यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
8-10 मिनट तक चुदवाने के बाद मैं अपने चरम सुख की ओर चल दी थी, मुझे पूरे शरीर में सुरसुरी सी होने लगी और आनंद से भर गयी, पूरे शरीर में झनझननाहट सी होने लगी तो मैंने कहा- और तेज़ और तेज़ और तेज़ आह उम्म्ह… अहह… हय… याह… अह आ आ… आ… आ… आ… आ आआ आआहहह… कर के ज़ोर से चिल्ला के वहीं फच्च फच्च फच्च के साथ झड़ गयी.
उसका लंड मेरी चूत के अंदर ही फंसा था तो उसे पता चल गया कि मैं झड़ चुकी हूँ तो उसने लंड निकाल दिया और इसके साथ ही मैं बेड पर पेट के बल ही गिर के लेट गयी और टाँगें सीधी कर ली।
उसने कहा- मेरी तरफ मुँह कर के लेटो!
तो मैं घूम गयी।
उसने मेरी गीली चूत में अपना लंड डाला और मेरे ऊपर आ के धक्के मारने लगा ज़ोर ज़ोर से! हालांकि मैं झड़ चुकी थी पर फिर भी उसका साथ दे रही थी और आह आह आह हह हह कर रही थी। लगभग 2-3 मिनट ऐसे ही चोदने के बाद वो मेरी चूत में ही ज़ोर की आहहह के साथ 4-5 झटके ले के झड़ गया और मेरे बगल में आ के गिर गया और हाँफने लगा।
हम दोनों हाँफ रहे थे और एक दूसरे को देख रहे थे। मेरी चूत से पानी बह रहा था और उसके लंड से गिरे वीर्य की बूंदें भी पड़ी थी पेट तक। उसका लंड भी मेरे पानी और उसके वीर्य से सना हुआ था। हम दोनों संतुष्ट हो चुके थे और मुस्कुरा रहे थे।
जब हम दोनों नॉर्मल हो गए तो उठे और टाइम देखा। रात का 1 बज चुका था, उसने कहा- अब कपड़े पहन लेने चाहिएँ, फोन आने ही वाला होगा।
हमने खुद के शरीर को बाथरूम में जाकर साफ किया और पानी पौंछ के कपड़े पहनने लगे।
मैंने उसे कहा- मेरी ब्रा का हुक लगा देना डियर!
फिर चोली की डोरी भी उसी से बँधवाई।
लहंगा पहन के शीशे के सामने खुद को तैयार किया जैसे कि कुछ हुआ ही ना हो।
करन ने बेड की गीली हो चुकी चादर बदल दी और उसपे जान बूझ कर चटनी गिरा दी ताकि किसी को शक न हो और उस चादर को गंदे कपड़ों के साथ वॉशिंग मशीन में डाल आया।
करन के पापा का फोन भी आ गया था।
हम दोनों ने घर लॉक किया और गाड़ी से मैरिज हाल में आ गए और सबकी नजर बचा के मैं अंदर चली गयी तन्वी के पास। वो वहीं स्टेज के पास कुर्सी पे बैठी सो रही थी।
मैंने उसे उठाया और पूछा- कोई मुझे ढूंढ तो नहीं रहा था?
उसने कहा- तेरे पापा ही पूछ रहे थे कि सुहानी दिख नहीं रही, कहाँ गई?
मैंने पूछा- तो तूने क्या बोला?
तन्वी बोली- तो मैंने बोल दिया कि अंकल, चिंता मत करो चुदवाने गयी है थोड़ी देर में आ जाएगी.
और फिर तन्वी हंसने लगी।
मैंने कहा- चुप कर चुड़ैल, सच सच बता कि क्या कहा?
उसने कहा- अरे बोल दिया कि उसे नींद आ रही थी तो सोने चली गयी थोड़ी देर! अब तू सच बता चुदवा के आई है न?
