न्यूड भाभी की हॉट चुदाई कहानी में पढ़ें कि पड़ोस की एक मस्त भाभी से मेरी दोस्ती हो गयी थी. मैंने उसकी चूत मारना चाहता था. मेरी तमन्ना भाभी ने पूरी की.
न्यूड भाभी की मस्त चुदाई कहानी के पिछले भाग
सेक्सी मैरिड पड़ोसन की चुदाई-1
में अब तक आपने पढ़ा कि मैं खिड़की से झांकती हुई श्वेता के मस्त मम्मों को देख ही रहा था कि उसने मुझे चाय पीने के लिए अपने फ्लैट में आने को कहा, तो मैं उसके फ्लैट में चला गया.
अब आगे की न्यूड भाभी की मस्त चुदाई कहानी:
श्वेता- तुम्हारे होने से मैं खुश ही रहती हूँ, मुझे अकेलापन नहीं लगता वरना अमितेश के पास तो टाइम ही नहीं है.
मैंने पूछा- आपकी और अमितेश की इतनी बहस क्यों होती है?
श्वेता बोलने लगी- यार, वो मेरा ध्यान नहीं रखते हैं.
मैंने कहा- मुझे तो ऐसा नहीं लगता कि वो आपका ध्यान नहीं रखते हैं.
श्वेता बताने लगी कि अमितेश बात बात पर ग़ुस्सा करते हैं … और लड़ते रहते हैं.
उसने उसके और अमितेश के बारे में और भी कुछ बताया कि किस तरह उनके बीच बहस होती रहती है.
बात करते करते अचानक से श्वेता की गर्दन में दर्द होने लगा- आह … मेरी गर्दन!
मैं बोला- क्या हुआ?
श्वेता- मेरी गर्दन अचानक से बहुत दर्द करने लगी.
मैं- मैं कुछ करूं?
श्वेता- हां प्लीज़ थोड़ी मालिश कर दो.
श्वेता कुर्सी पर ही बैठी रही और मैं पीछे से उसकी गर्दन की मालिश करने लगा.
चूंकि मैं खड़ा था … तो ऊपर से उसके बोबों पर मेरा ध्यान बार बार जा रहा था.
गर्दन की मालिश करते करते मैं उसके कंधे भी दबा रहा था.
मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. नर्म गर्म बदन दबाने में मुझे मज़ा आ गया और ऊपर से उसके बोबों के थोड़े थोड़े दर्शन भी मेरे लंड को गर्म कर रहे थे. मेरा लंड कड़क होने लगा था.
थोड़ी देर बाद मैं बोला- अब ठीक लग रहा है?
श्वेता- हां अब ठीक है … थोड़ा आराम कर लूंगी … तो ठीक हो जाएगा.
फिर मैं अपने फ्लैट पर आ गया और पलंग पर लेटे-लेटे श्वेता और उसके बोबों के बारे में सोचने लगा.
जब न रहा गया तो मैंने उसको सोचते सोचते बाथरूम में जाकर एक बार मुठ मार ही ली.
फिर कुछ दिनों बाद शनिवार को सुबह सुबह मैंने देखा कि अमितेश बैग लेकर कहीं जाने की तैयारी में था.
मैंने पूछ ही लिया- कहीं बाहर जा रहे हैं?
अमितेश बोला- हां मुझे अफ़िस के काम से एक सप्ताह के लिए बाहर जाना है.
मैं मन ही मन थोड़ा खुश हुआ कि चलो इस बहाने श्वेता से कुछ ज्यादा बात करने का मौक़ा मिल जाएगा.
दोपहर को मैंने खिड़की से देखा कि श्वेता हॉल मैं कुछ कर रही है और गर्मी होने के वजह से उसने एक ढीली सी टी-शर्ट और शॉर्ट्स पहन रखी थी.
उसकी गोरी चिकनी टांगें बड़ी मस्त लग रही थीं.
मैं तो बस उसे देखता ही रह गया. ऐसा लगा रहा था कि वो सफ़ाई कर रही है और इसी वजह से वो बार बार झुक रही थी.
ढीली टी-शर्ट पहनी होने की वजह से जब भी वो झुकती, तो उसकी काली ब्रा से ढके उसके गोरे गोरे बोबे दिख जाते.
मैं ये सब बड़े मज़े से देख रहा था.
