यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
आज प्रिया का व्यवहार कुछ बदला हुआ सा लग रहा था, पहले तो वो मुझसे बच कर भागती रहती थी, मगर अब वो खुद ही चलकर मेरे पास आ गयी थी. शायद उसको भी ऐसे ही मौके का इन्तजार था और इसलिये ही वो गांव भी नहीं गयी थी. खैर मैं इस बात से खुश था कि मुझे बिना प्रयास के अपनी हर मनोकामना पूरी होती दिख रही थी.
सही में प्रिया ने एक हाथ में दवाई ली हुई थी, उसने मुझे वो दवाई पकड़ा दी और फिर मेरे पास ही खड़ी हो गयी.
“अरे …! मैं इस दवाई की बात थोड़े ही कर रहा था … म मैं …” मैं अभी उससे ये सब बोल ही रहा था.
“तो फिर कौन सी दवाई चाहिये?” प्रिया ने आगे झुक कर हंसते हुए कहा.
उसकी टी-शर्ट का गला तो काफी खुला था ही, उसने ब्रा भी नहीं पहनी हुई थी ऊपर से उसने आगे झुक कर ऐसी अदा के साथ कहा कि मुझे उसकी चूचियों की गहराई अन्दर तक दिखाई दे गयी.
अब तो मुझे यकीन हो गया था कि ये मुझसे चुदने के लिये ही आई है. मुझसे भी अब रहा नहीं गया और मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया, जिससे वो खींचती हुई मेरे पास आ गयी. मैंने उसकी चूचियों की तरफ देखते हुए कहा कि दिन में तो बताया ही था.
“अच्छा जी … खानी है तो चुपचाप ये दवाई खा लो … नहीं तो चिल्लाकर अभी मम्मी को बुला लूँगी.” प्रिया ने हंसते हुए कहा, साथ ही चुपचाप मेरी बगल में बैठ भी गयी.
वो आगे कुछ कहे, उससे पहले ही मैंने उसको अपनी बांहों में भर लिया. मेरी इस हरकत से प्रिया जैसे सिहर सी गई. उसने एक लम्बी सांस लेते हुए मेरे हाथों को पकड़ लिया और उसी अवस्था में बैठी रही.
“अब ये क्या कर रहे हो … नहीं सुधरोगे तुम? मैंने बताया ना कि उस रात दीदी तुम्हारे साथ थीं. ये सब दीदी के साथ ही करना!” प्रिया ने झूठमूठ का गुस्सा दिखाते हुए कहा, मगर मुझे हटाने की कोशिश या फिर मेरा विरोध उसने बिल्कुल भी नहीं किया.
“तो क्या हुआ, मैंने भी तो बताया था कि तुम भी उसकी बहन ही हो, नेहा नहीं तो तुम ही सही.” मैंने उसके गालों पर प्यार से चूमते हुए कहा और धीरे धीरे उसके सुर्ख गुलाबी रसीले होंठों की तरफ बढ़ गया … जो थरथरा से रहे थे.
“अअओय … च्च.छछो …ड़ो …” वो टूटे फूटे शब्दों में बोल ही रही थी कि मैंने अपने होंठ उसके रसीले होंठों पर रख दिए और उसके नर्म नाजुक अधरों को हल्के हल्के चूसने लगा. जिससे प्रिया के होंठों के साथ साथ अब उसकी आंखें भी बंद होती चली गईं.
प्रिया के होंठों को चूमते हुए मैं अपने दोनों हाथों से भी उसकी पीठ व गर्दन को सहलाकर उसे उत्तेजित करने की कोशिश करने लगा. मगर वो तो पहले से ही जोश में थी. प्रिया ने अपने दोनों हाथों से मुझे अपनी बांहों में भर लिया और मुझे अपने करीब खींचने लगी. हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूमते हुए बिल्कुल चिपक गए थे.
मेरे होंठों को चूसते हुए प्रिया के हाथ भी अब मेरे पीठ पर घूमने लगे, जिससे मुझे एक अजीब सा अहसास होने लगा और मेरी पकड़ और भी मजबूत हो गई. मैंने अपना एक हाथ धीरे से आगे लाकर प्रिया की टी-शर्ट के ऊपर से उसके मुलायम अनारों पर रख दिया और जैसे ही मैंने उसकी चूचियों को पकड़ा … तो प्रिया ने मेरे होंठों को अपने दांतों से काट लिया … और “इइईईई …श्श्शशश …” एक हल्की सी सिसकारी के साथ प्रिया ने मुझे अपनी बांहों में और भी जोरों से भींच लिया.
