सभी मित्रों को मेरा नमस्कार, मेरा नाम अजय है। मैं जयपुर से हूं, अभी मैं 24 साल का हूँ लेकिन ये xxx कहानी तकरीबन दो साल पहले की है। और इसकी शुरूआत पांच साल पहले हुई थी। मेरे भैया की शादी का टाइम था, काफी सारे मेहमान घर में आये हुए थे। मुझे नहीं पता था कि मेरी पहली कहानी की शुरुआत वहीं से होगी। जिसके बारे में ये कहानी मैं आपको बता रहा हूँ वो मेरी दूर की रिश्तेदारी में भाभी लगती थी.
कहानी को आगे बढ़ाने से पहले मैं उनकी पर्सनल लाइफ के बारे में आपको बताना चाहता हूं ताकि आप लोगों को भी पता चल जाये कि हम दोनों के बीच में ये वाकया कैसे हुआ. उसकी उम्र 30 साल थी और वो एक शादीशुदा औरत थी. कम उम्र में ही उनकी शादी एक ऐसे आदमी से हो गई थी जो उनसे डेढ़ गुना बड़े थे आयु में।
आप ही सोचो कि जब एक औरत जो तीस साल की हो चुकी है और उसका पति उससे डेढ़ गुना ज्यादा बड़ा है उम्र में, तो इस बात का अंदाजा आराम से लगाया जा सकता है कि उसके पति की उम्र कितनी होगी. शादी के क्या कारण रहे ये तो मैं यहां पर नहीं बता सकता हूं लेकिन मेरी कहानी जहां से शुरू हुई वो आपको जरूर बता देता हूँ।
जब मैंने उसको पहली बार देखा तो वो देखने में कुछ खास नहीं लगी थी मुझे. लेकिन कहते हैं कि कई बार ऊपर से खराब दिखने वाला आम असल में अंदर से बहुत ही मीठा और रसीला होता है. उस औरत के साथ भी कुछ ऐसा ही था. उसका पति उसकी तरफ देखता भी नहीं था.
तो हुआ यूं कि उस समय हम सब लोग शादी की तैयारियों में लगे हुए थे. भैया की शादी हो जाने के बाद जब हम लोग घर पर आये तो पता चला कि वो आज रात हमारे साथ ही सोने वाली थी.
मैं नहीं जानता था कि उसने मुझे कब देखा था. मगर उस रात जब उससे बात हुई तो दोस्तो मजा आ गया. वो शायद पहले से ही मुझ पर नजर रखे हुए थी. उस रात उसने मुझसे बहुत सारी बातें कीं और फिर अगले दिन वो अपने घर दिल्ली चली गई.
मैंने बाद में जानने की कोशिश की तो पता लगा कि वो दिल्ली से हमारे किसी रिश्तेदार की तरफ से आई थी. लेकिन अब मैं भी जवान था और इतना समझने लगा था कि सामने वाला इन्सान आप में कुछ रुचि ले रहा है तो जरूर उसके मन में कुछ न कुछ बात होगी.
उस रात जब मैंने उससे बात की तो मैं समझ गया था कि वो क्या चाहती है लेकिन वो अपने घर चली गई थी इसलिए हमारे बीच में कुछ हो नहीं पाया था. फिर कुछ दिन के बाद मैं भी उसको भूल गया.
असल में कहानी अब शुरू होती है. आज से दो साल पहले मुझे किसी काम से दिल्ली जाना था. चूंकि दिल्ली शहर में कमरा मिलना बहुत मुश्किल होता है और अगर अच्छा कमरा मिलता है तो वो बहुत महंगा होता है इसलिए घर वालों को मेरी फिक्र हो रही थी कि मैं वहां जाने के बाद रहूंगा कहां पर?
