हेलो दोस्तो, यह मेरी पहली चुदाई की कहानी है जो मैं आपको बताने जा रहा हूँ.
मेरी एक चाची हैं उनका नाम सरोज है ये नाम बदला हुआ है. सरोज चाची कुछ ज़्यादा ही नखरीली हैं. उनकी उम्र 35 साल की है, मगर वे अभी भी पच्चीस साल की लगती हैं. वे बहुत ही कामुक देह की स्वामिनी हैं. सरोज चाची के चूचे और उनकी उठी गांड को देख कर किसी का लंड खड़ा हो जाए.
अभी मैं भी 20 साल का हो गया था. अब तक मैंने भी किसी के साथ सेक्स नहीं किया था. मेरी जवानी भी चूत चूत चिल्ला रही थी. जब भी मैं सरोज चाची को अपने सामने गांड हिलाते हुए चलता देखता, तो अपना लंड हिला कर मुठ मार लेता.
मैंने बहुत कोशिश की, पर कोई लड़की नहीं सैट हो रही थी. फिर मैंने सोचा किसी आंटी या भाभी पर ही ट्राई किया जाए. इतना सोचने के बावजूद भी न जाने क्यों मेरे दिमाग में सरोज चाची को चोदने की बात नहीं आई थी, जबकि मैंने कई कई बार उनको गांड हिलाकर मटक मटक कर चलते देख कर मुठ मारी थी.
एक दिन मेरी कामवासना बहुत बढ़ी हुई थी, मुझे मेरे लंड के लिए छेद की सख्त जरूरत थी, तभी मेरे सामने से सरोज चाची निकलीं और मैंने उनको देख कर लंड सहलाना शुरू कर दिया. तभी मेरे दिमाग की बत्ती जली और मैंने सरोज चाची पर ट्राई मारने का सोचा. उनको कैसे अपने नीचे लाया जाए, अब मेरे दिमाग में ये चलने लगा था.
मेरी सरोज चाची जब भी कहीं जाती थीं, तो वे मुझे अपने साथ ही लेकर जाती थीं. मैं भी उनके साथ ख़ुशी खुशी चला जाता था. अब जब मैंने उनको चोदने का सोचा तो मन बोला कि क्यों न सरोज चाची की गांड में ही लंड डाला जाए. बस मैं अब इसी नजरिये से सरोज चाची पर निगाह रखने लगा.
एक दिन वो रसोई में खाना बना रही थीं, उस समय शाम के 8 बज रहे थे. अंकल चूंकि सरकारी सर्विस में हैं तो वे अपनी जॉब पर गए हुए थे. चाची खाना बनाने में लगी थीं कि उसी समय लाइट चली गई.
उन्होंने कहा- तू अपने मोबाइल की टॉर्च चालू कर दे तो जरा रोशनी हो जाएगी … मैं खाना बना लूँगी.
मैं झट से टॉर्च चालू करके उनके पीछे जाकर खड़ा हो गया. इस वक्त उनकी हिलती हुई गांड देख कर मेरा 6 इंच का लंड अकड़कर सख्त होना शुरू हो गया. मैं भी ठीक उनकी गांड से लग कर खड़ा था. मैं उनकी गांड से सिर्फ दो इंच की दूरी पर था. चाची की उठी हुई गांड मुझसे इतनी करीब थी, इस अहसास से ही मेरा लंड तुनकी देने लगा था.
उन्हें शायद मालूम नहीं था कि मैं ठीक उनकी गांड से लंड लगा कर खड़ा हूँ. वो कुछ लेने को पीछे हुईं, तो मेरा खड़ा लंड सीधे उनकी गांड की दरार में चला गया. वो लंड की सख्ती से एकदम से चिहुंक उठीं और जल्दी से हट गईं.
इतने में ही लाइट आ गई और मैंने उनसे थोड़ी दूरी बना ली. उन्होंने मुझे घूर कर देखा और कहा- अब तू घर चला जा.
मैं उनकी इस रुखाई से डर गया कि कहीं वो मेर इस हरकात को मेरी मम्मी को ना कह दें.
चूंकि मेरे मन में चोर था इसलिए मुझे यही लगा कि चाची को मेरे लंड की ठोकर लग गई. जबकि हो सकता था कि उन्होंने बिजली आ जाने के कारण मुझे जाने का कह दिया हो.
दूसरे दिन सरोज चाची हमारे घर आईं और मेरी मम्मी से बातें करने लगीं. मेरे मन में तो चोर घुसा हुआ था, मेरी गांड फटने लगी थी कि कहीं सरोज चाची मेरी मम्मी से कह न दें. यदि उन्होंने ऐसा कहा तो आज तो मेरी कुटाई पक्की समझो. मैं मन ही मन यही सोचता रहा कि कुछ गड़बड़ न हो जाए.
