यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
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हेलो दोस्तों, मेरी इस कहानी के पिछले भाग में महेश ने नीलम की बहु को भी चोद डाला था. महेश के लंड से उसकी चूत अच्छी खासी फ़ैल गयी थी. मगर अपने ससुर से चुदाई करवा कर उसको भी मर्द के लंड का असली सुख प्राप्त हो गया था. चुदने के बाद वो उठ कर खुद को बाथरूम में साफ करने के लिए गई.
अब आगे की फ्री हिंदी सेक्स स्टोरी:
नीलम ने कुछ देर तक यूं ही हाँफने के बाद अपने ससुर को अपने ऊपर से हटा दिया और खुद उठकर बाथरूम में चली गयी।
नीलम बाथरूम में घुसते ही नीचे बैठकर मूतने लगी एक मधुर आवाज़ के साथ नीलम की चूत से पेशाब निकलकर नीचे गिरने लगा, नीलम मूतने के बाद पानी से अपनी चूत साफ़ करने लगी.
तभी उसे महसूस हुआ कि कोई उसे देख रहा है. नीलम ने चौंककर जैसे ही अपना सर ऊपर करके देखा वह शर्म से पानी पानी हो गई।
महेश भी बिल्कुल नंगा ही बाथरूम में खड़ा नीलम को घूर रहा था।
“पिता जी आप यहाँ? आपको शर्म नहीं आती?” नीलम ने गुस्से से कहा और उठकर वहां से बाहर जाने लगी.
“अरे बेटी इतनी भी क्या जल्दी है, अब तो हम दो जिस्म एक जान बन चुके हैं फिर भी तुम इतना शर्मा रही हो?” महेश ने अपनी बहू को कलाई से पकड़ते हुए कहा और उसे अपने साथ अंदर ले जाते हुए शावर के नीचे खड़ा कर दिया।
“पिता जी छोड़िये न … हमें शर्म आ रही है.” नीलम ने अपने आप को छुड़ाने की कोशिश करते हुए कहा।
“बेटी तुम्हें मेरी कसम … चुप होकर खड़ी हो जाओ.” महेश ने अपनी बहू को देखते हुए कहा।
“पिता जी आप ये क्या कर रहे हो?”
“अरे बेटी कुछ नहीं … बस तुम्हारे साथ एक बार नहाने का सपना पूरा कर रहा हूँ.” महेश ने अपनी बहू को देखते हुए कहा।
उसके ससुर का मूसल लंड फिर से तनने लगा था।
“बेटी एक बात बताओ … क्या तुम्हारे पति का लंड भी मेरे जितना ही लम्बा और मोटा है?” महेश ने अपनी बहू को अपने लंड की तरफ घूरता हुआ देखकर कहा।
“पिता जी आप भी कैसी बात पूछ रहे हो?” नीलम ने फिर से शरमाकर अपनी नज़रों को महेश के लंड से हटा दिया।
“अरे बेटी इसमें शर्माने की क्या बात है, तुमने अपने पति का लंड भी देखा है और यह लो इसे भी गौर से देख कर बताओ कि दोनों में से किसका लंड ज्यादा लम्बा और मोटा है?” महेश ने इस बार अपनी बहू का हाथ पकड़कर अपने नंगे लंड पर रखते हुए कहा।
“पिता जी मुझे नहीं पता!” नीलम ने बगैर अपना हाथ वहां से हटाए हुए कहा। अपना हाथ अपने ससुर के नंगे लंड पर पड़ते ही नीलम की साँसें ज़ोर से चलने लगी और उत्तेजना के मारे वह गर्म होने लगी थी मगर वह शर्म से कुछ बोल नहीं पा रही थी।
“बेटी, अगर तुम्हें यह अच्छा लगता है तो इससे खेलो न … क्यों इतना शर्मा रही हो?”
नीलम को भी अपने ससुर के लंड पर अपना हाथ आगे पीछे करते हुए मजा आ रहा था इसीलिए वह अब तेज़ी के साथ अपने ससुर के लंड को आगे पीछे करने लगी।
महेश ने अब अपना हाथ नीलम के हाथ से हटा दिया था क्योंकि वह खुद ही उसके लंड को आगे पीछे करने लगी थी, थोड़ी ही देर में महेश का लंड फिर से पूरी तरह गर्म होते हुए लोहे की तरह सख्त होकर झटके खाने लगा। महेश का लंड तनकर इतना बड़ा और मोटा हो गया कि नीलम को अब उसे अपने दोनों हाथों से पकड़कर आगे पीछे करना पड़ रहा था और अपने ससुर के लंड को आगे पीछे करते हुए वह भी बड़े ज़ोर से हांफ रही थी।
“ओह्ह्हह पिता जी, आपका मेरे पति से बड़ा और मोटा है.” नीलम ने भी इस बार ज्यादा गर्म होते हुए कहा।
“बेटी क्या तुमने कभी अपने पति का लंड अपने मुँह में लिया है?”