इसलिए मेरी दादी ने पहले ही उस भाभी से बात कर ली थी. रिश्तेदार ऐसे ही समय में काम आते हैं. दो साल बाद उससे मिला तो मुझे नहीं पता था कि मेरा पहला सेक्स उसी के साथ होने वाला है. उस दिन जब मैं उससे मिला तो वो मुझे बिल्कुल नहीं भूली थी. घर पहुंचा तो मेरे स्वागत के लिए वो सज-धज कर तैयार थी पहले से ही.
जब मैंने शादी में उस भाभी को देखा था तो मुझे वो ज्यादा खास नहीं लगी थी लेकिन उस दिन तो वो मस्त माल लग रही थी. उसके चूचे और गांड ऐसी थी कि मेरी नजर उससे हट ही नहीं रही थी. लेकिन मैं अपनी तरफ से कोई पहल नहीं करना चाहता था क्योंकि वो एक तो हमारी रिश्तेदारी में थी और दूसरा मैंने कभी उसके साथ सेक्स के बारे में इस तरह से सोचा भी नहीं था.
रात के समय उनके पति और मैंने साथ में ही खाना खाया. उसके पति किसी प्राइवेट कॉल सेंटर में काम करते थे जिसमें उनकी नाइट शिफ्ट लगी हुई थी. इसलिए खाना खाने के बाद वो ऑफिस के लिए निकल गये.
उनके घर पर केवल एक ही कमरा था जहाँ वो और में सो रहे थे। लेकिन दोनों में से किसी को नींद नहीं आ रही थी। उन्होंने बात शुरू की और वहाँ आने का कारण पूछा।
बात करते-करते वो मेरी गर्लफ्रैंड के बारे में बात करने लगी और अपने बोरिंग हस्बेंड के बारे में बताने लगी। मुझे उस समय ये पहली बार लगा कि शायद वो मुझ से कुछ और भी चाहती है।
धीरे-धीरे वो मुझसे खुलने की कोशिश कर रही थी. फिर वो बिल्कुल फ्रेंड की तरह बात करने लगी। मुझे अंदाजा भी नहीं था कि वो मुझसे इतनी खुल कर बातें करेगी.
इससे पहले मेरे साथ किसी ने इस तरह सेक्स जैसे टॉपिक पर खुल कर बात नहीं की थी. हाँ मेरे दोस्तों की बात अलग थी लेकिन यहां पर तो मैं अपनी रिश्तेदारी में आया हुआ था और वो मेरी भाभी लगती थी. इसलिए उनके साथ इस तरह की बातें होंगी इसका अंदाजा नहीं था मुझे।
फिर होते-होते बात सेक्स तक पहुंच गई थी.
मैंने उससे डरते-डरते ही पूछा- आप तो बहुत ही हॉट और अच्छे दिखते हो तो फिर आपके हस्बेंड आपके लिए इतने बोरिंग कैसे हो सकते हैं.
उसने मुझे बताया- शुरू में जब शादी हुई थी तो ऐसा नहीं था. एक साल तक तो सब कुछ सही चल रहा था. लेकिन फिर बाद में वो अपने काम में बहुत ज्यादा व्यस्त रहने लगे. उनको ऑफिस के काम के अलावा कुछ नहीं सूझता था.
वो अपनी कहानी बताते हुए मेरा हाथ पकड़ कर रोने लगी और कहने लगी कि क्या मैं उसका दोस्त बन सकता हूँ?
उसने जो पूछा, मैं तो पहले से ही उसके इंतजार में था.
मैं तो उसी दिन सब कर लेना चाहता था लेकिन मैं उसका भरोसा जीत कर आगे बढ़ना चाहता था. ताकि उसको ये न लगे कि मैं सिर्फ उसकी चूत का भूखा हूं. वैसे भी मुझे बाद में पता लगा कि आग तो दोनों तरफ ही लगी हुई थी, इसलिए चुदाई तो होनी ही थी.
उस दिन मैंने उनसे वादा किया कि वो अपना दोस्त समझ कर कभी भी मुझसे फोन पर बात कर सकती हैं. मैंने उसको विश्वास दिलाया कि वो मुझसे सब बातें शेयर कर सकती है। फिर उसने मुझसे तभी पूछ लिया- क्या आपने कभी किसी के साथ सेक्स किया है?
