सेक्सी दीदी की हवस मिटाई-1

नमस्कार दोस्तों, मेरी इस सेक्स कहानी में आपका स्वागत है. मैं भेन्चोद विकास हूँ. मेरी पिछली कहानी
बहन बनी सेक्स गुलाम
को आप सबने काफी सराहा. उसके लिए आप सभी का धन्यवाद.

हालांकि इसे कहानी कहना उचित नहीं होगा क्योंकि ये घटना एक वृतांत है जो मेरी बहन प्रीति के जीवन की है. मेरे और मेरी बहन के रिश्ते से आप सभी अवगत हैं. जो नए पाठक हैं, उनसे मैं कहना चाहूंगा कि वे मेरे नाम से प्रकाशित अन्य कहानियों को पढ़ लें, ताकि उनको मेरी दीदी और मेरे बारे में जानकारी हो सके.

आइए दीदी की इस सेक्स कहानी को उन्हीं के शब्दों में जानते हैं.

हाय दोस्तों मैं प्रीति हूं … मैं अपने भाई की सेक्स गुलाम हूं. मैं एक सेक्सी फिगर की मालकिन हूं. मेरा साइज मेरे भाई ने आपको पहले की कहानियों में बता दिया था. खैर अब मेरे भाई ने मेरा साइज़ और बढ़ा दिया है. मेरे मम्मे अब 36 नाप के हो गए है. मेरा निखरा हुआ साइज अब 36-30-32 का हो गया है.

ऐसा एक भी दिन नहीं जाता, जब वो मेरे मादक मम्मों को मसलता चूसता ना हो. आपने पिछली कहानियों में देखा होगा कि कैसे मैं उसकी पर्सनल रखैल बन चुकी थी. उसकी चुदाई का अंदाज ही अलग था. मैं उसके लंड की दीवानी थी.

तीन महीने हो गए थे. मेरी जॉब लग गई थी. मैं नए शहर में आ गयी थी, ये शहर मेरे लिए नया था, तो पापा ने मुझसे मामा-मामी के यहां रुकने को कहा. मेरे मामा की एक ही लड़की थी. हम दोनों बचपन से बहुत अच्छी सहेलियां हैं … हमारी बहुत पटती थी. वो भी काफी सुन्दर थी. वो फैशन डिजाइनिंग कर रही थी. वो मॉडलिंग के लिए भी ट्राय करती रहती थी. उसका नाम इशिता था. वो भी एकदम छप्पन छुरी जैसी आइटम थी.

हालांकि मैं उसे बचपन से जानती हूं, लेकिन इस बार उसका बर्ताव कुछ बदला बदला सा था. वो मेरे से कम बात करती और ज्यादातर घर से बाहर रहती. मैं भी अपने काम में व्यस्त रहती थी, तो उससे मिल पाना बहुत कम ही हो पाता था.

खैर मुझे जॉब अच्छी मिली थी. कुछ ही माह में मुझे अच्छी पोस्ट मिल जाने वाली थी.

अपने भाई को मैं यहां बहुत मिस कर रही थी. उसके बिना तो एक पल मेरा मन कहीं नहीं लगता था. यहां मैं कैसे रह रही थी, मैं ही जानती हूं. भाई ने मुझे पर कैसा जादू कर दिया था कि मुझे हर समय उसका ही ख्याल बना रहता था. मुझसे दूर हो कर भी वो मेरे पास ही था. उसके छुअन के अहसास को मैं पल पल महसूस करती. हवा भी चले, तो लगता था कि उसने ही छुआ हो.

खैर … हम दोनों रोज फ़ोन और मैसेज पर बातें करते और रोज रात को वीडियो चैट करते थे. कभी कभी उसके गिफ्ट्स भी आते थे. लेकिन वो किसी आम जोड़े की तरह नहीं होते, ज्यादातर मुझे उत्तेजित करने वाले ही होते थे. जैसे ब्रा पैंटी का जोड़ा, जिसे मुझे उसके निर्देशित स्थान पर बदलने होते थे. कभी ऑफिस में, कभी पब्लिक टॉयलेट में, कभी मामी के बेडरूम में. मैं उसका दिया हर टास्क पूरे मन से पूरा करती थी.

