नमस्कार दोस्तों! मेरा नाम सुमित सिंह है. मैं राजस्थान के जोधपुर का रहने वाला हूँ. अभी मैं एक सरकारी विभाग में कार्यरत हूँ. सरकारी नौकरी होने के कारन मेरा तबादला भी होते रहता है तथा कई बार तो कुछ अर्जेंट काम के चलते भी 2- 4 दिन के लिए देश के अन्य किसी भी शहर में जाना पड़ जाता है. जिसके चलते रेल, हवाई या बस में भी सफर करना पड़ता है.
जो घटना में आज आप लोगों के साथ शेयर करने जा रहा हूँ, वो वर्ष 2013 की है. जब मैंने अपनी नौकरी से कुछ दिनों की छुट्टी घर पर समय बिताने और मौज मस्ती करने के लिए ली थी.
मैं यहां आप लोगों को अपने बारे में बता दूँ कि मैं दिखने में बहुत ही औसत टाइप का लड़का हूँ और मेरा रंग भी थोड़ा सा सांवला टाइप का है. लेकिन मेरे बातचीत करने का … और रहने का ढंग ही कुछ ऐसा है कि जो मेरे साथ एकाध घंटा भी बिता ले, तो मुझे जीवन भर शायद ही भूल पाए.
मैं अपने आप पर ही भरोसा करने वाला और अपनी दुनिया में ही मस्त रहने वाला लड़का हूँ … तथा मुझे यारी दोस्ती का भी कुछ शौक नहीं है क्योंकि आजकल की दोस्ती सिर्फ सिर्फ पैसों तक ही सीमित हो जाती है. जब मैं खुद अच्छा खासा कमा लेता हूं, तो दूसरों के भरोसे अपनी मस्ती खराब करने का मुझे कोई शौक नहीं है.
जब 2013 में जून के महीने में मैं छुट्टियां बिताने अपने गांव आया था, तो मैंने देखा कि गांव में मेरी उम्र के लड़के बहुत कम ही थे. क्योंकि ज्यादातर लोग काम धंधे के चक्कर में बाहर अन्य शहरों में कमाने चले गए थे. इन सब के चलते गांव में मेरा समय काटना बहुत ही मुश्किल हो गया था. मैं दिन भर अपने मोबाइल में ही खोया रहता था … तथा उसमें गेम्स व फ़ेसबुक या व्हाट्सएप पर टाइम पास कर रहा था.
एक दिन मैं दिन में ऐसे ही सोया हुआ विचार कर रहा था कि मेरे पुराने स्कूल व कॉलेज के समय के दोस्तों को फ़ेसबुक पर ढूंढा जाए. इसलिए मैंने कई नाम से फ़ेसबुक पर सर्च किया, तो मुझे कुछेक दोस्त मिल गए. मैंने उनसे चैटिंग करनी शुरू कर दी.
फिर एक दिन जब मैं अपने एक कॉलेज के समय के एक दोस्त से बात कर रहा था, तो मैंने उससे अपने साथ पढ़ने वाली लड़कियों के बारे में पूछा. उसने सबके बारे में बताया. मेरे कॉलेज टाइम में ही एक लड़की साथ में पढ़ती थी, जिसका नाम चारू शर्मा (बदला हुआ) था. वो मेरे उसी दोस्त की फेसबुक फ्रेंड थी. मैंने उसे भी फ़्रेंडशिप रिक्वेस्ट भेज दी.
मैंने कुछ समय बात में ही देखा कि उस लड़की ने मेरी रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर ली तथा वो अभी भी ऑनलाइन थी.
फिर मैंने उसको ऐसे ही हाय लिख फेसबुक पर मैसेज किया, तो उसका हाथों हाथ जवाब भी आ गया.
मैंने उससे पूछा- क्या तुमको मैं याद हूँ?
उसने बोला- बहुत अच्छे से याद हो.
अब मैंने उससे बातचीत को आगे बढ़ाते हुए उसकी पर्सनल लाइफ के बारे में पूछा.
