हाई फ्रेंड्स, आप सब मुझे पहचान तो गए ही होंगे. जी हाँ मैं मेरा नाम आशना है. … मेरी पिछली कहानी
परीक्षा पास करने के लिए गांड मरवाई
आपने पढ़ी और पसंद की थी.
आज बहुत दिनों के बाद मैं आपके सामने मेरी एक ऐसी ही सच्ची घटना लिखने जा रही हूँ.
मेरी ये सेक्स कहानी मेरी सहेली के ब्वॉयफ्रेंड के साथ चलती कार में चुदाई मस्ती की है.
ये बात पिछली नवरात्रि की है … मेरा कॉलेज में बहुत बड़ा ग्रुप है … जिसमें बहुत सारी लड़कियां ओर हैंडसम लड़के भी हैं. पर उसमें भी हमारा यानि कि ईशिता, रुमित, भार्गव, तुषार और मैं … हम पांच लोगों का अलग ही ग्रुप है. हम पांच लोगों की आपस में बहुत बनती है.
एक दिन हम सब कॉलेज की कैंटीन में बैठे नाश्ता कर रहे थे … तब रुमित ने मुझसे कहा- अरे आशना … नवरात्रि चल रही हैं … तो तुम्हारा क्या प्रोग्राम है?
मैंने कहा- मुझे तो बाहर गरबा खेलने जाने की सख़्त मनाही है.
उसने पूछा- क्यों?
मैंने कहा- मेरे मम्मी पापा मुझे रात के नौ बजे के बाद घर से बाहर भी नहीं निकलने देते हैं … तो गरबा के लिए कहां जाने देंगे.
ईशिता ने कहा- अरे यार चल ना … बहुत मज़ा आएगा … मैं तेरे घर पर बोल दूंगी कि तू मेरे घर पढ़ाई करने के लिए आई है.
इस पर मैंने कहा- हम्म तेरी बात तो ठीक है … पर मैं घर से चनिया चोली पहनकर निकलूंगी कैसे?
ईशिता बोली- अरे यार अपने बैग में ले लेना. फिर हम बाहर ही कहीं चेंज कर लेंगे … ठीक है?
मेरे हां बोलने से पहले ही रुमित ने कह दिया- तो ठीक है … ये तय रहा कि आज रात हम तीनों कार लेकर तुम दोनों को लेने आ रहे हैं और हम ईशिता के घर से थोड़ी दूर ही खड़े रहेंगे.
ईशिता ने कहा- ठीक है … हम दोनों आ जाएंगी.
उन सब लोगों का उत्साह देखकर मैं ना नहीं कह सकी … क्योंकि मेरा खुद भी मन था.
शाम के सात बजे ईशिता का फोन आया- आशना … तुम तैयार हो ना..! हमें थोड़ी देर में निकलना है.
मैंने कहा- हां ठीक है … मैं बस तैयार ही हो रही हूँ.
‘ठीक है … मैं तुम्हारे घर पर तुमको लेने आ रही हूँ. तुम तैयार हो जाओ … ठीक है!
मैंने अपने बैग में चनिया चोली ले ली और ईशिता के आने का वेट करने लगी.
पांच मिनट बाद ईशिता मेरे घर मुझे लेने आ गयी. ईशिता को देख पापा ने पूछा- बेटा तुम इस वक्त यहां?
ईशिता ने कहा- हां अंकल … आशना को लेने आई हूँ. आज हम दोनों मेरे घर पर पढ़ाई करने वाले हैं … परीक्षा नज़दीक आ रही है ना इसीलिए!
पापा ने ये सुनकर तुरंत ही हां बोल दिया. मैं उसके सामने देखकर मुस्कुरा रही थी. उसने मुझे इशारा किया कि चल अब.
हम दोनों उसकी एक्टिवा पर निकल गईं.
थोड़ी ही देर में हम दोनों वहां पहुंच गए, जहां वो लड़के कार लेकर खड़े थे. उन तीनों ने कुर्ता और पज़ामा पहना हुआ था … पर बहुत हॉट लग रहे थे.
