यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
इसी के चलते मैंने उसकी गांड में लंड पेलने से शुरुआत की और जब वो दर्द से चिल्लाई, तो मेरी भाभी ने हम दोनों को बाहर बुला कर पूछा. तब भी भाभी को ये नहीं मालूम चल सका था कि मैं अपनी बीवी शालू की गांड में लंड पेल रहा था.
अब आगे:
भाभी ने मुझे समझाते हुए कहा- इस बार बहुत ही धीरे धीरे उसके छेद में घुसाना, नहीं तो मैं बहुत मारूंगी.
मैंने हंस कर कहा- मैं तो बहुत धीरे धीरे ही घुसा रहा था, लेकिन इसका छेद भी बहुत तो छोटा सा है.
भाभी ने कहा- फिर तो ऐसे काम नहीं बनेगा. तुम इसके साथ थोड़ी से जबरदस्ती करना, लेकिन ज्यादा जबरदस्ती मत करना. ये अभी कमसिन उम्र की है, इसलिए इसे ज्यादा दिक्कत हो रही है.
मैंने कहा- ठीक है.
इतना कह कर भाभी मुस्कुराने लगीं.
मैं कमरे में आ गया और मैंने अपनी लुंगी उतार दी. मैंने शालू से अपनी साड़ी उतारने को कहा, तो उसने इस बार खुद ही अपनी साड़ी उतार दी. साड़ी उतारने के बाद शालू खुद ही बेड पर पेट के बल लेट गई.
मैंने अपने लंड पर ढेर सारा तेल लगाया और उसके ऊपर आ गया. उसके बाद मैंने जैसे ही अपने लंड का सुपारा उसकी गांड के छेद पर रखा, उसने अपना मुँह दबा लिया. उसके बाद मैंने थोड़ा सा जोर लगाया, तो इस बार वो ज्यादा जोर से नहीं चीखी. मेरे लंड का सुपारा उसकी गांड में घुस गया. मैंने अपने लंड के सुपारे को उसकी गांड में अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया, तो वो आहें भरने लगी.
थोड़ी देर के बाद जैसे ही मैंने थोड़ा सा और जोर लगाया, तो उसने जोर की आह भरी और इसी के साथ मेरा लंड उसकी गांड में 2″ तक घुस गया. उसकी ‘उन्नह … आह..’ निकली.
मैंने थोड़ा जोर और लगाया, तो वो जोर जोर से चिल्लाने और रोने लगी. मेरा लंड बहुत मोटा था ही. इसी वजह से अब तक उसकी गांड में मेरा 3″ ही लंड घुस पाया था.
मैं कुछ देर के लिए रुक गया, लेकिन वो दर्द के मारे अभी भी बहुत जोर जोर से चिल्ला रही थी.
मुझे गुस्सा आ गया, तो मैंने जोर का एक धक्का लगा दिया. इस धक्के के साथ ही मेरा लंड उसकी गांड में 4″ तक घुस गया.
वो और ज्यादा जोर जोर से चिल्लाने लगी- आह दीदी, मर गई … बचाओ मुझे … मैं मर जाऊंगी.
उसके चिल्लाने की आवाज सुनकर भाभी ने बाहर से पूछा- अब क्या हुआ?
वो रोते हुए कहने लगी- दीदी, मुझे बचा लो … नहीं तो मैं मर जाऊंगी.
भाभी ने कहा- अच्छा तुम दोनों बाहर आ जाओ.
मैंने अपना लंड उसकी गांड से बाहर निकाला और हट गया. मेरे लंड पर ढेर सारा खून लगा हुआ था. उसके बाद हम दोनों ने कपड़े पहने और बाहर आ गए. शालू ठीक से चल नहीं पा रही थी. मैं उसे सहारा देकर बाहर ले आया.
बाहर आने के बाद भाभी शालू को समझाने लगीं- देखो शालू, अगर तुम ऐसे ही चिल्लाओगी, तो काम कैसे बनेगा. हर औरत को पहली पहली बार दर्द तो होता ही है और उसे उस दर्द को बर्दाश्त करना पड़ता है.
शालू रो रो कर कहने लगी- दीदी, मैंने अपने आपको सम्भालने की बहुत कोशिश की, लेकिन मैं दर्द को बर्दाश्त नहीं कर पा रही हूँ, इसलिए मेरे मुँह से चीख निकल गई. इनका औजार भी तो बहुत बड़ा है.