“छी छी… इसे मुंह में? नहीं मुझे तो बहुत गन्दा लगता है.” नीलम ने अपने ससुर की बात को सुनकर कहा।
“अरे बेटी जब लिया ही नहीं तो तुम्हें गन्दा कैसे लगा? एक बार चख लिया तो बार बार इसे चाटने का मन करेगा.” महेश ने अपनी बहू की बात को सुनकर कहा।
“नहीं पिता जी मैं यह नहीं कर सकती.” नीलम ने अपने ससुर के लंड को आगे पीछे करते हुए कहा।
“बेटी तुम्हें मुझ पर भरोसा नहीं है? मैं कह रहा हूँ तुम्हें बहुत मजा आएगा। चलो मेरी खातिर एक बार इसे चूमकर देखो.” महेश ने अपनी बहू को कंधे से पकड़कर नीचे झुकाते हुए कहा।
नीलम अपने ससुर की बात को टाल न सकी और खुद घुटनों के बल नीचे बैठ गई, नीलम के बैठते ही महेश का भयानक मूसल सीधा उसके मुँह के सामने आ गया।
नीलम अपने ससुर के लंड को इतना क़रीब से देख कर बहुत ज्यादा गर्म हो गई और बगैर कुछ सोचे अपने ससुर के लंड को अपने दोनों हाथों से पकड़ उसके गुलाबी सुपारे को तेज़ी के साथ हर जगह चूमने लगी।
“उम्म्ह… अहह… हय… याह… बेटी अपनी जीभ से भी चाटो ना …” नीलम के होंठ अपने लंड के सुपारे पर पड़ते ही महेश मज़े के मारे ज़ोर से सिसकते हुए बोला।
नीलम ने अपने ससुर की बात को सुनकर अपना मुँह महेश के लंड से हटा दिया और एक बार उसके गुलाबी सुपारे को गौर से देखने के बाद अपनी जीभ को निकालकर अपने ससुर के लंड के गुलाबी सुपारे पर रख दिया।
नीलम अपनी जीभ को अपने ससुर के गुलाबी सुपारे पर चारों तरफ घुमाने लगी। शावर से पानी के गिरने की वजह से नीलम को अपने ससुर के लंड पर अपनी जीभ के घुमाने से भी कुछ ख़ास महसूस नहीं हो रहा था इसीलिए वह अब तेज़ी के साथ अपनी जीभ से अपने ससुर के लंड का सुपारा चाट रही थी।
“आजहहह बेटी ऐसे ही ओह्ह्ह… अब सुपारे को अपने मुंह में लो और इसे अपनी जीभ और होंठों के बीच लेकर चूसो.” महेश ज़ोर से सिसकते हुए अपनी बहू को समझाते हुए बोला।
नीलम को उस वक़त जैसे होश ही नहीं था. वह इस वक्त अपने ससुर की गुलाम बन चुकी थी जो अपने आका का हर हुक्म मानती जा रही थी। नीलम ने अपनी जीभ को अपने ससुर के लंड से हटाया और अपना मुँह खोलकर उसके लंड का मोटा सुपारा अपने मुँह में ड़ालने की कोशिश करने लगी मगर महेश के लंड का सुपारा बहुत ज्यादा मोटा होने के कारण वह ऐसा नहीं कर पायी।
“आअअअह बेटी … अपने मुँह को पूरी तरह से खोलो!” महेश ने अपनी बहू को देखते हुए कहा।
नीलम ने भी अपने ससुर की बात मानते हुए अपना मुँह जितना हो सकता था खोल दिया।
महेश ने भी मौका देख कर अपनी बहू के सर को पकड़ कर अपने लंड को एक धक्का मार दिया। उसके लंड का मोटा सुपारा नीलम के मुँह को फ़ैलाता हुआ अंदर घुस गया।
अपने ससुर के लंड का मोटा सुपारा अपने मुंह में जाते ही नीलम की साँसें बंद होने लगी। उसे तकलीफ होने लगी.