मैंने अब धीरे धीरे उसकी चूचियों को सहलाना शुरू कर दिया और साथ ही उसके होंठों को भी चूसता रहा. उसकी चु्चियां मस्त, ठोस भरी हुई और एकदम कड़क थीं. प्रिया ने ब्रा नहीं पहनी हुई थी इसलिये टी-शर्ट के ऊपर से ही मुझे उसकी ठोस चूचियों का अहसास बहुत ही अच्छे से हो रहा था.
एक तो उसने ब्रा नहीं पहनी हुई थी और दूसरा उसकी टी-शर्ट का गला भी काफी गहरा था, जिसके कारण मुझे उसकी चूचियों की घाटी और उस पर निकले हुए हल्के हल्के काले भूरे रंग निप्पल स्पष्ट नजर आ रहे थे.
मैंने अब उसके होंठों को छोड़ दिया और अपने गीले होंठ उसकी घाटी के ऊपर रख दिए और एक प्यारा सा चुम्बन कर दिया … जिससे प्रिया के मुँह से ‘इइईईई … श्श्शशश … महेश्श्श्श् …’ की सिसकारी सी निकल गयी.
अपने दोनों हाथों से उसकी दोनों चूचियों को मसलते हुए मेरी जीभ भी उसकी चूचियों की दरारों को ऊपर से नीचे तक चाटने लगी, जिससे प्रिया जोश में भर गयी और बड़े मज़े से अपनी आंखें बंद करके मुँह से मादक सिसकारियां निकालने लगी.
अब और ज्यादा बर्दाश्त करना मुश्किल था, मैंने प्रिया की चूचियों को छोड़ कर उसे खुद से थोड़ा सा अलग किया और अपने हाथों से उसकी टी-शर्ट को निकालने लगा, मगर अचानक से प्रिया ने मेरे हाथों को रोक दिया और बिस्तर से उठकर खड़ी हो गयी.
मैंने चौंक कर उसकी तरफ देखा और उससे विनती भरे शब्दों में कहा- क्या हुआ?
उसने इशारे से मुझे दरवाज़े की तरफ दिखाया, तो मुझे होश आया कि मैं भी कितना बेवक़ूफ़ हूँ, दरवाज़ा पूरा खुला हुआ था. गलती से कहीं सुलेखा भाभी आ जातीं और उन्होंने हमें इस हालत में देख तो क्या होता?
मैंने जल्दी से जाकर दरवाजा बंद किया और फिर वापस प्रिया की तरफ लपका. वो अब भी बिस्तर के पास ही खड़ी थी. मैंने उसके पास जाकर जोर से उसकी एक चूची को मसल दिया, जिससे प्रिया कराह उठी और उसने चीखते हुए कहा- उईईइ … मां शैतान … उखाड़ेगा क्या इनको?
मैंने अब खड़े खड़े ही उसे अपनी बांहों में भर लिया और अपने हाथ आगे बढ़ा कर उसकी टी-शर्ट को पीछे से ऊपर करने लगा. मैं उसकी टी-शर्ट को ऊपर करते हुए उसकी चिकनी और गोरी गोरी गर्दन पर अपने होंठों से हल्की हल्की पप्पी दिए जा रहा था.
प्रिया से ये बर्दाश्त नहीं हुआ … उसने दोनों हाथों से मेरे सिर को पकड़कर अपनी गर्दन पर से हटा दिया और मेरे चेहरे को घुमाकर मेरे होंठों को चूसने लगी.
मैंने भी अपनी जीभ बाहर निकाल कर उसके मुँह में घुसा दी, जिसे वो जोरों से चूसने लगी. प्रिया ने मेरे बालों को अपने उंगलियों में पूरा जकड़ लिया था और कस कस कर मेरी जीभ को चूसने लगी. मैंने अपने दोनों हाथों से उसकी टी-शर्ट को उठा रखा था, जिसे मैं बाहर निकल देना चाहता था, मगर वो तो मेरे होंठ व जीभ को चूसने में ही व्यस्त थी.
