हाई फ्रेंड्स, कैसे हैं आप सब? आज में आपके लिए एक सच्ची चुदाई की कहानी लेकर हाजिर हूँ. मेरी ज़िंदगी में ऐसा मौका भी आएगा ये मैंने कभी नहीं सोचा था. पर वो कहते हैं ना जो जो जब होना होता है तब होता है।
एक बार मैं, मेरी सहेली तन्वी और सोनम हॉस्टल के रूम में ऐसे ही टाइमपास करते हुए गप्पें मार रहे थे क्योंकि पढ़ाई का दबाव कुछ कम था।
सोनम बोली- चलो यार कहीं घूमने चलते हैं, बहुत दिन हो गए कहीं घूमे हुए।
मैंने बोला- सही कह रही है यार, चलो दिल्ली ही घूमने चलते हैं।
फिर हम तीनों सहेलियाँ 2-3 दिन बाद दिल्ली घूमने जाने को राज़ी हो गयी।
तीन दिन बाद सुबह उठ के नहा धोकर हम दोनों तैयार हुई और सोनम का इंतज़ार करने लगी। मौसम भी बहुत सुहाना था, ज्यादा गर्मी भी नहीं थी और हवा भी ठंडी ठंडी चल रही थी।
सोनम सुबह 9:30 बजे तक अपने चाचा की गाड़ी ले के आ गयी हमारे पास। हम तीनों गाड़ी में बैठ गयी और दिल्ली घूमने निकल पड़ीं।
मुझे तब इस बात का अंदाज़ा भी नहीं था कि ये दिन मेरी ज़िंदगी के सबसे दिलचस्प दिनों में से एक का कारण बनेगा।
हम शुरू में इंडिया गेट गए, चिड़ियाघर गए, और फिर लाल किला भी गए। अब जो दिल्ली घूमते रहते हैं वो तो जानते ही होंगे कि लाल किले में कितनी भीड़ रहती है। वहाँ जितने भारतीय पर्यटक होते हैं उतने ही विदेशी पर्यटक भी आते हैं घूमने।
और सच बताऊँ तो जवानी में जितनी ठरक लड़कों में होती है, उतनी ही लड़कियों में भी होती है, बल्कि थोड़ी ज्यादा ही होती है. और अब तीन जवान लड़कियाँ आपस में संस्कारी बातें तो करेंगी नहीं हमेशा!
तो हम तीनों भी हैंडसम लड़कों को देखने लगी और साथ ही अंग्रेज़ पर्यटकों को भी देखने लगी।
मैंने कहा- देखो यार कितने हैंडसम होते है ये लोग, कितनी अच्छी हाइट, कितने हॉट और एक अपने कॉलेज में देखो एक से एक नमूने भरे पड़े हैं।
तन्वी हँसते हुए बोली- हाहाहा … कुछ भी कह ले बेटा; एक दिन ऐसा ही कोई नमूना तेरा पति बन जाएगा और बस फिर तो उसके बच्चे संभालते संभालते उम्र गुजर जाएगी।
सोनम बोली- हाँ, होना तो यही है, पर जब तक वो दिन नहीं आ जाता तब तक तो हम अपनी मर्ज़ी के मालिक हैं।
फिर एक दो घंटे हम लाल किला देखते हुए घूमते रहे। बाद में हम तीनों पास में ही एक रेस्तरां में लंच करने चले गए।
मैंने ये बात गौर की कि तन्वी का ध्यान कहीं और है. वो किसी को ज्यादा ही नोटिस कर रही है.
पर मैंने यह सोच के नज़रअंदाज़ कर दिया कि देख रही होगी किसी गोरे को।
जब हम खाना खा रहे थे तो मैंने तन्वी को मज़ाक में टौंट मारते हुए कहा- देख ले तन्वी देख ले, तेरी किस्मत में तो हैं नहीं इतने हैंडसम लड़के, देख के ही काम चला ले।
तन्वी ख़यालों में खोये हुए सी बोली- भाड़ में गए हैंडसम लड़के! उधर देख उन आदमियों को, वो कोने वाली टेबल पर, मैं तो उन्हें देख रही हूँ।
मैंने और सोनम ने उधर देखा तो हैरान रह गए क्योंकि तन्वी अंग्रेजों को नहीं बल्कि चार पर्यटकों के ग्रुप को देख रही थी.
