आज की मेरी काल्पनिक कहानी एक यात्रा के दौरान हुए सैक्स की घटना है. इस स्लीपर ट्रेन सेक्स कहानी में मैं बहू के धोखे में उसकी सास को गलती से चोदने लगा.
एक बार मैं किसी काम के सिलसिले में दिल्ली से लखनऊ जा रहा था.
नई दिल्ली से रात को मेरी एक्सप्रेस ट्रेन थी, मैंने 3 टीयर ऐसी का रिजर्वेशन ले रखा था.
रात 10 बजे में स्टेशन पहुंच गया और 10:30 बजे ट्रेन छूटनी थी.
ट्रेन में काफी सारी सीटें खाली थी.
मैं अपनी सीट पर लेट गया और पर्दा लगा कर फोन पर कहानियां पढ़ने लगा.
थोड़ी देर बाद एक खूबसूरत भाभी और उसके साथ एक बुजुर्ग महिला मेरी सामने वाली सीट में आकर बैठ गई.
भाभी किसी परदे वाले परिवार से थी.
उन दोनों के पास एक ऊपर की और एक नीचे की सीट थी.
वो आपस में बात कर रही थी.
थोड़ी देर बाद मेरी नज़र उस भाभी से मिली, मैं उसको देखकर मुस्कुराया और वो भी मुस्कुरा दी.
फिर हम दोनों की इशारों में बात होने लगी.
वो चुदाई के लिए तैयार लग रही थी.
थोड़ी देर बाद डिब्बे की लाइट बंद हो गई और अब पर्याप्त अंधेरा हो चुका था.
जब डिब्बे में सब नार्मल हो गया तो मैं भी चुपचाप अपनी सीट पर लेट गया.
हमरे कैबिन में हम तीन ही सवारियां थी.
रात के करीब 11 बजे धीरे से उठकर मैंने देखा कि साथ वाले कैबिन की सवारी गहरी नींद में सो रही थी.
सामने वाली सीट पर बैठ गया.
मुझे लगा वो भाभी ही होगी.
उसने अपने ऊपर चादर डाल रखी थी.
मैंने उसकी चादर में हाथ घुसा कर धीरे धीरे उसके चूतड़ों पर हाथ फेरने लगा.
वो अब भी चुपचाप लेटी हुई थी.
मेरी हिम्मत बढ़ने लगी और मुझे लगा कि वो भी मेरे साथ तैयार है.
मैंने अब उसकी चूचियों पर हाथ रख दिए और धीरे धीरे सहलाने लगा.
मुझे उसकी चूचियां बड़ी और ढीली लगी.
वो अब भी चुपचाप लेटी हुई थी जैसे उसने मुझे यह सब करने की आजादी दे दी हो.
मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और चूत को टटोलने लगा उसकी चूत में हल्के हल्के बाल थे.
वैसे मुझे बालों वाली चूत बिल्कुल भी पसंद नहीं है.
मैंने उसकी चूत में उंगली डाली तो उसकी चीख निकल पड़ी.
उसकी चूत एकदम टाइट थी.
मैं मन ही मन खुश हो गया और धीरे धीरे सलवार घुटनों तक सरका दिया और अपना लोवर उतार दिया.
मेरा लन्ड खड़ा हो गया था.
मैंने उसके हाथ में अपना लौड़ा पकड़ा दिया, वो लंड को लेकर हिलाने लगी.
जब मैंने उसकी टांगें फैलानी चाही तो वो सलवार के कारण चौड़ी नहीं हुई तो मैंने उसकी सलवार उतार दी और टांगों को फैला कर उंगली में थूक लेकर चूत की फांकों पर रगड़ने लगा.
वो यह सब मुझे आराम से करने दे रही थी और अब तक कुछ नहीं बोली थी.
मैंने थोड़ा थूक और चूत में लगाया और लंड को थूक से गीला करके चूत के मुहाने पर रगड़ना शुरू कर दिया.
कुछ देर बाद मैंने लंड को चूत पर रखकर झटका लगाया उसकी टाइट चूत में लंड फंस रहा था.
मैंने कमर पकड़ कर जोर से धक्का लगाया तो मेरा आधा लंड अंदर चला गया और वो ऊईई ऊइई ऊईईई करने लगी.
तब मैंने उसके मुंह को बंद कर दिया और धीरे धीरे लंड अंदर बाहर करने लगा.
और अवसर पाते ही मैंने एक जोर का धक्का लगाया पूरा लंड सनसनाता हुआ अंदर चला गया.
वो छटपटाने लगी थी.
मैंने झटके मारना शुरू कर दिया और सटासट सटासट चोदने लगा.
धीरे धीरे अब उसकी चूत खुल गई और उसका दर्द भी कम हो गया तो उसकी कमर चलने लगी.
मैंने अपने झटकों की रफ्तार अचानक से तेज कर दी और सटासट सटासट अंदर बाहर अंदर बाहर करने लगा.