तभी मैंने अपने हाथों को थोड़ा सा और ऊपर करके उसको इशारा सा किया. प्रिया काफी समझदार निकली, वो मेरे होंठों को छोड़कर मुझसे थोड़ा अलग हो गयी और उसने खुद ही अपनी टी-शर्ट को पूरा बाहर निकाल दिया.
प्रिया ने नीचे ब्रा नहीं पहनी हुई थी इसलिये टी-शर्ट के निकालते ही, अब मेरे सामने दो आज़ाद सफेद कबूतर उछलने लगे. मैं तो बस अब आंखें फाड़ कर उसकी चूचियों को ही देखने में मस्त हो गया.
“देख लो जी भर के … तुम्हारे लिए ही मैंने आज ब्रा नहीं पहनी …” प्रिया ने मेरे सामने खड़े खड़े ही मादक अदा के साथ कहा और हंसने लगी.
मुझसे अब रहा नहीं गया, मैंने हाथ आगे बढ़ा कर उसकी नंगी चूचियों को अपनी हथेली में पूरा भर लिया और जोर से दबा दिया.
“उह्ह्ह्ह … आऐईईइ … धीरे … मार डालेगा क्या?” प्रिया पूरी उत्तेजना में थी. उसने अपना सर इधर उधर करते हुए कहा.
मुझमें अब और सब्र नहीं बचा था इसलिये मैंने अपना मुँह उसकी नंगी चूची के निप्पल पे रख दिया और किशमिश के दाने जैसे उसके छोटे से गुलाबी निप्पल को मुँह में भर लिया जिससे प्रिया ने
“इइईईई … श्श्शशश … अअआह … आह्ह्हहह …” की एक जोर की सिसकारी भरी.
मैंने भी अब पूरे जोश में आकर उसकी चूचियों को चूसना शुरू कर दिया मानो आज ही उनका सारा रस निचोड़ कर पी जाऊंगा. उसकी चूची को चूसते हुए मेरा एक हाथ अब भी उसकी दूसरी चूची पर ही था, जिससे मैं उसकी चूची को मसल भी रहा था.
प्रिया के मुँह से अब निरंतर मादक आवाजें निकलने लगीं, जो मेरा जोश बढ़ाये जा रही थीं … उसकी एक चूची का सारा रस पीने के बाद मैंने अब उसकी दूसरी चूची को मुँह में भर लिया और उसी तरह से चूसने लगा. पहली चूची मेरे चूसने की वजह से पूरी लाल हो गई थी. उस पर मेरे होंठों के निशान साफ़ दिख रहे थे, मगर उसका चूचुक अब कड़ा होकर तन गया था.
मैंने उसकी चूची को चूसते हुए अपने दोनों हाथ नीचे किये और घाघरे के ऊपर से उसके भरे हुए मासंल नितम्बों को सहलाने लगा. तभी मुझे कुछ अजीब सा लगा, मैंने अपने हाथों को और अच्छी तरह से सहला कर देखा तो पाया कि प्रिया ने पेंटी भी नहीं पहनी हुई थी, इसका मतलब था कि वो पूरी तैयारी के साथ ही मेरे पास आई थी.
ये सोचकर मेरा जोश और भी अब बढ़ गया, मैंने अपना एक हाथ उसके घाघरे में घुसा दिया और उसकी चिकनी जांघों को सहलाते हुए धीरे धीरे ऊपर उसकी चुत की तरफ बढ़ने लगा. नर्म मुलायम रेशम के जैसे ही चिकनी और मुलायम थी उसकी जांघें … ऐसा लग रहा था, जैसे कि मैं मक्खन पर ही अपना हाथ चला रहा हूँ.
जैसे जैसे मेरा हाथ ऊपर की तरफ बढ़ रहा था, प्रिया के पैर अपने आप ही अलग होने लगे. मैंने अपने हाथ को उसकी जांघों के बीच सरका दिया और धीरे धीरे ज़न्नत के दरवाज़े की तरफ बढ़ने लगा … जैसे जैसे मेरा हाथ उसकी चूत की तरफ बढ़ रहा था, मुझे कुछ गीलापन और गर्मी महसूस होने लगी. मैं समझ गया था कि ये इतने देर से चल रहे इस चुदाई क्रीड़ा का असर था कि उसकी चूत ने अपना रस बाहर निकाल दिया था.