भाभी ने कहा- औजार तो सबका बड़ा होता है. लेकिन एक बार जब अन्दर घुस जाता है, फिर कभी भी बड़ा नहीं लगता. उसके बाद हर औरत को मज़ा आता है और तुम्हें भी आएगा.
शालू बोली- दीदी, मेरी बात पर विश्वास करो, इनका औजार बहुत ही बड़ा है. मैंने गांव में बहुत से आदमियों को पेशाब करते समय देखा है, लेकिन इनके जैसा औजार मैंने आज तक कभी नहीं देखा. आप चाहो तो खुद ही देख लो. एक बार आप देखोगी, तो आपको मेरी बात पर विश्वास हो जाएगा.
भाभी ने मुझसे कहा- सूरज, दिखा तो सही अपना औजार … जरा मैं भी तो देखूं कि ये बार बार क्यों तेरे औजार को बहुत बड़ा कह रही है.
मैंने कहा- भाभी, मुझे शर्म आती है.
भाभी ने कहा- मैं तो तेरी भाभी हूँ, मुझसे कैसी शर्म … चल अपना औजार बाहर निकाल कर दिखा मुझे.
मैंने शर्माते हुए अपनी लुंगी खोल दी. मेरा लंड पहले से ही खड़ा था. मेरा 9″ लम्बा और खूब मोटा लंड फनफनाता हुआ बाहर आ गया. उस पर खून भी लगा हुआ था.
भाभी ने जैसे ही मेरा लंड देखा, तो उन्होंने अपना हाथ मुँह पर रख लिया और बोलीं- बाप रे, तेरा औजार सचमुच बहुत ही बड़ा है. मैंने भी अब तक ऐसा औजार कभी देखा ही नहीं था. अब मेरी समझ में आया कि शालू क्यों इतना चिल्ला रही थी.
मैंने देखा कि भाभी की आंखें भी मेरे लंड को देख कर गुलाबी सी होने लगी थीं. उन्हें भी जोश आने लगा था, क्योंकि मेरा लंड देखने के बाद उन्होंने अपना एक हाथ अपनी चुत पर रख लिया था.
मैंने लंड लहराते हुए कहा- भाभी, तुम ही बताओ मैं क्या करूं. मैं अपना औजार छोटा तो नहीं कर सकता.
भाभी ने शालू से कहा- इसका औजार तो सच में बहुत बड़ा है. तुम्हें दर्द को बर्दाश्त करना ही पड़ेगा, नहीं तो बड़ी बदनामी होगी.
भाभी ने शालू को बहुत समझाया, तो वो मान गई.
भाभी ने शालू से कहा- अब तुम अपने कमरे में जाओ. मैं इसे समझा बुझा कर थोड़ी देर में तुम्हारे पास भेज देती हूँ.
शालू कमरे में चली गई.
रात के 2 बज रहे थे. भाभी मुस्कुराते हुए मुझसे कहने लगीं- देवर जी, तुम्हारा औजार तो वाकयी बहुत ही बड़ा है और शानदार भी है. मैंने आज तक अपनी जिन्दगी में ऐसा औजार कभी नहीं देखा था. मेरा मन इसे हाथ में पकड़ कर देखने को कह रहा है … क्या मैं देख लूँ?
मैंने कहा- भाभी, आप ये क्या कह रही हो.
वो बोलीं- तुम्हारे भैया को गुजरे हुए एक साल हो गए. आखिर मैं भी तो औरत हूँ और जवान भी हूँ. मेरा मन भी कभी कभी इधर उधर होने लगता है. तुम तो मेरे देवर हो. हर औरत मजबूत औजार को पसंद करती है. मुझे भी तुम्हारा औजार बहुत ही अच्छा लग रहा है. अगर मैं तुमसे लग जाती हूँ, तो मेरी भी इच्छा पूरी हो जाएगी और किसी को कुछ पता भी नहीं चलेगा.
इतना कह कर उन्होंने मेरा लंड पकड़ लिया और सहलाने लगीं. मैं भी आखिर मर्द ही था. मुझे भाभी का लंड सहलाना बहुत अच्छा लगने लगा, इसलिए मैं कुछ नहीं बोला.
थोड़ी देर तक मेरा लंड सहलाने के बाद भाभी बोलीं- तुमने अभी तक सुहागरात का मज़ा भी नहीं लिया है और मैं समझती हूँ कि तुम भी एकदम भूखे होगे. क्या तुम मेरी इच्छा पूरी करोगे?