मैं उसके कुर्ते में हाथ डालकर बड़ी बड़ी चूचियां दबाने लगा.
ट्रेन अपनी रफ़्तार से चल रही थी और मैं भी टाइट चूत को एक्सप्रेस रफ्तार से चोद रहा था.
उसकी आहहह आहहह के साथ चूत ने पानी छोड़ दिया और अब फच्च फच्च फच्च फच्च की आवाज आने लगी.
मैंने उसको उठाकर घोड़ी बना दिया और चूत में लंड डालकर चोदने लगा.
वो अपनी गांड आगे पीछे करने लगी.
अब मुझे और मजा आने लगा और मैंने उसकी कुर्ती को उपर कर दिया और भरी हुई चूचियां दबाने लगा.
अब दोनों अपनी अपनी कमर चलाने लगे और चूत लंड की थप थप थप थप की आवाज़ आने लगी.
मैं अपनी पूरी रफ्तार से झटके मारने लगा और वो आह हहह ओहह हह करके अपनी गांड आगे पीछे करके मस्ती से चुदाई करवाने लगी.
ट्रेन एक्सप्रेस गति से दौड़ रही थी और अब मैं भी फुल रफ्तार से सटासट सटासट लंड को चूत की पटरी पर दौड़ा रहा था.
मेरी चुदाई के बीच में एक बात अजीब थी कि इस भाभी ने अभी तक मुझसे कोई बात नहीं की, बस चुपचाप चुदाई का मज़ा ले रही थी.
मैंने भी ज्यादा दिमाग नहीं लगाया और कमर पकड़कर तेज तेज अंदर बाहर करने लगा.
वो भी अपनी कमर तेज़ी से आगे पीछे करके मस्ती से आह हहह उहहह करके लंड को अंदर तक ले रही थी.
मैंने उसे वापस लिटा दिया और चोदने लगा उसकी चूचियां मुंह में लेकर चूसने लगा.
अब मेरा लौड़ा अन्दर बाहर करने लगा और दोनों एक-दूसरे को बांहों में कसने लगे.
हम दोनों तेजी से अपनी कमर हिला हिला कर चुदाई में एक दूसरे का साथ देने लगे.
अब उसकी चूत फिर से टाइट होने लगी और चूत ने गर्म पानी छोड़ दिया.
मेरा लंड फिसलता हुआ और अंदर बच्चादानी तक जाने लगा.
अब मैंने भी अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और जल्दी जल्दी अंदर बाहर करने लगा.
थोड़ी देर में मेरे लौड़े ने वीर्य छोड़ दिया और मैं उसके ऊपर लेट गया.
मैं चुपचाप उठा और लोवर पहन कर बाथरूम गया.
जैसे ही मैं बाथरूम से बाहर निकला मेरी आंखें खुली रह गई.
मैंने देखा वो औरत फोन पर किसी से हंस कर बात कर रही थी.
मैं दौड़कर डिब्बे में आया मैंने देखा तो मेरे पैरों से जमीन निकल गई कि जिसे मैं एक जवान औरत समझ कर चोद रहा था वो 55 साल की औरत थी.
जिसे मैं बहू समझ रहा था, वो सास थी.
मैं चुपचाप बाथरूम की तरफ चला गया वो औरत मुझे देखकर मुस्कुराने लगी.
तो मैं भी मुस्कुरा कर देखने लगा.
उसने फोन काट दिया और बोली- आपको नींद नहीं आ रही क्या?
मैंने कहा- नींद तो आपको भी नहीं आ रही.
फिर हमारी बातें होने लगी.
उसने बताया कि वह उसके शौहर से बात कर रही थी.
फिर हम वहीं पर बैठ गए और बातें करने लगे.
धीरे धीरे दोनों खुलने लगे.
उसने मुझसे मेरे बारे में पूछा तो मैंने बताया कि मैं कुंवारा हूं.
उसकी आंखों में एक अजीब सी चमक बढ़ने लगी.
उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- गर्लफ्रेंड तो होगी?
मैंने कहा- नहीं है. अगर होती तो मैं भी फोन में बात करता.
हम दोनों हंसने लगे.
वो बोली- कमाल है यार!
मैंने कहा- क्या करूं, मुझसे कोई दोस्ती नहीं करता.
वो बोली- ऐसा मत बोलो, अब हम दोस्त हैं.
फिर हम बात करते हुए अपनी सीट तक आ गए.
उसकी सास सो रही थी.
मैंने उसे अपनी सीट पर आने को कहा.
वो मान गई और मेरी सीट में आकर बैठ गई.
फिर थोड़ी देर बाद हम दोनों सीट पर लेट गए उसका शरीर मेरे शरीर पर लगते ही मेरे शरीर पर करंट दौड़ने लगा.
मेरा हाथ धीरे धीरे उसके शरीर पर चलने लगा.
उसकी गान्ड पर मेरा लौड़ा टच करने लगा.