भाई के कारण किसी पराये मर्द का तो मेरे जहन में ख्याल भी नहीं आता था. हां लेकिन मुझे जिस्म की नुमाईश करने में बड़ा मजा आता है और भाई का बस चले, तो वो हमेशा मुझे नंगी ही रखे.

मुझे एक अच्छी जॉब मिली थी. मेरी बॉस भी एक महिला थीं. उनका नाम इलियाना था. वो काफी स्ट्रिक्ट थीं, सारे इम्प्लाइज की क्लास लेती थीं. मेरी कड़ी मेहनत और लगन से वो काफी प्रसन्न रहती थीं.

एक दिन रात को रोज की तरह मैं भाई से चैट कर रही थी. भाई का सख्त आदेश था. चैट करते समय मैं पूरी नंगी रहूं. पिछले आधे घंटे से मैं बेड के बीचों बीच घुटने मोड़ कर बिल्कुल नंगी बैठी थी. मेरे दोनों हाथ ऊपर हवा में थे. बेड पर लैपटॉप मेरे सामने था. मुझे एक मिनट के लिए भी लैपटॉप से नजर नहीं हटानी थी. भाई सामने वीडियो चैट पर मुझे घूर रहा था. वो मेरे अंग को ऐसे निहार रहा था, जैसे पहली बार देख रहा हो.

ये बिल्कुल आसान नहीं था. खास करके जब 8 इंच का लौड़ा आपकी चुत में हो. जी हां … ये भाई के गिफ्ट्स में से एक था. एक नकली लंड, जो उसके लौड़े के साइज का था. हालांकि मुझे इसे उसके आदेश के बिना इस्तेमाल करने की आजादी नहीं थी. मैं वासना से पागल हुई जा रही थी … लेकिन मुझे हिलने का आदेश नहीं था. मैं बहुत गर्म थी. आधे घंटे से एक मूसल सा लंड मेरी चुत में था.

तभी धड़ाक की आवाज से मेरा ध्यान बंटा, मैंने हड़बड़ा कर लैपटॉप बन्द किया. इशिता, मेरी छोटी बहन दरवाजा खोल कर अन्दर आ चुकी थी. वो मेरी तरफ बढ़ी, लेकिन उससे पहले ही लड़खड़ा कर गिर गयी. इशिता नशे में धुत्त थी. उसके हाथ में अभी भी एक बोतल थी.

“इशिता..!” मैं चिल्लाई और उसकी तरफ दौड़ी. वो जमीन पर बेसुध लेटी थी. मुझे बड़ी हैरानी हुई.
“उठ इशिता, कहां से आ रही है, तूने इतनी क्यों पी रखी है?”
“बूब्स … बिग बिग बूब्स..” इशिता ने मेरे नंगी चूचियों की तरफ इशारा करते हुए बोला. तब मुझे एहसास हुआ कि मैं पूरी तरह नंगी हूं.
“क्या बक रही है?”

इशिता कुछ नहीं बोल रही थी, अभी भी उसकी आंखें मेरे मोटे और बड़े चूचों पर ही टिकी थीं.

“बूब्स मिल्की बूब्स … टेस्टी … आई वन्ना सक इट..”
उसने शराबियों के लहजे में बोला.

इतना कह कर उसने मेरे एक चूचुक को मुँह में भर लिया. मैं तो उसके इस एक्शन से एकदम से सिहर उठी. महीनों बाद मेरी चूचियों की नोकों पर किसी की नर्म जीभ के स्पर्श का एहसास हुआ था. चूचुकों पर प्राप्त अन्तर्वासना से मेरे मुख से “आहहहह..” निकल गई. एक पल को मुझे अपने चोदू भाई की याद आ गयी. एक भी दिन ऐसा नहीं होता था. जब वो मेरे मम्मों को मसलता और चूसता न हो. मैंने खुद को ख्यालों से निकाला और वास्तविकता में आ गयी.

