नमस्कार फ्रेंड्स! मैं जयपुर से विराज हूँ. बिना वक्त गवाँए मैं अपनी कहानी पर आता हूँ और आप भी बिना वक्त गवाँए अपनी अंडरवीयर उतार लो।
यह बात उस वक्त की है जब मेरी बुआ की लड़की की शादी थी, घर की शादी होने की वजह से मैं अपने पूरे परिवार के साथ 5 दिन पहले ही बुआ के शहर पहुँच गया।
वहाँ पहुँचते ही मैंने देखा कि एकदम चहल पहल वाला माहौल बना हुआ था।
अंदर जाकर मैं बुआ से और अन्य रिश्तेदारों से मिला, फिर मैं तनु दीदी से मिला जिनकी शादी थी।
तनु दीदी बहुत खुश हुई, उन्होंने कहा- वाह विराज, बहुत बड़ा हो गया है तू तो?
मैंने कहा- आप भी तो बड़ी हो गई हो, और आपकी तो शादी भी होने वाली है।
इतने में दीदी के फोन पर एक काल आया, दीदी ने फोन उठाकर कहा- अरे यार कहाँ है तू?
…
‘बाहर क्यूँ खड़ी है? अंदर आ जा मेरे रूम में!’
और कुछ ही देर में कमरे में दीदी की सहेली की एंट्री हुई।
मैं तो उसे देखता ही रह गया, गोरा बदन, भूरी आँखें, तीखे मम्मे और गुलाबी होंठ… उसकी उम्र लगभग 20-21 साल होगी।
दोस्तो, उसकी कमर तो पतली थी लेकिन गांड की चौड़ाई बहुत ज्यादा थी।
दीदी ने कहा- आ जा नीतू, कहाँ थी इतनी देर?
नीतू ने कहा- अरे यार, घर पर कोई काम था।
दीदी ने कहा- अच्छा ठीक है, मेरे भाई विराज से मिल!
नीतू ने कहा- हैलो!
मैंने कहा- हैलो नीतू!
दीदी ने कहा- ये मेरी बेस्ट फ्रैंड है।
मैंने कहा- ये मेरी भी फ्रैंड है।
दीदी और नीतू चौंक गये।
दीदी ने कहा- क्या मतलब?
मैंने कहा- आपकी फ्रैंड है तो मेरी भी फ्रैंड ही हुई ना।!
इस पर नीतू दीदी को देखकर मुस्कुराने लगी।
दीदी ने कहा- बदमाश!
नीतू ने कहा- अच्छा मैं चलती हूँ, मम्मी को मेरी जरूरत है।
और नीतू अपने घर चली गई।
कुछ घण्टों में शाम हो गई और डेकोरेशन वाली लाईट जल गई, पूरा घर जगमगा रहा था, घर पर स्पीकर में गाने बज रहे थे।
मैं तनु दीदी को ढूंढ रहा था, तभी छत से आवाज आई- तनु यहाँ है ऊपर छत पर!
वो आवाज नीतू की थी।
मैं उसे देख कर खुश हुआ और दौड़ कर ऊपर गया, ऊपर दीदी और नीतू ही थे।
दीदी ने कहा- अरे आ विराज, तुझे ही याद कर रही थी मैं!
मैंने कहा- क्यूँ?
दीदी ने कहा- नीतू को घर छोड़ के आना है।
मैंने कहा- मैं तो इनका घर जानता ही नहीं।
दीदी ने कहा- ये बता देगी रास्ता, ज्यादा दूर नहीं है, ये ले स्कूटी की चाबी और जल्दी जा!
मैं नीतू को घर छोड़ने चला गया।
नीतू ने घर पहुँचते ही कहा- यहाँ रोक दो।
और वो स्कूटी से उतर कर अंदर जाने लगी।
मैंने कहा- कल कितने बजे आओगी?
नीतू ने मुस्कुराकर कहा- क्यूँ, मेरे बिना दिल नहीं लगता क्या?
मैंने कहा- पता नहीं।
और मैं उसे बाय कहकर घर लौट आया।
अगले दिन महिला संगीत था इसलिए डी.जे. बुलवाया गया। शाम 7 बजे डी.जे. शुरू हुआ। सब लोग डांस कर रहे थे लेकिन मैं तो बस नीतू का इंतजार कर रहा था।
लगभग 1 घंटा हो चुका था, मैं कुर्सी पर मुँह लटका के बैठा था।
तभी मेरे कानों में आवाज आई- हैलो जी!
मैं पहचान गया कि वो नीतू ही है।
मैं पीछे मुड़ा और कहा- 1 घंटे से इंतजार कर रहा हूँ तुम्हारा!