उसे भी अब शायद महसूस होने लगा.
वो बोली- क्या इरादा है?
मैंने कहा- मेरा इरादा तो बहुत कुछ करने का है.
वो बोली- पर्दा बंद करो और पहले चादर ऊपर डालो.
मैंने वैसा ही किया.
फिर हम दोनों एक दूसरे को चूमने लगे.
उसने अपने कपड़े उतार दिए, अब वो ब्रा पैंटी भी थी.
और मैंने लवर टी-शर्ट उतार दिया, मैं अंडरवियर में था.
फिर मैं ब्रा के ऊपर से चूचियों को दबाने लगा.
उसने भी मेरी अंडरवियर में हाथ डालकर मेरा लंड सहलाना शुरू कर दिया.
फिर दोनों पूरे नंगे हो गए और मैं उसके ऊपर आकर चूत में लंड रगड़ने लगा.
मैंने उसके होंठों पर होंठ रखकर जोर का धक्का लगाया.
मेरा लंड पूरा उसकी चूत के अन्दर चला गया और मैं धक्के लगाने लगा.
अब मैं लंड सटासट सटासट अंदर बाहर करने लगा.
हम दोनों एक-दूसरे के होंठों को चूसने लगे और मैं झटके पे झटके मारने लगा.
वो भी अपनी कमर उठा-उठा कर मेरा लंड ले रही थी और मैं जोश में आकर जोर जोर से झटके मारने लगा.
अब वो आह हहह ओहह उह करके बोलने लगी- और तेज झटका मारो यार!
मैंने उसे अपना नाम राज बताया उसने अपना नाम नाजिया बताया.
वो बोलने लगी- राज तू मुझे तेज तेज झटके मार के चोद यार!
मैंने उससे घोड़ी बनने को कहा.
वह घोड़ी बन गई और बोली- राज, अब मुझे जमकर चोद डालो प्लीज़!
मैंने उसकी कमर पकड़कर पूरा लौड़ा अन्दर तक घुसा दिया और झटके लगाने लगा.
अब धीरे धीरे वो भी अपनी गांड आगे पीछे करके ट्रेन सेक्स में मस्ती से चिल्ला रही थी- हहह आआह हहह उह हहह … ऐसे ही चोदो मुझे और और चोदो आहह आहह मजा आ रहा है!
मैंने कहा- नाजिया, आवाज मत करो. तुम्हारी सास सो रही है,
वो बोलने लगी- रहने दो, मुझे किसी का डर नहीं है. तुम बस मुझे चोदो!
मैं भी जोश में आ गया और उसकी चूचियों को पकड़ कर दबाने लगा और झटके मारने लगा.
अब वो भी पूरी मस्ती में आकर आह हह उमआह हहह करके अपनी गांड आगे पीछे करके लंड का मज़ा ले रही थी.
थोड़ी देर में नाजिया की चूत से पानी निकल गया.
मैं अब भी उसे चोद रहा था और अब फच्च फच्च की आवाज आने लगी थी.
नाजिया बोली- राज यार, अब मेरे ऊपर चढ़ जाओ फिर चोदो मुझे!
मैं ऊपर आकर चूत में लन्ड डालकर चोदने लगा और उसके होंठों को चूसने लगा.
वो भी साथ देने लगी और कमर ऊपर करके चुदाई में भरपूर मजा ले रही थी.
मैं अपनी रफ़्तार से तेज तेज झटके लगाने लगा और लंड अंदर बाहर अंदर बाहर करने लगा.
नाजिया बोल रही थी- हहह आह आहहह और चोदो यार चोदो चोदो!
थोड़ी देर बाद नाजिया की चूत ने दोबारा पानी छोड़ दिया और लंड फच्च फच्च फच्च करके अंदर तक जाने लगा था.
मैं अपनी पूरी रफ्तार से झटके लगाने लगा और चूत के अन्दर पिचकारी छोड़ दी.
दोनों एक-दूसरे से चिपक कर लेट गए और थककर दोनों सो गए.
सुबह 5 बजे होंगे, नाजिया की सास हमें जागने लगी.
वो बोलने लगी- सुबह हो गई है, लखनऊ आने वाला है … अब उठ जाओ.
हम दोनों चादर के अन्दर नंगे लेटे हुए थे.
फिर हम कपड़े पहनने लगे.
मैंने नाजिया को बताया कि कैसे रात में मैंने गलती से उसकी सास को चोद दिया था.
फिर वो हंसने लगी और उसने बताया कि उसे पता है वो रात में एक बार आई थी तब मैं चुदाई कर रहा था.
उसने अपनी सास का नाम जुबेदा बताया.
फिर थोड़ी देर के बाद लखनऊ आ गया और वो अपनी सास के साथ चली गई.
उसके बाद हम एक-दूसरे से कभी नहीं मिले.
इस तरह सफर में मैंने बहू और उसकी सास को गलती से चोद दिया.