हैलो दोस्तों, आज मैं आपको इस साल के शुरू में हुई सेक्सी घटना के बारे में बताने जा रहा हूँ. अरे हाँ पहले में आपको अपना परिचय तो दे दूँ. मेरा नाम बबलू है. मैं 32 साल का एक युवक हूँ. 5 फीट 6 इंच कसरती बदन, मस्त शरीर और हंसमुख चेहरा। कुल मिलाकर लड़कियों को उनके मतलब का मीत मिले। हर तरह से साथ देने वाला और हाँ चुदाई के लिए 24 घण्टे सेवा में। मेरा तो पिछले 10 सालों से चुदाई का रिश्ता ऐसा है जैसे लड़कियों और औरतों में चोली दामन का।
कहते हैं लड़कियों और औरतों की सेक्स की चाहत आदमियों से ज्यादा होती है मगर शर्म और लोकलाज की वजह से आगे नहीं बढ़ पाती। इसलिए शादी तक इंतजार करती है या फिर अपने बॉयफ्रेंड और लेस्बियन पार्टनर के साथ सैक्स।
कई लड़कियों का शादी से पहले कोई चक्कर नहीं होता है और शादी के बाद नाकारा पति मिलता है जिसकी काम वासना में कोई रुचि ही नहीं होती है तब वो औरतें अपने नसीब को कोसती हैं और अपनी चूत की आग को शांत करने के लिए सैक्स पार्टनर तलाशती हैं या फिर उंगली, और गाजर-मूली का सहारा लेती हैं।
वहीं कुछ लड़कियों की सैक्स की लत शादी से पहले अपने बॉयफ्रेंड से इतनी ज्यादा हो जाती हैं कि उसे उसका पति भी खुश नहीं कर पाता और फिर से उसे अन्य सैक्स पार्टनर की खोज रहती हैं जिससे वो अपनी आग बुझा सकें।
इन सब मौकों पर कई बार मैं अपनी दोस्ती निभा चुका हूं. या फिर यूँ कहिये कि ऐसी लड़कियों और औरतों का सैक्स पार्टनर बना चुका हूं। लेकिन इन सबमें एक खास बात यह है कि कभी भी इनका नाजायज फायदा नहीं उठाया और इसी वजह से मैं लड़कियों और औरतों का खास भी हूँ।
अब मैं अपनी उस कामुक याद पर आता हूँ। मैं अम्बाला से दिल्ली वॉल्वो ऐ सी बस से सफर कर रहा था। मेरी सीट के बाजू वाली सीट पर कोई अधेड़ बैठा हुआ सो रहा था। शाम का समय था तो में थकान की वजह से सोने लगा।
बस करनाल में किसी होटल पर रुकी। अधिकतर लोग होटल में चले गए।
मैं सो रहा था इसलिए बस रुकने का पता नहीं चल पाया।
तभी मुझे किसी के रोने की आवाजें सुनाई दी। अब मेरी नींद उड़ चुकी थी मैंने बस में देखा तो 2 या 3 लोग आगे बैठे थे और पीछे कोई नहीं था। तभी मुझे मेरे पीछे वाली सीट पर एक लड़की दिखाई दी।
देसी सूट और पाजामा पहने हुए काफ़ी सुंदर लग रही थी। उसकी आंखें आंसुओं से भरी थी लेकिन मुझे देखकर अब चुप थी।
अब क्योंकि यह उस लड़की का निजी मामला लग रहा था। शायद उसके बॉयफ्रेंड का उससे ब्रेकअप हुआ था या फिर कुछ जरूरी सामान छूट गया था या फिर किसी दोस्त से फोन पर लड़ाई हुई थी। मैंने अंदाजा लगाया और थोड़ा मुस्कुराया।
वो लड़की मुझे ही देखने लगी।
मेरे मन में आया चलो पूछ ही लेते हैं अगर उसे बात करनी होगी तो कर लेगी नहीं तो अपने रास्ते पर आगे बढ़ो।
मैंने पूछा- क्या कोई प्रॉब्लम है? मैं आपकी मदद कर सकता हूँ।
उसने कहा- कोल्डड्रिंक और पानी की बोतल ला सकते हैं?
