दोस्तो, मेरा नाम सिंधू है. मैं यूपी का रहने वाला हूं. काफी दिनों से सोच रहा था कि आप सबके साथ अपनी कामुक स्टोरी हॉट भाभी की साझा करूं.
तो आज मैं आपको अपनी सेक्स स्टोरी बताने जा रहा हूं.
ये तब की बात है जब मैं नोएडा में एक संस्थान में पब्लिक रिलेशन ऑफिसर के पद पर था.
मैं उस समय वहाँ सेक्टर-23 में अकेला रहता था. बीवी-बच्चे यूपी में मेरे गांव में रहते थे.
उन दिनों मैं अपनी सेक्सुअल लाइफ में बहुत तनाव में रहता था. बहुत दिनों से बीवी की चुदाई करने को नहीं मिली थी.
दूसरे आप जानते हैं कि एन सी आर में तो गर्म और सेक्सी चूतों की भरमार है. एक से बढ़कर एक चूत दिखाई देती थी.
उनको देखकर रोज मेरा दिमाग खराब हो जाता था.
जिस अपार्टमेंट में रहता था वहां ऊपर भी कई कपल रहते थे. अपार्टमेंट में रहने वाली भाभियां भी मिनी कैपरी में दिख जाया करती थीं.
उन सेक्सी भाभियों को देखकर मन करता था कि इन्हीं की चुदाई करके अपनी प्यास बुझा लूं.
मगर ये बात तो बस ख्यालों में ही थी. रियल में ऐसा हो पाना संभव नहीं था.
मेरे संस्थान में मेरे पास कई लोग एडमिशन के लिए आते रहते थे.
एक बार एक औरत अपने बेटे के लिए मुझसे मिलने आई.
वो काफी परेशान लग रही थी. उसके पास पैसे कम थे.
उसने मुझसे अपनी परेशानी बताई.
मैंने उसके लिए कंपनी की पॉलिसी के हिसाब से फीस कम करवा दी.
मगर उसको फीस में और ज्यादा छूट चाहिए थी.
अब मैं उसकी ओर गौर से देखने लगा.
उसकी हाइट 5 फीट और 5 इंच थी. उम्र 35 की लग रही थी लेकिन वो बाद में 45 की निकली.
उसी ने मुझे बाद में उम्र बतायी थी.
उसका रंग गोरा था. शरीर से दुबली पतली थी. कमर छरहरी और दूध की पहाड़ी करीब 32डी की थी.
उसकी गांड का साइज भी लगभग इतना ही था.
उसने अपना नाम कंचन बताया.
कंचन भाभी को देखते ही मेरा मन बेईमान सा हो उठा.
फिर मैंने उससे उसकी समर्थता पूछी तो उसने बताया कि वो कितनी फीस दे सकती है.
उसने जो फीस बताई उसके हिसाब से तो उसके बेटे को पेपर देना पड़ रहा था. मैंने ये बात उसको बताई.
फिर वो कहने लगी कि उसका बेटा पढा़ई में कमजोर है. अगर कोई और तरीका है तो बताओ.
उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और विनती करने लगी.
मुझे तो लगा जैसे मैंने फूलों के गुलदस्ते में हाथ डाल दिया है, इतने कोमल हाथ थे उसके.
मैं बोला- कंचन जी, इस समय तो मैं व्यस्त हूं. मैं आपसे विस्तारपूर्वक नहीं बात कर पाऊंगा. हां, अगर आप एक घंटे के बाद सीसीडी में मिलें तो मैं आपसे खुलकर बात कर सकता हूं.
वो मान गयी और मेरा नंबर लेकर चली गयी.
फिर मुझे थोड़ा लेट हो गया और डेढ घंटे के बाद उसका कॉल आया.
उसने थोड़े अपनेपन से मुझे डांटा और बोली- मैं कब से आपका इंतजार कर रही हूं. कब आओगे?
मैं बोला- बस अभी आया कंचन जी.