तभी श्वेता ने मुझे देख लिया और कहने लगी- अरे तुम कब आए … मैंने तो देखा ही नहीं!
मैंने कहा- बस अभी आया, क्या चल रहा है?
मैंने पूछा तो श्वेता बोली- बस साफ़ सफ़ाई.
मैंने मज़ाक़ किया- कुछ मदद करूं?
श्वेता- क्या मदद कर सकते हो?
मैं बोला- सफ़ाई करते करते थक गई होगी … मैं चाय बना दूंगा?
श्वेता- हम्म … चलेगा, पर इधर ही आकर बना लो.
मैं अपनी टी-शर्ट और शॉर्ट्स पहनकर उसके फ्लैट पर पहुंच गया और किचन में चाय बनाने लगा.
चाय बनाते बनाते बीच मैं उससे बात करने के लिए हॉल में आ जाता और मौक़ा मिलते ही उसके बोबे भी देख लेता.
थोड़ी देर में चाय बन गयी. मैं और श्वेता हाल में बैठकर चाय पीने लगे और बात भी करते जा रहे थे.
मैं बोला- और कुछ मदद चाहिए सफ़ाई में?
श्वेता- नहीं बस हो गयी … अब तो नहाना बाक़ी है बस!
मैं बोला- ओके मुझे भी नहाना है … तो मैं जाता हूँ.
श्वेता- थोड़ी देर रुक जाओ … मैं नहा लूं, फिर चले जाना.
मैं बोला- ठीक है.
मैं अपने मोबाइल में गेम खेलने लगा.
श्वेता के बाथरूम के सामने गलियारे जैसा था, जो हॉल में से दिखता था. वो नहाने की तैयारी कर रही थी और जैसे ही वो बाथरूम में गयी, मुझे कुछ ज़ोर से गिरने की आवाज़ आयी.
मैंने आवाज देकर पूछा- श्वेता क्या हुआ?
श्वेता दर्द से कराहते हुए- मेरा पैर फिसल गया … मेरी मदद करो.
मैं जैसे ही बाथरूम की तरफ़ गया … तो देखा कि श्वेता गिरी पड़ी थी और उससे उठा ही नहीं जा रहा था.
वो बोली- मुझे उठाने में मदद करो.
मैं उसे उठाने लगा, पहले तो मैंने उसका हाथ पकड़ा और उठाया, पर उसके पैर में मोच आ गयी थी … तो वो ठीक से चल ही नहीं पा रही थी.
जैसे ही मैंने उसकी कमर पर हाथ रखा तो मेरे पूरे शरीर में करंट दौड़ गया. मैं किसी तरह उसे सहारा देकर बेडरूम में ले आया और उसे पलंग पर लेटा दिया.
मैं- श्वेता तुम ठीक हो न … कहां लगी है?
श्वेता- आह पैर मुड़ गया है और कमर में भी दुख रहा है.
मैं- कुछ स्प्रे वगैरह है … तो मैं लगा देता हूँ.
श्वेता- हां, वो पास की दराज में है.
मैंने दराज से स्प्रे निकाल कर पैर पर लगा दिया और थोड़ी सी मालिश भी कर दी. मालिश करते करते मेरा लंड भी थोड़ा कड़क हो गया था.
मैंने पूछा- अब ठीक है?
श्वेता- हां दर्द कुछ कम हुआ है.
मैं- तुम आराम करो … मैं अपने फ्लैट पर जाता हूँ. तुम्हें कुछ काम हो तो मुझे फ़ोन कर लेना, मैं आ जाऊंगा.
श्वेता- मेरी कमर भी दर्द कर रही है … तो प्लीज़ थोड़ी सी मालिश कर दो.
मैं- पर मैं कैसे?
श्वेता- क्यों क्या हुआ? नहीं कर सकते क्या?
मैं- वो बात नहीं है … अच्छा बताओ कहां दर्द हो रहा है?
श्वेता उल्टा लेट गयी और बोली- लेफ़्ट साइड में दर्द हो रहा है.
मैं पलंग की साइड में आया और उसका टॉप थोड़ा सा ऊपर किया और हाथ से छूकर पूछा- यहां दर्द हो रहा है?
श्वेता- नहीं थोड़ा नीचे.
मैंने अपना हाथ थोड़ा नीचे किया और फिर पूछा- यहां?
वो बोली- नहीं, थोड़ा और नीचे.