तो मैंने हां कहा और बस से उतरकर चला गया।
कोल्डड्रिंक और पानी की बोतल लेकर वापस आते हुए मेरी नजर उस लड़की पर पड़ी जो बाहर बस की खिड़की से दिखाई दे रही थी और अब भी रो ही रही थी।
मैं उसके पास पहुंचा और उसे कोल्डड्रिंक और पानी की बोतल दे दी और अपनी सीट पर आ गया।
वो लड़की अपनी सीट से उठकर मेरे साथ वाली सीट पर बैठ गई और मुझसे सॉरी कहने लगी।
मैंने कहा- कोई बात नहीं, अगर कोई प्रॉब्लम है और मैं आपकी कोई मदद कर सकता हूँ तो मुझे खुशी होगी।
वो कुछ देर तो चुप रही लेकिन वो फिर से रोने लगी।
मैंने उसके हाथ को अपने हाथ में धीरे से दबाया और रोने का कारण पूछा। तो उसने मुझे पहली बार घर से दूर हॉस्टल में पढ़ाई के लिए जाना वजह बताया।
मुझे भी अपने काम से सम्बंधित पहली नौकरी याद आई जिस वजह से मैं करीब एक साल तक फ्लैट किराये पर लेकर रहा था। मेरा भी चेहरा थोड़ा शान्त लग रहा था।
अब बस चलने लगी।
मेरी साथ वाली सीट पर बैठे सज्जन ने उस लड़की की सीट से बदली कर ली और पीछे बैठ गया।
बस में पीछे काफी सीटें खाली थी और लोग भी खुलकर एक सीट पर एक होकर सफर कर रहे थे।
वो लड़की कुछ देर से चुप थी लगभग दस मिनट तक हम दोनों ही चुप थे और इधर उधर देख रहे थे।
उस लड़की ने कहा- मेरे रोने की वजह से आपकी नींद भी खराब हुई और मैंने आपको बाहर से सामान लाने के लिये भी कह दिया जबकि आपको मैं जानती नहीं हूं और आपको पैसे भी नहीं दिए. कहकर पर्स खोलकर रुपये निकालकर देने लगी।
मैंने उसे मना करते हुए कहा कि रुपये न दे साथ ही उससे कोल्डड्रिंक लेकर पी।
मैंने उसे समझाया कि ऐसे समय जब अकेले होते हैं तो ही अच्छे और सच्चे दोस्त मिलते हैं। तुम्हें भी होस्टल में अच्छे दोस्त मिल जाएंगे और कुछ दिनों में सब सामान्य हो जाएगा।
मेरी बातों से वो कुछ सामान्य हुई।
उसने कहा- मेरा नाम आशा है और मेरा दिल्ली के इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला हुआ है। मेरे दो दोस्त भी वहीं पर हैं जो दूसरे कॉलेज में पढ़ रहे हैं लेकिन मेरे साथ नहीं हैं जिस वजह से मुझे हॉस्टल में जाना पड़ रहा है। अभी तक मैंने अपने शहर अम्बाला में ही सारी पढ़ाई की है यह मेरा पहला मौका है जब मैं घर से बाहर रहूंगी।
मैंने कहा- मन लगाकर पढ़ाई करना और घर पर फोन से बातें करती रहना। कुछ ही दिनों में सब अच्छा होने लगेगा।
आशा एक साधारण सी दिखने वाली लड़की थी। उसके शरीर में सब सामान्य था। पतली कमर, 5 फिट 4 इंच लम्बाई, सुनहरी बाल, काली आंखें, मोहक चेहरा, गोरा बदन और प्यारे होंठ।
कुल मिलाकर एक अच्छा और आकर्षित शरीर था उसका।
मेरी नजर उसके उभारों पर गई। वो भी मध्यम आकार के और सुंदर थे। किसी का भी होश एक पल के लिए खो सकता था उसके चूचों को देखकर।
तभी बस ड्राइवर ने ब्रेक लगाकर बस किनारे लगा दी और सबको बाहर आने को बोला।
बस पंक्चर हो गई थी.
