हाई फ्रेंड्स, मैं कोमलप्रीत कौर हूँ. हाँ आपकी सेक्सी पंजाबी भाभी हूँ. आज मैं फिर से अपने प्यारे प्यारे देवरों और अपने दीवानों (चाहे वो किसी भी उम्र के हों) के लिए अपनी चुदाई का एक गरमागरम किस्सा लेकर फिर से हाजिर हूँ.
भले ही मेरी पिछली सेक्स कहानी
दादा पोता ने पंजाबन की चूत चोद दी
बहुत देर पहले आई थी अन्तर्वासना पर … मगर मेरे चाहने वालों की मेल्स अब भी मुझे हर रोज मिलती हैं और मुझे अपनी चुदाई के किस्से बताने के लिए कहते हैं जिनमें बहुत सारे मर्द 55-65 साल के भी हैं.
इनमें से कुछ तो मुझे अपनी बहू समझते हैं, कुछ भाभी समझते हैं और कुछ अपनी रखैल की तरह समझते हैं.
मगर जो भी हो मुझे प्यार बहुत करते हैं. इसलिए मैं अपने चाहने वालों को नाराज़ नहीं करना चाहती और अपनी चुदाई का एक ताज़ा किस्सा आपकी सेवा में लेकर हाजिर हुई हूँ.
मेरा नाम कोमलप्रीत कौर है और मेरे पति आर्मी में हैं, मेरी उम्र 30+ है और मैं अपने सास ससुर के साथ जालंधर के पास एक गाँव में रहती हूँ. दिखने में सुन्दर, सैक्सी और हॉट हूँ. मेरी हाइट 5′ 3″ है और दिखने में स्लिम हूँ.
मैं जब भी कहीं बाहर जाती हूँ तो सभी मर्दों की नज़र मेरे मोटे मोटे और गोल मटोल चूतड़ों, मेरी पतली कमर और 34 साइज़ के मम्मों पर ही टिकी रहती है. उस पर मेरी गांड तक लंबे मेरे काले रेशमी स्ट्रेट बाल लहराते हुए देख कर तो लड़के और बुड्ढे मुझे सीने से लगाने को तड़प जाते हैं. कुछ लोग तो मुझे छेड़ने से भी बाज नहीं आते. और मौका देखकर मेरी गांड या मम्मों को दबा देते हैं.
अब मैं स्टोरी पर आती हूँ.
एक दिन मुझे और सासू माँ को किसी काम से शहर जाना था. हमें जाना भी स्कूटी पर था.
सर्दी के दिन थे इसलिए घर से निकलते वक़्त हम काफ़ी लेट हो गये और ऐसे ही वापस आते समय भी अंधेरा हो गया.
हम वापिस आ रहे थे कि अचानक स्कूटी झटके मारने लगी और फिर बंद हो गयी.
हमें कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें.
फिर मैंने ससुर जी को फोन लगाया तो वो बोले- अगर कोई साधन मिलता है तो तुम लोग उस पर आ जाओ. और स्कूटी को लॉक करके वहीं छोड़ दो. सुबह देख लेंगे क्या हुआ है.
वैसे भी हम लोग घर से 5-6 किलोमीटर दूर ही थे.
हम कुछ देर ही रुके थे कि पीछे से किसी गाड़ी की लाइट आती दिखी, सासू माँ ने गाड़ी को हाथ दिया तो वो गाड़ी रुक गयी.
वो एक समान ढोने वाला टाटा एस ऑटो था, जिसको पंजाब में छोटा हाथी भी बोलते हैं.
ड्राइवर ने ऑटो रोका तो सासू माँ ने उसे अपनी परेशानी बताते हुए लिफ्ट देने को कहा.
मगर उसने कहा कि वो यहीं पास तक ही जाएगा. ऑटो आगे नहीं जा रहा है.
तब सासू माँ ने उसे कुछ ज़्यादा पैसे देने की बात कही तो वो मान गया.
ड्राइवर एक 35-40 साल का फिट बॉडी वाला मर्द था और देखने में भी हैंडसम था.