मैंने कहा- नहीं तो, पागल है क्या? ऐसे ही बात करने गयी थी।
उसने बोला- बेटा, तू मुझे बेवकूफ नहीं बना सकती अभी नहीं बता रही तो बाद में बताएगी।
शादी में अब थोड़े से ही मेहमान बचे थे, मुश्किल से 25-30 … बाकी सब वापस जा चुके थे। अब फेरे होने की तैयारी चल रही थी और सब उसमें व्यस्त थे।
रात के 3 बज चुके थे और फेरे शुरू होने वाले थे। फिर शादी हो जाती और सब घर चले जाते थोड़ी देर बाद।
मैं करन से चैट कर रही थी। वो कह रहा था- बस अब कुछ घंटों में हम फिर से दूर हो जाएंगे, जाने से पहले मिल के जाना।
मैंने कहा- ठीक है।
थोड़ी देर बाद मैंने मैसेज किया- सब शादी कराने में बिजी हैं, अभी टाइम है।
उसका रिप्लाई आया- चलो ठीक है, अभी मिलते हैं, मैं गेट के बाहर जा रहा हूँ, तुम भी मौका सा देख के पीछे पीछे आ जाओ।
मैंने देखा कि वो गेट के पास पहुँच के खड़ा हो गया और मुझे देखने लगा।
मैंने तन्वी से कहा- तू रुक, मैं अभी आई।
तन्वी बोली- कहाँ जा रही है, अभी 2 घंटे पहले ही तो चुदवा के आई है, फिर जा रही है क्या चुदने?
मैंने मज़ाक में उसके कंधे पे हाथ मारा और हँसती हुई नज़र बचा के बाहर आ गयी।
करन मेन गेट से निकल के मैरिज हाल की दीवार के साइड में खड़ा हो गया और मैं पीछे पीछे पहुँच गयी।
हम दोनों लास्ट बार मिले, मैंने उसको गले लगाया और हम कुछ देर गले लगे रहे। वो मुझे छोड़ने को ही तैयार नहीं था।
मैंने कहा- छोड़ो भी अब!
उसने कहा- रुको यार, जी भर के गले तो लगने दो।
मैंने कहा- कोई देख लेगा तो बखेड़ा हो जाएगा … छोड़ो मुझे!
वो हटा और मेरा हाथ पकड़ कर बोला- चलो मेरे साथ!
और मुझे खींच के ले जाने लगा। हम घूम के मैरिज हाल की दीवार के पीछे आ गए। वहाँ बिल्कुल सुनसान था, पीछे दूर दूर तक सिर्फ खेत ही खेत थे क्योंकि मैरीज हाल शहर से थोड़ा हट के था। हालांकि दीवारों पर मैरिज हाल की लाइट जल रही थी पर बाकी जगह सिर्फ सिर्फ चाँद की चाँदनी रोशनी ही थी।
उसने कहा- यहाँ तो कोई नहीं है, यहाँ तो जी भर के गले लग सकता हूँ न।
मैंने मुस्कुरा के कहा- अच्छा बाबा लो लग लो!
और हम दोनों एकदम टाइट होकर गले लग गए।
गले लगते हुए ही उसने कहा- अगर मैं दिल्ली आऊँगा तो मिलने आओगी ना?
मैंने कहा- आ जाऊँगी, चिंता मत करो।
मुझे उसकी बांहों की गर्मी में बहुत सुकून मिल रहा था, मैं खुद उसे नहीं छोड़ना नहीं चाह रही थी।
गले लगे लगे ही उसने कहा- एक गुड बाय किस नहीं दोगी?
मैंने मुस्कुरा के उसको देखा तो गले लगे लगे ही उसने अपने होंठ मेरे होंठों पे रख दिये और हम गहरी किस करने लगे। मैं उसके हाथ अपनी कमर पे फिरते हुए महसूस कर रही थी। उसका लंड फिर से टाइट होने लगा था जो मुझे हम दोनों के आपस में चिपके होने के कारण महसूस हो रहा था।
मैंने कहा- अब छोड़ो भी … तुम्हारा इरादा क्या है?
उसने अपने हाथ मेरे लहंगे पे ऊपर से रख के मेरी चूत को भींच दिया तो मैं कसमसा गयी।
वो बोला- ये है अब तो इरादा।
मैंने बोला- पागल हो? यहाँ? नहीं नहीं कोई देख लेगा तो बहुत बदनामी हो जाएगी।
उसने कहा- तुम डरती बहुत हो …कौन देखेगा यहाँ, सुबह तक कोई नहीं आने वाला। प्लीज यार … एक बार फटाफट करूंगा।
इससे पहले मैं और विरोध करती उसने ऊपर से ही मेरे बूब्स को हाथ में भर के दबाना शुरू कर दिया और पैंट में से ही मेरे लहंगे पे चूत पे अपना लंड रगड़ना शुरू कर दिया। वो पूरे जोश में आ चुका था और मुझ पे भी जवानी का जोश हावी होने लगा। मैं भी आंखें बंद कर के सिसकारियाँ लेने लगी।
वो रुक गया तो मैंने आँख खोल के देखा और पूछा- क्या हुआ? रुक क्यूँ गए?