नीतू ने कहा- सॉरी यार, लेट हो गई।
मैंने कहा- कोई बात नहीं, चलो डांस करते हैं।
नीतू ने कहा- नहीं यार, मुझे शर्म आती है।
मैंने कहा- अरे, सबके साथ भीड़ में डांस करेंगे, मजा आएगा।
वो मान गई और हम डांस करने लगे।
हम डांस में इतना मस्त हो चुके थे कि हमें दुनिया का कोई ख्याल ही नहीं था, मुझे तो बस नीतू ही नजर आ रही थी।
कभी कभी हम डांस के बहाने एक दूसरे को छू लेते और नीतू तो गांड हिला हिला के डांस कर रही थी।
मेरा लंड टाईट होने लगा, मैंने नीतू की कमर पर हाथ फेर दिया, उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
मैंने कई बार उसके मम्मो को भी टच किया, कई बार उसकी गांड मेरे लंड से छू गई।
मैं तो उसे चोदने का पूरा मन बना चुका था।
हमने थोड़ी देर और डांस किया फिर नीतू ने कहा कि उसे अब घर जाना होगा क्यूँकि रात काफी हो गई है।
मैं उदास हो गया।
नीतू ने कहा- घर छोड़ के नहीं आओगे?
मैंने कहा- हाँ चलो।
और हम घर के पीछे बनी पार्किंग में चले गये।
मैंने सोचा कि आज मौका है इसे चोदने का, मैंने नीतू से कहा- नीतू, आई लाईक यू!
नीतू मुझे बस देखने लगी।
हम दोनों को पता नहीं क्या हो गया था और देखते ही देखते हम दोनों करीब आ गये, हमारे होंठों के बीच कुछ ही फासला रह गया था कि नीतू ने कहा- कोई देख लेगा, ऊपर कमरे में चलते हैं।
उसकी बात सुनकर मैं पागल हो गया और उसके होंठों से होंठ मिला दिए।
मैं उसके मम्मे मसलने लगा और उसके होंठ चूसने लगा।
नीतू ने कहा- आहह हह विराज… प्लीज यहाँ मत करो, कोई देख लेगा।
मैंने अपने आप को संभाला और फिर हम ऊपर एक खाली कमरे में चले गए।
अंदर जाते ही मैंने दरवाजा बंद किया और नीतू के मम्मों पर टूट पड़ा।
नीतू- आहहह विराज प्लीज धीरे दबाओ, बहुत दर्द हो रहा है।
मैंने उसका शर्ट उतार फेंका, उसने अंदर ब्रा नहीं पहनी थी। मैं उसके मम्मे देखता ही रह गया, मैंने उसके मम्मों को खूब चूसा, कई बार मैं उसके निप्पल के काट लेता जिससे वो चिहुंक जाती और सिसकारियाँ भरने लगती।
अब मैं उसकी सलवार की तरफ गया और उसका नाड़ा खींच दिया। सलवार उतारने के बाद अब उसके बदन पर सिर्फ एक काली कच्छी बची थी।
मैं कच्छी के ऊपर से उसकी चूत को काटने लगा। वो अब किसी भी कीमत पर चुदना चाहती थी इसलिए मैंने अपने कपड़े उतारे और उसे लंड चूसने के लिए कहा।
वो मान गई और उसने मेरे लंड का टोपा अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगी। क्योंकि मेरा लंड बहुत बड़ा है इसलिए उसके मुंह में लंड जा नहीं रहा था।
अब मैंने उसकी कच्छी उतारी और देखा उसकी काली चूत एकदम गीली हो चुकी है।
मैं उसकी चूत चाटने लगा।
नीतू- सस्स्स आहह हहह उम्म्ह… अहह… हय… याह… सस्स्स अब बर्दाशत नहीं हो रहा, कुछ करो प्लीज!
मैंने उसे लेटाया और उसकी गांड के नीचे एक तकिया लगा दिया।
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मैंने लंड पर थूक लगाया और उसकी चूत में पेल दिया, वो मेरे मोटे लंड को बर्दाश्त नहीं कर पाई और मुझे धकेलने लगी- प्लीज निकालो इसे, जल्दी निकालो प्लीज उम्म्म्म!
मैंने एक और झटका दिया और पूरा लंड उसकी चूत में घुसा दिया।
वो दर्द से छटपटाने लगी।
मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू किए।
कुछ देर में नीतू को भी मजा आने लगा, अब वो गांड उचका उचका कर चुदवा रही थी।
कुछ देर की धकापेल चुदाई के बाद मैं उसकी चूत में झड़ गया। इस बीच वो भी झड़ गई थी, नीतू बहुत खुश थी,
उसने मुझे बताया कि वो पहले भी चुद चुकी है लेकिन उसे मेरे साथ ज्यादा मजा आया।
शायद इसका कारण मेरा बड़ा लंड था।
हमने कपड़े पहने और फिर मैं उसे उसके घर छोड़ आया।
फिर तनु दीदी की शादी वाली रात को मैंने नीतू को 2 बार और चोदा।
उसके बाद मैं अपने शहर आ गया और अब तक नीतू से मेरी कोई बात नहीं हुई है।
दोस्तो, आप अपने जो भी विचार हैं, मुझे मेल जरूर करें।
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