मैंने अपना हाथ थोड़ा और नीचे किया और फिर पूछा- यहां?
श्वेता- नहीं थोड़ा और नीचे.
ऐसा बोलकर उसने अपने शॉर्ट्स और पैंटी दोनों को थोड़ी नीचे खिसका दी, जिससे उसकी गोरी गांड दिखने लगी. उसकी गोरी गांड देखकर मेरा लंड कड़क होने लगा, जो मेरी शॉर्ट्स के ऊपर से दिख रहा था.
श्वेता- क्या हुआ मालिश क्यों नहीं कर रहे?
मैं- कुछ नहीं वो बस …
इतना बोलकर उसकी गोरी और नर्म गांड पर मालिश करने लगा. मैं ज्यादा ज़ोर नहीं दे रहा था.
श्वेता- क्या बात हैं मयंक, पैर पर तो बड़े अच्छे से मालिश कर रहे थे. अब क्या हुआ?
शायद उसने मेरे लंड का उभार देख लिया था.
मैं बोला- कुछ नहीं … तुम तो सुंदर हो ही और तुम्हारा शरीर और भी ज्यादा सुंदर है.
मैंने सोच लिया था कि कैसे भी हो, आज श्वेता को चोद कर ही रहूँगा. शायद श्वेता भी यही चाहती थी.
श्वेता- बस इतने में ही मैं तुम्हें सुंदर लगने लगी.
ये बोलकर श्वेता सीधी पलंग पर बैठ गयी और उसने अपना टॉप निकल दिया.
अब उसके गोरे बोबे उसी काली ब्रा में मेरे सामने थे, जिसे मैं चोरी चोरी देख रहा था.
मैंने भी मौक़े का फ़ायदा उठाया और अपनी टी-शर्ट और नेकर निकाल दी.
अब वो अपनी नेकर और ब्रा में थी और मैं अपने अंडरवियर में था.
श्वेता ने उंगली से मुझे करीब आने का इशारा कर दिया.
मैं श्वेता के करीब आ गया और उसके बोबे उसकी ब्रा के ऊपर से ही दबाने लगा था.
उम्म्म … क्या मज़ा दे रहे थे.
इधर श्वेता मेरा अंडरवियर धीरे धीरे नीचे खिसकाने लगी और जैसे ही मेरा अंडरवियर थोड़ा नीचे हुआ तो मेरा लम्बा और मोटा लंड सीधा लहराता हुआ बाहर आ गया.
मेरा मोटा लम्बा लंड देखकर श्वेता की आंखें खुली की खुली रह गईं.
मैं- क्या हुआ … ऐसे क्या देख रही हो?
श्वेता- कुछ नहीं … इसे देखकर लग रहा है कि मैंने कोई बाथरूम में गिरने का ड्रामा करके कोई गलती नहीं की.
उसकी इस बात से मैं भी हंस दिया.
उसने मुझे पूरा नंगा कर दिया. वो अभी पलंग पर ही बैठी थी और मैं उसके सामने खड़ा था.
पहले श्वेता मेरे लंड से खेलने लगी; फिर लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी.
मैंने आंखें बंद कर लीं. लंड चुसवाने में मस्त मज़ा आ रहा था.
थोड़ी देर बाद मैंने श्वेता से बोला- केवल लंड ही चूसोगी या कुछ और भी प्लान है?
श्वेता- अब तुम्हारी बारी, जो करना है कर लो.
मैंने उसकी नेकर और पैंटी निकाल दी और उसे पलंग पर ही घोड़ी बना दिया. वो पलंग पर घुटनों के बल थी और मैं उसके पीछे अपना मोटा लंड लिए उसे चोदने के लिए तैयार था.
मैं अपना लंड उसकी चूत पर टिका कर रगड़ने लगा. फिर मैंने एक झटका मारा तो मेरा सुपारा उसकी चूत में जा घुसा.
मुझे ऐसा लगा जैसे किसी तंग बिल में मेरा लंड फंस गया हो.
उसे भी थोड़ा दर्द हुआ और वो थोड़ा आगे की ओर झुक गयी.
इससे मेरा लंड बाहर आ गया.
मैं- क्या हुआ … तुम ठीक तो हो?
श्वेता- हां मैं ठीक हूँ … बस थोड़ा आराम से करो. तुम्हारा बहुत मोटा है.
मैं बोला- ठीक है, पर तुम इस बार थोड़ा कड़क रहना.
