जिजा साली चुदाई कहानी में पढ़ें कि कैसे मैं अपनी विधवा सलहज को यात्रा पर ले गया. एक जगह होटल का कमरा लेकर मैंने कैसे उसकी चूत को चोदा.
मैं चन्दन सिंह, उम्र 59 साल है. नौकरी करने के बाद रिटारयर्ड हो चुका हूँ. मैं विधुर हूँ और अब मेरा ज्यादातर समय खाली ही गुजरता है.
बीच-बीच में कभी यात्रा पर निकल जाता हूं. इस साल मेले के दौरान मेरी विधवा हो चुकी सलहज शान्ति के बारे में आपको बता दूं कि उसकी उम्र 50 या उससे एक-दो साल ऊपर है. उसका शरीर पांच फीट आठ इंच की लम्बाई से कुछ ज्यादा ही लगता है. वज़न 90 किलो से ज्यादा ही होगा.
उसका 48 इंच का सीना आज भी कसाव लिए हुए है और जब वो मदमस्त हथिनी की तरह चलती है, तो एक दूसरे से रगड़ खाते कूल्हों को देख कर लंड फुंफकार मारने पर मजबूर हो जाता है.
वो बिल्कुल देसी माल है, यात्रा दौरान जिजा साली शारीरिक मिलन हो गया था. उसके बाद हम समय मिलने पर नजदीकी शहर निकल जाते और दो दिन उधर अपनी काम इच्छा पूरी करके वापिस आ जाते.
इसी दरम्यान हमें मिलने दिक्क्त होने लग गयी थी. मेरे एक टूरिस्ट मित्र से, जो धार्मिक यात्रा करवाता था, उससे मेरी मित्रता अच्छी थी.
एक दिन वो जयपुर आया. उस शाम दोनों ने हसीन पार्टी मनाई.
दूसरे दिन उसने मुझे जयपुर में धार्मिक यात्रा एक ऑफिस खोलने को कहा, साथ में भागीदारी का प्रस्ताव भी रखा. मैंने भी शर्त रखी कि टूरिस्ट को यात्रा की व्यवस्था तुम करोगे और टूरिस्ट को रुकवाने आदि की व्यवस्था भी तुम करोगे. मैं सिर्फ यात्री की बुकिंग करूंगा. यात्रा के दौरान जिस भी स्थान पर रात्रि विश्राम होगा. उधर किसी दूसरे होटल में अपनी सलहज के संग रुकूंगा.
मेरे मित्र ने हां कर दी. मैंने जयपुर में यात्रा ऑफिस खोल लिया और लोगों के टिकट बुक करने लगा.
इस काम में मुझे अप्रत्याशित सफलता मिली.
मेरे मित्र ने एक बस की सवारी बुक करने की योजना बनाई थी. पर मैंने दो बस की सवारी बुक कर दीं.
हमारी पहली यात्रा दक्षिण भारत की एक महीने की थी. मैंने सलहज को सारी बात बताई. उसने अपने छोटे बेटे को बात बताई और बेटे से हां करवा ली.
हम तयशुदा दिन जाने को रेडी थे. मेरा मित्र दो लग्जरी बसें लेकर आ गया. मैं मित्र द्वारा बताए हुए स्थान से लेकर सवारियों को लेकर तैयार खड़ा था. एक घंटे बाद मित्र बस लेकर आया और सभी सवारियों को जयपुर के दर्शनीय स्थल दिखाने के बाद गन्तव्य की तरफ चल दिया.
सलहज को मेरी बस में पहले से रिक्त सीट पर बैठा दिया. हम आगे की यात्रा को प्रस्थान करने लगे.
उस रात बस को पूरी रात चलना था. हम दोनों ने उस रात नींद लेना बेहतर समझा. सुबह बस एक स्थान पर रुकी. मैंने मेरी दोनों बसों की सवारियों को मेरे मित्र के हवाले कर दीं. खुद मेरा और सलहज का सामान उठाने के लिए मैंने बस के स्टाफ को बोला कि यह सामान लेकर हमारे साथ आओ.