हमें देखते ही रुमित बोला- जल्दी करो … पहले ही तुम दोनों से आने में कितनी देर लगा दी.
मैंने कहा- सॉरी यार.
रुमित बोला- तुम अपनी एक्टिवा इधर खड़ी कर दो, ये मेरे परिचित का घर है. वापसी में या कल तुम इधर से उठा लेना.
ईशिता ने एक्टिवा खड़ी कर दी. फिर हम सब कार में बैठने लगे. ईशिता रुमित के साथ आगे बैठ गई … और मुझे भार्गव और तुषार के साथ पीछे बिठा दिया.
मैंने कहा- ईशिता … तू कहां आगे बैठ गयी … मेरे साथ पीछे आजा ना प्लीज़!
तो वो बोली- यार क्या तू भी … आज मुझे रुमित के साथ बैठने का मौका मिला है … तो बैठने दे ना प्लीज़.
हालांकि मुझे भी रुमित बहुत पसंद था. मगर वो ईशिता का ब्वॉयफ्रेंड था इसलिए मैं कुछ नहीं कहती थी.
जब ईशिता ने ये कहा, तो उसकी बात पर हम सब हंस पड़े … और रुमित ने भी कार चला दी.
थोड़ी दूर जाते ही रुमित बोला- अब तुम दोनों चनिया चोली कैसे पहनोगी … यहां तो कहीं पर भी मुझे जगह ही नहीं दिख रही है.
मैं भी सोचते हुए कहने लगी- हां यार ईशिता … अब हम क्या करेंगे?
ईशिता ने कहा- रुमित तुम एक काम करो. … अपनी कार कहीं सुनसान जगह पर रोक दो. हम यहीं कार में ही चेंज कर लेती हैं.
ये सुनते ही मैंने कहा- अरे यहां कहां चेंज करेंगे?
ईशिता बोली- अरे यार हम लोग वैसे ही लेट हो चुके हैं … और लेट कर देंगे तो उधर क्लब में एंट्री भी नहीं मिलेगी. इससे अच्छा है कि हम यहीं चेंज कर लेती हैं. तब तक ये तीनों बाहर खड़े रहेंगे. हम दो मिनट में तो चेंज कर ही लेंगी.
हमारी ये बात सुनकर सबने हां बोल दी.
फिर रुमित ने एक अच्छी सी जगह देखकर वहां अपनी कार रोक दी.
सब लड़के लोग नीचे उतर गए और उल्टा मुँह करके खड़े हो गए. मुझे कार में कपड़े चेंज करते हुए बहुत शर्म आ रही थी. ईशिता ने बोल तो दिया था, पर उसको भी बहुत शर्म आ रही थी. पर अब किया भी क्या जा सकता था.
हम अभी चनिया चोली पहन ही रहे थे … तभी रुमित अचानक हमारी और घूमकर बोला- अरे जल्दी करो यार … क्या कर रही हो इतनी देर से.
तब ईशिता ने ऊपर का ब्लाउज़ पहन लिया था … पर मेरा अभी पहनना बाकी था. उसके घूमते ही उसकी नज़र सीधे मेरे मम्मों पर पड़ी … चूंकि चोली मोटे कपड़े की होने की वजह से मुझे ब्रा पहनने का मन नहीं था. इसलिए मेरे चूचे नंगे थे.
वो मेरे नंगे चुचे देख कर बोल उठा- सॉरी … सॉरी … आशना … तुम दोनों ने देर कर दी थी, तो मैं ऐसे ही घूम गया था. मुझे लगा तुम दोनों ने चेंज कर लिया होगा.
मैंने उसको इतनी गालियां दीं कि खुद मेरा मुँह थक गया. पर अब जो होना था, वो तो हो ही चुका था. हालांकि आज मुझे उसकी नजरों से कुछ हेनू हेनू होने लगा था.
