है, मगर तुम अपनी बहन के साथ … छी! छी… मुझे सोचते हुए भी शर्म आती है.” नीलम ने चिल्लाते हुए कहा।
“नीलम तुम समझने की कोशिश करो. अगर मैं बाहर जाता तो घर की बदनामी होती और दीदी भी कब से प्यासी थी अगर वह किसी गैर मर्द से नाता जोड़ती तो भी हमारे लिए शर्म का सबब बनती.” समीर ने अपनी पत्नी को समझाते हुए कहा।
“समीर मैं अगर तुम्हें प्यार दूं तो तुम उसके साथ कोई सम्बन्ध नहीं रखोगे?” नीलम ने अपने पति की बात सुनकर उसे गले से लगाते हुए पूछा।
“देखो नीलम वह भी एक औरत है, अगर मैंने उसे छोड़ दिया तो वह किसी न किसी से सम्बन्ध बनाने की कोशिश करेगी जो हमारे घर के लिए बदनामी का सबब बनेगा इसीलिए मैं उसे नहीं छोड़ सकता.” समीर ने अपनी पत्नी को समझाते हुए कहा।
“समीर, अगर तुमने उसे नहीं छोड़ा तो मैं भी तुम्हारे अलावा किसी गैर मर्द से सम्बन्ध बना लूंगी.” नीलम ने गुस्से से समीर की तरफ देखते हुए कहा।
“हा हा हा … तुम और दूसरे मर्द से? ठीक है, अगर मेरी तरह तुमने अपने ही किसी घर के शख्स से सम्बन्ध बनाया तो मुझे कोई एतराज़ नहीं होगा.” समीर ने हँसते हुए कहा क्योंकि वह जानता था कि नीलम को सेक्स पसंद नहीं इसीलिए वह कभी किसी से सम्बन्ध नहीं बना सकती मगर वह एक औरत की ज़िद को नहीं जानता था।
“ठीक है समीर अब मैं तुम्हें बताऊँगी कि औरत क्या कर सकती है …” नीलम ने गुस्से में कहा और अपना मुँह दूसरी तरफ करके सो गयी।
नीलम ने फैसला कर लिया था कि वह खुद को पूरी तरह चेंज करेगी और अपने पति को बतायेगी कि अगर औरत कुछ करने पर आये तो वह कुछ भी कर सकती है।
हर रोज़ की तरह सुबह उठते ही समीर नाश्ता करने के बाद ऑफिस के लिए निकल गया। नीलम नाश्ता करने के बाद सारा सामान रसोई में रखकर अपने कमरे में चली गयी क्योंकि बर्तन धोने का काम ज्योति करती थी।
नीलम अभी अपने कमरे में आकर बैठी ही थी कि उसका ससुर महेश कमरे में दाखिल हुआ जिसे देख कर वह बेड से उठकर खड़ी हो गयी।
“बैठो बेटी, तुम खड़ी क्यों हो गयी?” महेश ने अपनी बहू को खड़ा देखकर कहा और खुद सामने पड़े सोफ़े की कुर्सी पर बैठ गया, नीलम अपने ससुर के बैठते ही खुद भी बेड पर बैठ गयी।
“बेटी रात को क्या हुआ था जो तुम बेहोश हो गई? मैंने जब तुमको कमरे में जाकर सुलाया तो समीर भी वहां नहीं था?” महेश ने अन्जान बनने का नाटक करते हुए अपनी बहू से पूछा।
नीलम अपने ससुर की बात सुनकर कुछ देर खामोश रही और फिर सारी बात उसे बता दी।
“बेटी मुझे अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा है. तो क्या फिर समीर से तुम्हारी बात हुई?” महेश ने दूसरा सवाल किया।
नीलम ने रोते हुए अपने ससुर को सारी बात बता दी जो भी समीर और उसके बीच पहली रात को हुई थी।
“बेटी अपने आपको सम्भालो, तुम्हें अगर अपने पति को वापस पाना है तो उसे जलाना होगा.” महेश ने नीलम को सलाह देते हुए कहा।
“मगर कैसे पिताजी?” नीलम ने अपने ससुर की बात सुनकर कहा।
“बेटी अगर वह अपनी बहन के साथ यह सब कर सकता है तो तुम्हें भी कुछ ऐसा करना होगा जिससे उसे जलन होने लगे.” महेश ने अपनी बहू को रास्ता दिखाया।
“पिता जी, मगर यहाँ पर तो समीर के सिवा कोई और है ही नहीं!” नीलम ने सोचते हुए कहा।
“बेटी तुम बुहत पगली हो? मैं तुम्हारे पिता समान हूँ, मगर मैं तुम्हारा साथ दे सकता हूं.” महेश ने सीधा सीधा अपनी बहू से कह डाला।
“पिता जी, मगर आपके साथ नहीं, मैं सोच भी नहीं सकती.” नीलम ने शर्म से पानी पानी होते हुए कहा।
“बेटी मैं कुछ करने की नहीं सिर्फ नाटक करने की बात कर रहा हूं” महेश ने अपनी बहू को समझाया।
“नाटक? हाँ पिता जी… आप सही कह रहे हैं, अगर मैं समीर के सामने आपके साथ नाटक करुं तो वे ज़रूर गुस्सा होंगे.” नीलम ने खुश होते हुए कहा।
“बेटी शुक्र है तुम्हें समझ में तो आया, मगर यह इतना आसान भी नहीं है इसके लिए तुम्हें सारी शर्म छोड़नी होगी.” महेश ने अपना प्लान कामयाब होता देख कर खुश होते हुए कहा।
“हाँ पिता जी, मैं कुछ भी करने के लिए तैयार हूं.” नीलम ने अपने ससुर को यकीन दिलाते हुए कहा।
“ठीक है बेटी फिर आज के लिए कोई प्लान बनाते हैं.” महेश ने अपनी बहू की बात को सुनते हुए कहा।
“बेटी एक बार और सोच लो। हो सकता है तुम्हें यह सब अच्छा न लगे क्योंकि तुम्हें मेरे साथ बुहत कुछ करना होगा। हो सकता है तुम्हें मेरे सामने नंगी भी होना पड़े या उससे ज्यादा कुछ गंदा!” महेश ने अपनी बहू की आँखों में देखते हुए कहा।
“नहीं पिता जी, मैंने सोच लिया है. मैं समीर को सबक सिखा कर ही रहूंगी. इसके लिए मैं तैयार हूं, चाहे मुझे कुछ भी करना पड़े.” नीलम की आंखों में बदले की भावना झलक रही थी.
“ठीक है बेटी मेरे पास आज के लिए एक प्लान है, तुम बस वैसा ही करती जाना जैसा कि मैं तुम्हें कह रहा हूं. अगर तुम मेरे बताये अनुसार चलती रही तो तुम्हारा पति तुम्हारी विधवा ननद को छोड़ कर तुम्हारी ही बांहों में होगा. मैं तुमसे वादा करता हूं.” कहते हुए महेश ने अपनी बहू के हाथ पर हाथ रख दिया.
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