इसके बाद मैंने एक रिक्शा लिया और एक थ्री-स्टार होटल में पहुंच कर उसी रिक्शे से स्टाफ को वापिस भेज दिया.
होटल के कमरे में पहुंच कर सलहज ने मेरे सामान को खोलना चालू किया.
वो शराब की एक बोतल के साथ गिलास निकाल कर दो बड़े पैग बना ले आई. एक पैग मुझे देते हुए बोली- जानू, बहुत दिन हो गए शराब पिए हुए. जल्दी से इसे खाली करो.
हम दोनों ने प्यासे की तरह एक झटके में गिलास खाली कर दिए और दूसरी बार के पैग मैंने बनाए.
हम दोनों ने एक बार फिर से गिलास खाली किए और मैंने जेब से सिगरेट निकाल कर सुलगाई. कश लगा कर सलहज को दी.
पिछले कुछ समय से मैं सलहज का खाने और पीने का स्टाइल चेंज करने में सफल रहा था. अब वो मेरे साथ खुल कर शराब और सिगरेट का मजा लेने लगी थी.
दो पैग पीने के बाद मैं सलहज को लेकर बाथरूम में चला गया. उधर हम दोनों कपड़े खोल कर नंगे हो गए. मैंने शॉवर चला दिया और सलहज को बांहों में लेकर ठंडे पानी की फुहार का मजा लेने लगा. एक तरफ शराब की खुमारी दूसरी तरफ मदमस्त सलहज मेरी बांहों में मचल रही थी. उसके नंगे बदन से लिपट कर मैंने होंठ से होंठ मिला कर चुंबनों की झड़ी लगा दी.
करीब पन्द्रह मिनट बाद हम दोनों एक दूसरे को साबुन लगा कर शॉवर के नीचे नहाते रहे. फिर एक दूसरे के बदन को आपस में तौलिया से रगड़ कर साफ किया. फिर दोनों नंगे ही बाथरूम से बाहर आ गए.
मैंने टेबल को बेड के पास खींच कर शराब का दौर फिर से चालू किया. पीने के साथ सलहज के नंगे मम्मों को मसलता रहा. वो मेरे सीने पर पीठ लगा कर पैग के साथ सिगरेट पिलाती जा रही थी. नहाने के दौरान मुझे ठंडक सी लग रही थी … ऊपर से एयर कंडीशनर चल था.
एक एक पैग पीने के बाद सलहज उठी. उसने टेबल को साइड में किया और मेरे दोनों पैर नीचे करके खुद घुटनों के बल बैठ कर करिश्मा दिखाने लगी. मेरे कहने का मतलब मेरे लंड को अपने मुँह लेकर आइसक्रीम की तरह चूसने लगी.
पिछले कुछ महीनों से पहली बार सेक्स में मैं जल्दी स्खलित होने लगा था. इसलिए सलहज पहली बार मुझे चूस कर झड़ा देती थी, फिर सेक्स का मजा लेती थी.
सलहज मेरे लंड को बुरी तरह चूस रही थी. मगर आज यात्रा की थकावट या पैग ज्यादा पीने के कारण मैं स्खलित नहीं हो रहा था.
मैंने सलहज से बोला- छोड़ो यार … तुम बस बेड पर आ जाओ.
पर वो बोली- जीजा जी, आपको शायद मालूम नहीं है … जब तक पहली बार मैं एक बार आपका वीर्य नहीं पी लेती, तब तक मुझे आगे खेल करने में मजा नहीं आता. आप कुछ मत बोलो, पहले मुझे वीर्य पीने दो.