थोड़ी देर बाद हम सब गरबा खेलने क्लब पहुंच गए.
रुमित ने सबकी टिकट कटवा ली और हम सब गरबा खेलने अन्दर चले गए. हमने बहुत देर तक गरबा खेला … पर गरबा खेलते खेलते रुमित मुझे बार बार देख रहा था … और चांस देखकर मुझे टच कर रहा था. मैं समझ गयी … पर दोस्ती में ऐसा सब कुछ नॉर्मल होता है. ये समझ कर मैं भी गरबा का आनन्द ले रही थी.
पर ऐसा सिर्फ़ मेरे साथ ही होता, तो मैं समझती. पर भार्गव और तुषार भी ईशिता के साथ ऐसा कर रहे थे. ईशिता तो इस सबकी परवाह करे बिना गरबा का आनन्द ले रही थी. बस अब गरबा खत्म होने की ही तैयारी थी. कुछ देर बाद हम सब बैठ गए थे. तभी वहां ईशिता के चाचा का लड़का आया.
वो ईशिता से मिलकर पूछने लगा- तुम किसके साथ आई हो?
ईशिता ने कहा- अपने फ्रेंड्स के साथ!
उसने कहा- चलो हम तुम्हारे घर ही जा रहे हैं … हमारे साथ बैठ जाना, ठीक है … बहुत देर हो गयी है.
ईशिता समझ गयी कि अब उसे उनके साथ ही जाना होगा. ईशिता ने मुझसे कहा- यार आशना … मुझे इसके साथ ही जाना होगा, वरना प्राब्लम हो जाएगी.
मैंने कहा- ठीक है … तुम जाओ.
रुमित ने भी कहा- ईशिता तुम जाओ … आशना को हम छोड़ देंगे.
फिर ईशिता अपने चाचा के लड़के के साथ घर चली गयी. मैंने रुमित के सामने देखा और चलने का इशारा किया. वो तीनों मेरे सामने ही देख रहे थे.
रुमित ने कहा- चिंता मत करो, चलो अब हम भी चलते हैं … बहुत देर हो गयी है.
हम सब कार में बैठ गए. मुझे रुमित ने आगे बिठाया और भार्गव और तुषार को पीछे बैठने को कहा. थोड़ी दूर जाते ही मुझे एक चिंता सताने लगी.
रुमित ने मुझसे पूछा- क्या सोच रही हो?
मैंने कहा- यार एक लोचा हो गया.
उसने पूछा- क्या हुआ?
मैं- मेरे घर पर ईशिता ने ये कहा था कि हम उसके घर पढ़ाई करने जा रहे हैं … अब मैं आधी रात को घर जाऊँगी, तो पापा मुझे मार ही डालेंगे. … अब मैं क्या करूं?
रुमित धीरे से मुस्कुराते बोला- बस इतनी सी बात … हम ऐसा करते हैं … घर ही नहीं जाते हैं.
मैंने पूछा- तो कहां जाएंगे?
उसने कहा- बस सारी रात कार में घूमते रहेंगे और सुबह हम तुम्हें तुम्हारे घर से थोड़ी दूर छोड़ देंगे. बोलो क्या बोलती हो?
मेरे पास कोई और रास्ता ही नहीं था … मैंने कहा- ठीक है … जैसा तुम कहो.
रुमित ने कहा- तुम ऐसा करो, मैं एक जगह पर कार रोकता हूँ … तुम चनिया चोली तो चेंज कर लो.
मैं- तुम ठीक कहते हो … इस मोटे कपड़े की चनिया चोली में वैसे भी बहुत पसीना आ रहा है … पर मैं चेंज कैसे करूं?
उसने कहा- अरे तुमने और ईशिता ने जैसे पहले चेंज किया था, वैसे ही चेंज कर लो.
मैंने कहा- ठीक है … तुम कोई अच्छी जगह देखकर अपनी कार रोक देना. मैं पांच मिनट में ही चेंज कर लूंगी.