पर वो अंग्रेज़ नहीं थे बल्कि अफ्रीका के काले काले सांड जैसे आदमी थे और वो भी हमें ही देख रहे थे।
मैंने तन्वी को चिढ़ाते हुए कहा- कोई ताज्जुब की बात नहीं, जैसी तेरी शक्ल वैसी तेरी पसंद!
और मैं और सोनम खिलखिला के हंसने लगे।
तन्वी बोली- पागल … मैं उनकी शक्ल की तारीफ नहीं कर रही, तुझे पता हैं इनके लंड 8-10 इंच तक के होते हैं. सोच कितना अंदर तक जाते होंगे, कितना मज़ा देते होंगे चोदते हुए।
मैंने घिन्न सी खाते हुए कहा- छी! बोलने से पहले सोच तो लिया कर कि कहाँ बैठी है, जो मुंह में आए बक देती है।
तन्वी बोली- अरे सच कह रही हूँ, तुझे हॉस्टल में चल के दिखाऊँगी।
फिर हमने खाना खत्म किया और मैं और सोनम काउंटर पे बिल भरने चली गयी।
बिल भर के हम दोनों बाहर आ गए और तन्वी का इंतज़ार करने लगे। थोड़ी देर में तन्वी भी आ गयी तो मैंने कहा- कहाँ मर गयी थी? इतनी देर लगती है क्या हाथ धोने में?
उसके बाद हम तीनों शाम तक दिल्ली में घूमतीं रहीं और खूब एंजॉय किया, फिर हॉस्टल वापस आ गईं।
पूरे दिन की थकान की वजह से रात को खाना खाकर मैं और तन्वी जल्दी ही सो गईं।
रात के लगभग 1 बजे तन्वी ने मुझे धीरे से हिला के उठाया- सुहानी उठ, उठ ना तुझे एक चीज़ दिखती हूँ, उठ ना!
मैंने नींद में ही कहा- उम्म… क्या है सोने दे यार, सुबह दिखा दियो।
तन्वी बोली- उठ तो सही एक बार!
तो मैं झुँझलाते हुए उठ गयी और बोली- क्या है, क्या आफत आ गयी?
उसने बोला- ये देख!
और अपना लैपटाप मेरी तरफ कर दिया।
उस पर तन्वी ने एक ब्लू फिल्म लगा रखी थी वो भी अफ्रीकन नीग्रो वाली। उसकी झलक देख के तो मेरी सारी नींद छू मंतर हो गयी।
तन्वी बोली- देख हैं ना इनका लंड 9-10 इंच का।
मैंने कहा- हाँ यार, कह तो सही रही है. ये तो पता नहीं कितना अंदर तक जाता होगा।
धीरे धीरे ब्लू फिल्म देखने से मुझे भी जोश सा चढ़ने लगा तो मेरा हाथ अपने आप मेरी चूत पे चला गया और मैं प्यार से उसे सहलाने लगी।
तन्वी भी अपनी चूत को सहला रही थी।
हम दोनों इतने वक़्त से सहेलियाँ थी इसलिए अब आपस में ज़रा भी शर्माती नहीं थी।
तन्वी बोली- क्या बोलती है, एक दूसरे की आग बुझा दें क्या हम दोनों ही?
मैंने हल्का सा विरोध करते हुए कहा- नहीं रहने दे।
तन्वी बोली- अरे उतार ना अपने कपड़े … मेरे से क्या शरमाना, भूल गयी तेरी सील तो मैंने ही तुड़वाई थी हर्षिल से! अब क्यूँ नखरे कर रही है? अब तो कितनी बार ही चुदवा चुकी है।
मैंने भी थोड़ा सोच के अब अपने आप को शर्म-लिहाज के बंधन से आज़ाद कर दिया और बोली- चल ठीक है, काले अफ्रीकन लंड ना सही, काली तन्वी ही सही।
बस फिर क्या था मैंने बिना देर किए अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिये और तन्वी ने भी अपने कपड़े उतार दिये और हम दोनों एक दूसरे के सामने बिल्कुल नंगी हो गयी।
सामने लैपटाप पे ब्लू फिल्म चलती रही और तन्वी भी मेरे बेड पे आ के मेरे बगल में बैठ गयी। हम दोनों दीवार पे तकिये के सहारे कमर टिकाये बैठे थे टाँगें फैला के। धीरे धीरे माहौल गर्म होने लगा तो तन्वी मेरी गोरी चिकनी कोमल जांघ पे हाथ फेरने लगी हल्के हल्के।
मैंने भी एक हाथ उसकी जांघ पे रखा और दूसरे से उसका बायाँ स्तन यानि बूब भोंपू की तरह दबाने लगी और मसलने लगी।
धीरे धीरे हम दोनों उस लम्हे में डूबते चले गए।
तन्वी ने बोला- लेट जा जल्दी से!