मैंने तुरंत गाड़ी निकाली और जल्दी से सीसीडी पहुंच गया. लेट होने के लिए मैंने उसको सॉरी बोला.
फिर हम लोग बातें करने लगे.
वो अपने बेटे का एडमिशन कोचिंग संस्थान में करवाना चाहती थी. उसका बेटा पढ़ाई में कमजोर था. इसलिए वो मुझे पर दाखिले में मदद के लिए दबाव डालने लगी.
मैं भी उसको मना नहीं कर पाया और मैंने उसको कहा कि अगले दिन वो मुझे फोन करे.
फिर उसके बाद हम कॉफी पीकर वहां से आ गये.
उसी रात में उसने मैसेज कर दिया. फिर हम दोनों की चैट पर बात होने लगी. व्हाट्सएप पर उसने जो फोटो लगाई थी मैंने उसकी तारीफ की.
उसके बाद हमारी कुछ देर बातें हुई और मैं उसको गुड नाइट बोलकर सो गया.
अब अगले दिन उसके मैसेज का मैं काम की वजह से रिप्लाई नहीं कर पाया.
शाम चार बजे उसका कॉल आ गया.
वो मुझसे फिर अपने लड़के के एडमिशन के लिए कहने लगी.
मैंने फिर उसको मिलने बुलाया मगर अबकी बार अपने घर पर आने के लिए कहा.
मुझे थोड़ा डर लग रहा था कि कहीं वो इस बात को लेकर कुछ पंगा न पैदा कर दे क्योंकि किसी औरत को अपने घर बुलाना बहुत रिस्क वाली बात होती है.
मगर उसने ऐसा कुछ नहीं किया और पता पूछकर मेरे घर आ गयी.
शाम पांच बजे उसने दरवाजा खटखटाया और मैं दरवाजा खोलते ही उसके बदन की खुशबू में खो गया.
मेरे नथूनों में आ रही उसके जिस्म की खुशबू से मेरा लंड तुरंत खड़ा हो गया. मैं खुद पर काबू नहीं कर पा रहा था.
उस दिन उसने नीले रंग की साड़ी और लो-कट बैकलेस ब्लाऊज पहन रखा था. उसकी चूचियाँ जैसे बाहर आने को हो रही थीं.
उसके लाल होंठों पर गुलाबी लिपस्टिक, उसकी छिदी हुई नाक, घुटनों तक लंबे बाल और उसकी वो मादक काया.
मैं तो जैसे होश खो बैठा था. मैं जैसे उसमें खो सा गया.
वो बोली- कहां खो गये आप?
मुझे होश आया और मैंने उसको अंदर आने के लिए कहा.
दोस्तो, मैं उसकी सुंदरता पर मंत्रमुग्ध हो गया था.
जैसा कि मैं अपने अपार्टमेंट में अकेला रहता था इसलिए मेरे पास एक सोफा कम लांचर था, जिस पर मैं सोता था. कंचन ने मेरे अपार्टमेंट में चारों ओर देखा और फिर लांचर पर बैठ गई.
मैंने उसे चाय-पानी की पेशकश की जिस पर वह आसानी से सहमत हो गयी.
गर्मी का समय था तो उसे बुरी तरह से पसीना आ रहा था.
मुझे उसके बारे में बुरा लगा कि मैंने उसको गर्मी में परेशान कर दिया.
फिर मैंने ए.सी. ऑन कर दिया.
कुछ ही मिनटों के अंदर उसका पसीना सूख गया. वो अब थोड़ी फ्रेश दिख रही थी.
अब हम उसके बच्चे के बारे में बातें करने लगे.
जब उसने अपने बच्चे के प्रवेश के बारे में पूछा तो मैंने उससे कहा कि एक तरीका है, लेकिन उसे मुझसे वादा करना होगा कि मैं जो भी उसे बताऊं वह केवल हम दोनों के बीच होना चाहिए.
वह आसानी से इसके लिए सहमत हो गई.
तब मैंने उसे एक प्रश्न-पत्र और उत्तर पुस्तिका दी और उसे यह कहा कि वह अपने बच्चे को दे दे.
