Bhai Bahan Xxx incest कहानी में पढ़ें कि अब्बू अम्मी के बाद मैं और भाईजान ही थे. जवानी में मुझे बॉयफ्रेंड की कमी लगी. भाई को मैं पसंद करती थी. मैंने उनको कैसे उकसाया?
हाई फ्रेंड्स! मेरा नाम कविता है और मैं एक लम्बे अन्तराल के बाद कोई कहानी लिख रही हूं. काफी अरसे से मुझे अन्तर्वासना पर आने के लिए समय नहीं मिल रहा था इसके लिए मैं माफी चाहती हूं.
आज मैं आपको मेरे ही पहचान की एक जवान लड़की की कहानी बताऊंगी. मैं आशा करती हूं कि Bhai Bahan Xxx कहानी आप चाव से पढ़ेंगे, यदि कुछ कमी रह जाये तो मुझे बाद में बता सकते हैं.
जिस लड़की की कहानी मैं बता रही हूं उसका नाम शाकुफ़ा है. आप कहानी को शाकुफ़ा के शब्दों में ही सुनें तो ज्यादा बेहतर होगा.
तो चलिये, शाकुफ़ा की Bhai Bahan Xxx कहानी उसी की जुबानी.
हैलो, मेरा नाम शाकुफ़ा है. मैं छत्तीसगढ़ की रहने वाली हूं. मेरी उम्र 21 साल की है. मेरा फिगर 32-28-32 है. हमारे घर में मैं और मेरे भाईजान ही रहते हैं. मेरे भाईजान की उम्र 24 साल है. मेरे अब्बू अम्मी की मौत हो चुकी है.
अब्बू अम्मी के चले जाने के बाद जायदाद को लेकर परिवार वालों के साथ हमारा बहुत विवाद हुआ. उसके बाद भाईजान ने सारी जायदाद को बेच दिया और मुझे लेकर भोपाल आ गये.
भोपाल में भाईजान की सरकारी नौकरी है. वो बी-ग्रेड अफसर हैं. यहां पर आने के बाद मैंने इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन ले लिया था. अब हम दोनों भाई बहन का इस दुनिया में कोई न था. हम दोनों ही एक दूसरे के लिए सब कुछ थे.
मेरी पढ़ाई अच्छी चल रही थी. मगर अब मैं जवान हो गया थी तो मेरा मन भी विपरीत लिंग की ओर आकर्षित होने लगा था. मुझे एक बॉयफ्रेंड की जरूरत महसूस हो रही थी.
वैसे भाईजान मेरी हर जरूरत का ख्याल रखते थे लेकिन मेरी सभी सहेलियां जिन्दगी के मजे ले रही थीं. जहां मन करता था वहां घूमने के लिए जाया करती थीं. वो लाइफ को खुलकर इंजॉय कर रही थीं. अपने बॉयफ्रेंड्स के साथ खूब मौज मस्ती करती थीं.
मेरा भी मन करता था कि मैं भी अपनी लाइफ को ऐसे ही इंजॉय करूं लेकिन मैं ये सब बात बताकर भाईजान की नजरों में गिरना नहीं चाहती थी.
फिर एक दिन फेसबुक पर मेरी बात कविता आंटी से हुई.
मैंने उनको अपने मन की सारी बात बताई.
वो कहने लगीं कि मुझे कहीं बाहर जाने की जरूरत नहीं है. मैं घर पर रहकर ही अपने भाई के साथ ही हर तरह का मजा ले सकती हूं.
ये सुनकर एक बार तो मैं चौंक गयीं कि ये कविता आंटी ने क्या कहा.
फिर उन्होंने मुझे समझाया कि इसमें कुछ गलत नहीं है.
बात मेरी भी समझ में आ गयी.
उस दिन के बाद से मैंने अपने भाई को पटाना शुरू कर दिया।
एक दिन की बात है कि मैं भाईजान के साथ शॉपिंग करने के लिए गयी. मैं कपड़ों की दुकान पर गयी और भाईजान से पूछा- किस तरह के कपड़े लूं?