उसके इस सवाल पर एक बार तो मैं चुप सा हो गया लेकिन फिर कह दिया- नहीं, मैंने अभी तक किसी के साथ सेक्स नहीं किया है.
वो हंसते हुए बोली- तुम 22 साल के हो चुके हो, तो क्या तुमने अभी तक जवानी के मजे लिये ही नहीं?
मैंने कहा- अभी तक मौका ही नहीं मिला.
फिर उसने एकदम से मेरे लंड पर हाथ फेरते हुए कहा- और अगर कभी मौका मिल जाए तो?
उसका हाथ लगते ही मेरा लंड एकदम से तन गया. वैसे भी वो बहुत देर से इस टॉपिक पर बातें कर रही थी इसलिए मैंने खुद को रोका हुआ था. मगर अब जब उसने खुद ही पहल कर दी थी तो मेरा लंड खड़ा होते हुए देर नहीं लगी.
उसने मुझे देखा और मैंने उसे. हम दोनों ही सेक्स के लिए तैयार हो चुके थे. फिर वो धीरे से अपने होंठों को मेरे होंठों के पास लाई और अपने होंठों को मेरे होंठों पर रखते हुए उनको चूम लिया. मैंने भी बदले में उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया. देखते ही देखते दोनों के अंदर सेक्स की गर्मी बढ़ने लगी. फिर मैं जोर से उसके होंठों को काटने लगा.
मैंने उसकी पीठ पर हाथ फिराना शुरू कर दिया. उसकी ब्रा की पट्टी मुझे अपनी उंगलियों पर महसूस हो रही थी. उसके चूचे मेरी छाती पर लगे थे. मेरा लंड उसकी जांघों पर उछल-उछल कर वार कर रहा था. दोनों ही गर्म होते जा रहे थे.
फिर मैंने उसको नीचे लिटा दिया. उसकी साड़ी का पल्लू उतार दिया. उसके ब्लाउज में भरे हुए चूचे एकदम मस्त लग रहे थे. मैंने उसकी साड़ी को उसके पेट से खोल दिया. उसकी साड़ी को उतार कर एक तरफ डाल दिया. अब भाभी ब्लाउज और पेटीकोट में मेरे सामने लेटी हुई थी.
उसके ब्लाउज के ऊपर से ही मैंने भाभी के चूचों को दबाना शुरू कर दिया.
उसके पेटीकोट को जांघों तक उठा चुका था मैं. भाभी की नंगी जांघें देख कर मन कर रहा था कि उसकी चूत को अभी फाड़ कर रख दूं लेकिन अभी उसके मजे ले रहा था.
मैंने उसे ब्लाउज उतारने के लिए कहा तो उसने ब्लाउज उतार दिया. अब वो ब्रा और पेटीकोट में थी. उसके सांवले से बदन पर लाल रंग की ब्रा बहुत ही मस्त लग रही थी. फिर उसने मेरे कहे बिना ही अपनी ब्रा भी खोल दी.
उसके मस्त चूचे नंगे होकर लटक गये. मैंने उसके दोनों चूचों को अपने हाथों में भर लिया और उनसे ऐसे खेलने लगा जैसे कोई बच्चा बॉल से खेलता है. उनको हाथ में भर कर दबाने लगा. बहुत ही नर्म चूचे थे उसके. उसके निप्पल गहरे भूरे रंग के थे. मैंने उसके निप्पलों को अपनी एक उंगली और अंगूठे के बीच में दबा कर मसला तो वो उसके मुंह सिसकारी निकल गई. आह्ह … फिर मैंने उसको नीचे लिटा दिया और खुद उसके ऊपर लेट कर उसके चूचों को अपने मुंह में भर लिया. उसके निप्पलों को चूसने-काटने लगा.