वह खुश हो गई और मुझे धन्यवाद दिया और फिर वह अपने घर के लिए रवाना हो गई.
अगले दिन उसके बेटे ने परीक्षा दी और पूरी छात्रवृत्ति प्राप्त की.
वह बहुत खुश थी और मुझे व्हाट्सएप पर एक थैंक्यू का संदेश भेजा.
मैंने एक स्माइली भी भेजी और अपने काम पर वापस चला गया.
अगले दिन वो दोपहर में मेरे ऑफिस आई.
मैं अकेला था और स्टाफ लंच पर था.
उसने मदद के लिए मेरा धन्यवाद दिया और हमारी संस्था में उसके बच्चे को भर्ती कराया.
ऑफिस से निकलते समय उसने इधर-उधर देखा और फिर मेरे करीब आकर मुझे गले से लगा लिया.
मैं चकित था और मेरे लिंग में एक कसाव सा आ गया था.
कंचन ने भी मेरे लिंग में आये अचानक तनाव को महसूस किया और मुझे एक शरारती मुस्कान दी.
मैंने शर्मिंदा महसूस किया और उसे विदा बोला.
उसके जाने के बाद तो मेरा लंड पूरा ही तन गया था.
फिर उस दिन शाम को लगभग 5 बजे मुझे कचंन का संदेश मिला कि वह मुझसे तुरंत मेरे अपार्टमेंट में मिलना चाहती है.
मैंने उसे मैसेज किया कि मै थोड़ा व्यस्त हूं और आज नहीं मिल सकता.
मुझे उसने तुरंत फोन किया.
वह कहने लगी कि वह तुरंत मिलने के लिए तैयार है.
मैंने सोचा कि जरूर कुछ खास बात है. मुझे ये मौका गंवाना नहीं चाहिए. फिर मैंने उसको हां कर दी.
मैं अपने अपार्टमेंट में पहुँच गया और उसका इंतजार करने लगा.
वह 10 मिनट पहले ही आ पहुंची और दरवाजा खटखटाया.
मैंने गेट खोला और उसे अंदर बुलाया.
जब वह अंदर आई तो मैं उसकी सुगंध सूँघ सकता था.
उसने टाइट ब्लू मिनी स्कर्ट और हरे रंग का टैंक स्लीवलेस टॉप पहना हुआ था.
स्पष्ट रूप से पता चल रहा था कि उसने नीचे ब्रा नहीं पहनी है.
मेरा लिंग उसे देखते हुए फिर से खड़ा हो गया.
कंचन भाभी ने मेरे चेहरे और फिर लिंग को देखा और एक शरारती मुस्कान दी.
मैं समझ गया कि वो कुछ सेक्सी प्लान करके आई है आज.
फिर उसने मेरे लॉन्चर पर बैठते हुए अपने पैर मोड़ लिए.
उसकी चिकनी जांघें और पिंडलियां एकदम से चमक रही थीं. मैं सोच रहा था कि इसकी जांघें इतनी चिकनी हैं तो चूत कितनी मस्त होगी.
मुझे खुद को काबू में रखना मुश्किल हो रहा था. बस मन कर रहा था कि उसके ऊपर चढ़ जाऊं.
फिर मैंने उससे पूछा कि ऐसे अचानक मिलने का कारण?
वो बोली- एडमिशन फॉर्म में कुछ गड़बड़ी हो गयी है. उसी के बारे में बात करने आई हूं.
मैंने कहा- तो इतनी सी बात थी? इसके लिए तो आप मेरे ऑफिस में आ जातीं?
उसने कहा- अगर मैं बार बार ऐसे आपके ऑफिस में जाऊंगी तो आपके साथियों और स्टाफ को शक हो जायेगा.
उसकी बात पर मैं हैरान था कि जिस बात के बारे में मैंने नहीं सोचा वो पहले से ही सोचकर बैठी थी.
कंचू भाभी थी तो चालाक औरत, अब मुझे समझ में आ गया था.
