नमस्ते दोस्तों, मेरी रिश्तों में चुदाई की हिंदी कहानी के पिछले भाग
सेक्सी भांजी ने बुझाई मामा की ठरक-1
में अपने पढ़ा कि कैसे मुझे एक दूर के रिश्ते की भानजी पसंद आ गयी और मैंने उसे पटाना शुरू कर दिया था. मैंने उसे लंड भी चुसवा दिया था लेकिन उससे आगे नहीं बढ़ पाया था.
अब आगे की रिश्तों में चुदाई की हिंदी कहानी:
मेरी ही कॉलोनी में किट्टू की एक सहेली रहती है निशा।
करीब दो हफ़्तों बाद ही किट्टू किसी काम से निशा के यहाँ आयी थी.
उस दिन मेरे घर में कोई नहीं था। मैंने भी
मौका देखा मामा भांजी की चुदाई का … जैसे ही वो वापस जाने को अपनी सहेली के घर से बाहर आयी, मैं उसके सामने पहुंच गया।
साथ में उसकी सहेली भी खड़ी थी.
तो सामान्य बातों से शुरू हुआ और उसने पूछा- नानी जी कैसी हैं? मैंने कहा थोड़ी तबियत ठीक नहीं है। ऊपर लेटी हैं. जाकर मिल ले. मैंने तो ऑफिस जाना है।
वह जाना तो नहीं चाहती थी. पर उसकी सहेली ने उसका कोई जवाब ना सुन कर कहा- तेरी नानी की तबियत ठीक नहीं है. तो तुझे उनसे मिलते हुए जाना चाहिए।
किट्टू ना चाहते हुए भी मेरे घर की तरफ बढ़ी. मैंने उसको दिखाने को बाय बोला और आगे बढ़ गया।
किट्टू घर में घुसी, मम्मी के कमरे की तरफ बढ़ी ही थी कि मैंने दबे पांव से घर में घुस कर दरवाज़ा लॉक कर दिया और किट्टू के वापस आने का इंतज़ार करने लगा।
जब किट्टू को ऊपर कोई नहीं मिला तो वो वापस नीचे आयी. और मुझे देख के जैसे सन रह गयी।
वो थोड़ी जल्दी में नीचे उतरी, दरवाज़ा खोलने की कोशिश की पर चाबी तो मेरे पास थी। किट्टू पलटी, उसने मेरी तरफ देखा तो मैंने भी चाबी उसकी तरफ बढ़ा दी और इशारा किया कि आ कर ले ले। किट्टू मेरे पास आयी और मैंने उसका हाथ पकड़ अपना लण्ड उसके हाथ में पकड़ा दिया जो मैंने पहले से ही अपनी ज़िप से बाहर निकाल कर अपनी शर्ट से ढक रखा था।
किट्टू- ये गलत बात है मामा जी। आपने नानी का नाम लेकर मुझे फंसाया है।
मैं- अब तू आसानी से हाथ नहीं आ रही तो एक झूठ इस नाम का भी सही। अब देर ना कर और मुझे अपनी चूत पिला दे रानी। पिछली बार तो तूने अकेले ही मेरा लण्ड चूसने का मज़ा लिया था।
किट्टू- मैं कुछ नहीं करने वाली।
मैं- चुदाई से पहले सब लड़कियां ऐसे ही नखरे चोदती हैं और फिर मैं उनकी चूत चोद कर हिसाब बराबर कर देता हूँ।
किट्टू मेरे लण्ड को अपने हाथ से मसलते हुए- आपको क्या मज़ा आएगा ये सब करके? आपने तो बहुतों को चोदा होगा। मुझे जाने दो ना!
मैं- चोदी तो जाने कितनी हैं पर तेरे जैसी कमसिन कली जिसकी चूचियां भी पूरी नहीं उभरी, वो आज तक नहीं चोदी।
किट्टू- मुझे जाने दो ना!