मगर महेश को उस वक्त कुछ पता ही नहीं था इसीलिए उसने अपनी बहू के सर को पकड़ कर एक धक्का और मार दिया जिससे महेश का लंड 4 इंच तक नीलम के मुँह में घुस गया। नीलम की आँखों के सामने अँधेरा छाने लगा उसे लग रहा था कि बस आज तो उसकी मौत आ चुकी है, वह बहुत ज़ोर छटपटा रही थी.
महेश को तो जैसे कुछ पता ही नहीं था. वह अब पागलों की तरह अपनी उसके सर को पकड़ कर अपने लंड को उसके मुँह में अंदर बाहर करने लगा। नीलम की आँखों से आंसू निकलने लगे जिसे महेश ने देख लिया और उसे अहसास हुआ कि उसकी बहू को शायद तकलीफ हो रही है इसीलिए उसने जल्दी से अपने लंड को अपनी बहू के गर्म मुँह से निकाल दिया.
नीलम अपने ससुर का लंड अपने मुँह से निकलते ही बहुत ज़ोर से खाँसते हुए नीचे थूकने लगी और तेज़ी के साथ हाँफने लगी।
“सॉरी बेटी मुझे माफ़ कर दो, मुझे पता नहीं था कि तुम्हें इतनी तकलीफ हो रही है.” महेश ने अपनी बहू के पास जाते हुए कहा।
“पिता जी जाइये … मैं आपसे बात नहीं करती. भला कोई ऐसे भी करता है?” नीलम ने कुछ देर तक हाँफने के बाद अपने ससुर को डाँटते हुए कहा।
“बेटी कहा न मुझसे गलती हो गई माफ़ कर दो ना!” महेश ने छोटे बच्चे की तरह अपने कान पकड़ते हुए कहा।
“पिता जी आप भी …” महेश को देखकर नीलम की हंसी छूट गयी और वह अपने ससुर के क़रीब आकर उसके गले लग गयी।
महेश ने अपनी बहू को अपनी बांहों में कसकर दबा दिया और उसके साथ शावर के नीचे आकर खड़ा हो गया। महेश ने शावर के नीचे आते ही अपने होंठों को अपनी बहू के गुलाबी होंठों पर रख दिया और दोनों शावर के पानी के साथ एक दूसरे के होंठों का रस भी चूसने लगे.
कुछ देर तक अपनी बहू के होंठों का रस चखने के बाद महेश नीचे होते हुए उसकी दोनों चूचियों के कड़े दानों को बारी बारी से अपने मुंह में लेता हुआ चूसने लगा.
महेश अपनी उसकी चुचियों का रस चखने के बाद उसके चिकने गोर पेट को चूमता हुआ उसकी चूत की तरफ बढ़ने लगा। नीलम का तो मज़े के मारे बुरा हाल था। उसे आज तक इतना मजा पहले कभी नहीं मिला था क्योंकि वह खुद सेक्स से दूर भागती थी मगर आज उसके ससुर ने तो उसे अपनी दासी बना दिया था.
महेश नीचे होते हुए अपनी बहू की चूत के दाने को अपनी जीभ से चाटने लगा। नीलम ने अपार मज़े से अपने ससुर के सिर को बालों से पकड़कर अपनी चूत पर दबा दिया। महेश अपना मुँह खोलकर अपनी बहू की चूत के दाने को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा और अपने हाथ से उसकी चूत के छेद को सहलाने लगा।
नीलम का पूरा शरीर अपने पिता की इस हरकत से कांपने लगा. उससे खड़ा होना भी मुश्किल हो रहा था इसीलिए उसने अपने दोनों हाथों से अपने ससुर को ज़ोर से पकड़ रखा था।
महेश ने कुछ देर तक ऐसे ही अपनी बहू की चूत के दाने को चूसने के बाद और नीचे होते हुए अपनी जीभ को अपनी बहू की बहती हुई चूत के छेद पर रख दिया और अपनी बहू की चूत से उत्तेजना के मारे निकलने वाले रस को अपनी जीभ से चाटने लगा।
कुछ देर तक ऐसे ही अपनी बहू की चूत को चाटने के बाद महेश ने अपने मुँह को उसकी चूत से हटा दिया और सीधा होकर खड़ा हो गया. नीलम जो उस वक्त मज़े की एक नयी दुनिया की सैर कर रही थी ऐसे अचानक अपने ससुर के उठ जाने से उसकी तरफ सवालिया नज़रों से देखने लगी।
महेश ने बिना अपनी बहू से कुछ बोले शावर को बंद किया और उसे अपनी बांहों में उठाकर बेड पर जाकर लेटा दिया। महेश खुद भी जाकर सीधा बेड पर लेट गया और अपनी बहू को अपने ऊपर आने के लिए कहा।
