दोस्तो.. मैं 28 साल का खूबसूरत नौजवान हूँ. मैं जब गाँव में रहता था.. यह कहानी तब की है, उस वक्त मैं पढ़ता था. मेरे पड़ोस में एक बहुत ही मस्त माल किस्म की लड़की रहती थी.. उसका नाम वैशाली था. वो मुझसे एक साल छोटी थी. उसका जिस्म इतना कामुक था कि अच्छे अच्छों का लौड़ा खड़ा हो जाए.
हमारे परिवार से उसके परिवार का बहुत घरोबा था इसलिए वो मुझसे काफी घुली-मिली थी. हम सभी अड़ोस-पड़ोस के लड़के गर्मियों के दिनों में खेतों में रजबाहे (छोटी नहर) पर जाकर खूब नहाते थे और मस्ती करते थे.
एक दिन वैशाली मेरे पास आई और मुझसे बोली- राजू मुझे भी तैरना सिखा दो, मेरा बहुत मन है.
मैंने कहा- हाँ सिखा दूँगा इसमें कौन सी बड़ी बात है.. एकाध दिन में चलते हैं.
वो ‘हाँ’ करके खुश होकर चली गई.
उसके जाने के बाद मेरी बांछें खिल गईं कि साली खुद ही हाथ फिरवाने आ गई है.. कब से इसकी चूचियों को याद करके मुठ मारता रहा हूँ.
यह तो मेरे लिए मौके पे चौका मारने जैसा मौका हाथ लग गया था.
अब मुझे बेसब्री से किसी ऐसे मौके की तलाश थी.. जब मैं वैशाली को तैरना सिखाने के बहाने चोद भी पाऊँ.
गाँव में एक दिन मुखिया के घर शादी थी.. सभी लौंडे मिठाई खाने की लालच में शादी में गए थे. मुझे अवसर मिल गया.. मेरे मन में तो वैशाली की चूत ही मिठाई समान थी.
मैं वैशाली के घर गया और उससे कहा- चल आज तुझे तैरना सिखाता हूँ.
वो फ़ौरन राजी हो गई और मेरे साथ चल पड़ी.
मैं उसको लेकर खेत पर चला गया.. उस वक्त दोपहर का समय था सब तरफ सुनसान था.. शायद मुखिया के यहाँ की शादी के चक्कर में सब गए हुए थे.
मैंने रजबाहे के पास पहुँच कर वैशाली से कहा- चल कपड़े उतार!
वो बोली- मुझे तुम्हारे सामने कपड़े उतारने में शर्म आ रही है.
मैंने कहा- फिर तैरना कैसे सीखेगी?
मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए सिर्फ कच्छा पहने खड़ा हो गया, मेरा लण्ड कुछ-कुछ सुरसुरा रहा था.
मैंने उससे कहा- देख तुझे ऐसे होना पड़ेगा जैसे मैं हूँ.. सिर्फ कच्छे में..
‘तुम तो लड़के हो..’
मैंने पूछा- तो.. तुम क्या करोगी?
बोली- मैं सिर्फ पेटीकोट में रहूँगी.
‘चल ठीक है..’
मैंने सोचा कि कुछ तो देखने मिलेगा.
उसने पेड़ के पीछे जाकर अपने कपड़े उतारे और पेटीकोट को अपने मम्मों पर चढ़ा कर बाहर आ गई.
पापा कसम लौड़े की हालत बिगड़ गई.. मादरचोद कच्छे में आतंक मचाने लगा.
वैशाली ने भी मेरा उठा हुआ मूसल देख लिया था.
मैंने उसकी तरफ देखा साली ग़दर जवानी थी.. चूचे तो पेटीकोट से निकले पड़ रहे थे.
खैर.. उसने मुझे मम्मों की तरफ घूरते देखा तो वो शरमा कर अपने बदन को हाथों से छिपाने लगी.
मैं एकदम से होश में आया और मैंने उससे कहा- आ जा.. मैं रजबाहे में उतरता हूँ ज्यादा गहरा नहीं है.. तू मेरा हाथ पकड़ कर आ जाना.
‘ठीक है..’
मैं पानी में उतर गया.. मेरे सीने तक पानी था.. उसकी तो गर्दन तक आ सकता था.
वो मेरा हाथ पकड़ कर पानी में उतरने लगी.. पर वो डर रही थी तो उसका पैर फिसला और वो एकदम से चिल्ला कर मेरे सीने से चिपक गई.
मेरा तो सपना साकार हो गया मैंने उसको अपनी बांहों में जकड़ लिया और उसको सम्भाल लिया.
उसके भरे-भरे मम्मे मेरी छाती में गड़ गए.. मेरा मन तो उसको छोड़ने का था ही नहीं पर वो चिल्ला रही तो मैंने उसको सहारा देकर ऊपर किनारे पर बैठा दिया.
मैंने उसकी तरफ देखा तो उसकी चूचियां पेटीकोट के भीग जाने के कारण स्पष्ट दिखने लगी थीं. उसकी गोरी-गोरी टाँगें मुझे मदमस्त कर रही थीं.
मैंने बाहर आने की सोची पर मेरा लवड़ा भोसड़ी का एकदम लोहे का डंडा बन गया था और कच्छे में पूरा तन गया था जिससे मुझे उसके सामने आने में थोड़ी हिचक हो रही थी. मैं पानी में ही खड़ा रहा.
मेरी समझ में नहीं आ रही थी कि क्या करूँ.
