बेटे ने मां को चोदा कहानी के दूसरे भाग
में अब तक आपने जाना कि मैंने मां के मुँह में अपना लंड दे दिया था और वे मेरे लंड को चूसने लगी थीं.
अब आगे पढ़ें कि कैसे बेटे ने मां को चोदा:
मैं मां की चुत पर अपनी जीभ फिरा रहा था. उसी के साथ मैं मां की जांघों को भी सहला रहा था.
मां के मुँह से कामुक सिसकारियां निकलने लगी थीं. उनकी चुत से मीठा रस बह रहा था और मैं उसे चाटकर पी रहा था.
मां ने भी जोश में आकर मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया था. अब मैं भी लंड को उनके गले तक डाल रहा था. सच में मुझे बहुत मजा आ रहा था.
फिर मैंने एक उंगली मां की चुत में डाल दी, तो वो एकदम से कसमसा उठीं- आह आह … हर्षद ओह अहाहा … सससह.
मां वासना से भरी सिसकारियां लेने लगी थीं.
फिर मैंने एक साथ मां की चुत में दो उंगलियां डाल दीं और अन्दर बाहर करने लगा. मां की चुत बहुत कसी हुई थी. वो जोरों से आहें भरने लगीं. मां की चुत से झरने की तरह रस बहने लगा था. मैं चुतरस पीते पीते उनका मुँह चोद रहा था.
अब मेरा भी रस निकलने वाला था, तो लंड एकदम कड़क और गर्म हो गया था.
मैं बोला- अदिति मेरा निकलने वाला है.
वो बोलीं- मुँह में ही निकाल दो … मुझे तुम्हारा रस पूरा पीना है.
ये सुनकर मैं मस्त हो गया कि मेरी सौतेली मां मेरे लंड का जूस पीना चाह रही हैं.
मैंने भी अपनी जीभ चुत में अन्दर तक डालकर चूसना शुरू कर दिया था. वो नीचे से अपनी गांड उठा रही थीं. मैंने भी नीचे हाथ डालकर मां की गांड को पकड़ रखा था.
इसी बीच मेरे लंड ने जोर से पिचकारी मार दी. मेरा लौड़ा मां के मुँह में उनके गले तक घुस गया था. मेरा रस सीधा अन्दर जा रहा था और मां लंड चूसकर रस पीती रहीं. उन्होंने आखिरी बूंद तक लंड चूसा.
फिर हम दोनों ही शांत होकर दो मिनट ऐसे ही 69 में पड़े रहे.
इसके बाद मां एक हाथ से मेरे लंड को सहलाने लगीं और दूसरे हाथ से मेरी पीठ और गांड को सहलाने लगीं. मैं भी उनकी चुत पर अपने होंठों को रखकर चूमने लगा, तो वो गर्म सिसकारियां भरने लगीं.
जल्दी ही उन्होंने अपनी टांगें फैला दीं. अब मैं अपनी जीभ को मां की चुत पर नीचे से ऊपर तक फेर रहा था. मैं उनके दाने को जीभ से कुरेद भी रहा था. इससे मां को बहुत जोश आने लगा था. वो अपनी गांड हिलाकर मेरा साथ दे रही थीं.
मैंने अपने दोनों हाथों से उनकी चुत को फैलाया और अपनी जीभ अन्दर तक डाल दी.
वो जोरों से आह भरने लगीं- ओह हर्षद क्या कर रहे हो … बस करो … अब अपना लंड डाल दो मेरी चुत में … आह अब नहीं रहा जाता हाय … अअअहाहा … अं ऊंऊं डाल दो ना!
उनकी चुत से फिर से कामरस बहने लगा था. मैं चुत को अपनी जीभ से चाट रहा था. वो सिसकारियां भर रही थीं और मेरे लंड को जोर से चूसने में लगी थीं.
मुझे भी अब नहीं रहा जा रहा था.
मां बोलीं- हर्षद बेटा, प्लीज डाल दो ना अपना लंड मेरी चुत में जल्दी से … और बरसों की मेरी प्यास बुझा दे.
मैं देर न करते हुए उनकी टांगें बीच बैठ गया. उनकी टांगें फैलाकर मेरे लंड का सुपारा उनकी चुत पर ऊपर से नीचे तक रगड़ने लगा. वो कसमसा उठीं.