उसने एक लकड़ी का फट्टा निकाला और हमारी स्कूटी को ऑटो पर चढ़ा कर पीछे खड़ा करके बाँध दिया.
फिर उसने हमें आगे जाकर बैठ जाने को कहा.
ड्राइवर भी अपनी सीट पर बैठ गया. मैं और सासू माँ बैठने लगे तो देखा कि आगे वाली सीट पर एक ही सवारी बैठ सकती थी. दूसरी सवारी को दोनों सीटों के बीच वाली जगह पर बैठना था और वहाँ पर गियर हैंडल भी था.
पीछे भी इतनी सर्दी में बैठना सही नहीं था. और दोनों सीटों के बीच सासू माँ तो कभी भी नहीं बैठ सकती थी. इसलिए सासू माँ ने मुझे वहाँ बैठने के लिए कहा.
मैं दोनों सीटों के बीच बने एक छोटे से बक्से पर बैठ गयी, और गियर हैंडल मेरी दोनों जांघों के बीच में आ गया, जिस कारण मैंने अपनी एक टाँग उठा कर दूसरी टाँग पर रख ली और मेरा ड्राइवर साइड का चूतड़ भी उँचा उठ गया जिसे देखकर ड्राइवर का मन भी ललचा गया, जिसे मैंने उसकी ललचाई नज़र देखकर भाम्प लिया था.
मगर अभी असली झटका तो लगने वाला था.
ड्राइवर ने गाड़ी स्टार्ट की और गियर डालने के लिए जब उसने हैंडल को आगे पीछे किया तो उसका हाथ सीधा मेरी फुदी पर आकर टकराया. एक टाँग उठाई हुई के कारण मेरी फुदी बिल्कुल गियर हैंडल के सामने थी.
उसका हाथ फुदी के उपर लगते ही मैं और वो ड्राइवर दोनों ही शॉर्ट हो गये. उसने मेरी तरफ़ देखा और मैंने उसकी तरफ देखा और फिर एकदम से सीधा देखने लगे.
मैंने सासू माँ की ओर देखा, उनको कुछ भी पता नहीं चला था.
मैंने थोड़ी सी करवट सासू माँ की तरफ ली मगर उससे मेरा चूतड़ और भी ऊपर उठ गया और ड्राइवर की कोहनी मेरे चूतड़ से रगड़ने लगी.
उफ्फ़ … मैं तो ऐसी हालत में थी कि ना तो वहाँ से हिल सकती थी और ना ही खुल कर मज़ा ले सकती थी.
क्योंकि सासू माँ देख लेती तो गजब हो जाता.
अभी मैं पहले झटके से संभली भी नहीं थी कि ड्राइवर ने फिर से गियर बदला और उसका हाथ फिर से मेरी फुदी के ऊपर टकरा गया. मगर अब मैं चुपचाप बैठी रही क्योंकि मुझे पता था कि यह तो अब होना ही है.
मगर जो भी हो ड्राइवर की तो लॉटरी लग गयी थी. और मुझे भी इस बात से कोई दिक्कत नहीं थी क्योंकि ऐसी सर्दी में कोई फुदी को गर्म करने वाला मिल जाए तो मज़ा आ जाता है.
मुझे सिर्फ़ सासू माँ का ख़तरा था कि कहीं वो यह सब देख ना लें. इसलिए मैंने अपने कंधों पर लिया हुया स्टॉल अपनी टाँगों के उपर ले लिया. ताकि सासू माँ को कुछ भी दिख ना पाए.
ड्राइवर की कोहनी मेरे चूतड़ से रगड़ रही थी और मैंने भी उसकी कोहनी को रगड़ने दिया. मेरा मन तो कर रहा था कि ड्राइवर का हाथ फिर से मेरी फुदी पर टकरा जाए और वो अपने मजबूत हाथ से मेरी फुदी को मसल दे.
ड्राइवर भी शायद इन्ही खयालों में खोया हुया था और चुपचाप धीरे धीरे ऑटो चलाए जा रहा था.
अब फिर से ड्राइवर ने गियर बदला और उसका हाथ फिर से मेरी फुदी पर टकरा गया.