मैंने कहा- अगर आप कहती हो, तो भला मैं कैसे मना कर सकता हूँ. आखिर मैं भी तो मर्द हूँ और आपके सिवाए मेरा इस दुनिया में और कौन है?
वो बोलीं- फिर तुम यहीं रुको, मैं अभी आती हूँ.
इतना कह कर भाभी शालू के पास चली गईं. उन्होंने शालू से कहा- अब तुम सो जाओ … रात बहुत हो चुकी है. मैं सूरज को सब कुछ समझा दूंगी. उसके बाद मैं उसे सुबह तुम्हारे पास भेज दूंगी. मैं बाहर से दरवाज़ा बंद कर देती हूँ.
शालू बोली- ठीक है, दीदी.
भाभी शालू के कमरे से बाहर आ गईं और उन्होंने शालू के कमरे का दरवाज़ा बाहर से बंद कर दिया. उसके बाद वो मुझे अपने कमरे में ले गईं. मेरे बदन पर कुछ भी नहीं था. लुंगी तो मैंने पहले ही उतार दी थी.
भाभी के कमरे में पहुंचते ही भाभी ने कहा- देवर जी, तुमने अपना औजार इतने दिनों तक कहां छुपा रखा था. बड़ा ही मस्त औजार है तुम्हारा.
मैंने कहा- मैंने कहा छुपाया था, यहीं तो था आपके पास.
वो बोलीं- मेरे पास आओ.
मैं उनके नजदीक चला गया. उन्होंने मेरा लंड पकड़ लिया और सहलाने लगीं.
भाभी लंड सहलाते हुए कहने लगीं- मैंने आज तक ऐसा औजार कभी नहीं देखा था. हर औरत अच्छा औजार पसंद करती है. मुझे तो तुम्हारा औजार बहुत पसंद आ गया है. आज मैं तुमसे चुद ही जाती हूँ. तुमसे चुदने में मुझे बहुत मज़ा आएगा. लेकिन जैसे तुमने शालू के साथ किया था, उस तरह मेरे साथ मत करना … नहीं तो मुझे भी बहुत तकलीफ़ होगी और मेरे मुँह से भी चीख निकल जाएगी. शालू पास के ही कमरे में है, तुम इसका ख्याल रखना.
मैंने कहा- ठीक है भाभी.
थोड़ी देर तक भाभी मेरा लंड सहलाती रहीं. उसके बाद उन्होंने भी अपने कपड़े उतार दिए और एकदम नंगी हो गईं.
भाभी भी बहुत ही खूबसूरत थीं. भाभी बेड पर चित लेट गईं और बोलीं- अब थोड़ा सा तेल अपने लंड पर लगा लो और आ जाओ.
मैंने कहा- क्या भाभी, आपने तो भैया से बहुत बार चुदवाया है, आप मुझसे तेल लगाने को क्यों कह रही हैं. बिना तेल के ज्यादा मज़ा आएगा.
वो बोलीं- फिर देर किस बात की … आ जाओ.
मैं भाभी के पैरों के बीच आ गया.
भाभी ने कहा- आराम से घुसाना, जल्दी मत करना. जब मैं रोकूं, तो रुक जाना.
मैंने लंड हिलाते हुए भाभी की चूत को देखा और कहा- ठीक है.
वो बोलीं- चलो अब धीरे धीरे अन्दर घुसाओ.
मैंने अपने लंड का सुपारा भाभी की चुत के मुँह पर रख दिया और धीरे धीरे अपना लंड भाभी की चुत में घुसाने लगा.
जैसे ही मेरे लंड का सुपारा भाभी की चुत में घुसा, तो उनके मुँह से आह निकल गई. उनकी चुत मुझे कुछ ज्यादा ही टाईट लग रही थी. मेरा लंड आसानी से घुस नहीं पा रहा था. मैं जोर लगा कर धीरे धीरे अपना लंड भाभी की चुत में घुसेड़ने लगा. भाभी आहें भरने लगीं.
जब मेरा लंड 5″ तक अन्दर घुस गया, तो दर्द के मारे भाभी का बुरा हाल होने लगा … लेकिन उन्होंने मुझे रोका नहीं. उन्होंने अपने होंठों को जोर से जकड़ लिया था.
मैं जोर लगाता रहा. जब मेरा लंड भाभी की चुत में 6″ तक घुस गया, तो वो बोलीं- अब रुक जाओ.
मैं रुक गया.
भाभी बोलीं- बहुत दर्द हो रहा है. तेरा औजार बहुत मोटा है, अब मुझस बर्दाश्त करना मुश्किल है. अभी कितना बाकी है?