मैंने उससे कहा- डर मत.. मैं हूँ न.. आ जा.. डरती रहेगी तो सीखेगी कैसे?
वो मेरी चौड़ी छाती को निहारते हुए अपने पेटीकोट को ठीक करने लगी.
वो बोली- तुम ऊपर आओ तुम्हारे साथ ही पानी में आऊँगी.
मैं ऊपर आया तो मेरा लौड़ा भुजंगासन में खड़ा था. उसने मेरे लौड़े को देखा तो वो शरमा गई.
मैं उसके पास बैठ गया और उसे समझाने लगा कि कैसे तैरा जाता है.
फिर वो मेरे काफी समझाने पर फिर से राजी हो गई.
मैंने उसका हाथ पकड़ा तो वो एकदम से शायद गरम हो गई.
बोली- मुझे डर लग रहा है.. तुम मुझे ठीक से पकड़ो तभी उतरूँगी.
मैंने उसको सहारा दिया तो वो मेरी बांहों में आ गई.
मैंने भी उसे जोर से भींच कर उसके मम्मों का रगड़ सुख लिया और उसकी टांगों में मेरा खड़ा लौड़ा चूत को टहोकने लगा.
मैंने उससे कहा- अब मैं तुम्हारी कमर पकडूँगा.. तुम अपने हाथ-पैर चलाना.. ठीक है..
‘ठीक है..’
मैंने उसको अपने हाथों में इस तरह से लिया कि उसकी चूचियां और चूत वाला हिस्सा मेरे हाथों में आ गया और वो पेट के बल तैरना सीखने लगी.
मैं उसके आमों को दबा-दबा कर उसकी जवानी का खूब मजा लेता रहा. वो भी गरम हो गई थी.
थोड़ी देर बाद वो बोली- मैं थक गई हूँ.. अब बस मुझे किनारे पर बैठा दो.
मैंने उसको अपनी गोद में उठाया और उसकी गांड में उंगली करता हुआ उसको बाहर चबूतरे पर बैठा दिया और उसके पास बैठ गया. वो थक कर मेरे सीने से चिपक कर बैठ गई मैंने उसकी पीठ की तरफ से हाथ डाल कर उसे अपने आगोश में ले लिया और धीरे से उसकी चूची को सहलाने लगा.
वो गनगना गई और मुझसे और ज्यादा चिपक गई.
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मैंने उसे वहीं लिटा दिया और उसके ऊपर झुक कर उसकी चूचियों पर अपना मुँह लगा दिया.
उसने कुछ भी नहीं कहा.
मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैंने उसके पेटीकोट को खींच दिया, उसके दोनों मम्मे हवा में उछलने लगे.
मैंने अपना मुँह उसके एक निप्पल में लगाते हुए उसकी चूत में उंगली कर दी.
वो मचल गई और मादक ‘आह..’ भरने लगी. मैंने उसका हाथ अपने लौड़े पर रख दिया.. वो मेरे लौड़े से खेलने लगी.
मैंने उसके होंठों की चुम्मी ली तो बोली- राजू मुझे बहुत डर लग रहा है कुछ होगा तो नहीं?
मैंने कहा- कुछ नहीं होगा.. मैं तुमको एक जादू करके दिखाता हूँ फिर देखना तुम मुझसे बार-बार कहोगी.
वो मेरी तरफ देखने लगी तो मैंने अपना कच्छा उतार कर नंगा लौड़ा उसके सामने कर दिया.
वो लौड़े को घूर कर देखने लगी. मैंने उसको पहले चोदना ठीक समझा और उसकी एक टांग उठाई तो उसकी मखमली चूत मेरे सामने थी.
मैंने झुक कर उसकी चूत पर अपनी जीभ लगा दी और चूत को चूसने लगा. वो एकदम से जैसे भड़क उठी और मेरा सर चूत पर दबाने लगी.
उसकी चूत एकदम पनिया गई.. मैंने देर न करते हुए अपना लौड़ा उसकी चूत के मुँह पर टिका दिया. जब तक वो कुछ समझती मैंने एक ठोकर लगा दी.. मेरा आधा लौड़ा उसकी गीली चूत में सरसराता हुआ घुस गया.
उसकी एक चीख निकलने को हुई मैं पहले से ही सजग था सो मैंने उसके मुँह पर अपना एक हाथ लगा दिया था.
अब मैंने उसकी चीख की परवाह किए बिना एक तगड़ा झटका मार कर पूरा लवड़ा चूत में घुसेड़ दिया.
वो थर्रा गई.. पर मैं रुक गया और उसकी चूचियों को पीने लगा.
कुछ देर में उसका दर्द कम हुआ और मेरा इंजन शंटिंग करने में जुट गया.
बस कुछ ही देर में उसके चूतड़ों ने भी नीचे से हरकत शुरू कर दी थी और धकापेल चुदाई चालू हो गई.
कुछ देर तक चुदाई होने के बाद वो एकदम से अकड़ गई और झड़ गई उसकी गर्मी से मेरा लौड़ा भी पिघल गया और हम दोनों फारिग हो गए.
थकान कम होते ही हम दोनों उठे और पानी में नहा कर कपड़े पहन कर घर को चल दिए.
अब मैं वैशाली को जब चाहे चोद लेता हूँ.
यह थी मेरी पड़ोसन कमसिन लड़की की चूत चुदाई की कहानी जो मैंने तैरना सिखाने के बहाने की थी.