मगर अब उसने गियर बदलने के बाद भी अपना हाथ गियर से नहीं उठाया और मेरी फुदी के साथ ही लगाए रखा. शायद वो यही देखना चाहता था कि मैं उसे रोकती हूँ या नहीं.
मगर मैं भी तो ऐसा ही चाहती थी. इसलिए मैं चुपचाप बैठी रही.
ड्राइवर ने एक दो बार और गियर को आगे पीछे किया और इस बार तो उसने अपने हाथ को भी मेरी फुदी पर अच्छे से रगड़ा. मेरे तन बदन में बिजली दौड़ने लगी थी. मन कर रहा था कि उसका हाथ पकड़ कर अपनी फुदी के ऊपर दबा दूं. मगर सासू माँ के होते कुछ नहीं कर सकती थी.
तभी मेरी नज़र सामने लगे आईने पर गयी, जिस में ड्राइवर की आँखें दिख रही थी और वो मेरी तरफ़ ही देख रहा था.
मैं भी उसकी तरफ देखने लगी.
उसका हाथ अभी भी मेरी फुदी से रगड़ रहा था. उसने आईने में देखते हुए मुझे आँख मारी तो मैं भी उसकी तरफ देखकर मुस्करा दी. अब तो उसका हौंसला बढ़ गया था और उसने मेरी फुदी पर अपनी उंगली को रगड़ना शुरू कर दिया. जिससे मैंने फिर से उसको एक स्माइल दे दी.
हमारी नज़रें आईने में से एक दूसरे से बातें कर रही थी. और अब उसके हाथ की सभी उंगलियाँ मेरी फुदी के उपर मेरी टाइट पजामी पर घूम रही थी.
एक दो बार तो उसने अपनी उंगली को मेरी फुदी के अंदर घुसेड़ने की कोशिश भी की, मगर पैंटी और पजामी के कारण वो सफल नहीं हो सका.
अब उसका एक हाथ मेरी फुदी पर खेल रहा था और मैंने भी अपनी टाँग को पूरा खोल रखा था ताकि वो मेरी फुदी को आराम से मसल सके.
वो अपना हाथ बदल बदल कर गाड़ी चला रहा था और हाथ बदल बदल कर ही मेरी फुदी और गांड को मसल रहा था. मैं अपने स्टॉल से सासू माँ की तरफ पूरा परदा बनाए हुए थी.
मैंने भी अपने हाथ को स्टॉल के अंदर डाल कर उसके हाथ पर अपना हाथ रख दिया और उसके हाथ को अपनी फुदी पर दबा दिया. उसने भी मेरा हाथ पकड़ लिया और अपने लंड की तरफ खींचने लगा.
मैंने सासू माँ की तरफ देखा तो वो सामने देख रही थी.
फिर मैं अपने आप को अड्जस्ट करने के बहाने से थोड़ी सी उठी और फिर वहीं बैठते हुए उसके लंड पर हाथ रख दिया और जल्दी से उठा लिया ताकि सासू माँ को कोई शक ना हो, वो मेरी फुदी और गांड को तो रगड़ ही रहा था.
कुछ देर के बाद हम घर के सामने पहुँच चुके थे और मैंने ड्राइवर को ऑटो रोकने के लिए कहा. घर का मेन डोर बंद था.
सासू माँ ऑटो का दरवाजा खोलने के लिए दूसरी तरफ घूमी तो ड्राइवर ने झट से मेरे मम्मों पर अपना एक हाथ रख दिया और दूसरे हाथ से मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया.
मैंने भी अछा मौका देखते हुए उसके लंड को पैंट के उपर से ही ज़ोर से पकड़ लिया.
और उसने भी मेरे मम्मों को अपने दोनों हाथों में पकड़ कर अच्छे से दबा दिया.
सासू माँ धीरे धीरे उतर रही थी और तब तक वो मेरे मम्मों को दबाता रहा.
जब सासू माँ उतर गयी तो फिर मैं भी उतर गयी. सासू माँ और मैं घर के मेन डोर की तरफ गयी और बैल बजाई. ड्राइवर भी उतर कर ऑटो के पीछे चला गया और स्कूटी को नीचे उतारने की कोशिश करने लगा.