इतना बोल कर वो मेरे अंडकोषों को हल्के हल्के जीभ से चूसने लगी. शायद मैं उत्तेजित हो जाऊं, ऐसे करते करते उसकी जीभ मेरी गांड के छेद पर घूमने लगी. इधर आज वो पहली बार जीभ कर रही थी. मुझे भी आनन्द का अहसास हो रहा था. मेरे मुँह से हल्की सीत्कार निकल उठी.
सलहज दोनों हाथ से गांड को चौड़ी करके जीभ को और अन्दर डाल कर जोरों से छेद में घुमाने लगी. मैं स्वर्ग सा आनन्द महसूस करने लगा.
जब इस तरह से मुझसे रहा नहीं गया, तो मैं सलहज को दोनों बांहों में लेकर बोला- शायद आज पहले चुदाई का योग है.
पर सलहज जिद पर अड़ गयी. वो फिर से लंड को हाथ में लेकर तेजी से चुसाई करने लगी.
करीब पांच मिनट बाद मैंने उससे बोला- मुँह में ले लो … रस गिरने वाला है.
सलहज ने फुर्ती से लंड को अपने मुँह में ले लिया और जोर जोर से लंड चूसने लगी.
अगले ही मिनट में लंड से पिचकारी छूटने लगी. सलहज बड़ी मस्त होकर वीर्य पान करने लगी. उसने वीर्य गटकने के बाद लंड को जीभ से चाट चाट कर पूरा साफ कर दिया. अब उसकी आंखें वासना से चमक रही थीं.
सलहज ने मेरे झड़ जाने के बाद दो बड़े पैग बनाए. एक मुझे दिया, एक उसने खुद ले लिया. हम दोनों जिजा साली दारू पीकर मस्त हो गए. थकान के बाद ये मजा हम दोनों को आराम करने की कह रहा था. ऐसा करना, हम दोनों की आदत सी पड़ गयी थी.
झड़ने के बाद चुदाई करने में मुझे कुछ वक्त लगता है … तो मैं उसे बेड पर बांहों में लपेट कर लेट गया. मैंने ऊपर से रजाई खींच ली और पैरों में पैर डाल कर हम दोनों सो गए.
करीब एक घंटे बाद मोबाइल पर फोन की घंटी बजने से हम दोनों की आंखें खुलीं. फोन मेरे मित्र ने ही किया था. वो बोल रहा था कि भोजन बन गया है … कहो तो भेज दूं.
सलहज फोन से कान लगा कर सुन रही थी. उसने इशारे से मुझे इंकार करने का कहा. मैंने दोस्त को थैंक्स बोल कर फोन काट दिया. अब तक थकावट पूरी उतर चुकी थी. लंड भी तन्नाया हुआ था.
फोन को वापिस रखने के बाद मैं सलहज पर भूखे कुत्ते की तरह टूट पड़ा. मैं वहशी दरिन्दा बन चुका था.
पिछले कुछ महीनों से ऐसी ही आदत पड़ गयी थी. इसमें सलहज की भी हां रहती थी. वो भी ऐसा ही सेक्स चाहती थी.
मैं उसको हर जगह दांतों से काट रहा था. मेरे नाख़ूनों से उसके अंग अंग पर लकीरें खिंच रही थीं. ऐसी वेदना से वो उत्तेजित हो रही थी … उसकी उत्तेजना बढ़ने पर वो मेरे अंडकोष और लंड को बड़े आराम से सहलाने लगी. अब उसके मम्मों की बिटनियां तन कर खड़ी हो चुकी थीं.
सलहज ने लंड को अपने हाथ से ही अपने बुर में डाला. मेरे नीचे वो थी, ऊपर मैं चढ़ा था. पर वो नीचे से खुद गांड उठा कर चुदाई की कोशिश कर रही थी.