मैं- देख, अगर तू प्यार से करने देगी तो ठीक। प्यार से कराएगी तो दर्द नहीं होगा वरना ये ध्यान रख कि अगर नखरे करेगी तो तेरी चूत तो फटेगी ही, साथ में दर्द होगा वो अलग। अब जब तू मेरा लण्ड सहला ही रही है तो इसको मुँह में लेकर गीला कर दे। अब तुझे अनुभव भी है लण्ड चूसने का तो तू ज्यादा नाटक नहीं कर सकती।
किट्टू समझ चुकी थी कि आज मामा भांजी की चुदाई होनी पक्की है तो उसने भी बिना किसी नखरे के अपना मुँह सीधा मेरे लण्ड पर लगा कर उसको चूसना शुरू किया।
अब बारी मेरी थी। मैंने भी उसकी टॉप को ऊपर उठा कर उसकी घुंडियों को अपने अंगूठे और उंगली के बीच में मसलना शुरू किया जिससे वो थोड़ी तो उत्तेजित हो।
मैंने धीरे धीरे उसका मुँह भरना शुरू किया क्योंकि मुझे कोई जल्दी नहीं थी। घर वाले रात से पहले वापस नहीं आने वाले थे तो मेरे पास भरपूर समय था आज किट्टू की चुदाई करने का।
और जगह इससे अच्छी कुछ और हो नहीं सकती थी।
तो दोस्तो, आज किट्टू की चुदाई होगी वो भी फुर्सत से।
मैं बीच बीच में किट्टू की घुंडियों को थोड़ा ज़ोर से मरोड़ देता तो उसकी चिहुंक निकल जाती।
अब वो अपनी गांड हिलाने लगी थी और इसलिए ये बात पक्की थी कि किट्टू धीरे धीरे उत्तेजित होने लगी थी।
मैंने भी मौका देखा और किट्टू की टॉप को उसके बदन से अलग कर दिया जिसमें किट्टू ने कोई परहेज नहीं दिखाया।
वो लगी पड़ी थी मेरा लण्ड चूसने और चाटने में।
मैंने किट्टू को खुद से अलग किया और अपनी जीन्स और बॉक्सर दोनों नीचे कर किट्टू को अपने नागराज के भरपूर दर्शन कराये।
एक बार को तो किट्टू थोड़ी सहम सी गयी पर शायद वो ये बात समझ गयी थी कि उसकी आज चुदाई होगी ताबड़तोड़।
मैंने किट्टू को अपनी गोद में बिठाया और उसके बदन पर हाथ फेरने लगा। मुझे कैसे भी करके, उसके बदन से उसकी जीन्स को अलग कर उसको पूरी नंगी करना था.
और वो भी बिना उसके विद्रोह के।
तो मैंने उसके बदन को सहलाते सहलाते उसकी पीठ से हाथ हो ले जाकर उसकी जीन्स के अंदर डाला और उसकी दरमियान को हल्के से मसाज करने लगा।
मेरी हर छुअन से किट्टू गरमाती जा रही थी और अब उसकी पकड़ मेरे लण्ड पर मजबूत होने लगी थी।
मैंने अपने हाथ से उसकी जीन्स को थोड़ा नीचे को सरकाया और उसके एक चूतड़ को बाहर निकालने की कोशिश की.
पर उसने बेल्ट बहुत टाइट बाँधी थी और मुझे उसको ढीला करना पड़ा।
उसने थोड़ा रोकने की कोशिश तो की पर मेरे आगे अब उसका ज़ोर चल नहीं पा रहा था।
थोड़ी देर में उसकी बेल्ट खोल कर मैंने अपना हाथ एक बार उसकी चूत पर फेरा और फिर उसकी पूरी जीन्स, उसकी पैंटी के साथ नीचे जमीन पर थी।
किट्टू थोड़ा शर्मायी और खुद को समेटने की नाकाम सी कोशिश करने लगी।
मैंने खड़े होकर किट्टू को एक नज़र निहारा तो मेरे बदन में जैसे सिहरन सी दौड़ गयी। किट्टू जैसी नाज़ुक, कमसिन, कुंवारी लड़की मेरे सामने एकदम नंगी खड़ी थी.