कंडक्टर सवारियों के पैसे लौटाने लगा।
कुछ टैक्सी वाले वहीं अपनी टैक्सी रोककर हमें दिल्ली ले जाने को तैयार हो गए।
मैंने आशा के साथ एक टैक्सी बुक कर ली और पीछे वाली सीट पर बैठ गए। टैक्सी में आशा और मैं ही थे साथ में आगे ड्राइवर भी था।
हमने काफी देर तक आपस में बातें की।
उसने बातों बातों में अपने स्कूल टाइम की सहेलियों और कुछ लड़कों के बारे में बताया। अब मैं भी अंदाजा लगा चुका था कि आशा एक चुलबुली लड़की है और उसे लड़को और लड़कियों के साथ रहने में कोई समस्या नहीं है। सैक्स के बारे में भी अभी तक सिर्फ पप्पी ही हुई थी वो भी नादानी में स्कूल के लड़कों के साथ तब जब उन्होंने उसे पकड़ लिया और बारी बारी से पप्पी ली।
मैं उसकी सारी बातें ध्यान से सुन रहा था और कोल्डड्रिंक पी रहा था। जब पप्पी वाली बात चली तो मुझे भी अपनी पुरानी दोस्त याद आ गई जिनको छत पर बुला कर सारे बाहर वाले काम कर लेते थे।
आज कई दिनों बाद किसी लड़की की आँखों में देखा। मैं आशा की आँखों को देखकर समझ गया कि थोड़ी मेहनत की जाए तो इसे पटाया जा सकता है।
अब तक मैं आशा से काफी घुल मिल गया था तो उसका फोन और पर्स भी मेरे पास ही थे साथ ही हम दोनों भी एक दूसरे से इधर-उधर की काफी बातें कर रहे थे। मैंने अपनी नौकरी, घूमने, दोस्तों आदि के बारे में बातें की।
उधर आशा ने भी अपने स्कूल टाइम के सभी दोस्तों के बारे में बताया।
मैंने हिचकते हुए पूछा- कोई बॉयफ्रेंड तो होगा ही आशा?
“नहीं …”
ज्यादातर लड़कियां शुरू में ना में ही जवाब देती हैं।
जब मैंने अपने कई अफेयर के बारे में बताया तो उसने भी कहा कि वो भी कुंवारी नहीं है और अपने आप ही अपना कुंवारापन खो लिया।
मैं मुस्कुरा दिया और कहा- ऐसा कैसे?
उसने कहा- वो एक दोस्त ने मुझे हस्तमैथुन के बारे में बताया और गन्दी फिल्मों को दिखा कर!
तो मैंने पूछा- कोई बॉयफ्रेंड नहीं था क्या उस समय?
उसने कहा- नहीं.
मैंने भी हँस कर जवाब दिया- अगर पहले मिली होती तो शायद में ही तुम्हारा दोस्त बन चुका होता, वो भी अच्छे वाला.
वो बोली- हाँ, फिर तो सब कुछ हो चुका होता कई बार.
और फिर वो ज़ोर से हंसने लगी।
मैं भी साथ में जोर से हंसने लगा।
अब मेरे दिमाग़ में आशा को पटाने की योजना चलने लगी।
हमारी टैक्सी अब मुरथल पहुँचने वाली थी। मैंने टैक्सी वाले को एक होटल का नाम बताकर वहाँ ले चलने को कहा।
टैक्सी वाला थोड़ी देर में उस होटल पर ले गया।
आशा ने सोचा यहाँ खाना खाएंगे लेकिन मैं तो कमरा बुक कर रहा था।
तो आशा ने आँखों से इशारे कर के पूछा- क्या करने वाले हो?
तो मैंने उसे एक आँख मारी और होंठों को गोल कर किस करने का इशारा किया।
आशा ने शर्म से चेहरे को दूसरी ओर घुमाया और होटल के कमरे की ओर भागी।
अब मैं भी कमरे में आ गया और आशा को प्यार से देखने लगा। उसकी आँखें मुझे अपनी ओर आने का इशारा किया।
मैं आशा के पास आया और उसे अपनी बांहों में भर के उसके होठों को चूसने लगा। आशा मदहोश हो रही थी।
उसने कहा- अब मुझसे सहन नहीं हो रहा है, मुझे प्यार करो, बहुत प्यार दो। मैं तुम्हारी हूँ.
और फिर से मुझसे लिपट गई।
मेरी पैन्ट में मेरा लंड अब अकड़ने लगा. आख़िर क्यों नहीं होगा … जब सुन्दर लड़की किसी लड़के से लिपटेगी तो लण्ड तो खड़ा हो ही जाएगा।
आशा ने मेरे लण्ड को पैंट के बाहर से पकड़ लिया और धीरे धीरे उसे सहलाने लगी और अपनी मुट्ठी में भरने लगी।
जोश के मारे अब मेरा भी बुरा हाल होता जा रहा था मेरा लण्ड भी अब कड़क होता जा रहा था और ऐसा लग रहा था कि अब मेरे बस में नहीं हो।
मैंने जल्दी से आशा के कपड़े खोलने शुरू के दिये। आशा ने पटियाला सूट और सलवार पहना हुआ था। मैंने उसके सूट और सलवार को उतार दिया और अब अपनी पैन्ट शर्ट उतारने लगा।
आशा का जिस्म गुलाबी रंग की ब्रा और वी शेप पैंटी में अलग ही खिल रहा था.