मैंने कहा- अभी तो तीन इंच बाकी है.
भाभी बोलीं- अब और ज्यादा अन्दर मत घुसाना. इतन से ही धीरे धीरे चुदाई करना शुरू कर दो.
मैंने धीरे धीरे भाभी की चुदाई शुरू कर दी. उनकी चुत ने मेरे लंड को बुरी तरह से जकड़ रखा था. वो आहें भरती रहीं. मुझे भी भाभी को चोदने में खूब मज़ा आ रहा था. आज मैं किसी औरत को पहली बार चोद रहा था.
पांच मिनट की चुदाई के बाद भाभी झड़ गईं. उन्होंने बहुत दिनों से चुदवाया नहीं था, इसलिए उनकी चुत से ढेर सारा रस निकला. उनकी चुत और मेरा लंड एकदम गीले हो गए.
अब उन्होंने कहा- अब धीरे धीरे बाकी का भी अन्दर घुसा दो.
मैंने इस बार थोड़ा ज्यादा ही जोर लगा दिया, तो वो अपने आपको रोक नहीं सकीं. उनके मुँह चीख निकल ही गई, लेकिन भाभी ने तुरंत ही खुद को सम्भाल लिया. मैंने इस बार एक धक्का लगा दिया.
तो भाभी दर्द के मारे तड़पने लगीं और बोलीं- अब कितना बचा है?
मैंने कहा- बस एक इंच.
वो बोलीं- अब चोदो मुझे … बाकी का चुदाई करते समय घुसा देना.
मैंने भाभी की चुदाई शुरू कर दी. मुझे खूब मज़ा आ रहा था. भाभी दर्द के मारे आहें भर रही थीं. जैसे जैसे समय गुजरता गया, वो शांत होती चली गईं.
अब उन्हें भी लंड लेने में मज़ा आने लगा था. तभी मैंने एक धक्का लगा कर बाकी का लंड भी उनकी चुत में घुसा दिया.
वो चीख उठीं और बोलीं- पूरा घुस गया?
मैंने कहा- हां.
वो बोलीं- अब जोर जोर से चोदो. तुम तो गांव में कुश्ती लड़ा करते थे ना.
मैंने कहा- हां.
वो बोलीं- अब तुम मेरी चुत के साथ कुश्ती लड़ो. मेरी चुत को अपने लंड का दुश्मन समझ लो और मेरी चुत पर अपने लंड से खूब जोर जोर से वार करो. फाड़ देना आज इसको.
मैंने कहा- अगर फाड़ दूंगा, तो बाद में मज़ा कैसे आएगा.
वो बोलीं- तुम इसका मतलब नहीं समझे. मैं सचमुच में फाड़ने को थोड़े ही कह रही हूँ. बस तुम तो अपनी पूरी ताकत से मेरी चूत का बैंड बजा दो.
अब मैंने बहुत ही जोर जोर के धक्के लगाते हुए भाभी को चोदना शुरू कर दिया. भाभी तो बहुत ही सेक्सी माल निकलीं. वो हर धक्के के साथ अपने चुतड़ उछाल उछाल कर मुझसे चुदवा रही थीं. पूरा बेड जोर जोर से हिल रहा था. कमरे में धप धप की आवाज हो रही थी. उनकी चुत से भी चप चप की आवाज निकल रही थी.
मैं भी पूरे जोश में लगा था और वो भी पूरी ताकत से चूत चुदवाने का मजा ले रही थीं. कोई पांच मिनट की चुदाई के बाद वो फिर से झड़ गईं, लेकिन मैं नहीं रुका … मैं खूब जोर जोर के धक्के लगते हुए उनकी चुदाई कर रहा था. वो पूरी तरह से मस्त हो चुकी थीं और अपनी चुचियों को अपने हाथों से मसल रही थीं.
थोड़ी देर की चुदाई के बाद मैं झड़ गया. भाभी भी मेरे साथ ही साथ फिर से झड़ गईं. मैंने अपना लंड उनकी चुत से बाहर निकाला, तो मेरे लंड पर खून भी लगा हुआ था.
भाभी ने कहा- देख ली तुमने अपने लंड की करतूत. इसने मुझ जैसी चुदी चुदाई औरत की चुत से भी खून निकाल दिया.
उन्होंने मेरे लंड को कपड़े से साफ़ कर दिया. उसके बाद मैं उनके बगल में लेट गया. वो मेरे होंठों को चूमने लगीं.