मैंने फिर से अपना लंड उसकी चूत पर रखा और इस बार उसकी कमर को कस के पकड़कर एक ज़ोरदार झटका दे दिया.
मेरा आधा लंड उसकी चूत में घुस चुका था.
उसके मुंह से चीख निकल गयी- उफ्फ … उम्म!
उसे दर्द हुआ था लेकिन उसने अपने आपको सम्भाले रखा. मेरे दूसरे झटके से मेरा पूरा लंड उसकी चूत को फाड़ता हुआ अन्दर जा घुसा.
वो सिहर गई और उसकी तेज आवाज निकल गई- आह … मर गई.
मैं थोड़ी देर रुका और फिर धीरे धीरे धक्के लगाने लगा.
थोड़े दर्द के बाद श्वेता को भी मज़ा आने लगा और उसके मुँह से कामुक आवाज़ आने लगी- आह्ह … ओहह … आआआ … स्स्स … अम्म … आह!
उसको चोदने में मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.
चोदते चोदते मैंने उसकी ब्रा भी पीछे से खोल दी.
अब मैं उसके 34 साइज़ के बोबे पीछे से पकड़ कर ज़ोर ज़ोर से धक्के दिए जा रहा था. श्वेता भी इस चुदाई का मज़ा ले रही थी.
एक तरफ़ मैं ऊपर से उसके चुचे दबा रहा था और नीचे से उसकी चूत फाड़ रहा था. उधर वो भी अपनी चुत का भोसड़ा बनवाने में लगी हुई थी.
कुछ देर उसी अवस्था में चोदने पर श्वेता का शरीर अकड़ेने लगा और वो झड़ गयी.
थोड़ी देर बाद मैंने अपना लंड निकाला और श्वेता से कहा- अब सीधी लेट जाओ पलंग पर!
उसने वैसा ही किया.
मैं उसके ऊपर चढ़ गया और अपना लंड उसकी चूत पर रख दिया.
चूंकि वो पहले ही झड़ चुकी थी … तो उसकी चूत बहुत गीली थी. मैंने जोर दिया तो एक ही झटके से पूरा लंड चुत के अन्दर घुस गया था.
मैं एक बार फिर उसके चुचे दबाकर उसे चोदने लगा और श्वेता भी मस्ती में मेरा साथ देने लगी.
उसके मुँह से मादक आवाज़ आने लगीं- उह्हह … उई … सीईई … मर गई मयंक … फाड़ डाली रे मेरी चूत उफ़ … क्या मोटा लंड है … चुत की बखिया उधेड़ दी तुमने … अह्ह्ह … उह्ह्ह … सीई … हां … और ज़ोर से … और ज़ोर से!
क़रीब 15 मिनट तक मैंने उसे ज़ोरदार चोदा और इस बीच वो दो बार और झड़ी. अब मेरी बारी थी झड़ने की.
मैं बोला- श्वेता अमृत रस कहां निकालूं?
श्वेता बोली- हाय मयंक … निकाल दे ना अपने लंड का अमृत रस … मेरी चूत में जल्दी से … सी … उई अह्ह्ह … हां … मेरी चूत भी पानी छोड़ने वाली है यार … जरा तेज तेज रगड़ दे.
बस फिर क्या था … आखिरी के दस ज़ोरदार धक्कों के साथ मैंने श्वेता को अपनी बांहों में भर लिया और उसकी चूत अमृत रस से भर दी.
संतुष्टि श्वेता के चेहरे पर मुस्कान बन कर उभर रही थी. ऐसा लग रहा था जैसे उसे बहुत दिनों से चुदने की प्यास थी.
कुछ देर हम नंगे ही एक दूसरे के शरीर से खेलते रहे.
श्वेता मेरी तरफ मुस्करा कर देखते हुए बोली- वाह मयंक मज़ा आ गया … आज तक इतनी बढ़िया और इतनी मस्त चुदाई नहीं हुई.
उसके बाद हम दोनों ने एक दूसरे के जिस्म को खूब रगड़ रगड़ कर नहलाया.
जब तक अमितेश वापस नहीं आया, श्वेता और मैंने खूब चुदाई की मस्ती की; हर आसन में चुदाई का ज़बरदस्त आनन्द उठाया.
तो प्यारे पाठको और पाठिकाओ, मैं आशा करता हूँ कि आपके सामान गीले हो गए होंगे.
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