जुलाई का महीना था… उस दिन बारिश हो रही थी.
बहुत इच्छा हो रही थी कि अपनी चूत को थोड़ी राहत दूँ.. पर ना जाने कहाँ छुप कर बैठा था मेरी चूत का राजा.
मैं अन्दर कमरे में सारे कपड़े उतार कर बिस्तर पर ब्रा और पैन्टी में लेटी हुई थी और धीरे-धीरे खुद ही अपने बोबे दबा रही थी.
मैं अपने दोनों पैरों को फैला कर पड़ी हुई थी, मेरा दूसरा हाथ मेरी चड्डी के ऊपर से ही मेरी भीगी हुई चूत के छेद को सहला रहा था
कि तभी किसी ने मेरा दरवाज़ा ठोका.
मैं अपनी वासना भरी कल्पनाओं से बाहर आकर बिस्तर पर उठ कर बैठ गई.
मैं आवाज़ देकर पूछने ही वाली थी कि कौन है?
इतने में वो अन्दर आ गया.
ये मेरी बुआ के बड़े बेटे निशांत भैया थे.
मैंने झट से चुन्नी लेकर अपने नंगे बदन को ढक लिया..
पर ना जाने कैसे चुन्नी मेरे 36 इंच के एक रसीले बोबे से गिरकर नीचे आ गई.
भैया मेरे उस बोबे को ही घूरे जा रहे थे. उनकी आँखों में मेरी चूचियों को चूसने की एक तड़प साफ दिख रही थी.
मैंने चुन्नी ठीक की और जैसे-तैसे अपनी नजरें हटाईं.. जो कि उनके खड़े लंड को अपने बड़े बोबे के बीच घिसना चाहती थी.
मैंने चौंकते हुए कहा- भैया आप..? दरवाज़ा ठीक से नहीं लगा होगा शायद. आप बताइए.. आपका कैसे आना हुआ?
भैया मेरे बोबों को ही घूरते हुए बोले- लवली, मेरे दोस्त रमेश ने नया फ्लैट लिया है.. उसका गृहप्रवेश है.. तुम मेरे साथ राजगढ़ चलना
चाहोगी? मैंने तुम्हारी मम्मी से पूछ लिया है.
मैंने भी उनकी नज़रों को थोड़ा सुकून देने के लिए मेरी चुन्नी बूबस पर से पूरी तरह से सरका दी और कहा- हाँ भैया मैं चलूंगी.
उसके बाद तो मुझे भी मज़ा आने लग गया.
उन्होंने खुद का लंड पकड़ लिया..
मैं मन ही मन सोच कर खुश हो रही थी कि भैया भी आख़िर मेरी चूत में अपना लौड़ा भरना ही चाहते हैं.
इस तरह की नज़रों से ही चोदने के खेल को मम्मी की आवाज़ ने रोक दिया.
‘चलो बच्चों.. निशांत, लवली.. तुम दोनों राजगढ़ के लिए जल्दी निकलो.. नहीं तो वहाँ से आने में देरी हो जाएगी.’
भैया अपनी नजरें झुका कर वहाँ से चले गए.
फिर हम दोनों कार में निकले.
आगे ड्राइवर गाड़ी चला रहा था और भैया पीछे की सीट पर मेरे बगल में बैठे हुए थे.
राजगढ़ का 4 घंटे का रास्ता था.
मैंने इस वक्त एक चुस्त टॉप और एक लॉन्ग स्कर्ट पहना हुआ था.. जिसके बड़े गले से मेरे मम्मों का आकार काफ़ी हद तक दिख रहा
था. मेरे चुस्त टॉप के कारण दोनों मम्मे मिलकर एक अच्छा आकार और गहरी दरार बना रहे थे. मेरी चूचियों के बीच की दरार बड़ी ही
कामुक छटा बिखेर रही थी.
भैया की शर्ट के पहले 3 बटन खुले होने के कारण मेरी नजरें तो उनकी सेक्सी मर्दाना छाती पर ही टिकी थीं.
हम दोनों चुप थे.
थोड़ी दूर चलने पर भैया बोले- लवली क्या देख रही हो?
मैं बुदबुदाने लगी, ‘ओह शिट.. भैया ने मुझे उनके लंड को देख कर लार टपकाते हुए देख लिया था..’
मैंने कहा- कुछ भी नहीं भैया.. बस यूं ही..
भैया ने अपना हाथ मेरे कंधे पर रख लिया.. और नज़दीक आकर कान में कहा- तेरे बड़े बोबे चूसने के लिए मरा जा रहा हूँ.. मुझे तो
पता ही नहीं था कि मेरी बहन ऐसी ‘माल’ बोबड़ी है.
मैंने भी कहा- तो मुझे कहा पता था भैया.. कि आपको मुझे ब्रा में ही देख कर इतनी खुशी होगी.
उन्होंने मुझे अपनी बांहों में जकड़ लिया.. कहने लगे- बस ट्रेलर से ही मेरा पेट नहीं भरेगा.. सारी जन्नत दिखाओगी मुझे?
मैंने नाटक करते हुए कहा- भैया आप यह क्या कह रहे हो?
तो उन्होंने भी टॉप के ऊपर से मेरी चूचियों को ज़ोर से दबा दिया.. मेरी तो चीख ही निकल गई- आआहह..