उसने बताया कि कॉलेज की पढ़ाई पूरी होते ही उसकी शादी हो गयी थी और उसके हस्बैंड मुम्बई में एक फार्मा कम्पनी में जॉब करते हैं. लेकिन वो खुद जोधपुर में ही रहती है और यहां एक प्राइवेट स्कूल में टीचर की जॉब करती है.
मैंने भी उसको अपने बारे में बताया कि मेरी जॉब कॉलेज की पढ़ाई के दौरान लग गई थी, इसलिए मैंने कॉलेज छोड़ दिया था और अभी मैं छुट्टी पर गांव आया हुआ हूं.
दोस्तो, ऐसे ही कुछ बातों के बाद मैंने अगले दिन बात करने का बोल कर उससे बाय बोल दिया.
अगले दिन मैं जब गांव में बोर हो रहा था, तो सोचा क्यों ना जोधपुर जाकर कोई मूवी देखी जाए. यही सोच कर मैं गांव से जोधपुर बस में आ रहा था.
उसी वक्त मैंने अपने फ़ोन का नेट ऑन कर दिया. तभी उस लड़की का मैसेज मेरे फेसबुक पर आया.
मैंने उसकी चैट को खोला और उसको बताया कि मैं जोधपुर आ रहा हूँ और टाइम पास करने के लिए कोई फ़िल्म देखने जाऊंगा.
उसी समय चारू ने बताया कि उसके स्कूल की भी आज जल्दी छुट्टी हो गयी और अभी घर नहीं जाना चाहती.
मैंने उससे मजाक करते हुए कहा कि तो फिर आ जाओ, मुझे मूवी में कम्पनी दे दो.
उसने पूछा- तुम कौन से थिएटर में मूवी देखने जा रहे हो?
मैंने उसको बताया- मैं ग्लिट्स में जा रहा हूँ.
चारू ने झट से बताया कि मैं फिलहाल उस मूवी थिएटर के नजदीक में ही हूँ. इसलिए जब तुम वहाँ पहुँचो, तो फेसबुक पर मैसेज कर देना.
दोस्तो, पहले तो मुझे लगा ये मजाक कर रही है, लेकिन फिर भी मैंने मूवी हॉल के बाहर पहुंचते ही उसको मैसेज कर दिया.
मेरा मैसेज करना ही हुआ था कि हाथों हाथ उसका रिप्लाई भी आ गया. उसने बोला- मैं बस पहुंच ही रही हूँ लेकिन तुम टिकट ना लेना.
मैं काफी सोच में पड़ गया, लेकिन जब वह आई … तो उसने बताया कि उसने मूवी की टिकट ऑलरेडी बुक कर दी थी.
ये एक इंग्लिश मूवी थी लेकिन दोस्तों मुझे इंग्लिश मूवी का बिल्कुल भी शौक नहीं है, इसलिए मैंने सोचा कि यार मैं तो बोर हो जाऊंगा. तब भी मैं चुप ही रहा.
जब मूवी शुरू हुई, तो हम अन्दर आ गए. मैंने देखा कि हमारी सीट सबसे ऊपर वाली लाइन में थी, जिसमें हम दोनों के अलावा कोई नहीं था.
वैसे मूवी इंग्लिश थी, इसलिए भीड़ भी कुछ नहीं थी और हॉल में मुश्किल से 20 लोग थे.
सीट पर बैठने के बाद चारू ने बताया कि मुझको तुमसे ढेर सारी बातें करनी थी, तो इसलिए मैंने इंग्लिश मूवी की टिकट ली … ताकि कुछ भी डिस्टर्बेंस ना हो.
फिर हम दोनों ने बातें करनी शुरू की, तो उसने फिर से वही सब बताया कि वो जोधपुर में जॉब करके टाइम पास करती है. उसके हस्बैंड मुम्बई में ही व्यस्त रहते हैं, इसलिए हम दोनों की बात भी दिन भर में मुश्किल से आधा घंटा ही हो पाती है.
मैंने उसको चिढ़ाते हुए ऐसे ही बोल दिया- फिर तो तुम्हारे हाथ में भी दर्द होने लग गया होगा.