मुझसे अब और सब्र नहीं हुआ, इसलिये मैंने अब सीधा ही अपना हाथ उसकी चूत पर रख दिया और उसकी छोटी सी नर्म मुलायम चिकनी चूत को अपनी हथेली में भर लिया.
प्रिया तड़प उठी … उसने जोरों से “इईई … श्श्श्शशशश … ओयह्ह्हहह …” की सिसकारी भरते हुए मेरे कंधे पर अपने दांत गड़ा दिए.
आह … क्या गर्म चूत थी उसकी, मानो किसी आग की भट्टी पर ही मैंने अपना हाथ रख दिया हो … मैं अच्छे से उसकी चुत को सहला कर देखने लगा.
बहुत ही चिकनी चुत थी उसकी, एक भी बाल नहीं था उसकी चुत पर, ऐसा लग रहा था … जैसे कि अभी अभी ही उसने बाल साफ किये हों.
तभी मेरे दिमाग में उसकी “तुम्हारे लिये ही दवाई तैयार कर रही थी.” वाली बात आ गयी … ओह … तो ये दवाई तैयार कर रही थी वो मेरे लिये … ये बात मेरे दिमाग में आते ही मैं उत्तेजना से भर गया और मेरी हथेली ने उसकी कमसिन चूत को पूरी तरह से अपनी मुट्ठी में भरकर जोर से मसल दिया.
जिससे ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह… इइईईई … श्श्शशश … ओय्य्येऐऐऐ …’ की आवाज के साथ प्रिया के मुँह से सिसकारी निकल गयी और उसने दोनों हाथों से मेरे हाथ को पकड़ लिया.
मैं उसकी चिकनी चुत को देखने के लिये अब उतावला सा हो गया और जल्दी से अपना हाथ उसके घाघरे से बाहर निकालकर उसके घाघरे को उतारने की कोशिश करने लगा.
मगर घाघरे में ना ही तो रबड़ लगा हुआ था, जिसको मैं खींच कर उतार सकूं और ना ही उसे खोलने के लिये उसमें मुझे कहीं कोई नाड़ा या कोई चैन दिखाई दे रही थी. मैं कोशिश किये जा रहा था … और प्रिया को मेरी इस कोशिश में मज़ा आ रहा था. मुझे अब झुंझलाहट सी होने लगी.
तभी मेरे मुँह में उसकी जो चूची थी, उसे मैंने उसे हल्का सा काट लिया … जिससे प्रिया ‘अआआ … ईईई … ईईईई … ओययय …’ की आवाज के साथ चीख पड़ी और उसने अचानक से मुझे धक्का देकर बिस्तर पर गिरा दिया.
“जानवर कहीं के … यह देख क्या हाल किया है तुमने इनका …”प्रिया ने अपनी लाल हो चुकी चूचियों मुझे दिखाते हुए कहा.
तभी प्रिया अपनी चूचियां छोड़ कर अपने हाथ अपनी बगल में ले गयी और दोनों हाथे से पकड़कर अपने घाघरे का हुक खोल दिया. हुक के खुलते ही घाघरा उसके पैरों से होता हुआ नीचे फर्श पर गिर गया और कमरे में जैसे कि उजाला बढ़ सा गया.
मैंने प्रिया का हाथ पकड़ कर उसे अब बिस्तर पर खींच लिया और वो भी लहराती हुई मेरे सीने से चिपक गयी.
मैंने उसकी कमर को पकड़ कर उसे पीठ के बल सीधा किया और उसके दूधिया गोरे बदन को निहारने लगा.
प्रिया अब बिल्कुल नंगी मेरी बगल में लेटी हुई थी और ट्यूबलाईट की दूधिया रोशनी में उसका बदन किसी संगमरमर की मूर्ति की तरह चमक रहा था. ऐसा लग रहा था मानो उसके गोरे बदन से ही रोशनी फूट रही हो. बिल्कुल चिकना बदन … एक रोयां तक नहीं था उसके बदन पर … तभी मेरा ध्यान उसकी चिकनी चुत ने खींच लिया, जिसको देखने के लिये तो मैं मरा जा रहा था.