“इशिता छोड़ … क्या कर रही है?”

मैंने किसी तरह उससे अपने मम्मे छुड़ाए. इशिता ने बहुत ज्यादा पी रखी थी. वो इस हालत में नहीं थी कि मैं उसे उसके कमरे में ले जाऊं. मैं किसी तरह उसे बेड पर ले कर आयी. मैं उसके लिए पानी लेने गयी. तब तक वो मेरे बेड पर ही सो गई.

मैं सोने की कोशिश कर रही थी. पर मुझे नींद कहां आने वाली थी. पहले भाई ने, फिर इशिता ने मेरे अन्दर की अन्तर्वासना जगा ही दी थी. इन सबको सोचते सोचते कब मेरा हाथ मेरे स्तनों पर चला गया, मुझे पता भी नहीं चला. मैंने अनुभव किया कि मेरे निपल्स एकदम कड़क और सेंसटिव थे. जोकि अकसर भाई के ख्यालों से हो जाते थे.

मैंने खुद से बुदबुदाते हुए बोला कि ये मैं क्या कर रही हूं … एक लड़की की छुअन से मैं कैसे उत्तेजित हो रही हूं. मैं पागल हो गयी हूं भाई की तड़प में … शायद उसकी कमी और सेक्स के लिए मेरी तड़प ने मुझे ऐसा सोचने पर मजबूर किया है. मेरे मन में ऐसे तरह तरह के बहुत सारे ख्याल कौंध गए. मैंने खुद को समझाया और किसी तरह सो गई.

“मैं यहां कैसे..!” इशिता ने सुबह उठते ही मुझसे पूछा. मैं ऑफिस के लिए तैयार हो रही थी. तब वो उठी थी.
“ये तो तुझे बताना चाहिए.”
“आहहहह, मुझे कुछ याद नहीं दीदी.”
“हम्म रहेगा भी कैसे … तूने इतनी ज्यादा जो पी रखी थी.”
“पी रखी थी … ओ हां कल रात मैं पार्टी में थी फिर!”
“चल ज्यादा जोर मत डाल दिमाग पर … उठ जा, कॉलेज नहीं जाना क्या?”
“नो दीदी आई एम नॉट फीलिंग वेल..” (नहीं दीदी, मेरी तबियत कुछ ठीक नहीं लग रही है)
“चल उठ जा, मैं राधा को निम्बू पानी लाने को बोलती हूं.”
“ओके दीदी.”

मैं ऑफिस के लिए निकल गयी.

ऑफिस में जो हुआ वो लिख रही हूँ.

सांसों की आवाज आ रही थी.

“स्मेलिंग नाइस.”(क्या खुशबू है) मेरे दायें कंधे पर किसी के सांसों का आभास हुआ.
“टीना!” मैंने पहचानते हुए उसका नाम जोर से पुकारा.

टीना मेरी सहकर्मी है, हम दोनों काफी जल्द ही बहुत अच्छे दोस्त बन गए थे. उसकी आदत है … वो मज़ाक में मुझे जान, डार्लिंग, बिच (कुतिया) कह कर भी बुला देती थी और मैं उसे भी इन्हीं शब्दों से सम्बोधित कर देती थी. मतलब हम दोनों में काफी घनिष्ठ मित्रता थी. हम हर तरह की बातें शेयर किया करते थे.

वो भी काफी हॉट लड़की है. ऑफिस में कई उसके आशिक़ थे और कई पार हो चुके थे. वो थोड़ी मॉडर्न ख्यालातों की थी. काफी खुले विचारों की और कुछ ज्यादा ही फैशन की शौकीन लड़की थी.

“तू नहीं सुधरेगी न!” मैंने उसे आंख दिखाते हुए कहा.
“जान तुझे देख के अच्छे अच्छे बिगड़ जाएं, मैं क्या चीज हूं.”
“चल हट.”