भाईजान बोले- जैसे तुझे पसंद हों वैसे ले ले.
उसके बाद मैंने एक शॉर्ट निक्कर और शॉर्ट टॉप ले लिया और पहनकर भाई को दिखाने आई.
मुझे देखकर वो चौंक से गये. भाईजान ने मुझे कभी इस रूप में नहीं देखा था. उस दिन पहली बार मुझे भाईजान की नजरों में हवस दिखाई दी.
भाईजान बोले- ऐसे कपड़े?
मैं बोली- आजकल तो सब पहनते हैं भाईजान.
फिर उन्होंने एक शरारत भरी स्माइल दी और बोले- ठीक है.
उसके बाद मैंने ब्रा और पैंटी ली जो बिल्कुल पोर्न स्टार्स वाली थी. फिर मैंने 5 वन पीस भी ले ली. वो भी इतनी सेक्सी थी कि कोई मुझे देखे तो झड़ ही जाये.
भाईजान बोले- ये क्यूं ली?
मैं बोली- घर में पहनने के लिए ली हैं.
भाईजान बोले- ठीक है.
फिर हमने रेस्टोरेंट में लंच किया और वापस घर आ गये. घर आकर मैंने बारी बारी से सारे कपड़े भाईजान को पहनकर दिखाये. मुझे अलग अलग सेक्सी ड्रेस में देखकर भाईजान का लंड उनके बॉक्सर में पूरा तंबू बना चुका था.
भाईजान बोले- तू बड़ी हो गई है अब शाकुफ़ा.
मैं बोली- नहीं भाईजान. आपके सामने तो मैं बच्ची ही हूं.
फिर मैं मुस्करा कर चली गई और किचन में चाय बनाने लगी. फिर मैंने भाईजान को चाय दी.
अपनी चाय खत्म करके मैं रूम में आ गयी और भाईजान के लंड के बारे में सोचकर अपनी चूत में उंगली करने लगी. मैंने अपनी चूत में उंगली करके अपनी चूत का पानी निकाला और फिर उसको उंगली से चाट कर साफ किया. उसके बाद मैं थक कर सो गयी.
देर शाम को उठी तो मैंने भाईजान को रूम में से ही कॉल किया कि वो बाहर से कुछ खाने के लिए ले आयें.
वो बोले- ठीक है, मैं लेकर आता हूं.
मैं भाईजान के आने से पहले तैयार होने लगी. नहा धोकर मैंने एक लाल रंग की स्लीवलेस नाइटी पहन ली जो मेरे घुटने तक आ रही थी. फिर मैं चेयर में बैठ गयी. मैंने एक पैर दूसरे के ऊपर चढ़ा लिया था.
मेरी गोरी नंगी जांघें भाईजान के सामने थीं और मुझे देखकर उनका मौसम बन रहा था. बार बार भाईजान की नजर मेरी टांगों के बीच में ही जा रही थी.
मैं बोली- क्या हुआ भाईजान?
तो बोले- कुछ नहीं, यही सोच रहा था कि तू कितनी जल्दी बड़ी हो गयी है.
मैं बोली- मुझसे बड़े आप हो, तो आप बार बार ऐसा क्यूं बोल रहे हो?
भाईजान बोले- अब तेरे लिए कोई लड़का ढूंढ़ना पड़ेगा शादी के लिए. अगर कोई हो तेरी नजर में तो बता दे.
मैं बोली – अभी तो जिंदगी शुरू भी नहीं हुई और शादी? नहीं भाईजान, आप तो मुझसे भी बड़े हो, तो पहले आप करो ना?
इस पर भाईजान बोले- अरे भले ही मैं उम्र में बड़ा हूं पर शरीर से तू मुझसे भी बड़ी लग रही है।
मैं बोली- मतलब? मैं समझी नहीं भाईजान.