तो मैं बेड पे सीधी हो के लेट गयी और तन्वी मेरे ऊपर आ गयी। अब तक हम दोनों जवानी और कामुकता के जोश में पूरी गर्म हो चुकी थी और एक दूसरे को बड़ी ज़ोर ज़ोर से किस यानि चुंबन कर रही थी।
हालांकि हम ज़्यादातर ब्लू फिल्म ही देख रहे थे पर एक दूसरे के नंगे जिस्म को ऊपर नीचे आपस में रगड़ कर थोड़ा थोड़ा मजा ले रहे थे।
तन्वी बोली- लेटी रह!
तो मैं टाँगें खोल के लेट गयी।
तन्वी बोली- अभी 3-4 दिन पहले ही तो पूरी रात चुदवा के आई थी, दिल नहीं भरा क्या?
मैंने कहा- सेक्स से किसी का मन भरा है क्या आज तक?
फिर तन्वी ने अपने अंगूठे और उंगली से मेरी चूत का दरवाजा खोला और धीरे धीरे मसलने लगी। मुझे बहुत मजा आने लगा और मैं सिर पे हाथ रख के ‘उम्महह … उम्म … उम्महह …’ करती हुई कामुक सिसकरियां लेने लगी।
मैंने कहा- उंगली से कर ना कुतिया, ऐसे क्या मजा आयेगा।
अब तन्वी ने अपनी बीच की सबसे बड़ी उंगली मेरी चूत में डाल दी और चोदना शुरू कर दिया। उसने चूत के अंदर उंगली घुमा ली और बड़े जोश में अंदर बाहर फंसा फंसा के चोदने लगी।
मैं अब बस बेड में उचक उचक के तड़पते हुए ‘उम्मह … उम्महह … उम्मह … स्सस … स्ससस’ कर रही थी। अब लड़कियों को लड़कियों के शरीर की सारी जानकारी होती है, तो वो सीधा मेरे जी-स्पॉट यानि चूत के दाने को कुरेद रही थी जोर ज़ोर से।
मुझे बहुत मजा आने लगा और मैं कहने लगी- आन्न्हह … आन्न्हह … और ज़ोर से और ज़ोर से कर न कुतिया आन्न्हह … अहह … अहह … बहुत मजा आ रहा है।
कुछ ही देर में मेरी उत्तेजना अपनी चरम सीमा पे पहुँच गयी और मेरी धड़कन काफी बढ़ गयी।
मैंने तन्वी ने कहा- ज़ोर ज़ोर से कर … बस मैं झड़ने वाली हूँ।
तन्वी ने अपनी उंगली की रफ्तार बढ़ा दी और कुछ ही पलों में मैं एक बार में फुच्छ … फुच्च्ह … करते हुए झड़ के शांत हो के लेट गयी और हाँफने लगी।
फिर मैंने भी तन्वी को उंगली कर कर के झड़वा दिया कुछ देर बाद।
हम दोनों ही संतुष्ट हो चुकी थी, पर सिर्फ कुछ देर के लिए।
हम दोनों एक दूसरे के बगल में बिलकुल नंगी पड़ी थी और सांसें भर रही थी।
मैंने कहा- यार, फिर से चुदवाने को मन कर रहा है पर मोटे से बड़े से लन्ड से।
तन्वी ने बोला- कोई नहीं जल्दी ही मिल जाएगा कोई बड़ा लन्ड।
फिर हम दोनों धीरे धीरे सो गयी।
कॉलेज गर्ल की चूत की कहानी जारी रहेगी.
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