वो बोला- ठीक है.
थोड़ी देर कार चलाते चलाते उसने एक अंधेरी जगह पर अपनी कार रोक दी.
मैंने कहा- अरे यार यहां कहां तुमने कार रोकी है … अंधेरे में मुझे बहुत डर लग रहा है … ये बहुत डरावनी जगह है.
वो बोला- अरे आशना हमें क्या यहां सारी रात रुकना है … बस तुम अपनी चनिया चोली चेंज कर लो … तब तक हम यहीं खड़े रहते हैं.
फिर भार्गव और तुषार दोनों नीचे उतरे … और रुमित नीचे उतरकर बस मुझे देख रहा था. मैं समझ तो गयी थी कि उसके मन में क्या चल रहा है … पर मैं कुछ नहीं बोली. बस जैसे तैसे मुझे आज की रात निकालनी थी. वैसे तो वो मेरे दोस्त ही थे, पर फिर भी पता नहीं क्यों मुझे बहुत डर लग रहा था.
रुमित बोला- आशना तुम कार में अपने कपड़े चेंज कर लो, हम सब यहां ही खड़े हैं.
मैंने कहा- ठीक है.
मैं कार के पीछे की सीट पर चली गयी और कार का दरवाजा बंद कर लिया. मैं अभी अपने बैग में से अपनी ड्रेस निकाल ही रही थी कि रुमित, भार्गव और तुषार जल्दी जल्दी कार में बैठने लगे. भार्गव कार चलाने के लिए बैठ गया. तुषार उसके साथ आगे बैठ गया और रुमित जल्दी जल्दी मेरे पास पीछे आकर बैठ गया. मैं समझ ही नहीं पाई कि हुआ क्या.
मैंने रुमित से पूछा- अरे क्या हुआ … क्यों तुम लोग भागते भागते कार में बैठ गए?
रुमित बोला- अरे यार मैं बाद में बताता हूँ … अभी हमें जल्दी निकलना होगा. भार्गव तुम जल्दी से कार चलाओ.
मैं तो थोड़ी देर तक कुछ समझ ही नहीं पाई कि क्या हुआ था. मैंने फिर से रुमित से पूछा कि बताओ तो सही … हुआ क्या है?
तब उसने कहा- पुलिस की गाड़ी आ रही थी. अगर हमें देख लेती, तो बहुत बड़ी गड़बड़ हो जाती. ये सुनकर मैं घबरा गयी.
रुमित ने कहा- अभी डरने की ज़रूरत नहीं है.
मैं चुप हो गई थी. मेरी खोपड़ी काम ही नही कर रही थी. रुमित बोला- अरे भार्गव तुम क्या कर रहे हो … जल्दी से कार मेनरोड पर ले लो … जल्दी करो.
बस इसके बाद भार्गव ने कार इतनी तेज भगाई कि उसने जल्दी जल्दी में ऊबड़- खाबड़ वाला रास्ता पकड़ लिया. ये रास्ता इतना खराब था कि कुछ दिखाई ही नहीं दे रहा था. उबड़ खाबड़ रास्ते की वजह से कार धीरे धीरे चल रही थी और हम सब भी अन्दर उछल रहे थे. इसी वजह से एक दो बार तो मैं उछल कर रुमित के ऊपर जा गिरी. तीसरी बार में उसने मुझे कमर से पकड़कर अपनी गोदी में ही बिठा लिया.
मैंने कहा- रुमित ये तुम क्या कर रहे हो?
उसने कहा- वही, जो तुम समझ रही हो.
मैंने कहा- पर ये सही नहीं है.
उसने मुझसे पूछा- सही क्यों नहीं है?
मैंने कहा- रुमित … मुझे तुम पसंद हो, पर ईशिता तुमको पसंद करती है. इसीलिए मैं तुम्हारे साथ ऐसा नहीं कर सकती.