उसने मुझे मुक्का मारते हुए बोला- हाथ तो तुम्हारे दुखने लग गए होंगे … क्योंकि शादी तक नहीं हुई है.
मैंने उसको बताया- मुझे जब भी मेरी चॉइस की लड़की मिलेगी, तो मैं अगले दिन ही शादी कर लूंगा.
उसने पूछा- तुमको कैसी लड़की चाहिए?
मैंने उसको मजाक में बोल दिया कि मुझे तो एकदम % मार्क जैसी लड़की चाहिए.
मेरी इस बात को वो समझ नहीं पायी. उसने मुझे खुल कर बताने को कहा.
मैंने उसको बताया कि मुझे एक हॉट फिगर वाली लड़की चाहिए, जो आगे से और पीछे से मस्त दिखती हो.
उसने पूछा- तेरा पसंदीदा फिगर क्या है?
तो मैंने हंसते हुए कहा- ये तो छू कर ही बता सकता हूँ.
फिर मैंने उससे पूछ ही लिया- तुम्हारी सेक्स लाइफ कैसी चल रही है?
उसने बताया कि मेरे हस्बैंड को सेक्स में ज्यादा इंटरेस्ट नहीं है और वो सेक्स सिर्फ ड्यूटी के तौर पर करते हैं. जब भी वो जोधपुर आते हैं, तो बस 10-15 मिनट में अपना काम निपटा कर फिर पलट कर सो जाते है. जबकि मैं एक लंबा सेक्स एक्सपीरियंस चाहती हूँ.
फिर तो दोस्तो … मैंने उसको सीधा बोल दिया- तुम मुझे एक मौका क्यों नहीं देतीं.
वह हंसते हुए बोली- वही मौका देने के लिए तुम्हें यहां लायी हूँ.
यह सुनते ही मेरी आंखों में चमक आ गयी और मैंने उसको कस कर चूम लिया और उसके मम्मों को साड़ी के ऊपर से ही मसलना शुरू कर दिया.
दोस्तो, जब मैंने उसके मम्मों को छुआ, तभी पता चला कि उसके बोबे कितने बड़े थे और मेरे हाथ में भी नहीं आ रहे थे.
मैंने उसके कान में धीरे से पूछा- क्या फिगर साइज बना रखा है तुमने?
तो उसने शर्माते हुए बोला- खुद ही चैक क्यों नहीं कर लेते.
मैंने उसको कसके जकड़ते हुए कहा- पूरा मज़ा लेने के लिए कहीं और चलते हैं.
उसने बोला कि कहां ठीक रहेगा?
मैंने बोला- रुको मैं अपने एक दोस्त से पूछता हूं.
मैंने जब दोस्त को फोन किया, तो उसने उठाया नहीं. मैंने सोचा कि क्यों ना किसी अच्छे से होटल में चला जाए. जब मैंने चारू को इसके बारे में पूछा, तो उसने बोला कि होटल में सुरक्षित नहीं होगा.
मैंने उसे समझाया कि हम किसी अच्छे से होटल में चलते हैं. तुम शादीशुदा हो तो हम पति पत्नी बन कर ही रूम लेंगे.
यही सब सोच कर हम लोग मूवी हॉल से निकल बाहर आ गए. उस मूवी हॉल से थोड़ी ही दूरी पर एक लक्जरी होटल में मैंने रूम ले लिया.
रूम में घुसते ही मैंने दरवाजा बंद करते हुए उसको कस कर पकड़ लिया और उसको स्मूच करना शुरू कर दिया. मेरा एक हाथ उसका एक बोबा मसल रहा था, तो दूसरा हाथ उसकी साड़ी खोलने में लग गया.
अगले 5 मिनट में ही वो मेरे सामने पेटीकोट ओर ब्लाउज में खड़ी थी. उसकी चुचियां आगे को तनी हुई खड़ी थीं. मैं उसका यह रूप देख कर एकदम खो गया था. मेरे सामने ठीक वैसी ही लड़की खड़ी थी, जिसकी कल्पना मैं हमेशा मुठ मारते वक्त करता था.