वो बोले- कुछ नहीं.
फिर भाईजान बोले- बता कोई बॉयफ्रेंड हो तो तेरा?
मैं बोली- कोई नहीं है. आपकी कोई गर्लफ्रेंड हो तो बताओ?
भाईजान बोले- तेरी फिक्र है इसलिए मैंने कोई लड़की नहीं देखी.
मैंने कहा- भाईजान, मैंने भी आपकी खातिर कोई लड़का नहीं देखा. कहीं मैं आपकी नजरों में गिर न जाऊं.
उन्होंने कहा- क्यूं? आजकल तो ये सब नॉर्मल है.
मैं बोली- लेकिन आपने भी तो गर्लफ्रेंड नहीं बनाई?
फिर वो बोले- अच्छा, तो ये बता कि तुझे कैसा लड़का चाहिए?
मेरे लिये ये अच्छा मौका था क्योंकि भाईजान की नजर मेरे बूब्स पर ही टिकी थी.
मैंने कहा- मगर भाईजान ऐसा लड़का मिल ही नहीं सकता.
वो बोले- तू बता तो सही, मैं कसम खाता हूं कि मैं वैसा ही लड़का लाऊंगा तेरे लिये.
मैं बोली- मगर उससे पहले मुझे आपसे कुछ पूछना है.
वो बोले- हां पूछ.
मैंने कहा- आज जब से मैं आपको अपनी नयी ड्रेस पहन कर दिखा रही हूं तब से ही आप मुझे ऐसे क्यों देख रहे हो?
वो बोले- बस, तेरी सुंदरता को निहार रहा हूं. काश, मेरी बीवी भी ऐसी ही सुंदर हो. अब तू ये बता कि तुझे कैसा लड़का चाहिए?
मैंने कहा- जैसे आपको मेरे जैसी लाइफ पार्टनर चाहिए, वैसे ही मुझे भी आप जैसा लड़का चाहिए.
वो ये सुनकर कुछ उदास हो गये और बोले- ऐसा तो नहीं मिल सकता है.
मैं बोली- भाईजान आपने कसम खाई है, आप मुझे वैसा ही लड़का दोगे.
वो कुछ नहीं बोल रहे थे. फिर मैं उठकर उनके पास गयी और उनको गले से लगाकर कहा- आप टेंशन न लो भाईजान.
वो बोले- टेंशन कैसे न लूं? तुझसे वादा भी तो किया है मैंने.
मैं बोली- फिर आप ये बताओ कि मुझमें ऐसा क्या है जो आपको मेरे जैसी ही लड़की चाहिए?
वो बोले- तुझमें सब कुछ है.
मैं बोली- तो फिर आप में भी सब कुछ है.
इतना कहकर मैंने भाईजान को अपनी बांहों में ले लिया और उनको आई लव यू बोलकर उनके होंठों पर होंठों को रख दिया.
मैं भाईजान को किस करने लगी.
तो वो बोले- ये क्या कर रही है शाकुफ़ा?
मैं बोली- आपने कसम दी थी कि मुझे वैसा ही लड़का लाकर दोगे. मैं वही कर रही हूं.
मैंने फिर से भाईजान के लिप्स को चूसना शुरू कर दिया और उनके हाथ अपने बूब्स पर रखवा लिये. वो भी मेरे होंठों को चूसने लगे. फिर मैंने अलग होकर अपनी नाइटी उतार फेंकी और भाईजान के जिस्म से चिपक गयी.
अब मैंने भाईजान के बॉक्सर के अंदर हाथ डाल लिया और उनके लंड को सहलाने लगी. भाईजान ने भी मेरी पैंटी में हाथ डाल लिया और मेरी चूत को सहलाने लगे. धीरे धीरे मेरी चूत गीली होना शुरू हो गयी थी.
फिर मैंने उनके बॉक्सर और फ्रेंची को एक साथ नीचे खींच दिया. उनका लंड पूरा तना हुआ था. फिर मैं झट से नीचे आई और उनकी टांगों के बीच में बैठकर भाईजान के लंड को मुंह में ले लिया और चूसने लगी.