उन्होंने कहा- लवली तू मेरी सबसे प्रिय बहन है.. बोल.. आज अपने इस भाई को खुश करेगी?
मैंने भी कह दिया- भैया आप भी मुझे बहुत अच्छे लगते हो.. जब-जब आपके मोटे से लंड पर मेरी नज़र जाती है तो मेरी तो चूत पूरी
गीली हो जाती है.
फिर भैया ने एक छोटी सी आबादी के कुछ दूर आगे कार रुकवाई और ड्राइवर को पैसे देकर नाश्ता करने भेज दिया.
अब वो मेरे और भी नज़दीक आ गए.
उन्होंने मुझे अपनी गोद में बिठा लिया और मुझे सीने से लगा लिया.
मैंने कुछ नहीं कहा और उनके चेहरे के पास अपना चेहरा ले आई.
अधिक वक़्त ना लगाते हुए. वो मेरे होंठों को चूसने लगे.
हम दोनों का धीरे-धीरे चूसना और भी बढ़ गया.
मैं भी उन्हें पूरी मस्ती से चूस रही थी, हम दोनों ही एक दूसरे का रसपान कर रहे थे.
इस चुम्बन को मैं आज भी याद करती हूँ तो मेरी चूत चौड़ी हो जाती है.
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क्या रसीले होंठ थे उनके.. उफ… मेरी तो चूचियां ही खड़ी हो गई थीं.
उफ.. उसके बाद तो भैया ने मेरे टॉप के ऊपर से ही मेरे मम्मों को ज़ोर-ज़ोर से दबाना शुरू कर दिया था.
मैं कराहने लगी थी.
वो मेरे चूचों को दबाए जा रहे थे.. और मैं बेहद गर्म होती जा रही थी.
मेरी स्कर्ट के बीचे उनके लौड़े पर मेरी चूत पैन्टी में दबी थी. मेरी चूत के मुँह उनके सख्त होते लंड ने मुझे और भी गर्म कर दिया था.
आह.. वो मुझे गले पर चूम रहे थे.. चूस रहे थे और मैं मादक आवाजें कर रही थी.
उम्मह.. कितना मज़ा आ रहा था उनसे खुद को चुसवाने में.. आह हुहह..
मेरी पैन्टी में मेरी चूत का पानी भरा जा रहा था.. मैं गीली हुए जा रही थी.
भाई और उत्तेजित हो गए और कहा- लवली बोबड़ी.. तेरे बोबे का दूध पिला मुझे.. ऐसा माल भरके रखा है अन्दर.. जब तेरी चूत में से
अपना बच्चा निकलेगा.. तो उसे बहुत दूध पिलाना.. पर पहले मेरे लौड़े को शांत कर.. जल्दी से अपनी ब्रा निकाल और अपने बोबे मेरे
मुँह में दे दे.. मेरा मन मचल रहा है तेरे बोबे चूसने को.. दे ना रानी.. कितना तड़पाएगी..
यह सुन कर मैं शर्मा गई.. और मैंने मेरा टॉप उतार दिया.
आहहह.. अब बस ब्रा बची थी.. जो उन्होंने जोश में फाड़ दी.
हाँ दोस्तो.. मेरे भैया ने मेरी ब्रा ही फाड़ दी थी.. बहुत ही जोशीले हैं वो..
आहहह.. अब मेरे बोबे उस टाइट ब्रा से बाहर.. खुले में सांस ले रहे थे.
मेरे बड़े-बड़े बोबे देखते ही उन्होंने जोर से दबा दिए.. आह.. एकदम से मसल सा दिया था मुझे.. उहफफ्फ़.. अहह.. क्या दर्द था वो..
मेरे मम्मों को मसलते हुए फिर उन्होंने एक बोबे को चूसना शुरू कर दिया.
आह.. कितना मज़ा आता है यार.. बोबे चुसवाने में.. मेरा तो जी कर रहा था उनसे दिन-रात अपने बोबे ही चुसवाती रहूँ.
उनके मुँह में फिर मैंने अपना दूसरा मम्मा लगा दिया.. उहफफ्फ़.
जब-जब वो अपनी जीभ मेरी चूचियों पर फेरते थे.. मेरी तो ‘आह..’ निकल जाती थी.. सच में मुझे इतनी राहत महसूस होती थी..
जिसका बयान में सिर्फ़ करके ही दिखा सकती हूँ.. लिख कर नहीं बता सकती हूँ.
उन्होंने मेरी पैन्टी को एक तरफ सरका कर मेरी चूत में अपना मूसल लौड़ा लगा दिया था. उनका लौड़ा मेरी बुर में घुसता ही चला गया.
दर्द हो रहा था.. पर चूत की खुजली के चक्कर में मैंने भैया का लौड़ लील लिया.
भैया मुझे हचक कर चोदने लगे. कुछ ही देर में ड्राईवर के आने के चक्कर में जल्दबाजी में मेरी चुदाई हुई.. पर मजा पूरा आ गया था.
भैया ने चोदते हुए मेरे चूचों को पी-पी कर मुझे जल्द झड़ने पर मजबूर कर दिया था.
कुछ ही देर में भैया भी झड़ गए और मैंने उनसे चुदवाने के बाद जल्दी से बिना ब्रा के टॉप पहन लिया और पैन्टी से चूत को पोंछ
लिया.
तभी ड्राईवर भी आ गया.. हम दोनों फिर से चल पड़े थे.