उसने अपनी आँखें नीचे कर रखी थी और चुपके से मेरे शरीर को देख थी।
मैंने ज़्यादा देर न करते हुए अपनी निक्कर और बनियान भी उतार कर नंगा हो गया और अपना लण्ड सहलाने लगा।
फिर आशा के हाथ में लण्ड पकड़ा के उसके ब्रा और पैंटी को उतारने लगा।
मेरे तो आश्चर्य की सीमा ही नहीं थी।
उसके चूचे तनकर खड़े हो गए थे। कितनी सुंदर, कोमल, गोरी और गुलाबी चूत, मैंने अभी तक अपनी जिंदगी में शायद ही कभी देखी होगी और अगर देखी होगी तो इंटरनेट पर, वो भी उन विदेशी लड़कियों की ऐसी कुँवारी चूत तो किस्मत वाले को ही मिल सकती है आज मुझे अपनी किस्मत पर गर्व हो रहा था।
आशा ने देर ना करते हुए अब मेरे हाथ को अपनी चूत पर रखा और कस कस के मेरे हाथ को चूत पर रगड़ने लगी. मुझे भी एक मीठा मजा आने लगा। वह मीठी-मीठी सिसकारियां ले रही थी। और वो मेरे लण्ड को जोर जोर से सहलाने लगी।
तभी वो अम्म मम्म आआह उईई ईईई उई मां उई मां कहती हुई अपनी चूत से नमकीन पानी निकालने लगी और टांगों को कसने लगी।
उसके हाथ मेरे लण्ड को पूरी ताक़त से मसल रहे थे जिससे मेरा लंड अब लोहे की तरह मज़बूत हो गया था। आशा अपने मुलायम होठों को अपने दांतों से चबाने की नाकाम कोशिश कर रही थी.
मैंने उसे देखा, वह अपने पहले ऑर्गेज़म का मजा ले चुकी थी और थोड़ी थोड़ी आंखें खोलकर मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी. वह मुझे अपने ऊपर आने का न्योता दे रही थी.
तो मैं भी देर न लगाते हुए उसके पास जाकर उससे साथ चिपक कर लेट गया।
वह मेरी तरफ देखते हुए थोड़ा सा मेरे नजदीक आई और मुझे अपनी बांहों में जकड़ लिया। और फिर देखते-देखते हम दोनों एक दूसरे के होठों को फिर से चूसने लगे।
“उम्म म्मह हह”
वह मेरे एक होंठ को दूसरे होठों से चूस रही थी और मैं भी ऐसा ही कर रहा था। हम दोनों होठों को चूसते हुए काफी देर तक मजे लेने लगे।
अब मैंने उसकी चूत और चुचियों को जोर जोर से सहलाना शुरू कर दिया था।
अब वह लड़की फिर से गर्म हो चुकी थी, उसने कहा- आ जाओ मेरे राजा और अपनी प्यारी रानी को चोद चोद कर मसल दो. उसकी चूत का भर्ता बना दो और उसे सन्तुष्ट कर दो. आओ अपनी आशा को पूरा प्यार करो मेरे राजा। उम्म म्मह आऽऽह सीईई आह मजाऽ आऽ गयाऽ
मैंने भी देर न लगा कर कहा- मेरी डार्लिंग आज मैं तुझे नहीं छोडूंगा।
अब मेरा लण्ड उसकी दोनों टांगों के बीच में घुसने को तैयार था. मेरा लंड पूरी तरह से लोहे की तरह कड़क हो चुका था. आशा भी अपनी टांगों को और अपनी गांड को हिला हिला कर मेरे लंड को लेने को मचल रही थी।
आशा मुझसे कह रही थी- आओ मेरे राजा, आओ ना! देर क्यों कर रहे हो? अब तो मैंने अपनी टांगें भी खोल दी हैं. आऽह आओ ना … अपना लण्ड मेरी रसीली चूत में डाल दो और मुझे चोदो! अब घुसा भी दो ना … क्यों तड़पा रहे हो? अरे आ जाओ ना! डाल दो मेरे राजा … चोदो चोदो … आओ, मेरी प्यास बुझा दो।
मेरा कड़क लण्ड अब आशा की कोमल गुलाबी चूत को कस कर पकड़ रहा था, रगड़ रहा था और मेरी और आशा की बेचैनी को बढ़ा रहा था. मुझे कुछ सूझ नहीं रहा था, मेरे शरीर की गर्मी साफ-साफ बता रही थी कि अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है और मुझे उसकी चूत को पूरे मजे के साथ चोदना ही पड़ेगा।
अब मैंने उसकी चूत की फाँक को अलग कर अपने लंड को सेट किया और एक जोर का झटका मारकर लण्ड का टोपा अंदर तक उसकी चूत में डाल दिया।
आशा की तो चीख ही निकल पडी- उईईई माऽऽ मार दिया फट गई मेरी चूत … उम्म्ह… अहह… हय… याह… हाय यह क्या किया … बहुत दर्द हो रहा है … इसे निकालो ना … अभी निकालो प्लीज! मुझसे दर्द सहन नहीं हो रहा! आऽऽह्ह!