कुछ देर बाद सरोज चाची चली गईं, उनके जाने के बाद मम्मी ने मुझे आवाज देकर बुलाया. मेरी फट गई कि पक्का कुछ हुआ है, मैं डरते हुए मम्मी के पास गया और उनसे पूछा कि जी मम्मी जी.
मम्मी ने कहा- आज तू चाची के साथ ब्यूटी पार्लर तक चले जाना.
मैंने जरा हैरत भरे स्वर में उनको सुना और धीरे से कहा- ठीक है मम्मी.
शाम को मैं बाइक लेकर उनके घर गया और उनसे पूछा कि आपको मेरे साथ चलना था?
उन्होंने मुझे स्माइल दी और पार्लर जाने की कह कर मेरे पीछे बाइक पर बैठ गईं. उनका आज का स्पर्श मुझे बड़ा सुहाना लग रहा था. जबकि आज से पहले भी सरोज चाची मेरे साथ बाइक पर बैठ चुकी हैं, लेकिन आज डर के बाद उनका स्पर्श मुझे भारी सुकून दे रहा था.
हम दोनों कुछ ही देर में पार्लर जा पहुंचे. सरोज चाची मेरी कमर का सहारा लेकर बाइक से उतरीं और मुस्कुराते हुए पार्लर में चली गईं. मैं उनकी मुस्कराहट का अर्थ तो नहीं समझ पाया लेकिन इतना जरूर समझ गया था कि सरोज चाची को मेरे लंड का स्पर्श या तो अच्छा लगा या फिर मैं अब भी कुछ गलत ही समझ रहा हूँ.
खैर.. मैं पार्लर के बाहर ही उनका वेट कर रहा था. जब वो बाहर निकलीं, तो मैं उनको देखता ही रह गया. सरोज चाची का चेहरा मेकअप के बाद इतना क्यूट लग रहा था कि मुझे लगा कि अभी सरोज चाची को पकड़ लूँ और अपना खड़ा लंड निकाल कर उनके मुँह में घुसा दूँ.
उन्होंने मुझे देखते हुए देखा और मुस्कुरा कर बोलीं- चल घर वापस चलते हैं.
मैंने सरोज चाची को अपने पीछे बिठाया और चाची ने मेरी कमर में हाथ डाल कर मुझे पकड़ लिया. हम दोनों वापिस घर आ गए.
मैंने चाची को उनके घर के सामने उतारा तो उन्होंने मुझे चाय के लिए कहा- बैठ चाय पी कर जाना.
मैंने भी हां कर दी. मैंने सोचा कुछ देर और चाची की गांड देखने को मिलेगी.
मैं सोफे पर बैठ गया, वो पांच मिनट बाद चाय लेकर आईं.
इसी वक्त एक हादसा हो गया. चाची ने जैसे ही मुझे चाय का कप पकड़ाने को दिया. गर्म चाय से भरा कप, मेरे लंड पर जा गिरा. मेरा खड़ा लंड एकदम से कंप गया. मैं एकदम से चिहुंक उठा.
मुझे साफ़ करने के लिए चाची ने झट से अपना पल्लू उतारा और मेरे लंड के पास अपने हाथ से मेरी गीली पैन्ट को पौंछने लगीं. उनका पल्लू क्या हटा, मुझे उनके मम्मों की दुकान साफ़ दिखने लगी.
सरोज चाची के गहरे गले के ब्लाउज से पल्लू के हट जाने से उनके गोरे गोरे मम्मे उनके जल्दी जल्दी पेंट साफ़ करने की वजह से मस्ती से हिल रहे थे.
उन्होंने मुँह से मेरे लंड के पास फूंकते हुए मुझसे पूछा- जल तो नहीं रहा?
मैंने भी झूठ बोल दिया- हां चाची, मुझे अन्दर तक जलन हो रही है.
चाची ने बगल की दराज से एक क्रीम का ट्यूब निकाला और मुझे देकर बोलीं- ले ये क्रीम लगा ले.
मैंने कराहने का नाटक करते हुए कहा- मुझसे नहीं बनेगा.. आप ही लगा दो.
मेरी इस बात को सुनकर चाची कुछ सोचने लगीं. मैंने फिर कराहते हुए कहा- आह … चाची बड़ी जलन हो रही है.
कुछ देर नखरे करने के बाद सरोज चाची मेरे लंड के पास क्रीम लगाने को राजी हो गईं, उन्होंने कहा- तुम अपना लोवर उतार कर सोफे पर लेट जाओ.