भाईजान भी जोश में आ गये और आह्ह … आह्ह … करते हुए सिसकारियां लेने लगे. मैं भाईजान के लंड के सुपाड़े को जीभ से चाटकर चूस लेती और भाईजान बहुत जोर से सिसकारने लगते.
इस तरह कभी लंड और कभी आंड चूस चूस कर मैंने भाईजान को पागल कर दिया. फिर उन्होंने मुझे खड़ी कर लिया और जोर से मेरे होंठों को चूसने लगे. अब वो पूरे जोश में आ गये थे.
अब भाईजान भी मुझ पर टूट पड़े. मेरे गालों, गर्दन और बूब्स को जोर जोर से किस करने लगे. मैं भी और ज्यादा गर्म होने लगी. वो मेरी चूचियों की निप्पलों पर जीभ से फिराकर चूस रहे थे और मैं जैसे सातवें आसमान में उड़ रही थी.
फिर वो पेट पर चाटते हुए नाभि पर आ गये और मेरी नाभि में जीभ डालकर चूसने लगे. मेरे पूरे जिस्म में सिरहन होने लगी और मैं भाईजान को प्यार करने लगी. उनके बालों को सहलाने लगी.
उन्होंने मुझे सोफे पर बिठाया और अब वो चाटते हुए मेरी चूत तक आ गये थे. फिर अपनी उंगली से चूत को फैलाया और फिर मेरी चूत में जीभ देकर चाटने लगे. वो मेरी कली जैसी चूत को जीभ से चाटने लगे और मैं पागल होने लगी.
मेरे मुंह से जोर जोर से सिसकारियां निकलने लगीं- आह्ह … स्स् … ओह्ह … भाईजान … उफ्फ … ऐसे न करो … आअहह … आईई … अम्म … आह्ह … भाईजान … आई लव यू भाईजान … आह्ह … मैं झड़ने वाली हूं.
वो बोले- झड़ जा, मुझे भी तेरी चूत का अमृत पीना है.
फिर एकाएक मेरी चूत से पानी छूट पड़ा और मैं जोर से झड़ने लगी.
भाईजान ने मेरी झरती चूत में मुंह लगा दिया और मेरी चूत का सारा रस पी गये.
फिर वो मेरी जांघों को चाटने लगे और मैं मछली के जैसे तड़पने लगी.
मैंने उनको ऊपर खींचा और अपने नीचे गिरा लिया. उनकी बनियान को खींचकर निकाल दिया. भाईजान अब पूरे नंगे हो गये थे. मैंने उनको बेतहाशा चूमना शुरू कर दिया.
उनकी गर्दन, छाती और पेट से चूमते हुए मैं नीचे लंड तक पहुंच गयी. उनके बदन पर आये पसीने को चाटने में मुझे बहुत मजा आ रहा था. मैंने भाईजान के लंड को मुंह में लिया और चूस चूसकर पूरा गीला कर दिया.
फिर मैंने उनके लंड को अपनी चूत के छेद पर रखा और नीचे बैठने लगी तो मेरी जान निकल गयी. मेरी कुंवारी चूत को फाड़ता हुआ भाईजान का लंड अंदर घुसने लगा और दर्द के मारे मेरी जान निकलने लगी.
मैं भाईजान के लंड पर से उठना चाहती थी लेकिन उन्होंने मुझे पकड़ लिया और धीरे धीरे लंड को अंदर जाने दिया. मैं दर्द से तिलमिलाने लगी तो भाईजान ने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और मेरे होंठों को चूसने लगे.
धीरे धीरे उन्होंने रुक रुक कर पूरा लंड मेरी चूत में घुसा दिया. फिर कुछ देर रुके रहे और फिर धीरे धीरे मुझे हिलने को कहा. मैं उनके लंड पर आगे पीछे हिलने लगी और वो मेरी चूचियों को मसलने लगे.