मुझे भी अपना लण्ड उसकी चूत में फंसा फंसा सा महसूस हो रहा था, मैं भी समझ गया था कि आशा नहीं चुदी है तो मैं तुरंत उसके ऊपर आकर उसके होठों पर अपने होठों को चूसने लगा। मैं उसकी चूचियों को भी सहलाने लगा।
आशा अब धीरे धीरे गरम होकर मजा लेने लगी थी तो मैंने अपने लण्ड को और अंदर तक घुसा दिया और अब मेरा लण्ड उसकी चूत में आधा घुस चुका था। उसकी दर्द भरी मादक सिसकारियां निकल रही थी- ह्म्म अम्म आऽऽह्ह उम्म्म म्म्म इस्स्स अम्म म्म्मह आह्ह!
और उसका शरीर अभी भी ऊपर उठा हुआ था.
अब मैंने एक आखिरी झटका मार कर उसकी चूत में अपने लंड को पूरा अंदर तक घुसा दिया और उसके नर्म गुलाबी होठों को प्यार से चूसने लगा. वह भी मेरे होठों को चूस चूस कर मेरा साथ दे रही थी और कस के पकड़े हुए लेटी थी.
उसकी टांगें मेरी टांगों को कसकर लपेटे हुए थी. मैंने उसके होठों को छोड़कर उसका एक चुचा अपने मुंह में डाला और उसे जोरों से चूसने और मसलने लगा। हम दोनों सातवें आसमान का मजा ले रहे थे और वे भी स्वर्ग में अपने आप को महसूस कर रही थी।
अब मैंने अपने झटके मारने शुरू किए। आशा की चूत में एक के बाद एक मैंने कई झटके मारे थे. इस बीच आशा ने दो बार और अपनी चूत का नमकीन पानी छोड़ दिया था।
मेरा तो मन कर रहा था कि मैं पूरी रात उसे बस चोदता ही रहूँ।
मैं अब अपने झटकों की स्पीड बढ़ाने लगा। आशा को ज़ोर से झटके मरवाने में मजा आ रहा था और वह गांड उठा उठा कर झटकों का जवाब देने लगी।
अब मेरे झटकों की स्पीड तेज होने लगी थी और मैं जोर-जोर से उसकी चूत में झटके मार रहा था।
मेरे इन झटकों की स्पीड के आगे अब आशा की चूत ने जबाव दे दिया और आख़िरी झटके मारते हुए अपनी चूत से चौथी बार पानी छोड़ दिया और टांगें अकड़ने लगी- म्म्म म्ह्ह आऽऽम म्म्म उईई मैं ग़ईई हाय य्य मेरे रजाऽ मुझे और ज़ोर से चोदो … और ज़ोर से, और तेज और तेज इईई आऽह्ह!
कहकर आशा का शरीर ढीला पड़ गया।
पर मेरे झटके अभी चालू थे और क़रीब दस मिनट और चले।
मैंने क़हा- जानू, मेरा भी अब निकलने वाला है, बता कहाँ डालूँ?
तो उसने कहा- अंदर डाल दो, मुझे पहली बार तो अंदर ही लेना है।
मैंने अब अपने आख़िरी झटके मारे और उसकी चूत में अंदर तक डाल के अपना गर्म लावा छोड़ दिया।
अब मैं भी ढीला हो गया था और बिस्तर पर लेट गया।
आशा ने मुझे एक प्यार भरा किस किया और मुझसे लिपट कर सो गईं। मैं भी चादर खींचकर सो गया।
दो तीन घंटे बाद में उठा और फिर से आशा को चूदने के लिए राज़ी किया।
इस तरह सारी रात हमने तीन बार चुदाई की और जमकर मज़े लिए। सुबह जोड़ी उठके साथ नहाए और फिर दिल्ली चल दिए.
हम दोनों आज भी मौक़ा बना कर चुदाई कर लेते हैं. कई बार दिल्ली में तो कई बार वो मेरे साथ कम्पनी टूर पर मेरे साथ आ जाती है।
मेरी कहानी कैसी लगी? मुझे मेल करें.
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