उनकी इस बात को सुनते ही मेरे लंड में मानो जान आ गई हो.. वो फिर से सर उठाने लगा था.
जैसा सरोज चाची ने कहा, मैंने वैसा ही किया. जैसे ही मैंने अपना लोवर उतारा, मेरा तना हुआ लंड देख कर उनकी आंखों में चमक आ गई.
मैंने फिर कराहते हुए कहा- आह.. बहुत जल रहा, इस पर पानी डालो.
उन्होंने चुदासी सी आवाज में कहा- नहीं, पानी डालने से फफोले आ सकते हैं. अगर तुम चाहो तो मैं इसको मुँह से ठीक कर सकती हूँ.
मुझे लगा कि ये फूंक मार कर ठीक करने की कह रही हैं, तो मैंने कहा- फूंकने से क्या होगा.
चाची ने मेरा लंड बाहर निकालते हुए हाथ में पकड़ा और बोलीं- तू चुप रह … मैं इसको अभी दो मिनट में ठीक कर देती हूँ.
उनके हाथ में लंड आते ही मेरा मकसद मुझे सफल होता दिखने लगा था. मुझे बस चाची से यही चाहिए था.
मैंने कहा- ठीक है चाची जल्दी करो.. ये बड़ा बेहाल हो रहा है.
मुझे अंदाजा ही नहीं था कि चाची लंड को क्या करने वाली हैं. उन्होंने मेरा 6 इंच का लंड अपने मुँह में भरा और अन्दर लेकर लंड चूसना आरम्भ कर दिया.
मैं तो जैसे हवा में उड़ने लगा था. चाची मेरी आंखों में आंखें डाल कर मुस्कुराते हुए लंड चूस रही थीं. मैं हैरत से उनकी आंखों में देखने लगा.
एक दो पल ही बीते थे कि मेरा हाथ उनके मम्मों पर चला गया. मैं सरोज चाची के तने हुए मम्मों को दबाने लगा. वो पूरी मस्ती से मेरे लंड को चूसे जा रही थीं.
कुल चार पांच मिनट बाद ही मेरा माल निकलने को हो गया. मैंने चाची से इशारा किया, तो उन्होंने मुझे आंखों से कह दिया कि आ जा.
मैंने आंखें बंद करके उनके मुँह में ही अपने लंड की रस धार छोड़ बैठा.
सरोज चाची ने मेरे लंड का पूरा रस गटक लिया. न केवल रस चूस लिया बल्कि झड़ने के बाद भी चाची ने मेरे लंड को चाट चाट कर दुबारा खड़ा कर दिया.
अब सरोज चाची खुद सोफे पर लेट गईं और पैर ऊपर करके बोलीं- अब चल जल्दी से अपना लंड मेरी चूत में डाल दे राज!
वो चुदास से तड़प रही थीं. मैंने भी आव देखा न ताव, अपने लंड का टोपा चाची की चूत के मुँह पर रखा और ज़ोर का झटका मार दिया. इस बमपिलाट झटके से मेरा पूरा का पूरा लंड उनकी चूत को चीरता हुआ अन्दर घुस गया. लंड के इतने तेज अटैक से चाची एकदम से चिल्लाने लगीं. उनकी आंखों में आंसू आ गए.
मैंने दो पल रुक कर उनको सम्भलने का मौका दिया और तेज स्पीड से लंड को सरोज चाची की चूत में भेदने लगा.
अब तो सरोज चाची भी अपनी गांड उठा कर चुदाई का मज़ा ले रही थीं. बस 5 मिनट बाद ही चाची की चूत ने मेरे लंड को जकड़ना शुरू कर दिया. चाची झड़ गईं. उनके गर्म माल से मेरा लंड भी पिघल गया और मेरा माल भी निकल गया.
चाची मुझे चूमने लगीं. मैं उनको देखने लगा, तो उन्होंने हंस कर कहा कि मैं तो न जाने कब से तेरे लंड को लेना चाहती थी. जब उस दिन तूने मेरी गांड से लंड टच किया तो समझो मेरी लॉटरी ही खुल गई थी.
मैं भी हंस दिया और दुबारा चुदाई की तैयारी शुरू कर दी.
बाद में चाची ने बताया कि वो चाय ठण्डी करके लाई थी और जानबूझ कर मेरी जान्घों पर गिरायी थी कि उन्हें सेक्स करने का मौक़ा मिल जाए.
इसके बाद तो अब मेरी जब भी चुदाई की इच्छा होती, तो मैं चाची को चोद लेता हूँ. उन्होंने बताया कि चाचा का लंड केवल 4 इंच का है, जिससे उन्हें मज़ा नहीं आता है. अब मुझे चाची के रूप में मस्त माल गया है.