वो डेस्क पर बैठ गयी, फिर कुछ देर हमने बातें की. वही ऑफिस पॉलिटिक्स शुरू हो गई कि किसका किसके साथ चल रहा है, कौन किससे चुद रहा है. किसका लंड किसकी चुत में जा रहा है. उसके बाद वो अपने क्यूबिकल में चली गयी. फिर वही दिन भर काम काम काम और काम.

इंटरवल में मैं वाशरूम गयी. मैंने अपने शर्ट के दो बटन खोल दिए. मेरे बड़े बड़े मम्मे साफ झलकने लगे. मैंने दो तीन फोटोज लीं और विशाल को भेज दीं. फोटो के नीचे मैंने टाइप किया.

“सॉरी मास्टर, प्लीज पनिश मी.”(कृप्या मुझे दण्ड दें)

कल रात को मैं बिना कुछ बोले चली गयी थी. फिर इशिता मेरे कमरे में आ गयी … तो उससे बात नहीं हो पाई. सुबह से उसके एक भी कॉल या मैसेज भी नहीं आया था. यह तूफान के पहले की शांति थी. मुझे कोई कठिन पनिशमेंट (दण्ड) मिलने वाला था. सच कहूं तो मैं भी इसके लिए उत्साहित थी … एक नए रोमांच को मसहूस करने के लिए. मुझे उसकी पनिश्मेंट्स और दिए गए काम अच्छे लगते थे. मुझे खुद को उसके हवाले करना, दिल से अच्छा लगता था.

उस दिन ऑफिस में कुछ नया या रोचक नहीं हुआ … वही रोज की तरह पूरा दिन काम करते हुए ही गुजरा.

मेरे द्वारा विशाल को अपने मम्मों की फोटो भेजने और उससे दंड पाने की ख्वाहिश का मैसेज किया था. मुझे उसका जबाव मिलने की प्रतीक्षा थी.

मेरे मास्टर विशाल की विचित्र पनिशमेंट कुछ यूं मिली.

ऑफिस से छूटते ही मैंने कैब ले ली और घर आ पहुंची. मैंने किसी से लिफ्ट नहीं ली थी … क्योंकि मास्टर का आदेश था. एक घंटे पहले उसका मैसेज आया था.
“आई वांट टू सी माई प्रोपर्टी वैट एंड जूसी.”
(वो मुझे पसीने से भीगा हुआ देखना चाहता था)

मामी जी का फ्लैट दसवें माले पर था. गर्मी का मौसम था. पांच माले तक चढ़ने में ही मैं ही हांफ गयी थी. किसी तरह मैंने बाकी की सीढ़ियां भी चढ़ीं. घर पहुंचते पहुंचते मैं पसीने से लथपथ हो गई थी. मेरी सफ़ेद शर्ट पसीने से भीग चुकी थी.

मैं घंटी बजाई, तो मामी ने दरवाजा खोला.
“अरे प्रीति बेटा क्या हुआ?” मामी ने मेरी हालत देख कर पूछा.
“कुछ नहीं मामी वो लिफ्ट खराब थी.” मैंने बहाना किया.
“अच्छा … तुम फ्रेश हो जाओ, मैं खाना लगा देती हूं.”

मैंने लैपटॉप का बैग बेड पर फेंका और बाथरूम में घुस गई. मैंने खुद को आईने में देखा. मैं पूरी तरह भीग चुकी थी. मैंने अपने बाल थोड़े सही किए और लिपस्टिक लगाई.

मेरे मम्मे काफी बड़े होने के कारण शर्ट मेरे मम्मों पर चिपक गयी थी. मैंने शर्ट के तीन बटन खोल कर उसे मम्मों के नीचे तक सरका दिया, जिससे मेरी ब्लैक ब्रा दिखने लगी. मेरी ब्रा भी पसीने से भीग चुकी थी. मैंने दो तीन फ़ोटो क्लिक कीं और भाई को व्हाट्सअप कर दीं.