मैं लंड का टोपा उनकी चुत की फांकों में ऊपर से नीचे फेरते हुए चुत के दाने पर रगड़ने लगा.
मां तिलमिलाए जा रही थीं. उन्होंने नीचे हाथ डालकर मेरे लंड को पकड़कर कहा- हर्षद … प्लीज जल्दी से इसे डाल दो ना … जल्दी से अन्दर कर दे प्लीज़ … नहीं तो मैं मर जाऊंगी.
मुझसे भी उनकी हालत नहीं देखी जा रही थी. मैंने भी लंड का सुपारा गीली चुत पर रखा और एक जोर का धक्का दे दिया.
अभी मेरा सिर्फ दो इंच लंड ही अन्दर घुस सका था, मगर मां चिल्ला उठीं- ओय ऊंई मर गयी रे … हर्षद हाय अअहह हहऊ ऊ ऊ आहिस्ता डालो ना हर्षद … तेरा लंड बहुत मोटा है … फाड़ डालेगा क्या मेरी चुत को.
मैंने उनके मुँह पर अपना मुँह रखकर उनके होंठों को चूसने लगा. वो भी मेरे होंठों चूस रही थीं.
मैं अपने दोनों हाथों से उनके चूचे मसल रहा था. वो एक दो पल में ही सामान्य हो गईं.
अब मैंने फिर से एक और जोरदार धक्का मार दिया. अबकी बार मेरा आधे से अधिक लंड चुत में घुस गया था. मैं उन्हें चूम रहा था, तो वो चिल्ला नहीं पाईं. लेकिन उनकी आंखों में आंसू आ गए थे. वो रो रही थीं … दर्द को सहन नहीं कर पा रही थीं.
मैं अपना मुँह ऊपर उठाकर बोला- क्या हुआ अदिति … तुम्हारी आंखों में आंसू कैसे हैं?
मां बोलीं- मुझे दर्द हो रहा है हर्षद … मैं पहली बार इतना बड़ा लंड मेरी चुत में ले रही हूँ ना … इसलिए. अब ठीक है तुम करो..
वो मुझे चूमने लगीं.
मैंने भी उनकी कमर को दोनों हाथों से पकड़ कर लंड थोड़ा बाहर निकालकर जोर से धक्का मारा और पूरा लंड चुत में उतार दिया.
मां जोर से चिल्लाईं, लेकिन उनकी आवाज बाहर नहीं आयी. मैंने अपने होंठों से उनका मुँह बद कर दिया था. उनके मुँह से अब बस सिसकारियां निकल रही थीं.
वो बोलीं- हर्षद तुमने तो मेरी चुत फाड़ दी आज … शायद खून निकल गया है.
मैंने नीचे देखा, तो उनके चुत रस के साथ थोड़ा सा खून भी बाहर आया था.
मैंने मां को चूमकर कहा- हां अदिति, सच में खून निकला है. मगर तुम घबराओ नहीं … अब कुछ भी दर्द नहीं होगा. बस अब सिर्फ मजा ही आएगा.
मां बोलीं- हर्षद मैं सभी दर्द सह लूंगी. मैं बहुत खुश हूँ आज. इतना बड़ा लंड मेरी चुत में जाकर मेरे गर्भाशय को छू रहा है.
मैं यह सुनकर जोश में आ गया और उनके मम्मों को चूसने लगा. दूसरे हाथ से दूसरे दूध को रगड़ने लगा.
मां कामुक सिसकारियां लेने लगी थीं. उनके हाथ मेरी पीठ पर और गांड पर फिरने लगे थे. मां नीचे से अपनी गांड हिलाने लगी थीं.
इससे मैं भी समझ गया कि मां का दर्द कम हो गया है.
मैंने अपनी दोनों हाथों में मां के दोनों मम्मे पकड़ कर रगड़ते हुए मोर्चा सम्भाल लिया. मैं अपना लंड अन्दर बाहर करने लगा. मां की चुत रस छोड़ रही थी. उनका गर्म चुतरस मेरे लंड को महसूस हो रहा था.
फिर मैंने उनकी टांगों को अपने हाथ से फैलाया और जोर जोर से धक्के मारने लगा.
मां मस्ती से मादक सिसकारियां निकालने लगीं. अब मां को चुदने में बहुत मजा आ रहा था. वो भी नीचे से गांड उठाकर मेरा लंड अन्दर ले रही थीं.