दोस्तो, उसके बोबे एकदम पके हुए खरबूजे की तरह आगे को निकले हुए थे. वहीं उसके चूतड़ एकदम परफेक्ट शेप में पीछे को निकले हुए थे, जो खुद जैसे कह रहे थे कि आओ और हमको मसल दो.
वह मेरे सामने खड़ी ऐसे शर्मा रही थी, जैसे मानो आज ही हमारी सुहागरात हो.
अब मेरा खुद पर कंट्रोल करना बहुत ही मुश्किल हो रहा था. इसलिए मैंने उसको करीब जाकर कसके पकड़ लिया और उसको होंठों को एकदम चबाना शुरू कर दिया. जबकि वह खुद भी इसका पूरा मजा लेती हुई अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल रही थी.
उसका दूसरा हाथ मेरी जीन्स को खोलने में लगा था, लेकिन मेरी बेल्ट उससे शायद खुल नहीं पा रही थी. मैंने उसको एक बार के लिए अपने अलग किया और अपने सारे कपड़े एक ही बार में तुरंत खोल कर उसके सामने पूरा नंगा हो गया.
उसकी नजर जैसे ही मेरे लंड पर पड़ी, तो उसके चेहरे पर एक चमक आ गयी.
जब मैंने उसको मुस्कुराने का कारण पूछा, तो उसने बताया कि मेरा लंड उसके पति के लंड से ज्यादा मोटा है और अभी से एकदम खड़ा भी है. जबकि उसके पति के लंड को तो उसको ही हाथों से हिला हिला कर खड़ा करना पड़ता है.
मैंने उसको बोला- आज सेक्स की तुम्हारी हर ख्वाहिश को मैं पूरी कर दूंगा, लेकिन तुमको मेरा कहना मानते हुए शर्माना पूरा छोड़ना होगा.
उसने बोला- मैं तुम्हारा साथ देने की पूरी कोशिश करूंगी.
अब मैंने उसकी ब्रा पेंटी और पेटीकोट को भी खोल दिया और उसको भी अपनी तरह ही पूरी नंगी कर दिया. मैंने उसको पीछे घुमाते हुए अपना हाथ आगे की तरफ डाल कर उसका एक बोबा मसलना शुरू कर दिया, वहीं दूसरा हाथ उसकी जांघों पर फेरना शुरू कर दिया.
वो भी धीरे धीरे सेक्सी सिसकारियां लेती हुई इस पल का पूरा मजा लेने लगी.
इसी बीच उसका एक हाथ आकर मेरे लंड पर लगा और फिर उसने अपने हाथ से मेरे मोटे से लंड को धीरे धीरे से सहलाना शुरू कर दिया.
इधर मेरा हाथ उसकी जांघों से होता हुआ चूत पर पहुंच गया और मैंने उसके क्लिट को सहलाना शुरू कर दिया. दो पल में ही वो गरमा गई और इस झटके को सहन ना कर सकी. वो एकदम से अकड़ कर ढीली पड़ गई साथ ही एकदम बेड पर गिरने को हो गई.
मैंने उसको सम्भालते हुए उसको बेड पर लिटा दिया और उसके पांव से लेकर पिंडलियों तक के भाग को चूसना व चाटना शुरू कर दिया. साथ ही मेरे दोनों हाथ उसके चूतड़ों को दबाने और मसलने में लगे हुए थे.
चारू इस पल की मस्ती में मादक सिसकारियां लेती हुई बड़बड़ाने लगी- आह सुमित, कम बेबी सक माय बटक्स एंड लिक माय पुसी. (आह सुमित मेरे चूतड़ों को चाटो और मेरी चुत को चूसो)
उसकी इन बातों को सुन कर मुझमें दोगुना जोश भर गया और मैंने उसके चूतड़ों पर कट्टू करना शुरू कर दिया.
चारू के संग चुदाई की कहानी किस तरह से उसकी गांड चुदाई में तब्दील हो गई इसका मजा आपको इस सेक्स कहानी के अगले भाग में पढ़ने को मिलेगा.
आपके मेल का मुझे इन्तजार रहेगा.
[email protected]
कहानी का अगला भाग: शादी के बाद फिर से मिली कॉलेज की फ्रेंड-2