मैंने नीचे लिखा- योर स्लट इज वेटिंग फ़ॉर यू मास्टर.” (तुम्हारी रंडी तुम्हारा इन्तजार कर रही है.)

मैंने फोन साइड में रखा और आईने में देख कर खुद को निहारने लगी. मेरे माथे पर पसीने की बूंदें थीं … आंखों में काजल था, जिससे मेरी आंखें तीखी और नशीली लग रही थीं. मेरे गोरे चेहरे पर लाल रसीले होंठ चमक रहे थे. मेरा भीगा बदन ऐसे लग रहा था … मानो मैं सीढियों से चढ़ कर नहीं, बल्कि चुद कर आयी हूं. मेरी गर्दन से टपकते पसीने की बूंदें मेरे मम्मों की घाटियों में बहते हुए जा रही थीं. एक बार के लिए तो मैं खुद को ही देख उत्तेजित हो गयी.

करीब पांच मिनट बाद भाई का मैसेज आया.
“शो मी.” (मुझे दिखाओ)

मैंने वीडियो काल करके मोबाइल सामने रख दिया. मैंने आहिस्ते से हाथ अपने मम्मों पर फेरा और रंडियों की तरह मुस्कुराते हुए शर्ट के बटनों को खोलने लगी. अगले ही पल मैंने अपनी शर्ट को निकाल कर फर्श पर गिरा दिया. मैंने अपने नंगी भीगे बदन पर आहिस्ता से हाथ फेरा … मैं देख तो नहीं पायी, लेकिन मुझे अंदाज हो गया था कि भाई ने अपना लंड पकड़ लिया होगा. मैंने हाथ अपने भीगे बदन पर सरकाते हुए पीछे ले गयी और अपनी ब्रा का हुक खोल दिया. ब्रा खुलते ही मेरे चूचे उछल कर सामने आ गए, जैसे कि वो न जाने कब से बाहर आने के तड़फ रहे थे और मैंने उन्हें कैद कर रखा हो. लेकिन ब्रा अभी भी मेरे मम्मों पर चिपकी हुई थी.

उसने मुझे आदेश दिया- वेलकम पोज.

ये मास्टर वेलकम पोज उसका फेवरेट पोज था. क्योंकि इसमें उसे मेरे पूरे नंगे जिस्म को देखने को मिलता था. इसमें मुझे दोनों हाथ ऊपर उठा कर खुद को उसे सौंपना होता था.

मेरे हाथ ऊपर करने पर मेरे सीने से लगी ब्रा भी गिर गयी और मैं पूरी तरह नंगी हो गयी. मैंने गोल घूम कर उसे एक अच्छा लुक दिया. उसे मेरी नंगी पीठ उसे बहुत पसंद है. मैं सिर झुकाए खड़ी थी. मेरे हाथ अभी भी ऊपर थे.

“स्मेल ईट.” (खुशबू लो) उसने आदेश दिया.

मैं सोचने लगी कि ये क्या कह रहा है. मैं सोच में पड़ गयी.

उसने फिर बोला- ट्रस्ट मी, स्मेल इट. (मेरा विश्वास करो, खुशबू लो).

मैं संकोच करते हुए नाक अपने आर्मपिट्स के करीब ले गयी और लम्बी सांस ले कर अपने ही जिस्म की खुश्बू को अपने जहन में उतार लिया. मेरे जिस्म की महक़ आज मुझे मादक लग रही थी. मुझे नशा सा चढ़ गया, मेरी आंखें बंद हो गईं. मुझे वो दिन याद आ गए, जब हम पसीने से लथपथ घंटों चुदाई का खेल खेला करते थे. कैसे वो मेरे आर्मपिट्स को अमृत रस की तरह चाटता था.
मेरे हाथ खुद ब खुद मेरी चुत पर चले गए. वासना के सागर में डूबी मैं, अपने दाने को मसलने लगी. मेरे मुख से सिसिकारियां निकलने लगीं. मैं उससे चुदाई की गुहार लगाने लगी.