उसकी चूत थोड़ी देर में मेरे रहमो-करम पर होने वाली थी।
मैंने देर ना करते हुए किट्टू को वहां पड़े दीवान पर लिटाया और उसको एक बार फिर नज़र भर कर देखा।
मेरा खून दुगनी गति से दौड़ने लगा था और अभी जाने इसको और कितनी गति हासिल होने वाली थी।
मैंने किट्टू की चूत को सहलाना शुरू किया तो किट्टू किसी नागिन की तरह बल खाने लगी। मैंने किट्टू की चूत का जायजा लेने के लिए उसकी चूत में एक उंगली डाली तो उसकी हल्की सी चीख निकल गयी.
मतलब जैसा मैंने चाहा था, ये अभी तक कुंवारी ही थी।
मैं कुछ भी ऐसा नहीं करना चाहता था जिससे किट्टू डर जाए और फिर आज की दावत खराब हो.
इसलिए मैंने उसकी चूत को प्यार से सहलाया और अपना मुँह उसकी चूत पर रखकर उसको चाटने लगा।
जैसे ही मेरी जीभ ने किट्टू की चूत को छुआ, किट्टू के मुँह से आह निकल गयी। किट्टू को ये अनुभव पहली बार हुआ था। वो परम आनंद के सागर में गोते खाने लगी थी।
अब तक असहज सी किट्टू पर एकाएक जैसे कोई जादू सा हो गया था और वो इस खेल में आगे बढ़ना चाहती थी।
मेरे हाथ किट्टू की घुंडियों को मरोड़ रहे थे, और मेरी जीभ उसकी चूत को सराबोर कर तैयार कर रही थी।
मैंने धीरे धीरे किट्टू की टांगों के बीच में जगह बनायी. उसके दोनों पैर अपने पैरों के ऊपर को करके थोड़े चौड़े करके खोल दिए। मैं चाहता था कि जब मैं उसकी चूत में अपना लण्ड घुसेड़ूँ तो उसको मौका ना मिले छटपटाने का!
वो बस तड़पती हुई, बल खाती हुई, मचलती हुई सी नज़र आये।
मैंने देखा किट्टू की आँखें बंद थीं, होंठ फड़फड़ा रहे थे और हाथ चादर को मसल रहे थे।
मतलब ये सही समय था मेरे प्रहार करने का।
मैंने बिना एक भी पल गंवाए लण्ड को उसकी चूत पर साधा, उसके ऊपर छाकर एक हाथ से उसके कंधे को पकड़ा, अपने होंठ उसके होंठों पर जमाये और लण्ड पर ज़ोर डाला जिससे मेरा लण्ड उसकी चूत में प्रविष्ट हो जाए।
पर जैसे ही हल्का सा ज़ोर किट्टू की चूत पर पड़ा तो उसकी आँखें चौड़ी हो चलीं. वो अपने हाथ पैर पटकने लगी और अपना सिर इधर उधर झटकने लगी।
अभी मेरे लण्ड ने सिर्फ थोड़ी जगह ही बनायीं थी. पर किट्टू की हालत ख़राब करने के लिए इतना काफी था।
किट्टू ने पूरा ज़ोर लगाया और अपने पैर मेरे और खुद के पेट के बीच फंसकर जो धक्का मारा.
तो मैं अपनी पोजीशन संभाल ना सका और मेरा लण्ड किट्टू की चूत से बाहर निकल गया।
किट्टू रोने लगी थी और उसकी आवाज़ तेज़ होती जा रही थी।
मैंने समझते देर ना लगाई कि इसकी आवाज़ घर से बाहर तक भी जा सकती है क्योंकि मैं बाहर वाले कमरे में ही चुदाई अभियान चला रहा था।
तो मैंने उठ कर उसको थोड़ी सांत्वना दी और उसको अंदर वाले कमरे में चलने को कहा।
बिलबिलाती हुई किट्टू ने पहले तो कुछ नहीं कहा. पर इतने में उसकी नज़र मेरे लण्ड पर पड़ी जिस पर थोड़ा खून लगा था।
फिर किट्टू ने अपनी चूत की तरफ देखा तो उसकी चूत से थोड़ा खून रिस रहा था. उसको देखते ही जैसे किट्टू को चंडी चढ़ गयी।
किट्टू- ये सब करना चाहते थे तुम? देखो मुझे कितना खून निकल रहा है।
मैं- पहली बार में थोड़ा खून निकलता है जान!