मैं बोला- तो कहिये, पहले कुछ चाय-पानी लेंगी या काम की बात करें?
वो बोली- चाय हो जाये, काम तो चलता ही रहता है.
कहकर उसने एक कातिल सी मुस्कान दी.
फिर मैं उसके लिए रसोई में चाय बनाने के लिए चला गया.
मेरा लंड पूरा तना हुआ था और अलग से दिख रहा था पैंट में.
दो मिनट के बाद वो भी किचन में ही आ गयी.
उसकी खुशबू से मेरे लंड में अब झटके लग रहे थे.
चाय बनाते समय जब मैं अलमारी से चाय की पत्ती निकाल रहा था तो कंचन ने अपनी अंगूठी ठीक मेरे सामने गिरा दी और फिर उसे लेने के लिए झुकी.
जैसा कि मैं ऊपर देख रहा था कि चाय की पत्ती निकालते समय मेरा लिंग खड़ा हो गया था और अचानक मुझे लगा कि कोई मेरे लिंग को दबा रहा है.
एकदम से मैं परमानंद में कांप गया और जब मैंने नीचे देखा तो मैंने पाया कि कंचन फर्श पर अपने घुटनों के बल बैठी थी और मेरे लिंग की नोक को सूंघ रही थी.
मेरे मुंह से कांपते स्वर में एक वाक्य निकला- क्या कर रही हो कंचन ये?
वो बोली- आप बस चाय बनाओ, मैं जो कर रही हूं, मुझे करने दो.
मैं जान गया कि ये आज पूरे मूड में है.
फिर मैं चाय बनाने लगा और उसने मेरे लंड को पैंट के ऊपर से सहलाना शुरू कर दिया.
उसके कोमल हाथों की पकड़ मेरे लंड में दोगुना जोश भर रही थी.
उसने मेरे लंड को पूरा तान दिया.
मेरे लंड की नसों में जैसे घोड़े सी ताकत आ गयी थी और बुरी तरह से फनफनाने लगा था.
फिर कंचन ने मेरी जिप खोल ली और अंदर पैंट में हाथ देकर मेरे लंड को अंडरवियर के ऊपर से पकड़़ लिया.
मेरी गांड अब धीरे धीरे आगे पीछे हिलने लगी थी.
उसके बाद उसने मेरे लंड को बाहर ही निकाल लिया.
मेरे काले लंड के नीचे छोटे छोटे बाल थे और उसने मेरी गोटियों को भी चेन के बाहर ही कर लिया था.
फिर उसने कुछ ऐसा किया कि जिससे मेरी रूह तक उत्तेजना का झोंका जा लगा.
उसने मेरे लिंग के सुपारे की चमड़ी को प्यार से पीछे खींच दिया और मेरा टोपा नंगा हो गया. वो एकदम से टमाटर की तरह फूलकर बाहर आ गया. पूरा चमक रहा था.
फिर कंचन ने अपनी उंगली मेरे लिंग के अग्र भाग में डालनी शुरू कर दी. कभी वह लिंग के सामने के भाग की मालिश करती और कभी उसे जीभ से चाटती.
मेरा यौन सुख मेरे काबू से बाहर हो रहा था और चाय बनाना मुश्किल हो रहा था.
मैंने उससे रुकने का अनुरोध किया लेकिन उसने उसकी बात मानने का आदेश दिया.
किसी तरह मैंने चाय बनाई और उसे दो कप में डाला.
इस दौरान कंचन ने मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया था और मेरी गेंदों की मालिश कर रही थी.
मैंने उसे बताया कि मैं स्खलित होने वाला हूं.
इतना कहने पर भी वह नहीं रुकी और जब उसे लगा कि स्खलन हो रहा है तो उसने मेरे सारे शुक्राणु चूस लिए और मेरे लिंग को साफ कर दिया.
दस्तो, उसने एक पेशेवर की तरह मेरा लिंग चूसा.
मेरा यौन सुख इतना अधिक था कि मुझे अभी भी याद है.