“फक योर स्लट मास्टर.” (अपनी रंडी को चोदिए मेरे मालिक)
“उम्मम हम्मम्म यसस … आहहहह फ़क मी लाइक होर..” (मुझे किसी बाजारू रंडी की तरह चोदो)
मैं इतनी उत्तेजित हो गयी थी कि जल्द ही झड़ने को हो गयी.

तभी “स्टॉप … इट्स इनफ फ़ॉर नाउ, रेडी फ़ॉर नाइट सो.”(रुको … अभी के लिए इतना काफी है, रात को मिलते हैं)

मैं कुछ कह पाती, तब तक उसने कॉल कट कर दिया. मैं हमेशा ही मचल उठती हूं, जब वो मुझे इस तरह धमकाता है. मैं गर्म हो चुकी थी. उसके इस बर्ताव पर मुझे बहुत गुस्सा आया … लेकिन ये पहली बार नहीं था. मुझे तड़पाना तो उसकी आदत है. उसे इसमें बड़ा मजा आता है. मैंने फोन उठाया, उसका मैसेज आया था.

“लव यू दीदी.”
“मी ओर माई बॉडी?” (मुझे या मेरे जिस्म को) मैंने नाराजगी में लिख दिया.

कुछ सोच कर उसने रिप्लाय किया- आल ऑफ यू. (आप, पूरी की पूरी)
“मिस यू छोटे.”(मैं तुम्हें मिस कर रही हूं,छोटे)
“मिस यू टू दीदी.”
“तो आ जा ना.”
“जल्द ही आऊंगा.”
“शुड आई वेट नेकेड फ़ॉर माय मास्टर?” (क्या मुझे तुम्हारे इन्तजार में नंगी रहना चाहिए)
“नो नो, मैं जल्द ही आने की कोशिश करूंगा.” एक स्माइली के साथ उसने लिखा.
“लव यू … बाय.”
“बाय, लव यू टू.”
“उम्माहह.”

मैंने उसको किस वाली इमोजी भेजी और फोन रख कर मैं बाथटब में आ गयी. ठंडा पानी मेरे जिस्म पर ऐसे लग रहा था, मानो तवे पर पानी छिड़क दिया हो. आंखें बंद करते ही मैं भाई के पुलअप बार से बंधी हुई थी. जहां उसने मुझे कई बार चोदा था. महसूस होने लगा कि वो मेरे नंगी जिस्म से खेल रहा है. वो मेरे जिस्म के हर एक भाग को प्यार करता और दर्द भी देता था, लेकिन उस दर्द में मजा था. एक रोमांच था. मुझे याद है कैसे वो मेरे हर एक अंग को प्यार करता.

ये सोचते ही मेरे हाथ खुद ब खुद मेरे मम्मों पर चले गए. मेरे मुख से हल्की सिसकारियां निकल गईं.

मुझे होश ही नहीं रहा कि कब मैं अपनी कल्पनाओं में भाई के साथ बेडरूम से हट कर अपने खुद के बेडरूम में आ गई थी. इशिता मेरे मम्मे चूस रही थी. ये मुझे पता ही न चल सका.

मुझे कल रात इशिता द्वारा मेरे मम्मों को चूसे जाने का एहसास मुझे रोमांचित कर गया. मैंने एक हाथ चुत पर फेरा, जो कि गीली हो चुकी थी. मैं अपनी चूत के दाने को मसलने लगी. फिर मैंने तीन उंगलियां अपनी चुत में पेल दीं और खुद की चुदाई करने लगी. भाई ने इन दिनों मुझे खुद से प्यार करना सिखा दिया था. मैं खुद के मम्मे मसलते हुए खुद की चुत की चुदाई कर रही थी. कुछ ही पलों मैं झड़ गयी. इससे मेरे मन को अस्थायी शांति तो मिल गई थी. लेकिन अभी भी कुछ सवाल बरकरार थे.