नीलम को शर्म तो बहुत आ रही थी मगर वह उस वक्त इतनी ज्यादा गर्म थी कि वह अपने ससुर की बात को मानते हुए अपनी दोनों टांगों को फ़ैलाकर अपने ससुर के मूसल लंड को अपनी चूत पर सेट करते हुए अपने वजन के साथ नीचे बैठने लगी।
नीलम की चूत गीली होने के कारण महेश का लंड सरकता हुआ उसकी चूत में घुसने लगा। नीलम भी धीरे धीरे अपने वजन के साथ नीचे बैठते हुए अपने ससुर के लंड को पूरा अपनी चूत में लेने की कोशिश करने लगी।
थोड़ी ही देर में नीलम की चूत में उसके ससुर का पूरा लंड घुस चुका था और वह मज़े से अपनी आँखें बंद करते हुए अपने चूतड़ों को ऊपर नीचे करने लगी।
“उम्म्ह… अहह… हय… याह… बेटी ऐसे ही …” महेश अपनी बहू को उसकी हिलती हुई चूचियों से पकड़कर उसकी तारीफ करते हुए बोला।
नीलम और महेश के बीच का यह राउंड 30 मिनट तक चला जिसमें नीलम 2 बार झड़ी. एक बार अपने ससुर के लंड की सवारी करते हुए और दूसरी बार उल्टी कुतिया की तरह अपने ससुर से चुदवाते हुए।
दोनों बुरी तरह से थक चुके थे और दोनों एक दूसरे से अलग होकर बेड पर लेटकर हांफ रहे थे।
“पिता जी, आपने दो बार मेरी चूत में अपना वीर्य गिराया है, मुझे तो डर लग रहा है कि कहीं मैं आपके बच्चे की माँ न बन जाऊं क्योंकि आपका वीर्य सीधा मेरी बच्चेदानी में गिरा है.” नीलम ने परेशान होते हुए कहा।
“अरे तो क्या हुआ बेटी, तुम चिंता मत करो वैसे भी मेरे नालायक बेटे ने तो इतने सालों से बच्चा जना नहीं, अगर मुझसे तुम्हें बच्चा होता है तो इससे अच्छी क्या बात होगी.” महेश ने अपनी बहू को समझाते हुए कहा।
अपने ससुर की बात सुनकर नीलम शर्म के मारे कुछ नहीं बोल सकी।
“बेटी अब मुझे चलना चाहिए, काफी देर हो गई है.” महेश ने बेड से उठकर अपनी धोती को पहनते हुए कहा।
“ठीक है पिता जी!” नीलम ने सिर्फ इतना कहा।
महेश धोती पहनने के बाद वहां से चला गया.
वैसे ही बिल्कुल नंगी लेटी हुई नीलम कुछ सोच रही थी. आज उसे जितना मजा आया था शायद वह उसे अपनी ज़िंदगी का सबसे हसीन सुख और यादगार दिन मान रही थी।
नीलम को अपनी चूत में हल्का हल्का दर्द भी हो रहा था मगर जो मजा उसे अपने ससुर के साथ चुदाई में आया उसके सामने यह दर्द कुछ भी नहीं था। नीलम चुदाई से काफी थक चुकी थी इसलिए कुछ ही देर में उसे नींद ने अपनी आग़ोश में ले लिया।
इधर समीर ने भी आज अपनी बहन ज्योति को 2 बार खूब जमकर चोदा था। वह भी काफी थक चुका था इसीलिए वह भी उसके कमरे से निकल कर अपने कमरे में जाने लगा।
समीर अपने कमरे में जाते हुए मन ही मन में दुआ कर रहा था कि उसका सामने अपने पिता से नहीं हो क्योंकि उन्हें देखकर ना जाने क्यों समीर को उस पर गुस्सा आ जाता था क्योंकि वह उसके सामने ही उसकी बीवी के साथ सोया हुआ था।
समीर ने दरवाज़े के पास जाकर जैसे ही दरवाज़े को धक्का दिया वह अपने आप खुल गया. समीर जैसे ही अंदर दाखिल हुआ अपनी पत्नी को बिल्कुल नंगी सोई देखकर वह समझ गया कि आज भी उसकी पत्नी ने उसके पिता के साथ चुदाई की है।
समीर ने दरवाज़ा बंद किया और बेड पर चढ़ते हुए अपनी पत्नी के पास लेट गया। समीर ने ऊपर चढ़ते हुए जैसे ही अपनी पत्नी की चूत को देखा वह हैरान रह गया और न चाहते हुए भी उसका लंड खड़ा होने लगा। नीलम की चूत का छेद अभी तक खुला हुआ था और महेश के मोटे लंड से चुदते हुए वह सूजकर लाल हो चुकी थी।
समीर मन ही मन में सोच रहा था कि क्या उसके पिता का लंड इतना बड़ा है कि उसकी पत्नी की चूत उससे चुदवाते हुए ऐसे सूज गयी है और उसकी पत्नी जिसने आज तक समीर को सही तरीके से चुदाई का सुख नहीं दिया था वह इतनी जल्दी उसके पिता के इतने बड़े लंड से चुदने के लिए कैसे राज़ी हो गई?