मैं भी ताव खाकर जोर जोर से उसे पेलने लगा. उसके दोनों हाथ मेरी पीठ को सहलाते सहलाते मुझे खरोंचने लगे थे. पता नहीं, इस खेल में कब वो नाख़ून से मेरी चमड़ी पर रेखाएं खींचने लगी. वो अपने मुँह से कभी मेरे गालों, पर तो कभी होंठों पर … या छाती पर दांत गाड़ने लगी. वो लगातार लंड लिए हुए नीचे ऊपर हो रही थी. मैं ऊपर से धीरे से आता और जोर से झटका देता.
अब उसके मुँह से गालियां निकलनी चालू हो गईं- चोद दे जीजे … बहनचोद मेरी चूत फाड़ दे कुत्ते … माँ चोद दे मेरी!
करीब पंद्रह बीस मिनट की चुदाई में ऐसी ही रफ़्तार चलने के बाद हम दोनों जिजा साली पसीने से लथपथ हो गए. जबकि एसी फुल कूलिंग पर था.
जब हम दोनों के स्खलित होने का समय आया तो आंखों ही आंखों से इशारा हुआ कि अब स्खलित होने का सही समय है.
बस वीर्य और रज की धारा बहने लगीं. दोनों स्खलित होने के बाद बांहों में लिपटे पड़े रहे.
दस मिनट बाद जैसे ही मैं उठा, सलहज भी उठ कर मेरे लंड को फिर से चाटने लगी.
अच्छी तरह से लंड चटवाने के बाद मैंने पूछा- अब आगे का क्या विचार है?
वो बोली- जैसा आप जानते ही हैं. पहले एक बार स्नान कर लेते हैं. उसके बाद आप जानते ही हैं कि क्या करना है.
मैं उसे लेकर एक बार फिर बाथरूम में जाने की तैयारी करने लगा. मतलब जाने से पहले हम दोनों ने एक एक पैग बना कर पिया … साथ में एक सिगरेट खींची.
तभी मेरे मित्र का फोन फिर से आ गया. वो बोल रहा था- आपका कमरा एक दो घंटे के लिए चाहिए.
मैंने पूछा- ऐसा क्या है?
वो बोला- क्या अकेले आप ही मस्ती लोगे … मुझे भी लेने दो.
मैं बोला- पर तुम्हारे पास तो कोई है ही नहीं?
वो बोला- ऊपर वाले की कृपा से मिल गयी है. आपके बस की सवारी में से एक आइटम तैयार है. आप उसे देखोगे तो आपका मन भी हो जाएगा.
सलहज सब सुन रही थी.
हम दोनों में कोई बात नहीं हुई. बस जल्दी से स्नान करके कमरे में आ गए.
सलहज को मैं फैशनेबल कपड़े यात्रा से पहले ही दिला चुका था. उसने जींस पेंट और टी-शर्ट पहन ली. बालों को खुला छोड़ कर अच्छा खासा मेकअप कर लिया. इसके बाद हम दोनों ने एक वाटर बोतल में नीट दारू को भरा और होटल से बाहर आने लगे.
बाहर निकलते समय कमरे की चाबी काउंटर पर देते हुए कहा- अभी कुछ देर में मेरा मित्र आएगा, उसे आराम की जरूरत है. जब वो आए, तो आप उसको चाबी दे देना.
इतना कह कर हमने एक कार टैक्सी कर ली और शहर घूमने निकल गए. कार में ही बैठे बैठे बोतल से शराब के घूँट पीने लगे.
इसके आगे की जिजा साली चुदाई कहानी में आपको मालूम चलेगा कि मेरी सलहज ने मुझसे चुदवाकर मेरी शर्तों पर कैसे शादी की. इसी के साथ मैंने अपनी इस यात्रा में सफर करने वाली एक धनाड्य महिला को कैसे चोदा और उसने मुझे क्या क्या मजा दिलाए. इस जिजा सलहज सेक्स कहानी को पढ़कर आपको कैसा लगा. प्लीज़ मुझे मेल करके अवश्य बताएं.
जिजा साली चुदाई कहानी का अगला भाग: यात्रा में सलहज को पत्नी बना चोदा