मैं खुद से पूछने लगी कि क्या मैंने अभी अभी अपनी बहन को सोच कर मुठ मारी? क्या हो गया है प्रीति तुझे, तू एक लड़की के बारे में ऐसा कैसे सोच रही है?

इस तरह के कई विचार थे मेरे मन में, जिनके जवाब मेरे पास नहीं थे.

डिनर पर मैंने मौका देख मामी से बात करनी चाही- मामी, मुझे आपसे कुछ बात करनी है.
“हां, हां प्रीति बेटा बोलो … किस बारे में बात करनी है?”
“इशिता के बारे में.”

इशिता का नाम सुनते ही मामी के चेहरे का तो जैसे रंग ही उड़ गया. वो एकदम से ऐसे सकपका गईं, जैसे उनकी कोई चोरी पकड़ी गई हो.

“इशिता … इशिता कुछ ज्यादा ही नशा करने लगी है … कल रात भी नशे में घर आई थी.” मैंने अपनी बात पूरी करते हुए कहा.
“हा हा हा, बेटा आज कल के बच्चों के शौक भी तो बढ़ गए हैं.” उन्होंने बनवाटी हंसी के साथ बोला.
“पर मामी ऐसे देर रात घर आना, नशे में आपको अनसेफ (असुरक्षित) नहीं लगता?”

मामी कुछ देर तक सोचा, फिर वे बोलीं- मेरी कहां सुनती है बेटा, तुम्हीं उससे बात करना … हो सकता है, वो तुम्हारी सुन ले.
“पर … मामी..” मैं अपनी बात पूरी नहीं कर पाई क्योंकि मेरे फोन की घंटी बज उठी. ये फोन विशाल का था. मैं ज्यादा कुछ बात नहीं कर पाई मामी से … बस जल्दी जल्दी खाना खाकर कमरे में चली आयी.

अगले दिन ही बाद रात को फिर इशिता वैसे ही फिर नशे में धुत्त आयी. आज मामी भी घर पर नहीं थीं. मैंने ही दरवाजा खोला.
मुझे देखते ही वो चहक उठी- दीदी, ओ माय सेक्सी हॉट दीदी. (मेरी सेक्सी हॉट दीदी)
यह कहती हुई वो मेरी तरफ बढ़ी, लड़खड़ा कर वो मेरे ऊपर आ गिरी. मैं उसे सहारा देकर उसके कमरे तक ले गयी. उसे बेड पर सुलाया.

वो अभी भी बड़बड़ा रही थी- स्लट, व्हेर इज माय स्लट?
“चल सो जा … तू बहुत नशे में है.” ये कहते हुए मैं जाने के लिए मुड़ी. उसने मुझे खींच कर अपने ऊपर गिरा लिया.
“क्या कर रही है? छोड़ इशिता.”
“दीदी, आप न बहुत हॉट हो, बहुत सेक्सी (कामुक) … लाइक सेक्स गॉडेज.” (काम की देवी)

ये सब तो उसने नशे में कहा … लेकिन नशे में अकसर लोग मन की बातें कह जाते हैं. मैं उसकी आंखों में देख रही थी. उसका ये मासूम चेहरा कई राज छिपाए बैठा था. मैंने उससे खुद को छुड़ाया. मैं वापस अपने कमरे में आ गयी.

मैंने सोने की कोशिश की. मैं इशिता के रवैये पर गुस्सा भी थी. वो लगभग हर दूसरे दिन नशे में धुत्त घर आती, लेकिन मामी उसे कभी नहीं डांटती थीं. आज तो हद था उसके कपड़े भी फटे हुए थे. मैंने उसी वक्त ये निश्चित किया कि सुबह ही मामी से दोबारा इसको लेकर बात करूंगी.

आपको मेरी दीदी की ये सेक्स कहानी कैसी लग रही है … प्लीज़ मुझे मेल करें ताकि मैं अपनी दीदी के साथ आपके मेल पढ़ कर मजा कर सकूँ और उसकी मदमस्त चुदाई की कहानी आपके लिए लिख सकूँ.

विशाल जैसवाल
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