मैं तुरन्त खिसक कर नीचे उसकी चुत के पास आ गया और उसकी चुत को ध्यान से देखने लगा. बाल तो क्या एक रोंया भी नहीं था उसकी चुत पर. सही में उसने अपनी चुत के बालों को अभी कुछ देर पहले ही साफ किया था. बिल्कुल छोटी सी, कमसिन और चिकनी चुत थी उसकी और चूत की दीवारें रस से भरी हुई थीं. कामरस से भीग कर उसकी चुत कमरे की रोशनी में चमक सी रही थी.
प्रिया की बहन नेहा की चुत को उस रात मैंने देखा तो नहीं था मगर हाथों से महसूस जरूर किया था. प्रिया की चुत भी उसकी बहन नेहा के जैसी ही लग रही थी बिल्कुल छोटी सी और काफी फूली हुई.
मैंने अपने अँगूठे और उंगली से चुत की फांकों को थोड़ा सा फैलाकर देखा तो उसकी मुनिया की दरार बंद थी, उसे देखकर तो यही लग रहा था कि ये अभी तक कुंवारी होगी … या फिर नहीं भी हो … क्यूंकि उसकी बहन नेहा की चुत भी तो मुझे ऐसी ही लगी थी. मगर वो कुंवारी नहीं थी. प्रिया की तो हरकतें और अदाएं ही उस पर शक करने के लिए काफी थे.
खैर उसकी चुत के रस से भरी फांकों को देखने के बाद मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था. अपने आप ही मेरा सिर अब उसकी दोनों जांघों के बीच झुकता चला गया और मेरे नाक में उसकी चूत की एक मादक सी सुगंध समां गई. उसकी चूत से एक और भी भीनी भीनी खुशबू आ रही थी. मुझे समझते देर नहीं लगी कि ये उसी क्रीम की खुशबू थी, जिससे प्रिया ने अपनी चुत के बालों को साफ़ किया था.
अपना मुँह नीचे करके मैंने उसकी चुत को चूम लिया और जैसे ही मैंने उसे चूमा ‘ओयह्ह्ह …’ कराहते हुए प्रिया ने एक जोर की सांस ली और अपनी कमर को ऊपर हवा में उठा लिया.
मैंने लगातार कई चुम्बन उसकी चूत पर किये और अपने दांतों से हल्का सा काट लिया.
“आईईईई … क्या कर रहा है? दुखता है ना.” कहते हुए प्रिया ने अपनी जांघों को बन्द कर लिया और मुझे अपनी चुत पर से हटाने की कोशिश करने लगी. मगर अब मैं कहां रूकने वाला था, अबकी बार मैंने अपनी जीभ को बाहर निकालकर सीधे उसकी चूत की दरार पर रख दिया. प्रिया को जब मेरी जीभ की गर्मी का अहसास हुआ, तो उसने अपने आप ही अपनी जांघों को खोल दिया.
मैंने भी अब अपनी जीभ को पूरी तरह से बाहर निकाल कर उसकी चूत की दरारों पर ऊपर से नीचे की तरफ सहलाया, जिससे प्रिया का पूरा बदन सिहर गया और उसने ‘इइईईईई … श्श्श्शशश … महेश्श्श्श …’ जोर से सिसकते हुए कहा और मेरे बालों को खींचने लगी.
मैंने अब उसकी चुत की दोनों फांकों के ऊपर से चाटना शुरू कर दिया, जिससे मेरे मुँह में उसकी कमसिन चुत का नमकीन स्वाद घुलने लगा. उसकी चुत की फांकों के ऊपर से चाटते हुए धीरे धीरे मैंने अपनी जीभ को चुत की दोनों फांकों के बीच घुसा दिया और अब चुत की दोनों फांकों के अन्दर के गुलाबी भाग को अपनी जुबान से चाटने लगा.
प्रिया अब जोरों से सिसकियां भरने लगी और उसकी कमर हरकत आ गयी. मैं भी थोड़ा तेज़ी से उसकी चूत को अन्दर तक चाटने और चूसने लगा.
“इईईई … श्श्शशश … आआह्ह्ह … इईईई … श्श्शश … आआह्ह्हह … महेश्श्शश … खा जाओ मेरी चुत को …” प्रिया ने उत्तेजना के जोश में आकर सिसकियां भरते हुए कहा.