देखते ही देखते भाभी के चूचे टाइट से हो गये. उनमें कसाव सा आ गया. अब उनके साथ खेलने में मुझे ज्यादा मजा आ रहा था. फिर मैंने उसके पेटीकोट को पूरा का पूरा ऊपर कर दिया. उसने नीचे से पैंटी पहनी हुई थी. मैंने भाभी की टांगों को चौड़ी कर दिया. उसकी चूत पर पैंटी के ऊपर से ही एक किस कर दिया.
फिर मैंने भाभी का पेटीकोट उतरवा दिया. वो केवल पैंटी में मेरे सामने पड़ी हुई थी. मैंने उसकी पैंटी को खींच कर भाभी की चूत को नंगी कर दिया. फिर मैंने उसकी टांगों को खोल कर उसकी चूत को बड़े ही ध्यान से देखा.
उसकी चूत से रस सा निकल रहा था. मैंने उसकी चूत को सूंघ कर देखा तो उसमें से अजीब सी गंध आ रही थी. वो मुझे न अच्छी लगी और न बुरी. यह मेरा पहला एक्सपीरियंस था इसलिए मैं हर चीज को खोलने की कोशिश कर रहा था.
मैंने भाभी की चूत की फांकों को छेड़ा तो वो सिहर उठी. उसकी चूत पर अपनी हथेली से मालिश करने लगा और वो पागल सी हो उठी. उसने उठ कर मुझे नीचे गिरा लिया और मेरी शर्ट के बटन खोलने लगी. फिर मेरी बनियान ऊपर उठा दी और मेरी छाती के निप्पलों को चूसने लगी.
स्स्स … पहली बार किसी महिला का मुंह मेरे निप्पलों पर लगा था. मुझे बड़ा मजा आया. फिर उसने मेरे पेट को चूमा. मैंने उठ कर अपनी शर्ट निकाल दी और फिर बनियान भी उतार दी. वो दोबारा से मेरे होंठों को चूसने लगी.
मेरी नंगी छाती पर उसके नंगे चूचे अब टच हुए तो सेक्स की आग और भड़क गई. मैंने जोर से उसके होंठों को काट लिया. उसकी गांड पर मेरे हाथ पहुंच गये थे. मैंने उसकी गांड के छेद को अपने उंगली से टटोला और फिर उसकी गांड में उंगली डाल दी तो वो उचक गई.
मेरा लंड पैंट के अंदर ही अंदर पागल हो चुका था. फिर उसने मेरी पैंट का बटन खोला और जिप खोल कर पैंट को नीचे निकलवा दिया. मेरे कच्छे में मेरा लौड़ा तना हुआ था. मेरे लौड़े ने उछल-उछल कर पानी छोड़ दिया था जो कच्छे पर भी लगा हुआ दिखाई दे रहा था.
भाभी ने मेरे कच्छे को भी खींच डाला और मेरा सात इंच का लौड़ा एकदम से उछल कर बाहर आ गया. उसने मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ा तो मेरे मुंह से सिसकारी निकल गई. स्स्स् …. चूस लो इसे भाभी।
मेरे कहते ही उसने मेरे लंड को अपने मुंह में भर लिया और तेजी के साथ उसको चूसने लगी. उसका मुंह तेजी के साथ मेरे लंड पर चलने लगा. आह्ह … आह्ह … हाय … बहुत मजा दे रही थी वो चुदासी भाभी. वो जिस तरह से लंड को चूस रही थी उससे ऐसा लग रहा था कि बेचारी कई सालों से लंड की प्यासी है.
उसने चूस-चूस कर मेरे लंड को लाल कर दिया. फिर जब मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ तो मैंने उसको दोबारा से नीचे लिटा दिया और उसकी टांगों को चौड़ी करके उसकी चूत के छेद पर अपने लंड का टोपा रख कर उसको रगड़ने लगा.