उसने कहा- ऐसे आंखें बंद कर के सिसकारियाँ लेते हुए तुम बहुत प्यारी और सेक्सी लगती हो।
मैं मुस्कुरा दी और अपने हाथों से उसका चेहरा पकड़ के उसके होंठों को किस करने लगी।
हम दोनों ही गर्म हो चुके थे और पूरे जोश में थे, मैंने कहा- कपड़े उतारने का टाइम नहीं है, जल्दी जल्दी कर लो ऐसे ही, जो करना है!
और यह कह के मैंने अपनी चोली को हाथों से आगे से खींच के ऊपर कर दिया। उसके सामने मेरे गोरे और सख्त बूब्स आते ही वो उनपे टूट पड़ा और ज़ोर ज़ोर से मुंह में लेके चूसने लगा। मैं वही दीवार से सिर सटा के आँख बंद कर के आह उम्म्ह… अहह… हय… याह… उम्महह … सिसकारियाँ ले रही थी और उसके लंड को अपने हाथ से सहला रही थी।
मेरी चूत फिर से गीली हो चुकी थी। लगभग 2-3 मिनट बाद मैंने कहा- जल्दी करो, देर हो रही है।
उसने कहा- हाँ, एक मिनट!
और अपनी पैंट नीचे कर दी खोल के।
मैंने भी अपना लहंगा नीचे झुक के ऊपर उठा लिया और पेंटी नीचे सरका दी और अपनी चूत उसके सामने परोस दी। उसने जोश जोश में मेरी चूत से लंड लगाया और एक झटके में अंदर घुसा दिया।
मैंने दबी आवाज में सिसकारी भरी और अः आह आह करने लगी। उसने अपने दोनों हाथ दीवार पे रखे और मुझे आगे लंड को चूत में डाल से धक्के मारने लगा तेज़ तेज़। उसके मुंह से भी आह आह आह अह की आवाज आ रही थी।
मुझे ऐसे खड़े खड़े चुदने में बहुत मजा आ रहा था, मैंने आहह आहह आहह करते हुए ही कहा- और तेज़ … और तेज़!
और उसके धक्कों से हिलती जा रही थी।
ऐसे ही 4-5 मिनट तक चोदने के बाद उसने कहा- दीवार की तरफ मुड़ जाओ और झुक जाओ, दीवार पे हाथ रख के टेक लगा लो।
मैंने वैसा ही ही किया।
उसने पीछे से मेरा लहंगा उठा के मेरी कमर पे रख के पकड़ा और चूत में एक झटके घपाक कर के लंड डाल दिया, मेरा सर को एकदम के धक्के से पीछे को झटका लगा तो मेरे खुले बाल उछाल के पीछे आ गए।
अब वो तेज़ तेज़ धक्के मारने लगा।
मैंने कहा- और तेज़ बाबू … बहुत मजा आ रहा है! ऐसे ही आह आहह अह म्म्ह्ह म्म्ह्ह अह!
वो अब अपनी पूरी ताकत से चोदे जा रहा था और मेरा पूरा शरीर और खुले बाल उसके ज़ोर के धक्कों से हिल रहा था। हम दोनों ही दबी आवाज में आह आह आह आहह कर रहे थे।
फिर वो थक सा गया तो थोड़ा रुक गया।
मैंने पूछा- क्या हुआ? हो गया क्या तुम्हारा?