रुमित बोला- ईशिता मुझे पसंद करती होगी … पर मुझे तो तुम ही पसंद हो जान … आओ ना मेरे पास डार्लिंग. ऐसा मौका फिर नहीं मिलेगा जान.
रुमित की ऐसी बातें सुनकर मैं रोमांटिक हो उठी … और मैंने रुमित को सामने से गले लगा लिया. रुमित ने मुझे अपनी गोदी में बिठाकर मेरे चेहरे को अपनी तरफ कर लिया. वो मेरे बालों को सहलाते हुए मुझे धीरे से किस करने लगा.
‘उम्माह … आअहह. … हमम्म्मम..’
मेरी दोनों आंखें बंद हो गयी थीं. मेरे दोनों होंठों को वो धीरे धीरे से चूसता रहा. मदहोश होने लगी थी. मुझे किस करते करते मेरे भी दोनों हाथ उसके बालों में घूमने लगे थे. उसके दोनों हाथ भी मेरे बदन को सहला रहे थे.
आअहह … सच में मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. किस करते समय मेरी आंखें बंद थीं. तभी उसने अपना एक हाथ मेरे बूब पर रखा … और धीरे धीरे दबाता रहा.
उसके हाथ से मुझे बहुत मज़ा आने लगा … और मेरी आआआहह … निकलने लगी. हमारा किस अभी तक चल रहा था. उसकी कशिश से लग रहा था मानो वो बहुत दिनों से मुझे चोदना चाहता था. मेरे बदन पर और मेरे मम्मों को वो इतने धीरे धीरे सहला रहा था कि मेरी चुत उससे ही गीली हो गयी थी.
मुझे नीचे फील हो रहा था कि उसका लंड पूरा खड़ा हो गया है. उसका खड़ा लंड मुझे नीचे टच हो रहा था. हम दोनों किस करने में इतने मशगूल हो गए थे कि हम भूल ही गए कि हम कार में हैं.
थोड़ी देर बाद भार्गव बोला- रुमित, ये क्या कर रहे हो तुम लोग.
तब मुझे बहुत शर्म आई … क्योंकि कार में भार्गव और तुषार भी थे. हम दोनों तो भूल ही गए थे.
रुमित मेरे सामने देखकर बोला- बस अब तुम सिर्फ़ आगे देखकर कार चलाओ … और हां कहीं पर भी कार खड़ी मत रखना … जब तक मैं ना कहूँ … ठीक है!
तुषार बोला- ठीक है … भाई हम समझ गए.
बस भार्गव ने कुछ देर बाद कार मेनरोड पर ले ली … और धीरे धीरे चलाता रहा.
रुमित ने मेरा दुपट्टा लिया और कार के बीच में उसका परदा बना दिया, जिससे मुझे शर्म ना आए. इससे मुझे अच्छा भी लग रहा था. अब रुमित ने मुझे अपने सीने से लगा लिया और मैंने जो चनिया चोली का ब्लाउज पहना था, उसकी गांठ छोड़ दी. मुझे रुमित के साथ ये सब करने में बहुत शर्म आ रही थी. मैंने उसे बहुत ज़ोर से पकड़ लिया … क्योंकि मेरा ब्लाउज निकल गया था.
रुमित ने मुझे अपने हाथों से पकड़ा और मेरे सामने देखने लगा … उसकी मादक निगाहों को देख कर मैं सच में इतनी शर्मा गयी थी कि मैं कार की सीट पर उल्टा हो गयी. जिससे मेरे दोनों चूचे ढके रहें. पर रुमित ने मेरा ब्लाउज धीरे से निकाल दिया.
इस सेक्स कहानी में चलती कार में मेरी चुदाई कैसे हुई और मेरी चुत का क्या हाल हुआ, ये सब मैं आपको अपनी अगली चुदाई की कहानी में लिखूंगी. तब तक आप मुझे मेल कीजिएगा.
आपकी आशना
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कहानी का अगला भाग: चलती कार में सहेली के लवर ने चोदा-2