वो तड़प उठी और बोली- बस करो, अब डाल भी दो अंदर अजय. मैं तुम्हारा लंड लेने के लिए मरी जा रही हूँ।
मैंने भाभी की चूत पर दो-तीन बार लंड को ऊपर नीचे किया तो मुझे तो जैसे स्वर्ग का सा मजा मिला. मेरा लंड भी बुरे तरीके से तना हुआ था. नसें फटने को हो रही थी. मैंने उसकी चूत पर लंड को रखा और उसके ऊपर लेटता चला गया. आह्ह … जैसे-जैसे उसकी चूत की गहराई में लंड उतरता गया मेरा मजा डबल होता चला गया. इतना सुखद अहसास कभी नहीं महसूस किया था मैंने।
मैंने पूरा लंड उसकी चूत में उतार दिया और फिर अपनी कमर को हिलाते हुए उसकी चूत की चुदाई करने लगा. आह उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह्ह … की आवाजें दोनों के ही मुंह से निकलने लगीं. मैं तेजी से उसकी चूत को चोद रहा था. फट-फट की आवाज होने लगी. उसकी चूत की चुदाई करते हुए जन्नत में पहुंच चुका था मैं.
पांच-सात मिनट की चुदाई के बाद ही मेरा पानी निकलने की कगार पर पहुंचने को हो गया. अब मेरे लिये रूकना नामुमकिन था. मैंने तेजी से दो-तीन धक्के उसकी चूत में लगाये और मेरे लंड ने अपना माल उसकी चूत में फेंकना शुरू कर दिया. आह्ह … ओह्ह … करते हुए मैंने पूरा माल उसकी चूत में भर दिया.
फिर मैं हाँफते हुए उसके ऊपर लेट गया. वो मेरी पीठ को सहलाने लगी. मेरा लंड उसकी चूत में ही था. अभी भी मजा उतना ही था. लेकिन अब लंड का तनाव धीरे-धीरे कम होने लगा था.
फिर जब मेरा लंड पूरा सिकुड़ गया तो मैं उसके ऊपर से उठा और मैंने देखा कि उसकी चूत से माल बाहर की तरफ बहकर आ रहा था. वो उठ कर वॉशरूम में चली गई.
तब तक मैंने अपने कपड़े पहन लिये और जब वो आई तो उसने अपने बदन पर एक तौलिया लपेटा हुआ था. वो हाथ-मुंह धोकर आई थी. फिर उसने अपने कपड़े भी पहन लिये. लेकिन जब रात को वो मेरी बांहों में लेटी हुई थी तो मैंने फिर से उसको नंगी कर दिया.
मैंने दूसरी बार बीस मिनट तक उसकी चूत चोदी. अबकी बार वो भी झड़ गई. फिर उसने कपड़े नहीं पहने और हम नंगे ही सोने लगे. फिर सुबह के करीब चार बजे मैंने उसकी चूत फिर से चोद डाली. इस तरह से उस रात मैंने तीन बार उस भाभी की चूत चोदी और वो खुश हो गई.
सुबह हुई तो उसका पति घर वापस आ गया. उस दिन वो खुशी-खुशी अपने पति की सेवा करने में लगी हुई थी.
फिर मैं अपने काम के लिए निकल गया. मगर वापस आते हुए मैं सीधा जयपुर ही निकल आया.
उसने मुझे फोन करके कहा कि जब भी मैं दिल्ली आऊं तो उससे मिल कर ही जाऊं. मैंने उसको वादा किया कि मैं जरूर मिल कर जाऊंगा.
उसके बाद मैंने लगभग चार बार उसकी चूत चोदी है. चूंकि वो दिल्ली में है और मैं जयपुर में इसलिए ज्यादा चुदाई हो नहीं पाती है लेकिन जब भी होती है मैं उसकी चूत की प्यास मस्त तरीके से बुझाता हूँ.
तो दोस्तो, यह थी मेरी आपबीती। आपको मेरी यह क्सक्सक्स कहानी पसंद आई या नहीं … मुझे मेल जरूर करें. कहानी पर कमेंट करके बतायें कि कहानी लिखने में कोई ग़लती न हो गई हो. मैं आपके लिए आगे भी ऐसी ही अपनी सच्ची कहानियां लेकर आता रहूंगा.
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