यही सब बातें सोचते हुए उसके सिकुड़े हुए लंड में जान आ रही थी मगर उसे पता था कि उसकी पत्नी उसे कुछ भी करने नहीं देगी इसलिए वह कुछ ही देर में सोचते सोचते नींद की आग़ोश में चला गया।
अगली सुबह हर रोज़ की तरह समीर ऑफिस के लिए निकल गया और नीलम काम काज में लग गयी। ऐसे ही दोपहर हो गई और खाना खाने के बाद सभी अपने कमरों में सोने के लिए चले गए।
नीलम की नींद अभी तक पूरी नहीं हुई थी इसलिए उसने भी नींद पूरी करने का फैसला कर लिया, वह बाथरूम में जाकर फ्रेश होने लगी फ्रेश होकर जैसे ही वह बाहर निकली उसने देखा कि उसका ससुर बेड पर बैठा हुआ उसका इंतज़ार कर रहा था।
महेश ने जैसे ही अपनी बहू को बाथरूम से निकलते देखा उसका लंड झटके खाने लगा क्योंकि नीलम ने अपने जिस्म पर सिर्फ एक टॉवल लपेटा हुआ था और उसके काले घने बाल खुले हुए थे जिस कारण वह कुछ ज्यादा ही सेक्सी दिख रही थी।
बेड से उठकर महेश अपनी बहू के पास आ गया और उसे अपनी बांहों में भरकर उसके गीले गुलाबी होंठों को चूमने लगा. महेश ने यह सब इतनी जल्दी किया कि नीलम को कुछ बोलने का मौका ही नहीं मिला।
महेश ने जैसे ही कुछ देर तक नीलम के होंठों को चूमने के बाद उसके होंठों से अपने होंठ हटाये नीलम ने धक्का देकर महेश को अपने आप से दूर किया और खुद बहुत ज़ोर से हाँफने लगी।
“क्या हुआ बेटी मजा नहीं आया क्या?” महेश ने फिर से अपनी बहू के पास आते हुए कहा।
“बापू जी एक मिनट … मुझसे दूर रहिये, भला कोई ऐसे भी करता है.” नीलम ने हाँफते हुए कहा।
“बेटी क्या हुआ?” महेश ने इस बार दूर से ही नीलम से पूछा।
“पिता जी मैं थकी हुई हूँ. आप अभी जाइये. मैं आराम करना चाहती हूं.” नीलम ने अपने ससुर को देखते हुए कहा।
“अरे बेटी रात को नहीं सोयी थी क्या?” महेश ने फिर से नीलम से सवाल किया।
“हाँ सोई थी, मगर मेरा बदन अभी तक बहुत दर्द कर रहा है, आप रात के समय आ जाना!” नीलम ने अपने ससुर को समझाते हुए कहा।
“बेटी कहाँ पर दर्द है मैं उसे अभी दूर करता हूं.” महेश ने अपनी बहू को देखते हुए कहा।
“आप जाइये मुझे आराम करना है.” नीलम ने मन ही मन में मुस्कराते हुए अपने ससुर से कहा।
अब नीलम को यह जानकर खुशी होने लगी थी कि उसका ससुर उसकी चूत का दीवाना बनता जा रहा है.
“बेटी यह क्या बात हुई? मुझे तुम्हारी चिंता हो रही है, बताओ न कहाँ दर्द है. मैं चला जाऊँगा.” महेश ने अपनी बहू से छोटे बच्चे की तरह ज़िद करते हुए पूछा।
“पिता जी आप ऐसे मानेंगे नहीं, मुझे यहाँ पर दर्द है … रात आपने इतनी बुरी तरह से किया था कि अभी तक मुझे दर्द महसूस हो रहा है.” नीलम ने अखिरकार हार मानते हुए अपनी नज़रों को झुकाकर अपना हाथ अपने टॉवल के ऊपर से ही अपनी चूत पर रखते हुए कहा।
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