वहाँ पर काफ़ी अंधेरा था, ड्राइवर ने मुझे आवाज़ देते हुए कहा- मैडम जी, आप ज़रा स्कूटी को पकड़ेगी, नीचे उतारने में दिक्कत हो रही है.
तो मैंने सासू माँ से कहा की- मॅमा, आप यहीं रूको, मैं स्कूटी पकड़ती हूँ.
और मैं ऑटो के पीछे चली गयी. यहाँ पर ड्राइवर पहले से ही मुझे पकड़ने की ताक में खड़ा था उसने अंधेरे का फ़ायदा उठाते हुए मुझे अपनी बांहों में भर लिया और मेरे होंठों को अपने होंठों में डाल कर चूसने लगा.
मैं भी उसके साथ लिपट गयी उसके हाथ मेरी पीठ पर मेरे चूतड़ों पर रगड़ रहे थे.
फिर ससुर जी ने दरवाजा खोला और हम भी जल्दी से अलग हो गये. मैं फिर से सासू माँ की तरफ चली गयी.
और जाते जाते मैंने उसे धीरे से कान में कहा- कोई भी बहाना बना कर आज रात यहीं रुक जाओ.
फिर सासू माँ के पास जाकर मैंने उसे ज़ोर से कहा- भैया, स्कूटी को अंदर ही ले आना और चाय भी पी लेना. मैं अभी बनाती हूँ.
और हम अंदर चले गये.
थोड़ी देर के बाद ड्राइवर भी स्कूटी लेकर अंदर आ गया. ससुर जी भी उसके साथ ही थे.
ससुर जी ने अंदर आते ही मुझे आवाज़ लगाते हुए कहा- कोमल बेटा, चाय बाद में बनाना. पहले ड्राइवर साब को खाना खिला दो.
मैं समझ गयी कि ड्राइवर ने ही ससुर जी से खाने की माँग की होगी. और अब वो कोई ना कोई जुगाड़ रात रुकने का भी बना ही लेगा.
मैंने जल्दी से खाना तैयार किया और पहले ड्राइवर और ससुर जी को खाना परोस दिया.
ड्राइवर और ससुर जी साथ में खाना खा रहे थे और साथ ही साथ बातें कर रहे थे.
ड्राइवर ने बातों ही बातों में मेरे ससुर से कहा- सरदार जी, ठंड बहुत हो चुकी है और धुन्ध भी काफ़ी गहरी है. अगर आप बुरा ना माने तो मैं रात यहीं रुक जाऊँ?
उसने कहा- आप मुझे एक कंबल दे दो और मैं अपने ऑटो में ही सो जाऊँगा.
तो ससुर जी ने उसे कहा- कोई बात नहीं! और तुम ऑटो में क्यों ठहरोगे? हमारे घर के पीछे शेड में एक कमरा है, तुम ऑटो भी शेड में लगा लो और वहीं कमरे में आराम से सो जाना.
यह बात सुनकर ड्राइवर खुश हो गया और साथ ही साथ मैं भी खुश हो गयी.
ड्राइवर ने ऑटो अंदर लगाया और शायद में बने कमरे में चला गया.
फिर मैंने और सासू माँ ने खाना खाया. मैं अपने कमरे में चली गयी और लाइट बंद करके सोने का नाटक करने लगी.
सासू माँ और ससुर जी भी अपने कमरे में चले गये. मुझे पता था कि अभी एक आधे घंटे तक वो बातें करते रहेंगे और फिर सो जाएँगे.
तब तक मैंने भी अपने फ़ौजी पति को फोन लगाकर उनसे बात कर ली और फिर मैं ड्राइवर के पास जाने का सोचने लगी.
सेक्सी भाभी की चुदाई की कहानी के अगेल भाग में पढ़ें कि क्या मैं अपनी प्यासी चूत ड्राईवर से चुदा पाई?
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कहानी का अगला भाग: सारी रात ऑटो ड्राईवर से चुदाई-2