मुझे मजा आने लगा और कुछ ही देर में मैं भाईजान के लंड पर उछल रही थी. वो भी अब मुझे ऊपर नीचे करके चोदने लगे थे.
अब तो मुझे बहुत मजा आने लगा और मैं आह्ह … आह्ह … की आवाजें करते हुए भाईजान के लंड से चुदने लगी.
ऐसा लग रहा था जैसे कि हम भाई-बहन नहीं बल्कि बॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड हैं. हम दोनों Bhai Bahan Xxx फुल इंज़ॉय कर रहे थे. मुझे चुदवाने में मजा आ रहा था और भाईजान को चोदने में.
कुछ देर ऐसे ही चोदने के बाद भाईजान ने मुझे उठा दिया.
फिर मेरी गांड के नीचे तकिया रखा और मेरे ऊपर आकर मेरी चूत में लंड पेल दिया.
एक ही बार में जोर का शॉट मारा और पूरा लंड मेरी चूत में घुसा दिया. मैं फिर से चीखने लगी लेकिन इस बार वो नहीं रुके और मुझे चोदने लगे.
दो मिनट बाद मैं भी फिर से मस्त हो गयी और जोर जोर से सिसकारते हुए कहने लगी- आह्ह … कमॉन बेबी … आह्ह … फक मी (चोदो मुझे) … आ्हह … लव यू भाईजान.
वो मुझे जोर जोर से चोद रहे थे और मेरे बूब्स भी भींच रहे थे. मैं तो जैसे जन्नत में थी. चुदने में बहुत ज्यादा मजा आ रहा था. ऐसा मन कर रहा था कि रात भर चुदती रहूं भाईजान के लंड से. मैं गांड उठा उठाकर चुदवा रही थी.
हम दोनों की सिसकारियों से पूरा कमरा गूंज उठा था. अब भाईजान की स्पीड बहुत तेज हो गयी थी. शायद वो झड़ने वाले थे.
मैंने कहा- भाईजान, माल निकलने वाला है क्या?
वो बोले- हां, बस आने वाला है … आह्ह … तेरी चूत में ही निकालूंगा डार्लिंग।
मैं बोली- नहीं, मेरे मुंह में निकालना. मैं आपका माल पीना चाहती हूं.
फिर उन्होंने अपने लंड को चूत में से बाहर निकाला और मेरे मुंह में दे दिया. मैं जोर जोर से लंड को चूसने लगी. कुछ ही पल के बाद भाईजान के लंड से रस की पिचकारी निकली और रस मेरे मुंह में जाने लगा.
भाईजान के लंड का टेस्टी जूस मैंने पी लिया. मुझे बहुत मजा आया. मैंने चूस चूसकर भाईजान का लंड साफ कर दिया. हम दोनों शांत होकर लेट गये. काफी थकान हो रही थी.
मैंने देखा कि मेरी चूत फट गयी थी और चुदाई वाली जगह पर कुछ खून टपक गया था. फिर मैंने उठकर चूत साफ की और भाईजान भी फ्रेश होकर आ गये.
हम दोनों काफी थक गये थे इसलिए हम वैसे ही नंगे सो गये.
उस दिन के बाद से भाईजान के साथ मेरी चुदाई शुरू हो गयी. मैं बहुत खुश रहने लगी. जब भी मेरा मन करता मैं भाईजान का लंड पकड़ लेती थी और चुद कर शांत हो जाती थी.
मैं अपनी बात को यहीं खत्म करती हूं. मेरी स्टोरी पढ़ने के लिए आप सभी का शुक्रिया.
तो दोस्तो, ये थी शाकुफ़ा की पहली चुदाई की स्टोरी. आपको उसकी Bhai Bahan Xxx कहानी कैसी लगी मुझे मेरी ईमेल पर बतायें. आप नीचे दी गयी ईमेल अपने मैसेज भेजें.
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