भाभी बोलीं- देवर जी, आज तो तुमने मुझे ऐसा मज़ा दिया है कि मैं क्या बताऊं. ऐसा मज़ा तो मुझे आज तक कभी नहीं मिला.
मैंने कहा- मैं शालू का क्या करूं?
वो बोलीं- मैंने तुम्हारे भैया से इतने सालों तक चुदवाया था, फिर भी मुझे तुम्हारा लंड अपनी चुत के अन्दर लेने में बहुत तकलीफ़ हुई. फिर शालू तो अभी बहुत छोटी है. जरा सोचो कि उसे कितनी तकलीफ़ होती होगी.
मैंने कहा- तब आप ही बताओ कि मैं क्या करूं. क्या मैं शालू को छोड़ कर केवल आपकी चुदाई ही करूं.
वो बोलीं- मैं ऐसा थोड़े ही कह रही हूँ. अबकी बार जब तुम शालू की चुदाई करना, तो उसके ऊपर जरा सा भी रहम मत करना. वो चाहे कितना भी चीखे या चिल्लाए, तुम अपना पूरा का पूरा लंड अन्दर घुसा देना. उसकी चीख मुझे सुनाई पड़ेगी, लेकिन तुम इसकी परवाह मत करना.
मैंने कहा- ठीक है, मैं ऐसा ही करूंगा.
वो बोलीं- थोड़ी देर आराम कर लो. उसके बाद शालू के पास जाओ. अबकी बार हार नहीं मानना. पूरा का पूरा लंड घुसा देना … भले ही वो कितना भी चीखे या चिल्लाए.
मैंने कहा- मैं ऐसा ही करूंगा.
सुबह के 5 बजने वाले थे. थोड़ी देर भाभी की बांहों में आराम करने के बाद मैं शालू के पास चला गया. शालू सो रही थी. मैंने उसे जगाया, तो वो उठ गई.
मैंने उससे कहा- जाकर तेल की शीशी उठा लाओ और मेरे लंड पर ढेर सारा तेल लगा दो.
वो बोली- मुझे शर्म आती है.
मैंने कहा- अगर तुम मेरे लंड पर तेल नहीं लगाओगी, तो मैं ऐसे ही अपना सूखा लंड तुम्हारे छेद में घुसा दूंगा.
वो बोली- ना बाबा ना … ऐसा मत करना. जब तेल लगाने के बाद इतना दर्द होता है, तो बिना तेल लगाए तुम अपना औजार अन्दर घुसाओगे, तो मैं तो मर ही जाऊंगी. मैं तुम्हारे औजार पर तेल लगा देती हूँ.
इतना कह कर वो उठी. उसने तेल की शीशी से तेल निकाल कर मेरे लंड पर लगा दिया. उसके तेल लगाने से मेरा लंड एकदम सख्त हो गया. उसके बाद वो मेरे कुछ कहे बिना ही पेट के बल लेट गई और बोली- प्लीज़ धीरे धीरे घुसाना.
मैंने इस बार उसकी बात को अनसुना कर दिया. लंड को उसकी गांड में पिरोया और तेल की शीशी से तेल टपकाना शुरू कर दिया. दो बार सुपारा घुस जाने से उसकी गांड खुल सी गई थी. मैंने धीरे धीरे उसकी गांड में लंड पेलना चालू कर दिया. वो चिल्लाने लगी, मगर अब मैं इस खेल को समझ चुका था. मैंने दो इंच लंड घुसेड़ा और उतने लंड से ही उसकी गांड बजाना चालू कर दी. उसको जब राहत सी मिली, तो मैंने फिर तेल डाल कर लंड और अन्दर पेल दिया. इस तरह से मेरा आधा लंड शालू की गांड में पेवस्त हो गया.
उस दिन मैंने उतने लंड से ही काम चला लिया. दूसरे दिन भी मैंने दिन में चार बार उसकी गांड में लंड पेला.
दो तीन दिन में शालू अपनी गांड मराने में अभ्यस्त हो गई. उसको अभी ये नहीं मालूम था कि कौन सा छेद चुदाई के लिए बना होता है.
भाभी को भी ये नहीं पता था. लेकिन बाद में ये सब मामला खुला, तो भाभी खूब हंसीं और उन्होंने भी मुझसे इसी तरह से अपनी कुंवारी गांड का बाजा बजवा लिया.
दोस्तो, मेरी रसीली भाभी और कुवारी दुल्हन की चुदाई की कहानी आपको कैसी लगी … कमेंट्स करके बताएं.