प्रिया के मुँह से अचानक ‘चूत’ शब्द सुनकर मैं सन्न रह गया. मुझे यह उम्मीद नहीं थी कि वो इस तरह की भाषा का भी इस्तेमाल करेगी. कसम से दोस्तों, मैंने बहुत सी लड़कियों व औरतें से सम्बन्ध बनाये हैं … मगर आज तक प्रिया के जैसी कोई नहीं मिली थी.
मैं भी अब जोश में आकर जल्दी जल्दी अपनी जीभ चलाने लगा, मेरी जीभ उसकी चुत की दोनों फांकों के बीच ऊपरी भाग से लेकर नीचे उसके गुदाद्वार तक चल रही थी, कभी कभी मैं अपनी जीभ से उसके चूचुक को भी कुरेद दे रहा था … जिससे प्रिया का पूरा बदन झनझना जाता. उसकी चुत पहले ही कमरस से तर थी और अब तो उसमें जैसे बाढ़ ही आ गयी थी.
“ओह्ह्ह्हह … मां … मुझे कुछ हो रहा है महेश्श्श … प्लीज कुछ करो … मैं मरर … जाऊंगी.” प्रिया ने मेरे बाल जोर से खींचते हुए मेरा मुँह अपनी चुत से हटा दिया और मेरी आंखों में देखने लगी.
उसे देखकर ऐसा लग रहा था, जैसे कोई भूखी शेरनी हो. मैंने प्रिया के हाथ पकड़ लिये और वापस अपना मुँह उसकी चूत से लगा दिया … प्रिया को उसके मुकाम तक पहुंचाने के लिये मैंने अब अपना आखिरी दांव चला और अपनी जुबान को नुकीला करके उसके प्रवेशद्वार में घुसा दिया.
जैसे ही मैंने जीभ को चुत के प्रवेशद्वार में घुसाया.
“इ.ईईई … श्श्.शशश … आआह्ह्ह … महेश्श्शश …” प्रिया ने जोरों से सुबकते हुए कहा और अपनी कमर को ऊपर हवा में उठा लिया.
प्रिया की चूत की खुशबू लेते हुए मैंने अब फिर से अपना काम चालू कर दिया. मैं अब उसकी चुत के प्रवेशद्वार के भीतर तक चाटने लगा था, जिससे प्रिया की कमर की हरकत के साथ साथ उसकी आवाजें भी बढ़ने लगी थीं.
प्रिया ने मेरे हाथों से अपने हाथ छुड़ा लिये और दोनों हाथों से मेरे सिर को पकड़कर जोर जोर से अपनी चूत पर रगड़ने लगी … साथ ही साथ वो “इईई.श्श्शश … आआह्ह्हहह … इईईई.श्श्शशश … आआह्ह्ह …” की जोर जोर से सिसकरियां भरते हुए अपनी कमर को भी जल्दी जल्दी ऊपर नीचे करने लगी.
मैंने भी अब एक लम्बी सी सांस अन्दर खींची और तेज़ी से अपनी पूरी जीभ उसकी चूत में डाल कर अन्दर बाहर करने लगा. प्रिया के पांव अब कांपने लगे और वो जोर जोर से “इईईई … श्श्शशश … आआह्ह्ह …” की सिसकियां भरते हुए जल्दी जल्दी अपनी चुत को मेरे मुँह पर घिसने लगी.
फिर तभी अचानक से “आअह्ह ह्ह …. बस महेश्श्शश … अब बस्स्स …” कहते हुए प्रिया का बदन अकड़ गया. उसने अपने दोनों हाथों और जांघों से मेरे सिर को अपनी चुत पर जोरों से दबा लिया और मादकता से आवाजें निकालते हुए अपनी चुत से रह रह कर किस्तों में मेरे मुँह पर ढेर सारा पानी उगलने लगी.
जब तक कि प्रिया की चुत ने अपना सारा रस मेरे मुँह पर नहीं उगल दिया, तब तक वो मेरे सिर को ऐसे ही दोनों हाथों और जांघों से अपनी चुत पर दबाये रही. फिर धीरे धीरे उसकी पकड़ ढीली हो गयी और वो निढाल सी होकर बिस्तर पर ढेर हो गयी.
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कहानी जारी है.