करीब दस मिनट तक मैं ऐसे ही जोर से चुदाई करता रहा. मां अब फिर एक बार झड़ने लगी थीं. उनकी चुत ने गर्म रस का फव्वारा मेरे लंड पर छोड़कर मेरे लंड नहला दिया … और वो शांत होती चली गईं.
मेरी मां अपने हाथ फैलाए और आंखें बंद करके सिसकारियां लेते हुए आराम से पड़ी थीं. मैं भी उनके दोनों हाथों पर अपने हाथ रखकर उनके ऊपर लेट गया. अपने होंठों को मां के होंठों पर रख दिए.
लेकिन अभी तक मेरा वीर्य नहीं निकला था.
मैं मां से बोला- अब तक का सफर कैसा लगा अदिति?
तो वो मुझे चूमते हुए बोलीं- हर्षद क्या बताऊं तुझे … मैं तो शब्दों में बयान ही नहीं कर सकती. मुझे बहुत मजा आ रहा है … मैं अपनी जिंदगी पहली बार इतने मजे ले रही हूँ. लगता है कि मैं आज जन्नत की सैर कर रही हूँ.
ये सुनकर मैं खुश हो गया. मैं मां से बोला- अदिति अभी मेरा वीर्य नहीं निकला है. मुझे और मजे लेना है … और तुम्हें भी बहुत खुश करना है.
वो हंसकर बोलीं- मैं भी यही चाहती हूँ हर्षद.
वो मुझे चूमने लगीं और नीचे से अपनी गांड ऊपर नीचे करने लगीं.
मुझे भी जोश आने लगा था. मैंने उनकी कमर पकड़कर लंड अन्दर बाहर करके मां को चोदने लगा. मां की चुत गीली होने के कारण अब फच पच पचा फच की आवाज निकलने लगी थीं. साथ में अदिति के मुँह से निकलती मादक सिसकारियों की आवाज से बेडरूम का माहौल रोमांटिक हो गया था.
मैं अपना लंड आधे से ज्यादा बाहर निकालकर जोर से अन्दर डाल रहा था. मां को भी चुदने में मजा आ रहा था. वो भी अपनी गांड उछाल उछालकर मेरा साथ दे रही थीं.
ऐसे ही दस मिनट तक मैं मां को चोदता रहा. वो भी मस्त मजे ले रही थीं और सिसकारियां भी भर रही थीं.
मां बोलीं- हर्षद आह और जोर से चोद दो … मैं फिर से झड़ने वाली हूँ.
वो चौथी बार झड़ने वाली थीं … अब मैं भी झड़ने वाला हो गया था.
मैं जोर जोर से लंड को चुत के अन्दर तक घुसाने लगा. मैंने मां से बोला- हां मेरी जान अब मेरा भी निकलने वाला है … क्या मैं अपना वीर्य अन्दर ही छोड़ दूँ?
मां बोलीं- हां अन्दर ही छोड़ दो … बहुत प्यासी है मेरी चुत, तुम्हारा अमृत जैसा वीर्य पीकर तृप्त हो जाएगी.
मां के ऐसा कहते ही उनकी चुत रस छोड़ने लगी और मैं भी जोर-जोर से धक्के मारने लगा. जैसे ही चार पांच जोर के धक्के मारे, मेरे लंड से निकली वीर्य की पिचकारी उनके गर्भाशय को भरने लगी थी.
मां ने भी मेरे रस को अपने अन्दर जाता हुआ महसूस किया था. वो सिसकारियां भरने लगी थीं. उन्होंने मेरी कमर को अपनी टांगों में जकड़ रखा था. वो अपनी चुत पर दबाव बनाकर रखना चाहती थीं. उन्हें बहुत मजा आ रहा था. मेरा पूरा वीर्य मां की चुत में निकल गया था.
इस तरह से पहली बार बेटे ने मां को चोदा.
मैं झड़ कर मां के ऊपर ही सो गया था. हम दोनों बहुत थक चुके थे. दोनों ही एक दूसरे के बांहों में समा गए थे. मैं अपना सर उनकी गर्दन पर रखकर लेटा रहा. दोनों की गर्म गर्म सांसें तेज चल रही थीं.