किट्टू- तुमने कहा था अगर मैं तुम्हारी बात मानूंगी तो बिलकुल दर्द नहीं होगा।
मैं- एक बार थोड़ा दर्द तो सहना पड़ेगा। मुझे क्या पता था कि तेरी चूत अभी कुंवारी है।
किट्टू- क्यों … तुम तो उड़ती चिड़िया के पंख गिन रहे थे उस दिन?
मैं- ओह हो… तू तो नाराज़ हो रही है। चल अंदर चल, तेरी चूत को थोड़ी चिकनी कर के लण्ड डालता हूँ। फिर दर्द नहीं होगा।
किट्टू- मुझे नहीं करना कुछ … आये बड़े। ऐसे होते हैं क्या मामा? मैं नहीं जाती कहीं। मुझे वापस जाना है।
मैं- अब मामा कहाँ रहा मैं। अब तो मैं तेरा यार हूँ किट्टू रानी।
इतना कह कर मैंने किट्टू को अपनी गोद में उठाया और सीधा अंदर के कमरे में ले गया।
ये कमरा बहुत बड़ा है जिसमें एक तरफ डबल बेड है तो एक तरफ सोफे और एक दीवार पर अलमारी।
पर सबसे बड़ी दिक्कत थी कि पलंग पर सफ़ेद चादर बिछी थी और सोफे भी सफ़ेद रंग के।
मैंने देखा कि जमीन पर एक साइड में कुछ कपड़े पड़े थे जो रंग बिरंगे से थे और शायद किसी काम के लिए माँ ने मंगाए होंगे। मैंने किट्टू को उस कपड़ों के ढेर पर ले जा कर पटक दिया और इससे पहले किट्टू संभलती और बाहर जाती, मैं पलंग के साइड में रखी नारियल के तेल की शीशी उठा लाया।
किट्टू को मेरे लण्ड के उसकी चूत में प्रविष्ट होने के कारण बहुत दर्द हुआ था और इसलिए वो अपनी तुनक में ना ना करने लगी थी।
पर मैं भी पूरा खिलाड़ी हूँ, ये वो नहीं जानती थी.
वो किसी भ्रम में थी कि पंछी फड़फड़ा कर आज़ाद हो सकता है।
मैंने अपने घुटनों पर खड़े होकर अपना लण्ड दोबारा उसके होंठों पर रगड़ा और उसको चूसने का इशारा किया।
थोड़ी ना नकुर के बाद किट्टू ने फिर से मेरा लण्ड अपने मुँह में भर लिया।
धीरे धीरे मैंने अपनी पोजीशन बदली और दोबारा उसकी चूत की मालिश करनी शुरू की। किट्टू का गर्म खून मुझे रोमांच दे रहा था और मैं इस कुंवारी चूत को भेदने को बेताब था।
मैंने थोड़ा नारियल का तेल अपनी उँगलियों पर लिया और किट्टू की चूत को तेल से तर कर दिया। अब मैंने धीरे धीरे एक उंगली से किट्टू की चूत के अंदर थोड़ा तेल लगाना शुरू किया. जिससे मेरा लण्ड बिना किसी अवरोध के उसकी चूत में दाखिल हो सके।
मैं अब तैयार था और किट्टू भी अपना दर्द कुछ भुला सा चुकी थी।
आप सब तो जानते ही हो कि चूत का दर्द थोड़े मर्दन से उड़न छू हो जाता है और लड़की एक बार फिर तैयार हो जाती है।
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