फर उसने उठकर मेरी पैंट का बटन लगाया. फिर उसने चाय का कप लिया और पीने लगी.
उसने पूछा- सिंधु सर, आपको मजा आया?
मैंने कहा- हां.
उसने मुझे एक कातिल मुस्कान दी.
फिर हम बाहर आ गये. हम दोनों लॉन्चर पर बैठे थे और चाय पी रहे थे.
चाय खत्म की तो मैंने कहा कि मैं पेशाब करने के लिए वॉशरूम जा रहा हूं, तुम यहीं बैठो जरा.
वो बोली- मैं आपको पेशाब करते हुए देखना चाहती हूं.
मैं उसकी बात सुनकर हैरान था.
उसने शर्म की सारी दीवारें लांघने का मन बना रखा था शायद.
मैं एक बच्चे की तरह उसकी बात मानता चला जा रहा था.
वो उठकर मेरे पीछे पीछे आने लगी. मैं टॉयलेट में गया और अपनी पैंट की ज़िप खोल दी और लंड को बाहर कर लिया.
चूंकि पहली बार किसी के साथ ऐसा कर रहा था इसलिए मेरा पेशाब उतरने में समय ले रहा था.
मैंने अभी तक इस तरह का अनुभव नहीं लिया था कि मेरा लंड मेरे हाथ में हो और कोई मुझे पेशाब करते हुए देखे.
फिर भी मैं लंड को निकाले खड़ा रहा. थोड़ी देर के प्रयास के बाद मेरे लंड से मूत्र की धार निकलनी शुरू हुई.
कंचन मेरे लंड के टोपे पर ही नजर गड़ाये हुए थी.
पशाब करते करते मेरे लंड में फिर से तनाव सा आना शुरू हो गया था.
मैं आंखें बंद करके मूतने लगा.
जब सारा पेशाब निकल गया तो कंचन एकदम से नीचे जा बैठी. मेरे लिंग से पेशाब की बूंदें टपक रही थीं और कंचन ने मेरे लिंग को मुंह में ले लिया.
वो मेरे पेशाब की बूंदों को चूस कर साफ करने लगी.
मेरे लिंग के टोपे पर जीभ घुमाने लगी.
इतने में ही मेरा लिंग फिर से खड़ा हो गया था. अब मैं उसकी चुदाई करने का मन बना चुका था.
मगर फिर वो उठकर बाहर आई और घड़ी की तरफ देखकर बोली- हे भगवान, मुझे तो बहुत देर हो गयी!!
वो मेरे पास आई और मुझे बांहों में लेकर मेरे गाल पर एक चुम्बन देकर बोली- कैसा लगा आज आपको मेरा साथ?
मैं बोला- मुझे इतना मजा कभी नहीं आया.
वो बोली- अभी तो आपने एक झलकी देखी है. पूरी फिल्म तो अभी बाकी है. चलो ठीक है, मैं लेट हो रही हूं. घर जाकर आपसे फोन पर बात करूंगी.
इतना बोलकर वो जाने लगी.
मैंने झट से अपनी चेन बंद की और उसके पीछे दौड़ा. उसे रोकने की कोशिश की लेकिन वो इतने में दरवाजा खोलकर निकल चुकी थी.
मैं दरवाजे पर पहुंचा तो वो सीढ़ियों से नीचे उतर रही थी.
मैं उसे नीचे उतरते हुए देखता रहा और सोच रहा था कि क्या यह मेरी जिंदगी की एक नई शुरूआत है?
मैं वापस आया और दरवाजा अंदर से लॉक करके सीधा बेड पर जा लेटा.
कुछ ही देर में कंचन मेरे दिमाग में ऐसा घर कर गयी कि वो मेरे खयालों से निकली ही नहीं. सोचते सोचते मुझे नींद आ गयी.
दोस्तो, कंचन के साथ आगे क्या हुआ ये मैं आपको आपके फीडबैक के बाद बताऊंगा. यदि आपको ये गर्म सेक्स की शुरूआत की कहानी अच्छी लगी हो तो अपना फीडबैक भेजना.