दस मिनट तक हम ऐसे ही एक दूसरे की बांहों में जकड़े पड़े थे.
मां आंखें बंद करके निढाल होकर पड़ी थीं. उनके चेहरे पर एक अजीब सी खुशी दिखायी दे रही थी.
मैंने अपने होंठ मां के गुलाबी होंठों पर रख दिए.
तो उन्होंने अपनी आंखें खोल दीं और बोलीं- हर्षद आज मैं पूरी तरह से तृप्त हो गयी हूँ. ये सब तुम्हारे लंड का कमाल है … और तेरा भी. हर्षद आज क्या चुदाई की है तुमने … मैं सोच भी नहीं सकती थी कि तुम एक अनुभवी मर्द की तरह करीब आधे घंटे से ज्यादा समय तक मेरी चुत चुदाई करोगे. थैंक्यू हर्षद … तुमने मेरी बरसों से प्यासी चुत की प्यास आज अपने अमृत से बुझा दी. मैं ये पल कभी नहीं भूलूंगी … आज का ये सुनहरा दिन मेरी जिन्दगी में मुझे हमेशा याद रहेगा. अब हमेशा तुम मुझे ऐसे ही खुशी देते रहना. आय लव यू हर्षद.
मां ये बोलकर मुझे चूमने लगीं.
मैं भी उन्हें आय लव यू टू अदिति बोलकर चूमने लगा.
मेरा लंड सिकुड़कर चुत से बाहर निकल आया था. मां ने मोबाइल की घड़ी देखी, तो छह बज चुके थे.
मां बोलीं- उठो हर्षद … शाम के छह बज गए हैं. आज बहुत देर हो गयी है. कैसे समय निकल गया, पता ही नहीं चला.
मैं उनके ऊपर से उठकर बाजू हो गया. मां उठीं, तो उन्होंने देखा कि उनकी चुत से हम दोनों का रस बाहर बह रहा था. बेड की चादर पूरी गीली हो गयी थी. वो बेड से नीचे उतरीं. मैं भी नीचे उतर गया. उनकी चुत से कामरस अभी भी बहकर घुटने तक आ रहा था.
उन्होंने बेडशीट निकाल कर रख दी और मुझसे बोलीं- चलो बाथरूम में चलते हैं हर्षद.
हम दोनों नंगे ही बाथरूम में गए और साथ में नहाने लगे. मां ने गर्म पानी का फव्वारा चालू कर दिया और मेरे लंड को धोने लगीं. मैं उनकी चुत साफ कर रहा था. तभी मेरा लंड फिर खड़ा होने लगा, तो मैं मां के पीछे गया और उनको अपनी बांहों में भर लिया. मेरा तना हुआ लंड दोनों टांगों के बीच घुसकर चुत को रगड़ने लगा.
मां भी उत्तेजित होकर सिसकारियां भरने लगीं.
मां बोलीं- हर्षद क्या तुम्हारा अभी दिल नहीं भरा? छोड़ दो बस करो.
मैं बोला- नहीं अभी मेरा दिल नहीं भरा अदिति … मैं और सेक्स चाहता हूँ.
वो बोलीं- ओके … पर अभी नहीं हर्षद. तेरे पिताजी सात बजे के बाद कभी भी आ सकते हैं. प्लीज मान भी जाओ हर्षद … हम कल करेंगे. अब तो मैं हमेशा के लिए तुम्हारी ही हूँ ना.
ये सुनकर मैं मां से अलग हो गया और हम दोनों नहाकर नंगे ही अपने रूम में चले गए.
थोड़ी ही देर में हम तैयार हो गए. मैं हॉल में आकर टीवी चालू करके सोफे पर बैठ गया. मां भी साड़ी पहनकर आ गईं.
उसी समय पिताजी भी आ गए.
मां मुझसे मुस्कुरा कर बोलीं- हर्षद, मैं तुम दोनों के लिए चाय बनाकर लाती हूँ.
मैं धीमे से हंस दिया.
दोस्तो, मेरी ये सेक्स कहानी आपको कैसी लगी. आप प्लीज़ बताना जरूर.
मेरा ईमेल पता नीचे लिखा है. आप उस पर मेल कर सकते हैं.
इसके आगे बेटे ने सौतेली मां कैसे को चोदा अगले भाग में लिखूंगा.
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