उसने कहा- नहीं हुआ यार, अभी 2-3 घंटे पहले ही चोदा था न तो जल्दी निकलने का नाम नहीं ले रहा।
मैं उसकी तरफ घूम गयी और दीवार से पीठ लगा के टेक लगा ली। अपना लहंगा उठा के कहा- अब जल्दी करो, इससे पहले कि कोई हम दोनों को ढूंढना शुरू करे।
वो मेरी चूत पे आया और पूरा लंड एक बार में डाल दिया।
मैंने कहा- अब रुकना मत … पूरी ताकत लगा दो, धक्के रुकने नहीं चाहिए।
और वो अपना पूरा जिस्म मेरे जिस्म पे टिका के अपनी पूरी ताकत से धक्के मारने लगा। उसका लंड जितनी गहराई में जा सकता था, जा रहा था और हम दोनों पूरी ताकत से चुदाई कर रहे थे। हम दोनों को पसीना आ गया था, अब हमारी आवाज हल्की सी तेज़ हो गयी थी, वहाँ पे सिर्फ हम दोनों की आह आह आहह हम्म हम्म की कामुक सिसकारियों की और हल्की हल्की पट्ट पट्ट की आवाज़े आ थी।
थोड़ी देर बाद मेरा शरीर अकड़ने सा लगा था और मेरी सिसकारियाँ रुक रुक के ‘आ…हह आआ आआ आ आ… हह आह… हहहह’ करके आने लगी. करन समझ गया कि मैं झड़ने के करीब पहुँच चुकी हूँ। उसने अपनी बची हुयी पूरी ताकत से धक्के मारने शुरू कर दिया और कुछ ही पल बाद फच्च्ह की आवाज के साथ आआहह हह हहहह… के साथ झड़ गयी और उसे अपने से दूर धकेल दिया और वहीं नीचे बैठ गयी और तेज़ तेज़ सांस लेने लगी।
उसने बोला- बस मुझे और झड़ जाने दो प्लीज!
मैंने हम्म कहा और खड़ी हो गयी.
और अब उसने अपना लंड गीली चूत में डाल के ज़ोर ज़ोर से चोदना शुरू कर दिया। करीब 1 मिनट के बाद वो रुक रुक के तेज़ धक्के मारने लगा और आअअअअ… हह… कर के वहीं मेरी चूत में झड़ गया और मेरी बांहों में गिर गया।
हम दोनों पसीने से तर हो गए थे और हाँफ रहे थे।
2-3 मिनट तक अपनी सांसें काबू में करने के बाद उसने मेरे होंठों को किस किया और कहा- थैंक यू वेरी मच!
उसने मुझसे पूछा- तुम प्रेग्नेंट तो नहीं हो जाओगी ना?
मैंने कहा- तुम उसकी चिंता मत करो, मैं सेफ्टी के लिए गर्भ निरोधक गोली खा लूँगी।
हम दोनों उठे, मैंने अपने पर्स में से टिशू पेपर निकाला और उसका वीर्य और अपनी चूत का पानी साफ किया। फिर हमने अपने कपड़े सही किए और धीरे धीरे छुप के वापस मैरिज हाल में आ गए। मैं जल्दी जल्दी में अपने बिखरे बाल ठीक करना भूल गयी।
तन्वी तेज़ तेज़ मेरे पास आई और बोली- मेरे साथ आ जल्दी।
फिर हम बाथरूम में गयी और उसने कहा- चुदने की खुशी में मैडम बाल तो ठीक करना तो भूल ही गयी।
मैं शरमा के मुस्कुराने लगी और नीचे देखने लगी.
उसने कहा- अब क्यूँ शरमा रही है? ला मैं तेरे बाल ठीक करती हूँ।
उसने मेरे बाल ठीक किए और कपड़े भी ढंग से सेट किए। तब तक शादी की सारी रस्में हो चुकी थी और विदाई की रस्म चल रही थी। फिर हम दोनों अपनी गाड़ी में आकर बैठ गयी और घर के लिए निकल गयी।
सुबह हो चली थी और सूरज निकलने लग रहा था। मुझे शायद पहली बार इतनी खुशी हो रही थी कि मैं बार बार मुस्कुरा रही थी। तन्वी मुझे देख के पक्का सोच रही होगी कि मैं पागल हो गयी हूँ।
एक दिन और घर पे रुक कर हम हॉस्टल वापस आ गयी। फिर मैंने तन्वी को अपनी सारी कहानी बताई।
उसने कहा- मुझे तो पहले ही पता था कि अगर तू उसके साथ गयी है तो बिना चुदवाए वापस नहीं आ सकती. पर एक बात बता, तुझे डर नहीं ऐसे खुले आसमान के नीचे चुदवाते हुए?
मैंने कहा- शुरू में डर लग रहा था … पर फिर जोश में होश खोने का बाद कहाँ खयाल रहता है दुनिया का।
उसने बोला- चल मजा आया ना तुझे?
मैंने कहा- बहुत मजा आया!
और हम हंसने लगी।
तो दोस्तो, आप सबको मेरी बिना शादी की सुहागरात की सच्ची कहानी कैसी लगी, मुझे जरूर बताइएगा।
धन्यवाद।
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